रमेशकुमार सिंह चैहान का आलेख - ‘‘साहित्य में क्षेत्रीय बोलियों का योगदान‘‘

SHARE:

                            -आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार -‘साहित्य जनता की चित्त-वृत्ति का संचित प्रतिबिम्ब अर्थात समाज का दर्पण है।‘  ज...

image
                            -आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार -‘साहित्य जनता की चित्त-वृत्ति का संचित प्रतिबिम्ब अर्थात समाज का दर्पण है।‘  जब साहित्य समाज का दर्पण है, तो समाज के सभी आयामों का प्रतिबिम्ब दर्पण में अंकित होंगी ही। जब हम भारतीय समाज के संदर्भ में अध्ययन करते हैं, तो भारतीय विविधता स्वाभाविक रूप से परिलक्षित होने लगते हैं। इन्हीं विविधता में भाषायिक विविधता सम्मिलित है। भाषायी विविधता के संदर्भ में कहा गया है -‘‘‘चार कोस पर पानी बदले आठ कोस पर बानी‘‘ एवं इसी संदर्भ में कबीरदास की प्रसिद्ध पंक्ति है - ‘‘संस्किरित है कूप जल, भाखा बहता नीर।‘‘ इससे अनुमान लगाया जा सकता है हमारे देश में कितनी बोलियां बोली जाती हैं।  जिनका दर्पण रूपी साहित्य में प्रतिबिम्ब अंकित होना अवश्यंभावी है। किन्तु आचार्य संजीव ‘सलील‘ मानते है -‘‘साहित्य जड़वत दर्पण नही है अपितु यह सजीव प्रतिक्रियात्मक है जो समाज को सचेत भी करता है।‘  साहित्य के प्रतिक्रियात्मक चेतना के बल पर बोली सवंर्धित-प्रवर्धित होकर साहित्य में स्थान बनाती है। साहित्य किसी भाषा के लैखिक एवं मौखिक स्वरूप का सम्मिश्रण होता है। मौखिक रूप से बोली जाने वाली भाषा लोगों के मौलिक मातृबोली से प्रभावित होती है। अतः स्पष्ट है कि-साहित्य को संपन्न बनाने में इन बोलियों की विशेष भूमिका होती है


जब  हम हिन्दी साहित्य में क्षेत्रीय बोलियों के योगदान पर ध्यान केंद्रित करते हैं तो हमें भाषा के विकास क्रम पर चिंतन करना चाहिये। हिन्दी का विकास क्रम-संस्कृत→ पालि→ प्राकृत→ अपभ्रंश→ अवहट्ट→ प्राचीन प्रारम्भिक हिन्दी मानी जाती है।  अपभ्रंश से हिन्दी उदगम पथ पर क्षेत्र विशेष के प्रभाव से विभिन्न शैलियों का जन्म हुआ विस्तृत क्षेत्र में जिस शैली का विकास हुआ उसे हिन्दी एवं सीमित क्षेत्र में विकसित शैलियों को बोलियां कहा गया। अपने रहन-सहन, प्राकृतिक वातावरण के अनुरूप विभिन्न भाषा-बोली का विकास हुआ है।


हिन्दी साहित्य का विकास आठवीं शताब्दी से माना जाता है। हालांकि इसकी जड़े प्राचाीन भारत के प्राचीन ‘संस्कृत‘ भाषा में तलाशी जा सकती है।  किंतु हिन्दी साहित्य की जड़े मध्ययुगीन भारत के छोटे-छोटे क्षेत्रों में बोली जाने वाली बोलियों में पाई जाती हैं। मध्यकाल में ही हिन्दी का स्वरूप स्पष्ट हुआ तथा उसकी प्रमुख बोलियाँ विकसित हुई।   हिन्दी के मुख्य दो भेद पूर्वी हिन्दी एवं पश्चिमी हिन्दी स्वीकार किये गये हैं। पूर्वी हिन्दी के अंतर्गत अर्धमागधी प्राकृत स्वभाव के अवधी, बघेली और छत्तीसगढ़ी को रखा गया है। पश्चिमी हिन्दी के अंतर्गत पांच बोलियां -खड़ी बोली, बांगरू, ब्रज, कन्नौजी, और बुंदेली स्वीकार किये गये हैं। इनके अतिरिक्त बिहारी, राजस्थानी एवं पहाड़ी हिन्द प्रदेश की उपभाषएं (बोलियां) स्वीकार की गई हैं। गैर हिन्दी भाषीय क्षेत्र में बोली जानी वाली हिन्दी बोली में - बम्बईया हिन्दी, कलकतिया हिन्दी एवं दक्खिनी हिन्दी भी सम्मिलित है। श्री मधूधवन ने अपनी पुस्तक ‘हिन्दी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास‘ में भूमिका देते हुये स्वीकार करते हैं कि -‘ इन सभी भाषाओं के साहित्य को हिन्दी का साहित्य माना जाता है क्योंकि ये भाषाएँ हिन्दी साहित्य के इतिहास में ‘अपभ्रंश’ काल से उन समस्त रचनाओं का अध्ययन किया जाता है उपर्युक्त उपभाषाओं में से भी लिखी हो।‘‘ वास्तव में ‘हिन्दी‘ शब्द भाषा विशेष का वाचक नहीं है, बल्कि यह भाषा समूह का नाम है। हिन्दी जिस भाषा समूह का नाम है, उसमें आज के हिंदी प्रदेश क्षेत्र की 5 उपभाषाएँ तथा 17 बोलियाँ शामिल हैं। वस्तुतः इन बोलियों या उपभाषाओं को हिन्दी भाषा की बोली या उपभाषा मानने के पीछे इन सबकी परस्पर सांस्कृतिक, सामाजिक एवं राजनितिक एकता के साथ-साथ परस्पर बोधगम्यता, षब्द-वर्ग की समानता तथा संरचनात्मक साम्य है।


हिन्दी की विविधता उसकी शक्ति है।  हिन्दी की बोलियां अपने साथ एक बड़ी परंपरा एवं सभ्यता को समेटे हुये हैं।   इनमें से कुछ में अत्यंत उच्च श्रेणी के साहित्य की रचना हुई है।  हिन्दी साहित्य के जिस कालखण्ड़ को ‘स्वर्ण युग‘ की संज्ञा दी गई, उस काल पर दृष्टिपात करने से हम पाते हैं कि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा ‘अवधी‘ में रचित ‘रामचरित मानस‘, सूरदासजी द्वारा ‘ब्रजभाषा‘ में रचित ‘सूरसागर‘ मीरा बाई का राजस्थानी एवं ब्रजभाषा में साहित्यिक उपादान ‘बरसी का मायरा‘ एवं ‘गीत गोंविंद टीका‘, विद्यापति के मैथली की रचनाएं आदि आज हमारी साहित्यिक धरोहर हैं।


विभिन्न बोलियों एवं उपभाषाओं का हिन्दी साहित्य में आदिकाल से आज पर्यंत सतत प्रभाव बना हुआ है -
अवधी- अवधी अपने आदिकाल से ही हिन्दी की प्रमुख उप भाषा के रूप  में रही है।  हिन्दी साहित्य अवधी साहित्य पर निर्भर रहा है। अवधी की पहली कृति मुल्ला दाउद की ‘चंद्रायन‘ या ‘लोरकहा‘ (1370 ई.) मानी जाती है। इसके उपरान्त अवधी भाषा के साहित्य का उत्तरोत्तर विकास होता गया। अवधी को साहित्यिक भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने का श्रेय सूफी -प्रेममार्गी कवियों को है। कुतबन (मृगावती), जायसी (पद्मावत), मंझन (मधुमालती), आलम (माधवानल कामकंदला), उसमान (चित्रावली), नूर मुहम्मद (इन्द्रावती), कासिमशाह (हंस जवाहिर), शेख निसार (यूसुफ जुलेखा), अलीशाह (प्रेम चिंगारी) आदि सूफी कवियों ने अवधी को साहित्यिक गरिमा प्रदान की। बैसवाड़ी अवधी में गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित ‘रामचरित मानस‘ ने हिन्दी साहित्य को नई ऊंचाई पर पहुंचाया। ‘रामचरित मानस‘ के रूप में आज भी हिन्दी साहित्य के रूप में घर-घर स्थापित है।


ब्रजभाषा- हिंदी साहित्य के मध्ययुग में ब्रजभाषा में उच्च कोटि का काव्य निर्मित हुआ। इसलिए इसे बोली न कहकर आदरपूर्वक भाषा कहा गया। मध्यकाल में यह बोली संपूर्ण हिन्दी प्रदेश की साहित्यिक भाषा के रूप में मान्य हो गई थी। पर साहित्यिक ब्रजभाषा में ब्रज के ठेठ शब्दों के साथ अन्य प्रांतों के शब्दों और प्रयोगों को भी ग्रहण किया है। ब्रजभाषा साहित्य का प्राचीनतम उपलब्ध ग्रंथ सुधीर अग्रवाल का ‘प्रद्युम्न चरित‘(1354 ई.) है। भक्तिकाल में कृष्णभक्त कवियों ने अपने साहित्य में ब्रजभाषा का चरम विकास किया। पुष्टि मार्ग-शुद्धाद्वैत सम्प्रदाय के सूरदास (सूरसागर), नंददास, निम्बार्क संप्रदाय के श्री भट्ट, चैतन्य सम्प्रदाय के गदाधर भट्ट, राधावल्लभ सम्प्रदाय के हित हरिवंश एवं सम्प्रदाय निरपेक्ष कवियों में रसखान, मीराबाई आदि प्रमुख कृष्णभक्त कवियों ने ब्रजभाषा के साहित्यिक विकास में अमूल्य योगदान  दिया। इन भक्तों के पद आज भी पूरे हिन्दी भाषी प्रदेशों में प्रचलित हैं।


खड़ी बोली- इसी बोली के आधार पर हिन्दी का आधुनिक रूप  खड़ा हुआ है। प्राचीन हिन्दी काल में रचित खड़ी बोली साहित्य में खड़ी बोली के आरम्भिक प्रयोगों से उसके आदि रूप या बीज रूप का आभास मिलता है। खड़ी बोली का आदिकालीन रूप सरहपा आदि सिद्धों, गोरखनाथ आदि नाथों, अमीर खुसरो जैसे सूफियों, जयदेव, नामदेव, रामानंद आदि संतों की रचनाओं में उपलब्ध है। इन रचनाकारों में हमें अपभ्रंश-अवहट्ट से निकलती हुई खड़ी बोली स्पष्टतः दिखाई देती है। श्रीधर पाठक की प्रसिद्ध रचनाएं एकांत योगी और कश्मीर सुषमा खड़ी बोली की सुप्रसिद्ध रचनाएं हैं। रामनरेश द्विवेदी ने अपने पथिक मिलन और स्वप्न महाकाव्यों में इस बोली का विकास किया। अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध‘ के ‘प्रिय प्रवास‘ को खड़ी बोली का पहला महाकाव्य माना गया है।


दक्खिनी- हिन्दी में गद्य रचना परम्परा की शुरुआत करने का श्रेय दक्कनी हिन्दी के रचनाकारों को ही है। दक्कनी हिन्दी को उत्तर भारत में लाने का श्रेय प्रसिद्ध शायर वली दक्कनी (1688-1741) को है। वह मुगल शासक मुहम्मद शाह ‘रंगीला‘ के शासन काल में दिल्ली पहुँचा और उत्तरी भारत में दक्कनी हिन्दी को लोकप्रिय बनाया। डॉ. कुंज मेत्तर के अनुसार आधुनिक खड़ीबोली हिन्दी का विकास दक्षिण के हिन्दीतर क्षेत्रों में हुआ वे लिखते हैं -‘‘हिन्दी का जो रूप हमारे सामने है उसका पूववर्ती रूप दक्षिण में विकसित हुआ। खड़ी बोली के दक्षिण में व्यवहृत पुराने स्वरूप  को देखकर हम यह विश्वास करने को बाध्य हो जाते है कि भाषा की दृष्टि से आधुनिकता के तत्व आरंभकालिन दक्खिनी में अभिव्यक्त हुये थे।‘‘


छत्तीसगढी- छत्तीसगढी के प्रांरभिक लिखित रूप के बारे में कहा जाता है कि वह 1703 ईस्वी के दंतेवाडा के दंतेश्वरी मंदिर के मैथिल पंडित भगवान मिश्र द्वारा शिलालेख में है।  कबीर दास के शिष्य और उनके समकालीन (संवत 1520) धनी धर्मदास को छत्तीसगढ़ी के आदि कवि का दर्जा प्राप्त है, जिनके पदों को आज भी कबीर अनुनायियों द्वारा गाया एवं पढ़ा जाता है। हिन्दी साहित्य में माधवराव सप्रे के जिस कहानी ‘टोकरी भर मिट्टी‘ को प्रथम सुगठित कहानी होने को श्रेय प्राप्त है, उसकी पृश्ठ भूमि छत्तीसगढ़ी लोकगाथा में अवलंबित है। पं. सुन्दरलाल शर्मा, लोचन प्रसाद पांडेय, मुकुटधर पांडेय, नरसिंह दास वैष्णव, बंशीधर पांडेय, शुकलाल पांडेय, कुंजबिहारी चैबे, गिरिवरदास वैष्णव ने राष्ट्रीय आन्दोलन के दौर में अपनी रचनाओं द्वारा छत्तीसगढ़ी के उत्कर्ष को नया आयाम दिया।


बुंदेली -हिंदी साहित्य के विकास और समृद्धि में लोक भाषा बुंदेली का महत्वपूर्ण योगदान है। इसे किसी भी दृष्टिकोण से कम नहीं आंका जा सकता है। इसका विकास रासो काव्य धारा के माध्यम से हुआ। जगनिक आल्हाखंड तथा परमाल रासो प्रौढ़ भाषा की रचनाएं हैं। बुंदेली के आदि कवि के रुप में प्राप्त सामग्री के आधार पर जगनिक एवं विष्णुदास सर्वमान्य हैं, जो बुंदेली की समस्त विशेषताओं से मंडित हैं।


भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय सभी प्रदेश अंचल राष्ट्रीयता से ओतप्रोत हुये, जिससे सभी बोलियों में राश्ट्रीयता का नाद गुंजा जिससे हिन्दी साहित्य आज भी गुजिंत है।  स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व मौखिक रूप से हिन्दी-उर्दू-क्षेत्रीय बोलियों से मिश्रित हिन्दी का उपयोग किया गया जिसे हिन्दूस्तानी के नाम से गांधी आदि नेताओं द्वारा अभिहित किया जाता था। हिन्दी, हिन्दुस्तानी भाषा के नाम से आजादी के लड़ाई का मुख्य हथियार रहा। डॉ. श्रीलाल शुक्ल ‘‘आजादी के बाद हिन्दी‘‘ में लिखते हैं -‘‘हिन्दी स्वतंत्रता आंदोलन की भाषा थी। बीसवी षताब्दी के प्रारंभ में अनेक लोगो ने बचपना में हिन्दी केवल इसीलिये सीखे ताकि वह स्वतंत्रता आंदोलन में भाग ले सके।‘‘  मैथिलीशरण गुप्त ने खड़ी बोली में अनेक काव्या की रचना की। उनकी ‘भारत भारती‘ में स्वाधीनता आंदोलन की ललकार है। राष्ट्रीय प्रेम उनकी कविताओं का प्रमुख स्वर है। सभी बोलियों में आजादी का उदघोश है। ‘कोदूराम दलित‘ छत्तीसगढ़ी में कहते हैं -


अपन देश आजाद करे बर, चलो जेल संगवारी,
कतको झिन मन चल देइन, आइस अब हमरो बारी।

 

हरिश्चंद्र पांडेय ‘सरल‘ अवधी में कहते हैं-

मनई बन मनई का प्यार दे,
भेद जाति धर्म कै बिसार दे,
गंगा कै नीर गुन गाये
देसवा कै पीर गुन गाये।

 

    आदिकाल से आज पर्यंत साहित्य पर बोलियों का प्रभाव बना हुआ है भक्तिकाल भक्तिपरक तो स्वतंत्रता आंदोलन में आजादी के गीत तदुपरांत समाज के विभिन्न कुरीतियों पर कटाक्ष लोकजागरण के स्वर लोकभाषा से साहित्य तक संचरित हुये हैं।  आजादी के पश्चात प्रचार-तंत्र टी.वी. मीडि़या, रेडि़यो, समचार-पत्र, पत्र-पत्रिकाओं के विकास के साथ-साथ अवधी, ब्रज, भोजपुरी, राजस्थानी, छत्तीसगढ़ी हरियाणवी बोलियों में उच्चकोटि के रचनाएं गीत लोकगीत सामने आये। हबीब भारती की हरियाणवी रचना दृष्टव्य है-

 

हे दुनिया जिसनै हीणा समझै उसकी गैल पडै़ सै।
हे बान बैठणा ब्याह करवाणा हे बस मैं मेरै कडै़ सै।।

हे ना बूज्झैं करैं सगाई, टोह कै ठोड़-ठिकाणा
हे घाल जेवड़ा गेल्यां कर दें, पडै़ लाजिमी जाणा
हे जिस दिन दे दें धक्का बेबे, आगै हुकम बजाणा
हे यो तो बेबे घर अपणा सै, आगै देश बिराणा
हे को दिन रहल्यूं मां धोरै या जितणै पार पडै़ सै


बोली और उपभाषा की अनेक ऐसी रचनाएं हैं, जिनके बल पर हिन्दी को आज अन्तर्राष्ट्रीय पहचान प्राप्त हुआ। निष्कर्ष रूप से कहा जा सकता है कि निश्चित रूप से हिन्दी को उनके सहगामी बोलियां समृद्ध बनाने में सदा से महत्वपूर्ण योगदान देते आ रही हैं।  

COMMENTS

BLOGGER: 2
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: रमेशकुमार सिंह चैहान का आलेख - ‘‘साहित्य में क्षेत्रीय बोलियों का योगदान‘‘
रमेशकुमार सिंह चैहान का आलेख - ‘‘साहित्य में क्षेत्रीय बोलियों का योगदान‘‘
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhlUmLeGFhpZ8i4Oxbm1_yfBw6FG0X0S-6TJSuYd8LDN4Z2KQoF-jBtlcny3mc9lRFY7o1zo76_Ol4PLMBF5WzFQT4PlNSMKVqIW-pZd0ZngmsncoUSwB_bzUz_bSmaEoohzwKK/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhlUmLeGFhpZ8i4Oxbm1_yfBw6FG0X0S-6TJSuYd8LDN4Z2KQoF-jBtlcny3mc9lRFY7o1zo76_Ol4PLMBF5WzFQT4PlNSMKVqIW-pZd0ZngmsncoUSwB_bzUz_bSmaEoohzwKK/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/02/blog-post_95.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/02/blog-post_95.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content