शशिकांत सिंह 'शशि' का व्यंग्य - रामराज्य के आसान नुस्खे

SHARE:

रामराज्य के आसान नुस्खे व्यंग्य              सरकार चिंतित थी । ऐसा क्या करे जिससे देश में जल्दी आधुनिक रामराज्य आ जाये। रामराज्य से उनका ...

रामराज्य के आसान नुस्खे
व्यंग्य

             सरकार चिंतित थी । ऐसा क्या करे जिससे देश में जल्दी आधुनिक रामराज्य आ जाये। रामराज्य से उनका आशय था कि जी डी पी तीव्र गति से आसमान की ओर भागे। सेन्सेक्स जिस तेजी से उछल रहा है उससे दुगुने रफ्तार से तिगुनी ऊंचाई तक कूदे। कानूनों का जंगल साफ हो जाये तकि पूंजीपतियों को किसी भी प्रकार का कष्ट न हो। दैहिक, दैविक, भौतिक किसी भी प्रकार की पीड़ा किसी उद्योगपति, व्यापारी, या पूंजी निवेशक को न हो। जनता आंखें बंद करके विश्वास करे और दूसरी किसी भी पार्टी को वोट न दे। फिर कोई शम्बुक जाकर तपस्या न करने लगे। उन्होंने श्रीमान तुलसीकुमार की अध्यक्षता में एक कमिटी का गठन किया जिसने तीन महीने तक पांच सितारा होटलों में मीटिंग और दो बार यु एस ए की एकेडमिक विजिट करने के उपरांत निम्नलिखित सिफारिशें कीं।


             रामराज्य जैसा कि जाहिर है कि राम का ही राज्य था। रामराज्य के संदर्भ में तुलसीदास जी के ग्रंथों का हमने घनघोर अध्ययन किया और पाया कि देश के विकास के लिए उनके मॉडल को ही लागू करना श्रेयस्कर होगा। हमने उनकी कविताओं का पाठ किया और विद्वानों से वार्त्ताएं कीं। स्पष्ट है कि विद्वानों से वार्त्ताएं करने के उपरांत हम और अधिक कनफ्युज्ड हो गये। गुरत्वकर्षण के सिद्धांत की तरह यह भी अटल सत्य है कि एक विद्वान दूसरे के मत को नहीं मानता। कनफूजन की स्थिति में हमने अपने निष्कर्ष निकाले और तय समय सीमा के भीतर ही अपनी रिपोर्ट सबमिट कर रहे हैं।
तुलसीदास जी लिखते हैं-
                        दैहिक, दैविक, भौतिक तापा,
                        रामराज्य काहू नहीं व्यापा ।


           दैहिक ताप का अर्थ है कि उन दिनों स्वाइन फ्लू जैसे बुखार नहीं हुआ करते थे। मुर्गे-मुर्गियां होती थीं या नहीं इन पर तो कवि ने प्रकाश नहीं डाला है। स्वाइन फ्लु नहीं होने से सरकारें बदनाम नहीं होती थीं। सरकारी अस्पतालों पर ताला लगे तो लगे प्रश्न चिन्ह नहीं लगते थे। सरकारी दवाइयों की पोल नहीं खुलती थी। डेंगू बुखार भी उन दिनों नहीं पाया जाता था क्योंकि लोगों के पास फ्रिज नहीं थे। उनमें साफ पानी नहीं जमा होता था। साफ पानी भी कई अथरें में बीमारी के कारण है। चूंकि उन दिनों गणेश जी चूहे की सवारी किया करते थे इसलिए संसार भर के चूहे सभ्य और सुसंस्कृत थे। प्लेग इन्हीं कारणों से नहीं फैलता था। सरकार की वाहवाही होती रहती थी। जनता चूहों की पूजा किया करती थी। चूहे प्रसन्न रहते थे। आज लोग सांप की पूजा तो करते हैं चूहों की अनदेखी हो रही है। अतः प्लेग जैसी बीमारियों फैल रही हैं। आवश्यक है कि चूहों का सरंक्षण किया जाये। उन्हें कुतरने और खाने की आजादी दी जाये। नागपंचमी की तर्ज पर एक चूहा सप्तमी भी हो ताकि चूहे संतुष्ट हो जायें और प्लेग न फैले। रामराज्य में दैविक प्रकोप नहीं होते थे। सरकार को मुआवजे नहीं बांटने पड़ते थे। खजाने पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ता था। केदारनाथ घाटी जैसी घटनाएं तो हो ही नहीं सकती थी। उन दिनों भगवान भोलेशंकर स्वयं घाटी की रक्षा करते थे। बाद में प्रदूषण के कारण पीछे हट गये। जब पहाड़ों पर व्यापरियों का कब्जा हो गया। कोल्ड ड्रिंक बनाये जाने लगे भगवन ने भी पहाड़ का साथ छोड़ दिया। दैविक प्रकोपों का एक कारण और है स्कूल के सिलेबस में भगवान की जीवनी होनी चाहिए। प्राथनाओं में आरती-वंदना तो अनिवार्य कर ही देना चाहिए। वैचारिक विरोध करने वालों को ठीक करने की एजेंसी को और मजबूत करने की जरूरत है। सम्पूर्ण भारत में संस्कृत भाषा और वेद को अनिवार्य किये जाने की जरूरत है ताकि दैविक प्रकोप किसी पर न हो। रही बात भौतिक की तो वह कभी नहीं होगी यदि विदेशी पूंजी आये। भारत में ही वस्तुओं का निर्माण हो। वस्तुओं के निर्माण से जो लाभ हो वह पूंजीपति और उद्योगपति के साथ-साथ सरकार को हो। आम जनता की जमीन लेकर पूंजीपतियों को दी जाये ताकि रामराज्य जल्दी से जल्दी आ सके। किसान तो सदियों से खेती करते आ रहे हैं। देश का विकास नहीं हो रहा है। अतः आधुनिक रामराज्य में किसानों की जमीनें छीन कर उद्योगपतियों को दे दी जायें। मालिकाना हक भी उनका न रहे। किसान चाहे तो आत्महत्या करके आवागमन के चक्करों से मुक्त हो सकता है। आम आदमी को दो जून की रोटी और एक वस्त्र चाहिए। उनके लिए भौतिक विकास के कोई मायने नहीं हैं लेकिन नेता, अभिनेता, मंत्री, व्यापारी, अधिकारी और खिलाड़ी इन लोगों को तो बात की बात में हवाई सफर करना पड़ता है। दिन में दस ड्रेस बदलने पड़ते हैं। उनको तीव्र भौतिक विकास की जरूरत है।


    तुलसीदास जी ने रामराज्य का वर्णन करते हुये लिखा है-
           रामराज राजत सकल धरम निरत नर-नारि।
           राग न रोष न दोष दुख सुलभ पदारथ चारि।।


स्पष्ट है रामराज्य तभी आयेगा जब धर्म को राष्ट्र का प्रधान काम घोषित कर दिया जाये। नागरिकों के लिए धरम का महत्व सबसे बड़ा होना चाहिए। सभी नागरिक धरम में लीन रहें। यही कारण है कि आज के संदर्भ में आवश्यकता अनुसार धर्म परिवर्त्तन अनिवार्य कर देना चाहिए। विधर्मी समुदाय के लोगों को भी हिन्दू घोषित कर देना चाहिए ताकि अपने मन में यह भरोसा हो जाये कि समस्त भारत में हिन्दू के अलावा दूसरे धर्म वाले नहीं हैं। एक धर्म परिवर्त्तन मंत्रालय बनाकर बाबाओं को मंत्री बना देना चाहिए ताकि समय-समय पर हिन्दू धर्म वालों को बताते रहें कि उनका परम कर्त्तव्य क्या है। उन्हें कितने बच्चे पैदा करना चाहिए। चार या आठ। इससे देश में धर्म-कर्म बढ़ेगा। राग और रोष तो बिल्कुल ही नहीं रहेगा। राग तो इसलिए नहीं रहेगा क्योंकि जो लोग दूसरे धर्म को मानते हैं उन्हें लगेगा कि यह मेरा देश नहीं है। राग इन परिस्थितियों में उत्पन्न ही नहीं होगा। रोष भी नहीं उपजेगा क्योंकि रोष करने वालों के घर पर पत्थर चलेंगे। उनकी टांग तोड़ दी जायेगी। उनके ऑफिस में घुसकर उनको थप्पड़ मारा जायेगा। इससे भी नहीं सुधरे तो घर के आगे गोली मारी जायेगी। कानून अपना काम करेगा। पुलिस को कभी अपराधी मिलेंगे नहीं। हमारा न्यायालय पर भरोसा कायम रहेगा। इस प्रकार चारों पदारथ जनता को उपलब्ध रहेंगे- अर्थ, धर्म , काम और मोक्ष । कम से कम मोक्ष की तो गारंटी रहेगी।


           दोहावाली में तुलसीदास लिखते हैं -' राम राज संतोष सुख, घर-,बन , सकल सुपास ।।


     राम राज में या तो मीडिया था नहीं या था तो पूरी तरह से कंट्रोल्ड था। यह भी संभव है कि पेड न्युज होते हों। राम राज में हर वर्ग संतुष्ट हो। सबको लगे कि अच्छे दिन आने वाले हैं। घर में रहें या जंगल में सारी सुविधाएं मिलती रहेंगी। यहां दोहे के गुढ़ अर्थ को खोलने की जरूरत है। आम आदमी यदि घर में भी है तो उसे जंगल वाली सुविधाएं मिलेंगी। वह नदी का पानी पियेगा। तालाब का पानी भी छान कर  पी सकता है। जाड़े,गर्मी ,बरसात तीनों मौसम का मजा वह प्राकृतिक रूप से अपने प्लास्टिक के बने घर में लेगा। रही बात खाने की तो एक टाईम खाने के लिए क्या सोचना। चना-चबेना, आम की गुठली, साक-पात कुछ भी खाकर घर में जंगल का सुख लिया जा सकता है। दूसरी ओर जो नेता, अभिनेता, अधिकारी और व्यापारी हैं। उन्हें जंगल में भी घर का सुख मिलेगा। पीने के लिए व्हिसलरी की बोलतें। खाने के लिए चाइनिज,इंडियन,अमेरिकन जो चाहे डिश जंगल के मध्य में उपलब्ध रहेगा। क्या मजाल की ठंडी हवा छू ले। गर्म हवा स्पर्श कर सके। इस प्रकार नाना प्रकार की सुविधाएं दोनों वर्गों को मिलेंगी तो सभी संतुष्ट रहेंगे। अखबार वाले वही कहेंगे जो राजा चाहेगा। वह किसी न किसी सेलिब्रेटी की दुम में तेल लगाकर टी आर पी बनायेगा। देश के प्रति उसकी जिम्मेवारी बाद में बनती है पहले तो टी वी चैनल के मालिक को खुश करे।


      अंत में तुलसीदास जी रामराज्य का निचोड़ लिखते हैं- तुलसी अद्भुत देवता, आासादेवी नाम।।


आसादेवी जो हैं उनको प्रबल बनाये रखने से ही रामराज आता है। जनता को हमेशा यह लगे कि अच्छे दिन आये और आये। कांग्रेस ने जब तक राज किया हमेशा यह लगा कि समाजवाद आया कि आया। चीन में आ गया अब एक छलांग में भारत में घुसना चाहता है। गरीबी हट जायेगी। जमीन जोतने वालों को मिल जायेगी। हर विभाग का सरकारीकरण हो जायेगी। लोग वोट देते गये। आस नहीं मिटी । पूरी भी नहीं हुई। अब भाजपा की बारी है। अंदर ही अंदर सारा खेल व्यापारियों और उद्योगपतियों के लिए और बाहर के नारे किसानों के लिए। लोग बाग हाथ में झाड़ू लिए स्वच्छ इंडिया करते रहें। पिछले दरवाजे से उनपर टैक्स लाद दिये जायें। महंगाई हटेगी , काला धन आयेगा, भ्रष्टाचार मिटेगा, इत्यदि-इत्यादि सपने दिखाकर बार-बार वोट लिये जा सकते है। जब तक ये सपने जिंदा हैं। लोग वोट देते रहेंगे। पूंजीपतियों का रामराज्य कायम रहेगा लेकिन यदि टूट गये तो....................................।
        

  सरकार ने उनकी सिफरिशें मान लीं।

 

                                          शशिकांत सिंह 'शशि'
                                                             जवाहर नवोदय विद्यालय
                                                          शंकरनगर, नांदेड़ महाराष्ट्र 431736

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: शशिकांत सिंह 'शशि' का व्यंग्य - रामराज्य के आसान नुस्खे
शशिकांत सिंह 'शशि' का व्यंग्य - रामराज्य के आसान नुस्खे
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh3VQOg3b6CYUrqIwlT4nQ_HTY5EONh1nKACtfj2kdsoxOtXqmjn7Vf-sRz3rkkmWdZul9YGnN3S1Sm-Uy5PdLHsh9kCXa2qUFPtzB1U3NK6kOaN3NhNBsz71-ZELwCiRCRqFYS/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh3VQOg3b6CYUrqIwlT4nQ_HTY5EONh1nKACtfj2kdsoxOtXqmjn7Vf-sRz3rkkmWdZul9YGnN3S1Sm-Uy5PdLHsh9kCXa2qUFPtzB1U3NK6kOaN3NhNBsz71-ZELwCiRCRqFYS/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/02/blog-post_43.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/02/blog-post_43.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content