रजनीश कान्त का कविता संग्रह

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  जब सपने बनते हैं  मार्गदर्शक बिना संसाधन और मार्गदर्शन के कामयाबी पाने वालों को समर्पित, अपने सपनों को जो बनाते हैं कामयाबी पाने का रास...

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जब सपने बनते हैं  मार्गदर्शक

बिना संसाधन और मार्गदर्शन के
कामयाबी पाने
वालों को समर्पित,
अपने
सपनों को जो बनाते
हैं
कामयाबी पाने
का रास्ता
जब सपने
बन जाते
हैं मार्गदर्शक
  5

प्रस्तावना
मैनें कविता लिखने  की शुरुआत किसी योजना के तहत या फिर
बहुत सोच-विचारकर नहीं की थी और आज भी मैं जो कुछ
लिखता हूं बहुत सोच-विचारकर नहीं लिखता हूं। मन में किसी विचार से
इसकी शुरुआत होती है जो शब्दों ढलता चला जाता है।

सोचकर या गढ़कर कविता लिखने  की इच्छा नहीं होती। भीतर बनती हुई
कविता जब विवश कर देती है तभी कविता लिखी जाती है। कविता लिखने
में मुझे किसी मानसिक परशेानी का सामना नहीं करना पड़ता है।
जिदंगी के पथ पर कई संघर्ष  देखे  और जिये हैं। सो मन में कविताओं का
अनायास फूटना उतना ही स्वाभाविक है , जितना की बादलों से पानी बरसना।

रजनीश कान्त

जब सपने
बनते
हैं मार्गदर्शक

विषय-वस्तु

अध्याय 1- सपने
अध्याय 2- चुनौती को चुनौती दो  
अध्याय 3- समय की मांग  
अध्याय 4- जब सपन बन जाते हैं मार्गदर्शक  
अध्याय 5- भाग्य का इतजार
अध्याय 6 -वर्तमान हमारा साथी  
अध्याय 7- गरीबों को दो जीने का अधिकार  
अध्याय 8 -ग्रामीण महिला शिक्षा  
अध्याय 9 -कामयाबी मिलके रहेगी
अध्याय 10 - विद्यार्थी जीवन  
अध्याय 11 - क्या हो गए हम  
अध्याय 12- ऊंची हैसियत वाली वाली प्रेमिका
अध्याय 13- मुझे संघर्ष करने दे  
अध्याय 14- संकल्प  
अध्याय 15 - चलेंगे  तुम्हारे संग
अध्याय 16 - आओ पैसा-पैसा खेलें
अध्याय 17- बदकिस्मत मां  
अध्याय -18 - ऐ मेर जीवनसाथी
अध्याय- 19 -कॉल लेटर  
अध्याय -20 -सफल होंगे
अध्याय -21 -संघर्ष हमारा साथी
अध्याय -22- सड़क छाप जिदंगी  
अध्याय- 23- चुनौतियां स्वीकारें निर्भय होकर  
अध्याय -24 भारत का संयम  
अध्याय- 25- तुम्हारी चाहत  
अध्याय -26 -बारिश की तरह आती है खुशियां
अध्याय -27 -मां, रोशनी तो देख लेने देती   
अध्याय -28- उठो, हिम्मत करो  
अध्याय -29- तरस खाओ ऐसे दोस्तों पर  

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अध्याय 1
सपने

ठिकाना मिले
ना मिले
मजिं ल पाऊं या ना पाऊं
कामयाबी पाऊं या ना पाऊं
सपने देखना मैं नहीं छोड़ूंगा
कठिनाइयों का चाहे हो सामना
कांटे भरे रास्तों पर चाहे हो चलना
कल्पना ही है मेरी प्रेरणा
सपने देखना नहीं छोडूंगा
दूरी भले ही कितना भी हो तय करना
पैरवी का भले न मिले सहारा
अपनी पौरुषता को दौलत बनाऊंगा
सपने देखना नहीं छोडूंगा
घबराऊं न मैं असफल होने पर
हताश न होऊं
बांछित परिणाम न आने
पर
सकारात्मक सोच के सहारे
खद को आनंदित करता रहूंगा
सपने देखना मैं नहीं छोडूंगा
मौकों का चाहे हो अकाल
या हो चुनौतियों का अम्बार
जीवन पथ पर आगे
बढ़ता जाऊं गा
सपने
देखना मैं नहीं छोडूंगा
राही हूं मैं घने वन का
काली रात है
मेरे प्रकाश का साधन
चांद, तारे, और अंतर्मन का लेकर सहारा
बुलंदियों का मैं फतह करूंगा
सपने देखना मैं नहीं छोडूंगा

 

अध्याय 2
चुनौती को चुनौती दो
कभी ऊपर उठती है
कभी दीवारों से
टकराती है
समुद्र की लहरें
कोई मौका नहीं छोड़ती है
लोगों को डराने
का
हर तरह की चुनौतियां पैदा कर
लोगों को डराती है लहरें
कुछ लोग उन चुनौतियों से
ठिठक जाते  हैं
ठहर जाते  हैं
किनारों पर
इंतजार करते
हैं
लहरों के शांत होने का
लहरों को
डराने  में आता है मजा
डरते हुए लोगों को देखकर
मुस्कराती है लहरें
ऊं ची....और ऊं ची
उठती है लहरें
खौफनाक...और खौफनाक
होती जाती है लहरें
दीवारों और किनारों से
टकराती है लहरें
लेकिन,
कुछ लोग होते
हैं हिम्मती
खौफनाक लग रही लहरों को
जो देते हैं चुनौती
ऊंची उठ रही लहरों
में लगा देते
हैं छलांग
लहरों को ललकारते हैं
दम हो तो
हरा के दिखाओ
लहरें भी उनको हराने
का करती है हरसंभव कोशिश
लेकिन जांबाजों के आगे
पस्त हो जाती है
हार जाती है
आत्मसमर्पण कर देती है
खौफनाक और
मौत की लहरें
लगा लेती है
हिम्मती को गले
और हो जाती है शांत

 

अध्याय 3
समय की मांग
जो न बना क्लर्क
हुआ उसका बेडा गर्क
जो भी किया केवल
एमए, बीएड, एमफिल
हुआ उसका जीना मुश्किल
पाना है जरूरी है आज
पहले  कोई भी सरकारी नौकरी
वरना, मिल नहीं पाएगी
दाल, भात और तरकारी
मोटी-मोटी किताबें पढ़कर
ऊं ची-ऊं ची डिग्रियां ले
कर क्या पा लेंगे
आप और हम
इज्जत, प्रतिष्ठा, रोटी पा सकेंगे
जब बनेंगे
सरकार का हमदम
इसलिए समय की मांग है
बन जाओ पहले
कोई क्लर्क
हो जाए कोई सरकारी बाबू
तब लोगों की निगाहें
जाकर टिकेगी तुम्हारे ऊपर
मोटी-मोटी किताबें तब पढ़ते रहना
ऊंची-ऊंची डिग्रियां तब लेते रहना
तब नहीं आएगी कोई आर्थिक समस्या
समाज भी तब बंद कर देगा आपकी आलोचना
जो जीता वही सिकंदर
योग्यता की आज यही पहचान
ज्ञान कितना है किसके पास
लोग इसका कर देते हैं  नजरअंदाज


अध्याय 4
जब सपने बन जाते हैं मार्गदर्शक

गांव का रहने वाला हूं
खेती था पेशा मेरा
सोचा था किसी तरह
प्राइमरी स्कूल का शिक्षक बन जाऊं
तो, चल निकलेगी
जिदंगी की गाड़ी
तभी पता चला
डॉक्टर, इंजीनियर भी
बनते हैं लोग
मंत्री, आईएएस, आईपीएस
की कुर्सी पर बैठते है लोग
पत्रकारों और उद्योगपतियों
के पास भी होती है ताकत
इंजीनियर, आईएएस बनने
की कोशिश की भरपूर
लेकिन, मिली अधूरी कामयाबी
मनमुताबिक कामयाबी भले
न मिली,
लेकिन ख्वाब देखना नहीं छोड़ा मैंने
पत्रकारिता कोर्स मेंलिया दाखिला
पत्रकार बना भी
परन्तु, ब्रांडेड फिर भी न बना
अब बढ़ चला
उद्योगपति बनने
की राह पर
मदद के लिए आगे
आए कई हाथ
लेकिन, सपने
को बनाया मैंने अपना मार्गदर्शक
मुश्किलों के सामने
न कभी रुका
न कभी झुका
बस, आगे
बढ़ता गया
एक सपना टूटता
बुन लेता दूसरा सपना
और बढ़ता रहा निरंतर


अध्याय 5
भाग्य का इंतजार

सुख-दुख रहते
हैं पास-पास
ठीक उसी तरह जिस तरह
गुलाब में रहते  हैं
फूल और कांटे
लेकिन हम जो चाहते
वही हैं पाते
भाग्यवादी रोना रोते
फूल नहीं, मिले हैं कांटे
विजेताओं ने भाग्य पर
नहीं किया भरोसा
फूल पाया कांटे को नाशा
जिदंगी जीने वालों
कांटे मिलेंगे हजार
हटा दो उन कांटों को
बिना किए भाग्य का इंतजार
हरदम कर्म का लो सहारा
फूल खोजने  की रखो प्रवृति
कांटों को करो किनारा

अध्याय 6
वर्तमान हमारा साथी

अतीत जिया है
घृणा पर केंद्रित रहकर
थोड़े से लोगों ने  ऐश किया
लाखों लोगों का शोषण कर
शोषितों को सांत्वना दे दी
उनके पूर्वजन्म को याद दिलाकर
पूर्वजन्म के कुकर्मों ने
शोषितों को भाग्यवादी बनाया
लेकिन लोगों का खून चुसकर
खुद कुकामों को सुकर्म बताया
भविष्य जो अभी है आनेवाला
शोषित तुम हो इनाम पाने वाला
कष्ट भोगते रहो तुम
संचित पापों का परिणाम समझकर
क्रान्तिकारी कदम उठाते नहीं
तुम लाख चाहकर
शोषकों ने  समाज का
खींचा है ऐसा ढांचा
शोषण करने के लिए
बन गया जो अच्छा सांचा
अतीत बीत गया
भविष्य है आने वाला
वर्तमान को क्यों छोड़ुं
जो है हमारा साथ वाला

 

अध्याय 7
गरीबों को दो जीने  का अधिकार
बंद करो
शोषण, जुल्म, अत्याचार
गरीबों को दो हक
और जीने का अधिकार
अगर हत्याएं होती रही
फर्जी मुठभेड़ दिखाकर
बदला अब ये भी लेंगे
प्रशासन से टकराकर
प्रशासन ने लूटा उनको
झूठे मुकदमों में फंसाकर
नैतिकता मेंगिरावट लाई
महिलाओं के साथ छेड़छाड़ कर
इज्जत और सम्मान
गरीबों को भी है स्वीकार 
प्रशासन-नेता-सामंत गठबंधन से
त्रस्त है उनका परिवार 
सरकार बदलती, योजनाएं बनती
लेकिन मिलता नहीं रोजगार
मजबूर होकर किया उन्होंने
हिंसा का रास्ता अख्तियार
अब ये बहुत आगे निकल चुके
रोकना उन्हें बेकार
स्वीकार करेंगें
अंहिसा वो भी
अगर मिले
उनको
ससम्मान जीने
का अधिकार


अध्याय 8
ग्रामीण महिला शिक्षा
बिन शिक्षा के गांव वाली
न बनवअ तू शहर वाली
रह जयवअ तू
सीधी-साधी घरवाली
पढ़-लिख के तनी तू
देख उनकर जिदं गी
कइसे दूर करलन
उ सब अपन बेचारेगी
पढ-लिखके तू जानवअ
का होत है इ दुनिया में
अपन के बदल लेव तू भी
सब हालात में
अनपढ़ रहके तू संकोचा ह
सबसे बात करे में
पढ़-लिख के तू रह न जइवअ
अपन समस्या दूर करावे में
महिला लोगवन तू तो ह
परिवार और समाज की धूरी
पढ़-लिख जइव तू तो
रह न जात परिवार, समाज अधूरी
बाल-बच्चा साथ रहेला
ज्यादा मां-बहिने संग
बढ़िया पढ़ाई-लिखाई बचपन से
मिलते  रहे
तो न होत रगं में भगं
तब बच्चा भी शुरू से जान जात
एबीसीडी, वनटूथ्री
तब ग्रामीण समाज भी हो जात
शोषण, अधं विश्वास, कुपमंडुकता से फ्री

अध्याय 9
कामयाबी मिलके रहेगी

बीते साल का जाना
नए साल का आना
मनचाहा खशिुयों से हो
तुम्हारा सामना
हर कदम हो तुम्हारा सफल
मेरी यही है कामना
नतीजा चाहे हो जैसा
आत्मविश्वास है तुम्हारा साथी
संभावनाओं के इस दौर में
महज परीक्षा देना होगा नाकाफी
परीक्षा यानी दूसरे की इच्छा
उसके अनुरूप खद को होगा ढालना 
मेहनत, धैर्यै पर ही हो हमें भरोसा
नाकामी से जब हो पीछा छुड़ाना
सफल होना ही है कामयाबी की पहचान
हर कीमत पर रखनी होगी
सफलता पाने के प्रति हमें रुझान

अध्याय 10
विद्यार्थी जीवन
खानाबदोश जिदं गी
कहीं ठिकाना नहीं मिलता
न किसी के दिल में
न किसी के घर में
कामयाबी और पैसा
पसंद है हरेक को
विद्यार्थी जीवन में रखा क्या है
संघर्ष, संघर्ष  और संघर्ष

शिक्षा जो कि है जरूरी
बीताते हैं उसमें वर्षों-वर्ष
कामयाबी पसंद है हरेक को
माता-पिता को, खुद को,
भाई-बहन को
पर थोड़े से हैं खुशनसीब
कामयाबी जिसको करती है नमन
आज विद्यार्थी का जीवन
ठीक है उसी तरह
रुखा-सुखा फूल से
सुसज्जिजत हो जैसे चमन

 

--.

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                         रजनीश कान्त
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© रजनीश कान्त
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COMMENTS

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  1. रजनीश कान्त जी आपने जीवन की घटनाओं को कविता में उतारने का उत्तम प्रयत्न किया ,कामयाबी जिसको करती है नमन
    आज विद्यार्थी का जीवन और नतीजा चाहे हो जैसा
    आत्मविश्वास है तुम्हारा साथी
    संभावनाओं के इस दौर में
    महज परीक्षा देना होगा नाकाफी
    और -
    ठीक है उसी तरह
    रुखा-सुखा फूल से
    सुसज्जिजत हो जैसे चमन !
    आपका एक सराहनीय कदम है

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नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड 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रचनाकार: रजनीश कान्त का कविता संग्रह
रजनीश कान्त का कविता संग्रह
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