सुमन त्यागी 'आकांक्षी' की कहानी - वेलेंटाइन

SHARE:

वेलेंटाइन शर्मा जी की इकलौती बेटी अंकिता की शादी है। बड़े ही नाजों से पाला है उसे इसलिए शादी में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहते हैं वो । वैसे तो स...

वेलेंटाइन

image

शर्मा जी की इकलौती बेटी अंकिता की शादी है। बड़े ही नाजों से पाला है उसे इसलिए शादी में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहते हैं वो । वैसे तो सारे प्रोग्राम मैरिजहोम में ही कराये जायेंगे लेकिन अंकिता की इच्छा थी कि उसके फेरे घर में ही हों इस वजह से मण्डप को सजाने का काम जोरों से चल रहा है। बरातियों के बैठने के व्यवस्था,घरवालों के लिए कुर्सियाँ,लाईटिंग,फूलमालायें,फेरों के वक्त वर-बधू पर डालने के लिये गुलाब के फूल,सभी कुछ शर्मा जी स्वयं देख रहे हैं। "अरे बबलू फूलों की झालर को ढंग से लगा"मंडप में लगी झालर को ठीक करते हुए शर्मा जी बोले। शर्मा जी कभी लाइटवाले को डांट रहे थे तो कभी अपनी श्रीमती जी को। एक ही बात की चिंता कि सब अच्छे से निबट जाये बस।

'नमस्ते अंकल' एक लड़के ने घुटनों तक लगभग झुकते हुए कहा। "अरे ये तो अपना विपिन है,"शर्मा जी अपने चश्मे को नाक से आँखों पर ले जाते हुए बोले। "सुनती हो देखो अपना विपिन आया है"। मिसेज शर्मा बाहर आई। विपिन ने पैर छूते कहा 'नमस्ते आंटी'। "खुश रहो बेटा,बड़े दिनों बाद आये ,कितने दुबले हो गये हो,ढंग से खाते-पीते भी हो या नहीं"मिसेज शर्मा विपिन का माथा चूमते हुए एक ही साँस में बोल गई। फिर मिसेज शर्मा से इधर-उधर की बातें हुई,नए जॉब की बातें,नये शहर की बातें,प्रिया की बातें,माँ-पापा की बातें,अपने पुराने दिनों की बातें,और शर्मा जी उन बातोँ में से कब के चले गये पता ही नहीं चला। लगभग सभी बातें हो चुकने पर विपिन ने थोडा सा हिचकिचाते हुये पूछा"आंटी अंकिता कहाँ है"? "अरे बेटा,में अपनी बातों के चक्कर में भूल ही गई। वो अपने कमरे में है जाओ मिल लो उससे। मैं तुम्हारी कॉफ़ी वहीँ पहुंचाती हूँ, ब्लैक कॉफी,है ना "! 'जी आंटी'विपिन ने जबाब दिया।

विपिन और अंकिता बचपन के दोस्त हैं। दोनों साथ पढ़े,साथ खेले और साथ ही बड़े हुये। अंकिता के कमरे में पहली बार नहीं जा रहा है विपिन। वो अक्सर बेधडक उसके कमरे में आता-जाता रहा है। लेकिन आज पता नहीं क्या हो गया है उसे। आज न तो वह सीधा अंकिता के कमरे में घुसा और ना ही उसके टेड्डी को बेड से उठा कर जमीन पर पटका जैसा वह अक्सर किया करता था। आज तो वह कमरे की दहलीज पर खड़ा हो कमरे को निहारे जा रहा है। आंकिता आईने के सामने बैठी हुई तैयार हो रही है। वह अपने खुले हुये बालों का जूड़ा बनाने की असफल कोशिश में लगी है। उसके माथे पर मेहरून रंग की चौड़ी बिंदी बड़ी ही खूबसूरत लग रही है। उसके आँखों के काजल ने आँखों को और भी बड़ा व सुन्दर बना दिया है। जब विपिन अंकिता को आईने में निहारते हुये उसकी सुंदरता पर मौन रूप में लट्टू हुआ जा रहा था तभी अंकिता की नजरें उस पर पड़ी।

"ओए मिस्टर !ऐसे मिरर में चोरी-चोरी क्या देख रहे हो,ये लो तुम्हारे सामने आ जाती हूं,जी भरकर देख लेना,"अंकिता ने हँसकर खड़े होते हुए कहा। और फिर वह विपिन के सामने जा खड़ी हुई। "क्या प्रिया ने अन्दर आने के लिए मना किया है "? अंकिता विपिन का हाथ पकड़ कर उसे कमरे के अंदर खींचते हुये बोली।

"तुम लोग जाओ मैं थोड़ी देर बाद बुला लूँगी"। अंकिता ने पास में खड़ी लड़कियों को कुछ इशारे करते हुये कहा। लड़कियाँ हँसती खिलखिलाती कमरे से बाहर चली गई। उनके जाने के बाद अंकिता ने कमरे को अंदर से बंद किया और विपिन को बैड पर बिठाते हुए बोली ,"आज टैड्डी नहीं फेंकना क्या"?

विपिन ने नहीं में सिर हिला दिया। अंकिता थोड़ी सी घबरा गई। आखिर आज इस लड़के को हो क्या गया है,जो लड़का कभी भी चुप नहीं रह सकता और जिसकी मेरे टेड्डी से बिलकुल नहीं पटती वह आज चुपचाप उसे गोद में लिए बेठा है। कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर है। पहले भी जब कभी विपिन को कोई डिसीजन लेने में परेशानी होती थी तो वह ऐसे ही आकर बैठ जाता था। फिर चाहे वो जॉब के लिए शहर छोड़ने का फैसला हो या प्रिया को प्रपोज़ करने का। अंकिता ने एक चेयर को खींचकर विपिन के आगे सरकाया और उस पर बैठ गई । "मामला कुछ गम्भीर मालूम होता है" अंकिता ने माहौल को हल्का करने के लिये हँसते हुये कहा। लेकिन विपिन पर कोई असर न होते हुए देख उसने विपिन के हाथों को अपने हाथों में लेते हुए कहा,"बात क्या है विपिन"?

विपिन ने अंकिता की तरफ देखा दोनों की नजरें मिलीं और फिर दोनों निशब्द किसी के पास कुछ नहीं है कहने को बस एक दूसरे को एकटक देखे जा रहे हैं। लंबी खामोशी के बाद विपिन ने कुछ कहने का साहस किया लेकिन शब्द गले से बाहर ही नहीं आना चाहते। लेकिन आज सब क्लियर तो करना ही होगा। उसने झटके से अंकिता के हाथों में से अपने हाथ छुड़ाये और अंकिता की तरफ पीठ करके खड़ा हो गया। सबकुछ अंकिता की समझ से परे उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा की विपिन को हो क्या गया है उसकी जिंदगी में अभी तक सब कुछ सही चल रहा था प्रिया से झगड़ा तो नहीं हो गया कहीँ ? अंकिता ने अपने टेड्डी को बेड से उठा कर अपनी बाँहों में भींच लिया।

कमरे की खामोशी को तोड़ते हुए विपिन ने कहा,"अंकिता क्या तुमने सोचा है कि मैं तुम्हारे टेड्डी को क्यों फेंक देता था ?नहीं ना। क्योंकि मुझे बिल्कुल भी पसन्द नहीं कि तुम मेरे अलावा किसी दूसरे को इतनी इम्पोर्टेंस दो। तुम्हें याद है एडथ क्लास में जब तुमने एक लड़के को किस किया था और अगले ही दिन उसका वही गाल लाल मिला था। और तुम्हें याद है कॉलेज में जब सुशान्त ने घुटनों पर बैठ कर तुम्हें प्रपोज़ किया था तब दूसरे दिन वह घुटनों पर बैठने लायक भी नहीं रहा था। मुझे लगता है कि ये सब इसलिए था क्योंकि तुम हमेशा से मेरे ही साथ थी तुम्हें किसी दूसरे के साथ देखना मुझे पसंद नहीं था । लेकिन अब बहुत कुछ बदल गया है। जॉब के लिए मैं मुंबई शिफ्ट हो गया। वहाँ मुझे प्रिया मिली । जिसे देख कर ही मुझे पहले प्यार का एहसास हुआ। हमारी अच्छी अंडरस्टैंडिंग है। मैं उसे पसंद करता हु और वह मुझे । दोनों एक ही मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते हैं। दोनों की फैमिलीज़ भी हमारे रिश्ते से खुश हैं। फिर तुम से बात हुई । तुम्हारी और सुसांत की शादी । लेकिन तुम्हारे लिए आज भी वही फीलिंग है आज भी मैं तुम्हे किसी दूसरे के साथ नहीं देख सकता । ख़ैर ये मेरी प्रॉब्लम हे जिसे मैं मैनेज कर लूँगा। मैं बस ये जानना चाहता हूँ कि तुम सुशांत से प्यार करती हो या नहीं। अंकिता डू यू लव सुशांत ?अंकिता रिप्लाई मी"।

"आर यू मैड विपिन ? मेरी शादी होने वाली है। बारात आ चुकी है । कुछ देर में मुझे नीचे जाना है । और तुम मुझसे अब पूछ रहे हो कि मैं सुशांत से प्यार करती हूँ भी या नहीं। वह मेरे होने वाले हस्बैंड हैं । हम दोनों एक दूसरे को अच्छी तरह से जानते हैँ। दोनों की फैमिलीज़ भी एक दूसरे को अच्छे से जानती हैं। वैसे भी सुशांत गुड लुकिंग हैं,स्मार्ट हैं,हैंडसम हैं,तुम से लंबे भी हैं,और सबसे बड़ी बात वह मुझसे बहुत प्यार करते हैँ"। अंकिता एक ही सांस में सारी बातें कह गई।

"अंकिता मैने पूछा क्या तुम सुशान्त से प्यार करती हो? आई वांट टू नो डू यू लव हिम,ओनली। आई एम नॉट इंट्रेस्टेड टू नो,ही लव्स यू"। विपिन ने अंकिता की दोनों बाँहों को जोर से पकड़ते हुए कहा।

"विपिन छोड़ो मुझे दर्द हो रहा है"। अंकिता रुआँसी सी होकर बोली।

"अंकिता प्लीज़ मेरी आँखों में देख कर कहो कि तुम भी सुशांत से प्यार करती हो,प्लीज़ अंकिता ,प्लीज़"। विपिन ने अपनी पकड़ ढ़ीली करते हुए धीमे स्वर में कहा। अंकिता का दर्द कुछ कम हुआ।

"अंकिता प्लीज़ कुछ तो बोलो। मैं दोस्त हूँ तुम्हारा प्लीज़ कुछ तो कहो"। विपिन लगभग गिड़गिड़ाते हुए बोला।

"नहीं,नहीं करती सुशांत से प्यार,नहीं करती,नहीं करती"। अंकिता रोते हुए चिल्लाकर बोली। फिर उसने अपने आप को संभाला और धीमी आवाज में बोलना शुरू किया" विपिन अब इन बातों से कोई फायदा नहीं है। हाँ ये सच है कि मैं सुशान्त से प्यार नहीं करती लेकिन ये जरुरी भी तो नहीं कि हम जिस से प्यार करें वह भी हम से प्यार करे। किसी को शादी से पहले हो जाता है तो किसी को शादी के बाद। मुझे शादी के बाद हो जायेगा। सुशांत को पता है कि मैं उनसे प्यार नहीं करती लेकिन पसंद तो करती हूँ। पापा को भी वह पसंद हैँ। उनकी फैमिली मुझे पसंद करती है। उनकी फैमिली मेँ मुझे बहुत प्यार व सम्मान मिलेगा। इससे बड़ी और ख़ुशी की बात मेरे लिए क्या हो सकती है। विपिन,तुम जैसा समझते हो सुशांत वैसे बिलकुल नहीं हैँ। वह बहुत अच्छे इंसान हैँ और ऐसे इंसान से आज नहीं तो कल मुझे भी प्यार हो ही जायेगा। मैं बहुत खुश रहूंगी वह मुझे बहुत खुश रखेंगे"।

"अच्छा अब तुम जाओ,मुझे तैयार भी तो होना है"। अंकिता आँसू पोंछते हुए बोली।

विपिन की ब्लैक कॉफी लिए एक लड़का दरवाजे पर खड़ा था अंकिता ने दरवाजा खोला उससे कॉफी का कप लिया और लड़कियों को भेजने कि कह वापस आ गई। विपिन को कप पकड़ाकर फिर कुर्सी पर बैठ गई। विपिन ने कॉफी पी। फिर अंकिता के सिर पर हाथ फेरते हुए बोला,"तुम खुश तो रहोगी ना,अंकिता"! अंकिता ने हाँ में सिर हिला दिया लेकिन उसके चेहरे से साफ लग रहा है कि वह अंदर कुछ दबाये हुए है। यदि विपिन उसके सामने कुछ देर और खड़ा रहा तो शायद सब कुछ बाहर आ जाये। खेर उसने अपने चेहरे के भावों को कंट्रोल करते हुए कमरे का दरवाजा खोला। उसने अपने चेहरे पर जबरदस्ती मुस्कान लाते हुये कहा,"अब जाओ भी"।

"टेक केअर अंकिता" कमरे से बाहर निकलते हुए विपिन अंकिता के चेहरे की तरफ देख कर बोला।

विपिन के जाने के बाद अंकिता ने कमरे को अंदर से बंद किया और बेड पर रखे टेड्डी को अपनी बाँहों में भींच लिया। वह रोये जा रही है लगातार जोर-जोर से जैसे चाह रही हो कि कोई तो सुने उसकी भी इस टेड्डी के अलावा। वह विपिन अपनी सुना कर चला गया। कभी मुझसे भी पूछा कि मैं इस टेड्डी को इतना प्यार क्यों करती हूँ,नहीं ना,कभी नहीं। उसने कभी ये जानना ही नहीं चाहा। विपिन के न होने पर ये टेड्डी ही रहता है मेरे पास विपिन बन कर ताकि जब चाहुँ तब अपने विपिन से बात कर सकूँ। उसे बता सकूँ अपनी फीलिंग ,उसे बता सकूँ कितना प्यार करती हूँ उससे,उसे बता सकूँ कि मुझे नहीं पसंद था उसका शहर छोड़ना,नहीं पसंद मुझे प्रिया,क्या बीती मुझ पर जब मेने ही उससे प्रिया को प्रपोज़ करने को कहा,बता सकूँ उसे कि कैसी हालत थी मेरी जब उसने प्रिया से शादी का फैसला किया,बता सकूँ कि नहीं चाहती उसके सिवाय किसी और को,ना कभी चाह सकूँगी ,वह सब बता सकूँ जो उसे छोड़कर सभी को पता है,पापा को ,मम्मी को ,सुशांत को। बता सकूँ उसे कि माँ-बाप अपनी बेटी को कुआंरी नहीं देख सकते,नहीं देख सकते उसे तिल-तिल कर जीते हुए।

अंकिता ने अपने आँसू पोंछे,चेहरा धोया,और एक बनावटी हंसी हंसकर सजने के लिए रेडी हो गई। लड़कियां आ चुकी थी सब कुछ पहले की तरह ही नार्मल हो गया । तूफान के गुजर जाने के बाद की शांति।

नीचे हॉल में सारी तैयारियाँ पूरी हो चुकी है। सुशांत मंडप में बैठा अंकिता का वेट कर रहा है। उसकी नजरें बार बार सीढ़ियों की तरफ दौड़ रही हैं। आये हुए सारे मेहमान भी दुल्हन के इंतजार में बैठे सीढ़ियाँ ताक रहे हैं। सीढ़ियों के ऊपर परदे के पीछे कुछ चहल कदमी हुई,हंसी ठिठोली की हल्की हल्की अवाजों के साथ। कई दर्जन आँखें उधर घूम गईं।

क्रीम कलर के लहंगे के साथ मैरून कलर के दुपट्टे को सिर पर रखे अंकिता राजकुमारी से कम नहीं लग रही । अंकिता को देख विपिन ठगा सा रह गया। सुशांत का भी लगभग यही हाल है। विपिन को अंकिता कभी भी इतनी सुन्दर नहीं लगी या उसने अंकिता को कभी ऐसी नजरों से देखा ही नहीं,जो कुछ भी हो लेकिन आज वह अंकिता को देखना चाहता है ,जी भरकर। उसकी नजरें अंकिता के चेहरे से हटने का नाम ही नहीं ले रही। ऐसा लग रहा है जैसे उसे कुछ हो गया है। पागलों की तरह एकटक अंकिता को देखे जा रहा है। अंकिता धीरे-धीरे एक-एक सीढ़ी उतरती हुई नीचे आई। जैसे-जैसे वह मंडप की ओर बढ़ रही है,विपिन के दिल की धड़कन भी तेज होती जा रही है। अंकिता के हर एक कदम के साथ विपिन की धड़कने तेज और तेज होती जा रही हैं। उसका दिमाग फटा जा रहा है। कुछ छूटने जा रहा है,ऐसा जो उसका है,सिर्फ उसका। ऐसा जो कभी महसूस नहीं किया लेकिन हमेशा उसके साथ था। ऐसा जिसे हमेशा मिस करेगा। हेड ऑफिसर की मीटिंग से मोस्ट। न्यूयॉर्क की फ्लाइट से मोस्ट। माइक्रोसॉफ्ट के ऑफिस से मोस्ट। प्रिया और उसकी फैमिली से मोस्ट। हमारी शादी से भी मोस्ट। माइक्रोसॉफ्ट के ऑफिस के बराबर तो प्रिया भी नहीं है तो आज क्या है जो धड़कनें बढ़ा रहा है ?क्या है जिससे नसें कुछ करना चाह रही हैँ ? ऐसा लग रहा है मानो पूरे शरीर में उबाल आ गया है। कुछ ऐसा जिससे खुश नहीं है वह। "इस शादी से खुश नहीं हूँ मैं"। विपिन के दिमाग में यही एक बात जाने कितनी बार घूम गई । उसने फटाफट एक कॉल किया।

अगले ही पल विपिन ने अपने आप को अंकिता के सामने पाया जो मंडप से कुछ ही कदमों की दूरी पर है। हॉल में हलचल हुई। लेकिन विपिन ने उस हलचल पर ध्यान न देकर अंकिता पर फोकस किया।

"विपिन हट जाओ,सभी देख रहे हैँ",अंकिता ने धीरे से कहा।

"देखने दो सभी को और सुनने भी दो,मुझे तुमसे कुछ कहना है सभी के सामने,"विपिन ने ऊँची आवाज में कहा।

न्यूयॉर्क में माइक्रोसॉफ्ट का ऑफिस शेयर करना विपिन का सपना है। अंकिता की शादी की खबर के बाद एक सपना उसे सोने नहीं देता। उस सपने में उसकी न्यूयॉर्क की फ्लाइट मिस हो जाती है। उस सपने ने विपिन को परेशान किया हुआ है। फ्लाइट मिस होने के डर से वह रात को सोता ही नहीं है। तब प्रिया उसे एक साइकैट्रिस के पास लेकर गई। साइकैट्रिस ने उसके केस की स्टडी की और जब विपिन ने उसे अपनी प्रेजेंट कंडीशन के बारे में बताया जो अंकिता को देखने पर हुई तब उसे सब समझ आ गया। उसने विपिन से कहा,"मिस्टर विपिन ,आर यू मैड ? वह जो आपको परेशान कर रही है वह अंकिता है न्यूयॉर्क की फ्लाइट नहीं। वह जिसे आप पाना चाहते हैँ अंकिता है माइक्रोसॉफ्ट का ऑफिस नहीं"।

और अब विपिन अंकिता के सामने है।

"कौन है ये लड़का ?हटाओ इसे। क्या बदतमीजी है ये "? सुशांत के डैड गुस्से में चिल्लाये। सुशान्त भी मंडप से खड़ा हो गया लेकिन उसने कुछ कहा नहीं बल्कि अपने डैड के कंधे पर हाथ रख कर चुप रहने का इशारा किया।

विपिन अपने घुटनों पर बैठ गया । अंकिता का चेहरा गुस्से व शर्म से लाल हो गया।

"अंकिता मैने कमरे में इतना कुछ कहा,तुम्हारा टेड्डी,एडथ क्लास की किस,सुशांत की पिटाई........................मुझे लगा ये सब फ्रेंड की तरह है,लेकिन नहीं। यह कुछ अलग है। समथिंग स्पेशल, हाँ अंकिता समथिंग स्पेशल। एक नया एहसास है यह जिसे मैं पहचान नहीं पाया। नहीं समझ पाया मैं। बुध्दू था ,नहीं बुध्दू हूँ, बेबकूफ , गधा, ईडियट सबकुछ हूँ मैं। नहीं समझ पाया कि तुमसे अलग वजूद ही नहीं है मेरा"। विपिन ने खुद को एक धौल जमाते हुए कहा।

"तुम तो बता सकती थी। तुम भी तो मुझसे...................... । जब इतनी बातें फोर्सली करवाती हो तो ये क्यों नहीं कहा। ये मत करो ,ये मत पहनो, ये मत खाओ, ये पियो,तब तो कुछ नहीं सोचती तो अब जबकि तुम्हें भी मुझसे................. । कहना तो चाहिए था कि विपिन मुझसे प्यार करो। आज तक कोई बात टाली है तुम्हारी । खेर जो हुआ उसे छोड़कर आगे बढ़ते हैँ । मैं अपनी पूरी जिंदगी तुम्हारे साथ बिताना चाहता हूँ। अगले जनम की तो पता नहीं लेकिन इस जनम में तो मैं तुम्हें खुश रखना चाहता हूँ। सॉरी अंकिता ,मेरी इतनी बड़ी गलती के लिए मुझे माफ़ कर दो प्लीज़। मैने तुम्हें इतना वेट कराया।

आई लव यू अंकिता,आई रियली लव यू। विल यू प्लीज़,प्लीज़ मैरी मी "? विपिन ने घुटनों पर बैठे-बैठै रोते हुए कहा।

अंकिता ने आंसुओं से भीगे चेहरे पर हलकी सी हंसी लाते हुए हाँ मैं सिर हिला दिया।

अंकिता के हाँ कहते ही विपिन ने खड़े होकर उसे बाँहों में भर लिया। आज कई दिनों बाद उसे न्यूयॉर्क की फ्लाइट मिस होने का डर नहीं है। उसे अपनी जिंदगी ,अपनी वैलेंटाइन मिल गई है।

 

सुमन त्यागी 'आकांक्षी'

मनियां,धौलपुर

राजस्थान

COMMENTS

BLOGGER: 4
  1. have u stole it from hindi film,nothing real but good and in flow.

    जवाब देंहटाएं
  2. कहानी एक हसीं सपने की तरह प्रतीत होती है। लेकिन मैं समझ नहीं पाया की इस कहानी में मैं विपिन और अंकिता के लिए खुश होऊँ या सुशांत और प्रिया के लिए दुःखी। कहानी का अंत पूरा नहीं लगा। सुशांत और प्रिया की ज़िन्दगी ने क्या रुख लिया अगर ये भी इस कहानी में बताया जाता तो शायद कहानी में अधूरापन न लगता। खैर, ये मेरे व्यक्तिगत विचार हैं। बहरहाल,कहानी सुन्दर थी। जिस कहानी के पत्रों के साथ आप ऐसे जुड़ जाते हैं कि उनके लिए दुखी और खुश हों तो वो कहानी अच्छी होती है ये मेरा मानना है। और मैंने इस कहानी के पात्रों के साथ ऐसा पाया। बधाई स्वीकार करें।

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: सुमन त्यागी 'आकांक्षी' की कहानी - वेलेंटाइन
सुमन त्यागी 'आकांक्षी' की कहानी - वेलेंटाइन
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjJ9GDwUS9dFJaOzhWtdPbVcilkdcIjYCTLhleMPlLQiRiiIgpaDdv2hslCfy-Xam3vM2HmxkyaJSbxlA2UG95YaL0vAlp9RQFTcKw9pljnTnTNWS4XVgh04eqyzJVKDZN2dfar/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjJ9GDwUS9dFJaOzhWtdPbVcilkdcIjYCTLhleMPlLQiRiiIgpaDdv2hslCfy-Xam3vM2HmxkyaJSbxlA2UG95YaL0vAlp9RQFTcKw9pljnTnTNWS4XVgh04eqyzJVKDZN2dfar/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/02/blog-post_45.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/02/blog-post_45.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content