नो रेड लाइट इन इंडिया अमेरिका से हार्वर्ड विजनेस स्कूल से एम.बी.ए.। आक्सफोर्ड से बी.ए.। किंग्स कॉलेज से हाईस्कूल। बीरु भाई का ये सब डिग्रिय...
नो रेड लाइट इन इंडिया
अमेरिका से हार्वर्ड विजनेस स्कूल से एम.बी.ए.। आक्सफोर्ड से बी.ए.। किंग्स कॉलेज से हाईस्कूल। बीरु भाई का ये सब डिग्रियां देख कर हंसी आती है। लेकिन हंसी दबा लेते हैं, पी लेते हैं क्योंकि ये डिग्रियां उनके एकलौते बेटे रतन भाई रनवानी को मिली हैं। उन्होंने रतन की ऐसी एजूकेशन दी है और रतन ने ली है जो दुनिया की सबसे अच्छी बिजनेस एजूकेशन कही जा सकती है। ये डिग्रियां देखकर बीरु भाई रनवानी को क्यों हंसी आती है वे जानते हैं कि ये लड़के जितना जानते हैं इंटरनेशनल मार्केट के बारे में नए एरियान ऑफ बिजनेस के बारे में उतना बीरु भाई नहीं जानते। बीरु भाई तो गुजरात के गुमनाम से शहर रनवान से हाईस्कूल फेल हैं। लेकिन उन्होंने टाटा और बिड़ला को पीछे कर दिया है। उन्होंने कारपोरेट बिजनेस का नया व्याकरण रचा है। वे जिस तरह आगे बढ़े हैं वैसे तो आंधी और तूफान भी नहीं बढ़ते। उनकी बढ़त देखकर लोगों के होश उड़ गए थे। रनवान जैसी जगह का एक अवारा सा लड़का देखते-देखते दो सौ अरब का असामी बन बैठा था।
-ये तुम लाल बत्ती पर गाड़ी क्यों रोक देते हो बीरु भाई ने अपने सबसे छोटे बेटे रतन से कहा।
- डैड लाइट रेड है। रतन बोला।
यूं तो सैकड़ों क्या हजारों ड्राइवर हैं, लेकिन बीरु भाई पुराने जमाने के आदमी हैं। खुद आगे की सीट पर बैठते हैं। कभी सीट बेल्ट नहीं लगाते। पहले तो बाप बेटे में इस बात को लेकर झगड़ा हो जाया करता था। रतन कहता था डैड आप जब तक बेल्ट नहीं लगाएंगे मैं गाड़ी नहीं चलाऊंगा।
-मैं बेल्ट कभी नहीं लगाता।
-डैड ये लेटेस्ट मॉडल की कैडीलॉक उस वक्त तक स्टार्ट ही नहीं होगी जब तक आप बेल्ट नहीं लगाएंगे।
-ठीक है अब लो। बीरु भाई ने अपनी कमर के पीछे से बेल्ट लगा ली।
-ये क्या डैड
-अब गाड़ी स्टार्ट करो।
-गाड़ी स्टार्ट हो गई। बीरु भाई के चेहरे पर भाव वही रहे जो पहले थे। दोनों कुछ देर खामोश रहे। अगले चौराहे पर लाल बत्ती आ गई। रतन ने गाड़ी रोक दी।
- लाल बत्ती पर गाड़ी मत रोका करो। बीरु भाई ने रतन से कहा।
-डैड ये इंटरनेशनल रूल है।
- हां लेकिन नेशनल रूल नहीं है।
-तो डैड ये लाल बत्तियां क्यों लगाई गई हैं।
-रतन बहस मत करो ये बत्तियां हमारे लिए नहीं हैं।
-डैड एक्सीडेंट हो जाएगा।
-हो जाने दो। बीरु भाई बोले।
-डैड प्लीज।
-रतन तुम्हें इंडिया में काम करना है।
-यस डैड...।
-ग्रीन मतलब हरा मतलब आगे।
-लेकिन डैड...।
-रतन में अच्छे-बुरे की बात नहीं कर रहा हूं।
बीरु भाई बोले।
कुछ देर खामोशी रही।
-रतन, ये कंट्री हमारा है।
-क्या डैड
-यस रतन, हमारा है, हमारा है।
-इस कंट्री के लोग हमारे हैं, यहां की नदियां हमारी, पहाड़ हमारे हैं, यहां की सरकार हमारी है, यहां की सब चीजें हमारी हैं।
-डैड ऑर यू क्रेजी।
-क्या तुम्हे हार्वर्ड में ये नहीं पढ़ाया गया था
-नो डैड।
-यही बात है, तुम्हारी तालीम पूरी नहीं हुई है।
बीरु भाई ने कहा और रतन हैरत से उन्हें देखने लगा।
-डैड पूरे वर्ल्ड में इतनी अच्छी पढ़ाई नहीं।
-नहीं तुम्हारी पढ़ाई पूरी हुई। मैं तुम्हें फिर से पढ़ाऊंगा।
बीरु भाई ने हजार कोशिशें कर लीं, लेकिन रतन की पढ़ाई पूरी नहीं हो पाई। पर बीरु भाई भी हार मानने वाले लोगों में हैं नहीं। अगर हार ही मान ली होती तो आज वे वीरु भाई न होते।
रात अंधेरी, सन्नाटा, सुनसान, सड़कें। रात की तीन बजे हैं। हवा के सन्नाटें की आवाजें आ रही हैं।
-गाड़ी की रफ्तार और बढ़ाओ। बीरु भाई बोले।
-डैड स्पीड लिमिट।
-तुम गाड़ी चला रहे हो, मैं बैठा हूं। गाड़ी इस देश में चल रही है। स्पीड लिमिट कुछ नहीं है। समझे स्पीड बढ़ गई।
-स्पीड और बढ़ाओ। बीरु भाई बोले।
- डैड इट इज हंडरेड टेन। रतन ने कहा।
-और बढ़ओ। बीरु ने आदेश दिया।
गाड़ी की रफ्तार एक सौ बीस हो गई।
-और बढ़ाओ।
गाड़ी की रफ्तार एक सौ चालीस एक सौ चालीस हो गई।
-रतन ये बाईं तरफ देख रहे हो फुटपाथ। बीरु भाई बोले।
-यस डैड आई एम वेरी केयर फुल।
-फुटपाथ पर लोग सो रहे हैं।
-यस डैड।
-रतन ये हमारे लोग हैं।
-कैसे डैड।
-हमारे कारखाने के मजदूर हैं।
-वेरी गुड डैड। मैं केयरफुल हूं। रतन बोला।
-नहीं रतन केयरफुल होने की जरूरत नहीं है।
-क्या मतलब डैड
-गाड़ी की फुटपाथ पर चढ़ा दो
-नौ डैड।
-रतन ये हमारे लोग हैं, इट इज अवर कंट्री।
बीरु भाई ठंडी आवाज और शान्त स्वर में बोले।
-तब तो डैड और।
-नो रतन डू इट। बीरु भाई ने सख्ती से कहा।
-नहीं डैड ये नहीं हो सकता है। रतन ने कहा।
-रतन ये हो सकता है और ये होना है। रंग सिर्फ एक होता है। वे लोग जो रंगों को कई रंग को मानते हैं, बेवकूफ हैं। चढ़ाओ गाड़ी उन पर जो फुटपाथ पर सो रहे हैं।
-नो डैड।
बीरु भाई ने गुस्से से रतन की तरफ देखा और उन्होंने जोर से स्टेरिंगफुटपाथ की तरफ घुमा दिया। गाड़ी पचास-साठ सोए लोगों के ऊपर से कुचलती हुई नीचे सड़क पर आ गई।
-डैड ये आपने क्या किया
-रतन तुम्हें पहली बार डिग्री मिली है।
- व्हाट डैड वह गुस्से में चिल्लाया और फिर रोने लगा। वह जोर-जोर से रोने लगा।
-मैं अपने आपको कभी माफ नहीं कर पाऊंगा डैड, ये क्या हो गया।
-रतन कुछ नहीं हुआ है। तुमने शायद पच्चीस-तीस लोगों को अपनी गाड़ी के नीचे कुचल दिया है जिसमें से शायद पन्द्रह-बीस लोग मर गए होंगे और बाकी बुरी तरह घायल हो गए होंगे।
रतन चीखकर बोला, डैड प्लीज आपके अन्दर इंसानियत नाम की...।
-हां हां है क्यों नहीं।
-क्या है
-देखो जो लोग फुटपाथ पर सो रहे थे वे आदमी नहीं थे।
-क्या मतलब डैड
-रतन वो सब डमी हैं, मतलब पुतले। आदमी के पुतले।
-पुतले
-हां हां पुतले। बीरु भाई हंसकर बोले।
-लेकिन मैंने तो हड्डियां टूटने की आवाज सुनी है।
-तो क्या हुआ पुतलों के हड्डियां भी होती हैं।
-खून देखा है।
-तो क्या हुआ पुतलों के अन्दर खून भी भरा गया था।
-ये सब क्या है डैडी और पुतले वहां किसने रखाए थे।
-मैंने।
-आपने क्यों
-तुम्हें यह बताने के लिए रंग सिर्फ एक होता है।
-प्लीज डैड।
-सुनो आदमी और पुतलों में कोई फर्क नहीं होता।
-आप क्या कह रहे हैं डैड
-रतन वे पुतले नहीं आदमी थे।
-ओ गॉड मैं कन्फूज हो गया हूं, सच, सच बताइए वो क्या थे,
- रतन, वो दोनों ही थे।
COMMENTS