1. आंसू बन जाते हैं फूल मिल जाये अगर अपने किसी हमदर्द का कान्धा- तो यह बहते आंसू भी फूल बन जाते हैं , जब पोंछता है कोई आंसू अपने प्यार ...
1.
आंसू बन जाते हैं फूल
मिल जाये अगर अपने किसी हमदर्द का कान्धा-
तो यह बहते आंसू भी फूल बन जाते हैं ,
जब पोंछता है कोई आंसू अपने प्यार भरे हाथों से-
तो यह आंसू भी जैसे मोती बन जाते हैं,
कितने खुशनसीब है वोह जिन्हें जब दर्द मिला तो हमदर्द मिला-
जैसे किस्मत का फूल मुरझाने से पहले ही खिला ,
किसी का गम लेकर उसे ख़ुशी दे दो, सच्चा उपकार यही है-
जो देते हो वही मिलता है, जीवन का पुरस्कार यही है.
आपकी खुशियाँ आपके हाथ हैं, सबकी दुआएं लो और आबाद रहो-
ना दो किसी को दुःख, न किसी की 'हाय' लगे,जीवन में नाबाद रहो,
परोपकार करने वालो का सदा प्रभु भी साथ देता है,
जो बढ़ाता है हाथ सहयोग का, उस के सर पर प्रभु का हाथ रहता है,
2. इक 'आसरा' सब का,
उठाना खुद ही पड़ता है थका टूटा बदन अपना
कि जब तक सांस चलती है कोई कान्धा नहीं देता,
न रिश्ते में न यारी में कोई उम्मीद बाकी है
यहाँ मर मर के जीते हैं कोई हौसला नहीं देता,
जहाँ भी देखता हूँ मैं कि बस मतलब कि दुनिया है
किसी हमदर्द का अब कोई नामो निशां नहीं दिखता,
जले जो घर किसी का तो तमाशा देखते है लोग,
बचाते जान सब अपनी कोई रास्ता नहीं देता,
न मिलती चैन की घड़ियाँ, न मिलता हैं सकून दिल को
यह कैसी है तड़प दिल में कोई हमदम नहीं मिलता,
प्रभु को याद रख बन्दे तो तेरा कुछ न बिगड़ेगा,
यही इक 'आसरा' सब का, जो कभी धोखा नहीं देता,
3.
अनमोल मोती
यह आंसू नहीं अनमोल मोती हैं,
इन्हे ऐसे कभी भी लुटाया नहीं जाता,
इनमें छिपे होते हैं ना जाने कितने राज़,
इन्हे हर एक शख्स से जताया नहीं जाता
कितने अरमान सुलगते हैं तो बनते हैं आंसू,
इनसे अपना दामन भिगोया नहीं जाता,
इन्हे ऐसे कभी भी लुटाया नहीं जाता,
कितने जलते हैं दिल ,तो पनपते हैं आंसू ,
कभी यादों कि खातिर, झूठे वादों कि खातिर,
प्यासी आँखों में कैसे उभर आते हैं आंसू,
इन्हे यूंही व्यर्थ गिराया नहीं जाता,
इन्हे ऐसे धूल में मिलाया नहीं जाता,
यह आंसू नहीं अनमोल मोती हैं,
इन्हे ऐसे कभी भी लुटाया नहीं जाता,
जिन्हे आंसूओं कि न पह्चान कोई,
वह आँखे जो किसी के लिए कभी ना रोई,
नहीं जिनको अहसास किसी दिल के दर्द का,
नहीं जिसको इल्म कभी किसी के मर्ज़ का,
ऐसे पत्थर पे आंसू बहाया नहीं जाता ,
यह आंसू नहीं अनमोल मोती हैं,
इन्हे ऐसे किसी पे लुटाया नहीं जाता,
मेरे प्रभु किसी के आँखों में आंसू न देना,
दुःख आये तो सहने कि शक्ति भी देना,
बिन प्रभु के सहारे जीवन जिया नहीं जाता,
उसकी रज़ा के बिना तो पत्ता नहीं हिलता ,
ऐसे प्रभु शरण में बस ध्यान लगाना चाहिए,
उसकी हर एक रज़ा में शुक्र मनाना चाहिए,
सौंप दे उसको सब कुछ ,तेरा कुछ नहीं जाता,
उसके आशीष से मिलता है सब्र का खज़ाना,
इसे बे गैरतों पे लुटाया नहीं जाता ,
यह आंसू नहीं अनमोल मोती हैं,
इन्हे ऐसे किसी पे लुटाया नहीं जाता,-
4.
अरमानों का खून हो रहा, संस्कारों की जल गई होली,
जिसको देखो भूल गया है, अदब शिष्टाचार की बोली,
सच्चाई की जेब कटी है, झूठ फरेब की भर रही झोली,
नेक कमाई वाला भूखा , मौज मस्ती में चोरो की टोली,
कैसे हो कल्याण देश का हर कुर्सी पर तने स्वार्थी
कर्त्तव्यों और मर्यादा की सबने उठा रक्खी है अर्थी
जनसेवा को दरकिनार कर करते है सब अपनी मर्ज़ी,
केस भी झूठे गवाह भी झूठे, सारी प्रक्रिया ही फर्जी,
सडकों पे है खून बिखरता और बोतल में बिकता पानी,
कोठे अब सुनसान हो रहे, कोठियों में बिक रही जवानी
दिन में चोरी रात में डाका , हर अखबार में यही कहानी
मंहगाई में पिस रही जनता ,हुकमरान करते मनमानी,
जागो देश की जनता जागो, तुमको है अब आगे बढ़ना
भ्रष्ट को कोई स्थान न देना, सभा में उसको मान न देना ,
वोट के बदले नोट न लेना, अहम् पे कोई चोट न सहना,
सब मिलजुल कर काम करे, यह देश बने दुनिया का गहना,
5. बचपन
बीते हुए बचपन का साथ, ज़िन्दगी भर नहीं छूटता .
बचपन की यादों का सिलसिला, ता उम्र नहीं टूटता ,
अब भी दिल मचल उठता है, उस चाँद को पा लेने को,
बचपन की छुपा छुपी में जो बादलो में जाकर था छिपता।
यही एक ऐसा प्यार का खज़ाना है, जिसे समय भी नहीं लूटता
जीवन के हर मोड़ पर यह साथ रहता है, कभी उम्र से नहीं रूठता
पाठशाला की यादें छूट जाती हैं, विद्यालय में,
हाई स्कूल की यादें भूल जाती हैं, कॉलेज में,
कॉलेज के दिन रह जाते हैं पीछे, यूनिवर्सिटी में
कुछ उलझ जाते है एम् बी ऐ ,कुछ पी एच् डी में।
पर नहीं भूलता ताउम्र तो बस वह माँ का पहला पाठ ,
एक दूनी दो, दो दूनी चार, तीन दूनी छह ,चार दूनी आठ ,
जवानी के दिन बीत ने लगे प्यार में तकरार में,
कुछ सिनेमा हाल , कुछ माल में, कुछ बाज़ार में,
कुछ नूड्ल्स, कुछ बरगर, कुछ आईस क्रीम खाने में,
कुछ यार दोस्तों की गपशप में कुछ आपसी छेड़खानी मे।
पर नहीं भूलती ताउम्र तो बस, स्कूल की आधी छुट्टी,
जब हम चूसते थे लाल पीली गोली, कुछ मीठी कुछ खट्टी .
सच बीते हुए बचपन का साथ, ज़िन्दगी भर नहीं छूटता
बचपन की यादों का सिलसिला, ता उम्र नहीं टूटता ,
6.
मेरे दिल में एक छोटा सा बच्चा है .......
जो सोचता रहता है तुम्हे
,
एक शरारत की तरह .........
कुछ बीती हुई यादों की तरह
कुछ संग संग की हुई
,
तूं तूँ मैं मैं बातों की तरह,
हर पल लगता है ऐसे
,
जैसे अपना बचपन लौट आया है,
कभी लगता है कि वोह प्यार
,
फिर से दिल में उमड़ आया है,
पर अब तो बस यादें हैं
,
और इन दूरियों में जीना है,
फिर भी यह ज़िन्दगी का ऐसा एक मधु रस है,
जिसे हम सब ने सारी उम्र पीना है
7.
होली है,
आओ मिल कर खेलें होली ,रंग बिरंगी प्यारी होली,
प्यार और इकरार की होली, मस्तीऔर बहार की होली।
साली को भी इंतज़ार है ,कब जीजा रंग लगाएगा ,
चंदू करता इंतज़ार कब भोला भंग पिलाएगा,
देवर लेकर के पिचकारी ,भाभी पीछे भागा है,
देर से उठने वाला पप्पू सुबह सुबह ही जागा है ;
कहीं है बर्फी कहीं हैं लड्डू ,कोई गुजिया का मतवाला है,
आज कहीं कोई गैर नहींहै , हर कोई दिल वाला है ,
यारों की टोली ने भी देखो घर घर धूम मचाई है,
नयी नवेली दुल्हन सी ,चन्द चाची शरमाई है,
शर्मा वर्मा राजू सोनू, रंग रंगीले झूम रहे हैं,
नटखट बच्चे ले गुब्बारे बचने वालों पर टूट रहे हैं,
आओ ऐसे खेले होली-
जैसे कृषण राधा की होली,
जैसे ग्वाल गोपीयों की होली,
रंग अबीर गुलाल की होली,
धमाल और धूम मचाती होली,
होली को न हुड दंग बनाओ,
प्यार से सबको गले लगाओ,
सभी ग़मों को भूल के यारो,
होली में अपना रंग जमाओ ,
आओ साथियों घर से निकलो, आई होली की टोली है,
रंग में कोई भंग न डालो, बुरा ना मानो होली है,
8.
जीजा साली
जब से उन्होंने प्यार से हमें पुकारा- जीजाजी,
अपना तो जग उठा नसीब , और मचल गया जी,
फेस बुक पर उनकी फोटो देख कर मन मुस्काया ,
यार दोस्तों को हमने अपनी साली जी का फोटो दिखाया,
सबने मुझको देकर बधाई,
कहा --वiह वiह क्या किस्मत है पाई,
साली महिमा का सब करने लगे बखान ,
साली से होली खेलने का करने लगे गुणगान ,
एक सिरफिरे दोस्त ने तो बातो में हद कर डाली,
बोला अरे भाई साली यानि ‘आधी घर वाली’,
मैं उनकी बातें सुन कर मन ही मन मुस्काया ,
उन की इस नादानी का मैंने मजाक उड़ाया ,
मैंने समझाया--
साली जीजा के प्यारे रिश्ते का अपना ही एक रंग है,
इस रिश्ते को निभाने का भी एक प्यारा सा ढंग है,
हर कन्या बचपन में ‘देवी माँ’ का रूप होती है,
फिर बेटी बहन और पत्नी के रूप में सुख का प्रतिरूप होती है,
मौसी बुआ चाची मामी साली अदि उसके अनेक रूप हैं,
मुझे तो हर नारी में एक 'माँ'के स्वरुप का आभास होता है,
उम्र के अनुसार हर नारी को -बेटी, बहन या माँ समझ कर -
आदर ,सम्मान और प्यार देना--
यही मेरा ह्रदय से प्रयास होता है,
9.
कैसे भूल गया ईश्वर को, फंस कर माया जाल में,
पढ़ लिख कर तुम बड़े हुए ,पर पड़ गए किस जंजाल में,
कैसे भूल गया ईश्वर को फंस कर माया जाल में,
माँ संग सिमरन किया प्रभु का, जब तुम छोटे बच्चे थे,
जब तुम छोटे बच्चे थे,तब मन के कितने सच्चे थे,
ऊंची शिक्षा पा कर क्यों तुम, भूल गए आदर्शो को,
ऊंची कुर्सी बैठ भूल गए, हर मानव के सुख दुःख को.
अपने ओहदे को लेकर तुम मन ही मन इतराते हो,
अपनी हवस मिटाने को कितने असहाय सताते हो,
पढ़ लिख कर अफसर हो गए ,पड़ गए लालच की चाल में,
कैसे भूल गया ईश्वर को फंस कर माया जाल में,
माँ की नसीहत पिता की शिक्षा, भूल गए हो तुम सब कुछ ,
बिना उनकी आशीष से कैसे, इस जीवन में पाओगे सुख,
माँ के चरणों में स्वर्ग बसा है,यह बात सदा तुम रखना याद,
यहाँ तक तुझे पहुँचाने में, माँ बाप ने किये जीवन में कितने त्याग,
पदवी पाकर फ़र्ज़ न भूलो, यह कहते हम हैं विश्वास से,
पढ़ लिख कर तुम बड़े हुए ,पर पड़ गए किस जंजाल में,
कैसे भूल गया ईश्वर को फंस कर माया जाल में,--
10
लड़की का सत्य
लड़की का लड़की होना ही, बन जाता है कभी उसका कसूर,
और कभी तो गर्भ का अंदर, ही कहलाती है वह नासूर,
जन्म मिला किस्मत से तो, उस पर भी प्रतिबंध भरपूर,
गृह कार्य में व्यस्त रहो, और कभी न जाओ घर से दूर,
हिम्मत कर के जब लड़की, जीवन में करती है कुछ खास,
फिर भी उस से रखते है सब, अपने मतलब की इक आस,
मिलता नहीं जीवन में समर्थन ,इसका उसको सदा ही दुःख है ,
अभी भी पुरुषों की नीयत में, बस नारी केवल शारीरिक सुख है,
फिर कुछ ऐसी नज़रें हैं जो करती रहती हैं उसका उपहास,
जैसे उसका जीवन केवल, पुरुषो के लिए दैनिक परिहास,
कभी न समझना उसको बराबर, देना हीन भावना का आभास
सोचो गर नारी न हो तो , फिर इस जीवन में क्या होगा पास,
लड़की जब है प्यारी कन्या, तब उसकी पूजा करते हैं सब,
फिर क्यों उसके बालिग होने पर, शील रूप नहीं रखतें है हम,
लड़की बेटी बहन और पत्नी रूप में कितना सुख देती है,
फिर सृष्टि की संचालक बन ,मां का रूप भी धर लेती है,
आओ मिल कर करें प्रतिज्ञा, नारी का सम्मान करेंगे ,
कभी न हो नारी का शोषण, मिल कर ऐसा काम करेंगे,
नारी से ही घर की शोभा, नारी ही है हर घर की इज्ज़त,
नारी को पूज्य नज़रों से देखो, चमकेगी हम सबकी किस्मत.
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जय प्रकाश भाटिया
JAI PRAKASH BHATIA
HIG 480. JAMALPUR COLONY
FOCAL POINT,
LUDHIANA-141010
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