ओमप्रकाश शर्मा की बाल एकांकी - शब्द निर्माण

SHARE:

शब्द निर्माण ( बाल एकांकी ) (विद्यालय में सातवीं कक्षा का कक्ष, सामने बाईं और एक मेज और एक कुर्सी है मेज पर उपस्थिति पंजिका राखी है I कक्षा...

शब्द निर्माण (बाल एकांकी)

(विद्यालय में सातवीं कक्षा का कक्ष, सामने बाईं और एक मेज और एक कुर्सी है मेज पर उपस्थिति पंजिका राखी है I कक्षा में बैठे सभी विद्यार्थी अपनी-अपनी पुस्तकें खोलकर कुछ याद कर रहे हैं। कुर्सी के पीछे दीवार के मध्य दीवार श्यामपट टंगा है उसके नीचे बगल में तिपाई पर चॉक का डिब्बा रखा हुआ है। भाषा अध्यापक दाहिनी के दरवाजे से कमरे में प्रवेश करते हैं। सभी विद्यार्थी खड़े होकर उनका अभिवादन करते हैं तथा अध्यापक के संकेत पर सभी पुन: बैठ जाते हैI )

अध्यापक:(विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए) आज तो लग रहा है आपकी कक्षा में कोई भी अनुपस्थित नहीं है।

रमेश : गुरुजी इस सप्ताह हमारी कक्षा में उपस्थिति प्रतिदिन ही शत-प्रतिशत रही है।

भाषा अध्यापक : यह तो बहुत ही अच्छी बात है। इसके लिए तो आप बधाई के पात्र हैं। हाँ अब यह बताओ कि जो मैंने आपको गृहकार्य दिया था वह आप सभी ने पूरा कर लिया है य कुछ ऐसा भी है जो आप मुझसे समझना चाहते हो?

रमेश : शेष तो कर लिया गुरुजी, लेकिन पर्यायवाची शब्द यदि आप लिखवा दें तो हम उन्हें स्मरण कर लेंगे I इनमें कई तो एक से ही लगते हैं और उनमें कुछ अंतर समझ में नहीं आता जैसे- तोयज कमल और तोयद बादल।

भाषा अध्यापक : रमेश बेटा, लिखवाने को तो अभी लिखवा सकता हूँ लेकिन कुछ बातें ऐसी भी होती है जिन्हें एक बार भली-भांति समझ लिया जाए तो वे बिना स्मरण किए ही जीवन भर याद रह सकती हैं और जिस प्रकार की शंकाओं की बात तुमने की हैं उनका सदा के लिए समाधान भी मिल जाता हैI

सोहन :बिना स्मरण किए सदा याद ! वह कैसे ?

भाषा अध्यापक : क्यों चौंक गए? मैं सत्य कह रहा हूँ और आज मैं आपको कुछ ऐसा ही कुछ सिखाने जा रहा हूँ बोलो सीखना चाहोगे?

सभी विद्यार्थी मिलकर – हाँ जी, हाँ जी हम सीखेंगे।

 

भाषा अध्यापक: ठीक है सबसे पहले राधा तुम बताओ तुमने पानी के कितने पर्यायवाची कंठस्थ किए है?

राधा :( सोचते हुए) जल ,वारि , नीर ...... तीन ही याद हैं।

भाषा अध्यापक : चलो तुम इसे श्यामपट पर ऊपर से नीचे की ओर क्रम से लिख दो (राधा आकर स्यामपट पर लिखती है भाषा अध्यापक अन्यों को सम्बोधित करते हुए) और कोई ?

रमेश : अम्बु और तोय भी तो जल के ही पर्यायवाची हैं।

भाषा अध्यापक : क्यों नहीं तुम भी इन्हें इसके नीचे लिख दो । (रमेश भी आकर नीर के नीचे अम्बु और उसके नीचे तोय लिख देता है, अध्यापक अपनी बात जारी रखते हुए)अब आपके सामने पानी के ये न पाँच पर्यायवाची शब्द है - जल, नीर ,अम्बु तोय और वारि। अब हम आज हम इन्ही पाँच शब्दों से अनेक शब्दों का निर्माण करने का कार्य करेंगे ।

राधा: गुरुजी, वह कैसे?

भाषा अध्यापक : गणित के ही नियम नही होते भाशा के भी नियम्क होते हैं, जिन्हे समझने की आवश्यकता होती है और जब समझ में आने लगते हैं तो भाषा तो इतनी आसान हो जाती है कि हम नए नए शब्दों का प्रयोग करने लगते हैं I

रमेश : सत्य कह रहे हैं आप?

 

भाषा अध्यापक : मैं भला आपसे असत्य क्यों कहूँगा। अब जरा ध्यान से देखो , अब मैं इन पाँचो वर्णों के अंत में ‘ज’ वर्ण लगा देता हूँ।( सब शब्दों के आगे ‘+ज ’ लगा देते हैं बच्चे साथ-साथ उन्हें अपनी अभ्यास पुस्तिका में उतारते रहते हैं) अब आप एक बात अपने दिमाग मे बैठा दो कि ‘ज’ जब बाद में लगाया जाता है तो वह में या से उत्पन्न या में या से जन्म लेने वाला अर्थ देता है। अब देखो मैंने पंक जिसका अर्थ होता है कीचड़ के साथ ‘ज’ लगा दिया ( ब्लैक बोर्ड पर लिखते है पंक + ज = पंकज)। अब इस पंकज शब्द का अर्थ हो गया कीचड़ में जन्म लेने वाला I

राधा : पंकज तो कमल को कहते हैं आपने ही तो बताया था।

भाषा अध्यापक : राधा बिटिया कमल कीचड़ में तो पैदा होता है इसीलिए तो उसे कमल कहते है।

रमेश : अब समझ में आया गुरुजी।

भाषा अध्यापक : ज़रा देखो मैंने जब इन पाँचों के साथ ‘ज’ जोड़ा (स्याम पट पर लिखते हुए) पाँच नए शब्द बन गए -–

जल + ज = जलज

वारि + ज = वारिज

नीर + ज = नीरज

तोय + ज =तोयज

अम्बु + ज =अम्बुज

मोहन : क्या जलज तो कमल को नही कहते हैं?

 

भाषा अध्यापक : मोहन कहते हैं, आप् बिलकुल ठीक कह रहे हो कमल जल में पैदा होता है तो जलज हुआ I वैसे तो जल में बहुत कुछ पैदा होता जैसे मोती, मछली आदि परन्तु यह शब्द कमल के लिए रूढ़ हो गया है। और जलज ही नहीं वारिज , नीरज, तोयज, अम्बुज ये सभी शब्द भी पानी के पर्यायवाची के आगे ‘ज’ जोड़ कर बने है इसलिए इन सबका अर्थ भी कमल ही है।

राधा : यह तो बिलकुल सुगम है पानी के पाँच पर्यायवाची याद किए और ‘ज’ जोड़ने से कमल के बन गए। यह तो सच में समझने की बात है इन्हें याद करने की तो जरूरत ही नहीं है।

रमेश : क्या इस प्रकार और शब्द भी बनाए जा सकते है?

भाषा अध्यापक : क्यों नहीं ,बहुत से।

सीता : गुरुजी, और बताओ न, यह तो बहुत ही आसान सा तरीका हैI

भाषा अध्यापक : अरे , अभी यही बात कहाँ पूरी हुई है धीरज रखो। एक शब्द है ‘अनु’ और इसका अर्थ होता है बाद में और इसके बाद मैंने (श्यामपट पर लिखते हुए ) यह देखो ‘ज’ जोड़ दिया यह बन गया अनुज I अब इसका अर्थ हो गया बाद में पैदा होने वाला I राधा बेटी तुम्हारे बाद कौन पैदा हुआ?

राधा :( खड़े होकर ) मेरे बाद तो मेरा छोटा भाई रीतेश पैदा हुआ है I

भाषा अध्यापक : तो राधा के बाद उसका छोटा भाई पैदा हुआ इसलिए अनुज का अर्थ हो गया छोटा भाई I

रमेश : इसका अर्थ तो यह हुआ कि अग्र होता है पहले या आगे और यदि ‘ज’ जोड़ें तो बन गया अग्रज अर्थात पहले पैदा होने वाला और अर्थ हुआ बड़ा भाई I

भाषा अध्यापक : अरे बहुत खूब , रमेश तुम तो बिलकुल समझ गए I अब तुम इसी प्रकार स्वेदज, अंडज , आत्मज जैसे बहुत से शब्द बना सकते हो और अपने शब्द भण्डार में वृद्धि कर सकते हो I

राधा: भाई के लिए तो आपने बता दिए और बहन के लिए?

भाषा अध्यापक : हाँ राधा बेटी तुमने समय पर याद दिला दिया अन्यथा मैं बताना भूल ही जाता। यह बात भी जरा ध्यान से अपने मस्तिष्क में रख लो।

कुछ विद्यार्थी : कौन सी बात गुरूजी ?

 

भाषा अध्यापक : य़दि इस ‘ज ’ में आ की मात्रा लगा दी जाए तो स्त्रीलिंग बन जाता है। जैसे अनुज का अर्थ था छोटा भाई तो अनुजा का अर्थ हो गया छोटी बहन।

राधा : वाह ! तब तो अग्रज बड़ा भाई , अग्रजा बड़ी बहन , आत्मज पुत्र तो आत्मजा पुत्री।

रमेश : वैसे ही तनुज और तनुजा।

भाषा अध्यापक :(उनको प्रोत्साहित करते हुए ) कमाल है तुम तो लग गए एक शब्द से अनेक शब्दों का निर्माण करने।

रमेश : गुरुजी आज आपने सिखाया ही इस तरीके से जिससे शब्द बिना स्मरण किए ही दिमाग मे इस प्रकार चिपक गए जैसे सिमेंट से ईंट जुड़ जाती है। (अध्यापक और अन्य बच्चे हँसने लगते हैं)

राधा :(कुछ विचारते हुए) मैं रितेश की अग्रजा हुई न ? यदि मैं उसको पत्र लिखू तो क्या पत्र के नीचे ‘तुम्हारी अग्रजा’ लिख सकती हूँ?

भाषा अध्यापक : क्यों नही , तुम सम्बोधन में भी उसे प्रिय अनुज लिख सकती हो। अब बताओ सब कैसा लग रहा है सीखना ?

सभी : बहुत अच्छा ,बहुत अच्छा ।

सीता: गुरुजी इस प्रकार तो यदि पुस्तक में ये शब्द आते हैं तो हम ‘ज’ या ‘जा’ को अलग करके इन शब्दों के अर्थ भी सुगमता से सीख सकते हैं

 

अध्यापक : इसमें तो कोइ संदेह ही नही I जैसे आत्मजा शब्द कहीं पर आता है तो ‘आत्म + जा’ जो अपने से उत्पन्न हुई हो अर्थात पुत्री अर्थ सुगमता से लिया जा सकता है यह सब कुछ तो मैं तुम्हे सन्धि और समास सिखलाते हुए भी करवाऊँगा। उस समय आप इसे और भी आसानी से सीख जाएँगे। `

सोहन : इससे भी आसान तरीके से? हम तो इन शब्दों को रटते थे और आपने हमें इस प्रकार समझा दिए कि हम इन्हें कभी भूल ही नहीं सकतेI

भाषा अध्यापक : यदि शब्दों के अर्थ अच्छी प्रकार समझ लिया जाए तो उन्हें बार-बार याद करने की आवश्यकता ही नहीं रहती है I अब देखो मैं हम इन पाँच शब्दों के बाद लगाए गए ‘ज’ को मिटा देता हूँ ( मिटाते हैं) और इसके स्थान पर ‘द’ लिख देता हूँ I

मोहन : ‘द’ लगा देने से अब क्या हो जाएगा?

भाषा अध्यापक : इस ‘द’ का अर्थ होता है देने वाला I पहले सोहन तुम यह तो बताओ तुम्हें पानी कौन देता है?

सोहन : मैं तो खुद नल से पानी भर कर लाता हूँ I

भाषा अध्यापक : ( अध्यापक मुस्कुराते हुए) और नल में कहाँ से आता है ?

सोहन : पानी के टैंक से I ( सब हँसते हैं )

भाषा अध्यापक : और पानी के टैंक में कहाँ से आता है रमेश तुम बताओ ?

रमेश : जब मेघ बरसते हैं तो हमें जल मिलता है उसी का जल तालाबों, सरोवरों में एकत्रित होता है, नदियों में भी तो वर्षा का जल प्रवाहित होता है I

भाषा अध्यापक : शाबाश, हाँ हमें जल बादल ही प्रदान करते हैंI

 

सोहन: मेरे घर के पास पानी तो जमीन के अन्दर से निकलता है I

भाषा अध्यापक : सोहन तुम भी ठीक कह रहे हो, जब मेघ बरसते हैं मिट्टी और पौधे उस जल को सोख लेते लेते हैं वही एकत्रित जल नाले बावड़ियों में आता रहता है लेकिन सबको जल देने वाले बादल ही होते हैं। अब समझ गए क्या?

सोहन: अब तो अच्छी प्रकार समझ गया तभी मैं सोचता था कि बरसात में जमीन से जगह जगह पानी क्यों निकलता है आज मेरी समझ में आ गया जब जमीन में वर्षा का ज्यादा जल चला जाता है तो वह बाहर निकालने लगता है।

भाषा अध्यापक: ठीक हैI अब इन्ही पांच शब्दों के बाद में ‘द’ लगा देने ये पाँच शब्द बन गए ( श्यामपट्ट लिखते हुए )

जल + द = जलद

वारि + द = वारिद

नीर + द = नीरद

तोय + द =तोयद

अम्बु + द =अम्बुद

राधा: अब इन सब का अर्थ भी बद्द्ल ही हो गया I

भाषा अध्यापक :(मुस्कुराते हुए)बद्दल तो हम अपनी बोली में बोलते हैं यहाँ तो बादल याद रखना पड़ेगा ( बाकी बच्चे मुस्कुराने लगते हैं)I

राधा : गुरूजी गलती हो गई आपने इतने सरल तरीके से समझाया कि उत्सुकतावश बादल को कब बद्दल बोल दिया ध्यान ही नहीं रहाI

अध्यापक: बच्चो, इसमे हँसने की क्या बात है। हम परिवार में अपनी-अपनी बोली के शब्दों का प्रयोग करते है जो गलत नहीं होते लेकिन शुद्ध भाषा सीखने के लिए हम उनका प्रयोग यहाँ नहीं करते हैं। हाँ तो इतना आप लोगोन की समझ में आया?

 

सभी: हाँ जी ऽऽऽऽ।

सोहन : मुझे तीन ही याद नहीं हो रहे थे आपने तो पांच याद करवा दिए।

भाषा अध्यापक : अभी तो तुम दस भी याद कर लोगे लेकिन पहले आप यह जान लो कि कि बाद में ‘द’ लगा कर और भी शब्द बनाए जा सकते हैं।

सोहन : और भी !

भाषा अध्यापक : हाँ, और भी कई शब्द बन सकते हैं जैसे – सुख +द =सुखद सुख देने वाला , दुख + द =दुखद दुःख देने वाला

सीता : वर में द लगाकर वरद I

भाषा अध्यापक : बिलकुल ठीक , आप इसी प्रकार ‘द ‘ जोड़कर और भी कई शब्दों का निर्माण कर सकते हो I

राधा : आपने बड़ी सुगमता से पाँच से पन्द्रह शब्द बना दिए और साथ ही साथ बहुत से और शब्दो को बनाना थोड़ी ही देर में समझा दिया I आज सीखने में बहुत आनंद आ रहा है।

भाषा अध्यापक: जब विषय को समझने का प्रयास करोगे तो ऐसा ही आनन्द आएगा। आपको यह तो पता ही है कि ‘धर’ का अर्थ होता है धारण करना i अब में ‘द’ को भी मिटा देता हूँ और उसके स्थान पर ‘धर’ लगा देता हूँ I

 

(‘द’ को मिटाकर ‘धर लगा देते हैं ) अब रमेश आप बताओ कि जल को कौन धारण करता है I

रमेश : (कुछ सोचकर ) गुरु जी मुझे पता नहीं I

सीता: (भाषा अध्यापक के संकेत पर )जब गर्मी पड़ती है तब बादल जल को वाष्प के रूप में धारण करते हैं और आकाश में ले जाते हैI

भाषा अध्यापक : सीता ने बिलकुल सही बताया कि जल को धारण करने बाले बादल होते हैं I

रमेश : तब तो जलधर, वारिधर, अम्बुधर, तोयधर व नीरधर ये सब बादल के पर्यायवाची हो गए।

भाषा अध्यापक : हाँ ,ये सब बादल के ही पर्यायवाची हैंI

राधा : इस प्रकार तो बादल के दस पर्यायवाची बन गए और मेघ आदि अलग से | अब तो हिन्दी आसान लगाने लगी हैI

भाषा अध्यापक : हिन्दी है ही आसान I आप अब शब्द के अंत में ‘धर’ लगा कर कुछ शब्द बनाओ और उसके अर्थ बताओI

मोहन : शिवजी भगवान के सिर पर गंगा है इसलिए उन्हें गंगाधर भी कहते हैं ?

भाषा अध्यापक : सही कहा तुमने , इसी प्रकार चक्र हाध में धारण करने से विष्णु भगवान को ‘चक्रधर’, बलराम को हल धारण करने से ‘हलधर’ कहते है I

राधा : कृष्ण को ‘मुरलीधर’ और ‘वंशीधर’ I और सांप को ‘फणधर’ I

 

भाषा अध्यापक : अब तो आप खुद ही शब्द बनाने सीख गए हो I इसी प्रकार प्रयास करने पर आपके पास बहुत से शब्द बन जाएँगेI अब मैंने धर को भी मिटा दिया (मिटाते हुए ) अब हम इसके स्थान पर निधि शब्द जोड़ देते हैं (पाँचोंचों शब्दों के साथ निधि लिखते हुए )-

जल + निधि =जलनिधि

वारि + निधि = वारिनिधि

नर + निधि = नीरनिधि

अम्बु + निधि =अम्बुनिधि

तोय +निधि =तोयनिधि

(सीता की और इशारा करते हुए) अब तुम बताओ कि निधि किसे कहते हैं I

सीता : निधि का अर्थ भण्डार , कोश होता है I

भाषा अध्यापक : जल का का भंडार कहाँ होता है सोहन ?

सोहन: तालाब ,कुँए , सरोवर में I

भाषा अध्यापक :रमेश ज़रा तुम सोचा कर बताओ कि पानी का सबसे बड़ा भण्डार क्या हो सकता हैI

रमेश : वर्षा का जल नदियों के माध्यम से समुद्र में चला जाता है i तो समुद्र ही जल का भण्डार हुआI

भाषा अध्यापक : बिलकुल सही बताया आपने| वसे तो जल के भण्डार कई है लेकिन अंत में सारे का सारा जल समुद्र में एकत्रित हो जाता है I

रमेश: अब ये पांचो बन गए समुद्र के पर्यायवाची | ठीक है न गुरूजी ?

भाषा अध्यापक : ठीक है। इसी प्रकार अंत में निधि लगाकर बनने वाले कुछ और शब्द बताओ?

मोहन : करुनानिधि , दयानिधि ,कृपानिधि ।

भाषा अध्यापक : अब लग रहा है कि आप शब्दों को स्वयं बना सकते हो। कैसा लग रहा है आपको अब यह सब कुछ जानकर ?

सब : बहुत अच्छा |

 

भाषा अध्यापक : अब समय भी होने वाला है इसलिए अब अंत में निधि को भी मिटा देता हूँ (मिटाते हैं ) और इसके स्थान पर ‘धि ‘ लगा देता हूँ ( जहाँ जहां निधि था वहा दि लगाते हैं ) देखो अब शब्द बन गए –

जल +धि =जलधि

वारि + धि =वारिधि

नीर +धि =नीरधि

तोय + धि =तोयधि

अम्बु + धि +अम्बुधि

मोहन : गुरूजी ऐसा ही कुछ और बताओ|

भाषा अध्यापक : बच्चो, भोजन उतना खाओ जितना हजम हो जाए और एक समय में पढो उतना ही जितना समझ में आ जाए। पहले आप लोग यह बताओ कि आज हमने पांच शब्दों से कितने शब्द बनाए ?

राधा : पूरे तीस और इसके साथ और भी तो बहुत से शब्द हमें आ गए हैं।

(घंटी बजती है )

भाषा अध्यापक : देखो समय भी समाप्त हो गया है ,अब आपने इसको बाद में दोहराना है और कल मै आगे सिखाने से पहले आपसे इनके बारे में पूछँगा I

रमेश : हमारी तो यह घंटी खाली है हम मिलकर इसे अभी करने की कोशिश करेंगे I

भाषा अध्यापक : हाँ जरूर करना (इसके साथ ही अध्यापक का प्रस्थान)

राधा : क्यों न हम कोइ एसा तरीका निकाले जिससे यह कभी हमें भूले ही नहीं |

रमेश : क्यों न हम इसकी कविता ही बना दें |

 

सीता : कोशिश तो की जा सकती हैi ( कुछ सोचकर )

आओ रे मोहन सोहन सीता , मिलकर सारे नव खेल रचाएं , शब्दों में कुछ नव वर्ण जोड़ नव नव सार्थक शब्द बनाएंI

रमेश :

तोय जल नीर अम्बु वारि में ‘ज’ वर्ण जोड़ दिया यदि जाए, अर्थ तब तो जल से उत्पन्न ‘कमल’ उन सबका बन जाए I

मोहन : इन्हीं के आगे जब देखो मैंने , ‘द’ वर्ण को लाकर चिपकाया उससे तो जल को देने वाला , बादल अर्थ है निकल आया I

राधा : धर का अर्थ है धारण करना जब कभी पीछे आ जाएगा , बोलो तुम उसका मतलब भी , ‘बादल’ क्या न बन जाएगा?

रमेश : निधि कहते सब भण्डार को इसको भी इनके पीछे लाओ, मेघ के पर्यायवाची पाँच तुम उससे तत्काल स्वयं बनाओI

सीता: ‘धि’ को को भी इनके पीछे कभी कभार हम लगा देते तब भी तो इनके अर्थ क्या सागर समुद्र नहीं हो जाते I

रमेश : ऐसे ही अब हम वर्ण जोड़ कर हम विविध शब्द बना सकते हैं अनुज अग्रज सुखद दुखद के अर्थ शीघ्र हम बतला सकते हैं |

 

ओम प्रकाश शर्मा ,

एक ओंकार निवास ,छोटा शिमला , शिमला -१७१००२ हिमाचल प्रदेश

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: ओमप्रकाश शर्मा की बाल एकांकी - शब्द निर्माण
ओमप्रकाश शर्मा की बाल एकांकी - शब्द निर्माण
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2014/11/blog-post_63.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2014/11/blog-post_63.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content