सौमित्र केल्विन ने चित्र बनाना अधूरा छोड़ दिया । उसने पैड का मटमैला काग़ज़ फाड़ा और सामने खड़ी लड़की को पकड़ा दिया। लड़की ने देखा। चित्र ...
सौमित्र
केल्विन ने चित्र बनाना अधूरा छोड़ दिया। उसने पैड का मटमैला काग़ज़ फाड़ा और सामने खड़ी लड़की को पकड़ा दिया। लड़की ने देखा। चित्र पूरा नहीं बना था। उसकी आँखें, बाल, चेहरे की रूपरेखा बहुत महीन तरीके से स्पष्ट थी, पर होंठ, नाक, और गर्दन का बहुत हिस्सा बाक़ी था। उसने कुछ मुँह बनाया। फिर भी काग़ज़ की तह बना के उसने अपने पर्स में रख ली। केल्विन ने चिरपरिचित मुस्कान दी। उसकी आँखों के गड्ढों में झील बन गई थी और उसमें उसकी उम्र गीली होकर हिल रही थी। वो भी हँसा। बालों में पचासों सूत की रस्सियों सी चोटियाँ और भूरे बड़े-बड़े होठ हिले। जैकेट के भीतर की देह दहली और दक्षिणी लहजे की अंग्रेजी में बोला-
मैम सॉरी।
गौटा गो।
उसने अपनी पेन्सिलें एक बार फिर उछालीं आकाश में। उँगलियाँ मचलाने का खेल किया और सी यू बोल के अपनी व्हीलचेयर से पहिए घुमाने लगा। अब उसे जल्दी से घर पहुँचना था।
भूमिगत रेलवे प्लेटफार्म पर वो अकेला नहीं अपनी कला दिखाता था। उससे दो बेंच छोड़ के एक अश्वेत लड़की गिटार बजाके गाना गाती थी और कोई आठ-दस बेंच छोड़ के एक गोरा बूढ़ा ड्रम बजाता था। सबके पास गत्ते का एक-एक डिब्बा रहता था। जो मुसाफिर रेल का इंतज़ार करने के लिए वहाँ रहते थे वो इनके चारों तरफ़ घेरा लगा लेते थे। फिर उनका गाना-बजाना सुनकर एक-एक डॉलर डिब्बे में डाले देते। क्योंकि वो कुल मिला के अच्छा काम दिखाते इसलिए कभी-कभी ज़्यादा भी मिल जाता था। आज गोरा बूढ़ा जॉन केल्विन के पास आया था। उसकी दाढ़ी बहुत लम्बी थी। कान के पास सन जैसे सफ़ेद बाल पर सिर एकदम गुलाबी गंजा। वो भारी गर्म जैकेट, जीन्स और स्पोटॅ्स शू पहने हुए था। सब में काले मैल के र्चिी थे और एक अजीब सी हींक। उसके पास एक सेलफोन था जिसमें संदेश आया था केल्विन के लिए। केल्विन
उस समय चित्र बना रहा था। उसकी आँखों में सामने खड़ी लड़की की रूपरेखा एक बार देखने पर ही बस गई थी। अब उसे लोगों का मनोरंजन करने के लिए अपनी पेन्सिलें उछाल-उछाल कर ऐसा दिखाना था जैसे तो बहुत बड़ा चित्रकार है साथ ही सरकस का बाज़ीगर भी है। जॉन से बात करने के बाद वो वैसे ही निश्चिंत मुस्कुराया पर उसे काम बंद करना ही पड़ा। वोबिना पैसे लिए चल पड़ा। सीढि़यों के पास आकर उसने एलिवेटर का बटन दबाया। विकलांगों के लिए खास बनी एलिवेटर में वो पिछले 23-24 साल से चढ़ उतर रहा था। दरवाज़ा खुलते ही उसकी मेकेनिकल ह्नीलचेयर चैम्बर के अंदर आ जाती और स्ट्रीट लेबल का बटन दबा देता। एलिवेटर से बाहर निकलने के बाद वो धीरे-धीरे स्टेशन का गलियारा पार करके स्ट्रीट लेबल पे आ जाता।
आज बहुत ठंड थी। शिकागो डाउन टाउन में सुबह बर्फ़ पड़ने से फिसलन बहुत हो गई थी। जैसे ही केल्विन आगे बढ़ा। एक बर्फीली हवा का झोंका उससे टकराया। उसकी पुरानी जैकेट के भीतर एकाएक ठण्ड सुलगी। चेहरा कटकटाया। वो फिर मुस्कुराया और बस स्टाप पे जाके ठहर गया। उसे अपने घर पहुँचने के लिए दो बस बदलनी पड़ती कुल सत्रह मील का रास्ता। डेड घण्टे का समय। बस के इंतज़ार के वक़्त उसके माथे पर चिन्ता के कुछ र्चिी दिखाई दिए। वो उसकी खुशमिजाजी के रक्षाकवच तोड के भीतर चले आए थे। उसने भीतर जेब से एक नकली क्यूबन सिगार निकाला और दाँतों के बीच भींच के उसे रख लिया। फिर लाइटर निकाल के उसमें चिंगारी दे दी। जब बस आई तो ड्राइवर ने सीढि़यों के पास का प्लेटफार्म ज़मीन के स्तर तक समतल कर दिया। केल्विन ऊपर चढ़ा फिर ड्राइवर ने सीढि़यों के पास का प्लेटफार्म फिर ऊपर कर लिया। केल्विन अपनी व्हीलचेयर लेकर सामने की जगह में स्थित हो गया और एक खास बेल्ट से उसने व्हीलचेयर को बस के एक एंगल से बाँध दिया। सिगार फूँकते-फूँकते उसे नींद आ गई।
जोनाथन आज फिर पकड़ा गया था। उसका पकड़ा जाना कोई नई बात नहीं थी। वो एक बार एक स्टोर से घड़ी उठाके भागा था। एक ढाई सौ पौंड का अश्वेत गार्ड उस पर बिल्ले की तरह झपटा था। गुंथम-गुत्था में गार्ड की कमीज चिर गई थी और जोनाथन की ठुड्डी फर्श पर टकराकर लहूलुहान हो गई थी। उससे बच भागने की बहुत कोशिश की थी पर दो और गार्डों ने आकर उसको और कसके दबोच लिया था। पुलिस ने उसे 5-6 दिन रखा फिर छोड़ दिया। वो 21 साल का था साढ़े-छः फुट का अश्वेत नौजवान। भरी काली देह। लोहे के तवे सा सख़्त सपाट चेहरा और लाल आँखें।
आज वो फिर पकड़ा गया था। टेलर स्ट्रीट पर एक सुनसान गली में उसने एक आदमी को लूटने की कोशिश की थी। वो नशे में धुत्त था। उसने अपने हमउम्र साथी अजाको के साथ घेरा था उसको। वो आदमी पहले तो अकड़कर कहता रहा कि आई डोन्ट हैव मनी फिर भयभीत होकर भागने लगा। जोनाथन ने पिस्तौल निकाली और उस भागती हुई देह पे गोली दाग दी। आदमी वहीं चिल्लाता हुआ ढेर हो गया। नीचे ज़मीन पर उसकी देह फुटपाथ पे जमी बर्फ़ के ढेर से टकराई और धँस गई। अजाको भाग के उसका बटुआ निकाल लाया और दोनों भागने लगे। पुलिस के सायरन की आवाज़ हुई और जोनाथन लड़खड़ाके सड़क पर गिर पड़ा।
केल्विन जब अपनी स्ट्रीट पहुँचा तो अंधेरा हो चला था। उसका घर स्टाप से पास था। वो एक पुराने ढंग की बिल्डिंग थी जिसमें शायद बहुत से कमरे थे। ठण्ड के बावजूद से लोग बाहर थे। ये अश्वेत अफ्रीकी-अमेरिकी लोगों का इलाका था। प्रशासन इस एरिया को ‘प्रोटैक्ट एरिया' कहके बुलाता था। एक प्रोजैक्ट के तहत इन ग़रीबी रेखा से नीचे बसर करने वाले अश्वेतों को यहाँ बसाया गया था। केल्विन के घर में बारह लोग थे। वो, उसकी बीवी और दस बच्चे। 14 से 30 साल तक की उम्र के बच्चे। दो कमरों के इस घर में वो ठुँसे-से पड़े पड़े रहते। हीटिंग का इंतजाम बिल्डिंग में बहुत गया-बीता था तो दोनों कमरों में बिजली से चलने वाला हीटर हमेशा चलता रहता। गर्मियाँ कट जाती थीं पर सर्दियों में हमेशा कुछ समय के लिए विन्टर होम में जाना पड़ता। प्रशासन की गाडि़याँ भर-भर के इनको वहाँ ले जाती थीं। सर्दी में हाइपोथर्मीया से मरने से बचाने का यही तरीका था।
केल्विन जब घर में घुसा तब सब कुद सामान्य था। छः में से सिर्फ़ तीन लड़के घर में थे। और चार में से दो लड़कियाँ। सब अपनी-अपनी जैकेट पहने कारपेट पर पड़े हुए कुछ न कुछ कर रहे थे। बाथरूम से निकलकर आते ही बीवी थैरिसा केल्विन पे ज़ोर से चिल्लाई- ‘मदरफकर शोट अ गाय! ही इस इन विद कौप्स। दे विल बीट हिम टू डैथ।'
बच्चों में से कोई नहीं हिला। थेरिसा के गाउन और उसकी जैकेट में उसकी देह बिलबिलाई और वो वहीं कारपेट पे बैठ गयी। आज बहुत कुछ हुआ था। सुबह बिल कलेक्टर से तू-तू मैं-मैं हुई थी वो धमकी दे रहा था कि अगर बिल न दिया तो बिजली काट देंगे। लड़की टैरा को फिर एन्जाइना का पेन उठा था और वो काउन्टी अस्पताल में भरती थी। सबसे बड़े लड़के को जो डाउन टाउन में होम लेस वेटेरन का बोर्ड लगाकर भीख माँगता था आज पुलिस वालों ने पकड़कर नहीं था। इस सबसे ऊपर जोनाथन ने गोली चलाकर उस आदमी को लूटने की कोशिश की। थेरेसा दो एक बार और चिल्लाके कारपेट पे लेट गई थी। उसके हाथ पैर काँप रहे थे। पूरी उम्र उसने यही सब झगड़ा-लूटपाट ग़रीबी देखी थी। उसके दुखी होने की भी सीमा थी। उसने लेटे लेटे ही गले में पड़ा क्रॉस पकड़ लिया और शायद सो गई। केल्विन धीरे से व्हीलचेयर से उतरा और वहीं पास बैठ गया। उसके चेहरे पर चिरपरिचित मुस्कान लौट आई। मन हुआ उँगलियाँ हवा में उछाल के नचा दे और पेन्सिल को खींचकर कोई चित्र बना दे। पर वो रुक गया।
महीना भर होने को आया। आज फिर केल्विन अपनी जगह उसी भूमिगत रेलवे स्टेशन के प्लेफार्म पर किसी राहगीर का चित्र बना रहा था। उसके परिवार को विन्टर होम में इस साल फिर जाना पड़ा। कड़ाके की ठण्ड में रहना नामुमकिन हो गया था। उसके चारों तरफ़ मोटे-मोटे ओवरकोट, टोपियाँ, दस्ताने पहने लोग टहल रहे थे। जॉन के ड्रम की रिदम ने दूर-दूर तक फर्श को अनुनादित कर लिया था। और वो अश्वेत लड़की जो सुबह से गाके अब थक गई थी चुपचाप अपने पैसे गिन रही थी। केल्विन ने मुसाफिर को पैड का काग़ज़ निकाल के दिया और बदले में दो डॉलर लेकर चलने लगा। होम में खाना जल्दी बँट जाता था। रात में बीफ स्टेक्स बँटते थे जो बहुत स्वादिष्ट होते थे। स्टेक्स का स्वाद उसके मुँह में घुल रहा था। उसे आज भी जाने की जल्दी थी हालाँकि जॉन के सेलफोन पर आज घर से कोई संदेश नहीं आया था।
810, साउथ क्लिंटन स्ट्रीट
शिकागो-60607 यू․एस․ए․
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