सृष्टि रचनाखंड क्रम.. जीवन, जीव व मानव-भाग-४

SHARE:

सृष्टि रचनाखंड क्रम.. जीवन , जीव व मानव-भाग-४ ( अंतिम किस्त ) .....– (पूर्व की किस्त यहां देखें) मानव का भविष्य एवं - भविष्य का महामानव.....

सृष्टि रचनाखंड क्रम.. जीवन, जीव व मानव-भाग-४ ( अंतिम किस्त ) .....–

(पूर्व की किस्त यहां देखें)

मानव का भविष्य एवं -भविष्य का महामानव..

यदि जीव-सृष्टि का क्रमिक विकास ही सत्य है तो प्रश्न उठता है कि मानव के बाद क्या? व कौन? यद्यपि अध्यात्म व वैदिक-विज्ञान जब यह कहता है कि मानव, सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ तत्व है, जो धर्म अर्थ काम व मोक्ष –चारों पुरुषार्थ में सक्षम है, तो संकेत मिलता है कि मानव अन्तिम सोपान है; हां इससे आगे युगों--सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलियुग व कल्प, मन्वन्तर आदि—के वर्णन से स्वयम मानव के ही पुनः पुनः सदगुणों, विचारों, भावनाओं, संवेदनाओं आदि में अधिकाधिक श्रेष्ठ होते जाने के विकास-क्रम का भी संकेत प्राप्त होता है, अविकसित मानव से मानव à महामानव तक

विज्ञान के अनुसार विकास की बात करें तो आज आधुनिक विज्ञान व तकनीक शास्त्र के महाविकास ने मानव के हाथ में असीम सत्ता सौंप दी है। वह चांद पर अपने पदचिन्ह छोडकर, अपने कदम मंगल, शुक्र आदि अन्य ग्रहों की ओर बढा चुका है। उसने हाल ही में जल से युक्त अन्य ग्रह भी खोज निकाला है एवम अब शायद जीवन युक्त ग्रह की खोज भी दूर नहीं है। यह एक अहम विजय है। वह शरीर में गुर्दे, फ़ेंफ़डे, यकृत, ह्रदय आदि बदलने में सफ़ल हुआ है व महान संहारक रोगों पर भी विजय पाई है। हां, इन सफ़लताओं के साथ उसने अणु-शस्त्र, रासायनिक व विषाणु बम भी बनाये हैं जो सारी मानव जाति व दुनिया को नष्ट करने में सक्षम हैं। इस प्रकार वह मानव जिसने मध्य युग में विश्व भर में अपने भाइयों के खून से हाथ रंगे थे, आज विज्ञान के सहयोग से प्रकृति-विजय का भागीरथ प्रयत्न कर रहा है। साथ ही आज विज्ञान- कथाओं, सीरिअल्स, सिनेमा आदि में, रोबोट, साइबोर्ग, मानव-पशुओं, विचित्र प्राणियों की कथाओं की कल्पना की जारही है जो मानव+पशु आदि की सृष्टि का सत्य भी बन सकती है। प्राणी-क्लोन की सफ़लता मानव-क्लोन में बदलकर शायद भविष्य की मानवेतर-सृष्टि का, विकास-क्रम हो सकती है। यद्यपि यह सभी मानवेतर-सृष्टि वैदिक-विज्ञान /भारतीय-साहित्य में पहले से ही वर्णित है। सृष्टा, ब्रह्मा का ही एक पुत्र--त्वष्टा ऋषि यज्ञ द्वारा इस प्रकार की प्राणी-सृष्टि की रचना करने लगा था—मानव का सिर+पशु का धड... आदि। इससे सामान्य सृष्टि के नियम व संचालन, संचरण में बाधा आने लगी थी। वे न प्राणी थे न मानव न देव अपितु दैत्य श्रेणी के थे।

त्रिशिरा नामक तीन सिर वाला प्राणी  (देव=दैत्य=मानव ) उसी त्वष्टा का पुत्र था जिसका इन्द्र ने बध किया, तदुपरान्त ब्रह्मा ने शाप द्वारा त्वष्टा का ऋषित्व (विद्या,ज्ञान )छीन लिया गया। शायद प्रकृति-माता को यह असंयमित विकास मन्जूर नहीं था, और आज भी नहीं होगा।

प्रश्न उठता है कि इस असीम सत्ता की विज्ञान रूपी कुन्जी को मानव के हाथ में सौंपने वाला कौन है ? क्या ईश्वर ?-जैसा अध्यात्म कहता है कि, सब का श्रोत वही है, पूर्ण, संपूर्ण, सत्य, सनातन, ऋत-सत्य – उसी से सब उत्पन्न होता है, उसी से आता है, उसी में जाता है, वह सदैव पूर्ण रहता है---- यथा-

पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात पूर्ण्मुदच्यते।

पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥

या अध्यात्म, या ज्ञान या आधुनिक विज्ञान या मानव-मन जो महाकाश है, अनंत शक्ति का भन्डार?

वस्तुतः विज्ञान के अनुसार वह है स्वयम मनुष्य का सर्वोत्तम विकसित मस्तिष्कप्रमस्तिष्क( सेरीब्रम—cerebrum-उच्चमस्तिष्क), जिसने मानव को समस्त प्राणियों से सर्वोपरि बनाया है। प्रमस्तिष्क ही मानव मस्तिष्क में उच्च क्षमताओं, विद्वता, उच्च संवेदनाओं, प्रेरणाओं का केन्द्र है।

जिन कार्यों को सदियों से इंसानी करामात का नतीजा कहा जाता रहा है, वह मानव मस्तिष्क की ही देन है। अन्य जीवधारियों से अलग इंसानी दिमाग हर वक्त सूचनाएं बटोरना, उनकी पड़ताल के पश्चात उन्हें स्टोर करना एवं चुपचाप हमारे लिए चेतना और यथार्थ का एक संसार रचना इसी प्रमष्तिष्क का ही कार्य है | 10 खरब ब्रेन सेल्स जिस काम में लगे रहते हैं, उनके 90 फीसदी हिस्से की सक्रियता अवचेतन में होती है। हमारे सचेत मन को इसका पता नहीं होता क्योंकि बाकी दिमाग उससे सलाह ही नहीं लेता। अवचेतन में जमा यही जानकारियां कई बार दिमागी खेल को एक झटके से नया मोड़ दे देती है जिससे नए नए आविष्कारों खोजों को जन्म मिलता है| अतः मानव सभ्यता के लिए सदियों से जो रहस्य अनसुलझे रहे हैं, उनमें एक से उसका सबसे करीबी रिश्ता है। वह है इंसान का अपना दिमाग, जिसकी कोशिकाओं में असंख्य गुत्थियां अनसुलझी पड़ी रहती हैं। जो काम आज के ताकतवर कंप्यूटर तक नहीं कर पाते, उसे कुछ इंसानी दिमाग कुछ पलों में कर डालते हैं। मौलिक सोच और नई रचना का सारा श्रेय इंसानी दिमाग में कैद इन्हीं रहस्यों को जाता है।

मूलतः मस्तिष्क की वृद्धि पर ही प्राणी या मनुष्य के संपूर्ण विकास का बल रहा है। भीमकाय प्राणियों के बृहत् शरीर की आवश्यकताओं को अपेक्षाकृत छोटा मस्तिष्क पूरा न कर सका और ये जंतु क्रमश: लुप्त होते गए। इसके प्रतिकूल मनुष्य में शरीर के अनुपात में अपेक्षाकृत मस्तिष्क कहीं बड़ा हो गया है, अतएव मनुष्य के मस्तिष्क की अधिकांश शक्ति शारीरिक आवश्यकताओं (भोजन, सुरक्षा आदि) को पूरा कर लेने के बाद भी शेष रह जाती है। यह शक्ति मनुष्य अपने सुख साधनों को एकत्रित करने तथा विज्ञान और तकनीकी उपलब्धियों को प्राप्त करने में लगा रहा है

भविष्य में मनुष्य कैसा बनेगा? यह उसकी इच्छा और आवश्यकता को देखते हुए उसके मूल चिंतन की दिश व प्रवाह पर निर्भर करेगा |

आध्यात्मवादी चिंतन धारा मनुष्य में देवत्व और धरती पर स्वर्ग के अवतरण की पक्षधर है। प्रबुद्ध अध्यात्म भी अब मनुष्य जाति को विनाश के सर्वभक्षी संकट में से निकालने के लिए अपना कर्तव्य पालन करने के लिए कटिबद्ध हो रहा है। भले ही उसकी विशालकाय प्रयोगशालाएं दृष्टिगोचर न हों, पर निश्चेष्ट वह भी नहीं है। मनुष्य के ईश्वर कृत सनातन रूप को अक्षुण्ण और परिष्कृत बनाये रखने के लिए अध्यात्म शक्तियाँ भी दृश्य या अदृश्य रूप से अपना काम प्रचंड वेग से कर रही हैं। अध्यात्म शक्ति की तीव्र परिवर्तनों की गति उसे महामानव-देवमानव -अतिमानव भी बना सकती हैं। अपनी कृति द ह्यूमन साईकिल में महर्षि अरविंद ने कहा है कि मनुष्य सचेतन प्राणी है और चेतना का सहज स्वभाव महत् चेतना की ओर अग्रसर होने अति चेतन बनने का है। मनुष्य अपने विकास क्रम में जीव चेतना से ऊपर उठकर अर्ध देवता बन चुका है और अब पूर्ण देवत्व की ओर अग्रसर है। बौद्धिक विकास के बाद अब आत्मिक प्रगति का युग आ रहा है। मानव-जाति समान हितों के बाहरी कारणों को छोड़ कर आध्यात्मिक विकास के फलस्वरूप आँतरिक एकता का अनुभव करने लगी है। आर्थिक और बौद्धिक दृष्टिकोण के स्थान पर आध्यात्मिक और अतिमानसिक भावना बढ़ती जा रही है। यदि चिंतन की यही धारा चलाती रही व प्रभावी हुई तो भावी मनुष्य सुनिश्चित रूप से दिव्य-शक्तियों से संपन्न होगा जिसकी चेतना देव स्तर की होगी, जो इस धरती पर उदार आत्मीयता, स्नेह, सौजन्य और सहकार की अमृतधारा बहाने और स्वर्ग का वातावरण बना सकने में समर्थ होगा। यदि मानवी विवेक जग पड़ा तो संभावना इसी प्रकार की अधिक है। मानव से महामानव नर से नारायण बनना ही मनुष्य की नियति है।

यदि चिंतन का प्रवाह वर्तमान स्तर का भौतिकवादी ही बना रहा तो मानव नये सिरे से जीव-कोषों का ढालना आरंभ करेंगे जो हर परिस्थिति में अपना निर्वाह कर सकें भावी परिस्थितियों के साथ सुविधापूर्वक तालमेल बिठाये रह सकें। उसका शरीर ही नहीं मन भी बदला जा सके अब इतनी शक्ति विज्ञान के हाथों आ गयी है कि अन्न, वस्त्र, निवास आदि की कमी का ध्यान रखते हुए वर्तमान स्तर के मनुष्य को हटाकर उस स्थान पर नयी जाति के नयी नस्ल के मिनी मनुष्य भी बनाये जा सकते हैं जो कम जगह घेरे और खुराक भी नष्ट न करें, पर बुद्धिमता एवं प्रतिभा की दृष्टि से बढ़े चढ़े हों। बौद्धिक प्रखरता के बल पर वे बिजली, पवन आदि जैसी प्राकृतिक शक्तियों पर अपना आधिपत्य कर मनचाही दिशा में प्रगति कर सकेंगे। परन्तु उनमें भावनात्मक व अध्यात्मिक विकास कितना होगा यह एक प्रश्न चिन्ह है | अतः इनमें विकास के साथ ही विनाश के भी बीज निहित हैं। यह विद्वता व क्षमता जिसने मानव के हाथ में असीम शक्ति दी है, उसके स्वयम के लिये अभिशाप भी होसकती है, डिक्टेटरों व परमाणु-बम की भांति विनाश का कारण भी।

अतः एक तीसरी शक्ति ....प्रकृति—माता ( जो अध्यात्म व दर्शन व वेदान्त के अनुसार ब्रह्म या ईश्वर की इच्छानुसार ही कार्य करती है एवं जो अपने पुत्र, मानव, की भांति क्रूर नहीं हो सकती, तथा मानव जाति को विनाश से बचाने हेतु सदा ही उसे अपनी आज्ञा पर, अपने अनुकूलन में सम्यग व्यवहार से चलाने का यत्न करती आई है) ने कदम बढाया है। यह कदम मानव-मस्तिष्क में एक एसे केन्द्र को विकसित करना है जो मानव को आज से भी अधिक विवेकशील सामाज़िक, सच्चरित्र, संयमित, विचारवान, संस्कारशील, व्यवहारशील व सही अर्थों में महामानव बनायेगा। वह केन्द्र है—प्रमस्तिष्क में विकसित भाग बेसल नीओ कार्टेक्स (basal neo cortex)|

मानव के जटिल मस्तिष्क के तुलनात्मक अध्ययन व शोधों से ज्ञात हुआ है कि मछली में प्रमस्तिष्क केवल घ्राणेन्द्रिय तक सीमित है; रेंगने वाले ( रेप्टाइल्स) जन्तुओं में बडा व विकसित; स्तनपायी जन्तुओं( चौपाये आदि मेमल्स) में वह पूर्ण विकसित है। इनमे प्रमस्तिष्क एक विशेष प्रकार की कोशिकाओं की पर्तों से बना होता है जिसे कोर्टेक्स ( cortex) कहा जाता है। उच्चतम स्तनपायी मानव मस्तिष्क में ये पर्तें वहुत ही अधिक फ़ैली हुई व अधिकाधिक जटिलतम होती जातीं हैं; एवम बहुत ही अधिक वर्तुलित( folded) होकर बहुत ही अधिक स्थान घेरने लगती हैं।(चित्र-१. व २.)

बुद्धि, ज्ञान, उच्च-भावनाएं आदि प्रमस्तिष्क( सेरीब्रम या cerebral cortex) की इन्ही पर्तों की मात्रा पर आधारित होता है। मानव में यह भाग अपने प्रमस्तिष्क का २/३( सर्वाधिक) होता है और मनुष्य में सर्वाधिक ज्ञान व विवेक का कारण

प्रो.ह्यूगो स्पेत्ज़ व मस्तिष्क विज्ञानी वान इलिओनाओ के अध्ययनो के अनुसार प्रमस्तिष्क के विकासमान भाग कंकाल-बक्स के आधार पर होते हैं, वे कंकाल के सतह पर अपने विकास के अनुसार छाप छोडते हैं इन्ही के अध्ययन से मस्तिष्क के विकासमान भागों का पता चलता है। इन वैज्ञानिकों के अध्ययनो से से पता चलता है कि मानव मस्तिष्क अभी अपूर्ण है तथा मानव के प्रमस्तिष्क के आधार भाग में एक नवीन भाग ( केन्द्र ) विकसित होरहा है जो मानव द्वारा प्राप्त उच्च मानसिक अनुभवों, संवेगों, विचारों व कार्यों का आधार होगा। यह नवीन विकासमान भाग प्रमस्तिष्क के अग्र व टेम्पोरल भागों के नीचे कंकाल बक्स( क्रेनियम-cranium) के आधार पर स्थित है। इसी को बेसल नीओ कार्टेक्स ( basal neo cortex) कहते हैं। प्राइमरी होमो-सेपियन्स (प्रीमिटिव मानव) में यह भाग विकास की कडी के अन्तिम सोपान पर ही दिखाई देता है व भ्रूण के विकास की अन्तिम अवस्था में बनता है। पूर्ण मानव कंकाल में यह गहरी छाप छोडता है। बेसल-नीओ-कार्टेक्स के दोनों भागों को निकाल देने या छेड देने पर केवल मनुष्य के चरित्र व मानसिक विकास पर प्रभाव पडता है, अन्य किसी अंग व इन्द्रिय पर नहीं। अतः यह चरित्र व भावना का केन्द्र है।

इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि भविष्य में इस नवीन केन्द्र के और अधिकाधिक विकसित होने से एक महामानव ( यदि हम स्वयम मानव बने रहें तो) का विकास होगा ( इसे महर्षि अरविन्द के अति-मानस की विचार धारा से तादाम्य किया जा सकता है ); जो चरित्र व व्यक्तित्व मे मानवीय कमज़ोरियों से ऊपर होगा, आत्म संयम व मानवीयता को समझेगा, मानवीय व सामाज़िक संबंधों मे कुशल होगा और भविष्य में मानवीय भावनाओं के विकास के महत्व को समझेगा।

अतः मानव मस्तिष्क के इस नव-विकसित भाग का ज्ञान अत्यन्त महत्वपूर्ण है क्योकि यह निम्न स्तर के व्यक्तियों के हाथों मे असीम शक्ति पड जाने से उत्पन्न, मानव जाति के अंधकारमय भविष्य के लिये एक आशा की किरण है। इस अंतरिक्ष विकास, अणु शस्त्रों के युग, पर्यावरण-प्रकृति विनाश व विनाशकारी अन्धी दौड व होड के युग में भी मानव जाति के जीवित रहने का संदेश है। विज्ञान की यह देन भी वस्तुतः प्रकृति मां का जुगाड है, अपने पुत्र मानव को स्वयं-विनाश से बचाने हेतु एवम त्वष्टाओं को शक्तिहीन करने हेतु।

                            -----------

---इति ---

image

COMMENTS

BLOGGER: 1
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: सृष्टि रचनाखंड क्रम.. जीवन, जीव व मानव-भाग-४
सृष्टि रचनाखंड क्रम.. जीवन, जीव व मानव-भाग-४
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj3MFAfDVPWNLo7yx3H-MMr81jrJxqdALvAAVqCQemBk8VR_FlEriQbXHe-mapBPfd_gzBPgB-gQQk7yACjzK4jIDVITCee3GzlgKda0qwYIhDWpn5oBVmPRvztU-qfoqbkVF62/?imgmax=200
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj3MFAfDVPWNLo7yx3H-MMr81jrJxqdALvAAVqCQemBk8VR_FlEriQbXHe-mapBPfd_gzBPgB-gQQk7yACjzK4jIDVITCee3GzlgKda0qwYIhDWpn5oBVmPRvztU-qfoqbkVF62/s72-c/?imgmax=200
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2014/08/blog-post_15.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2014/08/blog-post_15.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content