विनीता शुक्ला की कहानी - घंटियाँ

SHARE:

घंटियाँ - विनीता शुक्ला आज रंजिनी की पहली पुण्यतिथि थी. मयंक ने भारी ह्रदय से उसकी तस्वीर पर पुष्पमाला अर्पित की. तस्वीर को निहारते हुए, ...

clip_image0026

घंटियाँ
- विनीता शुक्ला

आज रंजिनी की पहली पुण्यतिथि थी. मयंक ने भारी ह्रदय से उसकी तस्वीर पर पुष्पमाला अर्पित की. तस्वीर को निहारते हुए, एक मार्मिक मुस्कान, उनके होठों पर उतर आई. रंजिनी- उनकी सहधर्मिणी, बहुत जल्दी ही, काल कवलित हो गयी! आज वह जीवित भी होती तो क्या जी पाती... सही अर्थों में?!! शायद नहीं!!! रंजिनी की स्मृतियाँ, मयंक को जकड़ने ही वाली थीं... इसी से वे - खुद को संभालते हुए; घर से निकल पड़े. इस घर की हर दरोदीवार में, रंजिनी का एहसास बसा था. वहां रहकर, उस दुःख से पार पाना, असम्भव था. फिर मंदिर जाकर, पत्नी के नाम पर दान भी तो करना था.

मंदिर की औपचारिकता निपटाकर, वे वहीं सीढियों पर सुस्ताने बैठ गये. उनके कुछ मित्र भी उधर आ गये थे. उन सबसे बातचीत करके, मयंकसेन का मन कुछ हल्का हुआ. तब उन्हें बच्चों की याद आई. बेटी- बेटा दोनों ही शहर के बाहर थे. मोबाईल निकाला और सबसे पहले बेटी को फोन मिलाया- वर्किंग लेडीज हॉस्टल में. पता चला, वो पहले ही ऑफिस के लिए निकल चुकी थी. उसके नाम सन्देश छोड़कर फिर बेटे को कॉल किया. बेटा बोर्डिंग में रहकर पढ़ रहा था. फिलहाल कोई जरूरी क्लास अटेंड कर रहा था- सो वह भी फोन पर न आ सका. ऐसे में मयंक न चाहते हुए, अनचाही यादों की गिरफ्त में आ गये.

वह वीभत्स दृश्य, पुनः उनके मनोमस्तिष्क पर छा गया. रस्सी के फंदे से झूलती हुई, रंजिनी की मृत देह! साइड टेबल पर पडा हुआ सुसाइड नोट; जिसमें लिखा था- “माफ़ करना मयंक. मैं जा रही हूँ, तुम्हें छोड़कर!! गुनाहगार हूँ अपनी बच्ची की...कोई हक नहीं मुझे जीने का!!!” विचारमग्न मयंकसेन, घंटियों के स्वर से चौंक पड़े. वह स्वर, जो लगातार उसकी चेतना को कचोट रहा था... भक्तजनो की एक टोली, उन घंटियों को हिलाकर देवालय की ड्योढ़ी लांघ रही थी. मधुर घंटिका- नाद, सुरम्य वातावरण में एक संगीत सा घोलने लगा. धूपबत्ती की सुगंधि, किरणों के जाल से छन- छनकर, चहुँ- ओर फ़ैलने लगी. इन्द्रियों को अभिभूत कर देने वाला, पावन मंत्रोच्चार भी था वहाँ.

कुल मिलाकर, एक अद्भुत अनुभव! पर मयंकसेन को कुछ भी नहीं सुहा रहा. अतीत के कुछ बिखरे हुए पल, सायास ही सजीव हो उठे. अन्तस् में कोई छवि उतर आई थी...दो चोटियों वाली एक चुलबुली सी लड़की... पुजारी बाबा की सलोनी बेटी- श्यामा. भावयुक्त स्वरों में भजन गाती हुई, मंजीरे बजाकर झूमती हुई. संसार का कलुष छू तक नहीं गया था उसे. श्यामा की भोली अदाएं उन्हें उकसा गयीं थीं उन्हें...तरुणाई का ज्वार उफान मारने लगता था, उसे देखकर...और तब- तब मंदिर की घंटियों और मन में बजने वाली घंटियों के स्वर, एकाकार हो जाते! मयंक ने स्वयम को सचेत किया. यह वो क्या सोच रहे थे- पत्नी की पुण्यतिथि पर!!

एक विचित्र सा अपराधबोध उन्हें घेरने लगा. रंजिनी को भी तो, अपराधबोध ही निगल गया. मयंक चाहकर भी उससे उबर न सके. जिद करके रंजिनी ने ही, अपने भतीजे विशाल को वहां बुलाया था; ताकि पति की भागदौड़ कुछ कम हो सके. ऑफिस के कामों के साथ उन्हें, रुशाली के साथ भी, खटना पड़ता. उनकी मंदबुद्धि बेटी- रुशाली! उधर बाकी दोनों बच्चों की देखभाल से, रंजिनी फुर्सत न पाती. रुशाली जैसे जैसे बड़ी होती जा रही थी, समस्याएं विकराल से विकरालतर बन चली थीं. वह जब तब, अपने सात वर्षीय भाई पर हाथ उठा लेती या बिलावजह जोर जोर से चिल्लाती. कभी मासिक धर्म का पैड ही निकाल कर फेंक देती. देह से पन्द्रह वर्षीय युवा लड़की, पर दिमाग एक छोटे बच्चे से भी बदतर! कईयों ने सुझाया कि वे लोग रुशाली को वनिता भवन भेज दें. वहां कमअकल लड़कियों की देखभाल और शिक्षा आदि की सुविधा थी. परन्तु ऐसा करना, उन्हें अपने रक्तसम्बन्ध को नकारने जैसा लगा. उनकी नासमझ लड़की, और अनजान लोगों के बीच अकेली- यह भला कैसे स्वीकारते मां- बाप!!

हारकर विशाल को बुला लिया गया. गाँव में रहने वाला विशाल. गरीब माता– पिता का मेहनती बेटा. दूर के रिश्ते में रंजिनी का भतीजा. १७ वर्षीय विशाल, निर्धनता के चलते, हाई स्कूल से आगे न पढ़ सका था. सेन दम्पति ने उसे डिस्टेंट- एजुकेशन के जरिये, शिक्षा उपलब्ध कराने का वादा किया. प्रति माह उसे पैसे भी मिलते, जो वह अपने अभिभावकों को भेज दिया करता. बदले में उसे, रुशाली की सुरक्षा का काम सौंपा गया. घर में आने वाले पुरुषों जैसे ड्राइवर, धोबी, माली यहाँ तक कि मेहमानों की कुदृष्टि से भी, उस अबोध को बचाकर रखना था. रुशाली को बाहर घूमना पसंद था; पर इस दौरान, आस पास मंडराने वाले, शोहदों का भी डर रहता. विशाल ने मयंक फूफा को, उनके इन दायित्वों से मुक्त कर दिया.

दो-एक साल तक सब कुछ अच्छा चला. रुशाली के लिए विशाल, एक जिम्मेदार भाई साबित हुआ था. इस बीच तीन महीने के लिए, वह गाँव चला गया. वहां उसके किसी आत्मीय मित्र का ब्याह था. लेकिन किसे पता था कि हवा के साथ साथ, विशाल की नीयत भी बदल जायेगी! उसके लम्पट साथियों ने, इन तीन महीनों में, उसे न जाने कौन सी पट्टी पढ़ा दी. और रंजिनी ने एक दिन, विशाल और रुशाली को, ऐसी अवस्था में देखा कि...!! वह कुकर्मी पहले भी, उनकी बेटी के साथ, क्या क्या करता रहा होगा!!! वर्तमान से भाग न पाने की विवशता में, अनजाने ही मयंक बीते पलों को जीने लगते और फिर एक बार, अन्तस् में घंटिका- नाद गूँज उठता ....रह रहकर! लेकिन अब, मंदिर की घंटियों और मन में बजने वाली घंटियों के साथ साथ, एक चीख भी सुनाई देती. उस मासूम, निश्छल श्यामा की चीख!! ...मानों उनकी अपनी रुशाली का ही आर्तनाद!!!

नादान रुशाली ने विरोध भी नहीं किया. तभी तो नौबत गर्भपात तक आ पहुंची ....इस धक्के से रंजिनी बिलकुल टूट गयी थी. विशाल को पुलिस में देने से बात खुल जाती इसलिए प्रतिशोध भी न ले सकी ...उस रात चुपके से, खुद ही भाग गया था वो नराधम!!!!! ग्लानि से रंजिनी पल पल मरने लगी. रंजिनी की विक्षिप्तता और रुशाली का बढ़ता हुआ हिंसक रवैय्या... बात- बेबात पर पिशाचिनी सा हंसना; उस हंसी में हठात, कोई और हंसी घुल जाती- गाँव की एक पगली के, ह्र्दयविदारक ठहाके! पुजारी बाबा के वह वचन, “जानता हूँ तुम गाँव से बाहर क्यों जा रहे हो- तुम्हारे हाथों ही श्यामा का सर्वनाश हुआ है...अब तक कमलकांत जी के अनुदान से ही मन्दिर चलता रहा. वे एक अच्छे इंसान हैं...उनका दिया ही मैं और मेरा परिवार खाते हैं- इसी से चाहकर भी...!”आगे वे बोल न सके- उनका गला रुंध जो गया था!!

कमलकांत जी -उस लड़के के पिता; जिनके एहसान तले दबकर, पुजारी ने अपना मुंह सी लिया. पर स्वयम लड़का , अपने कुकृत्य के जाल से निकल न सका. पीडिता की चीख, उसे रोज; सौ सौ लानत भेजती! वह खुद न समझ पाया कि आखिर क्यों और किस तरह वह श्यामा का सर्वनाश कर सका... क्या यह श्यामा का दोष था कि उसने, उसके प्रेमालाप को गलत ठहराया?! इस हादसे के बाद श्यामा चुप रहने लगी और धीरे धीरे उसका मानसिक संतुलन खो गया. विधुर पुजारी सत्यरूप को तो डॉक्टर मासी से ही, अपनी बेटी की दुर्दशा का कारण ज्ञात हुआ. अपने अपराधी को देखते ही वह, विक्षिप्त हो जाती. जोरों से हंसती चिल्लाती- उसकी पीड़ा मुखर होकर, किसी अदृश्य कटघरे में- उस दोषी को खडा कर देती. पुजारी जी से भी यह छुपा न रह सका. बिना बताये ही वह समझ गये कि इस सबका जिम्मेदार कौन था. किन्तु क्या करते? कमलकान्त यह सुनकर, मौत से पहले ही मर जाते... ह्र्दयरोगी जो ठहरे! लड़के को सजा दिलाकर, उस देवतास्वरूप व्यक्ति का; जीना ही मोहाल कर देते सत्यरूप.

पुजारी बाबा ने उसे सजा तो नहीं दिलवाई पर उनके टूटे हुए दिल से, वह श्राप अवश्य निकला, “ईश्वर करे, तुम भी एक ऐसी लडकी के बाप बनो जिसे...” एक मजबूर बाप की हाय तो उसे लगनी ही थी आखिर!!! उसने काम ही ऐसा किया था !! मंदिर के पिछवाड़े, फूल चुन रही थी श्यामा. उसे दबोचकर, मुंह बंद करते हुए...दूर घसीट ले गया वह...उस दिन घंटियों की मधुर ध्वनि, वहशियत में खो गयी थी कहीं! सत्यरूप विस्मित थे. बिटिया आरती के पुष्प लेकर आई नहीं. शायद फूलों की तलाश में, दूर चली गयी हो...आरती का मुहूर्त निकला जा रहा था, सो उन्होंने पूजा प्रारम्भ कर दी. घंटे घडियालों के शोर में, एक अबला की चीत्कार, गुम होती चली गयी.

मयंकसेन के नेत्रों के कोर गीले हो गये... श्यामा की कुगति का कारण, और कोई नहीं...वह खुद थे ! उन्होंने उसे पागल बनाया और ऊपरवाले ने उन्हें, सजा के तौर पर; एक पागल बेटी ही दे दी! रुशाली के पास वनिता भवन जाने का, वे साहस नहीं जुटा पा रहे थे. उसके अट्टहास में मानों, श्यामा का स्वर गूंजने लगता... भक्तो का भक्ति भरा उन्माद, मयंक को, उनके विचारों से बाहर खींच लाया. सामूहिक भजन- कीर्तन और आरती की ध्वनि..... देह सिहर सी गयी!. घंटे – घडियालों की गर्जना, असहनीय होती जा रही थी!! उन्होंने कानों को, जोर से मूँद लिया. उन लम्हों में, जैसे डूबने लगी हो कायनात... सुन्न सी धड़कने...रोम- रोम सहमा हुआ. फिर धीरे से उठे मयंक, वहां से जाने को. आरती के स्वर मौन हो चले...घंटियाँ थम गयी; पर अभी भी, अवचेतन में, उनका शोर गूँज रहा था!!!

--

रचनाकार परिचय :

नाम- विनीता शुक्ला

शिक्षा – बी. एस. सी., बी. एड. (कानपुर विश्वविद्यालय)

परास्नातक- फल संरक्षण एवं तकनीक (एफ. पी. सी. आई., लखनऊ)

अतिरिक्त योग्यता- कम्प्यूटर एप्लीकेशंस में ऑनर्स डिप्लोमा (एन. आई. आई. टी., लखनऊ)

कार्य अनुभव-

१- सेंट फ्रांसिस, अनपरा में कुछ वर्षों तक अध्यापन कार्य

२- आकाशवाणी कोच्चि के लिए अनुवाद कार्य

सम्प्रति- सदस्य, अभिव्यक्ति साहित्यिक संस्था, लखनऊ

 

प्रकाशित रचनाएँ-

१- प्रथम कथा संग्रह’ अपने अपने मरुस्थल’( सन २००६) के लिए उ. प्र. हिंदी संस्थान के ‘पं. बद्री प्रसाद शिंगलू पुरस्कार’ से सम्मानित

२- ‘अभिव्यक्ति’ के कथा संकलनों ‘पत्तियों से छनती धूप’(सन २००४), ‘परिक्रमा’(सन २००७), ‘आरोह’(सन २००९) तथा प्रवाह(सन २०१०) में कहानियां प्रकाशित

३- लखनऊ से निकलने वाली पत्रिकाओं ‘नामान्तर’(अप्रैल २००५) एवं राष्ट्रधर्म (फरवरी २००७)में कहानियां प्रकाशित

४- झांसी से निकलने वाले दैनिक पत्र ‘राष्ट्रबोध’ के ‘०७-०१-०५’ तथा ‘०४-०४-०५’ के अंकों में रचनाएँ प्रकाशित

५- द्वितीय कथा संकलन ‘नागफनी’ का, मार्च २०१० में, लोकार्पण सम्पन्न

६- ‘वनिता’ के अप्रैल २०१० के अंक में कहानी प्रकाशित

७- ‘मेरी सहेली’ के एक्स्ट्रा इशू, २०१० में कहानी ‘पराभव’ प्रकाशित

८- कहानी ‘पराभव’ के लिए सांत्वना पुरस्कार

९- २६-१-‘१२ को हिंदी साहित्य सम्मेलन ‘तेजपुर’ में लोकार्पित पत्रिका ‘उषा ज्योति’ में रचना प्रकाशित

१०- ‘ओपन बुक्स ऑनलाइन’ में सितम्बर माह(२०१२) की, सर्वश्रेष्ठ रचना का पुरस्कार

११- ‘मेरी सहेली’ पत्रिका के अक्टूबर(२०१२) एवं जनवरी (२०१३) अंकों में कहानियाँ प्रकाशित

१२- ‘दैनिक जागरण’ में, नियमित (जागरण जंक्शन वाले) ब्लॉगों का प्रकाशन

१३- ‘गृहशोभा’ के जून प्रथम(२०१३) अंक में कहानी प्रकाशित

१४- ‘वनिता’ के जून(२०१३) और दिसम्बर (२०१३) अंकों में कहानियाँ प्रकाशित

COMMENTS

BLOGGER: 6
  1. सच ही कहा गया है खुद की करनी इसी जन्म में फलित हो जाती है ।

    जवाब देंहटाएं
  2. अखिलेश चन्द्र श्रीवास्तव1:54 pm

    बहुत प्रभावशाली मनोवाज्ञानिक प्रस्तुति जो विनीता जी की कहानी लिखने में विशेष प्रतिभा को रेखांकितकरतीहै
    हमारी बहुत बहुत बधाई और आशीर्वाद

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत बहुत धन्यवाद सुशील जी एवं अखिलेश जी.

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत बहुत धन्यवाद सुशील जी एवं अखिलेश जी.

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बहुत धन्यवाद, सुशील जी एवं अखिलेश जी.

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: विनीता शुक्ला की कहानी - घंटियाँ
विनीता शुक्ला की कहानी - घंटियाँ
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi_A3EEvagF6yLafgV2yBCc5sOk-n-eC_KLoIjeNDzcVGwPJm8xuU5gd3KZzlRVrsHher95VNwQtuB_xbcufROZx8LxayRdE4wxLfPpLZcn-ftkcu_DZy_OYtpStkBzcjgdI27j/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi_A3EEvagF6yLafgV2yBCc5sOk-n-eC_KLoIjeNDzcVGwPJm8xuU5gd3KZzlRVrsHher95VNwQtuB_xbcufROZx8LxayRdE4wxLfPpLZcn-ftkcu_DZy_OYtpStkBzcjgdI27j/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2014/02/blog-post_9015.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2014/02/blog-post_9015.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content