शैलेन्द्र चौहान जब हम कनाडा के साहित्य को देखते हैं तो पाते हैं कि चूंकि कनाडा अंगरेजों और फ्रांसीसियों का उपनिवेश रहा है इस कारण यहाँ की अप...
शैलेन्द्र चौहान
जब हम कनाडा के साहित्य को देखते हैं तो पाते हैं कि चूंकि कनाडा अंगरेजों और फ्रांसीसियों का उपनिवेश रहा है इस कारण यहाँ की अपनी कोई स्थानिक संस्कृति नहीं है। फलस्वरूप यहाँ की साहित्यक संरचना बँटी हुई है। कुछ लोग अंगरेजी में लिखते हैं कुछ फ्रेंच में और इन रचनाओं का स्पष्ट रूप से अलग-अलग प्रभाव देखने में आता है। अंग्रेजी साहित्य के क्षेत्र में यहां हेनरी एलाइन (1748-84) को प्रथम लेखक माना जाता है। उनके लाइफ़ जर्नल्सं की तुलना अंग्रेजी लेखक बनयान की रचनाओं से की जाती है। ओलिवर गोल्डस्मिथ इसके अन्य लेखक हैं। इनका ‘द राइजिंग विलेज’ अंग्रेज कवि गोल्डस्थ्मिथ के ‘द्र डेज़र्टेड विलेज’ की याद दिलाता है। यह कनाडा का प्रथम पुस्तकाकार काव्य है।
टामस हेलीबर्टन (1796-1865) कनाडा के प्रथम उपन्यासकार हैं। उन्होंने अपनी हास्यरसप्रधान रचनाओं के कारण ख्याति प्राप्त की है। उनके ‘द क्लॉकमेकर’ का पात्र सैम ‘स्लिक डिकेंस’ के प्रसिद्धचरित्र ‘सैम वैलर’ का प्रतिरूप जान पड़ता है। औपनिवेशिक काल के प्रमुख साहित्यकार जोज़फ हो (1804-73) थे, जो एक सफल कवि और विख्यात पत्रकार थे। उनकी अनेक रचनाओं में ‘वेस्टर्न रैंबल्स’ और ‘ईस्टर्न रैंबल्स’ नामक दो यात्रा विवरण तथा कलेक्टेड पोएम्स ऐंड एसेज नामक ग्रंथ प्रख्यात हैं। सुसाना मूडी (1803-85) के ‘रफिंग इट इन द बुश’ में, तत्कालीन जीवन का यथार्थ चित्रण हुआ है और उनकी यह रचना आज भी लोकप्रिय है। इस काल के प्रमुख कवि जॉन रिचर्डसन (1796-1852) का 1812 के यद्ध पर लिखा हुआ कथात्मक काव्य ‘टेक्यूमेश’ तथा ‘वकूस्टा’ नामक उपन्यास आज भी लोकप्रिय हैं।
चार्ल्स सैग्स्टर (1822-93) ख्याति ‘द सेंट लारेंस ऐंड द सैग्विने हेस्परस’ और ऑवर नालैंड नामक कविताओं पर आधारित है। कनाडा का एकमात्र उत्कृष्ट नाटक चार्ल्स हेवीसेज (1816-76) कृत सॉल है। 1867 में संघ की स्थापना तथा विश्वविद्यालयों और शहरी जीवन के विकास ने कैनेडियन साहित्य को विशेष स्फूर्ति प्रदान की। गत शताब्दी के उत्तरार्ध के प्राय: सभी प्रमुख कवियों ने प्रकृति का चित्रण किया ; उन पर अंग्रेजी रोमांटिक कवियों का स्पष्ट प्रभाव है। आइजावेला वैलेन्सी क्रॉफर्ड (1850-87), चार्ल्स जी0 डी0 राबर्टस (1860-1943) आर्चिबाल्ड लैंपमैन (1861-99) डंकन कैंपबल स्कॉट (1862-1947) एवं ब्लिस कार्मन (1861-1929) उस युग के प्रमुख कवि हैं। 19वीं शताब्दी के अंत में उपन्यास साहित्य को लोकप्रियता प्राप्त हुई। विलियम कर्बी का ‘द गोल्डन डॉग’ तथा गिलबर्ट पार्कर का ‘द सीट्स ऑव द माइटी’ ऐतिहासिक उपन्यासों में विशेष स्थान रखते हैं।
20वीं शताब्दी के आरंभ के उपन्यासकार हैं रैल्फ कॉनर एल. एम. र्माटगोमरी, मार्शल सैंडर्स और गिलवर्ट पार्कर। इनके बाद ‘मेजो द ला रोश’ का नाम आता है। उन्होंने अपनी जलना नामक उपन्यासमाला तथा स्टीफेन लीकॉक ने अपनी हास्य रचनाओं द्वारा ख्याति प्राप्त की। यथार्थवादी उपन्यासकार एफ. पी ग्रोव का नाम उल्लेखनीय है। उन्होंने ‘ओवर प्रअरी ट्रेल्स द टर्न ऑव द इयर’ आदि को बहुत कुछ नोबेल पुरस्कार विजेता हैम्सन के अनुकरण पर लिखा है। उनसे कैनाडा के प्रेअरी जीवन का अत्यंत वास्तविक चित्रण किया है। इस काल के कवियों में मार्जरी पिथाल, आंद्रे अलेक्जेंड्रा ब्राउन, जॉन मैककाल और विल्सन मैक्डानल्ड उल्लेखनीय हैं। आधुनिक प्रसिद्ध लेखक हैं एफ. ई. डी. मैकडाबेल, फिलिप चाइल्ड, विल वर्ड, टामस एच. रेडेल, कैथलीन कोवर्न, एथेल विल्सन, मौर्ले कैलैघन ह्यू मैकलेनेन, गैब्रियल राय, राजर लेमेलिन। आइगर गोजेंको की ‘द फाल ऑव द टाइटन’ ने, जिसकी पृष्ठभूमि सोवियत रूस है, विश्वव्यापी ख्यातिप्राप्त की है। कवियों में ई. जे. प्रैट अर्ल बर्नी ए. एम. क्लाइन, एल. ए. मैके, डोरोथी लाइबसे, एन. मैरियट तथा जेम्स रेफ़र्ड के नाम उल्लेखनीय है।
यदि फ्रेंचभाषी कैनेडियनों की बात की जाये तो सन् 1837 ई. से पूर्व कनाडा के फ्रेंच भाषा भाषी निवासियों में साहित्य के प्रति कोई जागरूकता देखने में नहीं आती। 1837 के विद्रोह ने जब कनाडा के फ्रेंच उपनिवेशों में आत्मगौरव और उत्साह का संचार किया और राष्ट्रीयभावना का जागरण हुआ तब अनेक पत्रकार और वक्ता उभरकर सामने आए। उनमें एतियाँ पारें (Etienne Parent) प्रमुख थे। वे लें कनादिएँ (Le Canadien) के संपादक थे। राष्ट्रीय भावना ने आर्थर वेरीज, एल. ओ.डेविड, हॉरी बुरासा (Henri Bourassa), जे. पी. टार्डवेल, आदि अनेक लेखकों को अनुप्राणित किया। गार्नो द्वारा 19वीं शताब्दी के मध्य में लिखे गए कैनाडा के इतिहास ने भी लेखकों को प्रेरणा प्रदान की। आक्तेव क्रिमाजी (Octave Cremazie) इस काल के प्रथम उल्लेखनीय कवि थे। उन्होंने देश और जाति के गौरवगीत गाए। उनपर ह्यूगों का प्रभाव स्पष्ट है।
फ़िलिप ओबे द गैस्प (Phillipe Aubert de Gaspe) उपन्यासकार के रूप में उभर कर सामने आए। उन्हांेने अपने उपन्यास ले आँसिएँ कनादिएँ (Les Anciens Canadien) में नए फ्रांस की परंपराओं का अंकन बड़ी आत्मीयता के साथ किया है। इन दोनों के अतिरिक्त लुई फ्रेशे (Louis Frechette), पैंफीय ली मे (Pamphile Le May) और बू चैपमैन भी उसी देशभक्त शाखा के उल्लेखनीय प्रतिनिधि हैं। इनकी रचनाएँ प्रकृतिप्रेम तथा राष्ट्रीय गौरव के उद्गारों से ओतप्रोत हैं। 20वीं शताब्दी के आरंभ में लेखकों का झुकाव प्रतीकवाद की ओर होने लगा। इस दिशा में भी फ्रांसीसी कवियों का अनुसरण ही आदर्श समझा जाता था। इस काल के उल्लेखनीय साहित्यकार हैं जाँ शारबोनों (Jean Charbonneau) एमील नैसीगन, अल्फ्रें द रोशे (Alfred de Rochers) और आलोचक लुई दांतें (Louis Dantia)। इनकी रचनाओं में अपेक्षाकृत देशानुरागजनित संकीर्णता कम है; उनका झुकाव विश्वजनीनता की ओर ही अधिक है। रचना शैली भी अधिक मँजी हुई और कोमल है। इस नई परंपरा के साथ-साथ देशभक्ति की परंपरा बनी हुई थी।
एकोल दे तेरवां (École de Terroir - धरती का संप्रदाय) नामक वर्ग क्षेत्रियता की भावना से अब भी अनुप्राणित था। एडजूटर रिवर्डस (Adjutor Rivards) ने शे नू (Chez Nous) में ग्राम्य जीवन का बड़ा ही भावुक चित्रण किया है। रिंगे (Ringuet) के त्रांत आरपें (Trente Arpents) में कृषक जीवन का संयत चित्रण है। इस प्रकार की रचनाएँ निरंतर होती रहीं। पाँचवें दशक में भी जर्मेन गब्रेमां (Germaine Guevrement) ने जातीय भावना से ओतप्रोत काव्यों और आइव्ज थेरियो (Yves Theriault) ने उपन्यासों की रचना की। नेरी बोशमें (Neree-Beauchemin) ब्लांश ला मोंताञ (Blanche Lamontagne) एलबेर फेरलाँ (Albert Ferland) और एलफ्रांज देजिले (Alphonse Desilest) इस काल के अन्य उल्लेखनीय जातिवादी साहित्यकार हैं। उपन्यासों की अन्य कई विधाओं का भी विकास इस काल में हुआ। जोसेफ़ मामेत (Joseph Mamette) ने फ्रेंच राज्यकाल विषयक ऑर. एल. द राकब्रूँ (R. L. de Roquebrun) ने 1837 के विद्रोह से संबंधित और एल. पी. दे रोजिए (L.P. Des Rosiers) ने फ़र व्यापार संबंधी उपन्यासों की रचना की।
गैब्रियल राय तथा रोजर लेमेलिन (Roger Lemelin) ने अपनी रचनाओं में मांट्रियल और क्यूबेक के नागरिक जीवन का चित्रण किया। लोर कोनान (Laure Conan) ने मनोवैज्ञानिक उपन्यासों का सूत्रपात किया। आधुनिक मनोवैज्ञानिक उपन्यासकारों में रोबेर शारबोनो (Robert Charbonneau) एफ. लोरांंजेर (F. Loranger), रोबेर एली (Rober Elie) तथा आंद्रे जीरो (André Giroux) प्रमुख हैं। फ्रेंच कैनाडा में आज भी कविता का महत्व बना हुआ है। एस. डी. गार्मो (S. D. Garmean) आधुनिक कवि हैं जिनकी रचनाओं को राष्ट्रीय महत्व प्राप्त है।
पाल मोरें (Paul Morin), आर. शोपें (R. Chopin), आर. शोके (R. Choquette) अन्य उल्लेखनीय कवि हैं। ब्लांश लामोतांय (Blanche Lamontagne), एस. रूतिए (S. Routier), ईवा सेनेकल (Eva Senecal) तथा ऐन हेबेर (Anne Hebert) आदि अनेक कवयित्रियों को भी ख्याति प्राप्त है। कैनाडा में अब भी हेक्सागन, कैस्केड जैसे तरूण कवि-संप्रदायों का खूब जोर है और यह काव्य फ्रेंच साहित्य का फलता फूलता अंग बना हुआ है। शक्ति, स्फूर्ति और संवेदना इस काव्य के प्रधान लक्षण हैं। फ्रेंच तथा अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं में नाटक उपेक्षित सा ही है। यों लेमेलिन, आइव्ज़ थोरियो (Yves Theriault), आंद्रे जीरो, जर्मेन आदि नाटककारों के लिये यहां रेडियो तथा टेलिविजन सुविधाजनक माध्यम हैं।
आलोचना की बात की जाये तो इस दिशा में केमील राय (Camille Roy) का विशेष सम्मान रहा है। आधुनिक आलोचकों में एस0 मेरिओं (S. Marion), आर. रमिली (R. Rumilly), गाई सिल्वेस्टर, डब्ल्यू. ई. कालिन आदि प्रमुख हैं।
यूं अंग्रेजी और फ्रेंच के अलावा अन्य भाषा भाषी लोग भी हैं जैसे ईरानी, चीनी, भारतीय आदि, वे भी साहित्य सृजन कर रहे हैं लेकिन उनका यथेष्ट प्रभाव यहां परिलक्षित नहीं होता है। उनका साहित्य उनके मूल देश के अनुभव विस्तार का हिस्सा अधिक दिखता है। डायस्पोरा का साहित्य अभी शैशवावस्था में ही है। उसके विकास के प्रयत्न अभी नहीं हो सके हैं।
संपर्क : 34/242, सेक्टर -3, प्रताप नगर, जयपुर – 302033 (राजस्थान)
Mob. 7727936225
फिलहाल : 211 -145 वैस्ट कीथ रोड, नॉर्थ वैंकूवर, कनाडा
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