'मीडिया हूं मैं' की तरह 'क्लास रिपोर्टर' में भी मीडिया से जुड़े वर्षों का अनुभव सहेजने की कोशिश की गयी है : ममता कालिया, प्...
'मीडिया हूं मैं' की तरह 'क्लास रिपोर्टर' में भी मीडिया से जुड़े वर्षों का अनुभव सहेजने की कोशिश की गयी है : ममता कालिया, प्रसिद्ध कथाकार
'मीडिया हूं मैं' पुस्तक में कई ऐसी जानकारियां हैं कि पढ़ते हुए, जिनसे मैं भी पहली बार परिचित हो सका : रवींद्र कालिया, प्रसिद्ध साहित्यकार
'क्लास रिपोर्टर' अकादमिक आख्यान भर नहीं, सीधे मैदान में उतरने के औजार भी उपलब्ध कराती है : प्रो.संजय द्विवेदी, विभागाध्यक्ष, माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय, भोपाल ।
'क्लास रिपोर्टर' अध्ययन एवं अध्यापन की दृष्टि से पत्रकारिता का एक आधारभूत ग्रंथ है : प्रो. संजीव भानावत, अध्यक्ष जनसंचार केंद्र, राजस्थान विश्वविद्यालय ।
बीस से अधिक अध्यायों में अंतर्विभाजित 'क्लास रिपोर्टर' से छात्रों, अध्येताओं, पत्रकारों का अवश्य पथ-प्रदर्शन होगा : प्रो.राकेश प्रवीर, पत्रकारिता विभाग, पटना विश्वविद्यालय ।
'क्लास रिपोर्टर' छात्रों, शोधार्थियों एवं नये पत्रकारों के लिए क्यों आवश्यक है, इसके अध्ययन से पता चलता है : प्रो.ज्ञान प्रकाश पाण्डेय, जनसंचार विभागाध्यक्ष, असम विश्वविद्यालय ।
मीडिया में अपना भविष्य देख रहे छात्रों के लिए ‘क्लास रिपोर्टर’ और ‘मीडिया हूं मैं’ महत्वपूर्ण पुस्तकें हैं: प्रो.जगदीश उपासने, निदेशक माखनलाल चतुर्वेदी वि.वि., नोएडा ।
‘मीडिया हूं मैं’ पुस्तक में सच्चाइयों पर दुस्साहसिक तरीके से कलम चलाने का जोखिम उठाया गया है। ‘क्लास रिपोर्टर’ छात्रों के काम की किताब है : संजीव,प्रसिद्ध हिंदी कथाकार।
‘मीडिया हूं मैं’ मुद्दत बाद कोई ऐसी किताब पढ़ने को मिली है, जिसमें पत्रकारिता, राज्य, बाजार के रहस्यों को बेबाकी से खोला गया है : अरविंद कुमार सिंह, प्रसिद्ध पत्रकार ।
किताब में 'रिपोर्टिंग की क्लास' : लोकेन्द्र सिंह
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पत्रकारिता पर यूं तो बहुत किताबें उपलब्ध हैं। पत्रकारिता के सबसे महत्वपूर्ण आयाम रिपोर्टिंग के संबंध में भी समय-समय पर अनेक किताबें आती रही हैं। इन सब किताबों के बीच 'क्लास रिपोर्टर' कुछ खास है। उसके खास होने की वजह पत्रकार जयप्रकाश त्रिपाठी का लम्बा अनुभव है, जिसे उन्होंने किताब के रूप में समाज के सम्मुख प्रस्तुत किया है। लेखक श्री त्रिपाठी करीब 32 वर्षों तक पत्रकारिता में सक्रिय रहे हैं। लम्बे समय तक विभिन्न शिक्षण संस्थानों में मीडिया अध्यापन से भी जुड़े रहे। पत्रकारिता के विद्यार्थी को क्लास रूम में पढ़ाने के दौरान ही उन्होंने रिपोर्टिंग पर एक मुक्कमल किताब 'क्लास रिपोर्टिंग' लिखने की योजना संभवत: बना ली थी। पुस्तक में बाईस अध्याय हैं। इन अध्यायों में रिपोर्टिंग के विभिन्न पक्षों पर गहराई से चर्चा की गई है। पुस्तक ऐसी बन गई है कि यह न केवल पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है बल्कि नये रिपोर्टर के लिए भी उतनी ही पठनीय है।
पुस्तक के बैक कवर पर मीडिया गुरु संजय द्विवेदी की टिप्पणी पर जरा गौर करें, वे लिखते हैं-'सूचना की बहुतायत के बीच खबरें चुनना और उन्हें अपने लक्ष्य समूह के लिए प्रस्तुत करना साधारण कला नहीं है।' श्री द्विवेदी का यह कथन बहुत ही गहराई लिए हुए है। उनका कथन यह बताने में समर्थ है कि पत्रकारिता का बुनियादी कर्म रिपोर्टिंग कितना महत्वपूर्ण है। समाचार पत्र-पत्रिका, न्यूज चैनल्स, रेडियो या फिर वेबसाइट पर हम जो खबर पढ़-देख-सुन रहे हैं, उसके पीछे रिपोर्टर की अहम भूमिका है। जो खबरें हम तक आ रही हैं, उसके पीछे सर्वाधिक मेहनत रिपोर्टर की है। उसकी सूझ-बूझ से बड़ी-बड़ी खबरें दुनिया के सामने आती हैं। रिपोर्टर अपना काम न करें तो अखबार के पन्ने भरना मुश्किल हो जाएगा। पत्रकारिता में रिपोर्टिंग इतनी अहम है। इसलिए रिपोर्टिंग के विभिन्न आयामों पर चर्चा करती और सही मायने में पुस्तक के विभिन्न पन्नों पर रिपोर्टिंग सीखती 'क्लास रिपोर्टर' एक महत्वपूर्ण पुस्तक बन जाती है। अमूमन पत्रकारिता के किसी एक आयाम पर केन्द्रित पुस्तक में पुरातन पाठ्य सामग्री और पुरानी परिभाषाओं की भरमार होती है। लेकिन, श्री त्रिपाठी ने 'क्लास रिपोर्टर' में पुराने विद्वानों के साथ-साथ पत्रकारिता को नजदीक से देख रहे आज के मीडियाकर्मियों, मीडिया शिक्षकों और विद्वानों की टिप्पणियों को उचित स्थान दिया है। भारत में पत्रकारिता के पुरोधाओं ने जो सिद्धांत दिए, वे आज भी प्रासंगिक हैं, इस बात में कोई शंका नहीं है। उनका दिखाया हुआ रास्ता आज भी सही है। पत्रकारिता के मूल्य वे ही हैं, जो उन्होंने तय किए थे। लेकिन, समय तो बदला है। तकनीक बहुत तेजी से बदली है और नित्य बदल रही है। पत्रकारिता के तरीके भी बदले हैं। कलम और कागज की जगह की-बोर्ड और कम्प्यूटर स्क्रीन ने ले ली है। इस तकनीक का असर रिपोर्टिंग पर भी पड़ा है। ऐसे समय में आज के विद्वानों के विचारों को पुस्तक में शामिल कर लेखक ने रिपोर्टिंग को नजदीक से समझने का मौका पाठकों को उपलब्ध कराया है। तकनीक के दौर में रिपोर्टर को किस तरह सजग रहना चाहिए, यह पुस्तक में बताया गया है। किस तरह कोई एक बेहतर रिपोर्टर बन सकता है? बिजनेस, अपराध, सोशल, खेल, कृषि, ग्रामीण, विज्ञान, राजनीति, संसद और विकास से जुड़े मुद्दों के कवरेज पर व्यापक जानकारी पुस्तक में दी गई है। रिपोर्टिंग के पहले पाठ से लेकर रिपोर्टिंग की पढ़ाई और करियर तक 'क्लास रिपोर्टर' में सब समाहित है। सही मायने में यह पुस्तक किसी भी मीडिया विद्यार्थी को न केवल रिपोर्टिंग के सिद्धांतों, रिपोर्टिंग के विविध आयामों, रिपोर्टिंग के महत्व से परिचत करती है बल्कि उसे एक उम्दा रिपोर्टर भी बनाती है।
'क्लास रिपोर्टर' में रिपोर्टिंग की भाषा और वर्तनी पर गंभीर सामग्री दी गई है। लेखक जयप्रकाश त्रिपाठी रिपोर्टिंग में सरल और सहज भाषा की बात तो करते हैं लेकिन शब्दों के सही प्रयोग के भी हामी हैं। कुछ स्वयंभू सम्पादक जब सरलीकरण के नाम पर हिन्दी के सौन्दर्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं तब कोई किताब हिन्दी के सही शब्दों के उपयोग पर जोर डालती है। यह एक उम्मीद भी जगाती है कि इस किताब को पढ़कर पत्रकारिता के क्षेत्र में आने वाले नए नौजवान हिन्दी का सौन्दर्य बचाएंगे। वर्ष 1984 से आज, अमर उजाला, दैनिक जागरण सहित अन्य समाचार पत्रों में करीब तीन दशक तक पत्रकारिता कर चुके लेखक जयप्रकाश त्रिपाठी की पुस्तक 'क्लास रिपोर्टर' पत्रकारिता की रिपोर्टिंग विधा पर एक बेहतरीन किताब है। निश्चित ही यह पुस्तक पत्रकारिता के विद्यार्थियों और पत्रकारिता से जुड़े विद्वानों का ध्यान खींचने में समर्थ रहेगी। खासकर पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए तो यह पुस्तक बहुत महत्वपूर्ण साबित होगी। पुस्तक के अंतिम पाठ 'रिपोर्टिंग की पढ़ाई और करियर' में पत्रकारिता के विभिन्न पाठ्यक्रमों की जानकारी दी गई है। ये पाठ्यक्रम कहां से किए जा सकते हैं, यह भी बताया गया है। पत्रकारिता की पढ़ाई कराने वाले कई संस्थान प्रवेश से पहले परीक्षा का आयोजन करते हैं। भारतीय जनसंचार संस्थान नई दिल्ली और माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल सहित अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों की प्रवेश परीक्षा में शामिल होने के लिए किस तरह की तैयारी लगती है, अंतिम अध्याय में मीडिया शिक्षिका डॉ. वर्तिका नंदा ने संक्षिप्त में बताया है। पुस्तक की भाषा सहज और सरल है। 208 पृष्ठों और 22 अध्यायों में विस्तारित पाठ्य सामग्री गंभीर है।
(समीक्षक लोकेन्द्र सिंह लम्बे समय तक पत्रकारिता से जुड़े रहे हैं। वर्तमान में वे माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में कार्यरत हैं।)
पुस्तक : क्लास रिपोर्टर
लेखक : जयप्रकाश त्रिपाठी, फोन : 8009831375
प्रकाशक : अमन प्रकाशन, 104 ए/80 सी रामबाग, कानपुर-208012, फोन : 0412- 2543480, मोबाइल : 09839218516.
मूल्य : 400 रुपये
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