आग्नेय परिवार (आस्ट्रो-एशियाटिक) की भारतीय भाषाएँ प्रोफेसर महावीर सरन जैन आग्नेय (आस्ट्रो-एशियाटिक भाषा-परिवार) इस परिवार की भाषाएँ ...
आग्नेय परिवार (आस्ट्रो-एशियाटिक) की भारतीय भाषाएँ
प्रोफेसर महावीर सरन जैन
आग्नेय (आस्ट्रो-एशियाटिक भाषा-परिवार)
इस परिवार की भाषाएँ भारत से वियतनाम तक के भूभाग में यत्र तत्र बोली जाती हैं। इसकी तीन शाखाएँ हैं:
1.वियत-मुआँग शाखा
2. मान-ख्मेर शाखा
3. भारतीय शाखा
विशेष अध्ययन के लिए द्रष्टव्यः
https://en.wikipedia.org/wiki/Austric_languages
1. Nagaraja, K.S.: Khasi - A Descriptive Analysis. (Deccan College Post-graduate Research Institute, Poona, (1985))
2. Roberts, H.: A grammar of the Khasi language for the use of schools, native students, officers and English residents. (Kegan Paul, Trench, Trübner, London, (1891))
3 .Khasi - A language of India in Ethnologue (Languages of the World (16th. Edition), editor: M. Paul)
4. Khasi - A language of India in Ethnologue (Languages of the World (16th. Edition), editor: M. Paul)
5. Pryse, William. : An Introduction to the Khasi Language. (1855)
6.. Radhakrishnan, R.: The Nan cowry Word: Phonology, Affixed Morphology and Roots of a Nicobarese Language. (Current Inquiry into Language and Linguistics 37. Linguistic Research Inc., P.O. Box 5677, Station 'L', Edmonton, Alberta, Canada, T6C 4G1. (1981))
7. Gregory D S Anderson (ed.): Munda Languages. (Routledge Language Family Series. 3. Routledge. (2008))]
इस परिवार की भाषाओं को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता हैः
भारतीय आग्नेय परिवार की भाषाओं का वर्गीकरणः
भारत में इस परिवार की तीन शाखाओं की भाषाएं बोली जाती हैं। इस परिवार की सभी भाषाओं के बोलने वालों की संख्या का प्रतिशत भारत की जनसंख्या में एक प्रतिशत से कुछ अधिक (1․13) है। इस परिवार की भारतीय शाखाओं के नाम हैः
1, खासी शाखा
2, निकोबारी शाखा
3. अन्य भाषाएँ (प्रधान भाषा – मुंडा)
टिप्पणियाँ -
1. खासी शाखा की प्रमुख भाषा ‘खासी' मेघालय में खासी जनजाति तथा जयन्तिया पर्वतीय क्षेत्र में रहने वाले लोगों के द्वारा बोली जाती है। नागराज ने खासी भाषा का भाषा-वैज्ञानिक विवेचन किया है। मेघालय की प्रमुख जमजातियाँ खासी एवं गारो हैं। इन जनजातियों के द्वारा बोली जानो वाली भाषाओं के नाम भी खासी एवं गारो हैं। खासी का केन्द्र शिलांग है जो मेघालय की राजधानी है तथा गारो का केन्द्र तूरा है। यह रेखांकित करने योग्य तथ्य है कि ये दोनों भाषाएँ भिन्न-भिन्न भाषा-परिवारों की भाषाएँ हैं। खासी आग्नेय-परिवार की भाषा है तो गारो तिब्बत-बर्मी भाषा-परिवार के बोदो-वर्ग की भाषा है। भिन्न-भिन्न भाषा-परिवारों की भाषाएँ होने के बावजूद इन दोनों भाषाओं के बोलने वाली जनजातियों में सांस्कृतिक सामनताएँ मिलती हैं। दोनों जनजातियाँ मातृ-सत्तात्मक हैं। दोनों जनजातियों में सांस्कृतिक आदान—प्रदान भी होता होगा। भाषावैज्ञानिकों को खासी एवं गारो भाषाओं का तुलनात्मक अध्ययन करना चाहिए जिससे इन दोनों भाषाओं के साम्य एवं वैषम्य की सही सही जानकारी प्राप्त हो सके तथा भाषिक तत्वों के आदान प्रदान का वैज्ञानिक अध्ययन सम्पन्न हो सके।
खासी की प्रमुख बोलियाँ निम्न हैं –
(1) सिनतेङ (2) लिङम (3) वार (4) भोई (5) जयन्तिया
2. निकोबारी शाखा की मातृभाषाएं (भाषा का नाम- निकोबारी) निकोबार द्वीप समूह के जनजाति के लोगों के द्वारा बोली जाती है। निकोबारी शाखा की मगतृभाषाएँ भारत के संघ शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप के निकोबार जिले में रहने वाली निकोबारी जनजातियों के समूह के द्वारा बोली जाती है। निकोबार शब्द मलय भाषा से आगत है जिसका अर्थ होता है नग्न लोगों की भूमि। निकोबारी की लगभग 6 उपभाषाएँ हैं जिनमें सबसे प्रमुख कार (Car) है जो निकोबार के कार द्वीप में बोली जाती है। निकोबारी को कुछ विद्वान वियतनामी अथवा ख्मेर से जोड़कर देखना चाहते हैं किन्तु इस भाषा की रूपिम संरचनाओं के आधार पर इसको आस्ट्रो-एशियाटिक भाषा-परिवार के अन्तर्गत रखना ही तर्क संगत है। कार VOS भाषा है अर्थात् इसकी वाक्य संरचना क्रिया + कर्म + कर्ता के क्रम से है। इसकी रूपिम -व्यवस्थाएँ एवं वाक्य -- संरचनाएँ काफी जटिल हैं। इसकी प्रत्यय प्रणाली में क्रिया बनाने के लिए धातु के बाद पर-प्रत्ययों के साथ-साथ धातु के बीच में मध्य प्रत्ययों (infixes) का भी प्रयोग होता है। संज्ञा रूपों एवं सर्वनाम रूपों के सम्बंध कारक की रचना एवं प्रश्नवाचक वाक्यों की रचना भी काफी जटिल है।
3. इस परिवार की तीसरी शाखा की भाषाएं पश्चिम बंगाल, झारखण्ड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, उत्तराखण्ड एवं तमिलनाडु के जनजाति के लोगों के द्वारा बोली जाती हैं। इस शाखा की भाषाओं को ‘मुंडा उपपरिवार’ की भाषाओं के नाम से वर्गीकृत किया जाता है। इसको उत्तरी मुंडा एवं दक्षिणी मुंडा में विभाजित किया जाता है।
उत्तरी मुंडाः इसको को भी दो उपवर्गों में बाँटा जा सकता है। एक उपवर्ग की प्रधान भाषा कोरकू तथा दूसरे उपवर्ग की भाषा संताली है। इस उपवर्ग की अन्य भाषाओं में मुंडारी एवं हो प्रमुख हैं। संताली परिगणित सूची की भाषा है। इसके बोलने वालों की संख्या आग्नेय अथवा आस्ट्रो-एशियाटिक परिवार की भारतीय भाषाओं में सर्वाधिक है। संताली भारत के बाहर बांग्लादेश, भूटान और नेपाल में भी बोली जाती है। भारत में यह झारखंड, बिहार, असम, ओडिशा, पश्चिम-बंगाल और त्रिपुरा राज्यों में बोली जाती है। भाषिक दृष्टि से यह हो और मुंडारी के निकट है। इसकी ध्वनि-व्यवस्था लगभग हिन्दी की भाँति ही है। इसमें स् श्, ष् में से केवल स् ध्वनि का ही प्रयोग होता है। इसकी दूसरी विशेषता यह है कि इसमें संध्यक्षरों का प्रयोग बहुत होता है। हिन्दी एवं अन्य आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं की भाँति इसकी वाक्य संरचना भी SOV है। इसमें भी कर्ता + कर्म + क्रिया का क्रम है। इसकी रूपिम-व्यवस्था की विशेषता यह है कि इसमें संस्कृत की भाँति तीन वचन तथा तीन लिंग है। वाक्य में क्रिया की काल, पक्ष एवं वृत्ति की रूप रचना कर्ता के पुरुष और वचन के अनुरूप होती है। इसको इस भाषा के सर्वनामों की रूप रचना के उदाहरण से समझा जा सकता है। सर्वनामों में मूल प्रातिपदिक के बाद लगने वाले विभक्ति प्रत्ययों को वचन और पुरुष के अनुरूप उदाहरण के लिए इस प्रकार प्रदर्शित कर सकते हैं –
एक वचन | द्वि वचन | बहु वचन | |
1. उत्तम पुरुष | - ञ् - ɲ | - लिञ् - -liɲ | - ले |
2. मध्य पुरुष | - म् - m | - बेन | - पे |
3. अन्य पुरुष | - ए - e | - किन | - को |
(ख)दक्षिणी मुंडाः इसकी प्रधान भाषाएँ मुंडा, सवर/सोरा एवं खडि़या/खरिया हैं।
भारतीय आग्नेय परिवार की भाषाओं का विवरणः
(क) परिगणित –
क्रम सं0 | भाषा का नाम | भाषा के बोलने वालों की संख्या | प्रमुख राज्य / राज्यों के नाम |
1. | संथाली /संताली | 8,216,325 | झारखण्ड, बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल |
(ख) अपरिगणित | |||
2. | भूमिज | 45,302 | ओड़िशा, झारखंड, पश्चिम-बंगाल, |
3. | गदबा | 28,158 | ओड़िशा, आंध्र-प्रदेश |
4. | हो | 949,216 | झारखंड, ओड़िशा |
5. | जुआङ | 16,858 | ओड़िशा |
6. | खड़िया/ खरिया | 225,556 | झारखंड, ओड़िशा, छत्तीसगढ़ + |
7. | खासी | 912,283 | मेघालय, असम |
8. | कोडा / कोरा | 28,200 | पश्चिम-बंगाल |
9. | कोरकू/ कुर्कूwZ /कोर्कू | 466,073 | मध्य-प्रदेश, महाराष्ट्र |
10. | कोरवा / कोरबा | 27,485 | छत्तीसगढ़ |
11. | मुंडा | 413,894 | ओड़िशा, असम, पश्चिम-बंगाल |
12. | मुंडारी | 861,378 | बिहार, झारखण्ड, उड़ीसा |
13. | निकोबारी | 26,261 | अण्डमान एवं निकोबार द्वीप समूह |
14. | सवर / सोरा | 273,168 | ओड़िशा, आंध्र-प्रदेश |
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प्रोफेसर महावीर सरन जैन
सेवा निवृत्त निदेशक, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान
123, हरि एन्कलेव, बुलन्द शहर – 203 001
855 DE ANZA COURT
MILPITAS C A 95035 – 4504 (U. S. A.)
भारतीय आग्नेय परिवार की भाषाओं/ बोलियों के बारे में यह आलेख काफी जानकारियाँ देता है| इस अध्ययन को आगे बढाने से इन भाषाओं का प्रसार बढ़ सकता है|
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