रूस्तमें हिन्द बाबाजी / प्रमोद यादव ‘ अजी सुनते हो.....’ पत्नी चिल्लाई. ‘ हाँ...हाँ..सुन रहा हूँ..थोडा धीरे बोलो..कोई बहरा नहीं हूँ..’ टी.व...
रूस्तमें हिन्द बाबाजी / प्रमोद यादव
‘ अजी सुनते हो.....’ पत्नी चिल्लाई.
‘ हाँ...हाँ..सुन रहा हूँ..थोडा धीरे बोलो..कोई बहरा नहीं हूँ..’ टी.वी. पर समाचार सुनते पति ने जवाब दिया.
‘ अरे..वो आपके बाबाजी है ना..? ‘
‘ कौन ? जौनपुर वाले ? ‘
‘ अरे नहीं जी...आपके वाले बाबा...काले-धन वाले बाबा..’
‘ तो सीधे कहो न..योग वाले बाबा...’ पति ने फटकारा.
‘ अजी वही तो कह रही हूँ..सारे बाबा तो एक-एक कर तिहाड़ पहुँच गए ..अब एक यही तो रह गए हैं..’
पत्नी की बातों को तुरंत काटते पति बोला- ‘ शुभ-शुभ बोला करो यार..कितनी बार तुम्हें कहा है.. वो मेरे बाबा हैं.. मेरा नहीं तो कम से कम उनका तो सम्मान किया करो...’
‘ लो...ऐसा क्या कह दिया मैंने कि आपका अपमान हो गया ? मैं तो बस यही बता रही थी कि इन दिनों बाबाओं के दिन अच्छे नहीं..बजाय कैलाश पर्वत सब के सब तिहाड़ जा रहे..’
‘ तो क्या इन्हें भी भिजवाने का इरादा है ? ‘ पति ने पूछा.
‘ मैं कौन होती हूँ इन्हें भिजवाने वाली..अब तो पब्लिक ही इन्हें भेजेगी..’
‘ क्या बकवास करती हो यार..किस जुर्म में भेजेगी ? क्या गुनाह किया इन्होंनें ? ‘
‘ इन्होने पूरे देश वासियों को बरगलाया है..काले-धन का सपना दिखाया है..जुर्म तो बनता है..’ पत्नी जज जैसे अंदाज में बोली.
‘ तुम भी यार बेवकूफों जैसी बात करती हो...उन्होंने तो कुम्भकर्ण की तरह सोये देश वासियों को ज्ञान दिया कि देखो.. कैसे देश का खरबों लाख रुपया विदेशी बैंकों में पड़ा-पड़ा सड रहा है..इसे स्वदेश वापस लाना है ..धन तो आखिर धन है..काला हो या सफ़ेद.. देश के अनेक कल्याणकारी योजनाओं में काम आएगा.. विदेशी-कर्ज चुकाने के काम आएगा.. देश की जनता के काम आएगा..उन्होंने अनुमान लगा के बताया कि इतना रुपया है कि हर व्यक्ति के हिस्से दस –पंद्रह लाख तो आ ही जाएगा..भई..अनुमान तो अनुमान है..थोड़े कम-ज्यादा भी हो सकते हैं..’ पति ने ज्ञान दिया.
‘ पर प्रभुजी ..वो धन वापस आये कहाँ ? यही तो सवाल है..लोग कबसे अपने बैंक अकाउंट चेक कर रहे.. अब उन्हें लग रहा कि ठगे गए..जैसे कई चिटफंड कम्पनियाँ भोले-भले लोगों के लाखों रूपये उड़ा के चम्पत हो जाती है और वे पागल सा हो इधर-उधर भटकते हैं.. वैसा ही बेचारे महसूस रहे..’ पत्नी बोली.
‘ अरे यार बात तुम समझ ही नहीं रही...उन्होंने थोड़े वादा किया था कि आपके खाते में डालेंगे..वो तो केवल एक चुनावी वादा था एक पार्टी विशेष का..विकास के वादे कर तो कोई आजकल चुनाव जीतता नहीं इसलिए समय पर उन्हें ये काला-धन का मुद्दा मिल गया तो उन्होंने इसे भुना लिया..बाबाजी ने तो ये मुद्दा देशहित के लिए उठाया था..उन्होंने तो “ लूट सके तो लूट “ के अंदाज में इसे उछाला था..दीगर पार्टियों ने नहीं लूटा इसलिए वे खुद लुट गए..’
‘ पर ऐसा गंभीर मजाक पार्टीवालों को नहीं करना चाहिए था जी..अब तो उसी पार्टी की सरकार है और जिस तरह इस मुद्दे पर वो काम कर रहे..बयान दे रहे..उससे तो साफ़ जाहिर है कि एक रुपया भी नहीं आने वाला..अब जनता जनार्दन को भी पता है कि केवल “टांय-टांय फिस” वाला किस्सा है..ऐसे में इस मुद्दे के प्रस्तोता बाबाजी को देश वासियों से माफ़ी मांगनी चाहिए..’ पत्नी ने अपनी बात कही.
‘ दोष उनका नहीं है देवीजी..उनका दोष केवल इतना है कि वे सरकार पर भरोसा कर बैठे..अब सरकार कुछ कर नहीं रही तो वो बेचारे क्या करे ? क्या सरकार से कुश्ती लडे ? ‘
पति की बात पूरी भी न हुई थी कि पत्नी बोली- ‘ अजी..कुश्ती से याद आया कि असल बात जो आज आपको बताना चाहती थी वो तो भूल ही गई..’
‘ कौन सी बात यार ? तुम भी आजकल मेरी तरह हो गई हो- “ जाना था जापान पहुँच गए चीन “ की तरह..बताओ .. क्या बता रही थी ?
‘ अरे कल बरसों बाद रूस्तमें हिन्द दारा सिंह का सिक्वल देखी .. रंधावा और दारा सिंह वाली कुश्ती देखी ..आपके बाबाजी को टी.वी. में रूस्तमें हिन्द जैसे कुश्ती करते “लाइव” देखी ..अपने से ज्यादा युवा पहलवान को अखाड़े में पटखनी दे रहे थे....कहीं बाबाजी सरकार को ये तो नहीं जता रहे कि अब वक्त आ गया है दो-दो हाथ का ..काला-धन लाओ नहीं तो..? ‘ पत्नी ने शंका जाहिर की.
‘ अरे नहीं भागवान..हमारे बाबा ऐसे नहीं..गांधीजी के चेले हैं..अहिंसा पर विश्वास रखते हैं..वे मर-मिटेंगे पर किसी पर “रूस्तमें हिन्द” वाला पहलवानी दांव नहीं दिखाएँगे..वे कुश्ती लड़के केवल ये बताना चाह रहे होंगे कि योग के बल पर व्यक्ति कुछ भी कर सकता है..पहलवानी क्या चीज है ? ‘
‘ अरे तो फिर उसी के बल पर विदेशों में जमा काला-धन क्यों नहीं ले आते ? ‘ पत्नी जोर से बोली.
‘ क्या बच्चों जैसी बात करती हो ? योग के बल पर कैसे काला-धन लायेंगे ? ‘
‘ अरे आप ही तो कहते हैं..योग के बल पर कुछ भी किया जा सकता है...अच्छा बताईये ..आपके बाबाजी और क्या कर सकते हैं ?
‘ अनशन ‘ पति ने मुस्तैदी से कहा.
‘ अरे तो करते क्यों नहीं..क्या रामलीला मैदान खाली नहीं ? ‘ पत्नी जोर से बोली.
‘ अरे मुझे क्या मालूम.. मैं कोई दिल्ली का उप-राज्यपाल थोड़े हूँ..’ पति भी गरजा.
‘ उप-राज्यपाल नहीं पर बाबाजी के चेले तो हैं न ? उनसे कहिये जल्दी बैठे नहीं तो लोग उन्हें हमेशा के लिए बिठा देंगे..उन्हें भी भूल जायेंगे जैसे दिल्लीवाले अपने पूर्व सी.एम. मफलर-मैंन को भूल गए..’
‘जो आज्ञा मेम .. मैं अभी उन्हें तुम्हारे मशविरे से अवगत कराये देता हूँ..अब जल्दी से खाना निकालो नहीं तो मैं अनशन में बैठ जाऊँगा..’ पति ने हाथ जोड़ते कहा.
‘ बैठें आपके बाबाजी...निकालती हूँ खाना ..आप हाथ-मुंह धो आईये..’ इतना कहते पत्नी किचन की ओर लपक गई.
पति मन ही मन हंसा और बुदबुदाया-‘ दुनिया बनाने वाले काहे को “दुल्हन” बनाई....’
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प्रमोद यादव
गया नगर, दुर्ग, छत्तीसगढ़
हा हा हा।मज़ा आ गया पढ़कर। साधुवाद स्वीकार करें सर जी।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा व्यंग्य।
जवाब देंहटाएंwww.achchisalah.blogspot.com
श्री विकास जी , आदिल भाई..आप दोनों का शुक्रिया...प्रमोद यादव
जवाब देंहटाएंश्री विकास जी , आदिल भाई..आप दोनों का शुक्रिया...प्रमोद यादव
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