असगर वजाहत की कहानी–बेमौसम की बारिश में

SHARE:

बेमौसम की बारिश में कहते हैं अफसर की अगाड़ी और घोड़े की पिछाड़ी से जहां तक हो सके, बचना चाहिए । बचता मैं भी हूं लेकिन क्या करूं, कि यह सिर...

बेमौसम की बारिश में

कहते हैं अफसर की अगाड़ी और घोड़े की पिछाड़ी से जहां तक हो सके, बचना चाहिए बचता मैं भी हूं लेकिन क्या करूं, कि यह सिर पर आ ही पड़ी है। अब हुक्मउदूली की हिम्मत मुझमें है नहीं। ऐसा नहीं कि अठारह साल की नौकरी के दौरान मैं ऊंचे आधिकारियों से मिला हूं। मिला हूं और मानता हूं कि ऊंचे अधिकारियों से मिलने का एक तरीका, ढंग और अंदाज होता है। एक कायदा होता है, एक करीना होता है। ऐसा नहीं कि मुंह उठाए इस तरह पहुंच गए जैसे ससुराल जाते हैं। बड़े अधिकारियों की निगाह पैनी और पसंद-नापसंद बहुत पक्की होती है। पसंद कर लिया तो पौबारह और अगर आपकी किसी बात पर चिढ़ गया तो बस काला पानी।

बड़े अधिकारियों को लगना चाहिए कि उनसे मुलाकात की खातिर आपने अपने आपको ‘प्रजेंटेबुल’ बनाने की कोशिश बड़ी मेहनत से की है। लेकिन उसी के साथ ये नहीं लगना चाहिए कि आप अपने-आपको इतना हसीन समझते हैं कि बड़े घर की बहू-बेटियां खुशी-खुशी आपके आगे बिछ जाएंगी। यह भी लगना चाहिए कि आप सभ्य होने की चरम सीमा पर पहुंच चुके हैं, यानी थोड़े डरपोक भी हैं, पर इतने भी नहीं कि अफसर की हां में हां भी न मिला सकते हों। बातें कहीं इतनी ज्यादा न करें कि आप गप्पी साबित हो जाएं या इतना चुप भी न रहें कि घुन्ने करार दिए जाएं और आप पर तरक्की के रास्ते बंद समझे जाएं। मतलब यह कि अफसर के आगे जाना और बात करना एक ऐसी कला है जिसके बिना पत्ता तक नहीं हिल सकता। पर अफसोस कि यह कला किसी कॉलेज-विश्वविद्यालय में पढ़ाई नहीं जाती।

आपको अक्सर ऐसी सूखी, दुबली-पतली लड़कियां मिली होंगी जो प्रायः हाईस्कूल या इंटर करने के बाद टाइप और शार्ट हैंड सीखकर कहीं लग जाती हैं और अपने काम को ‘सेक्रेट्रियल वर्क’ कहती हैं। प्राइवेट सेक्रेटरी भी आजकल कोई सम्मानजनक पद नहीं समझा जाता। अधेड़ उम्र, तोदिंयल, सफारी सूटधारी सेक्रेटरी भी आपने देखें होंगे। लेकिन यहां जिक्र है भारत सरकार के मंत्रालय के एक सेक्रेटरी का। जो लोग अनाड़ी हैं और नहीं जानते की भारत सरकार क्या है, वे यह भी समझ नहीं पायेंगे कि भारत सरकार के मंत्रालय का सेक्रेटरी क्या होता है पर भई जो लोग भारत सरकार की ताकत, सामर्थ्य, शक्ति, उसके तंत्र, उसी निमर्मता, उसकी प्रशासकीय व्यापकता और उसकी उदारता, उसकी सहिष्णुता, उसकी कृपाओं, उसकी इनायों से परिचित हैं, वे इस शब्द को सुनते ही चौंक ही नहीं, डर जाएंगे। घबरा जाएंगे। शायद खड़े ही हो जाएं। या प्रफुल्ल हो जाएंगे। नतमस्तक तो जरूर ही होंगे। हो सकता है हाथ भी जोड़ लें। सरकार को चलाने की नहीं, अपनी उंगलियां पर नाचने वाले न भारत सरकार के सचिवों के हाथ में इतनी ताकत होती है कि किसी से खुश हो जाएं तो उसे निहाल कर दें, किसी पर नाराज हो जाएं तो उसके जीवन को नरक बना दें। ये सर्वशक्तिमान होते हैं। उनके हाथ लंबे होते हैं। इनके निर्णय अंतिम होते हैं। इनके वाक्य वेदवाक्य होते हैं....तो जनाब ये जिक्र है कि भारत सरकार के मंत्रालय के एक सचिव का, जो मंत्री से अधिक शक्तिशाली होता है, क्योंकि मंत्री तो आते-जाते रहते हैं, पर ये स्थाई होते हैं।

कहते हैं किसी चीज़ की अधिकता आदमी पर अजीबो-गरीबो प्रभाव डालती है। अथाह धन या अथाह ख्याति या अथाह शक्ति आदमी को कुछ-से-कुछ बना देती है। ऐसे लोगों में सबसे लोकप्रिय बीमारी ‘सनक’ हो जाती है।

जिन सचिव महोदय का मैं जिक्र कर रहा हूं वे भी ‘खिसके’ हुए यानी सनके हुए है। उनके बारे में अक्सर अधिकारियों में कानाफूसी होती रहती है कि बुड्ढा कभी तो गोली देने पर इनाम देता है, कभी प्रशंसा करने पर बड़ी सख्त सजा देता है। कभी उलटे-पुलटे काम कर देता है। कभी याद रखने वाल चीजों को भूल जाता है और कभी गैरजरूरी चीजों को गिरह में बांध लेता है। मतलब यह है कि वह कब कैसे, किस तरह तरह करेगा, यह कोई सोच नहीं सकता। और इसीलिए लोग उससे खौफ खाते हैं। उसक पास जाने से थर्राते हैं।

अब जरा गौर कीजिए मेरे ऊपर। उम्र यही कोई चालीस के आसपास। कद कुछ मंझोला। व्यक्तित्व में ऐसा कुछ खास नहीं जो अपनी ओर आक`िर्षित को। भारत सरकार का एक अदना-सा अफसर। लेकिन अदना होते हुए भी गजेटेड, यानी राजपत्रित। अंडर में एक बड़े बाबू, सात क्लर्क और दो चपरासी और दो डेलीवेजर। बड़े ठाट से चाय बनवाता हूं। जाड़े में हीटर और गर्मी में कूलर की बेपनाह हवा खाता हूं। काम जितना कम-से-कम और जरूरी-से-जरूरी हो सकत है, उतना ही करता हूं। वैसे भी काम में मेरी दिलचस्पी जैसे-जैसे उम्र बढ़ रही हैं, उसी रफ्तार से कम होती जा रही है। इसमें मेरी कोई गलती नहीं है।

मैं गृहस्थ आदमी हूं। पत्नी एक गैर सरकारी स्कूल में टीचर है। बच्चे गैर सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं। बूढ़ी मां खाना वगैरा पकाती है और फालतू समय में गुप्ता जी के यहां गपशप मार आती है। दिल्ली में रहते मेरी उम्र बीत चली है। सिर के बाल सफेद हो गए हैं। दिन-भर दफ्तर में बेकार बैठे-बैठे कनपटियों तड़पने लगती है। फिर भी मैं दिल्ली में पूरी तरह रच-बस गया हूं। मेरे पास किस्तों पर खरीदे गए एक स्कूटर, एक कलर टी.वी. फ्रिज, एक म्यूजिक सिस्टम, एक वाशिंग मशीन के अलावा टेलीफोन और कुछ दीगर कीमती सामान भी हैं। मुझे सरकारी मकान मिला हुआ है। डी.डी.ए. का फ्लैट मेरे नाम निकल आया है।

उसकी किस्तें लगातार ठीक वक्त पर दे रहा हूं। इस तरह आप मुझे खुश तो नहीं, बस ठीक-ठीक कह सकते हैं। आज से लेकर रिटायरमेंट तक मैंने पूरा हिसाब लगा लिया है। कम-से-कम इनकमटैक्स देता हूं। ज्यादा-से-ज्यादा पी.एफ.में पैसा कटाता हूं।

आज, यानी सात तारीख और बुधवार के दिन मेरा ग्यारह बजे एप्वाइंटमेंट है। सुबह जब बच्चे स्कूल चले गए, पत्नी पढ़ाने चली गई, नाश्ते के बाद माताजी गुप्ताजी के यहां चली गई तो मैं गुनगुनाने लगा। मैं चाहता था कि मेरे अंदर कुछ ताजगी पैदा हो, ताकि सुबह के सारे काम मैं एक विशेष प्रकार के उल्लास के अंतर्गत करूं और मनहूसियत ने छोने पाए। गुनगुनाने से फायदा हुआ।

आप यह तो नहीं कह सकते कि मैं गंदा रहता हूं, लेकिन यह सच है कि मैं लापरवाह होने की वजह से सजने पर ज्यादा विश्वास नहीं करता। सोचता हूं वक्त क्यों बर्बाद किया जाए। एक दिन गोल करके शेव बनाता हूं। तीसरे-चौथे ही नहाता हूं। विशेष रूप से जाड़ों में तो नहाने की बड़ी बेवकूफी समझता हूं। लेकिन सर्दी होने के बावजूद आज मैं गुसलखने में इस तरह घुसा जैसे यह मेरा रोज का काम हो जाहिर है यह गुनगुनाने का असर था। नहीं तो मैं गुसलखाने में घुसने से पहलें दस-पांच मिनट सिगरेट आदि पीने के बहाने ‘होने वाली’ को टालता रहता। नहाने से पहले नाखून देखे। अचानक ख्याल आया कि नाखून थोड़े से भी बड़े हों तो बहुत बुरा समझा जाता है। सुनते हैं अंग्रजों के जमाने में तो साहब के मुलाकातियों के नाखून चेक किए जाते थे....ये हमारे सेक्रेटरी साहब भी तो आई.ए.एस. हैं। इनकी भी तो वही ट्रेडीशंस हैं जो आई.सी.एस. की हुआ करती थीं। ये सोचते ही मैं नेलकटर की तरफ लपका और नाखूनों पर पिल पड़ा। वे बेचारे सोच रहे होंगे-ये आज कौन-सी आफत आ गई, जो हमें इस बेबर्दी से काटा जा रहा है। शेव इतनी होशियारी से बनाई कि नाई देख पाते तो दांतो तले उंगली दबा लेते। इत्मीनान हुआ कि चलो दो काम, यानी दो नाजुक काम तो पक्के हो गए। फिर मैं नदी में कूद पड़ा। यानी इस तरह नहाया जैसे नदी किनारे बसे वाले रंगीले छैले घंटों नदी में नहाया करते हैं-फरागत से।

आइने के सामने खयाल आया कि कौन-सा ऑफ्टर शेव लगाया जाए। मेरे पास दो आफ्टर शेव हैं। दोनों को निकाल लिया। फैसला न कर पाया कि कौन-सा अच्छा है। सोचा, क्यों न दोनों को लगा लूं। फिर अपनी इस बेवकूफी पर हंसी आई। फिर सोचा ‘टॉस’ कर लूं। फिर गुस्सा आया और आंख बंद करके एक ऑफ्टर शेव उठा लिया।

तैयार होने के सिलसिले में सबसे बड़ी दिक्कते आई कपड़े चुनने की। सरकारी अफसर हूं, पर कपड़े मेरे पास ऐसे हैं कि बस इज्जत बच जाती है। कुल मिलाकर छः टाइंया हैं जो रगड़-रगड़कर बदरंग हो गई है। वैसे आमतौर पर मैं वही कपड़े पहन लिया करता था जो सबसे आगे रखे हुए आसानी से मिल जाएं। लेकिन आज मैंने पहनने लायक कमीजें, टाइयां, सूट, कोट और पैंटे निकालकर बेड पर फैला दीं और परेशान-सा खड़ा हो गया।

फिर कोट पर बुरी तरह पिल पड़ा। ब्रुश लेकर मेहनत, उत्साह और लगन से धूल साफ करने लगा। वह धूल चारों तरफ उड़ रही थी। रात को जूते पर पालिश कर ली थी। कपड़े पहने, टाई लगाई, कोट पहना। आइने के सामने खड़ा हुआ तो अचानक ख्याल आया कि इस तरह कब तैयार हुआ करता था याद आया, चालीस से ऊपर के आदमी के लिए बेबाक और हिला देने वाली खुशी का यह अनुभव प्रायः दुर्लभ होता है। लगा, संपूर्ण व्यक्तिगत बज उठा हो...आज से अट्ठारह साल पहले जब मैं नया नौकर हुआ था तब ठीक इसी तरह डर, खुशी और जल्दी में तैयार होकर मिलने जाया करता था। अब भी उसकी याद जब आती है, भरपूर आती है। वह बहुत गंभीर, मासूम, आत्मीय और पूरे व्यक्तिगत में हमेंशा के लिए छिपकर बैठ जाने वाला प्रेम था। वह सचमुच बारह महीने शादाब रहने वाला फलदार पेड़ था। हमने लंबी दोपहरें और उदास शामें खामोश रहकर गुजारी थीं। मैं आज सचमुच उसी तरह हो रहा हूं। वह भी बुड्ढे, खूसट, गंजे, थुलथुल, छोटी-छोटी आंखों वाले खब्ती और सनकी, पेट की दसियों बीमारियों वाले चिड़चिड़े मरीज के लिए मैं तय नहीं कर सका कि अपने ऊपर हंसूं या रोऊं। खैर, फिर मैं रोने ही लगा। इतना रोया, इतना रोया कि सब कपड़े भीग गए। कोट पैंट ही नहीं पलंग की चादर, वार्डरोब में रखे कपड़े और बाहर अलगनी पर टंगे सूखे कपड़े-सब कुछ भीग गया।

COMMENTS

BLOGGER: 1
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: असगर वजाहत की कहानी–बेमौसम की बारिश में
असगर वजाहत की कहानी–बेमौसम की बारिश में
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg4NNrgoxlGUIDHPsz4v7xf0jCJommJH5nHIKFOfv8S6OEiFaA5DNqzzjX4P8x4mbvCJsFDuOsvfMUbR-xfzxaF6ByOGTlitd05ZAnlrHTWWyKCTVpJvaCQd59Kt43tLLFXZigz/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg4NNrgoxlGUIDHPsz4v7xf0jCJommJH5nHIKFOfv8S6OEiFaA5DNqzzjX4P8x4mbvCJsFDuOsvfMUbR-xfzxaF6ByOGTlitd05ZAnlrHTWWyKCTVpJvaCQd59Kt43tLLFXZigz/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2014/04/blog-post_989.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2014/04/blog-post_989.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content