राजस्थानी बाल कवितावां / दीनदयाल शर्मा द्वारा सूरज आवै / अगूणै पासै स्यूं जद सूरज आवै, मधरी-मधरी चालै पून। चूं -चूं चिड़कल्यां गीत सुणा...
राजस्थानी बाल कवितावां / दीनदयाल शर्मा द्वारा
सूरज आवै /
अगूणै पासै स्यूं जद सूरज आवै,
मधरी-मधरी चालै पून।
चूं -चूं चिड़कल्यां गीत सुणावै,
मिटज्यै च्यारूंमेर रौ मून।
खेतीखड़ सै' खेत नै जावै,
गीत गांवता काडै टून।
गांवां री गुवाड़ सै' गायब हुयगी,
बतळावण नै बणग्या फून।
रळमिल टाबर पोसाळां जावै,
पढ-लिख सुधारै मिनखाजून।।
ताक धिनाधिन /
ताक धिनाधिन
नाचां-गावां,
रापटरोळी
घणी मचावां।
जात-पांत
मानां नीं म्हे तो
सगळी चीज्यां
रळमिल खावां।
बंटवारै में
कांईं पड़्यो है
आओ आपां
मेळ करावां।।
रूंख लगावां /
आओ आपां रूंख लगावां,
मरूधर में हरियाळी ल्यावां।
रूंख लगायां बिरखा आवै,
टाबर न्हावै नाचै-गावै।
तावडिय़ै में ठण्डी छिंयां,
मधरी-मधरी पून सुहावै।
रूंख देवै फळ मीठा-मीठा,
टाबरियां संग आपां खावां।
भांत-भांत रा पाखी आवै,
रूंखां माथै बै' बस ज्यावै।
रळमिल सगळा मन में ध्यावां,
आओ आपां रूंख लगावां।।
बादळ बरस्या /
बड़बड़-बड़बड़ बादळ बरस्या,
घर आंगणियां तर करग्या।
टर्र-टर्र डेडरिया बोल्या,
ताल तलैया सै' भरग्या।
दड़बड़-दड़बड़ टाबर भाजै,
कादै स्यूं कपड़ा भरग्या।
करड़-करड़ जद बिजळी चमकी,
टाबरिया सगळा डरग्या।
खेतां में हरियाळी पसरी,
धान-कोठळा सै' भरग्या।।
रेलगाडी /
रेलगाडी म्हारी रेलगाडी
छुक-छुक-छुक-छुक-छुक-छुक चालै रेलगाडी।
रेलगाडी चालै जद हिण्डा घणां आवै,
नाव सरीखी चालै रेलगाडी।
बैठां रेलगाडी में नाचां-कूदां-गावां,
कदी नीं हिचकौळा खावै रेलगाडी।
सस्तो-सोरो सफर हुवै रेलगाडी,
छोटा-मोटा सगळा चावै रेलगाडी।
दिल्ली-मुंबई-चैन्नई-कोलकाता जावै,
आखै देश चालै म्हारी रेलगाडी।।
जलम दिन रौ गिफ्ट /
जलम दिन माथै गिफ्ट ल्यावो तो,
म्हूं रोबोट मंगा स्यूं पापा।
जे नीं ल्याया रोबोट गिफ्ट में,
जलम दिन नहीं मना स्यूं पापा।
होमवर्क रोबोट करैगो,
खुद नै नीं थका स्यूं पापा।
म्हूं चायै खेलूं या कदी सोऊं,
उणनै काम लगा स्यूं पापा।।
अकड़ू ऊंदर /
अकड़ू ऊंदर बोल्यो-मम्मी,
म्हूं भी पतंग उड़ाऊंगो।
लोहै जिसी मजबूत डोर स्यूं
म्हूं भी पेच लड़ाऊंगो।
मम्मी बोली-थूं टाबर है,
बात पेच री कर्या नां कर।
बारै बिल्ली घूमण लागरी,
कीं तो उण स्यूं डर्या भी कर।
अकड़ू बोल्यो- बिल्ली के है,
बीं स्यूं करूंगा 'फेस'।
म्हूं भी पै'र राखी है मम्मी
कांटां वाळी ड्रेस।
मन स्यूं अेक हां /
अळगा-अळगा भेष आपणां
पण सै' मन स्यूं अेक हां।
अळगी-अळगी भाषा अपणी
पण भावां स्यूं अेक हां।
अळगा-अळगा धरम आपणां
अळगा-अळगा पंथ है।
चोखी बातां बतळावणियां
सब धरमां रा संत है।
होळी-दियाळी-ईद-बैसाखी
रळमिल साथ मनावां हां।
तीज त्यूंहार है अळगा-अळगा
इक दूजै घर जावां हां।
खान-पान सै' अळगा-अळगा
अळगी-अळगी रीत है।
पण दुखड़ां में काम सै' आवै
इक दूजै स्यूं प्रीत है।।
ऊंदर चाल्यो सासरै /
ऊंदर चाल्यो सासरै,
लियां हाथ में सोटी।
माऊ चोखी चूर दी,
देसी घी में रोटी।
रस्तै में जणां मिनकी मिलगी,
गयो लो'ई बींरो सूक।
इन्नै-बीन्नै देखण लाग्यो,
गिटण लाग्यो थूक।
मिनकी बोली-क्यूं घबरावै,
चटकै ल्या घरवाळी।
आंवतो आई फेर मनास्यां,
आपां सैंग दियाळी।।
भारत देश महान् /
नान्हा-नान्हा टाबर हां म्हे,
द्यो विद्या रौ दान।
पढ-लिख सगळा मिनख बणांला,
करस्यां म्हे गुणगान।
नूंई - नूंई बातां म्हे सीखां,
बधसी म्हारो ग्यान।
चोखा-चोखा काम करांगा,
रचस्यां नूंवो विधान।
आखै जग में हुयसी आपणो,
भारत देश महान्।।
बांदर गयो मेळै में /
बांदर गयो मेळै में,
खरीदी बठै कार।
ड्राइविंग सीट पे बैठग्यो,
मूंछ्यां नै पलार।
लगाई जणां चाबी,
रेस थोड़ी दाबी।
पण कार स्टार्ट नीं होई,
केठा कांईं ही खराबी।
पछै दिराया धक्का,
पण जाम हुयग्या चक्का।
फेर दिमाक लगायो,
अेक आइडियो आयो।
खरीद्या बण फंूकणां,
बांध्या सगळा कार।
पछै हेलीकॉप्टर बणा'र,
उणनै लेग्यो घरां उडा'र।।
सरदी /
सरदी आई- सरदी आई,
ओढां कम्बळ और रजाई।
ज्यूँ - ज्यूँ सरदी बधती जावै,
गाभां री म्हे करां लदाई।
रळमिल सगळा आग तापता,
रात-रात तांईं करां हथाई।
भांत-भांत रा लाडू खायगे,
सरदी माथै करां चढाई।
सूरज निकळ्यो धूप सुहाई,
पाळै री अब स्यामत आई।
फागण आयो होळी आई,
सरदी री म्हे करां बिदाई।।
होळी /
रंगां रौ त्यूंहार जद आवै,
टाबर टोळी रै मन भावै।
काळो-पीळो-लाल-गुलाबी,
रंग आपस में घणो रचावै।
कई भायला भर पिचकारी,
गाभा रंग स्यूं तर कर ज्यावै।
रळमिल खेलै जीजो-साळी,
गाल मलै, गुलाल लगावै।
भाभी देवर हंस-हंस खेलै,
सगळा दुख छिण में उड ज्यावै।
सिकलां सगळी अेकसी लागै,
कुणसो कुण पिछाण नीं पावै।
बुरो न मानै इण दिन कोई,
सगळाई रंग में रच ज्यावै।।
जीवणदाता रूंख /
तूफानां स्यूं डरा म्हे कोनी,
रूंख म्हानै बतळावै।
पतझड़ में पत्ता झड़ ज्यावै,
फेर ई अै मुस्कावै।
पतझड़ पछै बसंत जद आवै,
डाळ-डाळ हरियाळी छावै।
ढेरूं फळ आं पर आ ज्यावै,
फेर ई अै झुक ज्यावै।
रूंख है म्हारा जीवणदाता,
इणां स्यूं जनम-जनम रा नाता।
भेदभाव नीं किणी रै साथै,
ठण्डी छांव लुटावै।।
चाँद मामो /
आभै में चमकै सै' तारा,
म्हानै लागै सै' स्यूं प्यारा।
इणां बिचाळै चाँद अेकलो,
करै च्यानणो सैंग देखल्यो।
चँदै मामै री किरपा स्यूं ,
पळका मारै सगळा तारा।
आपां भी चमकां चँदा सा,
दिखां भीड़ में सै'स्यूं न्यारा।
मिल'र अेड़ा काम करांगा।
जीव जगत रा चावै सारा।।
ऊंदर आलूराम /
आंकड़ेडो क्यूँ चालै तूं
ऊंदर आलूराम।
जे मिनकी तन्नै देख लियो तो
करसी काम तमाम।
ऊंदर मुक्को ताण'र बोल्यो,
मन्नै ई आवै ताव।
म्हूं ई आज कर लियो है
इक मिनकी सूं ब्याव।।
दातार रूंख /
जीवण रा सिंणगार रूंख है,
जीवण रा आधार रूंख है
ठिगणां लांबा मोटा पतळा,
भांत भंतीला डार रूंख है।
आसमान में बादळ ल्यावै,
बिरखा रा हथियार रूंख है।
बीमारां नै दवा अै देवै,
प्राणवायु औजार रूंख है।
रबड़ कागद लकड़ी देवै,
पाखियां रा घरबार रूंख है।
ठंडी छिंयां फळ अै देवै,
कित्ता अै दातार रूंख है।
खुद नै समर्पित करण आळा,
ईश्वर रा औतार रूंख है।।
दियाळी /
दिवळां रौ त्यूंहार दियाळी,
आओ दीप जळावां।
भीतर रै अंधारै नै आपां,
रळमिल दूर भगावां।
घरां री करल्यां साफ सफाई,
लडिय़ां घणी सजावां।
अनार-पटाखा-बम-फुलझड़ी,
चकरी घणी चलावां।
हलुवो-पूड़ी-भुजिया-मट्ठी,
कूद-कूद'र खावां।
चोखा-चोखा पैह्र'र गाभा,
घर-घर मिलणनै जावां।।
ढोल /
बंकू बांदर बोल्यो-माऊ,
आज दिरादे ढोल।
रोजिना टरकावै मन्नै,
नीं चालसी पोल।
माऊ बोली-खड़का हुयसी,
किंयां दिराऊं बोल।
बंकू बोल्यो-सगळा सोयसी
पछै बजास्यूं ढोल।।
होळी मनावां /
चंग बजावां रळमिल गावां,
आओ आपां रंग लगावां।
जात-पांत री भींतां तोड़ां,
भाईपणै री रीत निभावां।
भर पिचकारी रंगद्यां गाभा,
डांडिया खेलां रास रचावां।
गालां माथै इक दूजै रै
सतरंगियो गुलाल लगावां।
टाबरटोली रळमिल सगळा,
रापटरोळी घणी मचावां।
बैर-दुसमणी भूलां आपां,
होळी रौ त्यूंहार मनावां।।
बिरखा /
छम-छम-छम-छम बिरखा आवै,
रळमिल सगळा टाबर न्हावै।
आभै में जद बिजळी कड़कै,
टाबरियां रौ मन घबरावै।
टर्र-टर्र डेडरिया बोलै,
लागै जाणै गीत सुणावै।
आगै-लारै बादळ भाजै,
मिल'र सगळा रेल बणावै।
खोल'र पांख्यां छातो ताणै,
मोर आपरो नाच दिखावै।
पोळमपोळ नदी-नाळा में,
कागद री सै' नाव चलावै।
बिरखा बंद हुयां आभै में,
सतरंगियो झट स्यूं दिख ज्यावै।।
- दीनदयाल शर्मा,
10/22 आर.एच.बी. कॉलोनी,
हनुमानगढ़ जं. - 335512
सुन्दर !!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद पूरण जी....
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