सप्ताह की कविताएँ

SHARE:

मंजुल भटनागर नव वर्ष पर मेरी एक कविता कुछ उत्सव सा है घट उम्र का कुछ एक एक बूँद कर रिस गया बस एक़ साल गुजर गया घात लगा कर बैठा था सवेरा म...

image

मंजुल भटनागर

नव वर्ष पर मेरी एक कविता


कुछ उत्सव सा है
घट उम्र का कुछ
एक एक बूँद कर रिस गया
बस एक़ साल गुजर गया

घात लगा कर बैठा था
सवेरा मुंह जगे
कोहरे में लिपट गया
बस एक और साल गुजर गया

मुनिया कुछ बड़ी लगने लगी है
मामू की ख़ुशी फ़िक्र में ढलने लगी है
मुनिया के सपनों में
कोई स्वप्न बन जिल गया
बस एक और साल गुजर गया

शाख पर लगे फूल
रिझाने में लगे हैं
हाथों से चल कर गुलदानों में सजने चले हैं
शराब शबाब एक नई यात्रा में घुल गया
बस एक और साल गुजर गया

अम्मा का चश्मा
फिर से धूमिल होने लगा है
किसनू भरमाने सा लगा है
अम्मा हर पल मज़बूरी  में ढल गया
बस एक और साल गुजर गया

वीराने जंगल में
ठंड में तम्बू की रात में
आँखों में दूरबीन लगाये
जागते रहें हैं जो
उनकी आँखों में जश्न कब खिल गया
न किसी मुद्दे का हल मिला
बस एक और साल गुजर गया.
................. .

प्रदीप कुमार गुप्‍ता


                          कृष्‍ण बनके किसी ने निहारा नहीं

    सुदामा-तुम कहाँ भटाकोगे
    दुख, भूख, गरीबी, अभाव के दलदल में मीलों धंसे
    तुम जो निरीह प्राणी हो इस ग्रह के
    संघर्ष ही जिसके जीवन की कथा रही
    जिससे किसी का कोई स्‍वार्थ सध नहीं
    संकोची, भीरू, ईमानदार और न जाने क्‍या क्‍या.....
    आस्‍था के आडम्‍बर में नवध भक्‍ति के स्वयंवर में कहां चुके तुम
जो खाई ठोकर, पाई है गालियां, सहे है दुत्‍कार, धिक्‍कार, विरोध, अवहेलना, अपमान, अवज्ञा
    झेले है झंझावत, निर्मम आघात, उत्‍पीड़न, नृशंस यातानाएं अमानुषिक अत्‍याचार
    तुम जो हो लाचार, बेवस, दरिद्र, विवश, विक्षिप्‍त
    अनाथ, अभिशप्‍त, कुण्‍ठित, हताश, निराश, अवसादग्रस्‍त
    तुम्‍हारी वेदना, व्‍यथा, पीड़ा को कौन सहजेगा ?   
    तुम्‍हारी अर्न्‍तमन की दाह, संताप को कौन समझेगा ?
    जब नैतिकता, मर्यादा, मान्‍यता, आदर्श, सिद्धांत, त्‍याग
    तपस्‍या, करूणा, माया, दया, सत्‍य हो रहे धराशायी क्रमशः
    संस्‍कार, संस्‍कृति, परम्‍परा हो रहे पराजित

    सुदामा-कृष्‍ण की खोज में
    कहाँ भटकोगे ?
    बीहड़ वियावां जंगल में
    अब द्वारिका में-
    स्‍वार्थ से वशीभूत आबादी वाली नगरी में
    कोई कृष्‍ण नहीं रहता
    अब तो तुम्‍हें पत्‍नी की प्रताड़ना, उलाहना चुपचाप सहनी होगी
    अश्‍वत्‍थामा को-आटे को घोल-दुग्ध मान पिलाना होगा
    उर्वशी को पुररूवा को देना होगा
    अंधा बांटे रेवड़ी बेरी बेरी खुद को दे-वाली इस दुनिया में ।

    सुदामा-तुम कहाँ कहाँ भटकोगे ?
    तुम्‍हारी संवेदना भावना भरी पोटली
    कांख तले दबी नहीं रह जाएगी
    कोई उचक्‍का बटमार छिन ले जाएगा
    बना के तमाशा, रोटियां वाहवाही बटोरेगा ।

    सुदामा-तुम्‍हारी गरीबी का व्‍यवसाय बनेगा उपहास उड़ेगा
    मनरेगा बनेगा, एनजीओ बनेगा
    एपीएल, बीपीएल, लाल कार्ड, इंदिरा आवास बनेगा
    आंकड़े बनेंगे कागजी खानापूर्ति होगी
    मत भटको सुदामा-
    अब कोई कृष्‍ण यहां नहीं रहता
    चेहरे पे पड़ी जवानी में झुर्रियां
                                          2.
       पिण्‍डलियों की उभरी नसें
    भूख से कुलबुलाती अंतड़ियां के दर्द
    और चुभती दरार पड़ चुकी सांस वाली नंगी देह
    फटी बिवाई चांद से फफोले वाले तलुओं को
    अपने आंसुओं से कौन पखारेगा ?

    सुदामा-तुम्‍हें तो जी हुजूरी, ठकुर सुहाती चापलूसी, चमचागिरी कुछ भी आता नहीं
    और फिर महंगाई के इस दौर में
    कोई किसी पे तरस नहीं खाता
    न रहम करता है।

    वंचित हो सुदामा तुम
    जब ईश्‍वर ने ही तुम्‍हारे अक्षय पात्र में कुछ डाला नहीं
    तो धरती के वासी क्‍या डालेंगे ?
    प्रारब्‍ध और साहचर्य जैसे सुरक्षा चक्र के हाशिए पे पड़े तुम
    ये अपने ही कुंए से पानी ले अपने ही खेत में मल विसर्जन करते हैं
    तुम्‍हारे हिस्‍से का एक कतरा सुख भी वे ले उड़ेंगे
    तुम टापते रह जाओगे ।

    सुदामा-युग बदला, परिस्‍थितियां बदली
    स्‍थान, काल, परिवेश बदला
    नहीं बदला तो बस तुम्‍हारी भूखी स्‍थितियां
    अब तो कृष्‍ण ने भी अपना चोला बदल लिया है
    वंचक है वो, राजनीतिज्ञ, सरकारी कर्मचारी, पुलिस, पत्रकार
    माफिया, बिचौलिया, चिकित्‍सक, शिक्षक, व्‍यापारी हो गया है
   
    सुदामा-तुम किसकी शरण में जाओगे
    गरीब का कोई आधार नहीं होता
    तुम्‍हारी सुध लेने वाला कृष्‍ण
    अब इस धरा पर नहीं है, नहीं है, नहीं है ।

 

  प्रदीप कुमार गुप्‍ता
  दीपा साइकिल, तिरंगा चौक, गिरिडीह-815301
............................... .


 

जय प्रकाश भाटिया


बच्चे,
दिल के सच्चे,
मासूम  फ़रिश्ते,
जात, धर्म, मज़हब, से अनजान,
देश का भविष्य, अपने परिवार की जान ,
केवल इंसानियत ही जिनकी पहचान,
कुछ पढ़ाई , कुछ आपसी दोस्ताना लड़ाई ,
कुछ ज़िद,कुछ हरकतें, कुछ शरारतें,
फिर भी कितने अपने कितने प्यारे--
सब जिन्हें प्यार से दुलारते, पुकारते-- 
सबका प्यार पाने को  सदा लालायित,
सब अपना प्यार लुटाने को कितने उत्साहित ,
पर यह क्या ---
पाक धरती पर नापाक कत्ले आम,
वह भी इन मासूम फरिश्तों का..
खून की बहा दी  नदियां, आंसुओं के बह गए सैलाब,
या खुदा, हे भगवान, हे परम पिता परमेश्वर,
सब को दे रहम का सबक, शांति का पाठ ,
इंसान इंसान से करे प्यार
सिर्फ प्यार
सिर्फ प्यार-
और ले आये स्वर्ग इस धरती पर--
और हर घर , हर परिवार ,समाज, हर देश,
बन जाये खुशियों का संसार …

१७/१२/२०१४      --

.............................. .

मीनाक्षी भालेराव


बरकत
मेरे घर जब से
बेटी ने
जन्म लिया है
तब से
मेरे घर मैं ज़िन्दगी
आ बसी
मेरे घर मैं खुशीयाली
आ गयी है
वैसे तो वह मुझे कभी
परेशान नहीं करती
फिर भी कभी कभी
छोटी सी बात पर
जब मैं हाथ उठाती हूँ
मेरा उठा हाथ
वहीं रूक जाता है
और माँ की कही बात
मुझे याद आ जाती है
माँ ने कहा था कभी
अपनी बेटी पर
हाथ ना उठाना
घर की बरकत
चली जाती है
--
न हालात बुरे थे उनके
न थी कोई मजबूरी
वो नर पिशाच थे
कितनी ही माँओं की
जिन्होंने गोद ख़ाली कर दी

............................... .

दीप्ति सक्सेना


मासूम जिंदगी - एक अमानत
नन्हे कदम चले थे स्कूल
बिना किसी खौफ
बिना किसी डर के ,
सपने थे मासूम आँखों में
आने वाले कल के ,
मौत का तो नाम जैसे
जानते भी ना थे वो ,
अनजान थे
इस बेरहम दर्द से।
फिर ऐसा क्या गजब हो गया
वक़्त कैसा ये बदला की
ऐसा भयानक मंजर हो गया  ,
बिछ गयी लाशें मासूमो की
और कलंकित इंसानियत का
धर्म हो गया ,
गलती क्या थी इन नादानों की
जो बेपाक कत्ले आम हो गया ,
कहाँ है खौफ तेरा ए खुदा
जो हाथ भी न काँपे
बंदूके चलने में ,
गोलिया दाग दी
बिना किसी कारन सीने में ,
रब की उस अदालत में
ये गुनाह कभी कबुल न होगा ,
हाय लगेगी माता पिता की
जो सुबह छोड़ आ स्कूल
शाम औलादे दफ़ना कर आये है ,
हर आसु उनका
नरक की और ले जायगा ,
ना कफ़न मिलेगा
ना  पीने को पानी ,
जिस दिन ख़ुदा  अपना
फैसला सुनेगा।


       दीप्ति सक्सेना
, जयपुर , राज

............................... .

बलबीर राणा अडिग


*** यह मैं नहीं वह काल कहता है *****
काल की चाल तीव्र तीखी
तेरी मुश्कान पड़ती फीकी
राज का राज भी खुल बिखर महल क्षण में ढह जाता है
यह मैं नहीं वह काल कहता है।
मैं हूँ किंचक जातक केवल
धरती का एक जीव निर्बल
एक तारे के टूटने पर असंख्य तारों से भरा गगन भी रोता है
हा हा कार बहार तू क्यों भीतर सोता है।
मैं अपने दुःख पर दुखी मौन
दर्द सबको देने वाला क्यों तू मौन
युग युग से देख रहा तू तांडव, ऐसे क्यों धरती को नचाता है
कैसे चीख पुकार तु सहता है।
बुझती निशा न्योता सहज कबूल
तेरा कैसा चलन कैसा उसूल
उषा की पुकार पर, खिल खिला दौड़ा चला आता है
दिनकर बन जीवन तपाता है।
पर्सब पीड़ा में धैर्य का सागर
तपड़ रहा नित हो रहा जर जर
कैसे उन्मुक्त हो चली बिमुख मानवता की हवा संग बहता है
ऐसा गुण तुझ में कहाँ से आता है।
घुमड़-घुमड़ चिंतन का बादल
क्यों मन घुमिल करता पागल
संसार चला है चलता रहेगा अडिग तेरा प्रश्न थक जाता है
यह मैं नहीं वह काल कहता है।
रचना:- बलबीर राणा 'अडिग'
ग्राम मटई
चमोली गढ़वाल
उत्तराखंड

........................ .

    धर्मेन्‍द्र निर्मल


ग़ज़ल

चलती फिरती लाश हूँ मैं।
दहकता हुआ पलाश हूँ मैं॥
कितना ही घुप्‍प अंधेरा हो।
चमकता हुआ उजास हूँ मैं॥
मौसम के खिलवाड़ों से।
सुलझता हुआ उल्‍लास हूँ मैं॥
लक्ष्‍य दूर है क्‍या हुआ।
चहकता हुआ प्रयास हूँ मैं॥
समय साथ दे न दे मेरा।
महकता हुआ कयास हूँ मैं॥
.................................. .


 

विश्वम्भर पाण्डेय ‘व्यग्र’


  उठो ,जागो ! अब सवेरा हो गया है ।
  तजो आलस, अब सवेरा हो गया है ।।
  उगा सूरज, बिखेरी स्वर्ण-किरणें,
  धनी हुई धरा, सवेरा हो गया है ।
  बन्द आँखों के सपन सब झूठ सारे,
  आँख खोलो सच, सवेरा हो गया है ।
  नीड़ से निकली हैं, चिड़िया देर की,
  गा रही है गीत, सवेरा हो गया है ।
  जो कली डाल पर,रात भर उदास थी,
  खिल बनी अब फूल, सवेरा हो गया है ।
  रात नागिन बनी, अब रस्सी जानलो,
  त़ोड़ दो बन्धन, सवेरा हो गया है।
  बहुत जगते रहें हैं, उल्लू रात भर,
  सोने दो अब उन्हें, सवेरा हो गया है ।
  'व्यग्र' छोड़ों व्यग्रता, सब भूलकर
  बच्चे चले स्कूल,सवेरा हो गया है।

- कवि विश्वम्भर पाण्डेय ‘व्यग्र’
कर्मचारी कालोनी, गंगापुर सिटी,
(राज.)
    ......................... .


 

अमित कुमार गौतम ''स्वतन्त्र''


आ गई चुनाव जनपदी
---------------------------

गली-गली,घर-घर बाट्य लागे फ़र्दी !
लागत है की आ गई चुनाव जनपदी!!

जे कल तक नही जानत रहे हमरऊ नाम!
आज गोडे आगौछी रख्खत हा!!

पुन अव हमका लागत हा!
भैया लड़े चुनाव जनपदी हा !!

गोड़ छुइके के कहिही!
हमार नइया लगाई पार!!

उगिल देइ सलगी मलाल!
गलती बिसराई हमार!!

कहव बिदुराइन बेजा न माने भैया!
खूब दिखन तोहराउ पांच साल के कमइया!!

जितवे के बाद केउ न निहरही!
कुछ कही देव ता सौहय कपाऱय मरिही!!

चाहे हम भैया का जीताई,चाहे जिताई काका का!
घर ता उनखर भरी हमरे रही लुआठ के फाका!!

सलगे गाव का दतनिपोर मनिके,लागे बाटय पैसा-फ़र्दी!
लागत है भैया आ गई चुनाव जनपदी!!

--------------अमित कुमार गौतम ''स्वतन्त्र''
                           [ रचनाकार ]

ग्राम-रामगढ न.2 ,तहसील-गोपद बनास,जिला-सीधी
मध्यप्रदेश, पिन कोड-486661
..................... .


 

अंजली अग्रवाल

जमीन में रहना सीखो मेरे दोस्तों.....
उड़ती इस पतंग की डोर थामो मेरे दोस्तों......
किसके पीछे भाग रहे हो तुम
कभी मुड़कर भी देखो मेरे दोस्तों.....
क्या पाया सोचने से पहले,
क्या खोया ये देखो मेरे दोस्तों.....
बिखरी इस जिन्दगी को, अब समेटो मेरे दोस्तों.....
ये जिन्दगी तुम्हारी है थोड़ा ,
अपने साथ भी वक्त बिताओ मेरे दोस्तों.....
आसमान की विशाल बाँहों को महसूस करो मेरे दोस्तों.....
पेड़ो की छाव में, रहकर देखो मेरे दोस्तों.....
इन ठण्डी हवाओं की सरसराहट सुनो मेरे दोस्तों......
कभी अपने आप में भी खो कर देखो मेरे दोस्तों.....
तुम्हारे अन्दर एक गहरा समुन्दर है,
इसकी लहरो को उठने दो मेरे दोस्तों.....
जीते तो सब है, जीने की वजह तो खोजो मेरे दोस्तों.....
उड़ते उन पंक्षियों की भाँती कभी,
अपने लिये भी गा कर देखो मेरे दोस्तों.....
कभी अपने आप से भी तो मिलो मेरे दोस्तों.....
दौड़ती भागती इस भीड़ में खुद को मत खोओ मेरे दोस्तों.....
हाँ ये जीवन एक संघर्ष हैं पर
इस संघर्ष में अपने आप को जिन्दा रखो मेरे दोस्तों.....
जमीन में रहना सीखो मेरे दोस्तों.....
उड़ती इस पतंग की डोर थामो मेरे दोस्तों......
................... .

COMMENTS

BLOGGER: 1
  1. वाह , बेमिसाल रचनाओं के संकलन से सुसज्जित अंतर्जालीय पन्ने को प्रस्तुत करने के लिए शुकिया और आभार रवि जी । आनंदम आनंदम

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: सप्ताह की कविताएँ
सप्ताह की कविताएँ
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiJ7P6ZGZ2YHQzytiRbkzafP5CxWYVQ-hff4jRsyaasIhSFzFOY2uHNP-FeFsoKGH8K0TcOFhN3Cq2au-_OCIDO0yV4zx4qPKMFVw2QyGoD06PB-Wx3I40MODqbcdbSBzjeE41J/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiJ7P6ZGZ2YHQzytiRbkzafP5CxWYVQ-hff4jRsyaasIhSFzFOY2uHNP-FeFsoKGH8K0TcOFhN3Cq2au-_OCIDO0yV4zx4qPKMFVw2QyGoD06PB-Wx3I40MODqbcdbSBzjeE41J/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2014/12/blog-post_29.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2014/12/blog-post_29.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content