सफाई अभियान चालू आहे../ प्रमोद यादव ‘ देखोजी..लम्बा अरसा हो गया है भोपाल गए..बाबूजी का आपरेशन हुआ ,तब भी नहीं गए..अज्जू भैया का हाथ टूटा...
सफाई अभियान चालू आहे../ प्रमोद यादव
‘ देखोजी..लम्बा अरसा हो गया है भोपाल गए..बाबूजी का आपरेशन हुआ ,तब भी नहीं गए..अज्जू भैया का हाथ टूटा था तब भी नहीं जा सके..छुट्टी मिलेगी तो जायेंगे करते-करते साल निकल गया .. कभी आपको मिलती है तो बच्चों की नहीं रहती.. बच्चों की रहती है तो आपको नहीं मिलती...समझ नहीं आता-आपने पुलिस की नौकरी ही क्यों ज्वायन की ? कहीं पटवारी होते तो ज्यादा अच्छा था..पैसे का पैसा और छुट्टी की छुट्टी....घर बैठे ही काम करो...लोगों को कागजी जमीन-नक्शा दिखाओ और दोनों हाथों से दिन-दहाड़े लूटो.. आजकल के पटवारी कम से कम करोडपति तो होते ही हैं..अखबारों में पढ़ी हूँ कि जब कभी किसी पटवारी के यहाँ रेड पड़ा..करोड़ों की संपत्ति तो मिली ही है.. इस पुलिसिया नौकरी में तो लाख भी नसीब नहीं..रिंकी बता रही थी कि कल गांधी जयंती से लेकर बकरीद तक पूरे छः दिनों की छुट्टी है..क्यों न हम इस लम्बी छुट्टी में भोपाल हो आयें..माँ की तबीयत भी इन दिनों ठीक नहीं है..देख आते..’ थानेदार की पत्नी ने पति के प्रवेश करते ही शिकायत और विनती के मिले-जुले स्वर में कहा.
थानेदार ने सिर से केप उतार खूँटी में टांग चुपचाप वर्दी उतारने लगा.
‘ अरे..क्या हुआ जी ? इतने गुमसुम क्यों हैं ? मैंने जो कहा आपने सुना ?..मैं छट्टियों की बात कह रही थी..’
‘ हाँ सब सुना..पुलिस से लेकर पटवारी तक..लाख से लेकर करोड़ तक...पर छुट्टी वाली बात सुनकर भी अनसुना करने को विवश हूँ....’
‘ क्यों ? ऐसी क्या बात हो गई ? छुट्टी न भी मिले तो इतना तो कर ही सकते हैं, कल गांधी जयंती की छुट्टी है तो आज रात की ट्रेन से चलकर छोड़ दो..कल रात की ट्रेन से लौट आना फिर सन्डे-मंडे तो है ही छुट्टी..लेने आ जाना..बकरीद की शाम-रात तक घर...’
थानेदार ने बात काटते कहा- ‘ अरे कल ही की तो छुट्टी नहीं है...थाने जाना है.. एस.पी. आफिस जाना है...’
‘ क्यों ? ’ गाँधी जयंती में तो पूरे देश की छुट्टी रहती है..स्कूल-कालेज, बैंक-कारखाने..डाकघर-टेलीफोन...’
‘ पर इस बार नहीं है...’ थानेदार बोला- ‘ साठ-पैंसठ साल में जो नहीं हुआ वो सब अब हो रहा है..अरे याद नहीं अभी शिक्षक दिवस में जो हुआ..सारे बच्चे और शिक्षकों को अनिवार्य रूप से स्कूल अटेंड करने कहा... पी.एम. का भाषण सुनने कहा..चंडी गुरूजी कितने नाराज थे इस बात से..गुरुओं का एक दिन...वो भी राजनीति की भेंट चढ़ गया..’
‘ हाँ..याद है..सरकार बदलते ही सब बदला है..हमारे दिन भी कितने बदल गए..” न खाऊंगा- न खाने दूंगा” के तहत हम कितने गरीब हो गए..केवल तनखा से भला कोई घर चलता है ? वो भी पुलिसवाले का....’
‘ अब चलाना तो पड़ेगा ही..कुछ लिए-दिए तो समझो नौकरी से गए...भ्रष्टाचार के मामले में ये सरकार बहुत सख्त है..’ थानेदार ने समझाया.
‘ अच्छा छोडो इन बातों को...ये बताओ..इस बार क्या आदेश है ? क्या सारे देश वासियों को राजघाट बुलाया है ? क्या वहां पी.एम. ‘ वैष्णव जन “ वाला भजन गायेंगे ? ‘ पत्नी कुछ विचलित होते बोली.
‘ अरे भागवान..तुम इन दिनों अखबार नहीं पढ़ती क्या ? कल से हमारे पी.एम. साहब पूरे देश में झाड़ू लगायेंगे..’
‘ अरे..तो फिर “आप” के लोग क्या करेंगे ? ‘ पत्नी हैरत से पूछी.
‘ हमारे लोग भी उनके साथ ताल से ताल मिला झाड़ू लगायेंगे..’ थानेदार बोला.
‘ अरे आप से मेरा आशय पार्टी से था..आपसे नहीं...खैर..बताइये..आप लोग क्या करेंगे ? ‘
‘ हम लोग गांधीजी को याद कर रोयेंगे..और क्या ? ‘
‘ मैं कुछ समझी नहीं..क्या रोने का आदेश आया है ? ‘ पत्नी पूछी.
‘ अरे नहीं यार..पर जो करना है वो काम रोने जैसा ही है ..’
‘ क्या करना है ? ‘ पत्नी फिर पूछी.
‘ आफिस में , मोहल्ले में , उद्यान में.. मैदान में..सब जगह झाड़ू लगाना है..कल गांधी जयंती से पूरे देश में स्वच्छता अभियान चलाया जाएगा....पी.एम. साहब दिल्ली के बाल्मीकि मंदिर में झाड़ू लगा इस अभियान की शुरुआत करेंगे..’
‘ मैं तो पढ़ी थी की गांधीजी अहिंसा के पुजारी थे.. बिना तीर-तलवार के वे आजादी हासिल किये..तो उनकी जयंती पर सबसे पहले देश भर के हथियारों को नेस्नाबूद करने का अभियान छेड़ना चाहिए ..ये साफ़-सफाई भला क्या बला है ? ‘
‘ अरे तुम नहीं जानती..गांधीजी बड़े सफाई-पसंद इंसान थे.. अपने रोजमर्रे के जीवन में स्वच्छता का पालन करते थे..उनका हर चीज बिलकुल साफ़ होता था. धोती, चरखा, कपास, सूत...’ थानेदार ने पत्नी पर ज्ञान बघारा.
पत्नी ने भी ज्ञान बघारते कहा- ‘ हाँ..लेकिन उनकी लिखावट बेहद ख़राब थी...”आप लिखे- खुदा बांचे” की तरह..यहाँ पर वे मार खा गए..न मालूम कितने बार उनके गुरूजी ने उनकी कापी में लिखा होगा- “ साफ़ अक्षर में लिखो ” खैर छोडो .. बताओ..कल आपका क्या प्रोग्राम है..? ’
‘ प्रोगाम क्या...पूरे दिन दफ्तर,गार्डन, परिसर, मोहल्ला, आस-पास के गाँव आदि में झाड़ू लगा कचरा साफ़ करना है..और ये अभियान पूरे एक महीने चलेगा..ऊपर से आदेश है..सब अधिकारी और कर्मी को अनिवार्य रूप से कल उपस्थित होकर स्वच्छता-शपथ भी लेना है..’
‘ अरे..तभी इन दिनों अखबार और टी.वी. में देश के सारे मंत्री-संत्री और नेता लोग झाड़ू लगाते घूमते दीखते हैं..कोई मंत्रालय साफ़ कर रहा है तो कोई स्कूल..कोई एफ.सी.आई.तो कोई पोस्ट आफिस.. कोई नदी तो कोई नाला..ये क्या अभी रिहर्सल कर रहे हैं ? ‘ पत्नी ने सवाल किया.
‘ नहीं यार .. ऐसा कर ये बता रहे हैं कि सबको ऐसा ही करना है..डिमान्स्ट्रेशन दे रहे हैं..’
‘ तो ठीक है थानेदारजी ..आप पूरे शहर में झाड़ू लगाइये ..हम तो रोज ही ये काम करती हैं..आपको भी पता चले..साफ़-सफाई क्या बला है ? हम तो अभी के अभी अगले ट्रेन से बच्चों के साथ मायके जा रही हैं..’
‘ ठीक है यार..चिढा लो..पर याद रखना झाड़ू लगाने में भी मुझे ईनाम मिलेगा..देख लेना..’
और थानेदार की पत्नी मायके चली गई. चार दिनों बाद बकरीद की रात जब लौटी तो पति महोदय घर पर नहीं थे.. घर को कुछ अस्त-व्यस्त सा देख उसे कुछ आशंका हुई..तुरंत उसने आलमारी खोली..ज्वेलरी वाला बाक्स गायब था..पत्नी के होश उड़ गए..पूरे पंद्रह तोला सोना..दो किलो चांदी..हीरे की अंगूठी..और अस्सी हजार रूपये नगद..सब के सब नदारत..तुरंत थानेदार को मोबाइल लगाया..पर “ लाइन बीजी ” “ लाइन बीजी ” के सिवा कुछ नहीं आया..तब उसने एस.पी. साहब को फोन लगाया..उन्होंने रिसीव किया और बताया कि वे कल से पास के एक गाँव में साफ-सफाईअभियान में गए हैं..कल सुबह लौटेंगे..और बधाई दी कि आपके पति को “ बेस्ट परफार्मर(क्लीनर) “ का ईनाम मिला है..तब पत्नी चीखकर बोली- ‘ भाड में जाए ईनाम..अरे आप लोगों के साफ़-सफाई अभियान के चलते मैं साफ़ हो गई...मेरा घर साफ़ हो गया..मैं बर्बाद हो गई..’
एस.पी. साहब अकबका गए कि क्या हो गया ? जब बताया कि चोरों ने स्वच्छता अभियान के चलते उनका घर ही साफ़ कर दिया..सारे गहने साफ़ कर गए तो वे भौंचक रह गए..बोले- ‘ आप चिंता न करें..उन्हें अभी ही बुलाये देता हूँ.. पर तब तक आप इस बात का जिक्र किसी से न करें..मिडिया में बात जायेगी तो बात का बतंगड़ हो जायेगा..साफ़-सफाई अभियान के दौरान एक पुलिस वाले के घर जमकर सफाई.. सुनेंगे तो लोग हँसेंगे..’
‘हंसने वाला काम करेंगे तो लोग हँसेंगे ही..जब सारा देश इस अभियान में शरीक है तो चोर भला क्यों पीछे रहेंगे ? मैं कुछ नहीं जानती मुझे मेरा गहना चाहिए..चाहे आप दो या पी.एम...नहीं तो मैं दिल्ली जाकर हल्ला करुँगी..’ पत्नी गुस्से से बोली.
‘ अच्छा ठीक है..हम कुछ न कुछ करेंगे..पर आप मिडिया में न जाएँ..’ एस.पी. ने विनती की.
इस घटना के दो माह बाद ही थानेदार की पत्नी की भरपाई हो गई.. एस.पी. साहब ने थानेदार को तीन महीने के लिए “ न खाऊंगा-न खाने दूंगा “ मिशन से मुक्त कर दिया..पेट से दुगुनी क्षमता से रोज खाने का उसे अभयदान दिया.
अब थानेदार भी खुश है और उनकी पत्नी भी.
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प्रमोद यादव
गया नगर, दुर्ग, छत्तीसगढ़
'आप'के झाड़ू पर झाड़ू फेरने का सरकारी अभियान?
जवाब देंहटाएंचलो बहाना कुछ भी रहे ;सफाई अच्छी चीज है ।
सुशील यादव
सुंदर हास्य-व्यंग्य, जिसमें पमोद जी ने बाल्मीकि जी की तरह थानेदार जी के भविष्य की कथा भी पहले ही लिख दी |
जवाब देंहटाएंसुन्दर व्यंग रचना थानेदार के घर भी कोई सफाई
जवाब देंहटाएंकर गया ग्रेट आप जीनियस हो प्रमोद भाई
बधाई