गोवर्धन यादव का गणेश चतुर्थी पर विशेष आलेख - वक्रतुंडम महाकाय

SHARE:

(गोवर्धन यादव) वक्रतुंडा महाकाय सूर्यकोटि समप्रभा , निर्विघ्नम कुरु मे देवा सर्व कार्येशु सर्वदा श्री गणेशजी हिन्दुओं के प्रथम पूज्य देव...

clip_image002

(गोवर्धन यादव) वक्रतुंडा महाकाय सूर्यकोटि समप्रभा, निर्विघ्नम कुरु मे देवा सर्व कार्येशु सर्वदा

श्री गणेशजी हिन्दुओं के प्रथम पूज्य देवता हैं. हिन्दुओं के घर में चाहे जैसी पूजा या क्रियाकर्म हो, सर्वप्रथम श्री गणॆशजी का आवाहन और पूजन किया जाता है. शुभ कार्यों में श्री गणेशजी कि स्तुति का अत्यन्त महत्व माना गया है. गणेशजी विघ्नों को दूर करने वाले देवता है. इनका मुख हाथी का, उदर लम्बा और शेष शरीर मनुष्य के समान है.

सिर किसी जानवर का और शरीर आदमी का, देखकर आश्चर्य होना स्वभाविक है. इस विचित्र संयोग के पीछॆ एक कहानी भी आ जुडती है.

एक समय की बात है. माता पार्वती स्नान करने के लिए जाने वाली थी. स्नानघर में प्रवेश करने से पूर्व उन्होंने अपने पुत्र से कहा कि वह प्रवेश-द्वार पर बैठकर इस बात की निगरानी करे कि कोई भी अन्दर प्रवेश न कर पाए. अपनी माता की आज्ञा शिरोधार्य कर वे एक स्थान पर बैठ गए. उसी समय उनके पिता शंकरजी का आगमन हुआ. वे अन्दर प्रवेश करें, उससे पूर्व ही उस बालक ने उन्हें अन्दर प्रवेश करने से रोक दिया. शंकरजी ने इसमें अपना अपमान माना और दोनों के मध्य अघोषित युद्ध छिड गया. अन्त में श्रीशंकर ने अपने त्रिशूल से उस बालक की गर्दन धड से अलग कर दी. माता पार्वतीजी जैसे ही स्नानघर से बाहर निकली, अपने पुत्र को निर्जीव देख वे विलाप करने लगी और अपने पति को भला-बुरा कहने लगी और उसे पुनः जीवित करने की प्रार्थणा करने लगी.

शंकरजी ने अपने गणॊं को बुलाकर आज्ञा दी कि वे शीघ्रता से जायें और तुरन्त जन्म लिए किसी मानव का सिर लेकर आयें. गण यहाँ-वहाँ चक्कर लगाता रहा लेकिन वह अपने प्रयास में सफ़ल नहीं हो पाया. खाली हाथ लौटकर जाने के भीषण अपराध की क्या सजा हो सकती थी, वह भलि-भांति जानता था. संयोग से उसी समय एक हथिनी को प्रसव हुआ. उसने तत्काल उस शिशु हाथी का सिर काट लिया और भगवान शंकर के समक्ष आ उपस्थित हुआ.

भगवान शंकर ने तत्काल उस मृत बालक के सिर की जगह हाथी का सिर लगा दिया. उनसे आशीर्वाद पा वह बालक जी उठा. उस बालक का नाम श्री गणेश रखा गया. अपने पुत्र को जीवित पा माता पार्वती अत्यन्त ही प्रसन्न हुई.

संभवतः यह संसार यह पहला सफ़ल प्रयोग( आपरेशन) था जब किसी मानव के शरीर से किसी जानवर के शरीर के किसी अंग का प्रत्यारोपन किया गया था. यह प्रसंग इस बात का संकेत देता है कि उस समय मेडिकल साईंस में भारत कितना सिद्धहस्त रहा होगा.

श्री गणेशजी बारह नामों से याद किए जाते हैं. तथा= वक्रतुण्ड, एकदंत, कृष्णपिङ्गाक्ष गजवक्त्र, लम्बोदर, विकटमेव, विघ्नराजेन्द्र धूम्रवर्णं, भालचन्द्र विनायक, गणपतिं, एवं गजानन. नारद स्तोत्र के अनुसार इन नामों का त्रिसंध्या में जाप करने मात्र से मनुष्य के सभी विध्न दूर हो जाते हैं, और सारे मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं,. विध्यार्थी को विध्या की प्राप्ति, धनार्थी को धन की, पुत्रार्थी को पुत्र तथा मोक्षार्थी को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

श्री गणेशजी को एकदंत कहा जाता है. इससे एक कथा जुडी है, वह इस प्रकार से है. एक समय की बात है कि परशुरामजी ने इस पृथ्वीतल से समस्त क्षत्रियों का समूल नाश करने के पश्चात अपने गुरु श्रीशंकरजी से मिलने कैलाश जा पहुँचे. किसी बात को लेकर परशुराम और गणेशजी के बीच युद्ध होने लगा. इस युद्ध में परशुराम ने अपना फ़्ररसा गणेश जी पर चला दिया,जिससे उनका एक दांत टूट गया. उस समय से उनका नाम एकदंत पडा. इसी तरह उनके बारह नामों से जुडी अलग-अलग कथाएं पढने को मिलती हैं.

श्री गणेशजी प्रथम पुज्य देवता हैं. हिन्दुओं के घर में चाहे जैसी पूजा या क्रियाकर्म हो, सर्वप्रथम श्री गणेशजी का आवाहान और पूजन किया जाता है. इसके पीछे भी एक कथा प्रचलित है. वह इस प्रकार से है. भगवान श्री शंकरजी और माता पार्वतीजी ने अपने दोनों पुत्र श्री गणेश एवं कार्तिकेय से कहा कि तुम दोनों में से जो संपूर्ण पृथ्वी का चक्कर लगाकर पहले आ जाएगा, इसकी सर्वप्रथम पूजा की जाएगी. कार्तिकेय का वाहन मोर था. वे उस पर सवार होकर पृथ्वी का चक्कर लगाने के लिए निकल पडॆ. श्री गणेश अपने स्थान पर ही रुके रहे. जब उनसे यह पूछा गया कि वे किस कारण से रुके हुए हैं, जबकि तुम्हारे भाई तो काफ़ी समय पूर्व इस कार्य को करने के लिए प्रस्थान कर चुके हैं. तब श्री गणेशजी ने कोई जवाब न देते हुए अपने माता-पिता के सात चक्कर लगाए और उनके समक्ष हाथ जोडकर खडॆ हो गए और अत्यंत ही विनीत भाव से उन्होंने कहा कि पृथ्वी ही क्या, वे समस्त ब्रह्माण्ड के सात चक्कर लगा चुके हैं. इस कथा से उस मर्म को समझा जा सकता है कि कोई भी मनुष्य यदि अपने माता-पिता की पूजा-अर्चना/सेवा-शुश्रुषा करता है, तो उसके लिए संसार की सारी वस्तुएं सहज में ही उपलब्ध हो जाती है. उन्हें और दूसरे अन्य उपाय खोजने की आवश्यकता नहीं पडती. शायद यही कारण था कि भगवान आशुतोष और माता पार्वतीजी ने उन्हें प्रथम पूज्य होने का वरदान तत्काल ही दे दिया था. उस समय से श्री गणेशजी की पूजा-वंदना सर्वप्रथम की जाती है.

श्रीगणेशजी की मूर्ति अथवा चित्र को ध्यान से देखें. उनके सूपे से लंबे कान हैं. बडॆ कान इसीलिए है कि वे सारे भक्तों की बात सुन सकें. उनकी लंबी सी सूंड है. लंबी सूंड से अभीप्राय यह है कि उनकी घ्राण शक्ति काफ़ी महबूत है और हर चीज पकड के अन्दर है. उनके चेहरे पर ध्यान टिकाएँ. शांत और प्रसन्नचित दिखलायी देते हैं. उनको लंबोदर कहते हैं. माने उनका बडा सा पेट है. बडॆ से पॆट के तात्पर्य यह है कि उनमे सभी बातों को उदर्स्थ कर लेने की अद्भुत क्षमता हैं. उनके चार हाथ हैं. चार होने का अर्थ यह है कि वे कई-कई काम एक साथ बिना थके कर सकते हैं. शायद आप सभी ने पढा होगा कि महाभारत लिख चुके वेदव्यासजी के शरीर को व्याधियों ने घेर लिया था. तब उन्हें सलाह देते हुए नारदजी ने कहा था कि इससे छुटकारा आने के लिए आपको भागवत की रचना करनी चाहिए. श्री विष्णु के चरित्र को लिखने के बाद ही आप शांति पा सकेंगे. तब महर्षि ने लिखने से पहले एक विचित्र शर्त रख दी कि द्रुतगति से लिखने वाला और बिना टोका-टाकी किए हुए लिखते रहने वाले ऎसे व्यक्ति की तलाश की जाए,तो वे भाग्वत लिखवा सकेंगे. तब श्री गणेशजी को यह काम सौंपा गया था. महर्षि बिना रुके बोलते जाते थे और श्री गणेश उसे तत्काल लिख डालते थे. इससे स्पष्ट हो जाता है कि वे कुशाग्र बुद्धि के भी देवता थे. उनमे सहनशक्ति भी गजब की थी. उनके एक हाथ में उनका प्रिय मोदक भी है. मोदक का अर्थ होता है वह वस्तु जो मीठी हो और खाने के बाद प्रसन्नता से भर दे. उनके दो हाथों में परस है. परस माने वह पाश जिससे वे अपने शत्रु को बांध सकते हैं..इतने सारे गुणॊ से भरपूर हमारे श्री गणेशजी हैं. निश्चित ही उनके पूजने वालों में भी इन दिव्य गुणॊं का होना नितांत आवश्यक है. यदि ऎसा नहीं है तो फ़िर उनके पूजन का ,उनके गुणाणुवाद गाने का कोई मतलब ही नहीं रह जाएगा.

clip_image004( श्री बालगंगाधर तिलक-23 जुलाई 1856- 1 अगस्त 1920)

श्री गणेशजी के इन्ही दिव्य गुणॊं को आत्मसात करने के बाद महामना बालगंगाधर तिलक ने उन्हें अपना इष्ट माना और आजादी के संग्राम को धारदार बनाने के लिए श्री गणेशजी का आव्हान किया और सार्वजनिक गणेशोत्सव के माध्यम से स्वतंत्रता के दीवानों को एक छत के नीचे इकठ्ठा करना शुरु किया. उन्होंने इसी वक्त हूंकार भरते हुए कहा था कि “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है”

इसी माह की भाद्र पद सुदी 4 अर्थात 29 अगस्त 2014 को श्रीगणेशजी की पूरे देश में स्थापना की जाएगी. स्थापना की जाए, यह अत्यंत ही खुशी की बात है, लेकिन हमारा-आपका उद्देश्य क्या होना चाहिए,? क्या उसके पीछे बाल गंगाधरजी वाला कोई संकल्प/उद्देश्य होगा या फ़िर केवल स्थापना और शेष दिन केवल आरती/भजन/पूजन और लाउडस्पिकर का शोर शराबा जिसके माध्यम से चीखते गलाफ़ाड भोंडॆ गाने गूंजते रहेंगे?

देश की वर्तमान स्थिति से भला कौन परिचित नहीं हैं?. सभी जानते हैं कि देश इस समय दोहरे संकट की घडी पर खडा है. हमारे पडौसी ने अघोषित युद्ध छॆड रखा है. वह दिन-रात गोले बरसा रहा है. LOC पर रहने वाले भयाक्रांत हो घर-बार छॊडकर पलायन करने में मजबूर हो चले हैं. आए दिन हमारे सैनिक और निर्दोष नागरिक मारे जा रहे हैं. दूसरी ओर, दूसरा पडौसी (ड्रैगन) भारतीय सीमा का उल्लंघन कर अपनी सीमा का विस्तार कर रहा है.

इस दोहरे संकट के चलते एक नया राष्ट्रीय संकट भी हमारे सामने, सुरसा की तरह मुँह बांए आन खडा हुआ है कि हमारे अपने ही लोग, अपने ही पास-पडौस में रहने वाली युवतियों का जीना हराम किए दे रहे हैं. ऎसा करने वालों को न तो समाज का डर सताता है और न ही किसी कानून का. नेता लोग आए दिन विवादित बयान दे रहे हैं, जिससे जनाक्रोश और बढ जाता है. बजाय हल खोजे जाने के बात-बात पर वाद-विवाद और, एक दूसरे पर आरोप-प्रयारोप लगाने में समय की बर्बादी हो रही है.

मित्रों---बडी कठिन और आक्रातंक घडी में विघ्नविनाशक श्री गणेशजी विराजित होने वाले हैं. इन विषम परिस्थियों में हमारा क्या दायित्व होगा? हम क्या कर सकते हैं? इन आसन्न कठिनाइयों के चलते हम समाज को अथवा सरकार को क्या योगदान दे सकते है? उस परमशक्तिवान से हम क्या मांगना चाहेंगे? हम केवल और केवल अपने लिए ही कुछ मांगेगे अथवा अपने आसपास पडौस के लिए भी मांगेंगे? जो लोग अपने पडौस में गंदा खेल खेल रहे हैं, उनको सदाबुद्धि आए, ऎसे कौन-कौन से वर हम उनसे मागेंगे? अथवा उनकी प्रतिमा को भिन्न-भिन्न कार्टून की शकल देकर उनका मखौल उडाएंगे? इन तमाम प्रश्नों को राजनीति के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए. आज जो कुछ भी घटित हो रहा है, उससे हम शर्मसार ही हुए हैं. तो क्या इसका सम्मानजनक हल हम सब मिलकर नहीं निकालेंगे तो फ़िर कौन निकालेगा?. एक ओर जब हम गर्व से कहते हैं कि भारत देश हमारा है, तो क्या हमारा –आपका-सबका यह दायित्व नहीं बनता कि इन समस्याओं का हल सर्व सम्मति ने निकाला जाना चाहिए, क्योंकि सारी बातें देश की प्रतिष्ठा और सम्मान से जूडी हैं.

इन तमाम तरह की कठिनाइयों से/ इन तमाम तरह के उलझे प्रश्नों की लडी आपको सौंपते हुए समाधानकारक उत्तर की प्रतीक्षा रहेगी. इसके उत्तर मुझे नहीं देने हैं ,बल्कि अपने आपसे इन ज्वलंत प्रश्नों के उत्तर खोजने होंगे समाधानकारक हल निकालना आपका-हमारा सभी का उत्तरदायित्व है. आज देश आपसे इन प्रश्नों के उत्तर मांग रहा है. मुझे आशा ही नहीं वरन पूरा विश्वास है कि आप इन प्रश्नों के उत्तर खोज निकालेंगे अथवा अपने विघ्नहर्ता श्री गणेशजी के चरणॊं में बैठकर उन्हीं से सारी समस्याओं के समाधानकारक हल प्राप्त करने होंगे.

103,कावेरीनगर,छिन्दवाडा(म.प्र.) 480001 (गोवर्धन यादव)

COMMENTS

BLOGGER: 5
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: गोवर्धन यादव का गणेश चतुर्थी पर विशेष आलेख - वक्रतुंडम महाकाय
गोवर्धन यादव का गणेश चतुर्थी पर विशेष आलेख - वक्रतुंडम महाकाय
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhxfTjuMDcuumkRzz9UnzVEgXCLogmc8Klmwk8JYWuI_aMUSTkH1K84YoQeuVC5YZnB7V4r5YWCYUuXFZK9T5lzTr4ZsXw8XuP2PtbDvMCSGTCAoxTXpICJzbclBgfYT-_Kke62/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhxfTjuMDcuumkRzz9UnzVEgXCLogmc8Klmwk8JYWuI_aMUSTkH1K84YoQeuVC5YZnB7V4r5YWCYUuXFZK9T5lzTr4ZsXw8XuP2PtbDvMCSGTCAoxTXpICJzbclBgfYT-_Kke62/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2014/08/blog-post_23.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2014/08/blog-post_23.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content