कुर्रतुल ऐन हैदर की कहानी कारमन

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रात के ग्यारह बजे टैक्सी शहर की शांत सड़कों पर से गुजरती हुई एक पुराने ढंग के फाटक के सामने जाकर रुकी। ड्राइवर ने दरवाजा खोलकर बड़े विश्वास क...

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रात के ग्यारह बजे टैक्सी शहर की शांत सड़कों पर से गुजरती हुई एक पुराने ढंग के फाटक के सामने जाकर रुकी। ड्राइवर ने दरवाजा खोलकर बड़े विश्वास के साथ मेरा सूटकेस उतार कर फुटपाथ पर रख दिया और पैसों के लिए हाथ फैलाये तो मुझे जरा अजीब- सा लगा।

'' यही जगह है?” मैंने संदेह से पूछा।

'' जी हाँ।? ' उसने इतमीनान से जवाब दिया। मैं नीचे उतरी। टैक्सी गली के अंधेरे में लुप्त हो गयी और मैं सुनसान फुटपाथ पर खड़ी रह गयी। मैंने फाटक खोलने की कोशिश की मगर वह अंदर से बंद था। तब मैंने दरवाजे में जो खिड़की लगी थी, उसे खटखटाया। कुछ देर बाद खिड़की खुली। मैंने चोरों की तरह अंदर झाँका। आंगन में कुछ अंधेरा था। जिसके एक कोने में दो लड़कियाँ रात के कपड़े पहने धीरे- धीरे बातें कर रही थीं। आंगन के सिरे पर एक छोटी- सी पुरानी इमारत थी। मुझे एक क्षण के लिए घसियारी मंडी लखनऊ का स्कूल याद आ गया जहाँ से मैंने बनारस यूनीवर्सिटी का मैट्रिक किया था। मैंने लौटकर गली की तरफ देखा वहाँ पूरी तरह शांति छाई थी। अनुमान लगाइये मैंने अपने आपसे कहा कि यह जगह अफीमचियों, स्मगलरों और गुलामों को बेचनेवालों का अड्‌डा निकले तो? मैं एक अजनबी देश के अजनबी शहर में रात के ग्यारह बजे एक गुमनाम भवन का दरवाजा खटखटा रही थी जो घसियारी मंडी के स्कूल से मिलता- जुलता था।

एक लड़की खिड़की की तरफ आई।

'' गुड इवनिंग यह वाई.डबल्यू.सी.ए. है न?'' मैंने जरा विनम्रता से मुस्करा कर पूछा। मैंने तार दिलवा दिया था, कि मेरे लिए कमरा रिजर्व कर दिया जाये। '' मगर किस कद्र बद-हाल वाई.डबल्यू.सी.ए. है मैंने दिल में सोचा।

' हमें आपका कोई तार नहीं मिला और खेद है कि सारे कमरे घिरे हुए हैं।‘

अब दूसरी लड़की आगे बढ़ी '' यह वर्किग गर्ल्स का हॉस्टल है। यहाँ आमतौर पर मुसाफिरों को नहीं ठहराया जाता। उसने कहा। मैं एकदम बेहद घबरा गयी, अब क्या होगा? मैं इस वक्त यहाँ से कहाँ जाऊँगी? दूसरी लड़की मेरी परेशानी देखकर कुछ मुस्काई।

'' कोई बात नहीं। घबराओ नहीं अंदर आ जाओ। लो इधर से कूद आओ। ''

'' मगर कमरा तो कोई खाली नहीं है ? '' मैंने हिचकिचाते हुए कहा '' मेरे लिए कहाँ होगी?''

'' हाँ- हाँ कोई बात नहीं। हम जगह बना देंगे। अब इस वक्त आधी रात को तुम कहा जा सकती हो?'' लड़की ने जवाब दिया। मैं सूटकेस उठाकर खिड़की से अंदर आंगन में कूद गयी। लड़की ने सूटकेस मुझसे ले लिया। इस इमारत के अंदर चलते हुए मैंने चलते-चलते कहा, ' 'बस आज की रात मुझे ठहर जाने दो। मैं कल सुबह अपने दोस्तों को फोन कर दूँगी। मैं यहाँ तीन-चार लोगों को जानती हूँ। तुम्हें कोई तकलीफ नहीं होगी। ''

“चिंता मत करो। '' उसने कहा। पहली लड़की ' .शुभ -रात्रि ' कहकर चली गयी।

हम सीढ़ियाँ चढ़कर बरामदे में पहुँचे। बरामदे के कोने में लकड़ी की दीवारें लगा, कर एक कमरा - सा बना दिया गया था। लड़की लाल फूलों वाला मोटा- सा पर्दा उठाकर उसमें चली गयी और मैं उसके पीछे- पीछे। '' यहाँ मैं रहती हूँ तुम भी यहीं सो जा ओ। '' उसने सूटकेस एक कुर्सी पर रख दिया और अलमारी मेँ से साफ तौलिया और नया साबुन निकालने लगी। एक कोने में छोटे -से पलंग पर मच्छरदानी लगी थी। बराबर में सिंगार मेज रखी थी और किताबों की अलमारी। जैसे सारी दुनिया में लड़कियों के हॉस्टलों में कमरे होते हैं। लड़की ने तुरंत दूसरी अलमारी में से चादर और कंबल निकाल कर फर्श के घिसे हुए बदरंग कालीन पर बिस्तर बिछाया और पलंग पर नयी चादर लगा कर मच्छरदानी के पर्दे गिरा दिये।

'' लो तुम्हारा बिस्तर तैयार है। ''

मैं बहुत लज्जित हुई, ' सुनो, मैं फर्श पर सौ जाऊंगी। ''

' हरगिज नहीं। इतने मच्छर काटेंगे कि हालत खराब हो जायेगी। हम लोग तो इन मच्छरों के आदी हैं। कपड़े बदल लो। '

इतना कहकर वह इतमीनान में फर्श पर बैठ गयी। मेरा नाम कारमन है। मैं एक दप्‌तर में काम करती हूँ और शाम को यूनीवर्सिटी में रिसर्च करती हूँ। केमिस्ट्री मेरा विषय है। मैं वाई.डबल्यू.सी.ए. में सोशल सेक्रेटरी भी हूं। अब तुम अपने बारे में बताओ।

मैंने बताया।

' अब सो जाओ। '' मुझे ऊँघते देखकर उसने कहा। फिर उसने झुककर बैठकर दुआ माँगी और फर्श पर लेटकर तुरंत सो गयी।

सुबह को सब जागे। लड़कियाँ सिर पर तौलिया लपेटे और हाउसकोट पहने गुसलखानों से निकल रही थीं। बरामदे में से गरम क़हवे की, खुशबू आ रही थी। दो -तीन लडकियाँ आंगन में टहल-टहल कर दाँतों पर बुश कर रही थी

'' चलो तुम्हें गुसलखाना दिखा दूँ। '' कारमन ने मुझ से कहा। और हाल में से गुजर कर एक गलियारे में ले गयी जिसके सिर पर एक टूटी -फूटी कोठरी- सी थी जिसमें केवल एक नल लगा था और दीवार पर एक खूँटी गड़ी थी। उसका फर्श उखड़ा हुआ था और दीवारों पर सीलन थी। रोशनदान के .उधर से किसी लड़की के गाने .की आवाज आ रही थी। उस गुसलखाने के अंदर खड़े होकर मैंने सोचा कैसी अजीब बात है, मुद्‌दतों से यह गुसलखाना इस मुल्क में इस नगर में इस इमारत में अपनी जगह स्थित है और मेरे व्यक्तित्व से बिल्कुल बेखबर और मैं इसमें मौजूद हूँ। कैसा बेवकूफी का ख्याल था। जब मैं नहाकर बाहर निकली तो कुछ अंधेरे हाल में एक छोटी- सी मेज पर मेरे लिये नाश्ता लगाया जा चुका था। कई लड़कियाँ इकट्ठी हो गयी थीं। कारमन ने उन सब से मेरा परिचय कराया। बहुत जल्दी हम पुराने दोस्तों की तरह कहकहे लगा रहे थे।

' अब मैं जरा अपने जाननेवालों को फोन कर दूँ। ?? ' चाय खत्म करने के बाद मैंने कहा।

कारमन शरारत से मुस्कराई '' हाँ, अब तुम अपने बड़े-बड़े और महान दोस्तों को फोन करो और उनके वहाँ चली जाओ। देखें तुम्हारी परवाह कौन करता है, क्यों रोजा? हम इसकी परवाह करते हैं?''

'' बिल्कुल नहीं। '' सब एक आवाज में बोलीं।

लड़कियाँ मेज पर से उठीं। '' हम लोग अपने- अपने काम पर जा रही हैं .शाम को तुमसे भेंट होगी। '' मेगदलीना ने कहा।

'' .शाम को? अमेलिया ने कहा, '' शाम को यह किसी कन्ट्री क्लब में बैठी होगी।

कारमन के दफ्तर जाने के बाद मैंने बरामदे में जाकर फोन करने शुरू किये। फौज के मेडिकल चीफ मेजर -जनरल कैमो गिल्डास जो युद्ध के जमाने में मेरे मामा के साथ रह चुके थे। मिसेज इंतौनिया कोस्टीलो एक करोड़पति व्यापारी की पत्नी जो यहाँ की प्रसिद्ध समाजसेवी नेता थी और जिनसे मैं किसी अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में मिली थीं। अल्फान्सो विलेरा इस देश का प्रसिद्ध उपन्यास लेखक और पत्रकार जो एक बार कराची आया था। '' हेलौ अरे तुम... कब आयीं हमें सूचना क्यों नहीं दी? कहाँ ठहरी हो वहाँ? गुड-गॉड वह कोई ठहरने की जगह है? हम तुरंत तुम्हें लेने आ रहे हैं। '' इन सबने बारी-बारी मुझसे यही .शब्द दोहराये। अंत में मैंने डोन गार्सिया डेल फेडोस को फोन किया। यह पश्चिमी यूरोप के एक देश में अपने देश के राजदूत रह चुके थे और वहीं उनसे और उनकी पत्नी से मेरी अच्छी खासी दोस्ती हो गयी थी। उनके सेक्रेटरी ने बताया कि वे लोग आजकल पहाड़ पर गये हुए हैं। उसने मेरी टेलीफोन काल उनके पहाड़ी महल में पहुंचा दी।

थोड़ी देर बाद मिसिज कोस्टीलो अपनी मर्सीडीज में मुझे लेने के लिए आ गयीं। कारमन के कमरे में आकर उन्होंने चारों तरफ देखा और मेरा सूटकेस उठा लिया।

मुझे धक्का - सा लगा। मैं इन लोगों को छोड़कर नहीं जाऊंगी। मैं कारमन अमेलिया, बरनार्डा, रोजा और मैगदलीना के साथ रहना चाहती थी।

'सामान अभी रहने दीजिए -शाम को देखा जायेगा। ' मैंने जरा झेंप कर मिसिज कोस्टीलो से कहा।

'' मगर तुम्हें इस घटिया जगह पर बहुत कष्ट होगा। '' वह बार - बार दोहराती रहीं।

रात को जब लौटकर आयी तो कारमन और अमेलिया फाटक की खिड़की पर ठुँसी हुई मेरा इंतजार कर रही थीं। '' आज हमने तुम्हारे लिये कमरे का इंतजाम कर दिया है। ' कारमन ने कहा। मैं खुश हुई कि अब उसे फर्श पर नहीं सोना पड़ेगा।

हाल के दूसरी तरफ एक और सीलनभरे कमरे में दो पलंग बिछे हुए थे। एक पर मेरे लिए बिस्तर लगा था दूसरे पर मिसिज सौरेल बैठी सिगरेट पी रही थीं। उनकी उम्र चालीस के आम- पास रही होगी। उनकी आँखों में अजीब-सी उदासी थी।

पोलीनीजियन नस्ल की किस .शाखा से उनका संबध था यह उनकी शक्ल सें मालूम नहीं हो सकता था। पलंग पर लेटकर उन्होंने तुरंत अपनी जिंदगी की कहानी सुनानी शुरू कर दी '' मैं गाम से आई हूँ'। उन्होंने कहा।

'' गाम कहाँ है? ' मैंने पूछा।

'' प्रशांत सागर में एक द्वीप है। उस पर अमेरिकन शासन है-। वह इतना छोटा - सा द्वीप है कि दुनिया के मानचित्र पर उसके नाम के नीचे केवल एक बिन्दु लगी हुई है। वैसे अमेरिकन नागरिक हूँ। ' उन्होंने जरा गर्व से बात आगे बढ़ायी।

गाम मैंने दिल में दोहराया, कमाल है दुनिया में कितनी जगहें हैं और उनमें हमारे जैसे लोग बसते हैं।

' मेरी लड़की वायलिन बजानेवाले के साथ भाग आयी है। मैं उसे पकड़ने के लिए आई हूं। वह केवल सतरह साल की है लेकिन हद से ज्यादा जिद्‌दी। ये आजकल की लड़कियाँ हैं!'' फिर वह अचानक उठकर बैठ गयीं? मुझे कैंसर हो गया था।

“ओह!” मेरे मुँह से निकला।

मुझे सीने, का कैंसर हो गया था। ' उन्होंने बड़े दुख से कहा। '' तीन वर्ष पहले में भी.... मैं भी और सब की तरह नॉर्मल थी।“ उसकी आवाज में बहुत अधिक करुणा थी '' देखो। ' उन्होंने अपने नाइट गाउन का कालर सामने से हटा दिया। मैंने काँप कर आँखें बंद कर लीं। एक औरत से उसके शरीर का सौंदर्य सदा के लिए छिन जाये कितनी भयानक बात थी।

थोड़ी देर बाद मिसेज सौरेल सिगरेट बुझाकर सो गयीं। खिड़की की सलाखों में से चाँद अंदर झाँक रहा था। निकट के कमरे में मैगदलीना के गाने की धीमी - धीमी आवाज आनी भी बंद हो गयी।

अचानक मेरा जी चाहा कि फूट - फूट कर रोऊँ।

अगला सप्ताह फैशनेबुल पत्रिकाओं की भाषा में सामाजिक और सांस्कृतिक व्यस्तताओं की आंधी की तरह आर्ट और कल्चर की बातचीत में गुजरा। दिन मिसेज कोस्टीलो और उनके साथियों के सुंदर मकानों और शामें शहर के मनोरंजक स्थानों में बीत जाते। हर तरह के लोग बुद्धिजीवी, पत्रकार लेखक राजनीतिक नेता मिसेज कौस्टोलो के घर आते और उनसे चर्चा - परिचर्चा चलती रहती और मैं अंग्रेजी मुहावरे के शब्दों में अपने आपको बेहद ' इंज्वाय कर रही थी। मैं रात को वाई.डबल्यू.सी.ए. लौट आती और हाल की चोकौर मेज के चारों तरफ बैठकर पाँचों लड़कियाँ बड़ी जिज्ञासा में दिन भर की. घटनाएं मुझसे सुनती। ' कमाल है। रोजा कहती ' हम- इसी -शहर की रहनेवाली है मगर हमें मालूम नहीं कि यहाँ ऐसा रोमांचक' वातावरण भी है।

' ये बेहद अमीर लोग जो होते हैं न ये इतने रुपये का क्या करते हैं?'' अमेलिया पूछती। अमेलिया एक स्कूल में पढ़ाती थी। रोजा एक सरकारी दफ्तर में स्टेनोग्राफर थी। मैगदलीना और बरनार्डा एक म्यूजिक कालेज में प्यानो और वायलिन की उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही थी। ये सब मध्यम वर्ग और निम्न मध्यम वर्ग की लड़कियाँ थीं।

रविवार की सुबह कारमन मास (गिरिजाघर) में जाने की तैयारी में लगी थी। कोई चीज निकालने के लिए मैंने अलमारी की दराज खोली तो उसके झटके से ऊपर से एक ऊनी खरगोश नीचे गिर पड़ा। मैं उसे वापिस रखने के लिए ऊपर उचकी तो अलमारी की छत पर बहुत सारे खिलौने रखे नजर आये।

' ये मेरे बच्चे के खिलौने हैं। '' कारमन ने सिंगारदान के सामने बाल बनाते हुए बड़े इतमीनान से कहा।

'' तुम्हारे बच्चे के?'' मैं हक्की - बक्की रह गयी और मैंने बड़े दुख से उसे देखा। कारमन बिनब्याही माँ थी।

.शीशे में मेरी प्रतिक्रिया देखकर वह मेरी तरफ पलटी। उसका चेहरा लाल हो गया और उसने कहा '' तुम गलत समझी। '' फिर वह खिलखिलाकर हँसी और उसने अलमारी की निचली दराज में- से एक हल्के नीले रंग की चमकीली बेबी बुक निकाली। ' देखो यह मेरे बच्चे की सालगिरह की किताब है। जब वह एक वर्ष का होगा तो यह करेगा जब दो वर्ष का हो जायेगा तो यह कहेगा। यहाँ उसकी तस्वीरें चिपकाऊँगी। '' वह इत्मीनान से आलती - पालथी मार कर पलंग पर बैठ गयी और उसी किताब . में-से सुंदर अमेरिकन बच्चों के रंगीन चित्र निकाल कर बिस्तर पर फैला दिए ' देखो मेरी नाक कितनी चपटी है और निक तो मुझसे भी गया बीता है, तो हम दोनों के बच्चे की नाक की सोचो तो क्या हालत होगी मैं उसके जन्म के महीनों पहले से ये तस्वीरें देखा करूंगी ताकि उस बिचारे की नाक पर कुछ अच्छा असर पड़े। '

तुम अच्छी खासी दीवानी हो ' मैंने कहा '' और यह निक महोदय

कौन हैं?”

उसका रंग एकदम सफेद पड़ गया '' अभी उसकी चर्चा न करो। उसके नाम पर मुझे लगता है. कि मेरा दिल कटकर टुकड़े-टुकड़े हो- जायेगा। ' मगर उसके बाद वह- बराबर निक की चर्चा करती रही। मैं इतनी बदसूरत हूँ मगर निक कहता है - कारमन कारमन मुझे तुम्हारे दिल से तुम्हारे दिमाग से तुम्हारी रूह से इश्क है। निक ने इतनी दुनिया देखी हैं इतनी हसीन लड़कियों से उसकी दोस्ती रही है मगर उसे मेरी बदसूरती का जरा भी अहसास नहीं। '' गिरिजा से लौटने पर सागर के किनारे - किनारे सड़क पर चलते हुए वाई.डबल्यू.सी.ए. के नमी भरे हाल में कपड़ों पर स्त्री करते हुए कारमन ने मुझे अपनी और निक की कहानी सुनाई। निक डाक्टर था और हार्ट सर्जरी की उच्च शिक्षा के लिए बाहर गया हुआ था और उसे बहुत अधिक चाहता था।

रात को मैं मिसेज सौरेल के कमरे से करमन के कमरे में वापिस आ चुकी थी क्योंकि मिसेज सौरेल अपनी लड़की को पकड़ लाने में सफल हो गयी थी और लड़की अब उनके साथ रह थी। सोने से पहले मैं मच्छरदानी ठीक कर रही थी। कारमन फिर फर्श पर आसन जमाये बैठी थी। '' निक ''... उसने कहना .शुरू किया।

'' आजकल कहाँ है?'' मैंने पूछा।

'' मुझे मालूम नहीं। ''

'' तुम उसे खत नहीं लिखतीं

'' नहीं। ''

' क्यों?” मैंने आश्चर्य से प्रश्न किया।

'' तुम खुदा पर यक़ीन रखती हो ?” उसने पूछा।

'' यह तो बहुत लम्बा चौड़ा मसला है। '' मैंने जम्हाई लेकर जवाब दिया। '' मगर यह बताओ, तुम उसे खत क्यों नहीं लिखती?''

पहले मेरे सवाल का जवाब दो, तुम खुदा पर यकीन रखती हो ?''

“हाँ,” मैंने बहस को कम करने के लिए कहा।

'' अच्छा तो तुम खुदा का खत को लिखती हो ? ''

भवन की बत्तियां बुझ गयीं। रात की हवा में आंगन के पेड़ सरसरा रहे थे। कमरे के दरवाजे पर पड़ा लाल फूलों वाला पर्दा हवा के झोंकों से फड़फड़ाए जा रहा था। मैंने उठकर उसे एक तरफ सरका दिया।

बहुत खूबसूरत पर्दा है। मैंने पलंग की एक तरफ लौटने हुए विचार प्रकट किया। कारमन फर्श पर करवट बदल कर आंखें बंद किये लेटी थी। मेरी बात पर वह फिर उठकर बैठ गयी और उसने धीरे - धीरे कहना –शुरू किया मैं और निक एक बार पहाड़ी इलाके से कई सौ मील की ड्राइव के लाए गये थ। सुन रही हो?

“हाँ - हाँ बताओ।“

'' रास्ते में निक ने कहा चलो डोन रेमो से मिलते चलें। डोन रेमो निक के पिता के दोस्त और मंत्रिमंडल के सदस्य थे। उन्होंने हाल ही में अपने जिले के पहाड़ी स्थल पर नई कोठी बनवायी थी। जब हमलोग उनकी कोठी के निकट पहुँचे., तो सामने सफेद फ्राक पहने बहुत- सी छोटी -छोटी बच्चियाँ एक स्कूल से निकलकर आती दिखाई दीं। मुझे वह दृश्य एक ख्वाब की तरह याद है। फिर हम लोग अंदर गये और मिसेज रैमो के इंतजार में उनके शानदार ड्राइंग रूम मैं बैठ गये। कैबिनेट मिनिस्टर घर पर मौजूद नहीं थे। ड्राइंग रूम और स्टडी रूम के बीच जो दीवार थी उसमें शीशे की एक चौकोर डिब्बी जैसी खिड़की में प्लास्टिक की एक बहुत बड़ी गुड़िया सजी थी जो कमरे की सुंदर सेटिंग की तुलना में बड़ी भद्‌दी मालूम हो रही थी। फिर मिसेज रैमों आयीं। उन्होंने हमें ठंडी चाय पिलायी और सारा घर दिखलाया। उनके गुसलखाने काले टाइल के थे और मेहमान- कमरे के सुंदर दीवान- बेड लाल फूलदार टैपस्ट्री के झालर वाले गिलाफों से ढके हुए थे। उन पलंगों को देखकर निक ने चुपके - से मुझसे कहा था- ' बुरे टेस्ट की चरम सीमा। ' और मैंने अपने दिल में कहा था - कोई बुरा टेस्ट नहीं। मैं तो अपने घर में ऐसे ही पलंग खरीदूंगी और इसी रंग के गिलाफ बनवाऊँगी। ' उसके बाद मैं जब भी घरेलू सामान की दुकानों से गुजरती तो उस कपड़े को देखकर मेरे पाँव ठिठक जाते। फिर मैंने तनख्वाह में से बचा -बचाकर उसी कीमती कपड़े के यह पर्दा खरीद लिया। जब मैं एक विशेष रेस्टोरेंट के आगे से गुजरती हूँ...'' वह उसी आवाज में कहती रही '' और शीशे की खिड़की के पास रखी हुई मेज और उस पर जलता हुआ हरा लैम्प दिखाई देता है तो मेरा दिल डूब- सा जाता है। वहाँ मैंने एक .शाम निक के साथ खाना खाया था। ''

मुझे नींद आ रही थी और मैं निक के इस जाप से उकता चुकी थी। मैंने मच्छरदानी के झीने पर्दे को गिराते हुए कहा '' एक बात बताओ तुम जब उसे इतना ज्यादा चाहती हो तो अपने उसी निक से शादी क्यों नहीं कर ली?'' ' मुझे दस साल तक बहुत दूर बसे हुए एक द्वीप मैं अपने बाबा के साथ रहना पड़ा। '' उसने उदासी से जवाब दिया '' पहले हमलोग इसी -शहर में रहते थे। लड़ाई के जमाने में बमबारी में हमारा छोटा- सा मकान जलकर राख हो गया। मेरी माँ और दोनों भाई मारे गये। केवल मैं और मेरे बाबा जिन्दा बचे। बाबा एक स्कूल में साइंस टीचर थे। उनको टी.बी. हो गयी और मैंने उन्हें सेनीटोरियम में दाखिल कर दिया जो बहुत दूर बसे हुए द्वीप में था। सेनीटोरियम बहुत महँगा था। इसलिए कालेज छोड़ते ही मैंने उसी सेनीटोरियम के दफ्तर में नौकरी कर ली और आस-पास रईस जमींदारों के घरों में ट्‌यूशन भी करती रही। मगर बाबा का इलाज और ज्यादा महँगा होता गया तब मैंने अपने गाँव जाकर अनन्नास का पुश्त्तैनी बगीचा गिरवी रख दिया। तब भी बाबा अच्छे नहीं हुए। मैं एक द्वीप से दूसरे द्वीप नौका मैं बैठकर जाती और जमींदारों के इलाकों में उनके बेवकूफ बच्चों को पढ़ाते - पढ़ाते थक कर चूर हो जाती। तब भी बाबा अच्छे नहीं हुए। निक से मेरी भेंट आज से दस साल पहले एक फीस्टा (फौज) में हुई थी। इस बीच मैं, जब भी राजधानी आती वह मुझसे मिलता रहता। तीन साल हुए उसने शादी के लिए अनुरोध किया था, लेकिन बाबा की हालत इतनी खराब थी मैं उनको मरता छोड्‌कर यहाँ नहीं आ सकती थी। उसी जमाने में निक को बाहर जाना पड़ गया। जब बाबा मर गये तो मैं यहाँ आ गयी। अब मैं यहाँ नौकरी कर रही हूँ और अगले साल विश्वविद्यालय में अपना शोध प्रवंध जमा कर दूँगी। मैं चाहती हूँ कि बाबा के खेत भी गिरवी से छुड़ा लूँ। निक मेरी सहायता करना चाहता था। मगर मैं शादी से पहले उसे एक पैसा नहीं लूंगी। उसके परिवार वाले बहुत बद - दिमाग और अकड़ वाले लोग हैं और एक लड़की के लिए उसकी इज्जत सबसे बड़ी चीज है। इज्जत, आत्मसम्मान और आत्मविश्वास यदि मुझे कभी यह अहसास हो जाये कि निक मुझे हीन समझता है, या मुझे.... ? सो गयीं..... अच्छा गुड - नाइट। ''

दूसरे दिन सुबह वह तैयार होकर नियमानुसार सबसे पहले नाश्ते के मेज पर प्रबंध के लिए पहुंच चुकी थी। मिसेज सौरेल गाम वापिस जा रही थी। अपने होने वाले दामाद से सुलह हो गयी थी। वह सवेरे से ही आन पहुंचा था। वह एक सीधा - सा नौजवान था और बरामद के एक कोने में भीगी बिल्ली बना बैठा था। वातावरण में अजीब- सी प्रसन्नता छाई हुई थी। लड़कियाँ बात - बात पर कहकहे लगा रही थीं। मैं भी बहुत खुश थी और अपने आपको बेहद हल्का फुल्का महसूस कर रही थी। यह हल्का फुल्कापन और पूरे अमन और सुकून का खिलता हुआ अहसास जिंदगी में बहुत कम आता है और केवल कुछ क्षण रहता है किंतु वे क्षण बहुत बहुमूल्य होते हैं।

कारमन- जल्दी - जल्दी नाश्ता खत्म करके दफ्तर चली गयी।

आज भी तुम अपनी शानदार दोस्तों से मिलने नहीं जा रही होती तो तुम्हें जीपनी में बिठाकर शहर के गली कूचों की सैर कराती। मैगदेलीना ने मुझसे कहा।

तुम्हारे लिए एक कैडीलेक आई है भाई। रोजा ने अंदर आकर सूचना दी।

' कैडीलेक? ओफ ओ...¡ सबने कहा।

'' तुम्हारे लिये ऐसी-ऐसी कीमती मोटरें आती हैं कि हम लोगों की रोब के मारे बिलकुल घिग्घी बन जाती है। '' बरनार्डा ने खुश होकर कहा। मैंने लडकियों को खुदा-हाफिज कहा और अपना यात्रा- बैग कंघे पर लटका कर बाहर आ गयी। मैं भूतपूर्व राजदूत डोन गार्सिया डेल फ्रेडोस के यहाँ दो दिन के लिए उनके हिल स्टेशन जा रही थी। उनके वर्दी पहने ड्राइवर ने काली कैडीलेक का दरवाजा बड़े शान से बंद किया और कार शहर से निकेल कर हरे - भरे पहाड़ों की तरफ रवाना हो गयी।

... पहाड़ की एक चोटी पर डोन गार्सिया का ' हिस पानवी' ढंग का शानदार घर पेड़ों में छुपा दूर से दिखाई दे रहा था। घाटी में कोहरा ' मँडरा रहा था। सफेद बैंगनी लाल और पीले रंग के पहाड़ी फूल सारी बाद में खिले हुए थे। कार फाटक में प्रवेश करके पोर्च में रुक गयी। कबायली नस्ल वाली कद्दावर नौकरानियाँ बाहर निकलीं। बटलर ने नीचे आकर कार का दरवाजा खोला। हाल के दरवाजे मैं डोन गार्सिया और उनकी पत्नी डोना मारिया मेरी प्रतीक्षा में थे। उनका घर सफेद कालीनों, सुनहरे फर्नीचर और बहुमूल्य साज - सामान से सजा हुआ था और इस तरह के कमरे थे जिनके चित्र लाइफ मैगजीन के रंगीन पृष्ठों पर फर्नीचर या इंटीरियर डैकोरेशन के सिलसिले में बराबर छपते रहते हैं।

कुछ देर बाद मैं डोना मारिया के साथ ऊपर की मंजिल पर गयी। वहाँ शीशों वाले बरामदे के एक कोने में एक नाजुक-सी बेंत की टोकरी में छह महीने की बेहद गुलाबी बच्ची पड़ी ' आव- आव ' कर रही थी। वह बच्ची इस कदर प्यारी - सी थी कि मैं डोना मारिया की बात अधूरी छोड्‌कर सीधी टोकरी के पास चली गयी। एक बेहद हसीन स्वस्थ और तरोताजा अमेरिकन युवती निकट के सोफे से उठकर मेरी ओर आयी और मुस्करा कर हाथ मिलाने के लिए आगे बढ़ा दिया।

यह मेरी बहू हैँ। ' डोना मारिया ने कहा।

हम तीनों टोकरी के चारों तरफ खड़े होकर बच्ची के लाड़- प्यार में लीन हो गये। दोपहर को लंच की मेज पर अमेरिकन लड़की का पति भी आ गया।

यह हमारा बेटा होज़े है। डान गार्सिया ने कहा।

होजे की उम्र लगभग पैंतीस साल की होगी। वह स्थानीय कढ़ाई की हल्के रंग की कमीज और सफेद पैंट में काफी सुंदर मालूम हो रहा था। वह अपनी कम आयु पत्नी को बहुत अधिक प्यार करता था और बच्ची पर बड़ा आशिक था। ज्यादातर वह उसी की बातें करता रहा।

रात को मैं बहुत सुसज्जित और भव्य शयन -कक्ष में गयी। जिसके सामान को हाथ लगाते हुए चिंता होती थी कि कहीं मैला न हो जाये। उस वक्त मुझे वाई.डबल्यू.सी.ए. के सीले हुए कमर और तंग मच्छरदानी, मिसेज सौरेल और हाल की बदरंग मेज -कुर्सियाँ बहुत अधिक याद आयीं।

दो दिन बाद फ्रेडोस परिवार मेरे साथ राजधानी लौटा। अपने माता-पिता को उनके टाउन - हाउस उतारने के बाद होजे ने मुझे मेरे निवास स्थान छोड़ने के लिए कैडीलक दोबारा स्टार्ट की। होजे और उसकी पत्नी गैरूथी दो सप्ताह पूर्व अमेरिका से लौटी थीं। उनका बहुत - सा सामान कस्टम हाउस में पड़ा था जिसे छुड़ाने के लिए उन्हें जाना था।

नगर के सबसे शानदार होटल के सामने होजे ने कार रोक ली। ' यहाँ क्या करना है मैंने उससे पूछा।

'' तुम यहीं ठहरी हो न

'' नहीं डियर होज़े, मैं वाई.डबल्यू.सी.ए. में ठहरी हूं। ''

'' वाई.डबल्यू.सी.ए.¡ गुड-गॉड कमाल है। अच्छा वहाँ चलते हैं। मगर क्या तुम्हें यहाँ जगह नहीं मिल सकी? तुम्हें चाहिए था कि आते ही डैडी को सूचना देतीं।

उस समय मुझे अचानक ख्याल आया कि मैं हर वर्ग और हर तरह के लोगों को अपन- स्वभाव के द्वारा कम - से - कम अपनी सीमा तक मानसिक ढंग से तालमेल स्थापित करती रही हूँ। मगर होजे और उसके माता - पिता इस

देश के दस बड़े धनवान परिवारों में से थे और जो यहाँ के शासक वर्ग के महत्वपूर्ण स्तम्भ थे और उन लोगों को यह समझाना बिलकुल बेकार था कि मुझे वाई.डबल्यू.सी.ए. क्यों इतना अच्छा लगा है और मैं वहाँ क्यों ठहरना चाहती हूँ।

होजे ने गली की नुक्कड पर कार रोक दी क्योंकि जीपनियों की एक पंक्ति ने- सारा रास्ता घेर रखा था। मैं जब वाई.डबल्यू.सी.ए. के अंदर पहुंची तो सब लोग सो चुके थे। मैं चुपके - से जाकर अपनी मच्छरदानी में घुस गयी।

कारमन उसी तरह फर्श पर आराम से सो रही थी। उसके सिराने सांतो तोमास (सेंट टॉमस) के चित्र पर गली के लैम्प की रोशनी की हल्की - सी परछाई ' झिलमिला रही थी। सवेरे चार बज उठकर मैं दब पाँव चलती हुई, टूटे फूटे गुसलखाने में गयी और धीरे से पानी का नल खोला। मगर पानी की धार इस जोर-से निकली कि मैं चौंक उठी और उसी तरह चुपके -चुपके कमरे में आकर मैंने सामान बांधा ताकि आहट से कारमन की आँख न खुल जाये। इतने में मैंने देखा कि वह फर्श पर से गायब है। कुछ देर बाद उसने आकर कहा '' नाश्ता तैयार है। '' वह टैक्सी के लिए! फोन भी कर चुकी थी.।

'' यात्रा कैसी रही?'' उसने चाय उँडेलते हुए पूछा।

'' बेहद दिलचस्प। '

'' ये तुम्हारे दोस्त लोग कौन थे जहाँ तुम गयी थीं? तुमने बताया ही नहीं।

मैं बात शुरू करने ही वाली थी कि मुझे अचानक एक ख्याल आया। मैंने जल्दी से कमरे में जाकर सूटकेस खोला। एक नयी बनारसी साड़ी निकाल पर एक पर्चे पर लिखा- '' तुम्हारी शादी के लिए मेरी पेशगी भेंट। '' साड़ी और पर्चा कारमन के तकिये के नीचे रख दिया।

'' टैक्सी आ गयी। '' कारमन ने बरामदे में से आवाज दी।

हम दोनों सामान उठाकर बाहर आये। मैं टैक्सी में बैठ गयी। इतने में कारमन फाटक की खिड़की में से सिर निकाल कर चिल्लाई '' अरे तुमने अपना पता तो दिया ही नहीं। '' मैंने कागज के टुकड़े पर अपना पता घसीट कर उसे थमा दिया। फिर मुझे भी एक बहुत जरूरी बात याद आयी '' हद हो गयी कारमन तुम्हारे वाई.डबल्यू.सी.ए. ने मुझे अपना बिल नहीं दिया। ''

'' बको मत। ''

'' अरे यह तुम्हारा निजी घर तो नहीं था?''

'' तुम मेरी मेहमान थीं ''

'' बको मत.। ''

'' तुम खुद मत बको। अब भागो वरना हवाई जहाज छूट जायेगा और देखो मैं शादी का कार्ड भेजूँ तो तुम्हें आना पड़ेगा मैं कोई बहाना नहीं सुनूंगी। जरा सोचो निक तुमसे मिल कर कितना खुश होगा।

मगर हम दोनों को मालूम था कि मेरा दोबारा इतनी दूर आना बहुत मुश्किल है।

'' खुदा हाफिज कारमन। '' मैंने कहा।

'' खुदा हाफिज '' वह खिड़की में से सिर निकाल कर बहुत दर तक हाथ हिलाती रही। टैक्सी सुबह - सवेरे के धुँघलकै में एयरपोर्ट की ओर चल दी।

हवाई जहाज तैयार खड़ा था। मैं कस्टम काउंटर पर से लौटी तो पीछे से डोन गार्सिया की आवाज आयी, '' निक मैं जरा सिगार खरीद लूँ। ''

'' बहुत अच्छा डैडी। '' वह होजे की आवाज थी। मैं चौंक कर पीछे मुड़ी। होजे मुस्कराता हुआ मेरी तरफ बढ़ा, '' देखो हम लोग कैसे ठीक वक्त पर पहुँच गये। ''

'' होजे' ', मैंने डूबते हुए दिल से पूछा, '' तुम्हारा दूसरा नाम क्या है?'' '' निक। डैडी जब बहुत लाड़ में होते हैं तो मुझे निक पुकारते हैं, वरना आमतौर पर मैं होजे ही कहलाता हूँ क्यों?''

'' कुछ नहीं। '' मैं उसके साथ-साथ लांज की तरफ चलने लगी। '' तुम अमेरिका क्या करने गये थे?'' मैंने धीरे -से पूछा।

'' हार्ट सर्जरी में स्पेशलाइज करने। तुम्हें बताया तो था, क्यों?'' '' तुम.... कभी तुमने.... तुमने....?

'' क्यों, क्या हुआ? क्या बात है?'' '' कुछ नहीं। '' मेरी आवाज डूब गयी। लाउड स्पीकर ने निरंतर दोहराना .शुरू किया- '' पैन अमेरिकन के मुसाफिर.... पैन अमेरिकन के मुसाफिर....''

'' अरे रवानगी का वक्त इतनी जल्दी आ गया?'' निक ने ताज्जुब से घड़ी देखी। डोन गार्सिया और निक नीचे रेलिंग पर झुके रूमाल हिला रहे थे। जहाज ने जमीन से ऊंचा होना शुरू कर दिया।

यहाँ से बहुत दूर खतरनाक तूफानी से घिरे हुए पूर्वी सागर में हरे- भरे द्वीपों का एक झुंड है जो फिलिपाइन कहलाता है। उसकी जागती-जगमगाती राजधानी मनीला के एक बेरंग-से मोहल्ले के एक पुराने भवन के अंदर एक बेहद चपटी नाक और फरिश्ते-से भोले दिल वाली फिलिपैनो लड़की रहती है जो अपने बच्चे के लिए खिलौने जमा कर रही है और अपने खुदा के लौटने के इंतजार में है, जिसके ऊपर उसे पूरा भरोसा है।

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रचनाकार: कुर्रतुल ऐन हैदर की कहानी कारमन
कुर्रतुल ऐन हैदर की कहानी कारमन
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