चित्रमय बाल कहानी - वूल्फी

SHARE:

वूल्फी जेनेट चेनेरी   हिंदी अनुवाद अरविंद गुप्ता   हैरी और जॉर्ज एक सुरक्षित स्थान पर छिपे बैठे थे। दरअसल वह उनके कुत्ते का घर था। उनक...

वूल्फी

image
जेनेट चेनेरी

image

 

हिंदी अनुवाद


अरविंद गुप्ता

image
हैरी और जॉर्ज एक सुरक्षित स्थान पर छिपे बैठे
थे। दरअसल वह उनके कुत्ते का घर था। उनके
कुत्ते का नाम बिफी था। क्योंकि बिफी अपने घर
में कभी रहता नहीं था इसलिए हैरी और जॉर्ज
उसके घर का इस्तेमाल कर रहे थे

image

'' तुमने कितनी मक्खियां पकड़ी हैरी ने पूछा।
'' तीन जॉर्ज ने कहा।
फिर उसने अपनी जेब में से छोटी बोतल निकाली।
'' सिर्फ तीन?'' हैरी ने पूछा। '' हमें तो इससे कहीं ज्यादा की
जरूरत होगी। ''
जॉर्ज ने लंबी सांस भरी '' इन्हें पकड़ने में मुझे एक घंटा लगा।
तुम्हें कैसे पता कि उसे मक्खियां खाना पसंद है?''

'' ठीक है हैरी ने कहा- '' तुम्हें याद नहीं? किताब
में साफ लिखा है कि मकडिया जिंदा मक्खियां और
कीडे खाती है। ''
'' हां जॉर्ज ने कहा- '' परंतु किताब में जो चित्र
दिया है उसमें मकड़ी ने जाल बुना है जबकि हमारी
मकड़ी वूल्फी ने अभी तक कोई जाल नहीं बनाया है। ''

image

'' जब उसे मक्खियां दिखाई देंगी तो वह भी जाल बुनेगी
यह कहकर हैरी ने कांच का बड़ा मर्तबान उठाया।
उसके अंदर कोई चीज चल रही थी।
'' हलो वूल्फी हैरी ने धीमी आवाज में कहा।
उसने मर्तबान के ढक्कन को धीरे से खोला।
'' तैयार रहो उसने जॉर्ज से कहा।
जॉर्ज ने छोटी बोतल को कांच के मर्तबान में उलटा।
उसने बोतल का ढक्कन खोला और मक्खियों को झटककर
मर्तबान में डाला।
फिर हैरी ने झट से मर्तबान का ढक्कन बंद किया।
'' एक मक्खी खाओ वूल्फी हैरी ने कहा।

image

फिर उन्होंने मर्तबान के अंदर भूरी मकड़ी को
गौर से देखा।
पहले तो मकड़ी बिल्कुल हिली-डुली नहीं।
फिर वह झट से मक्खी की ओर झपटी।
परंतु उसी क्षण मक्खी अपनी जगह से उड़ गई।

कुत्ते के घर के बाहर से आवाज आई, हैरी! ''
''चुप रहो! यह पौली की आवाज है,'' हैरी ने
फुसफुसाते हुए कहा-- वूल्फी को छिपा दो! ''
पौली, हैरी की छोटी बहन थी।
''मैं मकड़ी को देखना चाहती हूं'' पौली ने कहा।
''नहीं! '' हैरी ने कहा- ''जाओ! भागो यहां से! ''

'' रूको हैरी जॉर्ज ने कहा।
फिर उसने छोटे घर के दरवाजे के बाहर अपना सिर
निकाला।
उसने पौली से कहा '' तुम वूल्फी को देख सकती
हो परंतु एक शर्त पर। उससे पहले तुम्हें सौ जिंदा
मक्खियां पकड़नी होगी। ''
'' ठीक है पौली ने कहा और फिर वह वहां से
भाग गई।
'' तुमने उससे यह क्यों कहा?'' हैरी ने पूछा। '' अब
वह हमें लगातार परेशान करती रहेगी। ''

'' नहीं वह ऐसा नहीं करेगी जॉर्ज ने कहा-
'' मक्खियां पकड़ना बेहद मुश्किल काम है। ''
'' तुम पौली को अच्छी तरह नहीं जानते हैरी
ने झुंझलाते हुए कहा।
कुछ देर दोनों इंतजार करते रहे। वूल्फी और
मक्खियां खाती है या नहीं यह देखते रहे।
'' वूल्फी कुछ उदास दिखती है जॉर्ज ने कहा-
'' शायद हमें मर्तबान की बजाय उसे किसी बडे
डिब्बे में रखना चाहिए। ''
'' चलो मैं अपनी मां से जाकर पूछता हूं। शायद
उनके पास इससे बड़ी कोई चीज हो!'' हैरी ने
कहा।

पौली किचिन की मेज पर बैठी
थी। उसकी ऊंगली में एक रबड़-बैंड
फंसा था। उसने रबड़-बैंड को एक
गुलेल की तरह खींचा।
मेज पर एक मक्खी चल रही थी।
झट से पौली ने रबड-बैंड मक्खी की
ओर फेंका। बिचारी मक्खी मर गई।
'' वाह!'' जॉर्ज ने कहा।
पौली ने मक्खी उठाकर अपनी बोतल
में डाली। उस बोतल में वह पहले ही
चार मक्खियां पकड़ चुकी थी।

'' मक्खियों का जिंदा होना जरूरी है हैरी ने कहा -
'' वूल्फी मरी मक्खियां नहीं खाएगी। ''
'' ये मक्खियां जिंदा हैं पौली ने कहा -
'' रबड़-बैंड की मार से वे बस बेहोश हो गई हैं। ''
फिर जैसे ही उसने बोतल को हिलाया मक्खियां
भिनभिनाने लगीं।
हैरी ने जॉर्ज की तरफ मुंह बनाकर कहा-
'' मैंने तुम्हें पहले ही बताया था। ''
हैरी ने अपनी मां से पूछा '' क्या आपके पास वूल्फी
के लिए इस मर्तबान से बड़ा कोई और बर्तन है?''
'' यह वूल्फी कौन है?'' उसकी मां ने पूछा।
'' वूल्फी एक बड़ी और रोयेंदार मकड़ी है हैरी ने
कहा।

image

'' हैरी मुझे उसे देखने नहीं दे रहा है पौली ने
शिकायत के लहजे में कहा- '' वह चाहता है कि
मैं पहले सौ जिंदा मक्खियां पकड़कर लाऊं। ''
'' एक मकड़ी!'' हैरी की मां ने झल्लाते हुए
कहा- '' कहां है वह?''
'' बिफी के घर में पौली ने जवाब दिया।

हैरी की मां ने सुझाव दिया-
'' तुम उसे नेचर सेंटर में मिस रोज के पास
लेकर क्यों नहीं जाते? हमारे घर में पहले ही दो
पालतू जानवर हैं - बिफी और इंकी। ''
'' इसमें क्या बड़ी बात है! हरेक घर में
कुत्ता-बिल्ली होते ही हैं। ''
इतनी देर में पौली ने रबड़-बैंड से एक और
मक्खी मारी।

'' क्या मैं भी तुम्हारे साथ नेचर सेंटर जा सकती हूं?'' पौली
ने पूछा।
'' नहीं!'' हैरी ने दो-टूक जवाब दिया।
फिर हैरी और जॉर्ज बाहर भागे।
नेचर सेंटर में ढेरों तितलियों कीड़े-मकोड़ों और पत्तियों के
अनेक नमूने थे। दोनों दोस्तों ने वहां पहुंचकर मिस रोज से पूछा
'' क्या आपके पास वूल्फी को रखने के लिए कोई चीज है?''
'' यह वूल्फी है कौन?'' मिस रोज ने पूछा।
'' वह एक मकड़ी है - वूल्फ प्रजाति की। ''

''सच में? '' मिस रोज ने आश्चर्यचकित होकर पूछा।
''हमने किताब में उसका चित्र देखा है, '' जॉर्ज ने कहा।
''हमारी मकड़ी भूरी, बड़ी और रोयेंदार है, '' हैरी ने कहा-
'' और वह बहुत तेज भागती है। हमने उसे एक कीड़े का पीछा
करते और उसे पकड़ते हुए देखा है। ''
''तुम उसे क्या खिला रहे हो? '' मिस रोज ने पूछा।
''मक्खियां,'' जॉर्ज ने कहा- ''पर उन्हें पकड़ना बहुत मुश्किल
काम है। ''

'' क्या तुम उसे पानी भी पिलाते हो?''
मिस रोज ने फिर पूछा।
'' पानी?'' हरी ने आश्चर्य से पूछा।
'' क्या मकड़ियां भी पानी पीती हैं?''
'' हां जैसे उन्हें खाने की आवश्यकता होती है वैसे
ही उन्हें पानी की भी जरूरत होती है मिस रोज ने
कहा।
'' मुझे लगता है उसे ज्यादा भूख नहीं लगती है
जॉर्ज ने कहा- '' उसने मक्खियां पकड़ने के लिए अभी
तक जाल भी बुनना शुरू नहीं किया है। ''

'' अगर वह वूल्फ प्रजाति की मकड़ी है तो वह
कभी भी जाल नहीं बुनेगी मिस रोज ने कहा-
'' कुछ मकडियां कीड़े पकड़ने के लिए जाल बुनती
है परंतु वूल्फ प्रजाति की मकड़ियां कीड़ों को
दौड़कर पकड़ती हैं। ये मकड़ियां शिकार करती हैं।
ये जाल बुनकर कीड़े नहीं पकड़ती है। ''

image

'' फिर हम अपनी इस मकड़ी को कहां रखें हैरी ने पूछा।
'' मेरी राय में उसके लिए एक बड़ा डिब्बा ही ठीक होगा।
डिब्बे के मुंह को मच्छरदानी वाली जाली से बंद करना मिस
रोज ने कहा।
मिस रोज ने उन्हें डिब्बे बनाने की तरकीब समझाई।
मिस रोज ने उन्हें एक जाली का टुकड़ा भी दिया।
'' देखो उन्होंने कहा। '' तुम इस इस्तेमाल कर सकते हो। जब
वूल्फी अपने घर में अच्छी तरह बस जाए तब तुम उसे यहां
लाना। मैं एक बार उसे देखना चाहूंगी। ''
'' ठीक है हैरी ने मिस रोज को धन्यवाद देते हुए कहा।

हैरी .और जॉर्ज जब घर पहुंचे तो उन्हें लकड़ी का एक पुराना
डिब्बा मिला। उन्होंने उसमें कुछ मिट्टी भरी कुछ पत्तियां और
घास के तिनके भी डाले।
हैरी ने डिब्बे का मुंह ढकने के लिए जाली तैयार रखी।
इस बीच में जॉर्ज ने वूल्फी का नए घर में तबादला किया।
वूल्फी झटके से दौड़कर एक पत्ती के नीचे छिप गई।
'' हम इस मकड़ी को पानी कैसे पिलाएं?''
'' मुझे पता है किसी ने जवाब दिया। आवाज पौली की
थी।
पौली घास में बिफी और इंकी के साथ बैठी थी।
'' तुम यहां क्या कर रही हो तुम यहां से जाओ!'' हैरी ने
पौली को डांटते हुए कहा।

'' हम इस मकड़ी को पानी कैसे पिलाएं?'' जॉर्ज ने पूछा।
'' कुछ पानी की बूंदों को पत्तियों पर डाल दो पौली ने
कहा- '' कभी-कभी इंकी इसी प्रकार ओस की बूंदें पीती है। ''
'' अच्छा जाओ कुछ पानी लेकर आओ हैरी ने कहा।
'' कुछ मक्खियां भी ले आओ जॉर्ज ने कहा।
कुछ देर बाद पौली एक मर्तबान में मक्खियां और एक
गिलास में पानी लेकर आई।

'' मैं सात मक्खियां लेकर आई हूं उसने कहा - '' क्या में
अब वूल्फी को मक्खियां खाते देख सकती हूं
'' नहीं हैरी ने तपाक से जवाब दिया- '' तु'हैं पहले पूरी से
मक्खियां पकड़नी होंगी।
जॉर्ज और हैरी ने मक्खियों को वूल्फी के डिब्बे मैं डाला।
वूल्फी एक ओर मुड़ी।
उसका एक पैर गीली पत्ती को छुआ।
ऐसा लग रहा था जैसे वूल्फी गहरी सांसें ले रही हो।
उसने अपने घुटने मोडे। फिर उसने गीली पत्ती को छुआ।
'' देखो! वह पानी पी रही है!'' जॉर्ज चिल्लाया।

फिर वूल्फी मक्खी की ओर लपकी।
'' देखो उसने मक्खी पकड़ ली। देखो, वह कितनी
फुर्तीली है!''
अगले दिन हैरी और जॉर्ज वूल्फी को मिल रोज के
पास लेकर गए।
'' तुम लोगों ने ठीक ही कहा था मिस रोज ने
कहा- '' वूल्फी एक वूल्फ-स्पाइडर है। क्या तुमने
उसकी आंखों को गौर से देखा है?''
'' आँखें? जॉर्ज ने पूछा- '' क्या सभी कीड़ों की
दो आंखें नहीं होतीं?''
'' देखो ' मकड़ी कीड़ा नहीं होती मिस रोज ने
कहा।

''फिर वह क्या है? '' हैरी ने पूछा।
ए-रैच-निड,'' मिस रोज ने कहा- वूल्फ प्रजाति की
मकड़ियों की आठ आंखें होती हैं। वूल्की को जरा मेरी मेज
पर लाओ। वहां तुम उन्हें अच्छी तरह देख पाओगे। ''
जॉर्ज और हैरी वूल्फी को मिस रोज की मेज पर ले गए।

वहां मिस रोज ने एक मैग्नीफाइंग ग्लास
मकड़ी के ऊपर रखा।
उसके नीचे मकड़ी बहुत बड़ी रोयेंदार
और डरावनी दिखने लगी।
हैरी ने गिनना शुरू किया। वूल्फी की पूरी
आठ आंखें थीं।

मिस रोज ने कांच के एक मर्तबान में से
एक चमकीला कीड़ा बीटिल निकाला।
कीड़ा अपने पैर हिलाने लगा।
मिस रोज उसके पास मैग्नीफाइंग ग्लास
लेकर गई ताकि हैरी और जॉर्ज उसे अच्छी
तरह देख सकें।

''इस कीड़े के कितने पैर हैं? '' उन्होंने पूछा।
हैरी और जॉर्ज ने उन्हें गिना।
''छह! '' दोनों ने एक साथ जवाब दिया।
वूल्फी के कितने पैर हैं? '' मिस रोज ने पूछा।
''इसके सिर के पास जो दो तंतु हैं, क्या वह भी
इसके पैर हैं? ''

'' नहीं नहीं इन्हें पैल्पस कहते हैं। वूल्फी इन्हें
भोजन पकड़ने के काम लाती है। ''
'' यानी मकड़ियों के आठ पैर होते हैं हैरी ने
कहा।
'' बिल्कुल ठीक मिस रोज ने कहा- '' और
कीड़ों के केवल छह पैर होते हैं। ''

'' क्या कीड़ों और मकड़ियों के बीच यही एक अंतर होता
है?'' जॉर्ज ने कहा- '' उनके पैरों की संख्या में अंतर। ''
'' इसके अलावा भी कुछ अंतर होते हैं। जरा वूल्फी को ध्यान
से देखो। उसके शरीर के कितने भाग हैं?''
'' उसके आगे एक सिर है हैरी ने कहा।
'' और बाकी हिस्सा शरीर है जॉर्ज ने उसमें जोड़ा।
'' अब जरा कीड़े ( बीटिल को देखो मिस रोज ने कहा-
'' उसके कितने हिस्से हैं?''
कीड़ा मिस रोज की हथेली पर जोर से हिलने लगा।
'' उसका एक सिर है परंतु उसके शरीर के दो भाग हैं जॉर्ज
ने कहा।
'' इसका मतलब कुल मिलाकर उसके तीन भाग हैं हैरी ने
कहा।

'' उसके सिर पर तंतु भी हैं जॉर्ज ने कहा- '' वूल्फी के सिर
पर तंतु नहीं हैं। ''
'' बिल्कुल ठीक फरमाया मिस रोज ने कहा।
'' पर यह कोई बहुत बड़ा अंतर नहीं है हैरी ने कहा-
'' कीड़े और मकड़ी में कई और अंतर भी हैं। ''

मिस रोज ने कीड़े को हल्के से कांच
के मर्तबान में वापस रखा।
'' जरा दुबारा ध्यान से देखो मिस
रोज ने कहा।
फिर उन्होंने तार की जाली से मर्तबान
को ढंक दिया।

'' हमने कीडे और वूल्फी के
मर्तबानों को जाली से क्यों ढका?''
मिस रोज ने पूछा।
'' जिससे कि वे सांस ले सके पर
भाग न सकें जॉर्ज ने कहा।
'' वे बाहर कैसे भागेंगे?'' मिस
रोज ने पूछा।
'' जाली के बिना वूल्फी तो झट
से बाहर भाग जाएगी हैरी ने कहा।

'' कीड़ा भी भाग जाएगा जॉर्ज
ने कहा- '' या फिर उड जाएगा। ''
'' बिल्कुल ठीक '' हैरी
चिल्लाया - '' वूल्फी उड़ नहीं
सकती! उसके पंख नहीं हैं। ''
'' बिल्कुल ठीक हैरी मिस
रोज ने कहा - '' मकड़ियों के पंख
नहीं होते परंतु कई कीड़ों के
पंख होते हैं। ''

image

उसके बाद हैरी और जॉर्ज वूल्फी को वापस घर ले गए।
वे हर रोज उसे देखते और पौली द्वारा पकड़ी हुई मक्खियां
खिलाते। एक दिन पौली ने सात मक्खियां पकड़ी, दूसरे दिन
पांच।
परंतु पकड़ी गई मक्खियों की संख्या अभी सौ से बहुत कम
थी। इसलिए पौली ने एक बार फिर हैरी से पूछा, ''क्या मैं अब
वूल्फी को देख सकती हूं? मेरे पास अब सत्ताईस मक्खियां हैं। ''
''नहीं,'' हैरी ने फिर वही टका-सा जवाब दिया।

'' क्यों?'' पौली ने पूछा- '' फिर तुमने वूल्फी को मिस रोज
को क्यों दिखाया? उन्होंने तो एक भी मक्खी नहीं पकड़ी
'' बिलकुल ठीक!'' हैरी ने कहा- '' पर मिस रोज मकड़ियों
के बारे में बहुत कुछ जानती हैं! वे एक विशेषज्ञ हैं। फिर वे
तुम्हारी तरह मुझे परेशान भी नहीं करती हैं!''
'' मैं तुम्हें कब परेशान करती हूं पौली ने पूछा।
'' हां तुम करती हो हैरी चिल्लाया- '' अब मेरा पीछा छोड़ो
और भागो। ''
पौली ने उस दिन वूल्फी के लिए और
मक्खियां नहीं पकडीं।

image

जब पौली रात को सोने गई वह तब भी हरी पर गुस्सा थी।
इंकी उसके पलंग पर कूदी।
'' हैरी बहुत खराब है पौली ने इंकी से शिकायत की।
'' उसकी बूढ़ी मकड़ी को भला कौन देखेगा?'' उसने कहा।
आधी रात को पौली नींद से उठी।
उसे कितनी और मक्खियां पकड़नी होंगी इससे पहले कि
हैरी उसे वूल्फी को देखने देगा? इस बीच उसकी बिल्ली इंकी
की भी आँख खुल गई।

पौली पलंग से उतरी और उसने अपनी टार्च उठाई।
इंकी भी उसके पीछे-पीछे चली।
वे कमरे से बाहर गए सीढ़ियों से नीचे उतरे
और फिर पिछले दरवाजे से बाहर निकले।
वे धीमे- धीमे बढ़ते हुए बाग के उस कोने में पहुंचे
जहां उनके कुत्ते बिफी का घर था।
वहां पौली ने अपनी टार्च जलाई।
उसने अंदर जाकर टार्च वूल्फी के डिब्बे पर चमकाई।
'' हैलो वूल्फी उसने प्यार से कहा।

तभी हैरी की आँख भी खुल गई।
चांद की परछाइयां उसके कमरे में पड़ रही थीं।
वे परछाइयां किसी लंबे पैरों वाले जानवर की दिख रही थीं।
वह अपने पलंग से उठा और अपनी टार्च ढूंढने लगा।
फिर उसने एक गिलास लिया और सीढ़ियों से नीचे उतरा।
पिछले दरवाजे को खोलते वक्त कुछ खड़खड़ाने की आवाज
हुई।
हैरी को डर लगा कि कहीं उसके मां-बाप न उठ जाएं।

पौली को हैरी के कदमों की आवाज सुनाई दी।
उसने अपनी टार्च बुझा दी और इंकी को कसकर पकड़
लिया।
चांदनी रात में हैरी को हर चीज कुछ अलग नजर आ रही
थी।
घर बहुत बड़ा लग रहा था और पेड़ देखने में विशाल राक्षसों
जैसे लग रहे थे।

image

कुत्ते के घर की ओर अंधेरा और सन्नाटा था।
हैरी कुत्ते के घर में घुसने के लिए घुटनों के बल झुका।
उसने घर के दरवाजे पर टार्च की रोशनी चमकाई।
वहां दो पीली आंखों ने उसकी ओर पूरा।
हैरी को मैग्नीफाइंग ग्लास के नीचे वूल्फी की बड़ी आंखों
की झलक अभी भी याद थी।
डर के मारे हैरी की सांस बंद हो गई।

तभी हैरी को एक आवाज सुनाई दी।
आवाज किसी के हंसने की थी।
'' वूल्फी! हैरी चिल्लाया।
पौली हंसने लगी।
'' पौली!'' हैरी चिल्लाया '' तुम बदमाश!''
'' क्या मैंने तुम्हें डराया?'' पौली ने पूछा
क्या।
'' नहीं!'' हैरी ने जवाब दिया।

'' देखो पौली कहा - '' यहां
अंधेरा है अच्छाई
बहुत गहरा।
इसी में है कि हम घर वापस
चलें। ''

अगले दिन पौली ने हैरी से दुबारा पूछा,
'' आज मैं वूल्फी को देख सकती हूं? ''
क्या
तुम उसे पहले ही देख चुकी हो! '' हैरी
के कहा, '' अच्छा जाओ, उसे देख आओ। ''
नाश्ता करने के बाद वे पौली की मक्खियों
वाली बोतल लेकर कुत्ते के घर की ओर गए।

'' तुम पहले जाओ हैरी ने कहा।
पौली घर के संकरे दरवाजे में घुसी।
'' हलो वूल्फी”  पौली ने कहा।
हैरी उसके बाद अंदर घुसा।
वूल्फी अपने डिब्बे के अंदर पत्तियों के बीच थी।
image
'' वूल्फी तो बहुत सुंदर है,'' पौली ने
कहा।
'' वह तो है,'' हैरी ने उत्तर दिया।
फिर उसने पौली को मक्खियों की बोतल
थमाई।
'' चलो,'' उसने कहा, '' आज तुम ही वूल्फी
को मक्खियां खिलाओ। '' ०

(अनुमति से साभार प्रकाशित)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: चित्रमय बाल कहानी - वूल्फी
चित्रमय बाल कहानी - वूल्फी
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgEJU2mX6NQpSLQ9aMJLCVziGwpt_YQI2hFdZDhwpqHbPqGj1P5bqyBZV5QAFP-VhXm5lOC9Nx03V0nIhQQ10eIvaNYz5QndcMeCMTSjpFPDJxoVutFOfBorzNUQykT1BjqYwP7/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgEJU2mX6NQpSLQ9aMJLCVziGwpt_YQI2hFdZDhwpqHbPqGj1P5bqyBZV5QAFP-VhXm5lOC9Nx03V0nIhQQ10eIvaNYz5QndcMeCMTSjpFPDJxoVutFOfBorzNUQykT1BjqYwP7/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/04/blog-post_3.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/04/blog-post_3.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content