पूछते हैँ कब तक हम संसार को अभारतीय इंग्लिश कोशोँ के ज़रिए देखते रहेंगे? - मीता लाल आ ज हर ओर पचासी-वर्षीय अरविंद कुमार के नवीनतम द्विभाषी...
पूछते हैँ कब तक हम संसार को अभारतीय इंग्लिश कोशोँ के ज़रिए देखते रहेंगे?
- मीता लाल
आज हर ओर पचासी-वर्षीय अरविंद कुमार के नवीनतम द्विभाषी कोश अरविंद वर्ड पावर – इंग्लिश-हिंदी (1360 पेज - मूल्य 595.00 - प्रकाशक: अरविंद लिंग्विस्टिक्स प्रा लि, ई-28 प्रथम तल कालिंदी कालोनी, नई दिल्ली – 110065. फ़ोन: 09810016568) की धूम मची है। अशोक वाजपेयी जैसे मनीषी इस के प्रकाशन को एतिहासिक घटना घोषित करते हुए लिख रहे हैँ – ‘हिंदी समाज को अरविंद कुमार का कृतज्ञ होना चाहिए कि उन्होँने ऐसा अद्भुत कोश बनाया।’
ऐसे मेँ मन मेँ सवाल उठता है - वह क्या है जो किसी को एक सपना पूरा करने के लिए अडिग आत्मसमर्पण से अड़तीस साल तक करते रहने और नए नए से नए रूप देते रहने में लगे रहने को बाध्य करता रह सकता है? जुनून? पागलपन? या यह विश्वास कि वह करने के लिए उसे ही चुना गया है, कि उस का जन्म इसी काम के लिए हुआ है? मुझे लगता है कि इन सभी ने मिल कर लेखक-पत्रकार-समीक्षक अरविंद कुमार को दस लाख से भी ज़्यादा इंग्लिश-हिंदी अभिव्यक्तियोँ का संसार का विशालतम डाटाबेस अरविंद लैक्सिकन बनाने मेँ जुटाए रखा, एक ऐसा अनोखा डाटा जो अपनेआप मेँ थिसारस भी है, शब्दकोश भी और मिनी ऐनसाइक्लोपीडिया भी।
इस डाटाबेस से सन 1996 मेँ संसार को मिला समांतर कोश - अरविंद की बीस साल की अनथक अनवरत खोज और अप्रतिम कल्पनाशीलता से - सभी भारतीय भाषाओँ मेँ सब से पहला आधुनिक हिंदी थिसारस। वह कोश जिस ने समसामयिक हिंदी जगत को थिसारस की परिकल्पना से परिचित कराया, जिस ने देश तथा विश्व की कोशकारिता मेँ रातोरात महान क्रांति कर दी, जिस ने संस्कृत भाषा के अपेक्षाकृत छोटे निघंटु और अमरकोश वाली प्राचीन भारतीय कोश परंपरा को आगे बढ़ाया। ऐसे अरविंद कुमार को लोग भारत का पीटर मार्क रोजेट कहेँ तो अचरज नहीँ होता. कुछ लोग उन्हेँ वैदिक शब्दोँ के संकलन निघंटु की रचना करने वाले प्रजापति कश्यप का अभिनव अवतार तक कह डालते हैँ।
स्वतंत्रता के स्वर्ण जयंती वर्ष मेँ प्रकाशित समांतर कोश – हिंदी थिसारस की पहली प्रति 13 दिसंबर 1996 के पूर्वाह्न में अरविंद कुमार दंपती ने तत्कालीन राष्ट्रपति डा. शंकरदयाल को समर्पित की। इस नई तरह के कोश को तत्काल सफलता, अपार प्रशंसा और हार्दिक स्वीकृति मिलीँ। प्रसिद्ध लेखक ख़ुशवंत सिंह ने लिखा – “इस ने हिंदी की एक भारी कमी को पूरा किया है और हिंदी को इंग्लिश भाषा के समकक्ष खड़ा कर दिया है।”
ग्यारह और साल की मेहनत के बाद, 2007 मेँ, अरविंद ने हमेँ दिया तीन खंडोँ मेँ 3000+ पेजोँ वाला द पेंगुइन इंग्लिश-हिंदी/हिंदी-इंग्लिश थिसारस ऐंड डिक्शनरी - The Penguin English-Hindi/Hindi-English Thesaurus and Dictionary। संसार का यह विशालतम द्विभाषी थिसारस तमाम विषयोँ के पर्यायवाची और विपर्यायवाची शब्दोँ का महाभंडार है। संदर्भ क्रम से आयोजित इस कोश मेँ पहली बार संबद्ध और विपरीत शब्दकोटियोँ के क्रासरैफ़रैंस भी शामिल किए गए। और फिर छः साल बाद 2013 मेँ अरविंद ने प्रदान किया समांतर कोश का परिवर्धित और परिष्कृत संस्करण – बृहत् समांतर कोश।
अरविंद कुमार के दो अन्य प्रशंसनीय और प्रख्यात कोश हैँ – अरविंद सहज समांतर कोश (किसी भी भारतीय भाषा मेँ कोशक्रम से आयोजित एकमात्र थिसारस) और शब्देश्वरी (भारतीय मिथक पात्रोँ का संसार की किसी भी भाषा मेँ एकमात्र संकलन)।
ऊपरोक्त सभी कोशोँ का स्रोत है – अरविंद का 10,12,754 अभिव्यक्तियोँ वाला डाटाबेस अरविंद लैक्सिकन (www.arvindlexicon.com)। यह अपनी तरह का अकेला भाषाई संसाधन है। इसे इस तरह बनाया गया है कि अकेले भारत की ही नहीँ, संसार की सभी भाषाओँ को इस मेँ समाया जा सकता है। इस की सहायता से भारत को सभी देशी विदेशी भाषाओँ से जोड़ने के सेतु निर्मित किए जा सकते हैँ।
अरविंद कुमार की कहानी परीकथाओँ जैसी विचित्र या अविश्सनीय सी लगती है। बहुत पहले 1945 मेँ पंदरह साल का एक लड़का बालश्रमिक के तौर पर छापेख़ाने की सब से निचली पायदान पर दाख़िल हुआ। उस की तमाम उच्च शिक्षा सायंकालीन कक्षाओँ मेँ हुई। वह कविताएँ लिखता था, लेख और निबंध लिखता था। उस ने नाटक लिखे, पत्रकार रहा (संपादक: सर्वोत्तम रीडर्स डाइजेस्ट 1980-85, माधुरी (टाइम्स आफ़ इंडिया समूह 1963-1978, एग्ज़क्टिव संपादक: सरिता (हिंदी), सरिता (उर्दू), मुक्ता (हिंदी), कैरेवान Caravan (इंग्लिश) (दिल्ली प्रैस ग्रुप))। अपनी महत्वाकांक्षा अरविंद लैक्सिकन की रचना पूरा करने के लिए वह माधुरी का संपादक पद त्याग आया। उल्लेखनीय है कि अपना सपना पूरा करने के लिए अरविंद को न किसी संस्थान से न किसी सेठ से किसी प्रकार की सहायता प्राप्त नहीँ थी। जैसे तैसे जीवनयापन करते वह बच्चोँ को पढ़ाता रहा, अपनी साधना मेँ जुटा रहा।
अरविंद कुमार को मिले कुछ सम्मान हैँ – शलाका सम्मान (हिंदी अकादेमी, दिल्ली), सुब्रह्मण्य भारती अवार्ड (केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा), अखिल भारती हिंदी सेवा पुरस्कार (महाराष्ट्र राज्य हिंदी अकादेमी) और डा. हरदेव बाहरी सम्मान (हिंदी साहित्य सम्मेलन)।
अब अरविंद ने देश को दिया है अपना नवीनतम उपहार अरविंद वर्ड पावर: इंग्लिश-हिंदी (Arvind Word Power: English-Hindi) - उपयोक्ताओँ की शब्दशक्ति कई गुना बढ़ाने वाला सशक्त कोश और थिसारस। इस का आयोजन सब के सुपरिचित कोशक्रम से किया गया है। ऊपर नीचे पैराग्राफ़ोँ मेँ शब्दोँ के इंग्लिश और हिंदी पर्याय तो यह परोसता ही है, सदृश और विपरीत धारणाओँ की जानकारी दे कर उन तक जाने की प्रेरणा भी देता है। अरविंद वर्ड पावर: इंग्लिश-हिंदी का संयोजन भारतीय पाठकोँ की आवश्यकताएँ पूरी करने के लिए विशेषतः किया गया है। यह एकमात्र भारत-केंद्रित इंग्लिश-हिंदी कोश है। हमारे रीतिरिवाजोँ, प्रथाओँ, परंपराओँ, विचारधाराओँ, दर्शनोँ, सिद्धांतोँ, मिथकोँ, मान्यताओँ, संस्कृति का दर्पण है।
संक्षेप मेँ कहेँ तो भारत और भारतीय समाज, थाती, विरासत को इस हद तक समाने वाला कोई और इंग्लिश-हिंदी कोश एकमात्र कोश है अरविंद वर्ड पावर: इंग्लिश-हिंदी।
आज पचासी वर्ष की परिपक्व उम्र मेँ अरविंद कह रहे हैँ - आज भारत की हर भाषा को संसार की हर भाषा से अपना सीधा संबंध बनाना चाहिए। आखिर कब तक हम संसार को अभारतीय इंग्लिश कोशोँ के ज़रिए देखते रहेंगे? और कब तक संसार हमें इन अभारतीय कोशोँ के ज़रिए देखता रहेगा? क्योँ नहीँ हम स्वय़ं अपने अरबी-हिंदी और हिंदी-अरबी कोश बनाते? या हिंदी-जापानी और जापानी-हिंदी कोश?
अरविंद लैक्सिकन के माध्यम से अब यह पूरी तरह संभव है। हमारे विशाल शब्दभंडार मेँ एक एक कर के दूसरी भाषाओं के शब्द डालकर, वांछित भाषाओँ के द्विभाषी या त्रिभाषी कोश तत्काल बन सकते हैं। समय आ गया है कि हम अपने दूरगामी राष्ट्रीय हितोँ के लिए संसार की भाषाओँ तक अपने भाषा-सेतु बनाएँ।
***
अरविंद कुमार से संपर्क सूत्र--
अरविंद लिंग्विस्टिक्स प्रा. लि., ई-28, प्रथम तल, कालिंदी कालोनी, नई दिल्ली - 110065
टेलिफ़ोन नंबर-- 0120 4110655 - +91 9716116106 - +91 9810016568
Email -- arvind@arvindlexixon.com; samantarkosh@gmail.com;
Arvind Word Power: English-Hindi 15% की छूट पर (रु 505+ डाकव्यय) मँगाने के लिए
Email -- lallmeeta@gmail.com; sales@arvindlexicon.com
COMMENTS