शेख चिल्ली की कहानियाँ 11 - तेंदुए का शिकार

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तेंदुए का शिकार शेख चिल्ली की कहानियाँ अनूपा लाल अनुवाद - अरविन्द गुप्ता तेंदुए का शिकार अंत में शेख चिल्ली का भाग्य जागा! झज्जर के नव...

तेंदुए का शिकार

शेख चिल्ली की कहानियाँ

अनूपा लाल

अनुवाद - अरविन्द गुप्ता

तेंदुए का शिकार

अंत में शेख चिल्ली का भाग्य जागा! झज्जर के नवाब ने शेख चिल्ली को नौकरी पर रख लिया था। शेख चिल्ली अब समाज का एक गणमान्य व्यक्ति था।

एक दिन नवाब साहब शिकार के लिए जा रहे थे। शेख चिल्ली ने भी साथ आने की विनती की। '' अरे मियां तुम घने जंगलों में क्या करोगे?'' नवाब ने पूछा। '' जंगल कोई दिन में सपने देखने की जगह थोड़े ही है! क्या तुमने कभी किसी चूहे का शिकार किया है जो तुम अब तेंदुए का शिकार करोगे?''

'' सरकार आप मुझे बस एक मौका दीजिए अपनी कुशलता दिखाने का शेख चिल्ली ने बड़े अदब के साथ फर्माया।

तो अब जनाब शेख चिल्ली भी हाथ में बंदूक थामे शिकार पार्टी के साथ हो लिए। उसने अपने आपको एक मचान के ऊपर पाया। थोड़ी ही दूर पर एक बड़ा पेड़ था जिससे तेंदुए का भोजन - एक बकरी बंधी थी। चांदनी रात थी। इस माहौल में जब भी तेंदुआ बकरी के ऊपर कूदेगा तो वो साफ दिखाई देगा। दूसरी मचानों पर नवाब साहब और उनके अनुभवी शिकारी चुपचाप तेंदुए के आने का इंतजार कर रहे थे। इस तरह जब कई घंटे बीत गए तो शेख चिल्ली कुछ बेचैन होने लगा। '' वो कमबख्त तेंदुआ कहां है?'' उसने मचान पर अपने साथ बैठे दूसरे शिकारी से पूछा।

'' चुप बैठो! '' शिकारी ने फुसफुसाते हुए कहा। '' इस तरह तुम पूरा बेड़ा ही गर्क कर दोगे! ''

शेख चिल्ली चुप हो गया परंतु उसे यह अच्छा नहीं लगा। यह भी भला कोई शिकार है कि हम सब लोग पेड़ों में छिपे बैठे है और एक गरीब से जानवर का इंतजार कर रहे हैं? हमें अपनी बंदूक उठाए पैदल चलना चाहिए! परंतु लोग कहते हैं कि तेंदुआ बहुत तेज दौड़ता है। वो जंगल में उसी तरह दौड़ता है जैसे मेरी पतंग आसमान में दौड़ती है खैर छोड़ो भी। हम उसके पीछे-पीछे दौड़ेंगे। हम आखिर तक उसका पीछा करेंगे। धीरे. धीरे करके बाकी शिकारी पीछे रह जाएंगे। मैं सबको पीछे छोड्‌कर आगे जाऊंगा। मैं तेंदुए के एकदम पीछे जाऊंगा। तेंदुए को पता होगा कि मैं उसके एकदम पीछे हूं। वो रुकेगा। वो मुड़ेगा। उसे पता होगा कि अब उसका अंत नजदीक है। वो सीधा मेरी आखों में देखेगा। एक शिकारी की आखों में देखेगा। और फिर मैं....

धांय और तेंदुआ मिमियाती बकरी के सामने मर कर गिर गया। वो बस बकरी को दबोचने वाला ही था!

एक शिकारी बड़ी सावधानी से तेंदुए के मृत शरीर को देखने के लिए गया। तेंदुआ मर चुका था। पर इतनी फुर्ती से उसे किसने मारा था? शेख चिल्ली के साथी ने पीठ ठोककर शेख चिल्ली को शाबाशी दी।

'' क्या गजब का निशाना है!'' उसने कहा। '' तुमने तो हम सबको मात कर दिया और .आश्चर्य में डाल दिया! ''

'' शाबाश मियां! शाबाश!'' नवाब साहब ने शेख चिल्ली को बधाई देते हुए कहा। इस बीच में पूरी शिकार पार्टी शेख द्वारा मारे गए तेंदुए का मुआयना करने के लिए इकट्‌ठी हो गई थी। '' मुझे लगा कि कोई भी शिकारी मुझे चुनौती नहीं दे पाएगा परंतु शेख चिल्ली ने हम सबको सबक सिखा दिया। वाह! क्या उम्दा निशाना था!''

शेख चिल्ली ने बडे अदब से अपना सिर झुकाया। वो तेंदुआ कब आया और कैसे उसकी बंदूक चली इसका शेख चिल्ली को कोई भी अंदाज नहीं था!

परंतु तेंदुआ मर चुका था। और अब शेख चिल्ली एक अव्वल दर्जे का शिकारी बन चुका था! इस बारे में अब किसी को कोई शक नहीं था!

 

सबसे झूठा कौन ?

झज्जर के नवाब युद्ध लड़ने के लिए कई महीनों से बाहर गए थे। उनकी अनुपस्थिति में उनके छोटे भाई - छोटे नवाब ही राज-पाट का सारा काम संभालते थे।

नवाब साहब धीरे- धीरे करके शेख चिल्ली को चाहने लगे थे। उन्हें उसकी सरलता में आनंद आता था। परंतु छोटे नवाब शेख चिल्ली को पूरी तरह बेवकूफ और कामचोर मानते थे। एक दिन उन्होंने भरी सभा में शेख चिल्ली को डांटा और उसका अपमान किया।

'' एक अच्छा आदमी बताए हुए काम से भी कहीं ज्यादा काम करता है और एक तुम हो जो सरल से काम को भी ठीक ढंग से नहीं कर पाते हो उन्होंने कहा। '' तुम अस्तबल में घोड़ा लेकर जाते हो पर उसे बांधना भूल जाते हो। तुम जब कोई बोझा उठाते हो तो या तो गिर जाते हो या फिर तुम्हारे पैर लड़खड़ाते हैं! तुम जो काम करते हो उसे ध्यान लगाकर क्यों नहीं करते हो!''

दरबार में कई सदस्यों को यह सुनकर मजा आया। इस दौरान शेख चिल्ली अपना मुंह लटकाए रहा। उसके कुछ दिनों बाद शेख चिल्ली छोटे नवाब के घर के सामने से होकर जा रहा था जब उसे तुरंत अंदर बुलाया गया।

'' किसी अच्छे हकीम को बुलाकर लाओ। जल्दी! बेगम काफी बीमार हैं। ''

'' जी सरकार शेख चिल्ली ने कहा और आदेश का पालन करने में फटाफट लग गया। थोड़ी ही देर में एक हकीम एक कफन बनाने वाला और दो कब्र खोदने वाले मजूदूर भी वहां पहुंच गए!

'' यह सब क्या हो रहा है?'' छोटे नवाब ने गुस्से में पूछा। '' यहां तो कोई मरा नहीं है। मैंने तो सिर्फ एक हकीम को बुला लाने के लिए कहा था। बाकी लोगों को कौन बुलाकर लाया है?''

'' मैं सरकार!'' शेख चिल्ली ने कहा। '' आपने ही तो कहा था कि एक अच्छा आदमी बताए गए काम से भी बहुत ज्यादा काम करता है। इसलिए मैंने सभी संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया। अल्लाह करे कि बेगम साहिबा जल्दी से ठीक हो जाएं। पर हारी-बीमारी में क्या हो जाए यह किसे पता!''

छोटे नवाब राज-पाट के काम में ज्यादा रुचि नहीं लेते थे। वो अपना अधिकतर समय शिकार शतरंज या अन्य खेलों को खेलने में बिताते थे। एक दिन उन्होंने एक प्रतियोगिता रखी जिसमें सबसे बडे झूठ बोलने वाले को विजयी घोषित किया जाना था! जीतने वाले को सोने की एक हजार दीनारें भी मिलनी थीं!

कई झूठ बोलने में माहिर लोग इनाम जीतने के लिए सामने आए। एक ने कहा '' सरकार मैंने भैंसों से भी बड़ी चींटियां देखीं हैं जो एक बार में चालीस सेर दूध देती हैं!''

'' क्यों नहीं?'' छोटे नवाब ने कहा। '' यह संभव है। ''

'' सरकार हर रात मैं चंद्रमा तक उड़ते हुए जाता हूं और सुबह होने से पहले ही उड़कर वापिस आ जाता हूं!'' एक अन्य झूठ बोलने वाले ने डींग हांकी।

'' हो सकता है छोटे नवाब ने कहा। '' हो सकता है तुम्हारे पास कोई रहस्यमयी ताकत हो। ''

'' सरकार एक तोंद निकले मोटे आदमी ने कहा '' जबसे मैंने एक तरबूज के कुछ बीज निगले हैं तब से मेरे पेट में छोटे-छोटे तरबूज पैदा हो रहे हैं। जब कोई तरबूज पक जाता है तो वो फूट जाता है और उससे मुझे अपना भोजन मिल जाता है। अब मुझे और कुछ खाने की जरूरत ही नहीं पड़ती है। ''

'' तुमने किसी ताकतवर तरबूज के बीज निगल लिए होंगे छोटे नवाब ने बिना पलकें झपके कहा।

'' सरकार क्या मुझे भी बोलने की इजाजत है?'' शेख चिल्ली ने पूछा।

'' जरूर, '' छोटे नवाब ने ताना कसते हुए कहा। '' तुमसे हम किन प्रतिभाशाली शब्दों की उम्मीद करें?''

'' सरकार, '' शेख चिल्ली ने जोर से कहा '' आप इस पूरे राज्य के सबसे बड़े बेवकूफ आदमी हैं! आपको नवाब के सिंहासन पर बैठने का कोई हक नहीं है!''

पूरी राजसभा में सन्नाटा छा गया। तब छोटे नवाब चिल्लाए '' पहरेदारों इस नाचीज को गिरफ्तार कर लो!''

शेख चिल्ली को पकड़ा गया और खींच कर लाया गया।

'' निकम्मे बेशरम!'' छोटे नवाब का गुस्सा उबल कर बाहर निकला, '' तुम्हारी यह जुर्रत कैसे हुई! अगर तुमने इसी वक्त हमारे पैरों में गिरकर माफी नहीं मांगी तो तुम्हारा सिर धड़ से अलग कर दिया जाएगा!''

'' पर सरकार शेख चिल्ली ने विरोध जताते हुए कहा '' आपने ही तो कहा था कि आप दुनिया का सबसे बड़ा झूठ सुनना चाहते हैं!'' फिर वो निष्कपट भाव से छोटे नवाब को देखने लगा। '' जो कुछ मैंने कहा उससे बड़ा क्या और कोई झूठ हो सकता है?''

छोटे नवाब को समझ में नहीं आया कि क्या करें! क्या शेख चिल्ली अब झूठ बोल रहा है या वो पहले झूठ बोल रहा था? शेख चिल्ली उतना बड़ा बेवकूफ नहीं था जितना छोटे नवाब उसे समझते थे! छोटे नवाब धीमे से हंसे और उन्होंने कहा '' शाबाश! तुम ईनाम जीते!

सब लोगों ने शेख चिल्ली की अकल को सराहा। वो शान से हजार सोने की दीनारें लेकर घर गया। छोटे नवाब चाहें थोड़े बेवकूफ हों परंतु वो हैं दिलदार शेख ने सोचा

 

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(अनुमति से साभार प्रकाशित)

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रचनाकार: शेख चिल्ली की कहानियाँ 11 - तेंदुए का शिकार
शेख चिल्ली की कहानियाँ 11 - तेंदुए का शिकार
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