पर्यावरण पथ के पथिक 3 - एस्थर डेविड

SHARE:

पर्यावरण पथ के पथिक पंद्रह पर्यावरणविदों की असली जीवन कहानियां संपादनः ममता पंडया, मीना रघुनाथन हिंदी अनुवादः अरविन्द गुप्ता   एस्थर ड...

image

पर्यावरण पथ के पथिक

पंद्रह पर्यावरणविदों की असली जीवन कहानियां

संपादनः ममता पंडया, मीना रघुनाथन

हिंदी अनुवादः अरविन्द गुप्ता

 

एस्थर डेविड

एस्थर डेविड भारत के प्रसिद्ध चिड़ियाघर विशेषज्ञ रयूबिन डेविड की पुत्री हैं। डेविड ने अहमदाबाद के चिड़ियाघर की स्थापना की और रिटायर होने तक उसके सुपरिंटेंडेंट रहे। उनको प्यार से लोग ‘रयूबिन अंकल’ के नाम से बुलाते थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन जानवरों की देखरेख और सेवा में बिताया। चिड़ियाघर प्रबंधन और जानवरों के व्यवहार संबंधी विषयों पर उन्होंने मौलिक काम किया। भारत सरकार ने उन्हें पदमश्री से सम्मानित किया। 1989 में उनका देहांत हो गया। एस्थर डेविड एक चित्रकार और लेखिका हैं। वो बच्चों के लिये वन्यजीवन से संबंधित पुस्तकें भी लिखती हैं। उन्होंने अहमदाबाद पर आधारित दो उपन्यास लिखें हैं। उनका पूरा काम प्रकृति पर आधारित है।

चिड़ियाघर में बड़े होना

मैं एक चिड़ियाघर में बड़ी हुयी! यह शायद एक सपना जैसा लगे परंतु यह सच है। मुझे विश्वास है कि आप सभी को जानवरों और पक्षियों की कहानियां पसंद होंगी। मुझे भी यह सब अच्छा लगता था। वन्यप्राणी मेरे जीवन का ही एक हिस्सा थे - क्योंकि मेरे पिताजी ने ही अहमदाबाद का चिड़ियाघर स्थापित किया था। उनका नाम रयूबिन डेविड था। वो भारत में चिड़ियाघरों के एक प्रसिद्ध विशेषज्ञ थे। मुझे अपने पिता की एक याद है। वो बहुत ही अच्छे और दयालु व्यक्ति थे। चिड़ियाघर शुरू करने से पहले वो घर पर ही कुत्तों का कारोबार और बंदूकों की मरम्मत करते थे। क्योंकि मेरी मां स्कूल में पढ़ाती थीं इसलिये पिताजी ही मेरी देखभाल करते थे। सात साल की उम्र तक पिताजी ने ही मेरे साथ अधिक समय बिताया। उसके बाद उन्होंने चिड़ियाघर की स्थापना की। उसके बाद जब कभी मेरे स्कूल की छुट्टी होती तो वो मुझे अपने साथ लेकर जाते और अपनी सबसे प्रिय चीजों से मेरा परिचय कराते। उन्होंने मुझे जंगली प्राणियों और पक्षियों के बारे में जानने और सीखने के बहुमूल्य मौके प्रदान किये। जब मैं छोटी थी तब मैं अपने पिता से पूछती थी कि वो चिड़ियाघर विशेषज्ञ कैसे बने। तब वो मुझे अपने बचपन की अनेकों कहानियां सुनाते।

उस समय मेरी दादी जिंदा थीं और वो भी अपने पुत्र, यानि पिताजी के बारे में कई और कहानियां सुनाती थीं। मेरी दादी ने मुझे बताया कि जब मेरे पिता छोटे थे तो उन्हें पक्षियों और जानवरों का बहुत शौक था। उनके घर में बुल-टेरियर प्रजाति का एक कुत्ता, एक हिरन और एक तोता था। स्कूल जाने से पहले मेरे पिता उन जानवरों के साथ खेलते और अपने पिता की उन जानवरों की देखभाल करने में मदद करते - उन्हें खाना खिलाते और सफाई करते। और स्कूल खत्म होने के बाद, घर आने की बजाये मेरे पिता दौड़ते हुये साबरमती नदी पर चले जाते। वहां वो तैरते थे और नदी का पानी पीने आये सभी जानवरों और पक्षियों को निहारते थे। उन दिनों नदी का पानी एकदम साफ था और उसके दोनों किनारों पर पौधे और पेड़ थे।

नदी में पानी पीने के लिये सामान्य जानवर ही आते जैसे गाय, सांड, बैल, भैंस, घोड़े, गधे, कुत्ते और बकरियां। कभी-कभी वहां पर मंदिर के हाथी भी आते। वहां बहुत से पक्षी भी आते जैसे मोर, सारस, बगुले, कौवे, तोते, फाख्ता, कबूतर, बुलबुल, मैना और बत्तखें। मेरे पिता को उन्हें देखने में मजा आता। जब उन्हें स्कूल से लौटने में देरी होती तो मेरी दादी फिक्र नहीं करतीं। उन्हें पता होता कि पिताजी नदी पर गये होंगे। मेरी दादी भी बड़ी दयालु प्रकृति की थीं और उन्हें भी जानवरों और पक्षियों से बहुत स्नेह था। स्कूल जाते समय वो मेरे पिता को उनके लिये तो खाने का डिब्बा देतीं हीं। परंतु, साथ में वो उन्हें एक और डिब्बा भी देतीं जिसमें साबरमती नदी पर इंतजार कर रहे उनके दोस्तों के लिये अनाज और पुरानी डबलरोटी के टुकड़े होते।

मेरे पिता ने मुझे एक असाधारण अनुभव बताया जो अहमदाबाद के पुराने शहर में घटा था। इस घटना के समय मेरे पिता 16-17 साल के होंगे। वो सामान खरीदने में अपनी मां की मदद कर रहे थ। अचानक उन्हें बंदरों की ‘व्हूप, व्हूप’ की आवाजें सुनायी पड़ीं। उन्हें सड़क पर एक बंदर का बच्चा पड़ा हुआ दिखा, जो बिजली के तारों से करंट का झटका लगने के कारण मर गया था। तभी फौरन उस बच्चे की बंदर मां दौड़ती हुयी वहां पहुंची और उसने अपने बच्चे को बाहों में उठा लिया। इससे सारा ट्रैफिक जाम हो गया। बाकी बंदर भी वहां आ गये और उसके चारों ओर बैठ गये, क्योंकि आगे क्या करें यह उन्हें पता नहीं था। मेरे पिता उस समय एक युवा थे और इस घटना का उन पर गहरा असर हुआ। उस दिन वो बहुत उदास रहे। उस दिन उन्होंने अपने आपको बहुत छोटा और असमर्थ पाया। परंतु उन्होंने यह पक्का निश्चय किया कि वो बड़े होकर जानवरों के भलाई के लिये कुछ अवश्य करेंगे। वो जल्दी से बड़े हो जाना चाहते थे। परंतु जब वो बड़े हुये तो अचानक उनकी रुचियां बदल गयीं। उन्हें शरीर को हष्ट-पुष्ट रखने और बंदूकों में मजा आने लगा। वो पक्षी और कुत्ते पालते परंतु उन्हें साहसिक कारनामों की जरूरत महसूस होने लगी। उस समय उनकी दोस्ती गुजरात के कई राजकुमारों से हो गयी और वो उनके साथ शिकार खेलने जाने लगे। लोग उन्हें खोजते हुये आते क्योंकि वो जंगल में जानवरों को ढूंढने में बहुत माहिर थे। उन्हें बंदूकों और राइफलों का भी बहुत अच्छा ज्ञान था। जैसा कि उस उम्र के बहुत से लोगों के साथ होता है वो जो कुछ भी कर रहे थे उसे वो बुरा या खराब नहीं समझते थे। इससे मेरी दादी परेशान रहतीं परंतु पिता उनकी बात नहीं सुनते और अपनी मनमानी करते।

परंतु शायद हरेक की जिंदगी का कुछ मकसद होता है और तीन घटनाओं ने मेरे पिता के जीवन को एक नया मोड़ दिया। पहली घटना जंगल में एक तेंदुए के साथ हुयी। जंगल में पिता एकदम अकेले थे और अचानक उनके सामने एक तेंदुआ आ गया। उन दोनों ने एक-दूसरे को घूर कर देखा और फिर तेंदुआ अपने आप जंगल में गायब हो गया। मेरे पिता उसे मारना नहीं चाहते थे। दोनों में से किसी ने भी एक-दूसरे को नुकसान नहीं पहुंचाया। दूसरी घटना तब घटी जब किसी ने एक खरगोश को मारा और मेरे पिता ने उसे बचाने की कोशिश की। परंतु वो उसमें सफल नहीं हुये क्योंकि खरगोश एक बेहद कंटीली झाड़ी में फंसा था। इससे पिता को बहुत दुख हुआ। तीसरी घटना में उनके मित्रों ने एक गर्भवती हिरणी को गोली से मारा। इस घटना ने मेरे पिता को हिला दिया और उन्होंने निर्णय लिया कि वो जीवन में कभी भी शिकार नहीं करेंगे। उसके बाद वो अहमदाबाद वापिस आये। वहां उन्होंने अपनी सारी बंदूकें बेंच दीं और स्वतः से प्राणी विज्ञान का अध्ययन करने लगे। और क्योंकि वो कुत्तों के विशेषज्ञ थे इसलिये लोग अपने बीमार कुत्तों को उनके पास इलाज के लिये लाने लगे। इसी समय अहमदाबाद म्यूनिसिपिल कारपोरेशन ने एक चिड़ियाघर स्थापित करने की सोची। उस समय तक मेरे पिता अपने काम के लिये काफी प्रसिद्ध हो चुके थे। परंतु उन्हें चिड़ियाघर स्थापित करने के लिये किस प्रकार बुलाया गया और उन्होंने कंकारिया झील के पास की पहाड़ी को कैसे चिड़ियाघर में बदला यह अपने आप में एक रोचक कहानी है।

एक दिन मेयर, कमिश्नर, और स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन और अहमदाबाद म्यूनिसिपिल कारपोरेशन के कुछ अधिकारी हमारे घर पर आये। मेरे पिता साधारण काम के कपड़े पहने थे - एक धारीदार पजामा और एक बुशर्ट। उन्होंने अधिकारियों से बैठने को कहा क्योंकि वो उस समय एक बीमार कुत्ते को इंजेक्शन देने जा रहे थे। मैं उस समय छह साल की थी और कुत्ते को पकड़कर रखने में अपने पिता की मदद कर रही थी। मेरे पिता को अधिकारियों की मंशा का जरा भी अंदाज नहीं था। मेरी मां ने अधिकारियों को पानी दिया और उनसे चाय या काफी पीने के लिये आग्रह किया। कुत्ते को इंजेक्शन देने के बाद मेरे पिता ने तसल्ली से अपने हाथ धोये और उसके बाद ही उन्होंने अधिकारियों से बातचीत की। इस बीच में अधिकारियों ने मेरे पिता को चिड़ियाघर का सुपरिंटेंडेंट नियुक्त करने का निर्णय ले लिया था - क्योंकि उन्होंने अधिकारियों से बात करने से पहले एक बीमार कुत्ते का पहले इलाज किया था!

चिड़ियाघर की शुरुआत के समय पिताजी के पास कुछ तोते, मछलियां, कछुए और केवल एक मोर था। मुझे याद है जब वो पहली बार चिड़ियाघर में एक तेंदुआ लाये। जानवर के सुख-चैन के लिये वो अक्सर उसे शाम को अपने साथ घर ले आते थे। तेंदुआ अभी छोटा ही था। मेरे साथ और कुत्तों के साथ उसका बहुत दोस्ताना व्यवहार था। मुझे तब बहुत मजा आया जब मैंने पहली बार तेंदुए को छुआ और उसने मेरा हाथ चाटा। इस प्रकार मैंने जंगली जीव-जंतुओं को समझना सीखा।

धीरे-धीरे पिताजी का संकलन बढ़ता गया। उसमें शेर, चीते, हिरन, जेबरा, कंगारू, तरह-तरह के पक्षी और सांप जुड़ते गये और वो एक बहुत बड़ा चिड़ियाघर बन गया। वो पूरे एशिया का सबसे अच्छा चिड़ियाघर था क्योंकि पिताजी हरेक जानवर की खुद देखभाल करते थे। उनको शेरों और चीतों के पिंजड़ों में घुसते देखना एक आम बात थी। उन्होंने सहवास को लेकर कुछ प्रयोग भी किये। इनमें कुत्ते, बंदर और शेर बिना एक-दूसरे को नुकसान पहंचाये एक-साथ रहते थे। हरेक सुबह वो आठ बजे घर से निकल जाते और फिर रात को आठ बजे वापिस लौटते। उन्होंने चिड़ियाघर में रहने का घर स्वीकार नहीं किया क्योंकि वो अपनी व्यक्तिगत घरेलू जिंदगी में दखल नहीं चाहते थे। परंतु जब कभी जानवर बीमार होते तब तनाव के बहुत से क्षण आते। तब पिताजी बेचैन हो जाते और खाना-पीना छोड़ देते। अगर जानवर मर जाता तो वो कई दिनों तक सदमे में रहते। वो चिड़ियाघर के जानवरों से इतना प्यार करते थे कि जब मौंटू नाम का शेर बीमार पड़ा तो पिताजी के गले से एक कौर भी नहीं निगला गया। वो तब तक बहुत उदास रहे जब तक मौंटू ठीक नहीं हो गया। दो चिंपैंजी थे - एमिली और गाल्की, जिनके लिये पिताजी ने एक विशेष मीठी चटनी (जेली) बनायी थी। मैं अक्सर गाल्की को अपने कंधे पर बिठाकर चिड़ियाघर में घूमती थी। पिताजी ने मुझे गाल्की को बालपेन से चित्रकारी करना सिखाने के लिये प्रेरित किया। मैंने गाल्की का हाथ पकड़ कर उसे चित्रकारी सिखायी। ये सुखद यादें अभी भी मैंने संजो के रखी हैं। कभी-कभी चिड़ियाघर में तनावपूर्ण क्षण भी होते थे। एक बार दो चीते अपने पिंजड़ों से निकलकर बाहर आ गये।

पिताजी अपने सहायक बाबू की मदद से उन दोनों चीतों को पिंजड़ों में वापिस लाये। एक बार दो बड़े अजगर कहीं से शहर में घुस आये! पिताजी ने उनको भी पकड़ कर सुरक्षित स्थान पर भेजा। उन्होंने कंकारिया झील में से एक आदमखोर मगरमच्छ को पकड़ा। इन सभी अवसरों पर उन्होंने कभी भी बंदूक का सहारा नहीं लिया। इन कहानियों की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अपने पूरे जीवन में पिताजी को किसी भी जानवर ने कभी भी कोई नुकसान नहीं पहुंचाया।

इसके साथ-साथ पिताजी बहुत विनोदी और मजाकिया स्वभाव के थे। एक बार एक राजनेता ने पिताजी की मेज पर रखे शतुरमुर्ग के अंडे को देख बड़ी उत्सुकता दिखायी। पिताजी ने उन्हें बताया कि दुनिया के एक हिस्से में भैंस इस तरह का अंडा देती हैं! हमारे घर में मछलियों के कांच के घर के ऊपर मधुर गीत गाने वाली एक कैनरी चिड़िया रहती थी। पिताजी ने अपने मित्रों को मनवा लिया कि मछलियां भी पक्षियों की तरह गा सकती हैं! एक बार जंगल विभाग के लोग हमारे घर में रखे पारितोषिक और मैडिलों की एक सूची बना रहे थे। वहीं एक कांच की बोतल रखी थी जो मुर्गे जैसी रंगी थी। पिताजी की बात पर अफसरों ने यह मान लिया कि वो बोतल असल में एक खास प्रजाती की चिड़िया थी!

एक आप्रेशन के बाद मेरे पिताजी की आवाज जाती रही। परंतु मेरे पिता फिर भी अपने पालतू जानवरों के बहुत करीब रहते। वो अपने हाथ से ही उन्हें आदेश देते और उन्हें प्यार करते। और जानवर भी उनस अथाह प्रेम करते। मेरे पिताजी ने मुझे प्रकृति से प्रेम करना और उसकी इज्जत एंव संरक्षण करना सिखाया। पिताजी के साथ बड़े होना अपने आप में एक बड़ी शिक्षा थी। उन्होंने मुझे उन सभी चीजों को प्यार करना सिखाया जो इंसानों के लिये महत्वपूर्ण हैं जैसे प्रकृति, साहित्य, चित्रकारी, मूर्तिकला, मिट्टी का काम, संगीत, कविता, इतिहास, मानव-विज्ञान, वास्तुकला, लोक कलायें, नृत्य, सिनेमा, संस्कृति, कुत्ते, पेड़, मौसम और सबसे महत्वपूर्ण मूल्य - मानवता। मेरे लिये मेरे पिता टार्जन के समान थे। उन्होंने मुझे जीवन को शक्ति, व्यवहार-कुशलता और विनोदी तरीके से जीने के सबक सिखाये।

 

--

(अनुमति से साभार प्रकाशित)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: पर्यावरण पथ के पथिक 3 - एस्थर डेविड
पर्यावरण पथ के पथिक 3 - एस्थर डेविड
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEikDK8gInVZNscxHuesuGdgk5rmtGknFr8I2eF7QOKcoinkPWx2uXc937T1DYzS5CPBVCMpFxlVWcgwq5iFvG1XrpWDF1Dy1akFSlacXyZboX-TjktAl_Alk7ZOpZ9Ne-QSF79L/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEikDK8gInVZNscxHuesuGdgk5rmtGknFr8I2eF7QOKcoinkPWx2uXc937T1DYzS5CPBVCMpFxlVWcgwq5iFvG1XrpWDF1Dy1akFSlacXyZboX-TjktAl_Alk7ZOpZ9Ne-QSF79L/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/06/3.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/06/3.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content