दीनदयाल शर्मा का रेडियो नाटक - घर की रौशनी

SHARE:

रेडियो नाटक - घर की रोशनी दीनदयाल शर्मा पात्र :  1. कमला , 2. रमन , 3. अमन, 4. राजपाल, 5. डॉक्टर-एक, 6. डॉक्टर-दो (नवजात शिशु के रोने की ध...

रेडियो नाटक -

घर की रोशनी

image

दीनदयाल शर्मा

पात्र :  1. कमला , 2. रमन , 3. अमन, 4. राजपाल, 5. डॉक्टर-एक, 6. डॉक्टर-दो

(नवजात शिशु के रोने की ध्वनि)

डॉक्टर : बधाई हो कमला....अब घर जाकर थाली बजाओ।

कमला :  (आश्चर्य से) क्या कहा..थाली बजाओ..(संयत होकर) भगवान का लाख-लाख शुक्र है, जो पोता आ गया।

डॉक्टर : पोता नहीं....पोती आई है कमला....तुम पोती की दादी मां बन गई हो।

कमला : (आश्चर्य से) क्या कहा...पोती आई है..(परेशान होकर) ओ हो..भाग फूटे मेरे...तो क्या बहू ने फिर बेटी को जन्म दिया है।

डॉक्टर : बिल्कुल...लेकिन लगता है तुम बेटी के जन्म पर खुश नहीं हो।

कमला : (व्यंग्य से) बेटी के जन्म पर भी कोई खुश होता है भला।

डॉक्टर : क्यों...ऐसी क्या कमी होती है बेटियों में।

कमला : तुम नहीं समझोगी डॉक्टर। मैंने बेटे और बहू दोनों से कहा था कि चैक करवा लो।

डॉक्टर : और पता चल जाता कि बेटी होगी...तो क्या करती?

कमला : वही करती...जो दुनिया करती है। अबोर्शन करवा देती।

डॉक्टर : (आश्चर्य से) तो क्या कन्या भ्रूण की हत्या करवा देती!

कमला : और नहीं तो क्या। ये कोई नई बात नहीं है। आप डॉक्टर हैं। आप मुझसे ज्यादा जानती हैं।

डॉक्टर : क्या जानती हंू ज्यादा?

कमला : यही कि आपको यदि मुंह मांगी कीमत दी जाती तो यह काम आप भी कर देती।

डॉक्टर : (गुस्से से) होश में तो हो कमला। क्या इस कन्या के भ्रूण की, मैं हत्या करवा देती ! तुम्हें बोलने से पहले कुछ सोचना तो चाहिए था।

कमला : गुस्सा करने की जरूरत नहीं डॉक्टर..सच्चाई हमेशा कड़वी होती है।

डॉक्टर : लेकिन सभी डॉक्टर एकसे नहीं होते, यह तुम भी जानती हो।

कमला : सभी डॉक्टर एक से तो नहीं होते, लेकिन पैसा किसे बुरा लगता है डॉक्टर।

डॉक्टर : पैसा बुरा तो नहीं लगता, लेकिन पैसे के लिए मैं किसी की हत्या नहीं करती...समझी। तुम्हें पता होना चाहिए कमला, कि  मैं केवल डॉक्टर ही नहीं, दो बेटियों की मां भी हंू।

कमला : सॉरी डॉक्टर, अनजाने में आपकी भावनाओं को जो ठेस पहुंची है, इसका मुझे खेद है।

डॉक्टर : कोई बात नहीं, लेकिन बेटियों के बारे में अपनी धारणाएं बदल दो कमला।

कमला : धारणाएं इतनी जल्दी नहीं बदल सकती डॉक्टर।

डॉक्टर : तुम भी तो किसी की बेटी हो।

कमला: बेटी हंू, इसीलिए तो सोचती हंू। हमारा समाज इतनी जल्दी बदलने वाला नहीं डॉक्टर।

डॉक्टर : समाज अपने आप नहीं बदलता कमला..इसके लिए किसी न किसी को तो पहल करनी ही पड़ेगी।

(दृश्य परिवर्तन)

कमला :  (आवाज देते हुए) रमन....।

रमन :  (दूर से आवाज आती है) हां मां। 

कमला : (आश्चर्य से) बेटा, मैंने सुना है तूने नशबंदी करवा ली!

रमन : (संयत होकर)  हां मां।

कमला : क्यंू बेटे, ऐसा क्यों किया तूने? तुझे पता होना चाहिए कि तू बेटियों का बाप है। एक बेटा भी तो होना चाहिए।

रमन : (थोड़ा सा हँसकर) आजकल बेटा-बेटी सब बराबर हैं मां।

कमला : (संयत होकर) बेटा, ये सब कागजी बातें हैं। बेटा-बेटी बराबर कैसे हो सकते हैं। बेटी तो पराया धन होती है।

रमन : ऐसा क्यों सोचती हो मां। तुम्हारी पोतियां बड़ी होकर हम सबका नाम रोशन करेंगी।

कमला : नाम तो रोशन करेंगी। लेकिन वंश चलाने के लिए एक बेटा भी तो होना चाहिए।

रमन : ये सब पुरानी बातें हैं मां। ऐसा मत सोचा करो।

कमला : पुरानी बातें नहीं हैं। ये जीवन की सच्चाई है। तुम सच्चाई से कैसे मुँह मोड़ सकते हो!

रमन : यह तो वक्त बताएगा मां।

कमला : घर में छोटा भाई कुंवारा बैठा है...इसके लिए कहीं बात चलाई क्या?

रमन : मां, बात कैसे चलाऊं...अमन कोई काम-धाम भी तो नहीं करता।

कमला : काम नहीं करता है तो क्या यह कुंवारा ही रहेगा?

रमन : मां, तुम भी सोचो। कुछ भी काम नहीं करने वाले लड़के को कोई अपनी बेटी कैसे दे सकता है?

कमला : क्यों नहीं दे सकता। तेरे बाबूजी की शादी हुई थी तो ये कौनसा काम करते थे?

रमन : तब और बात थी मां।

कमला : और क्या बात थी.. वही घर.... और वही खानदान...। बहू की छोटी बहिन है ना पूनम। अपने ससुर जी से बात कर ले। मुझे पूनम पसंद भी है।

रमन : आपको तो पूनम पसंद है, लेकिन वे पूनम के लिए पढ़ा लिखा और कोई अच्छा काम करने वाला लड़का देखना चाहते हैं मां।

कमला : अपना अमन भी तो पढ़ा लिखा है।

रमन : अमन कहां पढ़ा लिखा है मां। दसवीं पास आजकल कोई मायने रखता है क्या?

कमला : (ठण्डी सांस लेकर) तेरे बाबूजी तो इसी दुख को लेकर चले गए थे।

(दृश्य परिवर्तन)

राजपाल : (ठण्डी सांस लेकर) कमला, मुझे अमन की रात-दिन चिंता लगी रहती है। क्या करूं..इसके लिए बहू कहां से लाऊं?

कमला : चिंता करने से क्या होता है जी। कुछ कोशिश भी करो। सब कहते हैं...चौधरी राजपाल का खानदान बहुत ऊंचा है...दौलत है, शोहरत है, इज्जत है...क्या कमी है।

राजपाल : खानदान में तो कमी नहीं है कमला। लेकिन आजकल बेटियों की कमी बहुत आ गई है। फिर अपना अमन कोई काम-धंधा भी तो नहीं करता।

कमला : काम-धंधा नहीं करता है तो क्या कोई लड़की नहीं देगा?

राजपाल : अब लड़कियां कहां है कमला...लोग भी अब इतने स्वार्थी हो गए हैं कि बेटियों को जन्म से पहले ही मारने लगे हैं।

कमला : दूर दराज के गांव से किसी $गरीब गुरबे की लड़की ले आओ।

राजपाल : $गरीब घर की और इसके जोड़ की...मुश्किल है।

कमला : आप सोचलो.. आप हर्ट के मरीज हो...आपको दो बार पहले ही अटैक हो चुका है...यदि आपको कुछ हो गया तो अमन का क्या होगा...कौन करेगा इसका रिश्ता..कौन देगा इसे लड़की।

राजपाल : कुछ नहीं होगा मुझे...ऐसा क्यों सोचती हो तुम...यदि खुदा न खाश्ता मुझे कुछ हो गया तो इसका बड़ा भाई है ना रमन..। रमन कोशिश करे तो अमन का रिश्ता होने में देर ही नहीं लगेगी।

कमला : ना जी ना...रमन के पास टाइम कहां है..।

राजपाल : कमला, अपना हाथ दो मुझे..मेरे सिर पर हाथ रख...तुझे मेरी कसम है, यदि मेरे जीते जी अमन का रिश्ता नहीं होता है तो यह काम तुझे करना होगा...किसी भी कीमत में...चाहे कुछ भी हो जाए। सुन रही है ना?

कमला : जी।

राजपाल : भला है या बुरा है..जैसा भी है। अमन हमारा बेटा है। इसका रिश्ता नहीं होता है तो (हिचकी) इसका रिश्ता नहीं होता है तो (हिचकी)  कमला..कम..ला (हिचकी) 

कमला : (विस्मय से) क्या हुआ रमन के बाबूजी? क्या हुआ...(घबरा कर विस्मय से) आपको क्या हो गया...यह गर्दन..(घबराकर बिलखते हुए) अजी सुनते हो रमन के बाबूजी... (बिलख कर रोते हुए) क्या हो गया है आपको..रमन के बाबूजी बोलो तो...(चीख मार कर रोते हुए) नही, आप मुझे छोड़कर नहीं जा सकते...आप मुझे यंू छोड़कर...(बिलख कर रोते हुए)।

(दृश्य परिवर्तन)

कमला : रमन बेटा, तुम्हारे बाबूजी को स्वर्ग सिधारे तीन साल हो गए। अमन के बारे में कुछ सोच बेटा। छोटे भाई की चिंता तूं नहीं करेगा तो फिर कौन करेगा। तू बहू पर दबाव भी डाल सकता है।

रमन : बहू पर दबाव डालने से रिश्ता होता है क्या मां। तुम जानती हो कि पूनम एम.ए. करके एम.फिल. कर रही है।

कमला : देख ले बेटा, पूनम अपने अमन के जोड़ की भी है।

रमन : जोड़ की कहां है मां...अमन पूनम से उम्र में लगभग दुगुना है।

कमला : लड़कियों की उम्र नहीं देखी जाती बेटा। मैं इस घर में ब्याह कर आई तो मात्र ग्यारह साल की थी।

रमन : तब बात और थी मां।

कमला : तूं बात चलाए तो बात बन सकती है बेटा।

रमन : मां अमन कोई काम धाम भी तो नहीं करता। कितने काम करवा दिए इसको। किसी भी काम में मन नहीं लगाता। इसको सैट करने में मैं खुद अपसैट हो गया हंू। रात को देर से आना और सुबह देर से उठना...इसे अपनी लाइफ के बारे में कोई चिंता है क्या..।

कमला : सिर पर पड़ेगी तो अपने आप करेगा। फिर तेरे होते इसको काहे की चिंता है। चिंता करने को मैं हंू ना।

रमन : मां, मुझे अमन के बारे में कुछ मत कहा करो। जब वक्त आएगा तो सब कुछ हो जाएगा।

कमला : गुस्से से कब आएगा वक्त? तुझे क्या जरूरत है इसकी चिंता करने की। मैं मां हंू ना..मुझे चिंता है...तूं भी कान खोलकर सुन ले..अमन के लिए कोई लड़की देखता है तो ठीक है...नहीं तो साफ- साफ कह दे कि यह मेरे बस का नहीं है। तुझे पता है तेरे बाबूजी द्वारा दिलाई गई कसम मेरा बार- बार पीछा कर रही है।

रमन : मां तुझे कैसे समझाऊं अब...मैंने अमन को पढ़ाने की कितनी कोशिश की थी..लेकिन यह हर बार एक ही जवाब देता कि भाई साहब, पढ़ाई में क्या रखा है, कोई नौकरी तो मिलेगी नहीं।

कमला : हां तो कौनसा $गलत कहता था अमन।

रमन : $गलत तो नहीं कहता था, लेकिन पढ़ाई केवल नौकरी के लिए तो नहीं की जाती। तुम्हीं देखो मां, मैंने इसे कितने काम करवाए। इसने किसी भी काम में मन नहीं लगाया। काम करना तो दूर यह टिक कर बैठता ही नहीं है।

कमला : टिक कर कैसे बैठे...इसके पैर में कोई चक्कर है बेटा। टिक कर बैठना, इसके बस की बात नहीं है।

रमन : पैर में कोई चक्कर-वक्कर नहीं है मां.... मुझे तो लगता है इसकी संगति सही नहीं है..... यह $गलत संगति के कारण अपना कैरियर $खुद बिगाड़ रहा है।

कमला : इसके कैरियर की तंू चिंता कर बेटा।

रमन : मुझसे कुछ नहीं होता मां।

कमला : तो फिर अमन कुंवारा ही रहेगा।

रमन : तो मैं लड़की कहां से लाऊं? लड़कियां पेड़ों के तो नहीं लगती।

कमला : तुम्हारे इतनी जान पहचान है। फिर अमन तुम्हारा छोटा भाई है।

रमन : (खीजकर) मां तुम समझती क्यंू नहीं।

कमला : फिर भी बेटा, कोशिश कर तंू।

रमन : कोशिश तो कर सकता हंू। वैसे भी यह चालीस का होने को है। लड़की ढंूढऩे में दिक्कत तो आएगी मां।

कमला : मेरे जीते जी इसका घर बांधना चाहती हंू बेटा। चाहे इसके लिए मुझे कुछ भी करना पड़े।

रमन : कुछ भी करने से मतलब?

कमला : अमन को सैट करने में चाहे मुझे अपना मकान भी बेचना पड़े तो यह मकान भी बेच दूंगी।

रमन : मां, इतना बड़ा $फैसला। 

कमला : हां बेटा। मकान बेटे के सपने से तो बड़ा नहीं है नां।

रमन : अमन के लिए तुम यह मकान बेच दोगी?

कमला : (गुस्से से)े तुम्हें कोई दिक्कत हो रही है?

रमन : मकान बेचने का $फैसला मत लो मां। बाबूजी ने कितनी मुश्किलों के बाद अपने घर का सपना साकार किया था।

कमला : (लाचारी से) तो मैं क्या करूं रमन...अमन एक कंपनी की एजेन्सी लेना चाहता है...और उसे दस लाख रुपयों की जरूरत है। इतने रुपये कहां से लाऊं मैं?

रमन : (आश्चर्य से) दस लाख?

अमन : (घर में प्रवेश करते हुए व्यंग्य लहजे मेें बोलते हुए) क्यों बड़े भैया, दस लाख का नाम सुनकर पसीने छूटने लगे...आपको पता होना चाहिए..बिजनैस बातों से नहीं होता भैया।

रमन : लेकिन अमन, मकान बेचकर बिजनैस करोगे?

अमन : (व्यंग्य लहजे मेें बोलते हुए) क्यों, मकान कोई बड़ी चीज है क्या...बिजनैस चल निकले तो ऐसा एक क्या..दस मकान बना लो।

रमन : और यदि बिजनैस नहीं चला तो...?

अमन : (व्यंग्य लहजे मेें ) तो साफ-साफ क्यों नहीं कहते कि मेरे बिजनैस के लिए मकान नहीं बेचना।

रमन : बिल्कुल, यह मकान नहीं बेचने दूंगा।

अमन : (गुस्से से) मां मैंने कहा था न कि बड़े भैया मकान नहीं बेचने देंगे। (व्यंग्य लहजे मेें ) इन्हें काहे की चिंता है। ये तो मियां-बीवी दोनों कमाते हैं।

रमन : (व्यंग्य लहजे मेें ) तो तुम भी कमाओ...कौन रोकता है तुम्हें।

कमला : (गुस्से से) रमन चुप रहो तुम.......मैं अमन के लिए यह मकान बेचूंगी..... मुझे कोई रोकता है तो रोक लेना।

रमन : (संयत होकर) एक बार और सोच लो मां। आपका यह $फैसला सही नहीं है।

कमला : सही हो या $गलत...मैंने अब पक्का सोच लिया है...अब तुम बहू को लेकर अपने लिए कहीं किराए का मकान देख लो।

रमन : ठीक है मां, जैसी आपकी आज्ञा। मैं चला जाता हंू...लेकिन कभी तकली$फ हो तो बेटे को याद कर लेना।

(दृश्य परिवर्तन)

कमला :  (आश्चर्य में) बेटा अमन, तूं शराब पी रहा है?

अमन :  (नशे में) शराब नहीं पी रहा हंू...$गम दूर कर रहा हंंू मां...मेरी कंपनी बहुत घाटे में चली गई है।

कमला : व्यापार में न$फा-नुकसान तो चलता ही रहता है बेटा...लेकिन..।

अमन : तुम नहीं जानती मां..मेरी पीड़ा तुम नहीं समझ सकती..।

कमला : तेरी पीड़ा मैं नहीं समझ सकती। यह तंू कह रहा है...अरे तेरे लिए मैंने क्या कुछ नहीं किया।

अमन : (नशे में) तुम मां हो..मेरे लिए तुम नहीं करोगी तो क्या कोई $गैर करेगा।

कमला : (रूंआंसी होकर) रमन सच कहता था..आज उसकी एक-एक बात याद आ रही है।

अमन : (नशे में) तुम मां हो ना...इसलिए याद कर रही हो..मैं तो उन्हें बिल्कुल भी याद नहीं करता..अब तो वे दोनों रिटायर भी हो गए होंगे।

कमला : मुझे लगता है उन्होंने यह शहर ही छोड़ दिया होगा...यहां होते तो कभी तो आते...(बिलखती है) दोनों पोतियां भी ब्याहने लायक हो गई होगी।

अमन : (नशे में) क्या मां तुम भी..रो रोकर खून क्यों जला रही हो अपना....मेरी तरह रहो नां, कोई याद करे तो ठीक नहीं तो...।

कमला : अपने बड़े भैया के बारे में ऐसा मत सोचो बेटा...हम भी तो पुश्तैनी घर बेचकर इस कोठरी में रहते हैं। कोई ढंूढ़े भी तो ढंूढ़ नहीं पाए।

अमन : (नशे में) तुम मकान की चिंता मत करो मां..एक दिन मैं उससे बढिय़ा मकान बनवा दूंगा..(उल्टी करता है) आ....(उल्टी करता है) आ....

कमला : (घबराकर) अरे...खून की उल्टियां...अमन तुझे क्या हो गया बेटा... (बिलखकर)अमन तुझे कुछ हो गया तो मेरा क्या होगा..(रोते हुए) मैं किसके सहारे जिऊंगी बेटा..हे भगवान, मेरे अमन को ठीक कर दो..।

अमन : (नशे में) तुम घबराओ मत मां..(उल्टी करता है) आ....मुझे कुछ नहीं होने वाला...(उल्टी करता है) आ....

कमला : (बिलखकर) मैं तुझे अस्पताल ले चलती हंू बेटा.. (घबराते हुए) अस्पताल ले चलती हंू..।

(दृश्य परिवर्तन)

कमला : (बिलखते हुए) डॉक्टर, मेरे बेटे को बचा लीजिए..मेरे अमन को बचा लीजिए डॉक्टर..देखो तो डॉक्टर...देखना तो इसे क्या हो गया है...।

डॉक्टर : ऐसे मत कीजिए....धीरज रखिए आप...।

कमला : (घबराते हुए) डॉक्टर बेटा, मेरे अमन को बचा लो...इसे खून की उल्टियां हो रही है।

डॉक्टर : आप घबराइए मत..सब ठीक हो जाएगा। कहां है पैसेण्ट?

कमला : (रोते हुए) वो देखो...वो लेटा हुआ है..मेरे अमन को बचा लो डॉक्टर...(रोते -रोते) रमन तो हमें छोड़कर चला गया...अब अमन ही मेरे बुढ़ापे का सहारा है..।

डॉक्टर : (संयत होकर)  पैसेण्ट का क्या नाम बताया आपने?

कमला : अमन है बेटा...(बिलखते हुए)..एक इसका बड़ा भाई था रमन..बहुत साल पहले वह तो हमें  छोड़कर चला गया..।

डॉक्टर : आपका नाम कमला है?

कमला :  (आश्चर्य से) हां डॉक्टर बेटा, लेकिन तुम्हें कैसे पता चला कि मेरा नाम...।

डॉक्टर : (थोड़ा सा हँसते हुए) मैं आपकी पोती हंू रोशनी।

कमला :  (आश्चर्य से) मेरी पोती.... रोशनी..मेरी पोती हो तुम..रमन कहां है बेटा?

डॉक्टर :  (ठण्डी आह भर कर) पापा के ट्रांसफर के बाद हम सब गुजरात चले गए थे..और वहां एक दिन  ऐसा भूकंप आया कि सब कुछ बिखर गया। (संयत होकर) पापा आपको बहुत याद करते थे।

कमला : (घबराकर) तेरे अमन चाचा को संभाल बेटा...यह सुबह से ही खून की उल्टियां कर रहा है..।

डॉक्टर : चाचा की चिंता मत करो दादी मां, सब ठीक हो जाएगा।

कमला : बेटा रोशनी...(खुश होकर) तूंने मेरे जीवन में एक नई उमंग भर दी है बेटा। मुझे यंू लगता है मानो रोशनी के रूप में मेरा रमन वापस घर आ गया है। रमन सच कहता था बेटा...।

डॉक्टर : पापा क्या कहते थे दादी मां?

कमला : वह कहता था बेटा-बेटी आजकल सब बराबर होते हैं मां। मैं ही नहीं समझी थी उसकी भावना को। अब मेरे घर की रोशनी तुम हो डॉक्टर बेटा। तुम हो घर की रोशनी...तुम हो घर की रोशनी।

- दीनदयाल शर्मा,  

10/22 आर.एच.बी. कॉलोनी, 

हनुमानगढ़ जं. - 335512

mob. 094145 14666, 09595 42303

नाम : दीनदयाल शर्मा, =जन्म :  प्रमाण पत्र के अनुसार 15 जुलाई, 1956, =जन्म  स्थान : जसाना, तहसील: नोहर, जिला: हनुमानगढ़, राजस्थान, =शिक्षा: एम.कॉम., (व्यावसायिक प्रशासन, 1981), पी.जी.डिप्लोमा इन जर्नलिज्म (1985) राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर। =स्काउट मास्टर बेसिक कोर्स (1979, 1990) 

=साहित्य सृजन : हिन्दी व राजस्थानी में 1975 से सतत् सृजन, =मूल विधा: बाल साहित्य, लेखन:    हिन्दी व राजस्थानी दोनों भाषाओं में 1975 से सतत सृजन।=विशेष प्रकाशन : ''हिन्दी-राजस्थानी-अंग्रेजी''  में तीन दर्जन पुस्तकें प्रकाशित। =संग्रहों में प्रकाशित : देशभर की अनेक बाल पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित =''डॉ.प्रभाकर माचवे : सौ दृष्टिकोण'' सहित शिक्षा विभाग राजस्थान के शिक्षक दिवस प्रकाशनों में रचनाएं प्रकाशित।  =तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा 17 नवम्बर, 2005 को जयपुर में अंग्रेजी बाल नाट्य कृति 'द ड्रीम्स' का लोकार्पण। =महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती देवीसिंह प्रतिभा पाटिल की ओर से बाल दिवस, 2007 की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में सम्मान। =अनेक पुस्तकों एवं स्मारिकाओं का संपादन।=प्रसारण : आकाशवाणी से व्यंग्य, कहानियां, कविताएं , रूपक, झलकी आदि समय-समय पर प्रसारित। =दूरदर्शन से साक्षात्कार एवं कविताएं प्रसारित। =आकाशवाणी से राज्य स्तर पर अब तक पंद्रह रेडियो नाटक प्रसारित।  =संस्थापक/अध्यक्ष : राजस्थान बाल कल्याण परिषद्, =संस्थापक/अध्यक्ष : राजस्थान साहित्य परिषद्, =साहित्य संपादक (मानद)  टाबर टोल़ी (बच्चों का अ$खबार) = संपादक (मानद) कानिया मानिया कुर्र (बच्चों का राजस्थानी अखबार) =संपादक (मानद) पारस मणि (बच्चों की  राजस्थानी तिमाही पत्रिका)

=पुरस्कार एवं सम्मान : =केन्द्रीय साहित्य अकादमी, नई दिल्ली से निबन्ध (संस्मरण) 'बाळपणै री बातां'' पर राजस्थानी बाल साहित्य पुरस्कार घोषित (2012)

=राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर से  ''डॉ.शम्भूदयाल सक्सेना बाल साहित्य पुरस्कार''  (1988-89), 

=राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर से  ''जवाहरलाल नेहरू बाल साहित्य पुरस्कार''  (1998-99), 

=अखिल भारतीय बाल कल्याण संस्थान, कानपुर से  ''बाल साहित्यिक सेवाओं के लिए सम्मान''  (1998-99), 

=शकुन्तला सिरोठिया बाल कहानी पुरस्कार, इलाहाबाद (1988-89), =कमला चौहान स्मृति ट्रस्ट, देहरादून से  ''सर्वश्रेष्ठ बाल साहित्य का राष्ट्रीय पुरस्कार''  (2001), 

=ग्राम पंचायत, नगर परिषद् तथा जिला प्रशासन की ओर से  ''साहित्यिक सेवाओं के लिए समय-समय पर सम्मान'' । 

=इक्यावन हजार रुपये की साहित्यिक पुस्तकें दान में देने पर अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर सर्वाधिक पुस्तक दानदाता के राज्य स्तरीय पुरस्कार से बिड़ला सभागार, जयपुर में सार्वजनिक सम्मान (2005) 

=बाल साहित्य की उल्लेखनीय सेवाओं के लिए भटनेर महर्षि गौतम सेवा समिति, हनुमानगढ़ की ओर से सम्मानित (2005) 

=सृजनशील बाल साहित्य रचनाकारों की राष्ट्रीय संस्था बाल चेतना, जयपुर की ओर से  ''सीतादेवी श्रीवास्तव स्मृति सम्मान''  (2006)

=बाल साहित्य की उल्लेखनीय सेवाओं के लिए राजस्थान ब्राह्मण महासभा की ओर से सार्वजनिक सम्मान (2009) 

=बाल साहित्य की उल्लेखनीय सेवाओं के लिए भटनेर महर्षि गौतम सेवा समिति, हनुमानगढ़ की ओर से सम्मानित (2009)

=चूरू में साहित्यिक सेवाओं के लिए समारोह आयोजित कर सार्वजनिक सम्मान (2010), 

=नोहर (हनुमानगढ़) में बाल साहित्य में उल्लेखनीय सेवाओं के लिए वरिष्ठ साहित्यकार स्व.रामकुमार ओझा की स्मृति में पुरस्कृत एवं सार्वजनिक रूप से सम्मानित (2010)। =राजस्थानी बाल संस्मरण पुस्तक 'बाळपणै री बातां' के लिए स्व. श्री घीसूलाल सेन स्मृति बाल वाटिका पुरस्कार (2011) 

विशेष : =डॉ.भीमराव अंबेडकर राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, श्रीगंगानगर की एम.फिल. (हिन्दी साहित्य) की छात्रा प्रदीप कौर ने हिन्दी साहित्य की व्याख्याता डॉ.नवज्योत भनोत के निर्देशन में महाराज गंगासिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर को  सत्र 2009-10 में  लघु शोध प्रबंध  ''दीनदयाल शर्मा का बाल साहित्य : एक अध्ययन''  एम.फिल. (हिन्दी साहित्य) के चतुर्थ प्रश्न पत्र हेतु प्रस्तुत किया।

= माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान की ओर से आयोजित क्षेत्र के प्रसिद्ध साहित्यकार के प्रोजेक्ट निर्माण योजना के अंतर्गत  ''बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा का व्यक्तित्व एवं कृतित्व'' विषय पर राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, मक्कासर, हनुमानगढ़, राजस्थान की वरिष्ठ अध्यापिका श्रीमती उर्वशी बिश्नोई के निर्देशन में सीनियर सैकण्डरी कक्षा की छात्रा कु.रेणु बाला ने  सत्र 2010-11 में प्रोजेक्ट का निर्माण किया

 

संप्रति : राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग राजस्थान में 18 फरवरी 1983 से सेवारत।

पता : 10/22, आर.एच.बी.कॉलोनी, हनुमानगढ़ जं.-335512, राज., 

 

E mail : deen.taabar@gmail.com,

Blog : www.deendayalsharma.blogspot.com

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: दीनदयाल शर्मा का रेडियो नाटक - घर की रौशनी
दीनदयाल शर्मा का रेडियो नाटक - घर की रौशनी
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjj6ELBNa4TauaZR8JxBCdt3AnajyV0S7Tx8vE9KprOu5D5tJK0i72Yvhg6WeE40zv_rzqJTwVHAZNLidM2UtyK1FXZb0fxU2pLdqQiBwvi2BWHlk1OFTxtVm2j97yh5Qx-X2zN/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjj6ELBNa4TauaZR8JxBCdt3AnajyV0S7Tx8vE9KprOu5D5tJK0i72Yvhg6WeE40zv_rzqJTwVHAZNLidM2UtyK1FXZb0fxU2pLdqQiBwvi2BWHlk1OFTxtVm2j97yh5Qx-X2zN/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2014/07/blog-post_39.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2014/07/blog-post_39.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content