अप्रैल फूल डे / प्रमोद यादव एक विदेशी युवक और युवती एक दिन भारत-दर्शन करते-करते मेरे कस्बे को कृतार्थ करने आ धमके तो मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ ...
अप्रैल फूल डे / प्रमोद यादव
एक विदेशी युवक और युवती एक दिन भारत-दर्शन करते-करते मेरे कस्बे को कृतार्थ करने आ धमके तो मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि मेरे अंगने में इनका क्या काम ?मैंने पूछा-‘ यहाँ कैसे ’ तो उसने बताया कि तीन महीने का टूर है... लालकिला, जंतर-मंतर, कुतुबमीनार, ताजमहल, चारमीनार,गेटवे आफ इण्डिया...आदि देखते-देखते..घूमते-घूमते..शहर दर शहर भटकते थोडा आराम करने के मूड में कस्बे आ गए..सुना है कि भारत गावों का देश है और गावों में जो सुख-शान्ति मिलती है..वह कहीं नहीं मिलती..अब क़स्बा क्रास करके ही तो गाँव जायेंगे न.. फिर थोडा रुककर बोले-‘ इधर आसपास कोई देखने लायक चीज है क्या ? ‘
मैंने कहा- ‘ हाँ..है...और वो चीज मैं हूँ..’
‘ आपमें ऐसा क्या है जो दर्शनीय हैं ? ’ उसने सवाल किया.
‘ मैं लम्बे समय से यहाँ के लोगों को मूर्ख बनाते आ रहा हूँ..और लोग हैं कि आज भी चुनाव में मुझे वोट कर संसद भेज देते है..उस पर तुर्रा यह कि पिछले बीस सालों से सत्ता में हूँ.. सरकार किसी भी पार्टी की बने.. मेरा उसमें मंत्री बनना तय रहता है.. ‘
‘ अच्छा..तो आप दल-बदलू हैं ?’
‘ नहीं... दल-बदलू नहीं..दिल-बदलू हूँ..जहां और जिस पार्टी से दिल जुड़ने को कहता है, जुड़ जाता हूँ..सामने वाला ( पार्टी ) जानते-बूझते भी मूर्ख बनने तैयार है तो मुझे क्या उज्र ?’
‘ हाँ..मैंने सुना है कि आपके यहाँ बारहों महीने “ अप्रैल-फूल डे “ मनाने का रिवाज है..बाकी दुनिया केवल एक दिन एक अप्रैल को इसे मनाकर छक जाती है पर हिन्दुस्तान के बाशिंदे बारहों महीना मनाते नहीं छकते..गजब का स्टेमिना है लोगों का.. आप सब को नमन करता हूँ..’
‘ हाँ..आपने ठीक सुना है..एक अप्रैल को छोड़ सारे दिन हम “ अप्रैल-फूल डे “ मनाते हैं..’
‘ एक अप्रैल से भला क्या एलर्जी है जो इसे छोड़ देते है ?’ उसने आश्चर्य व्यक्त किया.
‘ अब एक दिन तो आप लोगों के लिए भी छोड़ना पडेगा न..इस दिन आप सब एक दूजे को मूर्ख बना संतुष्ट हो लेते हैं..हमारे लोग तो जड़ तक संतुष्टि चाहते है..इसलिए साल भर इस सिलसिले को चलाते है..एक-दूसरे को बेवकूफ बनाते है...नेता जनता को झूठे वायदे कर मूर्ख बनाता है..ठेकेदार घटिया सामग्री उपयोग कर शहर को बेवकूफ बनाता है..सरकारी आदमी रिश्वत खाकर ही काम (मजाक) करता है..दूधवाला दूध में पानी मिलाकर मूर्ख बनाता है..दुकानदार बट्टे मारकर बट्टा लगाता है..मतलब कि मूर्ख बनने-बनाने का खेल अनवरत चलते रहता है.. “ अप्रैल-फूल डे “ यहाँ बारहमासी है..’
‘ वेरी गुड...सचमुच आप लोगों ने काफी तरक्की की है..हमारे लोग तो पागलपन की हद तक इतने व्यस्त रहते हैं कि उन्हें कुछ याद भी नहीं रहता..कभी-कभी तो लोग देर रात काम कर घर लौटते हैं तो सुबह ही उन्हें मालूम पड़ता है कि पूरी रात गलत घर, गलत बिस्तर और गलत बीबी के साथ गुजार दिए..’
मैंने तुरंत टोका- ‘ ऐसे में तो रोज ही हंगामा होता होगा..’
‘ नो...नो..कोई हंगामा नहीं होता..सब के साथ ऐसा होते रहता है..चुपचाप लोग बहुत ही सौम्यता के साथ “सारी” बोल निकल जाते हैं..हमारे यहाँ सब झगड़ों की एक ही दवा है-“सारी”
मारो-पीटो और “सारी” बोल दो...लड़ाई ख़तम..हमारे कोर्ट भी इसलिए ही बड़े फ़ास्ट हैं..यहाँ की तरह तारीख पे तारीख... तारीख पे तारीख नहीं करते ...बस जज पूछता है-आपने इसके पेट में छूरा घोंपा..अपने बचाव में कुछ कहना हो तो कहो...और अपराधी केवल एक शब्द “सारी” भर बोलता है और जज तुरंत उसके रिहाई के आदेश दे देता है...’
‘ अच्छा दोस्त..वेरी वेरी सारी..मैं ये पूछना तो भूल ही गया कि आपके साथ जो “मेम” हैं वो आपकी गर्लफ्रेंड है या आपकी वाईफ है ? ‘ गोरी मेम को देख उससे पूछा.
‘ नहीं डियर..न गर्लफ्रेंड है न ही वाईफ...पहले तो विचार था कि वाइफ के साथ टूर करू..पर एक दोस्त ने सलाह दी कि क्यों कचरा करते हो..किसी गर्लफ्रेंड के साथ जाओ तो जिंदगी का मजा है..बीबी साथ होगी तो रास्ते भर केवल हिसाब-किताब ही करती रहेगी..तो क्या खाक मजा करोगे ? इसलिए एक गर्लफ्रेंड को आफर किया था पर समय पर वह एरोड्रम नहीं पहुंची..एकाएक ये दिख गई..इनसे पूछा तो बोली कनाडा जाना है..मैंने कहा-मेरे साथ दो महीने घूमकर चल देना..और ये मान गई..अभी-अभी मुझे मालूम हुआ है कि ये मेरे बचपन के एक दोस्त की बीबी है.. उसकी शादी में नहीं जा सका था इसलिए पहचान न सका. वैसे मैंने दोस्त को बता दिया है कि उसकी बीबी फिलहाल मेरे साथ टूर पर है...’
मैंने कटाक्ष करते कहा- ‘ मान गए यार..एक अप्रैल तो कल है पर आप विगत दो महीनों से अपने दोस्त को मूर्ख बना रहे है..उनकी बीबी के साथ ऐश कर रहे हैं..’
‘ नहीं मित्र...ऐसा मत कहिये..हम मूर्ख बनाते हैं तो बनते भी हैं.. कल ही मेरे इस दोस्त ने फोन कर बताया कि वह भाभीजी ( मेरी वाईफ )को लेकर बैंकाक-यात्रा पर है..उसने ये भी कहा है कि अगले महीने की पंद्रह तारीख को मिस्त्र के पिरामिड के पास मिलेंगे और अदला-बदली कर लेंगे..’
‘ सचमुच यार...तुम विदेशी लोग बड़े जीनियस होते हो..हम तो कामवाली बाई को सिनेमा भी नहीं ले जा सकते और तुम लोग दूसरे की बीबी को बड़े हौले से वर्ल्ड टूर करा ले आते हो.. कल एक अप्रैल है..कल का क्या प्रोग्राम है..किसे मूर्ख बनाने का इरादा है?’
‘ कल तो अपने इस दोस्त को ही बेवकूफ बनायेंगे..कहेंगे कि उसकी बीबी माँ बनने वाली है..हास्पिटल में एडमिट है..देखना फिर..क्या मजा आता है..’
‘ अच्छा दोस्त...तो फिर कल मिलते हैं..”आल फूल्स डे “ की हार्दिक बधाईयाँ..’
दूसरे दिन – सुबह-सुबह उनसे मिलने लाज गया तो वह काफी परेशान दिखा . पूछा तो बताया कि अभी कुछ देर पहले ही उसके दोस्त ने अपनी बीबी को “तलाक” का मेसेज भेजा है और कहा है कि मेरी वाईफ के साथ वह कोर्ट-मैरिज करने जा रहा है..मेरी वाईफ ने भी मुझे “तलाक” का मेसेज भेजने कहा है..’
‘ नहीं दोस्त..वे आपको अप्रैल फूल बना रहे हैं..इसे सीरियसली न ले..आपने उन्हें बनाया तो वे भी दस्तूर निभा रहे हैं..’ मैंने समझाने की कोशिश की.
‘ वो तो ठीक है दोस्त..पर अगर यह मजाक न हुआ तो ? ‘उसने प्रश्न दागा.
‘ तो से क्या तात्पर्य है..अप्रैल फूल है तो मजाक ही होगा..’ मैंने सान्तवना दी.
‘ ऐसी स्थिति में आप मेरी जगह होते तो क्या करते ? ‘ उसने फिर एक सवाल दागा.
मैंने जवाब दिया- ‘ आपकी जगह मैं होता तो कतई परेशान न होता और टूर जारी रखता..बल्कि अपने कैलेण्डर से एक अप्रैल को ही गायब कर देता.. लोग इस दिन मजाक के मूड में अपने दिल की बात कहते है.. जवानी के दिनों में एक बार एक सुन्दर लड़की को “ आई लव यूं “ बोला तो उसने भी बड़ी शिद्दत से पलटकर “ आई टू “ कह दिया..मैं परेशां हो गया.. रात भर सो न सका..दूसरे दिन जब उससे मुखातिब हुआ तो बोली- कल एक अप्रैल था बुद्धू ..तुमने तो मजाक नहीं किया होगा..पर मैंने किया.. .बुरा मत मानना..अब तो समझ गए होंगे कि क्या कहना चाहता हूँ..’
‘ हाँ दोस्त ..समझ गया..मुझे टूर जारी रखना चाहिए.. अपने कैलेण्डर से एक अप्रैल को विलोपित का देना चाहिए..और आप लोगों की तरह बारहों महीने अप्रैल फूल डे मनाना चाहिए..सलाह के लिए शुक्रिया .. चलता हूँ..नमस्ते..’
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-प्रमोद यादव
गया नगर, दुर्ग, छत्तीसगढ़
सुंदर रचना...
जवाब देंहटाएंआपने लिखा....
मैंने भी पढ़ा...
हमारा प्रयास हैं कि इसे सभी पढ़ें...
इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना...
दिनांक 03/04/ 2014 की
नयी पुरानी हलचल [हिंदी ब्लौग का एकमंच] पर कुछ पंखतियों के साथ लिंक की जा रही है...
आप भी आना...औरों को बतलाना...हलचल में और भी बहुत कुछ है...
हलचल में सभी का स्वागत है...
श्री कुलदीप जी , धन्यवाद..मैंने अवलोकन किया..बढ़िया लगा..पुनः आभार..प्रमोद यादव
हटाएंबहुत खूब नमस्ते !
जवाब देंहटाएंश्री जोशीजी...शुक्रिया..प्रमोद यादव
हटाएंVery good satire.
जवाब देंहटाएंThank you dear...Pramod Yadav
हटाएंapril fool ki aad lekar apane dil ki baat kah di.
जवाब देंहटाएंश्री रावतजी, साठ प्लस के बाद कोई क्या दिल की बात कहे..टिपण्णी के लिए शुक्रिया..
हटाएंWritten excellently
जवाब देंहटाएंThank you....Pramod Yadav
हटाएंप्रमोद जो आप वाकई जीनियस हो अप्रैल फूल पर
जवाब देंहटाएंमजेदार व्यंग प्रस्तुत किया है बधाई
ब्लॉग-चिठ्ठा को हार्दिक धन्यवाद ..अभी मैंने अवलोकन नहीं किया है..जल्द ही देखूँगा..पुनः..आभार...प्रमोद यादव
जवाब देंहटाएंश्री अखिलेशजी..इस टिपण्णी का शुक्रिया..वैसे जीनियस-विनियस कुछ नहीं हूँ..बस यूं ही लिख लेता हूँ..आपका- प्रमोद यादव
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