डॉ.चन्द्रकुमार जैन बारहवीं और दसवीं की परीक्षाओं के बाद छात्रों की नजर परीक्षा परिणामों पर टिकी रहती है। लीजिये अपने यहां तो नतीजे भी घोषि...
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
बारहवीं और दसवीं की परीक्षाओं के बाद छात्रों की नजर परीक्षा परिणामों पर टिकी रहती है। लीजिये अपने यहां तो नतीजे भी घोषित हो गए हैं। इसी के साथ उनमें आगे की पढ़ाई के लिए उपयुक्त कोर्स या स्ट्रीम के चयन को लेकर चिंतन और अक्सर चिंता का दौर भी शुरू हो जाता है। लेकिन, याद रहे चिंता नहीं, चिंतन से ही सही राह मिलती है। दरअसल, बारहवीं के बाद पढ़ाई के तयशुदा मानक अब काफी बदल गए हैं। अब सिर्फ साईंस,आर्ट्स या कामर्स स्ट्रीम जैसी बात नहीं रह गई है। ढेरों नए विकल्प भी हैं। इसलिए, कालेज की दहलीज़ पर पहुँचने वाले विद्यार्थियों के लिए आँख मूंदकर कोई एक क्षेत्र चुन लेना या दबाव में आकर अपनी मित्र मंडली की नक़ल के लिहाज़ से अनचाहे ढंग से कोई भी स्ट्रीम स्वीकार कर लेना उचित नहीं है। योग्यता, संसाधन और वास्तविक अभिरुचि को ध्यान में रखकर विषय चयन में यदि कठिनाई हो तो बेहतर है कि अभिभावक काउंसलिंग का रास्ता अपनाएँ।
करियर को लेकर छात्रों के बीच काफी असमंजस की स्थिति रहती है। इस स्थिति की सबसे बड़ी वजह है करियर की सही राह को चुनने की चुनौती। इस समय करियर के लिए पारंपरिक विषयों के अलावा जैसा कि पहले कहा गया सैकड़ों नए विकल्प उपलब्ध हैं, लेकिन जानकारी के अभाव या अपनी रुचि को न पहचान पाने के कारण बड़ी संख्या में छात्र सही करियर नहीं चुन पाते हैं। छात्र ही नहीं, अभिभावक भी बच्चों के लिए सही करियर तलाशने की प्रक्रिया में काफी तनावग्रस्त हो जाते हैं। उनकी दिनचर्या में यह तनाव बच्चे का दाखिला हो जाने तक कायम रहता है। यह एक सामान्य-सी स्थिति है और करीब 90 फीसदी छात्र और अभिभावकों को इस दौर से गुजरना पड़ता है।
आज प्रतिस्पर्धा के इस युग में हर दिन कुछ अलग करियर और पेशेवर संभावनाएं जन्म ले रही हैं। ऐसे में यह समझने वाली बात है कि किसी करियर विकल्प की चमक ज्यादा समय तक बरकरार नहीं रहती। इसलिए यदि आप करियर के लिए उन पाठय़क्रमों और विषयों को चुनते हैं, जिनमें आप अच्छे हैं, तो आप हमेशा ही अपने कार्यक्षेत्र में सफल होंगे। आज का दौर स्किल डेवलपमेंट यानी कौशल विकास की मांग कर रहा है। इस क्षेत्र का भविष्य उज्ज्वल है, किन्तु इंजीनियर,डाक्टर,सीए या फिर आफिसर से अलग हटकर कुछ सोच न पाने की मानसिकता के चलते यह भी होता है कि अभिभावक अपने कलेजे के टुकड़े की छाती पर कई दफे अनचाहे कोर्स का बोझ रख देते हैं। यहीं से शुरू हो जाती है बेमन की पढ़ाई के बोझिल क़दमों से कामयाबी के पर्वतों पर चढ़ने का अर्थहीन सिलसिला, जिसके अंजाम को लेकर कुछ कहा नहीं जा सकता। इसलिए करियर चुनने में सावधानी रखने में ही समझदारी है।
प्रत्येक करियर के लिए एक खास रुझान, रुचि और कुछ व्यक्तिगत गुणों की जरूरत होती है। वैज्ञानिक ढंग से इन जरूरतों की अपनी अभिरुचियों और हुनर से तुलना करके ही इस बात के प्रति आश्वस्त हुआ जा सकता है कि हम सही करियर चुनने की दिशा में बढ़ रहे हैं या नहीं। विषयों में आपकी पकड़, क्षमता, रुचि, क्षमता आपको करियर के असीमित विकल्पों में से अपने लिए श्रेष्ठ को चुनने में मदद करती है। भावी जीवन में आपकी सफलता के लिए करियर प्लानिंग की यह प्रक्रिया अति आवश्यक है।
करियर के चयन में यह बेहद मददगार विधि है। इससे काफी हद तक ठोस और सटीक परिणाम मिलते हैं। इस विधि से परखे जा रहे छात्र का गहराई से मूल्यांकन हो पाता है। इससे संबंधित छात्र की रुचियों, बुद्धिमत्ता और व्यक्तित्व के बारे में अनुमान लगाना संभव होता है। मनोमितीय मूल्यांकन अर्थात साइकोमीट्रिक असेसमेंट से छात्र की काबिलियत और क्षमताओं की स्पष्ट तस्वीर सामने आ जाती है, जो उपयुक्त करियर के चयन में अहम होती है। इस असेसमेंट से अभिभावक अपने बच्चों के और छात्र स्वयं के हुनर की तुलना अपनी मनपसंद नौकरी/ पेशे के लिए जरूरी गुणों से कर सकते हैं। चूंकि नौकरी पाने के लिए एक पाठय़क्रम विशेष की पढ़ाई करनी होती है और इसके लिए भी कुछ खास हुनर का होना जरूरी होता है।
उम्र के एक पड़ाव के बाद अक्सर लोगों को कहते सुना जाता है कि अगर मुझे सही गाइडेंस मिली होती तो शायद आज मैं कहीं और होता। पहले गाइडेंस सिर्फ पेरेंट्स व छात्रों के रिश्तेदार तक सीमित थी। इसी वजह से उन्हें उतना ही मार्गदर्शन मिल पाता था, जितना उनकी जानकारी होती थी। मगर आज स्थिति इससे कहीं अलग है। आज काउंसलिंग के जरिए आप न सिर्फ खुद को सही मायनों में पहचानते हैं, वहीं एक छोटे से एप्टीटय़ूड टैस्ट से अपने लिए उपयुक्त करियर का चुनाव भी करते हैं। आज ऐसे छात्रों की कमी नहीं है, जो काउंसलिंग के बारे में बहुत स्पष्ट जानकारी नहीं रखते और इस काउंसलिंग के कुछ फायदे यहां बताये जा सकते हैं।
मौजूदा समय में करियर के ढेरों विकल्प हैं। विभिन्न क्षेत्रों में स्पेशलाइजेशन यानी विशेषीकरण की भरमार है। ऐसे में छात्रों को उनके क्षेत्र से जुड़े स्पेशलाइजेशन औए नवीनतम विकल्पों के बारे में जानकारी देने में काउंसलिंग काफी अहम साबित होती है। अमूमन छात्र करियर या कोर्स के बारे में तय करते समय दीर्घकालिक लक्ष्यों के बारे में गौर नहीं करते, वे करियर के बारे में शॉर्ट टर्म एप्रोच रखते हैं। ऐसे में काउंसलिंग की मदद से उनके भविष्य का रोडमैप तैयार किया जाता है। काउंसलिंग छात्रों के लक्ष्य को लांग टर्म अर्थात दीर्घकालिक बनाने में मददगार साबित होती है।
यही सभी जानते हैं कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता, खासकर करियर और विषय के चुनाव में। काउंसलिंग छात्र को उधेड़बुन से बाहर निकालती है और सोच को सटीक बनाती है। प्रत्येक व्यक्ति की अपनी खूबियां और प्रकृति होती है। जब जुड़वा बच्चों का स्वभाव एक जैसा नहीं होता तो सभी के लिए एक जैसा करियर कैसे सफलता दिला सकता है। ऐसे में करियर और विषय चुनते समय अपनी रुचि, स्वभाव, व्यक्तित्व और तेवर का खासतौर पर ध्यान रखें, क्योंकि ये बातें ज़िंदगी में दूर तक साथ चलती हैं।
कुछ छात्रों के मन में इस बात को लेकर तो स्पष्टता होती है कि उन्हें अमुक क्षेत्र या कोर्स लेना है, पर उनके एक या दो संदेह उनका करियर खराब कर देते हैं। उदाहरण के तौर पर यदि कॉमर्स में पढ़ाई करने वाला छात्र एमबीए या सीए में से एक करियर चुनने की बात करे, उस दौरान काउंसलिंग उसकी सोच से उसके असमंजस को दूर करने में मददगार होती है। गौरतलब है कि करियर की पसंद से बड़ी बात है करियर को पसंद करना। यहीं पर सही चयन का महत्व समझा जा सकता है। इसलिए,जानकारों अथवा व्यावसायिक काउंसलर्स से सलाह लेने में कोई बुराई नहीं है। अभिभावकों को भी ध्यान में रखना चाहिए कि उनकी अभिलाषा का दबाव बच्चों की मौलिक सोच को कुंद न बना दे।
करियर काउंसलर डॉ. सीमा बजाज का कहना है कि काउंसलिंग सिर्फ एक बार की बैठक से कभी पूरी नहीं हो सकती।विद्यार्थी के साथ के साथ उनके पैरेंट्स का भी हमें पूरा सहयोग चाहिए होता है। इन दिनों बारहवीं के बाद करियर चुनाव करते समय हमने पाया है कि करीब 80 प्रतिशत मामलों में माता-पिता चाहते हैं कि बच्चा फलां करियर को चुनें। वहीं बच्चाे का रुझान अन्य की तरफ होता है। ऐसे स्टूडेंट जो टारगेट ऑरिएंटिड होते हैं, वे अक्सर कामयाब हो ही जाते हैं। हमें यहां सिर्फ उन्हें सही मार्गदर्शन से भटकने से बचाना होता है। ऐसे स्टूडेंट जो सबसे बड़ी गलती करते हैं कि वे पढ़ाई में इतने खो जाते हैं कि फॉर्म्स आदि का अपडेट नहीं रख पाते और मौके आदि गंवाने लगाने लगते हैं। ऐसी स्थिति में पैरेंट्स को पूरा सहयोग करना चािहए और फार्म्स की अंतिम तारीखों का ध्यान रखना चहिए। इसके अलावा अगर आप बोलते समय अचानक रुक जाते हैं, तो आपके लिए टीचिंग जैसा कोई भी प्रोफेशन उचित नहीं है। डिफेंस सर्विसेज में जाना चाहते हैं तो आपकी फिजिकल फिटनेस उसी प्रकार से हो। ऐसे तमाम प्रश्न स्टूडेंट से बातचीत कर सामने आते हैं।
इसी तरह करियर काउंसलर जुबिन मल्होत्र बताते हैं कि करियर के चुनाव के लिए आमतौर पर स्टूडेंट्स को टैस्ट की दो कैटगरी से गुजरना होता है। पहला एप्टीटय़ूड टैस्ट, जिसमें मैथ्स, रीजनिंग जैसे सवालों से उन्हें परखा जाता है। और दूसरा होता है उसकी पर्सनेलिटी से सबंधित, उसकी रुचि, उसका झुकाव, उसकी योग्यता आदि। करियर के विकल्प देते समय हमें दोनों ही स्तरों से होकर उन्हें गुजराना होता है। जिस तरह एक डॉक्टर सभी रिपोर्ट्स के आधार पर पर किसी निर्णय पर पहुंचता है, ठीक उसी प्रकार से एक करियर काउंसलर भी स्टूडेंट्स के हर पहलू का विश्लेषण कर किसी अंतिम फैसले तक पहुंचता है। अगर कोई छात्र पहले से ही किसी करियर विशेष के लिए मन बना कर आया होता है तो हम उसे करियर के फायदे व नुकसान सभी के बारे में विस्तार से बताना नहीं भूलते। अधिकतर काउंसलर 2 बैठक में छात्रों की मदद करते हैं। करियर काउंसलर वह सूची भी स्टूडेंट को देता है, जिन्हें उसे नहीं अपनाना चाहिए। विकल्प ए,बी,सी देकर निर्णय छात्रों को ही करने दिया जाता है। काउंसलिंग के अभाव में स्टूडेंट किसी कोर्स में लाखों रुपए खर्चने के बाद भी निराशा होते दिखाई देते हैं। उन्हें भविष्य अंधकारमय लगता है।
जितिन चावला, करियर काउंसलर के अनुसार अमूमन देखा गया है कि छात्र करियर का चुनाव भेड़चाल में करने लगते हैं। यह गलत है। हर व्यक्ति की पर्सनेलिटी उसकी रुचि और योग्यता दूसरे से अलग होती है। एक अच्छा करियर काउंसलर छात्र को एक स्टैंडर्ड साइकोमैट्री टैस्ट से गुजराता है, जिसमें रुचि, योग्यता व पर्सनेलिटी का टैस्ट लिया जाता है। देखा गया है कि साइंस स्टूडेंट सबसे अधिक उधेड़बुन में रहते हैं। कुछ स्टूडेंट सबसे पहले इंजीनियरिंग या बीएससी करेंगे फिर एमबीए आदि कर बैंक में नौकरी के लिए आवेदन करते हैं। अगर वह शुरू से कॉमर्स लेकर आगे बढ़े जो उसका रास्ता एकदम साफ होगा और जरूरी सफलता मिलने में देर भी नहीं लगेगी। बस यहीं रोडमैप तैयार करना एक करियर काउंसलर का असल मकसद होता है।
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डॉ.चन्द्रकुमार जैन
प्राध्यापक, शासकीय दिग्विजय पीजी
स्वशासी महाविद्यालय, राजनांदगांव
मो.9301054300
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(ऊपर का चित्र - ऋचा रघुवंशी की कलाकृति)
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