ओबामा का डिनर अजय गोयल अस्पताल में बाबूलाल का दिन पुड़िया सा घुल जाता । एक डाक्टर के यहाँ कम्पाउंडरी करते हुए उनका वक्त बीत रहा था । डॉक...
ओबामा का डिनर
अजय गोयल
अस्पताल में बाबूलाल का दिन पुड़िया सा घुल जाता । एक डाक्टर के यहाँ कम्पाउंडरी करते हुए उनका वक्त बीत रहा था । डॉक्टर साहब के चेम्बर के बाहर बैठ कर उन्होंने जीवन का इंद्रधनुष देखा । तिनका-तिनका बचाया । लम्हा-लम्हा जोड़ा । धीरे-धीरे पक कर मीठे फल से हो गए थे बाबूलाल । बाबूलाल वक्त को समझ से जोड़ने । उन्होंने देखा था कि अपनी प्रैक्टिस बढ़ाने के लिए डॉक्टर साहब ने चेम्बर की एक दीवार पर उर्दू में लिखा एक पर्चा टंगवा लिया था । जिसे न डॉक्टर साहब समझते थे । न ही वह । जबकि डॉक्टर साहब ज्योत प्रज्जवलित कर मरीज देखना शुरू करते । परिवर्तन बाबू लाल में भी था । कम्पाउण्डरी के शुरूआती दिनों में एक चोटी उनके बालों के बीच झांकती रहती । धीरे-धीरे उसका आकार कम होता गया । अन्त में वह अर्न्तध्यान हो गयी । उन्हें लगता था कि चोटी से कुछ लोग असहज हो जाते हैं । उनसे दूर-दूर रहते हैं । अपने पहनावे व चालढाल के कारण बाबूलाल समय के साथ डॉक्टर बाबू पुकारे जाने लगे थे । अस्पताल से निकलते वक्त उनके मोबाइल फोन पर तीन या चार मरीजों की कॉल की अतिरिक्त पूँजी रहती । कॉल उनमें उत्साह भर देती । बाबूलाल उन मरीजों के घर जाते । उनका ब्लड प्रेशर नापते या इन्जेक्शन लगाते । इसकी उन्हें अतिरिक्त फीस मिलती । वे जानते थे कि उनकी नाव छोटी है । पतवार हल्की है । जबकि जीवन धारा तेज । गृहस्थी की नैया खेने में इन सब से ताकत मिलती । घर लौटते वक्त देवी मन्दिर की आरती में सम्मिलित हो दिन को धन्यवाद ज्ञापित करते ।
आज उनके पास मरीजों की 'तीन कॉल थी । लेकिन चाहते थे कि मदिर जाएं । वहाँ हो रही भजन संध्या में सम्मिलित हो । दिनचर्या में से कुछ अपने लिए समय निकाले । अस्पताल उनके सपनों तक में झाँकने लगा था । बाबूलाल फोन बंद कर देना चाहते । तभी घंटी बजने लगी । - ''किस रामकथा में उलझे हो डॉक्टर बाबू । माता जी दोपहर से आपकी माला जप रही है । उन्हें अपना ब्लड प्रेशर बढ़ा लगता है । और शुगर डाउन । हाथ में कम्पन अनुभव होता है । दवा ले रही है । आप जब तक ब्लड प्रेशर नहीं नापेगे । शुगर नहीं जांचेंगे । उनको तसल्ली नहीं होगी । भगवन आपका इंतजार कर रहे हैं हम । 'शहर के नामी कपड़ा व्यापारी गोपाल जी उन्हें बुला रहे थे । उन्होंने अपनी जुबान की चासनी में पूरा शहर डूबो रखा था । उन पर लक्ष्मी कृपालु थी । लोकलाज का ध्यान था उन्हें । इसलिए सप्ताह में एक बार डॉक्टर साहब को मोटी फीस देकर घर बुलाते । चाहते कि हर दूसरे दिन बाबूलाल माता जी का ब्लड प्रेशर नाप जाएं । शुगर चेक कर जाएं ।'
उनके नकली मातृप्रेम पर बाबू लाल को सहानुभूति होती । पिछले साल जब माताजी को अस्थमा का दौरा पड़ा था, उस समय गौपाल जी ने डॉक्टर साहब के चेम्बर में कहा था, ''अपने काज पूरे कर चुकी है । पीड़ा उन्हें अधिक हो रही है । आक्सीजन की नली हटा दें तो उ1नका स्वर्ग गमन सरल हो जाएगा । सांसारिकता से मुक्त
हो सकेंगी ।''
जीवन के इंद्रधनुष में बाबूलाल लोगों का शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष दोनों देखते ।
- ' 'मैं पहुंच रहा हूँ ।'' बाबूलाल ने संयत स्वर में फोन पर उत्तर दिया ।
गोपाल जी के घर पहुँच कर उन्होंने माताजी का ब्लड प्रेशर नापा । शुगर जांची । बोले, ' 'सब कंट्रोल में है ।' '
- ' 'फिर तबियत क्यों खराब लगती है ।''
. ' 'उम्र का तकाजा है, अम्मा ।' '
- ' 'मशीन खटारा हो गयी है । -डाक्टर बाबू ।''
बाबूलाल जी ने कोई जवाब नहीं दिया । वे टी०वी० में प्रसारित हो रहे अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यक्रम में अटक गये थे । ''कहाँ उलझ गये डॉक्टर बाबू ।' ' मीठे उलाहने भरे स्वा में कुछ देर बाद गोपाल जी ने पूछा ।
अचकचा गये थे बाबू लाल । सम्भल कर बोले, ''अमरीकी राष्टपति कह रहे हैं कि उन्हें मौका मिले तो वे महात्मा गांधी के साथ डिनर करना पसंद करेंगे ।''
एक पश्चिमी नेता द्वारा पूरब के दिवंगत नेता को सम्मान के साथ याद करना उन्हें अच्छा लगा था ।
- ''ये सब डिनर राजनीति है । आजकल मंदी का दौर है । ऐसे वक्त में अपना माल बेचने के लिए सामने वाले की अस्त्रों में धूल झोंक कर सलमा सितारे दिखाने पड़ते हैं । हमारी कौम बड़ी भाबुक है । अमेरिकी राष्ट्रपति की इस बात की सारे टी०वी० चैनल आरती उतार रहे हैं । उसे अमीर बने रहने के लिए अपने हथियार बेचने हैं । और हथियार खरीदना इस देश की मजबूरी है । पाकिस्तान है ना । गाँधी बाबा का आर्शीवाद । अब भी गनीमत है । नहीं तो आजादी के साथ दो चार और पाकिस्तान इनाम में मिलते ।'' गोपाल जी ने कहा गोपाल जी के प्रवचन और टी०वी कार्यक्रम के बीच में फंसे बाबूलाल के मुँह से उफ निकल गया । उठ खड़े हुए ।
गोपाल जी प्रसन्न मुद्रा में थे । बगैर बहस के इतना कुछ सुना कर उन्हें लगा कि एक किला फतह कर लिया । इस खुशी में उन्होंने बाबूलाल को घर आने की दो गुनी फीस दी । इसरार किया, ' 'रखिए । डॉक्टर बाबू ।''
बाबूलाल को दूसरी कॉल के लिए जल्दी थी । रजनीश के यहाँ पहुँचना था । दो बार मिसकील रजनीश उन्हें दे चुका था । बाबूलाल को वहाँ पहुंच कर क्खे ए न्यूमोनिया से बीमार बच्चे को इंजेक्शन लगाने थे ।
- ''देर हो गयी ।'' बाबूलाल ने रजनीश के घर पहुँच कर कहा ।
. ''कोई बात नहीं ।'' रजनीश बोला । वह अपने रोते हुए बच्चे को गोद में लिए बहलाने की कोशिश कर रहा था । बच्चे को इन्जेक्शन लगाने के बाद बाबूलाल टीवी पर प्रसारित हो रहे अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यक्रम में दोबारा अटक गये थे ।
''आज हर चैनल पर इसी कार्यक्रम का धमाका है ।' ' रजनीश ने कहा ।
कार्यक्रम में अपने अफ्रीकी रोबेन आइसलैंड जेल दौरे पर अश्वेत अमेरिकी राष्ट्रपति अपने बच्चों को गाँधी के सत्याग्रह की कहानी सुना रहे थे । जिसका बाद में मार्टिन लूथर किंग ने अमेरिका मे अन्याय व दमन के लिए प्रयोग किया ।
अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यक्रम में बाबूलाल खो से गए थे । इस बीच रजनीश दो कप चाय ले आया था ।
- ' 'डॉक्टर बाबू ।'' रजनीश ने पुकारा ।
रजनीश की पुकार से चौंके बाबूलाल । उन्हें समझ नहीं आया कि कहीं तो भजन संध्या में सम्मिलित होने की जल्दी थी । कहाँ इस कार्यक्रम में उलझ गए ।
चाय पीते हुए रजनीश बोला, ''मुझे गाँधी का अन्याय और दमन के लिए संघर्ष अधूरा लगता है । उन्होंने कभी दलित प्रधानमंत्री के लिए नहीं सोचा । देखना यह है कि भारत में दलित प्रधानमंत्री कितने युगों के बाद बनेगा । तभी आजादी पूरी होगी ।''
मरीज व उनके रिश्तेदारों क्रे स्वर में बोलना बाबूलाल ने डॉक्टर साहब से सीख लिया था । डॉक्टर साहब कहते थे, ' 'दुःख में सातवें आसमान मैं घूमने वाला भी जमीन पर उतर आता है । हमें मरीज की भावनाओं का ख्याल रखना चाहिए ।''
उलझे बाबूलाल समेटते हुए बोले, ' 'रजनीश जी आप सही कह रहे हैं ।'' जबकि उनके लिए गाँधी एक फकीर थे । जो तीसरी श्रेणी में रेल यात्रा करते । जिनकी लाठी ने गुलामी की बेड़ियाँ चटकाने का असम्भव सा काम कर दिखाया था । और ... बूढ़े भारत को संजीवनी दे दी थी ।
फीस का लिफाफा देते हुए रजनीश बोला, ''आप काफी समझदार और खुले विचारों के है । लेकिन पिछली गलती जल ठीक होनी चाहिए । जल्द एक दलित प्रधानमंत्री देश को मिलना चाहिए ।'' उस समय रजनीश के चेहरे पर चौड़ी मुस्कान चिपकी थी ।
दो कदम आगे बढ़कर बाबू लाल जी ने देखा लिफाफे में दो गुनी फीस थी । बाबूलाल का अगला पड़ाव जाकिर भाई थे । जाकिर के लिए उनके दिल से आह निकल जाती । ''ब्रेन हैमरेज'' के कारण वे लकवाग्रस्त हो गए । उनके पेशाब के रास्ते में पड़ी नली को बदलने के लिए बाबूलाल को पहुँचना था । वहीं पहुँच कर उन्होंने देखा कि प्रसारित हो रहा अमेरीकी राष्ट्रपति का कार्यक्रम अन्तिम क्षणों में था । लगभग रोते हुए जाकिर पाकिस्तान में बसी अपनी बेटी से फोन पर बात कर रहे थे । - ''आखिर वक्त में तेरा मुँह देखना चाहता हूँ । नवासे को सीने से लगाना चाहता हूँ ।''
' 'कभी-कभी एक-एक पल कितना गीला और भारी हो जाता है ।'' बाबूलाल सोचने लगे । रोते हुए जाकिर को देख उनका दिल भर आया । वे जानते थे कि भारत पाक सम्बन्ध इस समय सीमा पर हो रही गोलाबारी की वजह से रसातल में है । ऐसे समय वीजा कितना मुश्किल है । पेशाब की नली बदलते हुए बोले, ' 'जाकिर भाई! डॉक्टर साहब के भाई विदेश मंत्रालय में बड़े अधिकारी हैँ । उनसे कहूंगा मैं । बरसों पुराना सेवादार हूँ उनका ।'' ? ''यकीन नहीं होता कि बँटवारे जैसा बेवकूफी भरा कदम उठाया गया । काश जिन्ना की जिद पूरी कर देते हमारे नेता । उन्हें प्रधानमत्री बनने देते । कम से कम सरहद का दाग न लगता । सब जानते थे कि जिन्ना को टी० बी० की बीमारी है । जल्द ही रूखसत हो जाएंगे ।'' लकवे के कारण जाकिर की जबान साफ नहीं थी । लड़खड़ाहट थी । उनका स्वभाव भी दूध में उफान की तरह हो गया था ।
- थोड़ा धीरज रखो, भाई ।'' तसल्ली देकर उठ खड़े हुए बाबू लाल । जाकिर का लड़का सलमान उनके साथ बाहर तक आयउा । बोला, ''अमेरिकी राष्ट्रपति के प्रोग्राम से थोड़ा परेशानn
हो गये थे अब्बा । आज उन्होंने एक बात कही । बँटवारे के बाद मरने वाले 1० लाख लोगों का जिम्मेदार कौन है?
हम, वो या पश्चिम । कितने कमजोर हैं हम । इस मुद्दे पर कोई बात नहीं करता ।''
- ''बड़ी बात कही है आपके अब्बा ने । मैं उनकी समझदारी का कायल रहा हूँ । बाकी अल्लाह निगेहबान है ।'' सलबान से फीस का लिफाफा लेते समय बाबू लाल भीतर से अनमने हो गए । सोचने लगे, ''सब अपनी-अपनी तरह की आजादी चाहते हैं । कौम की हर गली बटी है । अमेरिकी राष्ट्रपति के गांधी के साथ डिनर के इरादे ने हमारे ढक्कन खोल दिए ।''
वक्त की दलदल में बाबू लाल क्रो सांस लेना भी मुश्किल लगा । उनके सामने भजन संध्या में झूमता मंदिर था । जिसकी सीढ़ियों पर प्रसाद के लालच में बच्चे बैठे थे । उन्होंने अपनी जेब से तीनों लिफाफे निकाले । बच्चों में बाँट दिए ।
- अजय गोयल
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