नया साल , अपना स्टाइल गुरुदेव ! नया साल आने को है । आप में पहले वाला उत्साह दिखाई नहीं पड़ता ? गनपत ! जले पे क्यूँ नमक छिड़कते हो ? अभी -...
नया साल ,अपना स्टाइल
गुरुदेव ! नया साल आने को है ।
आप में पहले वाला उत्साह दिखाई नहीं पड़ता ?
गनपत ! जले पे क्यूँ नमक छिड़कते हो ?
अभी -अभी हम चुनाव हारे हैं ,तुम्हीं बोलो ,किस मुंह से 'चीज' बोल के मुस्कुराहट बिखेरें ?फेस इस्माइली बनाने के दिन लद गये |
गुरुदेव !हारना जीतना तो लगा रहता है |वो अपनी जगह, नया साल अपनी जगह ।
आप इधर के पार्टी प्रधान हो, आपने मु लटका लिया ,तो हम जैसे कार्यकर्ताओं का क्या बनेगा ?
चुनाव हारे हैं, कोई दंडनीय अपराध तो नहीं किया ?
वैसे,आप जानते हैं , तिहाड़ यरवदा से पेरोली भी के नए साल की खुशी में गमों को किनारा किये रोल मार लेते हैं ?
गनपत ,तुम समझते नहीं ,अपने ऊपर 'आला कमान' भी होता है,।
हम पार्टी वाले लोग हैं ,कोई बेवा -छड़वा नहीं कि, मजार की मिट्टी न सूखे और जश्न मनाने निकल जाएँ ।
लोक-लिहाज जैसी कुछ चीज भी है ,जो हम पुरानी पीढ़ियों के खून में अभी तक बाकी है ।
हम लोग भूखों मर जायेंगे ,प्यासे रह लेगे ,मगर गम को पूरा राजकीय शोक जैसा सम्मान- व्यवहार देंगे ।
हमे पिज्जा और कोक और तुम्हारे दीगर ड्रिंक्स पार्टी वारंटी के ढकोसलों से दूर रहने दो, इसी में हमारा सम्मान है ।
गनपत , ये देखो एक बोर्ड बाहर टांगने की खातिर बनवा रखा है ।"कृपया जूते और नये साल की बधाईयाँ बाहर रखें "|
गुरुदेव !एसा अनर्थ क्यों ?
गनपत ,तुम्हें मालूम है ,ढेरों लोग मिलने आते हैं ,सब जूते -चप्पल पहने घुस लेते हैं ,हमने इलेक्शन पहले नया मार्बल बदला है ,इनकी चमक अब उतर जायेगी तो आगे किस कमाई के बूते लग पाएगी ?न ठेकेदार हाथ धरने देगा न मुनिस्पेलटी का इंजिनीयर घास डालेगा, इसीलिए पहली मनाही जूते चप्पल की है ,और रही बात दुसरे की तो ये मानो कोई बधाई से बुझते दिए में रोशनी नहीं बढ़ने वाली ।सब बेकार की बातें हैं ।नये साल का टाइम पास है ।जिसके पास बेकार टाइम हो वो करता रहे पास ...?वैसे भी
ये जानो पिछले पच्चीस- तीस सालों से, लोगों की बधाईयाँ सुनते- सुनते कान पाक गए ।आपके जीवन में ये खुशी आये वो आये ......।जब खुशियों को आना होता है बिना पूछे आ जाती है ।अगर इलेक्शन जीत के कुर्सी पा जाओ तो डबल ट्रिपल आ जाती है ।हमने सत्ता सुख में देखा , जितने ज्यादा करीबी होते हैं ,उंनकी उतनी ही बलवती इच्छायें होती हैं ।हर साल इलेक्शन पहलेढेरों बधाई संदेश भिजवा डालते हैं। जीतो तो इनकी लाटरी खुल जाती है हारो तो पीछे मुद के नहीं देखते ।
फिर ये एहसास भी करवाते हैं ,हमने कहा था आप चालीस से जीतेंगे ....।बात सच निकली की नहीं ?
अब की बार वे सब कहाँ गम हुए पता भी न चला ?जीतनी बधाईयाँ मिली उतने वोट मिल जाते तो कम से कम जमानत बाख जाती ।इन बधाइबाजोन ने कहीं मुह दिखाने लायक भी न छोड़ा |देखा ?हार गए की नइ?
बुलाओ उनको ,पूछो उनसे .....?मन से नहीं दिए थे क्या ,शुभ की कामना ,जो अमंगल हो बैठा ?अब इन बधाइयों से दर लगता है ।भाड में जाए ऐसी बधाइयां और ऐसा नया साल .....|
गुरुदेव !ये तो आपका श्मशान बैराग जैसा है ।
काहे कि वहां जाते ही सब कुछ निस्पृह विरक्ति के गर्भ में समा जाता है ....?
आप को इससे उबरने के लिए ही तो नया साल मना लेने की जरुरत है ,,,?
ध्यान को बंटाने के लिए ,जीवन को गति देने के लिए ,जीवन में एक नया उत्साह जगाने के लिए आपको नया साल मना लेना चाहिए ।क्या खाते हैं आप ....?
गनपत ! मैं एक नैतिक जिम्मेदारी के बोझ से दबा हुआ हूँ ।प्रदेश मुखिया हो के दो सीट न दिला पाया ,व्यर्थ है मेरा आज तक का पालेटिकल करियर....क़्या कहते हैं ...चुल्लु भर पानी में डूब मरने की इच्छा होती है ......।
और हाँ असल बात ये भी है कि,लोग जो पहले बिन बुलाये आ जाते थे ,वे बुलाने पर भी न आयेंगे ।बाद में बहाने पे बहाने बनायेंगे वो क्या था भाई जी हमें अमुक जरूरी काम फंस गया था सो न आ सके ,हम बाहर गए थे कल लौटे ...।ये सब मुझे अच्छा नहीं लगेगा |
गुरुदेव मरे आपके दुश्मन ....।आप एकतरफा सोच रखते हैं ।स्वार्थी लोगों की पहचान का यही तो समय है ।कम लोग आये मगर निष्ठा वाले हो |
हर अन्धकार के बाद सुबह की एक नई किरन फूटती है,आप ही कहते थे न गुरुदेव | आपको उस किरन का इंतिजार करना होगा ।यूँ निराश होने से ,मनोबल गिराने से काम नहीं चलाने का ?अगर आज आप बैठ गये तो पार्टी चरमरा के बैठ जायेगी ।आपके पास पिछ्ला उदाहरण एंम पी से है ,सी एम् ने हार के बाद दस साल पालिटिक्स से दूर रहने की सोच ली ।पार्टी को मझधार में छोड़ उतर गए क्या हाल हुआ ? कार्यकताओं का विश्वास लुट गया ।फिर विश्वास लौटा न सके ।वहीं दूसरी ओर वे अडिग खड़े रहते तो आज बात दूसरी होती की नहीं ?
गुरुदेव हम छोटे लोग हैं आपसे ज्ञान की बातें सीखे हैं ,आपको ज्ञान क्या दें ? आप से बस ये कह सकते हैं की एक हवा ,लहर या आंधी सी चल जाती है , उसी में बरसों से मजबूती से गडा टेन्ट आपका उखड जाता है ?
दूसरे प्रदेश वाले इतनने हताश नहीं हुए जा रहे हैं जितने आप हो के सरेंडर की मुद्रा में कम्बल ओढ़ के सो गए |
गुरुदेव !हमने पहले इशारों में आगाह किया था ,पार्टी बैठने वाली है ।आपने ध्यान नहीं दिया । वैसे हमें भी गुमान न था कि इतने जोरों से चरमरा के बैठ जायेगी ?
गुरुदेव अब तो पार्टी वालों को बैठ के चिंतन करना चाहिए की इसे पटरी पर कैसे लाया जाय । डेमेज कंटोल के लिए पांच साल का वक्त है ।सबी सम्हल जाएगा । आप तो आदेश दें बस .....।
`गनपत !तुम समझ कहे नहीं रहे ...?बिजली ,शामियाना ,बंद मिटाई वाले सब का हमसे लेना निकलता है ।लिहाज में वे मांगने नहीं आ पाए ,किस मुंह से उनको आर्डर करें......?इससे अच्छा नए साल में दुबक के दो पेग न पी लें .....?
गुरुदेव ,व्यवस्था आप मुझ पर छोडो अभी नए साल को हप्ता -दस दिन हैं,देख लेंगे ।
हाँ गुरुदेव ,पार्टी को एक नया लुक देने का प्लान ले के मैं आया था,इससे खोई प्रतिष्ठा ,सम्मान वापस आने की संभावना है ।
गुरुदेव प्लान ये है कि अपन ,प्रभात फेरी का पुराना फार्मूला फिर से रेवाइव करे । हर मोहल्ले में पांच सात लोग जगाये| उनको पार्टी झंडा ले के निकलने को कहें | वे अपने करीब के दूसरे मुहल्ले में पहुंचें । इससे जनमत बनेगा | भाग लेने वालो की अटेंडेंस लें । लोकल बाड़ी चुनाव में इसे आधार मान के टिकट बांटे। साफ सुधरी छवि वाले कार्यकर्ताओं की फौज जुड़ेगी । सुबह सबेरे सात्विक विचार के लोग मिलेंगे ।देर से उठने वाले ,पिय्यकड-बेवडों से पार्टी को निजात मिलेगा |
आप कहें तो आपके नाम से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दूँ ....?
नहीं -नहीं में आपके पास फिर ढेरों बधाईयां आने लग जायेगी .....मुझे मालूम है सत्ता में पुन: वापसी के खौफ से भी लोग घबराते जरुर हैं |
सुशील यादव
२०२ शालिग्राम ,श्रीम सृस्ठी
संफार्मा रोड अटलादरा वडोदरा ३९००१२
अच्छा व्यंग है सुशील जी "दिल के अरमा आंसुओं में बह गए ... हम जो हारे इलेक्शन तो तनहा रह गए ...चमचे चमची .. चापलूस सब मौका देख निकल गए ..? ? ?" वाह वाह बधाई एवं नववर्ष की शुभकामना
जवाब देंहटाएंAapko bhii nyaa saal mubaarak ho
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