असगर वजाहत की कहानी - यहाँ से देश को देखो

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यहां से देश को देखो चांद और जमीन के बीच से देखा जाए तो यह लाखों मील चौड़ा जमीन का हिस्सा है जहां धरती फटकर चीथड़ा-चीथड़ा हो गई है। इस कोने ...

यहां से देश को देखो

चांद और जमीन के बीच से देखा जाए तो यह लाखों मील चौड़ा जमीन का हिस्सा है जहां धरती फटकर चीथड़ा-चीथड़ा हो गई है। इस कोने से उस कोने तक जमीन में दरारें ही दरारें दिखाई देती हैं। सूखी हवा का तांडव बेरोक-टोक जारी है। आबादियां मिट्टी में मिल गई हैं। और सिवाय निर्जीवता के कुछ और नहीं है। मौत के डरावने तूफान उठते हैं और लोगों को अपने साथ उड़ा लेते हैं। जो अकाल मौत का शिकार हो जाते हैं उनकी आंखें और हाथ उधर पास की उड़ती हुई रोटियों का पीछा करते हैं। और थककर ठहर जाते हैं।

लाखों करोड़ों सूखे हाथ और निर्जीव आंखें।

ऊपर आसमान में अचानक नीली छतरी और सफेद बादलों को चीरते हेलीकॉप्टर इस तरह नीचे आते दिखाई पड़ते हैं जैसे सीधे स्वर्गलोक से आ रहे हों। विशाल, विकराल दैत्यनुमा हेलीकॉप्टर अपनी शक्ति और ताकत का सिक्का जमाते, अपनी श्रेष्टता और उत्कृष्टता को सिद्ध करते, अपने अधिकारों और सत्ता का प्रर्दशन करते नीचे उतर रहे हैं। उनके बड़े-बड़े पंख हवा को चीर रहे है। काले रंग का मजबूत इस्पात और आधुनिक कल-पुर्जे और नई तकनीक से बने हेलीकॉप्टर लगता है झपट्टा मारकर जी चाहेंगे अपने साथ ले जाएंगे, जहां उतरेंगे उस धरती को जला डालेंगे, जहां चाहेंगे मौत की बारिश कर देंगे और जहां चाहेंगे जिन्दगी का सफाया हो जाएगा...शक्ति और शक्ति और शक्ति...ताकतवर, तेज, रफ्तार मजबूत और इस्पात के दिल वालीे हेलीकॉप्टर।

हवा में उड़ते हुए हाथ जुड़ जाते हैं और उनमें फूलों की माटी-मोटी मालाएं आ जाती हैं। आंखें स्थिर हो जाती हैं और आकाश से अवतरति होते हेलीकॉप्टरों की तरफ देखने लगती हैं। हाथ काले हैं, हथेलियां में रेखाएं नहीं हैं। कोई रेखा नहीं है, न भाग्य की, न उम्र की, न पैसे की, न परिवार की।उंगलियों पर मोटे-मोटे सख्त गट्टे पड़े हैं। लगता है जानवरों जैसा काम करते करते ये हाथ खुर बन गए हैं। लेकिन इनमें और खुरों में अन्तर है तो यही है कि खुर मालाएं नहीं पकड़ सकते। खुर चुनाव निशान पर ठप्पा नहीं लगा सकते। खुर हाथ नहीं जोड़ सकते।

बादलों को फाड़ते हेलीकाप्टर कुछ नीचे आ गए हैं पर लगता है उन्हें उतरने की जल्दी नहीं है। वे आकाश में कवायद कर रहे हैं जैसे फौजी हथियारों और अस्त्रें-शस्त्रों के साथ करते हैं। कभी हेलीकॉप्टर एक लाइन में कदमताल चलते हैं, कभी ऊपर नीचे हो जाते हैं, कभी सीढ़ी जैसी बना लेते हैं, कभी फांसी के फंदे की तरह गोल दायरे में उड़ने लगते हैं, कभी अलग-अलग दिशाओं में मुड़ जाते हैं, तेजी से नीचे आते-आते ऊपर चले जाते हैं, एक पल में दिशाएं बदल लेते हैं कलाबाजियां खाते हैं, कभी तड़तड़ाहट की आवाजें निकलते हैं जैसे मशीनगन से गोलियां चल रहीं हों, कभी संगीत बिखर जाता है। कभी छलावा लगते हैं, कभी हकीकत नजर आते हैं।

ये हाथों में फूलों की मोटी-मोटी मालाएं लिये सिर्फ उन्हें देखते हैं। लगता है इन लोगों के पास और कुछ नहीं, सिर्फ दो हाथ हैं जिनमें मोटी-मोटीमालाएं हैं और ये इसी तरह पैदा हुए थे, इसी तरह मर जाएंगे। न इनका पैदा होना उनके हाथ में था और न इनका मरना ही इनके हाथ में होगा।

इस अचम्भे से पहले कई तरह के अचम्भे यहां हो चुके हैं। पता नहीं कहां से बीस-बीस पहियों वाले सैकड़ों ट्रक यहां आ गए थे। उनमें क्या है, ये कोई जान न सका था क्योंकि ये ट्रक लोहे की मोटी चादरों से ढंके हुए थे।

लेकिन अगले दिन ही लोगों ने देखा कि किसी जादू से एक बड़े से इलाके के चारों तरफ प्लास्टिक की दीवारें खड़ी हो गई हैं। गेट लग गए हैं बड़े से अहाते के अन्दर सड़के बन गई हैं। बिजली के हंडे जल रहे हैं। पेड़ लग गए हैं जो रोशनी में जगमगा रहे हैं, घास के मैदान बन गए हैं, पानी के फौव्वारे छूट रहे हैं। जादू की नगरी में महल-दो महले बन गए हैं।

हेलीकॉप्टर अचानक गंभीर हो गए। राष्ट्रीय गीत का संगीत बजने लगा। उसके बाद देश प्रेम के गीत हवा में बिखरने लगे। ‘सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा’ का संगीत सुगन्ध बनकर फैल गया। फिर जयघोष होने लगा। जुड़े हुए हाथ से तालियां बजने लगीं, प्रशस्तियां शुरू हो गई। उसके बाद आंकड़ों से सिद्ध किया गया कि हम विश्व शक्ति बन चुके हैं।

विशाल, ऊंचे, व्यापक, भव्य मंच सामने हेलीकॉप्टर से प्रधानमंत्री उतरे , मंत्री मंडल उतरा, पक्ष और विपक्ष के नेता उतरे, संसाद उतरी, हर जाति के नेता अवतरित हुए, सरकार उतरी, सर्वोच्च न्यायालय उतरा, प्रेस और मीडिया उतरा, पंडित, मौलवी, महंत, योगी, आचार्य माफिया सरगना, डॉन सुपर स्टार और शताब्दी के नायक, नायिकाएं उतरीं।

असंख्य हाथ तालियां बजाने लगे।

तालियों की आवाज कम है...आप लोगों से अनुरोध है कि अपने मुर्दो को भी ले आएं ताकि अधिक लोग तालियां बजा सकें।

मुर्दे भी आ गए और तालियां बजाने लगे।

अब भी तालियां कम बज रही हैं...जानवर और पेड़ पौधे भी तालियां बजाएं।

और वे भी तालियां बजाने लगे।

प्रधानमंत्री ने इतना आत्मीय, संवेदनशील और भावभीगा भाषण दिया कि उनकी आंखों में आंसू आ गए।

कृषि मंत्री ने कहा-आप लोग चिन्ता ने करें, हम कुछ ऐसा करने जा रहे हैं कि खेतों में हैम्बर्गर और चिप्स फला करेंगे...कारें उगेंगी, टी.वी. औरफ्रिज पैदा होंगे...।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा-हम यहां दस सुपर स्पेशलटी अस्पताल खोलेंगे जहां आप ही लोगों को रोजगार मिलेगा...आप ही मरीज होंगे और आप ही डॉक्टर होंगे...आपका ही आपरेशन होगा और आप ही ऑपरेशन करेंगे...।

विपक्ष के नेता ने कहा-आप चिन्ता न करें, हम लगातार विपक्ष में बने रहेंगे...अगली सरकार हमारी बनी तो भी विपक्ष रहेगा...मतलब विपक्ष...होगा।

शताब्दी के महानगर ने कहा-मैं मुम्बई में रहता हूं, पर मेरा मन यहांआपके बीच है। शताब्दी की महानायिका मंच पर आई तो लोगों ने पहली बार मुंह खोला, एक ही आवाज आई ‘ठुमका लगाओ, ठुमका’ महानायिका ने ठुमके लगाए।

हेलीकॉप्टर वापस लौट रहा है। अन्दर की तरफ शान्ति है। प्रधानमंत्रीमंत्रिमंडल और विपक्ष के लोग खुलकर पूरी-पूरी सांसें ले रहे हैं। हेलीकॉप्टर के अन्दर की हवा पूरी तरह स्वस्थ और सुरक्षित है।

धर्माचार्यो ने बहुत मेहनत की है। वे सभी बढ़ती उम्र और बढ़ते वजन के कारण अब इतना भी नहीं कर पाते। वे पीछे की सीटों पर सो रहे हैं।

युवा संसद विश्वसुन्दरी और शताब्दी की महानायिका से ठिठोलिया कर रहे हैं। महानायक अपना हैट मुंह पर रखे सो रहे हैं।

हेलीकाप्टर हवा से बातें कर रहा हूं।

पत्रकार और मीडिया के लोग मंत्रियों से अपने रिश्ते पक्के करने में जूटे हैं।

विश्वसुन्दरी और शताब्दी की महानायिका ने हेलीकाप्टर की खिड़की से बाहर देखा और बोली-वो क्या है वो पत्थर कैसे लगे हैं। युवा सांसद की आंख कमजोर है, वह देख नहीं पाया।

‘‘क्या है कुछ नहीं।’’

‘‘नहीं नहीं...वो देखो।’’

दूसरी युवा सांसद बोला-पहाड़ है।’’

‘‘नहीं-नहीं वह पहाड़ नहीं है।’’ विश्वसुन्दरी ने कहा।

‘‘फिर क्या है’ युवा सांसद ने पूछा।

अभिनेत्री ने पास बैठे एक अधेड़ उम्र राजनेता से पूछा और वह उछल कर खिड़की पर आ गया।

‘‘वो उधर पत्थरों जैसा क्या है कब्रिस्तान जैसा लगता है।’’ विश्व सुन्दरी ने पूछा।

‘‘नहीं-नहीं, कब्रिस्तान नहीं है।’’

‘‘पत्थर बिलकुल वैसे ही लगे हैं जैसे कब्रों के ऊपर लगाते हैं।’’ विश्व सुन्दरी ने कहा।

‘‘नहीं...शिलान्यास के पत्थर हैं।’’

‘‘क्या मतलब’

‘‘हम यहां पचास स्कूल खोलेंगे...दस अस्पताल बनाएंगे...पांच सुपर मॉल खोले जाएंगे...बीस पुल बनाए जाएंगे...पन्द्रह सडकें तैयार होंगी...पांच कॉलोनियां बसाई जाएंगी...ये उन सब योजनाओं के शिलान्यास के पत्थर है।’’

‘‘ओ यू मीन फाउंडेशन स्टोन हैं।’’

‘‘हां हां...वही।’’

‘‘और उधर क्या है...उधर’ विश्व सुन्दरी ने दूसरी तरफ इशारा किया।

‘‘उधर...उधर पिछले चुनाव में किए गए शिलान्यास हैं।

‘‘और उस तरफ’

‘‘उससे पहले वाले चुनाव में...’’

‘‘और उधर...बहुत से पत्थर जो दिखाई पड़ रहे हैं।’’

‘‘मैडल वो पत्थर नहीं हैं...आदमी हैं।’’

‘‘आदमी...यू मीन पीपुल

‘‘जी हां।’’

‘‘पर पत्थर जैसे लगते हैं।’’

‘‘शिलान्यासों की पूजा करते-करते पत्थर हो गए होंगे।’’ एक युवा सांसद ने कहा।

‘‘नहीं नहीं...अभी इन्हीं लोगों ने तो तालियां बजाई थीं।’’ वरिष्ठ नेता बोला।

‘‘लेकिन लोग यहां से पत्थर क्यों लग रहे हैं’ विश्व सुन्दरी ने पूछा।

वरिष्ठ नेता कुछ देर तक सोचता रहा, फिर बोला, ‘‘यही उन्हें देखने की सही जगह है...’’वह उठकर अपनी सीट पर बैठ गया।

पूरा मंत्रिमंडल, पूरी सासंद, पूरा विपक्ष पत्थरों के ऊपर उड़ता रहा और पत्थर उनके स्वागत में अपने हाथ हिलाते रहे।

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रचनाकार: असगर वजाहत की कहानी - यहाँ से देश को देखो
असगर वजाहत की कहानी - यहाँ से देश को देखो
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