सबमिशन : संभावित भविष्य का वास्तविक यथार्थ सन् 2022 में फ्रांस में मुस्लिम राष्ट्रपति होगा, फ्रांस का इस्लामीकरण हो जा...
सबमिशन : संभावित भविष्य का वास्तविक यथार्थ
सन् 2022 में फ्रांस में मुस्लिम राष्ट्रपति होगा, फ्रांस का इस्लामीकरण हो जाएगा, देश के विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में कुरआन पढ़ाई जाएगी तथा महिलाओं को नौकरी छोड़ने के लिए प्रेरित किया जाएगा.
यह नेस्ट्रोडेमस की भविष्यवाणी नहीं, यह भविष्यवाणी है प्रसिद्ध फ्रांसीसी लेखक मिशेल वेलबेक की, जिसे उन्होंने अपने नये उपन्यास 'सबमिशन' में विस्तार से लिखा है, 7 जनवरी को रिलीज किया गया यह उपन्यास यद्यपि रिलीज होने के करीब एक हफ्ते पहले से ही विवादित बना हुआ है.
अपने छठे उपन्यास 'सबमिशन' में लेखक मीशेल वेलबेक ने यूरोपीय समाज कों इस्लाम के बढ़ते प्रभाव का जो भय सता रहा है, को आधार बनाया है. पिछले महीने जर्मनी में हजारों की संख्या में इस्लाम-विरोधियों ने प्रदर्शन किया था. लेखक ने उपन्यास में एक काल्पनिक 'मुस्लिम भ्रातृत्व' पार्टी बनाया है जो आप्रवास-विरोधी नेशनल फ्रंट को राष्ट्रपति चुनाव में हरा देती है.
उपन्यास 'सबमिशन' के कहानी को लेकर यह बहस छिड़ गई है कि यह सच्चाई बयान करने वाली एक साहित्यिक कृति है या पुस्तक के शक्ल में इस्लाम विरोधी आतंक को बढ़ावा देने का महज एक प्रयास है ? उपन्यास के लेखक मीशेल वेलबेक का कहना है कि फ्रांस में 2022 तक महिलाओं का पर्दे में रहना अच्छा माना जाएगा तथा एक से ज्यादा विवाह करना कानूनी हो जाएगा. प्रसंगवश यह जानना रोचक होगा कि मीशेल वेलबेक ने अपने उपन्यास का नाम 'सबमिशन' एक डच फिल्मकार व लेखक थियो वेन गॉग के 2004 में बने एक डाक्यूमेंट्रीं फिल्म 'सबमिशन' से उधार लिया है जिसमें इस्लाम द्वारा महिलाओं को दिया गया दोयम दर्जा की आलोचना की गई थी. गौरतलब है कि एक मोरक्को निवासी मोहम्मद बोयेरी ने 2004 में ही थियो वेन गॉग की हत्या कर दी थी.
गौरतलब है कि फ्रांस में इस्लाम की पहचान पहले से ही विवाद का राष्ट्रीय मुद्दा बना हुआ है. पिछले वर्ष पहली बार यूरोपीय संघ के चुनाव में अप्रवासन विरोधी नेशनल फ्रंट ने चुनाव जीतकर महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की थी. इसकी नेता मैरीन ले पेन 2017 में होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव में एक महत्वपूर्ण दावेदार मानी जा रही है. इस उपन्यास को लेकर बहस होने का एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि उपन्यास में मैरीन ले पेन को राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ से बाहर रखने के लिए फ्रांस की मुख्य राजनीतिक पार्टियां एक मुस्लिम करिश्माई नेता मोहम्मद बेन अब्बास के समर्थन में लामबंदी की बात कही गई है. मोहम्मद बेन अब्बास उपन्यास का मुख्य पात्र है जो चुनाव में नेशनल फ्रंट की मैरीन ले पेन को हराता है और इसमें फ्रांस की मुख्य राजनीतिक पार्टियां जैसे सोसलिस्ट, सेंटरिस्ट तथा निकोलस सॉरकोजी की यूएमपी उसका साथ देती है. मोहम्मद बेन अब्बास महिलाओं के नौकरी करने पर पाबंदी लगा देता है, एक से ज्यादा विवाह करने यानी पॉलेगेमी को बढ़ावा देता है, इस्लामिक विद्यालय एवं विश्वविद्यालय को बढ़ावा देता है जहां कुरान पढ़ाई जाती है तथा एक रूढ़िवादी और धार्मिक समाज की स्थापना करता है जिसे सभी फ्रांसीसी सहर्ष स्वीकर करते है इसलिए उपन्यास का नाम 'सबमिशन' यानी 'आज्ञापालन' रखा गया है. हालांकि लेखक वेलबेक का कहना है कि 'कोई उपन्यास किसी के भाग्य को नहीं बदल सकता. मैं ऐसा कोई उदाहरण नहीं पाता हँ कि जब उपन्यास इतिहास को बदल दिया हो. अन्य चीजें जैसे कि निबंध या काम्यूनिस्ट मैनिफेस्टो इतिहास को बदलने की कुव्वत रखता है परंतु उपन्यास नहीं. इसलिए वेलबेक ने अपने उपन्यास को 'संभावित भविष्य का वास्तविक यथार्थ' की संज्ञा दी है.
'सबमिशन' के लेखक मिशेल वेलबेक का कहना है कि उपन्यास का कथानक 18वीं सदी में प्रभावी रहे रेनेंसा काल के अंत पर तथा मानव सभ्यता के केन्द्र में धर्म के वापस आने पर आधारित है. यह उपन्यास उस समय प्रकाशित हुआ है जब कई अन्य उपन्यास खास कर एरिक जेम्मूर की वेस्टसेलर उपन्यास 'ले सुसाइड फ्रांकाइस' यानी 'फ्रांसीसी आत्महत्या' भी प्रकाशित हो चुकी है जिसमें फ्रांस में इस्लाम के उदय के बरक्स फ्रांस के नैतिक पतन की बात कही गई है तथा जेम्मूर का कहना है कि फ्रांस अब एक संप्रभु राष्ट्र नहीं है. मीशेल वेलबेक के आलोचकों का कहना है कि उनकी पुस्तक एरिक जेम्मूर तथा 'नव दक्षिणपंथियों' को बौद्धिक विश्वसनीयता प्रदान करती है.
वैसे विवादों के जरिए सुर्खियों में रहते आ रहे मीशेल वेलबेक 1998 में तब विवाद में आए जब उन्होंने 'एटोमाइज्ड' नामक उपन्यास प्रकाशित करवाया जो दो सौतेले भाईयों मीशेल और ब्रूनो द्वारा वर्तमान 'फ्रासीसी समाज में प्रेमरहित जीवनयापन के संघर्ष पर आधारित था. उनका पहला उपन्यास 'वाटएवर' 1994 में प्रकाशित हुआ था. ज्ञातव्य है कि मीशेल वेलबेक को यह कहे जाने कि 'सभी धर्म मूर्खतापूर्ण है और इस्लाम सभी धर्मों में सबसे ज्यादा मूर्खतापूर्ण है तथा कुरान बुरी तरह से लिखा गया है'' उनपर नस्लवाद का आरोप लगा था तथा वे फ्रासीसी कोर्ट से नस्लवाद को बढ़ावा देने के आरोप से 2002 में रिहा हो सके थे. बाद में उन्होंने इस्लाम से संबंधित उपरोक्त बातों का खंडन कर दिया था.
यह जानना रोचक होगा कि यूरोप के 65 लाख मुस्लिम आबादी में से 5 लाख से ज्यादा मुस्लिम फ्रांस में रहते हैं, जिसकी संख्या 20वीं सदी से आते जा रहे आप्रवासियों द्वारा निरंतर बढ़ती जा रही है. फ्रांस में बहुत कम ही मुस्लिम अच्छी नौकरी प्राप्त कर सकते है तथा अरब से आए मुस्लिम की दूसरी और तीसरी पीढ़ियों का कहना है कि वे आज भी फ्रांसीसी समाज में भेदभाव का शिकार हो रहें हैं. नेशनल फ्रंट नेता मैरीन ले पेन, जो 320 पन्ने के इस उपन्यास की एक पात्र भी है ने 5 जनवरी को फ्रांस इन्फो रेडियो का कहा था कि 'यह एक कहानी है जो एक दिन यथार्थ में तब्दिल होगा.' उसी दिन फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रेंकॉस हॉलैंड ने फ्रांस इंटर रेडियो को कहा कि 'वे उपन्यास को पढ़ेंगे क्योंकि यह उपन्यास विवाद का कारण बन गया है तथा यह चेतावनी भी दिया कि फ्रांस का झूकाव शताब्दियों से क्षय, पतन और बाघ्यकारी निराशावाद की तरफ रहा है.' जबकि उसी दिन मीशेल वेलबेक ने फ्रांस टू टीवी को कहा कि 'वे भय का फसल नहीं काट रहे, मैं यह नहीं सोचता हूँ कि मेरे उपन्यास में इस्लाम वो शय है जिससे लोग भयभीत है, मैं वैसे किसी विषय को सिर्फ इसलिए नजरअंदाज नहीं कर सकता कि वह विवादित है.' फ्रांस के राजनीतिक विश्लेषक फ्रेंक ओलिवर गिसवर्ट ने 'ली पेरिसियन' अखबार में अपना बयान दिया कि 'सबमिशन' एक तीक्ष्ण व्यंग्य' है, यह लेखक की पुस्तक है, राजनैतिक पुस्तक नहीं है.' 4 जनवरी को लीबरेशन ने अपने समीक्षा में उपन्यास 'सबमिशन' को एक 'कारूणिक एवं उतेजक स्वाँग' की संज्ञा दी है.
बहरहाल आने वाले दिनों में 'सबमिशन' पर विवाद कितना गहराता है, ये कहना अभी जल्दबाजी होगा.
राजीव आनंद
प्रोफसेर कॉलोनी, न्यू बरगंडा
गिरिडीह-815301
झारखंड
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