शशिकांत सिंह 'शशि' का व्यंग्य

SHARE:

बड़े साहब की मीटिंग व्यंग्य विद्यालय में सनसनी फैली थी। बड़े साहब आने वाले हैं। ज्ञान के अपरिमित भंडार हैं। नियमों के तो ऐसे पक्के कि जहां भी ...

बड़े साहब की मीटिंग

व्यंग्य

विद्यालय में सनसनी फैली थी। बड़े साहब आने वाले हैं। ज्ञान के अपरिमित भंडार हैं। नियमों के तो ऐसे पक्के कि जहां भी चले जायें, दो चार को सस्पेंड कर ही डालते हैं। संसार का कोई भी ऐसा विषय नहीं जिसका उन्हें सम्पूर्ण ज्ञान नहीं हो। अंग्रेजी तो पानी की तरह बोलते हैं। रसायन शास्त्र का ज्ञान तो उन्हें बचपन से ही है। जीव विज्ञान और भौतिकी उन्हें देखकर ही सहम जाते हैं। इतिहास- भूगोल बेचारे तो दुम दबाये कोने में खड़े रहते हैं। गणित उनके बायें हाथ का खेल है नींद में भी दो चार समस्याएं हल कर देते हैं। हां हिन्दी कुछ कमजोर है। क्यों ? क्योंकि साहब ने इधर ध्यान ही नहीं दिया। नहीं तो दिनकर और निराला उनके सामने पानी भरते नज़र आते। तुलसी दास से भी बड़ी रामकथा अब तक उन्होंने लिख मारी होती। खेल-कूद के क्षेत्र में तो उनके ज्ञान की ऊँचाई और गहराई की माप संभव ही नहीं। घ्यानचंद से लेकर ब्रेडमैन तक पर आधिकारिक बयान दे सकते हैं। इन सबसे बढ़कर साहब की रूचि है संगीत में। मियां तानसेन अगर आज जिंदा होते तो अपना तंबुरा उनके चरणों में रखकर शागीर्द हो जाते। बैजुबावरा को तो शायद शागीर्द भी नहीं बनाते। अल्ला राखा और गुलाम अली तो तरसते रह गये साहब ने उनको मुंह नहीं लगाया। शिक्षा विभाग का सौभाग्य देखिये कि इतना महान मानव अधिकारी बन गया। उससे भी बड़ा सौभाग्य इस विद्यालय का कि साहब पधारने वाले हैं।

बातों का बाजार जितना गर्म हो सकता था उससे ज्यादा ही गर्म था। आखिरकार साहब आ गये। विद्यालय में सन्नाटा छा गया। शिक्षकों को सांप सूंघ गया। पता नहीं किस बात पर साहब उखड़ जायें। डांट खानी पड़ जाये। हालांकि सच्चा शिक्षक वही है जो निरंतर डांट खाये फिर भी मुस्कराये। कभी छात्र उसकी इज्जत उतारें। कभी अभिभावक उसकी मुंछ के बाल नोंच दे। प्राचार्य का तो पहला और अंतिम कर्त्तव्य ही है, शिक्षकों की पूंछ में पटाखा बांधना। अधिकारी के लिए तो शिक्षक भैंस की तरह है। जब चाहे सवारी गांठ ले। जब चाहे दूह ले। चारा देना हो तो दे नहीं तो बेचारा क्या कर लेगा। तो साहब आ गये। आते ही उन्होंने कहा-

-" सबसे पहले मीटिंग होगी बाकी बातें बाद में। "

सभा कक्ष में धड़कते हृदय की आवाजें सुनी जा सकती थीं। मास्टर हाथ बांधे कुर्सियों से चिपके पड़े थे। सामने एक टेबुल पर कपड़ा बिछाकर उसके ऊपर एक गुलदान रख दिया गया था। गुलदान के बगल में दो पानी के बोतल थे जिसमें पानी ही था। औंधे मुंह उल्टे दो गिलास भी थे जिन्हें साहब के आने के बाद चपरासी सीधा करने वाला था। दीवार पर टंगी घड़ी की आवाज जो आमतौर पर टिक-टिक करती है मगर उस दिन टन्न-टन्न कर रही थी। सुईयां भाग नहीं रही थीं। तमाशा देखने के लिए मानो खड़ी थीं। तभी साहब कक्ष में पधार गये। साथ में विद्वान प्राचार्य। शिक्षकों ने खड़े होकर स्वागत किया। साहब के बैठने के बाद सब लोग बैठ गये। अचानक साहब मुस्कराये। अरे यह क्या ! साहब मुस्कराते भी हैं !! आँखों का भ्रम तो नहीं है ? साहब फिर मुस्कराये। नहीं दो बार भ्रम नहीं हो सकता। पक्की बात है कि साहब ही मुस्कराये। मास्टर भी मुस्कराये। प्राचार्य जोर से मुस्काराये। उन्होंने एक संक्षिप्त स्वागत भाषण भी दिया। तभी बड़े साहब ने कहा-

-" तो आज की मीटिंग शुरू करते हैं। मेरे पास समय की कमी रहती है। आज तो और भी कमी है। दस विद्यालयों में मीटिंग लेकर आ रहा हूं। अभी तेरह विद्यालयों में मीटिंग लेने जाना हैं। मैं तो आने वाला नहीं था लेकिन अचानक सोचा कि आपके विद्यालय को भी देख लेते हैं। आपके प्राचार्य का आग्रह भी था। हम तो विद्या से प्रेम करते हैं। उठते-बैठते , सोते-जगते , खाते-पीते मुझे तो विद्या के ही ख्याल आते हैं। यहां आने का मूल कारण भी मीटिंग नहीं हैं बल्कि विद्या ही है। तो मित्रों की आज की मीटिंग शुरू करते हैं। मीटिंग क्या है ? आपस में मिलने का एक अवसर है। आप लोगों को एक मौका मिला है मुझे नजदीक से देखने जानने का मैं इतने मीटिंग लेता हूं फिर भी ऊबता नहीं हूं। आप जानते हैं , मेरी तंदुरूस्ती का राज़ क्या है ? आखिर मैं इस उम्र में भी कैसे फिट हूं ? "

सब लोग एक दूसरे की ओर देखने लगे। क्या बोलें कि साहब को बुरा न लगे। पूरी सभा में सन्नाटा। प्राचार्य भी सोच रहे थे। कहीं कुछ बोले और शिक्षकों के सामने ही चालू हो गया तो ............। फिटनेश का राज़ !! उन्होंने आखिर ऐसी बात कही जो किसी को बुरी नहीं लग सकती। संसार के प्रत्येक आदमी पर लागू होती है। हो सकती है।

-" सर ! कड़ी मेहनत और संयमित जीवन ही आपके फिटनेस का राज़ है। "

प्राचार्य को पूरी आशा थी कि यह तीर खाली नहीं जायेगा। उन्हें दो बिल सैंक्शन करवाने थे। कहीं साहब भड़क गये तो ......। हुआ भी वही बड़े साहब मुस्कराये। मास्टर लोग भी मुस्कराये। सब लोगों ने राहत की सांस ली । चलो फिटनेश का राज़ प्राचार्य ने सही सही बताकर विद्यालय की इज्जत रख ली। पता नहीं किस-किस से पूछता और क्या-क्या बोलता। अचानक बड़े साहब जोर-जोर से हंसने लगे। मास्टर लोग भी हंसने लगे। प्राचार्य भी घबराकर हंसने लगे।

-" यही है मेरी तंदुरूस्ती का राज़। मैं भी जब भी हंसता हूं जोर जोर से हंसता हूं। जिंदगी में मन की सुनता हूं। दिमाग की नहीं। मन करता है तो सोता हूं। मन करता है तो खाता हूं। मेरे जीवन का तो एक ही संदेश है जब तक जीओ सुख से जीओ। सुख बांटते चलो। संसार में और क्या है। तो मीटिंग शुरू करें ? बातों में वक्त खराब मत करें। आइये मीटिंग शुरू करते हैं। हां ....तो आपका क्या नाम है ? आप क्या पढ़ाते हैं ? "

-" जी...कृष्ण कुमार। मैं हिंदी पढ़ाता हूं। "

-" कृष्ण अर्थात काला। मगर आप तो गोरे हैं। "

साहब हो हो करके हंसने लगे। मास्टर लोग भी हंसने लगे। प्राचार्य भी हंसे। अंत में कृष्ण कुमार भी हंसने लगे। उन्हें डर था कि नहीं हंसने पर पता नहीं कहीं बड़े साहब बुरा न मान जाये। कृष्ण कुमार ने आगे बताना शुरू किया -

-" जी.. पिछले साल मेरे विषय में ..............।"

-" अच्छा ! कृष्ण कुमार जी एक बात बताइये। भगवान कृष्ण को किस बात का शौक था ?"

-" जी....बांसुरी बजाने का। "

-" एक तरह से आपकी बात भी सही है लेकिन इस बात का उत्तर यह नहीं है। आप में से कोई बता सकता है कि कृष्ण भगवान को किस बात का शौक था ? "

सभा में एक बार फिर सन्नाटा छा गया। सारे मास्टर प्राचार्य की ओर देखने लगे कि इस संकट से भी वही निकालेंगे। पहली बार भी उनके उत्तर से साहब खुश हो गये थे। कृष्ण कुमार की हालत खराब। बेचारे की नौकरी अभी पर्यवेक्षण में थी। कभी भी जा सकती थी। साहब अगर नाराज हो गये तो ......। उन्होंने एक कोशिश और की।

-" जी......उन्हें गाय पालने का शौक था। "

-" एक तरह से आप सत्य के करीब पहुंच रहे हैं लेकिन यह सत्य का एक ही पहलू है। इस प्रश्न का उत्तर यह नहीं है। गाय पालना एक धंधा है। शौक नहीं है। शौक तब हो तब आदमी एक या दो गाय पाले। उनके पास तो सैकड़ों गायें थीं। यह उनकी मजबूरी थी। उनका शौक तो कुछ और ही था। आप लोग पढ़ते तो हैं लेकिन गौर से नहीं। बहुत ही आसान उत्तर है। कोशिश कीजिये प्राचार्य जी आप भी। "

प्राचार्य हंसने लगे। उनकी हंसी बता रही थी कि उन्हें इस पचड़े से दूर ही रखा जाये तो बेहतर होगा। मन ही मन उन्हें खुशी भी हो रही थी। कृष्ण कुमार को फंसा देखकर उन्हें हार्दिक संतोष हो रहा था। यही शख्स है जो उनकी बातों का जवाब देता है। बड़े बड़े नियम बताता है। बेटा अब बताओ कृष्ण भगवान के शौक। बड़े साहब ने बात को और लंबा न करके , एक ठहाका लगाया और बोले-

-" भई ! कृष्ण भगवान की दही और मक्खन खाने का शौक था। आपको भी है कृष्ण कुमार। दही खाना सेहत के लिए बहुत जरूरी है। यदि आप नहीं खाते है तो खाना चाहिए। आपको पता है कि मुझे भी दही खाने का शौक है। दही वास्तव में एक ऐसा पदार्थ है जिसमें सभी पौष्टिक तत्व पाये जाते हैं। दूध से अधिक पौष्टिकता दही में होती है। बैठो भई कृष्ण कुमार। खड़े मत रहो। थक जाओगे। दही भी तुम खाते नहीं हो। "

मास्टरों के जान में जान आई। प्राचार्य को थोड़ी कम खुशी हुई। उनको लग रहा था कि कृष्ण कुमार को और रगड़ा जायेगा। चीं तो बच्चू बोल ही देगा। मगर ऐसा हुआ नहीं। खैर ! जितना भी हुआ अच्छा हुआ। उन्होंने भी ठहाका लगाया। बड़े साहब को बताना भी चाहते थे कि उन्हें इस प्रश्न का उत्तर आता था लेकिन मास्टरों को आजमाना चाहते थे। इनको भी तो पता चले कि विद्यालय किस पर टिका है। काम के न काज के दुशमन अनाज के। मोटी तन्ख्चाह लेंगे करेंगे कुछ नहीं। एक हम न रहें तो...............। बड़े साहब ने कृष्ण कुमार की बगल में बैठे शिक्षक की ओर देखा -

-" आप ज़रा संक्षेप में अपने शिक्षण और बालकों के विकास पर प्रकाश डालें। समय कम है अभी आज शाम में निकलना भी है। "

-" जी.......मैं रामकुमार सिन्हा , भूगोल पढ़ाता हूं। पिछले साल ............।"

-" आप भूगोल पढ़ाते हैं तो एक बात बतायें कि दही भारत में कहां के लोग अधिक पसंद करते हैं ? "

-" जी...दही तो पूरे भारत में पसंद की जाती है। भारत की एक प्राचीन और पसंदीदा भोज्य पदार्थ है।"

-" यही तो समस्या है। आपलोग सुनते कम बोलते ज्यादा हैं। मैंने क्या पूछा ? कहां के लोग अधिक पसंद करते हैं ? पसंद करने में और अधिक पसंद करने में अंतर है। आप बच्चों को क्या पढ़ायेंगे जब आप को सुनना ही नहीं आता। मूल समस्या ही यही है। पूरे देश की समस्या है। कोई किसी को सुनने के लिए तैयार नहीं है। सब चाहते हैं कि उनकी बात सुनी जाये। हां तो मैं कह रहा था ंकि दही को भारत में सबसे ज्यादा कहां के लोग पसंद करते हैं ? जरूरी नहीं कि राम कुमार ही बतायेंगे। कोई भी बता सकता है। कृष्ण थोड़े ही हैं कि दही के बारे में बतायेंगे। राम हैं। यहां तो कृष्ण भी कुछ नहीं बता पाये। "

साहब का ठहाका गूंजा। मास्टर भी जोर जोर से हंसने लगे। प्राचार्य मुस्कराये। उनको पता था कि रामकुमार को आवश्यकता से अधिक समझदार दिखने की आदत है। अब फंसों बेटा दही में। जो कहोगे गलत ही कहोगे। गलत के सिवा कुछ नहीं कहोगे। रामकुमार के पास चुप रहने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। चुपचाप मुस्कराते रहे अर्थात जानता तो मैं सबकुछ हूं लेकिन बड़े साहब की बात का जवाब देना मुनासिब नहीं है। बड़े साहब ने देखा कि उनकी बातों का जवाब मास्टरों के पास नहीं है तो उन्हे हार्दिक संतोष हुआ। अपने आप पर गर्व कर चुकने के बाद उन्होंने उत्तर देना ही उचित समझा-

-" रामकुमार ! दही तो मथुरा, कानपुर , आगरा जनपदों में अधिक पसंद की जाती है। अच्छा बताओ मुझे यह कैसे पता। मैं तो कभी उधर गया भी नहीं। तुम बैठ जाओ। आप के बगल में गणित के शिक्षक हैं। ये तो हरफनमौला आदमी हैं। बतायेंगे। इन्हें पता भी होगा। कैलकुलेशन करके बताइये कि मुझे दही के बारे में इतनी सही जानकारी कैसे है ? "

गाणित के शिक्षक आजाद जी की घिग्घी बंध गई। भला दही का कैलकुलेशन कैसे होगा ? अजीब अहमक आदमी है। ज्ञान का आयाम कैसे मापा जाये। उन्होंने अपने अनुभव का प्रयोग किया -

-" सर ! आप ज्ञान के सागर हैं। आपको मापने की क्षमता भला किसमे हैं ? मेरे जैसा साधारण मैथ का मास्टर कैसे माप सकता है ? आप तो सर्वज्ञ हैं। आप ..........।"

-" बस बस आजाद साहब ! दही के बदले में इतना मक्खन काफी है। आप सोचिये तो आपको भी पता चल जायेगा कि दही मथुरा जनपद के लोग ही क्यों पसंद करते हैं ? सोचना सेहत के लिए आवश्यक क्रिया है। प्रत्येक व्यक्ति को सोचना जरूर चाहिये। "

सारे शिक्षक यह सोचने में व्यस्त थे कि दही मथुरा जनपद के लाग ही क्यों अधिक पसंद करते हैं। प्राचार्य यूं तो बेफिक्र दिख रहे थे लेकिन मन ही मन सोच रहे थे कि मथुरा जनपद के लोग क्यों पसंद करते हैं। दही उनको भी पसंद थी। मगर इस ओर कभी ध्यान ही नहीं दिया कि यह सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी में भी शामिल हो जायेगा। तभी साहब ने ही इस सस्पेंस को तोड़ा -

-" आप सबको जानकर खुशी होगी कि मैंने तुक्का मारा था। कृष्ण मथुरा के थे। उनको दही इतनी पसंद थी तो हो सकता है कि उनके क्षेत्र के लोगों को भी दही पसंद हो। बस बात इतनी ही थी। हमने तो आप सबके आत्मविश्वास की जांच की थी। खैर , आजाद साहब के बगल में कौन है ? "

-" जी...मैं संगीत शिक्षक मनोज कुमार। मैं...........।"

-" भई आपका नाम ही कला और सिनेमा को पहचान देता है। मनोज कुमार ने तो ऐसी ऐसी फिल्में दी हैं। मैं तो उनका मुरीद हूं। 'क्रांति' और 'पूरब और पश्चिम' तो उनकी महान फिल्में हैं। आप जानते हैं कि मनोज कुमार पंजाबी हैं। देवसाहब भी पंजाबी थे। गुजर गये। भारतीय सिनेमा को एक महान क्षति हो गई। उनकी अदायें तो अनोखी होती ही थीं। हर फिल्म में कुछ न कुछ मैसेज जरूर देते थे। अब तो जमाना ही रसातल की ओर जा रहा है। खैर ! आप क्या गाते हैं ? "

-" जी....मैं तो गीत गाता.....हूं। "

-" अच्छा आपको पता है कि तानसेन क्या गाते थे ? "

-" जी...वो तो मियां की तोड़ी और ध्रूपद के उस्ताद थे। मुझे............।"

-" आपको क्या ? आपलोग बस गाते हैं। अपने ज्ञान को कभी मांजते नहीं हैं। अजी साहब मियां की तोड़ी और ध्रूपद तो उनकी इजाद ही है। मेरा प्रश्न है कि वो गाते क्या थे ? "

मनोज कुमार के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं जिससे कुछ शिक्षको को रक्तचाप सामान्य हुआ। धड़कने मधुर संगीत की तरह बजने लगीं। अब बच्चू का क्लास होगा। और गाओ मियां की तोड़ी और ख्याल। गज़ल। लीजिये अब भुगतीये। मगर सबको आश्चर्य हुआ अचानक साहब ठहाके लगाने लगे। जोर जोर से गगनभेदी ठहाका।

-" अजी मनोज साहब ! मियां तानसेन भी आपकी तरह गाना ही गाते थे। अच्छा बंधुओ ! समय की कमी के कारण मीटिंग हमें बीच में ही छोड़नी पड़ेगी। आशा है आप सब अपने आप को सुधारेंगे। शिक्षकों को हमेशा अप टू डेट रहना चाहिये। ज्ञान की सीमा पर खड़े मत रहिये। उसके अंदर प्रवेश कीजिये। हमेशा कुछ न कुछ सीखने के लिए तैयार रहिये। मगर आजकल तो शिक्षक.............। खैर, आपलोग अपनी रिपोर्ट प्राचार्य को सौंप दें। "

इस प्रकार एक मीटिंग सम्पन्न हुई। बड़े साहब की हर मीटिंग एक अमिट छाप छोड़ जाती है।

शशिकांत सिंह 'शशि'

जवाहर नवोदय विद्यालय शंकरनगर ,

नांदेड़ पिन- 431736 मोबाइल नं-7387311701

COMMENTS

BLOGGER: 10
  1. लाजवाब प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...

    जवाब देंहटाएं

  2. बहुत उत्तम व्यंग रचना ,बधाई
    निर्मला सिंह गौर

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत अच्छी हास्य व्यंग रचना ,
    बधाई

    जवाब देंहटाएं

  4. बहुत उत्तम व्यंग रचना ,बधाई
    निर्मला सिंह गौर

    जवाब देंहटाएं
  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  7. अब तक का सबसे अच्छा ब्यंग इस वेबसाइट का
    लेखक को धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: शशिकांत सिंह 'शशि' का व्यंग्य
शशिकांत सिंह 'शशि' का व्यंग्य
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2013/11/blog-post_354.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2013/11/blog-post_354.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content