डॉ. दीप्ति गुप्ता मानव-मन में स्थाई रूप से बने रहने भावो में ‘प्रेम’ सबसे उदात्त भाव है इसलिए ही इससे उद्भूत होने वाले ‘श्रृंग...
डॉ. दीप्ति गुप्ता
मानव-मन में स्थाई रूप से बने रहने भावो में ‘प्रेम’ सबसे उदात्त भाव है इसलिए ही इससे उद्भूत होने वाले ‘श्रृंगार रस’ को ‘रसराज’ कहा गया है ! सच्चा प्रेम इंसान को कुंदन सा निखार सकता है,चन्दन सा महका सकता है, मतलब कि उसका मोहक रूपांतरण कर सकता है ! प्रेम के इस अद्भुत भाव और क्षमता को मेरी यह कविता समर्पित :
अनुप्राणित
प्यार में तेरे निखर गई, बन किरन सुनहरी बिखर गई
चाँद का उजला-उजला रूप,
सूरज की पुखराजी धूप,
अमिय भरे तेरे नयनो से, मुझ में आ के सिमट गई
परस तुम्हारा पाकर प्रेयस्,
आज बनी हूँ मैं पारस
पल भर का स्पर्श तुम्हारा, मैं कुंदन सी हो गई
आए जो तुम मधुमास बन
दहक उठी मैं अमलताश सम
प्रियतम ताप हरा जो तुमने, मैं चन्दन सी हो गई
बन बहार छाए तुम ऐसे,
मैं पुलकित पाटल के जैसे
ओ,अनुप्रास मेरे अर्चन के, मैं उपमा -रूपक हो गई
मेरे साजन! तुम फागुन हो ,
बहुरंगी उड़ती गुलाल मैं
पूनो की जुनली रातों में, खिल चम्पा सी, महक गई
उमड़े जब तुम मेघा बन कर ,
पुरवाई सी चलूँ मैं तन कर
तुम स्वाति बनकर जो बरसे, मैं मोती बन चमक गई
अनुरक्त हुए तुम कान्हा बनकर
मैं बंसी बन सजूँ अधर पर
तुम हो कूल नेह का मेरे, मैं गंगा सी पावन हो गई
तुम जो आए हो जीवन में ,
बनी समूची दुनिया बैरन
दूर हुए जब कभी पिया तुम, मैं निर्जीव राख सी हो गई
‘पियु-पियु’ टेर लगाई निस-दिन,
बौराई सी फिरती पल छिन
तुम क्या जानो मीत मेरे, मैं क्या से क्या-क्या हो गई
अनुप्राणन् तुम इन साँसों के ,
अनुप्राणित हूँ मैं प्रिय तुमसे
प्यार में तेरे सीझ-सीझ मैं, अमर बेल सम हो गई !
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फिर भी..............!
तुमने कहा अधिक खिलखिला के-'मैं ठीक हूँ ..बहुत खुश हूँ'
तुम मुझे उतने ही दर्द से सराबोर और उदास नज़र आए
नम आँखों के साथ मुस्कुराते हुए तुम बेज़ार नज़र आए
मैंने पूछा - सबके होते हुए भी अकेले रह रहो, कैसे रहते होगें
'मैं बहुत मज़बूत हूँ ' कहने पे,तुम बहुत कमज़ोर नज़र आए
आवाज़ के कंपन के साथ जोर देकर बोलते तुम टूटे नज़र आए
फिर भी न रहा गया और पूछ बैठी - नींद ठीक आती है
'बहुत गहरी आती है ' कहते ही तुम आँखें चुराते नज़र आए
स्याह घेरों से उभरती सफेद रातों में तुम जागते नज़र आए
मुझे इतना क्यूं बहकाते हो,अपना रंजो-गम क्यूं छुपाते हो
अच्छे से तुम जानते हो कि मैं सब भांप लूंगी
तुमसे महीन तंतुओं से जुडी मैं सब जान लूंगी
फिर भी..............! ! ? ?
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जीवन स्रोत
जीवन के दो छोर
एक छोर पे जन्म
दूसरे पे मृत्यु
जन्म से आकार पा कर
जीवन एक दिन मृत्यु में विलय हो जाता है
ऐसा तुम्हे लगता है,
पर मुझे तो कुछ और नज़र आता है,
"मृत्यु जन्म की नींव है "
जहाँ से जीवन फिर से पनपता है,
मृत्यु वही अन्तिम पड़ाव है,
जिस से गुज़र कर, जिसकी गहराईयों में पहुँचकर
सारे पाप मैल धो कर, स्वच्छ और उजला हो कर
जीवन पुनः आकार पाता है !
'मृत्यु' उसे सँवार कर, जन्म की ऒर सरका देती है,
और यह 'संसरण' अनवरत चलता रहता है !
फिर तुम क्यों मृत्यु से डरते हो, खौफ खाते हो ?
अन्तिम पड़ाव, अन्तिम छोर है वह,
जन्म पाना है तो सृजन बिन्दु की ऒर प्रयाण करना होगा,
इस अन्तिम पड़ाव से गुज़रना होगा,
उस पड़ाव पे पहुँचकर, तुम्हे जीवन का मार्ग दिखेगा,
तो नमन करो- जीवन के इस अन्तिम, चरम बिन्दु को
जो जीवन स्रोत है, सर्जक है !
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अवलोकन
आपकी संवेदनाएं अभी जीवित है
यदि आपकी आँखे भर आती है
आपमें भावनाएँ अभी बरक़रार है
यदि आप आहत महसूस करते हैं
आपका विवेक अभी सलामत है
यदि आप सही बात के पक्ष में खड़े होते है
आपका साहस मरा नहीं है
यदि आप अन्याय के खिलाफ़ बोलते है
आपका दिमाग सक्रिय है
यदि आपको चिंताएं सताती है
आपका दिल अभी जिन्दा है
यदि आपको अपने याद आते है
आपमें जीने की तमन्ना है
यदि आप अभी भी मुस्कुराते हैं !!
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शब्दों का वज़न
‘शब्द’ बनता अक्षर-अक्षर जोड़ के
‘अक्षर’ जो कभी क्षरित नही होते,
कभी क्षय नहीं होते…होते ‘अक्षय’
‘देव - ध्वनि’ सम होते दिव्य
कुछ तो है इनमें, तभी तो इतने वज़नी होते
कडुवे हो तो तीर बन, मन में घाव कर देते
मीठे हो तो मरहम बन,उन्हें त्वरित भर देते
ज़हर से ज़्यादा जानलेवा
दवा से ज़्यादा प्राणदायी
सुने ज़रा करते कैसा चमत्कार -
दंगों की आग से बचती एक औरत ने
मारने को उद्दत युवक को कह दिया ‘बेटा’
युवा मन झट पिघल उठा,छोड़ खंजर चरणों में 'लेटा'
इसी तरह ‘माँ’ शब्द बहा देता है दिल में ममता की नदिया
तो नफ़रत की आग उगलता शब्द सोख लेता हैं प्यार का दरिया
द्वेष के वज़न से भरे शब्दों से कितनी बार सुलगा है भारत
‘अन्धों के अंधे’ कहने से हो गया था ‘महाभारत’
वाक् - युद्ध बड़े खतरनाक,
करवा देते हादसे शर्मनाक
तो वहीं, प्रेम के वज़न से भरे शब्द
जोड़ देते हैं दिलों को, समेट लेते हैं बिखरे रिश्ते को
धो देते हैं अवसाद, देते हैं मीठा एहसास
अंधरे दूर कर, मन में भर देते है उजास
ताज़े, हरे-भरे शब्द ‘उत्साह’ से हमें भर जाते हैं
गुदगुदाते शब्द ‘हँसी’ की फुलझडी सजाते हैं
तो तीखे तंज भरे शब्द ‘आंसू’ की झड़ी बन जाते हैं
सो शब्दों को हल्का मत समझो
इनका गहरा ‘असर’ ही इनके ‘वज़न’ का माप है
और इनके ‘ब्रह्म’ होने का प्रमाण है.....!
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परिचय -
शिक्षा: आगरा विश्वविद्यालय से एम.ए.(हिन्दी) एम.ए. (संस्कृत), पी.एच-डी (हिन्दी) 1978
कार्य अनुभव : एसोसिएट प्रोफैसर
१) हिन्दी विभाग रुहेलखंड विश्वविद्यालय,बरेली, में अध्यापन (१९७८ – १९९६)
२) हिन्दी विभाग, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली में अध्यापन (१९९६ -१९९८)
३) हिन्दी विभाग, पुणे विश्वविद्यालय में अध्यापन (१९९९ – २००१)
४) विश्वविद्यालयी नौकरी के दौरान, भारत सरकार द्वारा, १९८९ में ‘मानव संसाधन विकास मंत्रालय’, नई दिल्ली में ‘ शिक्षा सलाहकार’ पद पर तीन वर्ष के डेप्युटेशन पर नियुक्ति (१९८९- १९९२)
साहित्यिक रचनाओं का प्रकाशन :
गगनांचल, हंस,वागर्थ,साक्षात्कार, नया ज्ञानोदय, कथादेश,लमही, संबोधन, उदभावना, वर्तमान साहित्य, अक्षर-पर्व, नई धारा, प्रेरणा, अनुवाद-पत्रिका, अभिनव इमरोज़, काल-निर्णय,हिन्दी फेमिना, नव्या, विश्वगाथा, कुतुबनुमा, उदंती, उत्तरा, संचेतना, अहिल्या आदि पत्रिकाओं, एवं हिंदुस्तान, नवभारत टाइम्स, अमर उजाला, पंजाब केसरी, विश्वमानव, सन्मार्ग, जनसंदेश, नई दुनिया, जनसत्ता, जनवाणी, संडेवाणी (मारीशस), आदि पत्र-पत्रिकाओं में कविताओं, कहानियों, समीक्षाओं एवं सामाजिक सरोकारों के आलेखों का प्रकाशन. Indian Express, Maharashtra Herald, Pune Times, Women’s Era, Alive, (Delhi Press) पत्रिकाओं में अंग्रेज़ी आलेखों एवं कहानियों का प्रकाशन.
नैट की ‘काव्यालय’ (डा. विनोद तिवारी, न्यूयॉर्क)), साहित्य-कुञ्ज(सुमन घई टोरंटो), लेखनी(शैल अग्रवाल, लन्दन), शब्दांकन,कथा-व्यथा (कोलकाता), अनुभूति-अभिव्यक्ति(पूर्णिमा बर्मन), हिंदी नेस्ट, अर्गला, सृजनगाथा, ArticleBase.com, Fanstory.com, Muse.com आदि हिन्दी एवं अंग्रेजी की इ-पत्रिकाओं में विविध रचनाओं का प्रकाशन ! हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार हेतु, नैट पर याहू के दो साहित्यिक समूहों -‘काव्यधारा’ और ‘विचार-विमर्श’ का संस्थापन और संचालन !
उपलब्धियाँ :
१) Fanstory.com – American Literary site पर English Poems ‘’All Time Best’ ’से सम्मानित.
२) ‘शेष प्रसंग’ कहानी संग्रह (2007) की ‘हरिया काका’ तथा ‘पातकनाशनम्’ कहानियाँ पुणे विश्वविद्यालय के क्रमश: 2008 और 2009 से हिन्दी स्नातक पाठ्य क्रम में शामिल।
३) ‘अन्तर्यात्रा’ काव्य संग्रह (2005) की ‘निश्छल भाव’ व ‘काला चाँद’ कविताएं भारत के समस्त राज्यों के विभिन्न स्कूलों के हिन्दी पाठ्यक्रम में पढाई जा रही है ! भारत से बाहर, दुबई, शारजा, आबू धबी, आदि विभिन्न स्थानों में स्थापित ‘मॉडर्न स्कूल’ की शाखाओँ मे भी 2008 से हिन्दी पाठ्यक्रम का हिस्सा ।
४) The Sunday Indian (नई दिल्ली) पत्रिका द्वारा २०११ में आयोजित भारत और भारत से बाहर बसी हिन्दी की लेखिकाओं के लेखन के ‘आकलन’ के तहत हिन्दी साहित्य में बहुमूल्य योगदान हेतु सर्वोत्तम लेखिका वर्ग में चयनित और सम्मानित !
५) अमृतलाल नागर पर लिखा संस्मरण ‘बूँद-बूँद अमृत’ पाठकों द्वारा इतना सराहा गया कि अमेरिका की ‘अमेज़न लाइब्रेरी’ ने उसे प्रकाशित कर, अपने पुस्तकालय में संग्रहीत किया. !
हिन्दी साहित्य के उत्थान और विकास में छात्र जीवन से अब तक निरंतर योगदान ! आज तक जो भी थोड़ा बहुत सृजन किया है, वह इस प्रकार है -
प्रकाशित कृतियाँ :
1) महाकाल से मानस का हंस – सामाजिक मूल्यों और आदर्शों की एक यात्रा, (शोधपरक - 2000)
2) महाकाल से मानस का हंस – तत्कालीन इतिहास और परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में, (शोधपरक -2001) 3) महाकाल से मानस का हंस – जीवन दर्शन, (शोधपरक 200३)
4) अन्तर्यात्रा ( काव्य संग्रह - 2005),
5) Ocean In The Eyes ( Collection of Poems - 2005)
6) शेष प्रसंग (कहानी संग्रह -2007),
7) समाज और सँस्कृति के चितेरे - अमृतलाल नागर, (शोधपरक - 2007)
8) सरहद से घर तक (कहानी संग्रह, 2011)
9) लेखक के आईने में लेखक - संस्मरण संग्रह शीघ्र ही ‘बोधि प्रकाशन’,जयपुर से प्रकाश्य
10) विभिन्न पत्रिकाओं में प्रख्यात लेखकों की कृतियों पर मेरे द्वारा लिखी समीक्षाओं
का संकलन, ‘अमन प्रकाशन’, कानपुर से शीघ्र प्रकाश्य.
अंग्रेज़ी-हिन्दी अनुवाद कार्य :
राजभाषा विभाग, हिन्दी संस्थान, शिक्षा निदेशालय, शिक्षा मंत्रालय, नई दिल्ली, McGrow Hill Publications, New Delhi, ICSSR, New Delhi, अनुवाद संस्थान, नई दिल्ली, CASP Pune, MIT Pune, Multiversity Software Company Pune, Knowledge Corporation Pune, Unicef, Airlines, Schlumberger (Oil based) Company, Pune के लिए अंग्रज़ी-हिन्दी अनुवाद कार्य ! हाल ही मे Multiversity Software Company Pune से प्रकाशित पुस्तक ‘Education Today In India’ का अंग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद. अप्रैल,२०१४ मे चुनाव से पूर्व, दो राजनीतिक पार्टियों द्वारा दिल्ली और मुम्बई से भेजे गए Manifestos का हिन्दी में अनुवाद !
डा. दीप्ति गुप्ता, 2/ ए, आकाशदूत, 12 -ए, नॉर्थ ऐवेन्यू, कल्याणी नगर , पुणे - 411006 , Email: drdepti25@yahoo.co.in
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