गोवर्धन यादव का आलेख - सूर्यषष्ठी-महोत्सव

SHARE:

सूर्यषष्ठी-महोत्सव (गोवर्धन यादव) सूर्यषष्ठी प्रमुख रुप से भगवान सूर्य का व्रत है. इस पर्व में आदिदेव सूर्य का विधि-विधान से पूजन किया ज...

clip_image002

सूर्यषष्ठी-महोत्सव

(गोवर्धन यादव)

सूर्यषष्ठी प्रमुख रुप से भगवान सूर्य का व्रत है. इस पर्व में आदिदेव सूर्य का विधि-विधान से पूजन किया जाता है. पुराणॊं में ईश्वर के विभिन्न रुपों की उपासना के लिए तिथियों का निर्धारण किया गया है. जैसे भगवान गणेश की पूजा के लिए चतुर्थी, श्री विष्णु के लिए एकादशी आदि. इसी प्रकार सूर्य की पूजा-अर्चना के लिए सप्तमी तिथि मानी गई है. इसे सूर्यसप्तमी, रथसप्तमी, अचलासप्तमी भी कहा जाता है. किंतु बिहार प्रान्त में इस व्रत के साथ ‍षष्ठी तिथि का समन्वय विशेष महत्व है.

ब्रह्मवैवर्तपुराण के प्रकृतिखण्ड ( १/६) के अनुसार सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृतिदेवी स्वयं को पाँच विभागों में विभक्त करती है.,--दुर्गा, राधा, लक्ष्मी ,सरस्वती और सावित्री. ये पाँच देवियाँ पूर्णतम प्रकृति कहलाती है. इन्हीं प्रकृति देवी के अंश, कला, कलांश और कलांशांश भेद से अनेक रुप हैं, जो विश्व की समस्त स्त्रियों में दिखायी देते हैं.

त्रिगुणात्मस्वरूपा या सर्वशक्तिसमन्विता/ प्रधानसृष्टिकरणे प्रकृतिस्तेन कथ्यते.

मार्कण्डॆयपुराण का भी यही उद्घोष है- स्त्रियः समस्ताः सकला जगत्सु. प्रकृतिदेवी के एक प्रधान अंशको “देवसेना” कहते हैं, जो सबसे श्रेष्ठ मातृका मानी जाती है. ये समस्त लोकों के बालकों की रक्षिता देवी है. प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इस देवी का एक नाम ‍षष्ठी भी है.

‌षष्ठांशा प्रकृतेर्या च सा च ‍षष्ठी प्रकीर्तिता * बालकाधिष्ठातृदेवी विष्णुमाया च बालदा आयुःप्रदा च बालानां धात्री रक्षणकारिणी * सततं शिशुपार्श्वस्था योगेन सिद्धियोगिनी

ब्रह्मवैवर्तपुराण, प्रकृतिखण्ड (४३/४,६) के इस श्लोकों से ज्ञात होता है कि विष्णुमाया ‍षष्ठीदेवी बालकों की रक्षिका एवं आयुप्रदा हैं.

‍षष्ठीदेवी के पूजन का प्रचार पृथ्वी पर कब से शुरु हुआ, इस संदर्भ में एक कथा पुराण में आती है.---“प्रथम मनु” स्वायम्भुव के पुत्र प्रियव्रत की कोई संतान नहीं थी. एक बार महाराज ने अपना दुख महर्षि कश्यप से व्यक्त किया और पुत्रप्राप्ति के लिए उपाय पूछा. महर्षि ने महाराज को पुत्रेष्टियज्ञ करने का परामर्श दिया. यज्ञ के फ़लस्वरुप महाराज की मालिनी नामक महारानी ने एक पुत्र को जन्म दिया, किंतु वह शिशु मृत था. महाराज प्रियव्रत को अत्यन्त दुख हुआ. वे मृत शिशु को अपने वक्ष से लगाये उन्मत्तों की भाँति प्रलाप कर रहे थे. सारे परिजन किंमकर्त्तव्यविमूढ खडॆ थे. तभी एक आश्चर्यजनक घटना घटी. सभी ने देखा कि आकाश से एक ज्योतिर्मय विमान पृथ्वी की ओर आ रहा है. विमान के समीप आने पर स्थिति और स्पष्ट हुई, उस विमान में एक दिव्याकृति नारी बैठी हुई थी. राजा के द्वारा यथोचित स्तुति करने पर देवी ने कहा--- मैं ब्रह्मा की मानसपुत्री ‌षष्ठीदेवी हूँ. मैं विश्व के समस्त बालकों की रक्षिका हूँ एवं अपुत्रों को पुत्र प्रदान करती हूँ---पुत्रदा S हम अपुत्राय”. इतना कहकर देवी ने शिशु की मृत देह का स्पर्श किया, जिससे वह बालक जीवित हो उठा. महाराज ने अपने पुत्र को जीवित पा अनेकानेक प्रकार से देवी की स्तुति की. देवी ने प्रसन्न होकर राजा से कहा कि तुम ऎसी व्यवस्था करो, जिससे पृथ्वी पर सभी हमारी पूजा करें. इतना कहकर देवी अन्तर्धान हो गयीं. तदनन्तर राजा ने बडी प्रसन्नतापूर्वक देवी की आज्ञा को शिरोधार्य किया और अपने राज्य में “प्रतिमास के शुक्लपक्ष की ‍षष्ठी तिथि को ‍षष्ठी-महोत्सव के रुप में मनाया जाय” ऎसी राजाज्ञा प्रसारित करायी. तभी से लोक में बालकों के जन्म, नामकरण, अन्नप्राशन आदि सभी शुभावसरों पर ‍षष्ठी-पूजन प्रचलित हुआ.

इस पौराणिक प्रसंग से यह पूर्णतया स्पष्ट होता है कि ‍षष्ठी शिशुओं के संरक्षक एवं संवर्धन से सम्बन्धित देवी है तथा इनकी विशेष पूजा ‍षष्ठी तिथि को होती है, वह चाहे बच्चों के जन्मोपरान्त छटा दिन हो या प्रत्येक चान्द्रमास के शुक्लपक्ष की ‍षष्ठी. पुराणॊं के इन्हीं देवी का एक नाम कात्यायनी भी मिलता है, जिनकी पूजा नवरात्र में ‍षष्ठी तिथि को होती है. इसमे देवी के नैवेद्य में मीठे चावल का होना अनिवार्य है. आज भी शिशु के जन्म से छटॆ दिन ‍षष्ठी-पूजन बडॆ धूमघाम से लोकगीत (सोहर), वाध्य तथा पकवानों के साथ मनाने का प्रचलन है. प्रसूता को प्रथम स्नान भी इसी दिन कराने की परम्परा है.

ब्रह्मवैवर्तपुराण में वर्णित इस आख्यान से ‍षष्ठीदेवी का माहात्म्य, पूजन-विधि एवं पृथ्वी पर इसकी पूजा का प्रसार आदि विषयों का सम्यक ज्ञान होता है, किंतु सूर्य के साथ ‍षष्ठीदेवी के पूजन का विधान तथा “सूर्यषष्ठी” नाम से पर्व के रूप में इसकी ख्याति कब से हुई ? यह विचारणीय विषय है.

भविष्यपुराण में प्रतिमास के तिथि-व्रतों के साथ ‍षष्ठीव्रत का भी उल्लेख मिलता है. यहाँ कार्तिकमास के शुक्लपक्ष की ‍षष्ठी का उल्लेख स्कन्द-‍षष्ठी के नाम से किया गया है. किंतु इस व्रत के विधान में प्रचलित सूर्यषष्ठी-व्रत के विधान में पर्याप्त अन्तर है. मैथिल “वर्षकृत्यविधि” में “प्रतिहार-‍षष्ठी” के नाम से बिहार में प्रसिद्ध “सूर्यषष्ठीव्रत” की चर्चा की गयी है. इस ग्रन्थ में व्रत, पूजा की पूरी विधि, कथा तथा फ़लश्रुति के साथ ही तिथियों के क्षय एवं वृद्धि की दशा में कौन-सी ‍षष्ठी तिथि ग्राह्य है, इस विषय पर भी धर्मशास्त्रीय दृष्टि से चर्चा की गयी है और अनेक प्रामाणिक स्मृति-ग्रन्थों से पुष्कल प्रमाण भी दिए गए हैं. कथा के अन्त में इति श्रीस्कन्दपुराणॊक्तप्रतिहारषष्ठीव्रतकथा समाप्ता लिखा है. इससे ज्ञात होता है “स्कन्दपुराण” के किसी संस्करण में इस व्रत का उल्लेख अवश्य हुआ होगा. अतः इस व्रत की प्राचीनता एवं प्रामाणिकता भी परिलक्षित होती है,. प्रतिहार का अर्थ होता है—जादू या चमत्कार अर्थात चमत्कारिक रुप से अभीष्टॊं को प्रदान करने वाला व्रत.

‍षष्ठीव्रत कथा—नैमिषारण्य में शौनकादि मुनियों के पूछने पर श्रीसूतजी लोककल्याणार्थ सूर्यषष्ठी व्रत का महात्मय, विधि तथा कथा का उपदेश करते हैं. इस कथा के अनुसार राजा कुष्ठरोग से ग्रसित एवं राज्यविहीन है, वे विद्वान ब्राह्मण के आदेशानुसार इस व्रत को करता हैं और फ़लस्वरुप रोग से मुक्ति पाकर राज्यारुढ एवं समृद्ध हो जाता हैं. स्कन्दपुराण के कथानुसार राजा सगर की कथा का उल्लेख मिलता है. सगर ने एक बार पंचमीयुक्त सूर्यषष्ठी-व्रत को किया था, जिसके फ़लस्वरुप कपिलमुनि के शाप से सभी पौत्रों का विनाश हो जाता है. इस दृष्टांत से इस व्रत की प्राचीनता सिद्ध होती है. व्रत की विधि में बतलाया गया है कि व्रती को कार्तिकमास के शुक्लपक्ष में सात्त्विक रूप से रहना चाहिए. पंचमी को एक बार भोजन करना चाहिए. उसे वाक्यसंयम रहना चाहिए. निराहार रहकार उसे फ़ल-पुष्प, घृतपक्व वैवेद्य आदि सामग्री लेकर नदी के तट पर जाकर गीत-वाद्य आदि से हर्षोल्लासपूर्वक महोत्सव मनाना चाहिए तथा भगवान सूर्य का पूजन कर भक्तिपूर्वक उन्हें रक्तचन्दन तथा रक्तपुष्प-अक्षतयुक्त अर्ध्य देकर निवेदन करना चाहिए.

इस व्रत का सर्वाधिक प्रचार बिहार राज्य में दिखायी पडता है. संभव है, इसका आरम्भ भी यहीं से हुआ हो और अब तो बिहार के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों में भी इसका व्यापक प्रसार हो गया है. इस व्रत को सभी लोग अत्यन्त भक्ति-भाव, श्रद्धा एवं उल्लास से मनाते हैं. सूर्यार्ध्य के बाद व्रतियों के पैर छूने और गीले वस्त्र धोनेवालों में प्रतिस्पर्धा देखते ही बनती है, इस व्रत में प्रसाद माँगकर खाने का विधान है. सूर्यष्‍ष्ठी-व्रत के प्रसाद में ऋतु-फ़ल के अतिरिक्त आटे और गुड से शुद्ध घी में बने ठेकुआ” का होना अनिवार्य है. ठेकुआ पर लकडी के साँचें से सूर्यभगवान के रथ का चक्र अंकित करना आवश्यक माना जाता है. ‍षष्ठी के दिन समीपस्थ किसी पवित्र नदी या जलाशय के तट पर मध्यान्ह से ही भीड एकत्र होने लगती है. सभी व्रती महिलाएँ नवीन वस्त्र एवं आभूषणादिकों से सुसज्जित होकर फ़ल, मिष्ठान्न और पकवानों से भरे हुए नए बाँस से निर्मित सूप और दौरी( डलिया) लेकर ‍षष्ठीमाता और भगवान सूर्य के लोकगीत गाती हुई अपने-अपने घरों से निकलती हैं.

भगवान सूर्य के अर्ध्य का सूप और डलिया ढोने का भी बडा महत्व है. यह कार्य पति, पुत्र या घर का कोई सदस्य ही करता है. घर से घाट तक लोकगीतों का क्रम भी चलता रहता है. यह क्रम तब तक चलता है जब तक भगवान भास्कर सायंकालीन अर्ध्य स्वीकार कर अस्ताचल को न चले जायँ. सूपों और डलियों पर जगमगाते हुए घी के दीपक गंगा-तट पर बहुत ही आकर्षक लगते हैं. पुनः ब्राह्ममुहूर्त में ही नूतन अर्ध्य सामग्री के साथ सभी व्रती जल में खडॆ होकार हाथ जोडकर भगवान भास्कर के उदयाचलारूढ होने की प्रतीक्षा करते हैं. जैसे ही क्षितिज पर अरुणिमा दिखायी देती है वैसे ही मन्त्रों के साथ भगवान साविता को अर्ध्य समर्पित किये जाते है. यह व्रत विसर्जन, ब्राह्मण-दक्षिणा एवं पारणा के clip_image004 clip_image005

पश्चात पूर्ण होता है.

सूर्यषष्ठी-व्रत के अवसर पर सायंकालीन प्रथम अर्ध्य से पूर्व मिट्टी की प्रतिमा बनाकर ‍षष्ठीदेवी का आवाहन एवं पूजन करते हैं. पुनः प्रातः अर्ध्य के पूर्व ‍षष्ठीदेवी का पूजन कर विसर्जन कर देते हैं. मान्यता है कि पंचमी के सायंकाल से ही घर में भगवती ‍षष्ठी का आगमन हो जाता है. इस प्रकार सूर्य भगवान के इस पावन व्रत में शक्ति और ब्रह्म दोनों की उपासना का फ़ल एक साथ प्राप्त होता है. इसीलिए लोक में यह पर्व सूर्यषष्ठी” के नाम से विख्यात है.

सांसारिक जनों की तीन एषणाएँ प्रसिद्ध है—पुत्रैषणा, वित्तैषणा तथा लोकैषणा. भगवान सविता प्रत्यक्ष देवता हैं, वे समस्त अभीष्ठों को प्रदान करने में समर्थ हैंकिं किं न सविता सूते. समस्त कामनाओं की पूर्ति तो भगवान सविता से हो जाती है, किंतु वात्सल्य का महत्व माता से अधिक और कौन जान सकता है ?. परब्रह्म की शक्तिस्वरूपा प्रकृति और उन्हीं के प्रमुख अंश से आविर्भूता देवी ‍षष्ठी, संतति प्रदान करने के लिए ही मुख्यतया अधिकृत हैं. अतः पुत्र की कामना भगवती ‍षष्ठीदेवी से करना अधिक तर्कसंगत प्रतीत होता है.

सूर्यषष्ठी के पुनीत पर्व पर बिहार में महिलाओं द्वारा गाये जाने वाले लोकगीत में भी देखने को मिलते हैं.

काहे लागी पूजेलू तुहूं देवलघरवा (सूर्यमन्दिर) हे काहे लागी, कर ह छठी के बरतिया हे, काहे लागी अन-धन सोनवा लागी पूजी देवलघरवा हे, पुत्र लागी, करीं हम छठी के बरतिया हे, पुत्र लागी

इस गीत में समस्त वैभवों की कामना तो भगवान भास्कर से की गयी है, किंतु पुत्र की कामना भगवती ‍षष्ठी से ही की जा रही है. इस पुराणसम्मत तथ्यों को हमारी ग्रामीण साधु महिलाओं ने गीतों में पिरोंकर अक्षुण्य रखा है.

सविता और ‍षष्ठी दोनों की एक साथ उपासना से अनेक वांछित फ़लों को प्रदान करने वाला यह सूर्यषष्ठी-व्रत वास्तव में बहुत महत्वपूर्ण है.

clip_image006

 

103 कावेरी नगर ,छिन्दवाडा,म.प्र. ४८०००१

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: गोवर्धन यादव का आलेख - सूर्यषष्ठी-महोत्सव
गोवर्धन यादव का आलेख - सूर्यषष्ठी-महोत्सव
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgBl8ZnE0KPSs1enTlJrOSLH9yX_S532hXkW_OjxXUXlzPROLCcVpeLXXQqRQVgu9bX7yx-9y8Kwli6xEa-ZUvww4_WRhfKMAuZ8Zk6vgATriMCnXEfGsEnZVQ2e8b-45EHSb-M/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgBl8ZnE0KPSs1enTlJrOSLH9yX_S532hXkW_OjxXUXlzPROLCcVpeLXXQqRQVgu9bX7yx-9y8Kwli6xEa-ZUvww4_WRhfKMAuZ8Zk6vgATriMCnXEfGsEnZVQ2e8b-45EHSb-M/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2014/10/blog-post_31.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2014/10/blog-post_31.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content