गैब्रियल गार्सिया मार्खेज़ के उपन्यास Chronicle of a death foretold का अनुवाद अनुवादक – सूरज प्रकाश mail@surajprakash.com (...
गैब्रियल गार्सिया मार्खेज़
के उपन्यास
Chronicle of a death foretold
का अनुवाद
अनुवादक – सूरज प्रकाश
(पिछली किश्त 1 से जारी..)
यह घर पहले एक गोदाम हुआ करता था। इसमें दो मंज़िलें थीं। दीवारें खुरदरे फट्टों से बनी हुई थीं और उन पर ढलुआं पतरे की छत थी, जहां बैठ कर बाज बंदरगाह के कचरे के ढेरों की तरफ ताका करते थे। इस घर को उन दिनों बनाया गया था जब नदी इतनी अधिक इस्तेमाल में लायी जाती थी कि समुद्र की तरफ जाने वाले कई बजरे और कुछेक बड़े जहाज भी इस डेल्टा से गुज़र कर जाया करते थे। जब गृह युद्धों के खत्म होने पर इब्राहिम नासार बचे खुचे अरबों के साथ यहां आया था तो नदी अपना रुख बदल चुकी थी और समुद्र की तरफ जाने वाले जहाजों ने इस तरफ से गुज़रना छोड़ दिया था। यह गोदाम तब इस्तेमाल में नहीं लाया जा रहा था। इब्राहिम नासार ने इसे सस्ते दामों पर इस लिहाज से खरीद लिया था कि इस जगह पर वह एक आयात घर बनायेगा। यह आयात घर उसने कभी नहीं बनवाया था। वह जब शादी करने लायक हुआ तो उसने इसे अपने रहने के लिए घर में तब्दील कर दिया था। तल मंज़िल पर एक पार्लर बनवा दिया गया जहां हर तरह के काम किये जा सकते थे। पिछवाड़े की तरफ उसने चार मवेशियों के लायक तबेला, नौकरों के लिए घर और बंदरगाह की तरफ खुलने वाली खिड़कियों वाली देसी किस्म की एक रसोई बनायी थी। इन खिड़कियों से चौबीसों घंटे रुके पानी की संड़ाध आती रहती। उसने पार्लर में एक चीज़ को जस का तस छोड़ दिया था। यह थी किसी टूटे हुए जहाज से निकाली गयी घुमावदार सीढ़ी। ऊपरी मंज़िल पर, जहां पर सीमा शुल्क के दफ्तर हुआ करते थे, उसने दो बड़े बड़े बेडरूम बनवाये और बच्चों के लिए ढेर सारी कोठरियां बनवायीं। वह ढेर सारे बच्चे पैदा करना चाहता था। उसने चौक की तरफ बादाम के दरख्तों की ओर खुलने वाली लकड़ी की एक बाल्कनी बनवायी। यहां प्लेसिडा लिनेरो मार्च की दोपहरियों के वक्त बैठा करती और अपने अकेलेपन पर आंसू बहाया करती। सामने की तरफ इब्राहिम नासार ने एक मुख्य दरवाजा बनवाया और पूरे आकार की दो खिड़कियां लगवायीं। इनमें लेथ की मशीन से तैयार की गयी छड़ें लगी हुई थीं। उसने पिछवाड़े की तरफ एक दरवाजा बनवाया। यह दरवाजा थोड़ा ऊँचा रखा गया ताकि इससे हो कर घोड़ा भीतर लाया जा सके। पुराने खम्बे के हिस्से को वह इस्तेमाल करता रहा। पिछवाड़े का यही दरवाजा सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता था। इसकी एक वजह तो यही थी कि यह दरवाजा सीधे नांद और रसोई की तरफ खुलता था। दूसरी वजह ये थी कि यह नये घाट की तरफ वाली गली में खुलता था और इसके लिए चौक तक जाने की ज़रूरत नहीं पड़ती थी। तीज त्यौहारों वगैरह के मौकों पर सामने वाला दरवाजा अमूमन बंद ही रहता और उस पर सांकल लगी रहती। इसके बावजूद जो आदमी सैंतिएगो नासार का कत्ल करने वाले थे, वे पिछवाड़े वाले दरवाजे के बजाये इसी दरवाजे पर उसका इंतज़ार करते रहे थे, और इसके बावजूद कि घाट तक पहुंचने के लिए उसे पूरे घर का चक्कर लगाना पड़ेगा, बिशप की अगवानी के लिए सैंतिएगो नासार इसी दरवाजे से बाहर निकला था।
इस तरह के जानलेवा संयोगों को कोई भी समझ नहीं पाया था। जांच पड़ताल के लिए जो जज रिओहाचा से आया था, उसने ज़रूर ही इन बातों को महसूस किया होगा, भले ही वह इन बातों को मानने की हिम्मत न जुटा सका। इसकी वजह यह भी थी कि उसकी रिपोर्ट में इस बात की दिलचस्पी साफ़ साफ़ झलक रही थी कि वह इनकी तर्क संगत व्याख्या करना चाहता था। चौक की तरफ खुलने वाले दरवाजे का “सड़क छाप उपन्यास के शीर्षक” की तरह “जानलेवा दरवाजा” के रूप में ज़िक्र किया गया था। सच तो ये था कि इसकी सबसे अधिक वैध व्याख्या तो प्लेसिडा लिनेरो की ही मानी जा सकती थी जिसने मां की बुद्धिमत्ता से इस सवाल का जवाब दिया था, “मेरा बेटा तैयार होने के बाद कभी भी पिछवाड़े के दरवाजे से बाहर नहीं निकलता था।” यह इतना आसान सा सच प्रतीत हुआ कि जांच अधिकारी ने इसे हाशिये की टिप्पणी के रूप में नोट कर लिया, लेकिन उसने इसे रिपोर्ट में शामिल नहीं किया था।
जहां तक विक्टोरिया गुज़मां का सवाल है, उसने अपने जवाब में साफ़-साफ़ कहा कि न तो उसे और न ही उसकी छोकरी को ही पता था कि वे लोग सैंतिएगो नासार को मारने के लिए उसका इंतज़ार कर रहे थे। लेकिन अपनी उम्र बीतने के साथ, बाद में उसने ये स्वीकार किया था कि जब वह अपनी कॉफी पीने के लिए रसोई में आया था, तो दोनों इस बात को जानती थीं। उन्हें यह बात एक औरत ने बतायी थी जो पाँच बजे के आसपास थोड़ा-सा दूध मांगने की गरज से वहां से गुज़री थी। इसके अलावा उस औरत ने हत्या करने की वजह बतायी थी और यह भी बताया था कि वे किस जगह उसका इंतज़ार कर रहे थे।
“मैंने उसे सावधान नहीं किया था क्योंकि मैंने सोचा कि ये शराबियों की लंतरानियां हैं।” विक्टोरिया गुज़मां ने मुझे ये बताया था। इसके बावजूद, बाद में एक भेंट के दौरान, जब उसकी मां मर चुकी थी, दिविना फ्लोर ने मेरे सामने स्वीकार किया था कि उसकी मां ने इस बाबत सैंतिएगो नासार से कुछ भी नहीं कहा था क्योंकि भीतर ही भीतर वह चाहती थी कि वे लोग उसे मार डालें। दूसरी तरफ, उसने खुद सैंतिएगो नासार को इसलिए नहीं चेताया था कि उस समय उसकी खुद की उम्र ही क्या थी। वह एक डरी हुई बच्ची ही तो थी जो अपने आप कोई फैसला नहीं कर सकती थी। वह इस बात को ले कर और भी डर गयी थी कि जब सैंतिएगो नासार ने उसकी कलाई को दबोचा था तो उसे सैंतिएगो नासार का हाथ एकदम बर्फीला और पथरीला लगा था। जैसे वह किसी मरे हुए आदमी का हाथ हो।
सैंतिएगो अंधियारे घर से लम्बे लम्बे डग भरता हुआ बिशप की नाव की तरफ को निकला था, मानो नाव से उठता हुआ शोर शराबा उसे अपनी तरफ खींच रहा हो। दिविना फ्लोर दरवाजा खोलने की नीयत से उसके आगे लपकी थी। उसकी कोशिश थी कि सैंतिएगो नासार ड्राइंग रूम में सोये हुए परिंदों, खपचियों के फर्नीचर और बैठक में लटक रहे फर्न के गमले के बीच से चलता हुआ उससे आगे न निकल जाये, लेकिन जब फ्लोर ने कुण्डी खोली तो वह खुद को दोबारा उस कसाई के लपकते हाथ से न बचा पायी, “उसने मेरा पूरा निम्तब ही दबोच लिया था,” दिविना फ्लोर ने मुझे बताया था, “वह घर के किसी भी कोने में मुझे जब भी अकेली देखता था तो हमेशा ऐसा ही करता था। लेकिन उस दिन मुझे हमेशा की तरह हैरानी महसूस नहीं हुई थी बल्कि चिल्लाने की डरावनी-सी इच्छा हुई थी।” वह एक तरफ हट गयी थी ताकि सैंतिएगो नासार बाहर जा सके। तब उसने अधखुले दरवाजे से चौक पर बादाम के पेड़ देखे थे जो प्रभात वेला में बर्फ की मानिंद लग रहे थे लेकिन वह कुछ और देखने की हिम्मत नहीं जुटा पायी थी।
“तभी भोंपू बजाते हुए नाव रुकी थी और मुर्गों ने बांग देना शुरू दिया था। इतना अधिक शोर शराबा हो गया था कि मैं यकीन ही नहीं कर पायी कि शहर में इतने सारे मुर्गे हैं। मैं तो यही समझी थी कि ये सारे मुर्गे बिशप की नाव पर आये हैं।”
उस शख्स के लिए, जो कभी भी उसका अपना नहीं था, वह सिर्फ़ इतना ही कर पायी थी कि प्लेसिडा लिनेरो के आदेशों के खिलाफ उसने दरवाजे की कुंडी नहीं चढ़ाई थी ताकि विपदा आने पर वह भीतर आ सके। कोई आदमी जिसे कभी पहचाना नहीं जा सका था, दरवाजे के नीचे एक लिफ़ाफ़ा सरका कर चला गया था। इसमें एक छोटी-सी पर्ची थी जिस पर सैंतिएगो नासार के लिए चेतावनी थी कि वे उसे मारने के लिए उसका इंतज़ार कर रहे हैं। इसके अलावा उस पर्ची में मारने की जगह, मारने की वजह और प्लॉट के बहुत बारीक ब्योरे भी दिये गये थे। सैंतिएगो नासार जब घर से चला तो वह संदेशा फर्श पर पड़ा हुआ था लेकिन इसे न तो सैंतिएगो नासार ने, न खुद दिविना फ्लोर ने और न ही किसी और ने ही देखा था। यह कागज़ अपराध किये जा चुकने के बाद ही देखा गया था।
घड़ियाल ने छ: घंटे बजाये थे और गली की बत्तियां अभी भी जल रही थीं। बादाम के दरख़्तों की शाखाओं पर और कुछेक छज्जों पर भी शादी की झालरें वगैरह अभी भी लटक रही थीं और कोई यह भी सोच सकता था कि इन्हें अभी ही बिशप के सम्मान में लगाया गया है, लेकिन चौक से ले कर गिरजा घर की निचली सीढ़ी तक, जहां बैण्ड स्टैण्ड था, और खड़ंजे बिछे हुए थे, सारी जगह कचरे का ढेर प्रतीत हो रही थी। वहां सार्वजनिक उत्सव की वजह से चारों तरफ खाली बोतलें और हर किस्म का कूड़ा कचरा बिखरा हुआ था।
जब सैंतिएगो नासार घर से बाहर निकला था तो कई लोग नाव के भोंपू की आवाज़ के साथ लपकते हुए घाट की तरफ भागे जा रहे थे। चौक पर, गिरजा घर के एक तरफ सिर्फ़ एक ही ठीया खुला था। ये दूध की दुकान थी जहां दो आदमी सैंतिएगो नासार का कत्ल करने के इरादे से उसका इंतज़ार कर रहे थे। उस दुकान की मालकिन क्लोतिल्दे आर्मेंता ने ही उसे सबसे पहले भोर के धुंधलके में देखा था और उसे लगा था कि सैंतिएगो नासार ने अल्यूमीनियम की पोशाक पहनी हुई है।
“वह पहले ही भूत की तरह लग रहा था,” वह मुझे बता रही थी, “जो आदमी सैंतिएगो नासार का कत्ल करने वाले थे, वे रात को बैंचों पर ही सोये थे और उन्होंने अख़बार में लिपटे चाकुओं को अपनी छाती के पास दबोच रखा था।” क्लोतिल्दे ने अपनी सांस रोक ली थी ताकि वे लोग कहीं जाग न जायें।
वे दोनों जुड़वा भाई थे। पैड्रो और पाब्लो विकारियो। उनकी उम्र चौबीस बरस की थी और उनकी शक्ल आपस में इतनी मिलती-जुलती थी कि उन्हें अलग से पहचान पाना मुश्किल था।
“वे देखने में कड़ियल लगते थे लेकिन दिल के अच्छे थे।” रिपोर्ट में बताया गया था। मैं, जो उन्हें लातिनी सिखाने वाले ग्रामर स्कूल के दिनों से जानता था, उनके बारे में यही लिखता। उस सुबह भी वे शादी वाले गहरे रंग के सूट ही पहने हुए थे। किसी कैरिबियन के लिए ये कपड़े बहुत भारी और औपचारिक लगते। कई कई घंटे तक अस्त व्यस्त रहने के कारण वे उजड़े-बिखरे लग रहे थे, फिर भी उन्होंने अपना काम पूरा किया था। उन्होंने शेव बनायी थी। हालांकि शादी की रात से ही वे लगातार पीते रहे थे, फिर भी तीन दिन गुज़र जाने के बाद भी वे नशे में नहीं थे। इसके बजाये वे नींद में चलने वाले अनिद्रा रोगियों की तरह लग रहे थे। क्लोतिल्दे आर्मेंता के स्टोर में तीनेक घंटे तक इंतज़ार करने के बाद भोर की हवा के पहले झोंके के साथ ही उन्हें नींद आ गयी थी। शुक्रवार के बाद से उनकी यह पहली नींद थी। नाव के पहले भोंपू के साथ ही उनकी नींद उचट गयी थी, लेकिन सैंतिएगो नासार ज्यों ही अपने घर से निकला था, वे अपने आप ही जग गये थे। उन्होंने लपक कर अपने लपेटे हुए अख़बार उठाये थे। तब पैड्रो विकारियो उठ कर बैठने लगा।
“ईश्वर के प्यार के लिए,” क्लोतिल्दे आर्मेंता बुड़बुड़ायी थी, “बिशप के प्रति आदर के नाम पर ही सही, उसे किसी और दिन के लिए बख्श दो।”
“यह पवित्र आत्मा की ही पुकार थी।” वह अक्सर दोहराया करती। सच में, ये एक दैविक घटना ही थी, लेकिन सिर्फ़ क्षणिक प्रभाव के लिए। जब विकारियो बंधुओं ने उसकी बात सुनी तो दोनों ठिठक गये। तब उनमें से वह भाई जो उठ खड़ा हुआ था, वापिस बैठ गया। दोनों भाई आंखों ही आंखों में सैंतिएगो नासार का पीछा करते रहे और उसे चौक के पार जाता देखते रहे।
“वे उसकी तरफ दया की निगाह से ही देख रहे थे।” क्लोतिल्दे आर्मेंता ने मुझे बताया था। उसी वक्त ननों के स्कूल की लड़कियों ने चौक पार किया। वे यतीमों वाली अपनी पोशाक में दुलकी चाल से लपकती-झपकतीं चली जा रही थीं।
प्लेसिडा लिनेरो का कहना सही था। बिशप अपनी नाव से नीचे उतरे ही नहीं। घाट पर सरकारी अमले और स्कूली बच्चों के अलावा ढेरों ढेर लोग थे। वहां चारों तरफ खिलाये-पिलाये मुर्गों से भरे टोकरे देखे जा सकते थे। इन्हें लोग बिशप के लिए विशेष भेंट के तौर पर पाल-पोस रहे थे। बिशप को मुर्गे की कलगी का सूप बहुत पसंद था। लदान वाले घाट पर ही जलावन की इतनी ज्यादा लकड़ी जमा हो गयी थी कि उसका लदान करने के लिए कम से कम दो घंटे लगते। लेकिन नाव रुकी ही नहीं। वह नदी के मोड़ पर नज़र आयी। वह ड्रैगन की माफिक फुफकार रही थी। तभी संगीतकारों के दल ने बिशप की प्रार्थना की धुन बजानी शुरू की दी। मुर्गों ने अपनी टोकरियों से ही बांग देनी शुरू की। इन मुर्गों की चिल्ल पों ने शहर भर भर के मुर्गों को जगा दिया। उन दिनों लकड़ी के ईंधन से चलने वाले वाली परम्परागत पहिये वाली नावें चलन से बाहर होने लगी थीं। इनमें से जो नावें यदा-कदा सवारियां ढो रही थीं, उनमें पियानो बजाने वाला यंत्र या नव विवाहितों के लिए अलग केबिन अब नहीं रह गये थे। ऐसी नावें धारा के विरुद्ध मुश्किल से चल पाती थीं। लेकिन ये वाली नाव नयी थी। इसमें धुआं निकालने के लिए दो चिमनियां थीं और उन पर बाजू पर बांधे जाने वाले फीतों की तरह ध्वज पुता हुआ था। नाव की दुम पर बने लकड़ी के बड़े पहिये में लकड़ी के ही फट्टों से बना पैडल उसे समुद्री जहाज की तरह आगे धकेलता था। कप्तान के केबिन के पास, ऊपरी डेक पर बिशप अपने सफेद चोगे में खड़ा था। साथ में उसके इस्पानी परिजन थे।
“मौसम बड़े दिन जैसा था।” मेरी बहन मार्गोट ने मुझे बताया था। उसके अनुसार हुआ ये था कि जैसे ही नाव घाटों के बीच से गुज़री, उसने दबी हुई भाप की फव्वारा जैसे छोड़ते हुए सीटी दी। जो भी लोग तट के किनारे खड़े थे, वे सब इस भाप में भीग गये। ये सब एक उड़ता हुआ एक भ्रम-सा था। बिशप ने घाट पर खड़े लोगों की विपरीत दिशा में हवा में ही क्रॉस बनाने का अभिनय किया। इसके बाद काफी देर तक वह हवा में मशीनी तरीके से क्रॉस बनाता रहा। उसके चेहरे पर न अफसोस के भाव थे न प्रेरणा के। हवा में क्रॉस बनाने का उसका सिलसिला तब तक चलता रहा जब तक नाव दृष्टि से ओझल नहीं हो गयी। बाद में वहां पर सिर्फ मुर्गों की चिल्ल पों ही बची।
सैंतिएगो नासार के पास इस बात को महसूस करने के कारण थे कि वह छला गया है। उसने फादर कारमैन एमाडोर के लिए सार्वजनिक समारोह में ढेरों लकड़ियों का योगदान दिया था। इसके अलावा, उसने खुद सबसे अधिक स्वाद वाली कलगियों वाले मुर्गे चुने थे।
लेकिन ये उदासी श्मशान वैराग्य की तरह थी। थोड़ी ही देर की नाराज़गी। मेरी बहन मार्गोट ने, जो उस वक्त घाट पर उसके साथ ही थी, उसे उस वक्त अच्छे मूड में पाया था और उसका आग्रह था कि यह रंग उल्लास चलते रहने चाहिये। हालांकि उसे अब तक एस्पिरिन से कोई आराम नहीं मिला था, “वह ज़रा भी ताव में नहीं लग रहा था और इसी बात पर सोचता रहा था कि इस शादी में कुल कितना खर्च आया होगा।” वह मुझे बता रही थी। क्रिस्तो बेदोया ने, जो उस वक्त उनके साथ था, कुछ ऐसे आंकड़े गिनाये थे कि सैंतिएगो नासार की हैरानी बढ़ गयी। क्रिस्तो बेदोया रात चार बजे से कुछ पहले तक सैंतिएगो नासार और मेरे साथ गप्प गोष्ठी कर रहा था; वह सोने के लिए अपने माता-पिता के घर भी नहीं गया बल्कि अपने दादा-दादी के घर पर ही रह गया था। वहीं गप्प बाजी के दौरान उसे इन सब आंकड़ों का पुलिंदा मिला, जो उस शादी की पार्टी का हिसाब लगाने के लिए ज़रूरी थे।
क्रिस्तो बेदोया ने बताया था कि उन लोगों ने मेहमानों के लिए चालीस मुर्गाबियों और ग्यारह सूअरों की बलि दी थी। इसके अलावा, चार बछ़ेड़े थे जो दूल्हे के मेहमानों के लिए चौक पर भुनवाये गये थे। उसने यह याद करते हुए कहा था कि अवैध शराब के 205 पीपे गले से नीचे उतारे गये थे और गन्ने की शराब की कम से कम दो हज़ार बोतलें भीड़ के बीच बांटी गयी थीं। वहां अमीर-गरीब कोई ऐसा शख्स नहीं बचा था जिसने शहर की अब तक की सबसे हंगामाखेज पार्टी में किसी न किसी रूप में शिरकत न की हो। सैंतिएगो नासार को ये सब ख्याल आ रहे थे।
“मेरी भी शादी ठीक इसी तरह से होगी।” उसने कहा था, “मेरी शादी के किस्से सुनाने के लिए लोगों को अपनी उम्र छोटी लगेगी।”
मेरी बहन ने महसूस किया कि पास से ही देवदूत गुज़र कर गये हैं। उसने फ्लोरा मिगुएल की खुशकिस्मती के बारे में एक बार फिर सोचा। फ्लोरा को ज़िंदगी में बहुत कुछ मिला था। उसे सैंतिएगो नासार का साथ और मनाने के लिए उस बरस का क्रिसमस, दोनों ही मिलने वाले थे। वह मुझे बता रही थी,“मैंने अचानक सोचा कि सैंतिएगो नासार से बेहतर जीवन साथी और कोई नहीं हो सकता। ज़रा कल्पना करो, खूबसूरत, अपनी ज़बान का पक्का, और सिर्फ इक्कीस बरस की उम्र में अपने भाग्य का मालिक।”
मार्गोट, मेरी बहन सैंतिएगो नासार को नाश्ते के लिए घर पर आमंत्रित किया करती थी। जब भी कंद मूल के आटे के मालपूए होते और मेरी मां सुबह के वक्त कोई खास पकवान बना रही होती तो वह सैंतिएगो नासार को नाश्ते के लिए अकसर बुलवा भेजती। सैंतिएगो नासार खुशी-खुशी न्यौता स्वीकार कर लेता।
“मैं कपड़े बदलूंगा और बस, तुम्हारे पीछे-पीछे पहुंच जाऊंगा,” सैंतिएगो नासार ने कहा और उसे लगा कि वह अपनी घड़ी तो सिरहाने ही भूल आया है, “कितने बजे हैं?”
उस समय छ: पच्चीस हुए थे। सैंतिएगो नासार ने क्रिस्तो बेदोया की बांह थामी और उसे चौक की तरफ ले चला।
“मैं पंद्रह मिनट के भीतर ही तुम्हारे घर पहुंच जाऊंगा।” उसने मेरी बहन से कहा था।
मेरी बहन ने आग्रह किया कि वह उसके साथ ही चला चले क्योंकि नाश्ता पहले ही तैयार हो चुका है।
“यह एक अजीब-सा आग्रह था।” क्रिस्तो बेदोया ने मुझे बताया था, “इतना अजीब कि कई बार मुझे लगता है कि मार्गोट को पहले से ही पता था कि वे उसे मारने जा रहे हैं और वह उसे अपने घर में, तुम्हारे घर में छुपा लेना चाहती थी।”
सैंतिएगो नासार ने उसे समझा-बुझा कर अकेले ही आगे जाने के लिए मना लिया था क्योंकि उसे अभी घुड़सवारी के कपड़े पहनने थे और फिर डिवाइन फेस जल्दी पहुंच कर बछेड़ों को बधिया करना था। सैंतिएगो नासार ने हाथ हिला कर मार्गोट से वैसे ही विदा ली जैसे अपनी मां से ली थी और क्रिस्तो बेदोया की बांह थामे चौक की तरफ चला गया। मार्गोट ने तभी उसे आखिरी बार देखा था।
कई लोग, जो उस वक्त घाट पर मौजूद थे, इस बात को जानते थे कि वे दोनों सैंतिएगो नासार को मारने वाले हैं। डॉन लोजारो अपोंते, जो कि अकादमी से निकला हुआ कर्नल था और अपने शानदार रिटायरमेंट के दिनों में ऐश कर रहा था, पिछले ग्यारह बरस से शहर का मेयर था, उसने भी सैंतिएगो नासार की तरफ उंगलियों का इशारा करके उसके हाल चाल पूछे थे, “मेरे पास इस बात पर यकीन करने के लिए खुद के पुख्ता कारण थे कि उसकी जान को अब कोई खतरा नहीं है।” उसने मुझे बताया था। फादर कारमैन एमाडोर को भी उसकी चिंता नहीं थी, “जब मैंने उसे सुरक्षित और चुस्त-दुरुस्त देखा तो समझ गया, यह सब एक कोरी गप्प थी।” फादर ने मुझे बताया था। किसी को भी इस बात पर हैरानी नहीं हुई थी कि सैंतिएगो नासार को चेताया गया था या नहीं, क्योंकि यह हो ही नहीं सकता था कि उसे चेताया न गया हो।
दरअसल, मेरी बहन मार्गोट उन थोड़े से लोगों में से एक थी जिसे उस वक्त भी पता नहीं था कि वे लोग उसे मारने जा रहे हैं। “अगर मुझे पता होता तो उसे मैं अपने साथ घर लिवा ले जाती, भले ही मुझे उसे सूअर की तरह गले में रस्सी डाल कर घसीट कर लाना पड़ता।” उसने जांच अधिकारी को बताया था। ये हैरानी की बात थी कि उसे इस बात का पता नहीं था और उससे ज्यादा हैरानी की बात थी कि मेरी मां को भी इस बारे में कोई खबर नहीं थी। हैरानी की वजह यह थी कि भले ही वह बरसों से कभी बाहर गली तक भी नहीं निकली थी, यहां तक कि कभी प्रार्थना के लिए गिरजे घर तक भी नहीं गयी थी, फिर भी उसे घर में किसी से भी पहले सब कुछ पता चल जाता था। मुझे मां की इस खासियत का तब पता चला था जब मैं स्कूल जाने के लिए जल्दी उठा करता था। मैं उन दिनों उसे वैसी ही पीली और गुमसुम पाता था। वह घर की बनी झाड़ू से आँगन बुहार रही होती। प्रभात की गुलाबी रौशनी में मैं उसे इसी रूप में देखा करता। फिर कॉफी के घूँट भरते हुए वह मुझे बताती रहती कि जब हम सो रहे थे तो दुनिया भर में क्या-क्या हुआ। लगता था, शहर के लोगों के साथ उसके संचार के गुप्त सूत्र थे। खास कर उन लोगों के साथ, जो उसी की उम्र के थे। कई बार तो हमें वह ऐसी खबरें दे कर हैरान कर देती जो समय से आगे की होतीं। ये खबरें तो सिर्फ भविष्यवेता ही जान सकते थे। अलबत्ता, उस समय वह उस हादसे के स्पंदन को महसूस नहीं कर पायी थी, रात के तीन बजे से जिसकी खिचड़ी पक रही थी।
जब तक मेरी बहन मार्गोट बिशप की अगवानी के लिए घर से निकली, तब तक मां आँगन बुहार चुकी थी और उसने मां को मालपूए बनाने के लिए कंदमूल पीसते देखा। “उस वक्त मुर्गों की बांग सुनी जा सकती थी।” मेरी मां उस अभागे दिन को याद करते हुए अक्सर कहा करती। उसने दूर से आते शोर शराबे की आवाज़ को कभी भी बिशप के आगमन से नहीं जोड़ा। वह उसे शादी के बचे-खुचे शोर शराबे से ही जोड़ती रही।
हमारा घर मुख्य चौक से खासा दूर, नदी के किनारे अमराई में था। मेरी बहन नदी के किनारे-किनारे चल कर घाट तक गयी थी। दूसरे लोग बिशप के दौरे को ले कर इतने अधिक उत्साहित थे कि उन्हें किसी और खबर की चिंता ही नहीं थी। उन्होंने बीमार आदमियों को तोरण पर ला बिठाया था ताकि उन्हें ईश्वरीय निदान मिल सके। औरतें अपने-अपने आँगनों से मुर्गाबियां और दुधमुंहे सुअर और खाने की हर तरह की चीज़ें लिये भागती दौड़ती चली आ रही थीं। नदी के परले तट से फूलों से लदी डोंगियां चली आ रही थीं। लेकिन जब बिशप ज़मीन पर पाँव धरे बिना ही आगे निकल गये तो अब तक ढकी-छुपी खबर अफवाह का रौद्र रूप ले चुकी थी।
तभी मेरी बहन मार्गोट को इसके बारे में पूरी तरह से और वीभत्स तरीके से पता चला। एंजेला विकारियो नाम की एक खूबसूरत लड़की का एक दिन पहले ही विवाह हुआ था। उसे उसके मायके वापिस भेज दिया गया था क्योंकि उसके पति को पता चला था कि वह कुंवारी नहीं है। “मुझे महसूस हुआ कि वह मैं ही थी जो मरने जा रही थी।” मेरी बहन ने कहा था, “इस बात का कोई मतलब नहीं था कि उन लोगों ने इस किस्से को आगे-पीछे कितना उछाला, मुझे कोई भी यह बात नहीं समझा पाया कि बेचारा सैंतिएगो नासार इस सारे झमेले में कैसे जा फंसा।” लोगों को पक्के तौर पर एक ही बात का पता था कि एंजेला विकारियो के दोनों भाई सैंतिएगो नासार को मारने के लिए उसकी राह देख रहे हैं।
मेरी बहन मार्गोट किसी तरह से अपनी रुलाई को रोके हुए अपने-आप पर कुढ़ते हुए घर लौटी। मेरी मां उसे आँगन में ही मिल गयी। उसने यह सोच कर नीले फूलों वाली फ्राक पहनी हुई थी कि शायद बिशप उससे मिलने इस तरफ आ निकलें।
“ये कुर्सी सैंतिएगो नासार के लिए है,” मेरी मां ने उसे बताया था, “मुझे पता चला है कि तूने उसे नाश्ते पर बुलाया है।”
“इसे हटा लो।” मेरी बहन ने कहा था।
तब मार्गोट ने मां को पूरी बात बतायी थी, “लेकिन लगता यही था कि मां को सब कुछ पहले से मालूम था,” मार्गोट ने मुझे बताया था, “हमेशा ऐसा ही होता था: आप उसे कुछ बताना शुरू करो: आपने अभी किस्सा पूरा भी नहीं किया होगा कि वह पहले आपको बता देगी कि क्या, कैसे हुआ होगा।” यह दुखद समाचार मेरी मां के लिए एक गांठदार समस्या की तरह था। सैंतिएगो नासार उसके नाम पर कर दिया गया था और जब उसका बपतिस्मा हो रहा था तो मां को ही उसकी धर्म मां बनाया गया था। दूसरी तरफ, लौटायी गयी दुल्हन की मां, पुरा विकारियो से भी मां का खून का रिश्ता था।
इसके बावजूद जैसे ही उसे ये खबर मिली, उसने ऊंची एड़ी के जूते पहने और चर्च वाली शॉल कंधे पर डाली। ये सारी चीज़ें वह मातमपुरसी के लिए जाते समय ही पहना करती थी। मेरे पिता ने अपने बिस्तर पर लेटे-लेटे ही यह सब सुन लिया था। वे पायजामा पहने हुए ही ड्राइंग रूम में आये और चौंक कर मां से पूछा कि वह कहां जा रही है।
“अपनी प्यारी सखी प्लेसिडा को सचेत करने,” मां ने जवाब दिया था, “यह ठीक बात नहीं है कि शहर भर को खबर हो कि वे उसके बेटे को मारने जा रहे हैं और वह बेचारी अकेली ही अंधेरे में रहे।”
“विकारियो खानदान से भी हम उस रिश्ते से बंधे हुए हैं जिस रिश्ते से प्लेसिडा से।” मेरे पिता ने कहा था।
“हमेशा मरने वाले का ही पक्ष लिया जाता है।” मां ने जवाब दिया था।
तब तक मेरे छोटे भाई दूसरे बेडरूम से बाहर आने लगे थे।
सबसे छोटा वाला इस हादसे की आशंका से भयभीत हो गया और रोने लगा। मेरी मां ने बच्चों की तरफ कोई तवज्जो नहीं दी। ऐसा ज़िंदगी में पहली बार हुआ कि उसने अपने पति की भी परवाह नहीं की।
“एक मिनट ठहरो, मैं भी तैयार हो लेता हूं।” पिता ने मां से कहा था।
वह पहले ही गली में उतर चुकी थी। मेरा छोटा भाई जाइमे, जो उस समय मुश्किल से सात बरस का रहा होगा, स्कूल के लिए तैयार हो पाया था।
“जाओ, तुम मां के साथ जाओ,” मेरे पिता ने उससे कहा था।
जाइमे मां के पीछे लपका। उसे कुछ भी पता नहीं था कि क्या हो रहा है और वे कहां जा रहे हैं। उसने मां का हाथ थामा, “वह खुद से ही बातें किये चली जा रही थी।” जाइमे ने मुझे बताया था।
“नीच, अधम लोग,” मां जैसे सांस रोके बुड़बुड़ा रही थी, “गू मूत से सने जिनावर, वे सिर्फ घटिया और गलीज काम ही कर सकते हैं। और कुछ नहीं।”
उसे इस बात का भी भान नहीं था कि उसने अपने छोटे बच्चे का हाथ थामा हुआ है।
“उन्होंने यही सोचा होगा कि मैं पगला गयी हूं,” मां ने मुझे बताया था, “मैं सिर्फ इतना ही याद कर सकती हूं कि दूर से ही ढेर सारे लोगों का शोर-शराबा सुनायी दे रहा था, मानो शादी का तामझाम फिर शुरू हो गया हो। हर आदमी चौक की तरफ लपका जा रहा था ।” उसने भी मजबूती से अपने कदम तेजी से बढ़ाये। जब भी ज़िंदगी दांव पर लगी होती, वह ऐसा कर सकने की कूवत रखती थी। तभी सामने की तरफ से दौड़ कर आते किसी भले आदमी ने उसके भोलेपन पर तरस खाया था, “खुद को हलकान मत करो लुइसा सेंतिआगा,” वह जाते-जाते चिल्लाता गया था, “वे लोग तो उसे पहले ही कत्ल कर चुके हैं।”
(क्रमशः अगले अंकों में जारी…)
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