पर्यावरण पथ के पथिक 7 : इसाक केहिमकर

SHARE:

पर्यावरण पथ के पथिक पंद्रह पर्यावरणविदों की असली जीवन कहानियां संपादनः ममता पंडया, मीना रघुनाथन हिंदी अनुवादः अरविन्द गुप्ता   इसाक क...

image[6]

पर्यावरण पथ के पथिक

पंद्रह पर्यावरणविदों की असली जीवन कहानियां

संपादनः ममता पंडया, मीना रघुनाथन

हिंदी अनुवादः अरविन्द गुप्ता

 

इसाक केहिमकर

बांबे नैचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) से जुड़े इसाक केहिमकर करीब 20 साल से संरक्षण के काम में जुटे हैं। 1979 में उन्होंने बीएनएचएस में, सहायक लाब्रेरियन की हैसियत से में काम शुरू किया। अब वो वहां पर जनसंपर्क अधिकारी हैं और लोकप्रिय पत्रिका हार्नबिल के संयुक्त संपादक हैं। इसाक का काम कार्यशालाएं, लेक्चर, स्लाइड-शो, और शिक्षकों, छात्रों, आम लोगों और फौजी अफसरों जैसे कुछ विशेष समूहों के साथ बाहरी परिभ्रमण आयोजित करना है। कई टीवी कार्यक्रमों और फिल्मों में वो प्रकृति विशेषज्ञ रहे हैं। इसाक ने अपनी बहुमुखी रुचियां के कारण बहुत सी कुशलताएं अर्जित की हैं जिनमें सिनेमाटोग्राफी, बागबानी, तितलियों और पक्षियों के लिए विशेष बगीचों का डिजाइन और तितलियों और पतंगों को उपजाना आदि शामिल हैं। इसाक ने प्रकृति के विभिन्न पक्षों पर कई लेख लिखे हैं ओर तितलियों, पतंगों और कीटों के बारे में उनके कई प्रकाशन हैं। इसाक को फोटोग्राफी और घूमने का बहुत शौक है। वो देश के अलग-अलग हिस्सों में स्थित राष्ट्रीय उद्यानों और जंगली क्षेत्रों का भ्रमण कर चुके हैं

 

कीड़े-मकौड़े भी वन्यजीव ही हैं!

मैं खुशनसीब हूं कि मैं अपना बचपना एक प्राकृतिक परिवेश में गुजार पाया। मैं महाराष्ट्र में स्थित मुंबई के उपनगर गोवंडी में बड़ा हुआ। हमारे बड़े घर में खेलने के लिए एक विशाल बगीचा था। पास ही में कुछ तालाब थे जिनमें मैं मछलियां और केंकड़े पकड़ता था। वहां मनोरंजन के लिए कोई क्लब या खेल के मैदान नहीं थे। प्रकृति ही मेरा खेल का मैदान थी। जिन चीजों को करने में मुझे खुशी मिलती थी उन्हें करने के लिए मेरे माता-पिता ने मुझे प्रोत्साहित किया। प्राणियों और प्रकृति का प्रेम मुझे अपनी दादी से विरासत में मिला। उन्हें जानवर बेहद पसंद थे इसलिए घर में हमेशा मुर्गियां, कुत्ते और और अन्य कुछ जानवर होते ही थे।

कुछ अन्य पालकों के विपरीत मेरे माता-पिता घर में पालतू जानवरों का स्वागत करते थे। मेरे पिता का मानना था कि घर में अगर कोई पालतू जानवर हो तो उससे बहुत कुछ सीखने को मिलता है। उनका मानना था कि पालतू जानवरों से लोगों में एक जिम्मेदारी की भावना पनपती है। जानवरों से केवल प्यार के कारण ही आप उन्हें पालतू नहीं बनाते हैं। आपको उनकी देखभाल करनी पड़ती है और अंत में पालतू जानवर घर के ही सदस्य बन जाते हैं। पालतू जानवरों द्वारा आप जिंदगी में दुख सहना भी सीखते हैं। उनक द्वारा आप जीवन के कठिन क्षणों को झेलना सीखते हैं। जब मैं छात्र था तो मेरी कोई भी महत्वाकांक्षा नहीं थीं। विज्ञान में मेरी शुरू से ही रुचि थी। परंतु गणित में फेल हो जाने के कारण मैं कालेज में विज्ञान विषय को नहीं ले सका। इसलिए मुझे राजनैतिक शास्त्र पढ़ना पड़ा। जैसे-जैसे समस्याएं आती गयीं वैसे-वैसे मैं उनका सामना करता गया।

थाने की सर्प प्रर्दशनी मेरी जिंदगी में एक निश्चित बदलाव लायी। प्रर्दशनी के संयोजकों को कुछ स्वयंसेवी चाहिए थे। मैंने इस काम को अपने हाथ में लिया क्योंकि मुझे सांपों का संभालने का कुछ अनुभव था। प्रर्दशनी खत्म हुयी परंतु मेरा प्रदर्शनी के आयोजकों के साथ एक नया संबंध जुड़ गया। प्रदर्शनी का आयोजन बांबे नैचरल हिस्ट्री सोसाइटी ने किया था जिसे लोग बीएनएचएस के लोकप्रिय नाम से अधिक जानते हैं। प्रर्दशनी के बाद 1979 में, मुझे बीएनएचएस में सहायक लाइब्रेरियन के पद के लिए आमंत्रित किया गया। मैंने इसे तुरंत स्वीकार कर लिया। बाद में मैंने पुस्तकालय विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की। बीएनएचएस के साथ वो पुराना रिश्ता आज भी बरकरार है। अब मैं पूरे समय बीएनएचएस में जनसंपर्क अधिकारी के रूप में काम करता हूं।

मेरे पेशे के चयन से मेरी मां अवश्य निराश हुयीं परंतु मेरे पिता ने कहा, "पैसा तो कभी मिल जायेगा परंतु खुशी नहीं।" उन्होंने मुझे हमेशा उन कामों को करने के लिए प्रोत्साहित किया जिनसे मुझे संतोष और खुशी मिले। लाइब्रेरियन की हैसियत से मुझे प्रकृति के बारे में पढ़ने का अच्छा अवसर और समय मिला। साथ में मुझे छात्रों, वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और प्रकृति में रुचि रखने वाले अन्य लोगों और ग्रुपों से मिलने का भी मौका मिला। बीएनएचएस में ही मैं पहली बार पक्षियों के विशेषज्ञ डा सलीम अली से मिला। डा सलीम अली एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने मुझे मेरे काम में प्रेरित किया। डा सलीम अली एक तितली की तरह थे। जब आप किसी तितली को पकड़ते हैं तो वो आपकी उंगलियों पर एक पाउडर छोड़ जाती है। इसी प्रकार डा सलीम अली से मिलने पर आप हर बार उनसे कुछ नया सबक सीखते, विशेषकर - श्रेष्ठता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और उनके गुणों के बारे में। डा सलीम अली इस बात पर बहुत जोर देते थे कि हर काम को अपनी क्षमता के अनुसार श्रेष्ठतम किया जाए। उन्हें चालू काम करने के रवइये से सख्त नफरत थी।

शुरू में मेरी जलथली प्राणियों और सरीसृपों में अधिक रुचि थी। मैंने हार्नबिल पत्रिका - जिसका मैं अब सहसंपादक हूं के लिए गोह (मानीटर लिजर्ड) के ऊपर एक लेख तैयार किया था। लेख को पढ़ने के बाद श्री जे सी डेनियल जो उस समय बीएनएचएस के निदेशक थे और अब उसके अवैतनिक सचिव हैं ने मुझे से लेख में कुछ व्यक्तिगत टिप्पणियां और अवलोकन जोड़ने को कहा। उनके अनुसार ऐसा करने से मेरा लेख अधिक प्रभावशाली होगा। क्योंकि जानकारी तो किसी भी विश्वकोष से हासिल की जा सकती है। इस सुझाव का मुझ पर काफी असर पड़ा और उसी दिशानिर्देश के अनुसार मैं आज भी लिख रहा हूं। कीट-पतंगों की दुनिया से मेरा परिचय तक हुआ जब मैंने एक तितली के पूरे जीवन-चक्र का अवलोकन किया।

कोवे (ककून) में से एकदम जादुई तरीके से निकलती तितली ने मुझे बहुत आकर्षित किया और उसके बाद से मैं तितलियों और पतंगों का अध्ययन करने लगा। आज इतने साल बाद भी जब कभी मैं कोवे में से किसी तितली को निकलते देखता हूं तो मेरा मन खुशी से पुलकित हो जाता है। कीटों की आकर्षक दुनिया ही मुझे उनकी ओर खींचती है। कीट हमारे इतने करीब होते हैं फिर भी हम उनके बारे में बहुत कम जानते हैं। कीटों का अध्ययन आपको धीरज और सहनशीलता सिखाता है। कीट होना क्या है? आप इस बात की कल्पना करना भी सीखते हैं। उदाहरण के लिए एैटलस पतंगे (मौथ) को अपने कोवे मं से बाहर निकलने में आठ महीने तक का समय लग सकता है!

1980 के दशक के शुरू से ही मैंने सैंक्चुरी पत्रिका के लिए लेख लिखने लगा। मैंने मेंढकों, पतंगों, तितलियों, सरीसृपों और अन्य छोटे परंतु आकर्षक जीवों के बारे में लिखा। 1992 में मेरी पहली पुस्तक ामन बटरफ्लाइस आफ इंडिया छपी। इसे मैंने थामस गे के साथ मिलकर लिखा था। समय के साथ-साथ मेरी रुचियां भी बदलीं। मैंने सरीसृपों से शुरू कर कीटों की दुनिया को खोजा। अब मेरी रुचि जंगली फूलों में है। प्रकृति में रुचि रखने वाले हरेक व्यक्ति को फोटोग्राफी सीखने से बहुत फायदा होगा। मेरी फोटोग्राफी की धुन 1986 में महज एक शौक से शुरू हुयी। मैंने अपनी तनख्वाह में से पैसे बचाकर एक कैमरा खरीदा। जब आप किसी व्यक्ति या चीज से बहुत प्यार करते हैं तो आप उसे अपने पास रखना चाहते हैं। प्रकृति से अगर आपको अथाह प्रेम हो तो आप उससे कुछ चुराना नहीं चाहेंगे। फोटोग्राफी द्वारा मैं अपने प्रेम को अपने पास संजो के रख सकता हूं! फोटोग्राफी से मुझे अपने अपने आपको अभिव्यक्त करने का मौका मिलता है।

फोटोग्राफी द्वारा मैं प्रकृति की विविधता और सुंदरता का गुणगान कर सकता हूं। जब कभी भी मैं पुराने फोटोग्राफ्स को देखता हूं तो प्रकृति में गुजारे सुनहरे पल मेरे लिए दुबारा तरोताजा हो जाते हैं। प्रकृति प्रेमी के लिए फोटोग्राफी महज कैमरे का बटन दबाना नहीं होता है। उसे उस विषय का व्यवस्थित अध्ययन करना होता है, उसके बारे में पढ़कर और अधिक जानकारी हासिल करनी होती है। कभी-कभी इसमें बहुत उदासी और दिक्कत भी आती है। प्रकृति आपके लिए ‘माडल’ नहीं करती। आपको उस विशेष क्षण का शांति से इंतजार करना पड़ता है। मुझे एक खास कुमुदिनि के फूल का फोटोग्राफ लेने के लिए 6-7 साल तक इंतजार करना पड़ा। ये फूल बारिश के बाद खिलते हैं और फिर एक-दो दिनों में ही मुरझा जाते हैं। परंतु प्रकृति में चुनने के लिए भी बहुत कुछ है। एक बार मैं अंडे देते हुए गिरगिट की फोटोग्राफ खींचने में सफल हुआ। इसके लिए मुझे एक पुरुस्कार भी मिला। मुझे बीबीसी के साथ तब काम करने का मौका मिला जब डेविड एैटनबरो अपनी फिल्म ‘  ट्रायल्स ऑफ लाइफ  ’ बना रहे थे। मैंने कुछ अन्य फिल्म निर्माताओं के साथ भी काम किया। वन्यजीवन और प्रकृति को फिल्म करने और फोटोग्राफी सीखने के ये बहुत ही सुनहरे अवसर थे।

मुझे आशा है कि आने वाले कई वर्षों तक मैं फोटोग्राफी करता रहूंगा और प्रकृति की महिमा के बारे में लिखता रहूंगा। मेरे दो बेटे हैं - अमित और समीर। मुझे लगता है कि समीर को प्रकृति प्रेम विरासत में मिला है क्योंकि मेरी पत्नी नंदनी ने भी, बीएनएचएस में, डा सलीम अली के साथ ही अपना काम शुरू किया था। जब बच्चे बोर्डिंग स्कूल से वापिस आते हैं तो हमारा घर एक छोटे चिड़ियाघर का रूप ले लेता है जहां हम बीमार और चोट लगे प्राणियों का इलाज करते हैं। मुझे इस बात का दुख है कि शहरों में रहने के कारण आजकल बच्चों और युवा पीढ़ी को प्रकृति का आनंद लेने और उससे रिश्ता जोड़ने का मौका नहीं मिलता है। वो कितना सुंदर अनुभव खो देते हैं! जब कभी भी मौका मिलता है तो हमारा पूरा परिवार मिलकर कहीं भी सैर-सपाट के लिए निकल पड़ता है। मैं चाहता हूं कि मेरे बच्चे स्वच्छ हवा में सांस ले पायें और वो हरे-भरे जंगलों और किलकिलाते झरनों का आनंद ले सकें।

अच्छाई और सुंदरता का अनुभव करने के बाद ही आपको खराबी और अप्राकृतिक चीजों का सही बोध होगा। मैं अपने बेटों के साथ घुमक्कड़ी के लिए जाता हूं जिससे पहाड़ियों पर चलते समय वो झरनों का आनंद ले सकें और साफ हवा में सांस ले सकें। बिगड़ती हालत और गंभीर हादसों के बारे में लिखकर पर्यावरण चेतना जगाने में मेरा विश्वास नहीं है। इसके विपरीत मैं चाहता हूं कि लोग अपने आसपास के परिवेश को बारीकी से देखें, प्रशंसा करें और उससे प्रकृति के प्रति अपनी संवेदनाओं को बढ़ाएं। जब आप एक बार प्रकृति की जटिलताओं को बारीकी से ‘देखने’ और समझने लगेंगे तब आप खुद ही सचेतन होकर उसकी सुंदरता का बचाने और संरक्षण के लिए कदम उठाएंगे। (सेंटर फार इंवायननमेंट एडयुकेशन में अंबिका अइयादुराई और कल्याणी कांडुला के साथ बातचीत पर आधारित।)

--

(अनुमति से साभार प्रकाशित)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: पर्यावरण पथ के पथिक 7 : इसाक केहिमकर
पर्यावरण पथ के पथिक 7 : इसाक केहिमकर
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg8C01wLrQZ45aC_jZgcjS4wbd-J9-vet5MD51qfVAXSq-iDsikveVvcbRerh8C9iXG392LEgqM5O2MoUFEtX4y9o2-kypKQu-w-pgzRqmbvLTRgeL1YR3Jb1Fev3ypUZ_JyVK0/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg8C01wLrQZ45aC_jZgcjS4wbd-J9-vet5MD51qfVAXSq-iDsikveVvcbRerh8C9iXG392LEgqM5O2MoUFEtX4y9o2-kypKQu-w-pgzRqmbvLTRgeL1YR3Jb1Fev3ypUZ_JyVK0/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/06/7.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/06/7.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content