कहानी : दि थीफ घोस्ट

SHARE:

डॉ नन्दलाल भारती   सा हब भोपाल से कब आये विभाग का ड्राइवर सुल्तान दफतर में घुसते ही बडे उत्साह के साथ पूछा। नन्ददेव - रात में साढ़े नौ बजे...

image

डॉ नन्दलाल भारती

 

साहब भोपाल से कब आये विभाग का ड्राइवर सुल्तान दफतर में घुसते ही बडे उत्साह के साथ पूछा।

नन्ददेव - रात में साढ़े नौ बजे घर पहुंचा था सुल्तान, पर तुम इतने उत्साहित क्यों हो। पहले कभी तो इस तरह से बात नहीं करते थे। आज कुछ खास है क्या ?

सुल्तान - है ना साहब ।

नन्ददेव - क्या खास है तुम्हारे यहां फिर बेटा हो गया क्या ?

सुल्तान - साहब अब बेटा नहीं बेटी चाहिये पर पांच साल के अन्तराल पर एक खास बात है।

नन्ददेव - क्या खास है

सुल्तान - सभी चेक मिल गये साहब ।

नन्ददेव - क्या.......?

सुल्तान - हां साहब ।

नन्ददेव - कहां सुल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्तान......?

सुल्तान - आपकी टेबल की दराज में.......?

नन्ददेव - ये तो बड़ी शर्मनाक बात है,यदि ऐसा हुआ है तो ।

सुल्तान - यही तो अजूब है साहबजी। करन सेपई दो दिन से आंसू बहा रहा है। देखो साहब उसका मुंह सूज गया है रो - रोकर।

नन्दनदेव - करनसेपई को आंसू बहाने की क्या ? इल्जाम तो मैंने अपने सिर पर ले लिया था ना। सुल्तान मेरी समझ में ऐ बात नहीं आ रही है कि चेक मेरी दराज में कैसे पहुंचे,जबकि दराज में रखे एक - एक कागज के पन्ने - पन्ने देखे गये थे। तीनों दराजे बाहर निकाल कर भी देखा गया था। दफतर के सारे टेबल की दराजों हर कोने - आंतर ही नहीं मैंने अपने अपने बैग और बैग में रखी किताबों तक के पन्ने उलट - पुलट कर देखे थे। सबसे फरेबसिंग की पार्टियों के आठ चेक करने को दिये थे फरेबसिंग के दराज में ही रखने के लिये थे। इसके बाद इम्पलाइयों के चेक बैंक में जमा कराने के लिये करन को भेजा था,आखिर में मकान मालिक के चेक की पाती बनाकर चेक सुपुर्द करवा था। बड़े साहब सहित दफतर के सभी लोगों ने दफतर के कोने को छान डाला चेक नहीं मिला था बड़े साहब का सिर दर्द करने लगा था चेक खोज - खोजकर। मेरी तो धड़कने बढ़ गयी थी पर चेक नजर नहीं आया फिर एकदम से कैसे प्रगट हो गये आठ चेक।

करन - चेक खंजाचीबाबू को मिले थे।

नन्ददेव - क्या खंजाची बाबू को ?

करन - हां साहब।

नन्ददेव - खंजाची बाबू को वह भी मेरे दराज में घोर आश्चर्य ।

सुल्तान - यही तो दुख हमें भी हो रहा है साहब।

नन्ददेव - 31 मार्च को खंजाची बाबू आये थे,उसी दिन मैं भोपाल गया था।

सुल्तान - बस में आप बैठे ही होगे कि चेक खंजाची बाबू के हाथ आ गये।

नन्ददेव - ये तो दुनिया का आठवां अचम्भा हो गया।तेरह लोगों ने छान डाला दो दिन चेक नहीं मिले। वाह रे लक्ष्मीपुत्र खंजाची के हाथ का कमाल ।

सुल्तान - खंजाची बाबू के हाथ की करामात नहीं चेक थीफ घोस्ट की करामात है।

नन्ददेव - क्या दफतर में चेक चोर भूत ।

सुल्तान - हां साहब ये चेक दि थीफ घोस्ट शुक्रवार की रात में आया था । चेक अपने कब्जे में रखकर दो दिन करन और आपको जलील करवाया है। बदनाम करवाया,कामचोर होने,लापरवाह होने का खिताब दिलवाया। खंजाची साहब के आने और आपके भोपाल प्रस्थान करने के बाद मौका पाकर चेक थीफ घोस्ट पहली दराज में रखे डोंगल के नीचे रखकर चला गया। खंजाची बाबू को आपके डोंगल की जरूरत पड़ी थी। दराज खोलते ही चेक नजर आ गये। खंजाची साहब खुशी के मारे उछल पड़े थे।

नन्ददेव - खुशी की तो बात है लाखों का चेक उस आलमारी की दराज में एक झटके में मिले गये जिस दराज में तेरह लोगों ने देखा था। एक पन्ने - पन्ने की तहकीकात जासूस की तरह से किया था पर हाय रे दि थीफघोस्ट।

सुल्तान - साहब नमूसी तो आपकी हुई करन की हुई,दफतर के प्रशासन की हुई। वाहवाही फरेबसिंग की हुई। उनका नम्बर और बढ़ गया। उनके एक दिन दफतर में नहीं होने के कारण दफतर में इतनी बड़ी घटना घट गयी करन और आपकी कामचोरी और लापरवाही से चेक गायब हो गये थे। आपको कितनी जली - कटी सुननी पड़ी दि थीफ घोस्ट फरेबसिंग की वजह से मैंने सब सुना है। बेचारे करन की आंखों में दो दिन तक तूफान उठता रहा,चेक मिलने पर इसे राहत के साथ गुस्सा भी आया था। साहबजी कितने जालिम लोग हो गये है अपने भले के लिये दूसरों का गला काटने को तैयार रहते है।

नन्ददेव - बेटा सुल्तान जाको राखे साईंयां मार सके ना कोय। दि चेक थीफ घोस्ट किस खेत की मूली है।

सुल्तान - साहब ये दि चेक थीफ घोस्ट जो भी है,वह है बहुत कमीना।

नन्ददेव - सुल्तान अपशब्द नहीं।

सुल्तान - साहब कैसी बात करते हो।एक चेक घोस्टथीफ है,आपको जलील कर रहा है,आप है कि कह रहे है अपशब्द नहीं कहो। साहब आप बहुत सीधे हो, दि थीफ घोस्ट तरह के लोग अपना रूतबा बढ़ाने के लिये चक्रव्यूह रचते है। आप ही उच्चशिक्षित है,समझदार है,बुद्धिमान है पर आपके ही नम्बर कटते है। ऐसे मानसिक दिवालियापन के शिकार सफल हो रहे है।

नन्ददेव - सुल्तान जााकी रही भावना जैसी मूरत देखी तिन तैसी। बकरे की मां कब तक खैर मनायेगी दि थीफ घोस्ट की भण्डाफोड़ किसी ना किसी दिन होगा।

सुल्तान - फिर क्या होगा,खोई साख वापस तो नहीं आ पायेगी।

नन्ददेव - बेटा इस दफतर में मेरी कभी साख बनने ही नहीं दी गयी लाख वफा,ईमानदारी,कर्तव्यपरायणता और संस्था हित में फना होने के बाद भी तो अब ऐसी उम्मीद क्यों करूं। रही बात डयूटी की तो वह ईमानदारी से करता है। हवालासिंह से सम्बन्धित चेक उनकी टेबल की दराज में जहां वर्षो से रखे जाते है वही करन ने रखा था। वहां से दि चेक थीफ घोस्ट कब ले उड़ा वही जाने।

सुल्तान - साहब ये दि चेक घोस्टथीफ शुक्रवार की रात में ले गया होगा क्योंकि शनिवार और रविवार को दफतर बन्द था,और सोामवार को फरेबसिंग ने दफतर में घुसते सबसे पहले चेक के बारे में क्यों पूछा जरा सोचिये। इसके बाद दफतर के टेबल, आलमारी, दराज कोना आतर और चप्पे - चप्पे की छानबीन होती है और दो दिन तक चेक नहीं मिलता है। तीसरे दिन आपके प्रस्थान करने के बाद चेक वहां मिलता है जहां नहीं होना चाहिये था। जबकि आपकी उस टेबल के दराज की बांस,करन और आप खुद ने पूरी तरह सूक्ष्म तहकीकात की थी पर नहीं था,आपकी दराज में एक दम उपर डोंगल से दबे हुए चेक मिल जाते है,कितनी हैरानी और शर्म की बात है। साहब दि चेक थीफ घोस्ट की आंखमिचौली थी और कुछ। इससे नन्ददेव साहब आपकी सीआर भी खराब हो सकती है ?

नन्ददेव - होने को तो कुछ भी हो सकता है,कुछ करने के लिये ही तो दि थीफघोस्ट ने करिश्मा किया था।

करन - क्या करिश्मा था। इसे कहते है आंख में धूल झोंकना ।

सुल्तान - समर्थ लोग आमआदमी और हाशिये के आदमी की आंख में धूल तो झोंक ही रहे है। तभी तो इतने बड़े - बड़े घोटाले हो रहे है। हो - हल्ला तनिक होता है फिर सब कान में तेल डालकर मौन साध लेते है। सब कुछ भूल जाते है। घोटाले भ्रष्ट्राचार की खबर मीडिया तक पहुंच गयी तो खबर आमआदमी को लग गयी वरना सब हवा हवाई।

करन - क्या ये घोस्टथीफ का कोई हवाला था?

सुल्तान - क्या करन भईया इतनी सी बात नहीं समझे। अरे ये दि थीफ घोस्ट कहीं बाहर से तो नहीं आया था,दफतर का ही है। दूसरे को चेक की चोरी से क्या फायदा हो सकता है। ऊपर से जेल हो सकती है।

करन - क्या कह रहे हो सुल्तान?

सुल्तान - झूठ लग रहा है तुमको।

करन - दफतर का आदमी ऐसा क्यों करेगा ?

सुल्तान - क्यों भूल रहे हो ऐसा हो गया है।

करन - मतलब कोई साजिश ?

सुल्तान - धीरे - धीरे तुम्हारी समझ में बात उतरने लगी है। देव साहब साजिश के ही तो शिकार है उनके खिलाफ चेक घोस्टथीफ ने साजिश किया था,मामला खींचता हुआ देखकर सरेण्डर हो गया और सारे चेक देव साहब की दराज में डाल दिया, देव साहब की अनुपस्थिति में । क्या करिशमाई खेल दिखाया है दि थीफघोस्ट देव साहब।

करन - देव साहब के साथ हादसे तो होते ही रहे है। फरेबसिंह कल बता रहे थे नन्ददेव दस साल पहले भी चुक गुमा चुका है,वह चेक कूड़ेदान में मिला था ।

सुल्तान - दि थीफघोस्ट चेक दफतर के कूड़ेदान में डाल गया और एक बार फिर चेक चोरी का वही ढंग। दि थीफ घोस्ट फैमिलियर हो गया है।

करन और सुल्तान चर्चारत् थे इसी बीच गजानन,क्षेत्र प्रतिनिधि दबे पांव आ धमके और बोले किस दि थीफ घोस्ट की बात चल रही है सुल्तान।

सुल्तान - साहब आपको मालूम नहीं क्या ?

गजानन - क्या ?

सुल्तान - दफ्तर से कई सारे चेक चोरी हो गये थे फिर अचानक देव साहब की आलमारी से निकल आये।

गजानन - मतलब देवबाबू पर एक और इल्जाम ।

सुल्तान - हां पर ये दि थीफ घोस्ट की करामात थी।

गजानन - साहब लोगों को कौन समझायेगा ।

सुल्तान - साहब ने खुद देव साहब के आलमारी ही नहीं हर सामान की तहकीकात किया था। तीसरे दिन नाटकीय ढंग से चेक खंजाची साहब के हाथ लग गये थे। दि थीफ घोस्ट चेक्स् देवसाहब की आलमारी में रखकर खंजाची साहब को दिन में सपना दिखा दिया और वे उठे देवसाहब की आलमारी को हाथ लगाये इतने में चेक बोल पड़े।

गजानन - वाह यार इस दफतर में क्या क्या अजूबे हो रहे है।

करन - साहब ये दुनिया का आठवां अजूबा है जो दि थीफ घोस्ट ने किया है, सिर्फ इसलिये के देवसाहब कि बढती हुई साख एकदम गिर जाये।

गजानन - देवबाबू की साख इन थीफ घोस्टस् ने कभी बनने ही नहीं दिया। देवबाबू और हमारी ज्वाइनिंग इस कम्पनी में एक ही साल की ही मैं मैनेजर बन गया जबकि कई बार प्रमोशन से वंचित भी हुआ हूं। देवबाबू मामूली से कर्मचारी से उपर नहीं उठने दिया इन थीफ घोस्टस् ने।

सुल्तान - साहब आपने ने तौर कई सारी कड़ियां जोड़ दिये। ऐसा क्यों हुआ देवसाहब के साथ ?

गजानन - दो साल पहले तक विभाग में एक सूत्रीय कार्यक्रम था। जाति विशेष के कब्जे में कम्पनी थी। देवबाबू छोटी जाति के ठहरे जिन्हें विभाग में कोई पसन्द नहीं करता। इनके साथ हमेशा भेदभाव हुआ,सर्वाधिक पढ़े लिखे व्यक्ति के भविष्य का कत्ल सिर्फ छोटी जाति का होने की वजह से होता रहा। उपर थोड़ा बदलाव हुआ है सम्भवतः देवबाबू के दिन भी फिर जाये कहते है ना घूरे के दिन भी फिरते है। देवबाबू के भी दिन फिरेंगे पर दि थीफ घोस्टस् नेस्तानाबूद हो जाये।

करन - दि थीफ घोस्टस् नेस्तानाबूद कैसे हो सकते है,इस धांधली और भ्रष्ट्राचार के युग में।

गजानन - कानून के हाथ बहुत लम्बे होते है। एक बार दि थीफ घोस्ट शिंकजे में फंस गये तो निकलना नामूमकीन हो जायेगा। देखो कितने नेता,अभिनेता उद्योगपति जेल में सड़ रहे है।

सुल्तान - साहब सम्भव तो है पर यहां तो पूरे कुएं में बेहोशी की दवा मिल चुकी है,सब अपने मतलब को साथ रहे है,भाड़ में गया विभाग,भाड़ में गया देश,इस देवसाहब की क्या औकात। इनकी तो साख पहले से ही खराब है वह भी जाति कारणवश,इनकी कौन सुनेगा।

गजानन - बेटा समय सब का हिसाब किताब रखता है। देर से सही पर देवबाबू के साथ न्याय जरूर होगा।

करन - कब..............?

सुल्तान - रिटायरमेण्ट के बाद ।

गजानन - दैवीय न्याय में देर तो होती है पर एक बार न्याय मिल जाती है तो युगो - युगों तक जयजयकार होती है।

करन - ठीक कह रहे हो साहब चक्रवर्ती सम्राट बाली के साथ छल कर बामन ने सारी सत्ता छिन लिया,उसी छल की वजह से बामन घिनौना बन चुका है और आज के इस युग में भी चक्रवर्ती सम्राट बाली और उनके साम्राज्य के राज्य के वापसी के लिये पूजा की जाती है। ऐसे लोग की घिनौनी मानसिकता की उपज है जातिवाद,जो देश और समाज के माथे का कोढ़ बन चुकी है।

सुल्तान - ठीक कह रहे हो करन,दि थीफ घोस्टस् के खुरापाती जातिवादी दिमाग की ही उपज हैं भ्रष्ट्राचार, छल, धोखा, दगा, स्वार्थ, सत्ता की लोलुपता,छोटी जाति के लोगों के नसीब को कैद करने की अमानवीय प्रवृति। जिस दिन जातिवाद खत्म हो गया समझो उसी दिन दि थीफ घेास्ट का दि इण्ड।

गजानन - दि थीफ घोस्टस् का दि इण्ड करने के लिये सबको एक हाथ मिलाना होगा जाति वंश का भेद मन से निकालकर।

करन - वही तो नहीं हो रहा है जबकि जातिवाद की प्रवृति देश के लिये घातक है। इसकी वजह से दुनिया के सामने देश का सिर झुक जाता है,इसके बाद जातिवाद के विष में कण्ठ तक डूबे लोग अपनी जाति - वंश के नाम पर मूछ पर ताव देते है,जय हो दरबार की कहते है अपनी से छोटी जाति के लोगों को मसलने का भरसक प्रयास करते है यही है असली दि थीफ घोस्टस् के जनक।

गजानन - दि थीफ घोस्ट कही बाहर से नहीं आया है,वह आदमी के दिल में घर बनाये हुए है जो लोगों के दिल से निकल ही नहीं रहा है। देवबाबू को फरेबसिंह बाहर वाला कहकर बुलाते थे,जिसका मतलब छोटी जाति का हुआ। दफतर में हर आने - जाने वाले से कहते थे देखो हमारे दफतर में नीची जाति का अदना कर्मचारी घूमने वाली कुर्सी पर बैठता है मैं एक अफसर होकर भी मामूली से कुसी पर बैठता हूं,अन्ततः देवबाबू से कुर्सी छिन गयी। अपनी अवैध कमाई के लिये फरेबसिंग हर स्वजीतीय अफसर का जूता सिर पर रखने को तैयार रहता है,दो दिन पहले जिस अफसर की बुराई करता था,तीसरे दिन उसकी चम्मचागिरी में लग जाता है,अगर अफसर ने तनिक रोक लगाने की कोशिश किया तो चरणों में आ जाता है। ऐसे दुष्ट प्रकृति के लोग मान - सम्मान पद और दौलत के हकदार बनते जा रहे है? सच कहे असली थीफ घोस्ट तो ऐसी मानसिकता के लोग होते है। दुर्भाग्यवश पीसे जा रहे है देवबाबू जैसे लोग।

सुल्तान - देवबाबू और उनका समाज तो सदियों से पीसा जा रहा है। आधुनिक विज्ञान के युग में आधुनिकता की ढोल पीटने वाले भी दि थीफ घोस्टस् को पोस रहे है। इससे बड़ा आश्चर्य और क्या हो सकता है गजानन साहब।

गजानन - सुल्तान तुम्हारी बात में दम तो है पर किया क्या जाये।

सुल्तान - साहब आज के इस युग में स्वधर्मी मानवीय समानता के लिये पुरानी जातिवादी आरक्षण सिरे से खारिज कर रोटी - बेटी की नई परम्परा तत्काल शुरू हो जानी चाहिये। इसके तुरन्त बाद मंदिरों पर जो अवैध जातीय कब्जे हैं वो खत्म होना चाहिये,सबको समान मौका मिले इसके लिये पूजापाठ सम्पन्न करवाने की सबको बिना किसी भेदभाव के शिक्षा मिले, जो भी व्यक्ति पूजापाठ के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाना चाहे उसे जाने की स्वतन्त्रता हो। जाति सूचक उपनाम,जाति के नाम पर बटे समाज एक हो सबसे पहले सब भारतवासी हो,पहला धर्म ग्रंथ देश का संविधान हो। इसके बाद धार्मिक धर्मग्रंथ,बौद्ध विहार,गरूद्वारा,मंदिर मंस्जिद और चर्च का स्थान हो। साथ ही धर्मग्रथ में लिखे आदमी विरोधी षडयन्त्रों में बदलाव भी हो।

करन - अरे वाह अपने दफतर के ड्राइवर साहब उचीं जाति के होकर भी जाति का त्याग करने को तैयार है तो समझो दि थीफघोस्ट का दि इण्ड हो गया।

गजानन - अपने देश की समस्याओं की सारी जड़े जातिवाद से ही निकलती है।

सुल्तान - हां साहब गांव से लेकर दिल्ली तक जातिवाद का जलजला छाया रहता है पर समाधान की कोई कोशिश नहीं होती। अपने देश की समस्या सामाजिक हो चाहे आर्थिकया राजनैतिक सभी का एक मूल कारण भारतीय जाति व्यवस्था । इसी व्यवस्था की घिनौनी उपज है दि थीफघोस्ट।

इतने में दफतर नरेश यानि के एसी कक्ष का दरवाजे खुला,कक्ष से निकली ठण्डी हवा कक्ष के बाहर चालीस डिग्री टेम्परेचर का बाल बांका नहीं कर पायी। बांस नन्ददेव के सामने खड़े होकर बोले बाहर गर्मी है क्या?

नन्ददेव - कुछ मिनट पहले करन का मोबाइल इस हाल का टेम्परेचर चालीस डिग्री बता रहा था।

दफतर नरेश - अच्छा ये चेक्स् पकड़ो और आज ही प्रायरीटी पर डिस्पैच कर देना पहले जैसे कही रखकर भूल मत जाना।

नन्ददेव - साहब आपने भी तो पूरी खोजबीन किया था तीसरे दिन चेक मिलना दि थीफ घोस्ट की करामात है। यह करामात हमारे कैरियर के लिये तो घातक साबित हुआ है विभाग के लिये भी शर्मनाक।

दफतर नरेश - ये दि थीफ घोस्ट क्या बला है।

नन्ददेव - साहब दि थीफ घोस्ट का खात्मा विभाग,हमारे जैसे दबे कुचले लोगों,सभ्य समाज और राष्ट्र के लिये आवश्यक हो गया है। नन्ददेव के इस इंकलाबी उद्गार को सुनते ही दफ्तर नरेश मौन साधे हुए कक्ष की ओर बढ़ गये। साहब के मौन को देखकर गजानन ने नहले पर दहला मारते हुआ बोले लो नन्ददेव तुम्हारे प्रस्ताव का साहब ने तो अनुमोदन कर दिया

डां.नन्दलाल भारती

कवि,लघुकथाकार,कहानीकार,उपन्यासकार

चलितवार्ता - 09753081066/09589611467

एम.ए. । समाजशास्त्र । एल.एल.बी. । आनर्स ।

पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन ह्यूमन रिर्सोस डेवलपमेण्ट

जनप्रवाह।साप्ताहिक।ग्वालियर द्वारा उपन्यास - चांदी की हंसुली का धारावाहिक प्रकाशन

उपन्यास - चांदी की हंसुली,सुलभ साहित्य इंटरनेशल द्वारा अनुदान प्राप्त

नेचुरल लंग्वेज रिसर्च सेन्टर,आई.आई.आई.टी.हैदराबाद द्वारा भाषा एवं शिक्षा हेतु रचनाओं पर शोध कार्य ।

--

(ऊपर का चित्र  - चैतन्य श्रीकांत इंगले की कलाकृति - द गॉड ऐड 2 - डिटेल - कैनवस पर एक्रिलिक रंग)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: कहानी : दि थीफ घोस्ट
कहानी : दि थीफ घोस्ट
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhGcwvjur5yfNgnJc09sqDuBTBAeYBtJNDYVt2WvpEg5fh2qjPv7o2PXuIar7OmbnkEoeTg30yfQ1WORFA6jUFIf41AW4Gu_bEEuN9AO3Q_vRby9OulKKeS6DeRWynePSVEyneV/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhGcwvjur5yfNgnJc09sqDuBTBAeYBtJNDYVt2WvpEg5fh2qjPv7o2PXuIar7OmbnkEoeTg30yfQ1WORFA6jUFIf41AW4Gu_bEEuN9AO3Q_vRby9OulKKeS6DeRWynePSVEyneV/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/05/di-theeph-ghost-kahaanee.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/05/di-theeph-ghost-kahaanee.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content