अण्डरटेकिंग/कहानी बहुत थके-थके लग रहे हो राजन के पापा। आज तो हिन्दी दिवस पर राजस्थान में मिले सम्मान पर दफ्तर में खूब मिली होगी बधाई। ...
अण्डरटेकिंग/कहानी
बहुत थके-थके लग रहे हो राजन के पापा। आज तो हिन्दी दिवस पर राजस्थान में मिले सम्मान पर दफ्तर में खूब मिली होगी बधाई।
क्यों जले पर नमक छिड़क रही हो सरोज?
कोई गलत बात मुंह से निकल गयी क्या ?
भागवान सन् 1988 से किसको कम्पनी में काम कर रहा हूं। आज तक मेरी खुशी में दफतर के लोग चाहे स्थानीय रहे, राज्य स्तर के रहे हो या मुख्यालय कभी शामिल हुए है कि आज हिन्दी भाषा भूषण सम्मान मिलने से वे खुश हो जायेंगे। हां पग-पग पर कांटे और पल-पल पर दर्द के सिवाय और कुछ नहीं मिला। जीवन का मधुमास मुर्दाखोर प्रबन्धन ने पतझड़ बना दिया। सिर्फ जातीय अयोग्यता के मुद्दे नजर। हां दैनिक चपरासी तनिक खुश लगा था दफ्तर पहुंचते वह आया और पूछा
सम्पत बाबू कार्यक्रम अच्छा रहा, खूब सुखियों में रहें होगे । कब लौटे ।
बहुत बढिय़ा था सोहन। देश के कोने-कोने से बहुत बड़े-बड़े लोग आये थे। सुबह आठ बजे आया हूं।
सोहन-बड़े बाबू आप इतनी वफादारी निभाते हो, दफ्तर सबसे पहले आते हो, ईमानदारी से काम करते हो पर आपको मिलता क्या है। जिल्लत, उपेक्षा ही ना। कहते है आपके साथ नौकरी में आये इसी कम्पनी में लोग बड़े बड़े अफसर हो गये और मामूली से क्लर्क। अब तो नौकरी जाने का भी खतरा मड़ रहा है। कल बहुत कानाफूसी हो रही थी दफ्तर में। सुनने में आया कि आपको नौकरी से बाहर किया जा सकता है, समय से पहले रिटायर किया जा सकता है, रिटायर के पहले काले पानी की सजा भी मिल सकती है। मुख्यालय अण्डरटेकिंग परिपत्र आपके नाम जारी हुआ है। कहते हुए गया और डाक पैड से परिपत्र उठा लाया।
क्या कह रहे हो सोहन ये कैसा ईनाम । कहां है मुर्दाखोर सामन्तवादी प्रबन्धन का तुगलकी फरमान।
सोहन-निरापद को दण्ड कहिये सम्पत बाबू अण्डरटेकिंग परिपत्र डाक पैड में है।
अण्डरटेकिंग का मतलब क्या हुआ ?
सम्पत- वो हाल जैसे कसाई से खूंटे से बंधी गाय ।
क्यों मजाक कर रहे हो राजन के पापा ? आप और कसाई के खूटे से बंधी गाय ।
सम्पत-सच कह रहा हूं। अण्डरटेकिंग शपथ पत्र है जिसमें लिखा है जब चाहे किसको कम्पनी का सामन्तवादी मुर्दाखोर प्रबन्धन निकाल सकता है। जब चाहे तब जहां चाहे वहां स्थानान्तरित कर सकता है काले पानी की सजा दे सकता है रिटायरमेण्ट की उम्र से पहले रिटायर कर सकता है।
सरोज-अण्डरटेकिंग का मतलब तो धोखा से गला काटने वाला है। बच्चों के भविष्य का क्या होगा। बच्चों के भविष्य के लिये आपने अपने भविष्य दाव पर लगा दिये। मुर्दाखोर अफसरों के जुल्म का शिकार हुए। प्रमोशन से बार-बार वंचित किये जाते रहे। अब मुर्दाखोरों ने नया चक्रव्यूह रच दिया। ये कैसे दुश्मन है, योग्यता के काबिलियत के, हक के और इंसानियत के। कमजोर आदमी को चैन की रोटी खाते देखना सामन्तवादी मुर्दाखोरों को तनिक नहीं भाता। क्या किया अण्डरटेकिंग परिपत्र का ।
सम्पत-करना क्या था दस्तखत कर दिया।
सरोज-फाड़कर फेंक देना था।
सम्पत-5 सितम्बर को परिपत्र जारी हुआ है और हमें 16 सितम्बर को मिला है। 20 सितम्बर तक मुख्यालय पहुंचना है। क्या करता सोच विचार का समय नहीं था दस्तखत कर दिया।
सरोज-दस्तखत नहीं करना था ।
सम्पत-क्या करता, ये मुर्दाखोर किसी गैर कानूनी इल्जाम में फंसाकर खानदान की इज्जत मिट्टी में मिला देते, आंसू पीकर जमा ग्रेजुयेटी की रकम भी डूबने का खतरा था।
सरोज-इस्तीफा तो दिया जा सकता था। यही सही मौका था । यह नहीं कर सकते थे तो कोर्ट तो जा सकते थे।
सम्पत-भागवान मुझे दोनों तकलीफदेह लगा।
सरोज-वो कैसे ?
सम्पत-भागवान इस्तीफा दिया तो भूखों मरने की नौबत, इस उम्र में नौकरी कौन देगा। कोर्ट गया तो मुर्दाखोर प्रबन्धन ऐसी जगह पर भेज सकता है, जहां से कचहरी जाना मुश्किल हो जाये। उपर से कोई इल्जाम लगाकर जेल में ठुंसवा दिया तो क्या बचेगा। बस बचेगा यही ना।
सरोज-वो क्या ?
सम्पत-आत्महत्या।
सरोज-चुप रहो, शुभ-शुभ बोला करो ।
सम्पत-भागवान सच तो यही है। तुम बताओ मेरा भविष्य तो उजाड़ दिया मुर्दाखोरों ने अपने बच्चों का उजड़ता हुआ भविष्य कैसे देख सकता हूं। अण्डरटेकिंग पर दस्तखत करने से कुछ साल नौकरी तो चल सकेगी। खैर मुर्दाखोर प्रबन्धन ने तो यह पक्का कर दिया है कि किसको कम्पनी में छोटे लोगों को कोई जगह नहीं है। हमारे जैसे लोगों के लिये तो और भी नहीं ।
सरोज-क्यों․․․․․․․․․․․․․?
सम्पत-दलित होना दर्द का कारण तो है उपर से सामन्तवादी किसको कम्पनी में उच्च शिक्षित होकर भी पद-दलित होना जीवन को नारकीय बनाना ही है। सरकारी नौकरी में सुरक्षा तो थी पर खरीदने की अपनी औकात नहीं थी इसीलिये बरसों की बेरोजगारी के बाद किसको कम्पनी में क्लर्क के पद पर काम करना शुरू किया था। मुझे बड़ी उम्मीद थी कि समय-समय पर प्रमोशन लिता रहा तो उपर पहुंच सकूंगा पर क्या मुर्दाखोर प्रबन्धन ने तो ढाठी देने का इन्तजाम कर दिया है।
सरोज-कैडर में बदलाव के लिये जो अर्जी लगाये थे उसका क्या हुआ ।
सम्पत-भागवान अर्जी तो 1993 से लगा रहा हूं पर मुर्दाखोर सामन्तवादी प्रबन्धन कचरे के डिब्बे में डाल देता है। कम्पनी में निम्न वर्णिक भले ही उच्चशिक्षित हो योग्य हो, काम को पूजा समझते हो पर उन्हें दोयम दर्जे का इंसान समझा जाता है। यही मेरे साथ हो रहा है। इस कम्पनी में कमजोर की सुनवाई नहीं होती है, उसी की सुनवाई होती है जिसकी पहुंच होती है। निम्न वर्णिक को बात-बात पर ताना मारा जाता है कि तुम इस कम्पनी में नौकरी कर रहे हो क्या कम है। हमारे साथ के कई तो बड़े मैनेजर हा गये जबकि शैक्षणिक योग्यता तो कोसों दूर थी। कहते है न जिसकी लाठी उसकी भैंस कम्पनी में यही हो रहा है। मेरे कैडर में बदलाव नहीं हो सका सिर्फ वर्णिक अयोग्यता के कारण।
सरोज-अप्रैल महीने में भी तो कैडर में बदलाव की अर्जी लगाये थे। उसका क्या हुआ।
सम्पत-वही जो पहले से होता आ रहा है, दोगला प्रसाद द्वारिका ने अर्जी आगे नहीं बढ़ने दिया । अण्डरटेकिंग जरूर आगे बढ़ गयी है।
राजन मा-बाप की बात चुपचाप सुन रहा था, वह उठा और सम्पत के सामने आकर खड़ा हुआ फिर पिता का हाथ थामते हुए बोला पापा रिजाइन कर दो। मुर्दाखोरों के बीच ऐसी जिल्लत भरी नौकर मत करो।
सम्पत-बेटा नौकरी तो नौकरी होती है। काम पूजा होता है, भगवान पर विश्वास कर फर्ज पूरा करने की कोशिश कर रहा हूं।
राजन-पापा फना हो रहे हो फर्ज पर, पर मुर्दाखोर पत्थर दिल इंसानों का दिल कभी नहीं पसीजा। आपके आंखें के आंसू सूख गये है। कंधों पर मरते हुए सपनों का बोझ नित बढ़ता जा रहा है। मुर्दाखोर दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहे हैं आप शोषण उत्पीड़न का जहर पीकर नौकरी कर रहे हो। पापा अब नहीं ।
सरोज-ना जाने क्यों मुर्दाखोर लोग कमजोर आदमी का खून पीने में शान समझते हैं। सच कहा है,
दबे-कुचलों को तनिक तरक्की की राह पर चलते,
पांव पर जोर अजमाते, सम्भलते देख आज भी,
मुर्दाखोर लोगों के हिया दमन की आग दहकने लगती है।
सदियों से आंसू पीया जो, नब्जे आज भी उसकी कराहे जा रही हैं,
कहां बराबरी का मौका, पग-पग पर कांटे
पल-पल पर धोखा ही धोखा,
भले आदमी चांद पर चढ़ गया है,
मंगल पर बस्ती बसाने को उतावला हो रहा है,
ळाय रे जाति भेद का मोह,
मानवीय समानता रास आजी नहीं उसको,
जतिवंश के नात पर ठोंक-ठोंक ताल थकता नहीं आज भी।
ये मुर्दाखोरों उंच-नीच जाति भेद के नाम
दर्द परोसने वालो, कमजोर मानकर दबे-कुचलों की,
जिन्दगी स्याह करने वालों, आंखों को आंसूं देने वालो
मुर्दाखोरों खुदा से खौफ तो खाओं
आदमी हो आदमी के, आदमी होने के सुख-चैन को न चुराओ।
राजन-हां मम्मी मुर्दाखोर किस्म के लोग ही छल-बल और जातीय श्रेष्ठता का नंगा प्रदर्शन कर दबे कुचलों की नसीब पर नाग की तरह बैठे फुफकार रहे है।
सरोज-दोगला प्रसाद की जगह जो दूसरे बांस आये है, उनका क्या नजरिया है।
सम्पत-भागवान सब एक ही थैली के चट्टे-बट्टे है। शुरूआत में तो लगा था कि समानता की राह चलेगें हमें भी तवज्जों मिलेगी पर मैं गलत था ।
सरोज-मैं बोली थी ना इतनी तारीफ मत करो, आप नये बांस को खास समझने लगे थे। कुछ दिन और देखने की बात भी मैंने कही थी। देखो साफ को कितना भी दूध पीला दो उसका जहर जाता नहीं । यह बात सामन्तवादी मुर्दाखोरो पर भी लागू होती है।
सम्पत-देवीजी काम तो ऐसे लोगों के साथ करना है तो अपनी तरफ से प्रयास करना मेरा फर्ज था।
सरोज-घाव भी नया मिला ना।
सम्पत-नये बांस का स्वजातीय प्रेम उमड़ रहा है, आजकल जातीय उपनामों से बुलाया जाता है।
राजन-ये तो जातिवाद और अकर्मण्यता को बढावा है।
सम्पत-यही तो मुर्दाखोर सामन्तवादी प्रबन्धन की बड़ी खामी है। इसी स्वजातीय गुट ने ईमानदारी, वफादारी, कर्मशीलता, फर्ज, कर्तव्यपरायणता पर प्रहार कर रहा है मनचाही कमाई को बढ़ावा। कमेरी दुनिया के लोगों के दमन का पुरजोर समर्थन। इसीदमन का प्रतिफल तो है अण्डरटेकिंग।
इसी बीच बिन बुलाये मेहमान की तरह बिहारी घुस आये और बोले कैसी अण्डरस्टैण्डिग चल रही है सम्पत बाबू।
सरोज-अण्डरस्टैण्डिग नहीं भाई साहब अण्डरटेकिंग।
बिहारी-ये क्या बला है।
सम्पत-राजन की मां बिहारी बाबू को पानी पीलाओ।
बिहारी-प्यास नहीं लगी है।
सरोज-पानी के साथ चाय तो चलेगी।
बिहारी-हां पर तनिक देर से। अण्डरटेकिंग कौन सी मुश्किल आ गयी है, सम्पत बाबू ।
सम्पत-विभागीय परिपत्र जारी हुआ है।
बिहारी-मतलब क्या है।
सम्पत-विभाग जब चाहे रिटायर कर देने के लिये, स्थानान्तरण के लिये।
बिहारी-सिर्फ आपके लिये ।
सम्पत-कहने को तो सभी सरपलस चपरासी, पी․ए․, डाटा आपरेट, टाइपिस्ट के लिये है। मुर्दाखोर सामन्तवादी सरपलस किसको बतायेगा। मुझे ही ना जिसका कोई गाडफादर नहीं और छोटे लोग का।
बिहारी-मतलब मुर्दाखोर प्रबन्धन की आंखों की किरकिरी है छोटे लोग यानि एक कमजोर आदमी के साथ फिर साजिश। आपके बांस क्या कह रहे है।
सम्पत-वंशराम सामन्ती बांस कहां कम होगे। प्रबन्धन तो बांस और उनके स्वजातीय अफसरों के हाथ की कठपुतली है। तभी तो कमजोर पर मुसीबत मड़रा रही है। अण्डरटेकिंग के मुद्दे पर वंशराम सामन्ती तो बिना किसी संकोच के बोले-सम्पत अण्डरटेकिंग पर दसख्त कर दो, बीस सितम्बर तक मुख्यालय पहुंचना है। अण्डरटेकिंग का मतलब तो समझ ही गये होगे। मैने बोले नहीं तब वे बोले तुम्हारी नौकरी प्रबन्धन की दया पर टिकी है। अब तुम किसी काम के लिये मना नहीं करोगे। समय से पहले आना होगा वो तकरते हो पर जब तक तुम्हारा बांस दफतर में बैठेगा तब तक तुम्हें बैठना पड़ेगा नौकरी करना है तो वरना प्रबन्धन तो जा ही गया है कि तुम्हारे जैसे लोग सरपलस है, उनकी जरूरत कम्पनी को नहीं है। काम नहीं करोगे तो बाहर कर दिये जाओगे। मैं बोला मुझसे ज्यादा काम कौन करता है। लोग बारह बजे आते है, दो घण्टा काम क्या किये दिल्ली तक शोर मच जाता है। उपर से उन्हें मनचाहे आर्थिक लाभ के साथ दूसरे लाभ और सरकारी सुख-सुविधा का भरपूर उपभोग किया जा रहा है। मैं पेट में भूख आंखों में आंसू लिये खून पसीना करता रहूं। नौकरी करना है तो ऐसे ही करना होगा। याद रखो दूसरों को क्या लाभ मिल रहा है, तुम्हारे सोचने का विषय नहीं है। जब वंशराम सामन्ती बांस का ऐसा उवाच है तो नौकरी कैसे बच सकती है। नौकरी करना है तो मुर्दाखोर सामन्ती प्रबन्धन को अपने हित को हक वैसे ही कराहते हुए देखना होगा जैसे शिकारी जानवर कमजोर जानवर के शरीर को नोंचते हैं असहाय मारा जाता है।
बिहारी-मुर्दाखोर सामन्तवादी प्रबन्धन शिकारी जानवर जैसे ही है। इस सब के लिये हमारी बूढी सामजिक कुव्यवस्था जिम्मेदार है। बातचीत जोरों पर थी इसी बीच जोर-जोर से दरवाजे खटखटाते की आवाज सुनकर सरोज ने दरवाजा खोला, सामने श्यामल बाबू ।
सरोज-आइये भाई साहब।
श्यामल-अरे बिहारी रात यहीं बितानी है क्या ?
बिहारी-क्या हुआ?
श्यामल-रामबली मामा के लड़की की अकाल मौत हो गयी ।
बिहारी-क्या कह रहे हो । कहां और कैसे अकाल मौत हुई है।
श्यामल-धान में खाद का छिड़काव कर रहा था सांप डंस लिया, बरेली ले जाते समय रास्ते में मौत हो गयी।
बिहारी-भगवान नवजवान को क्यो उठा लिये, उसके नन्हे-नन्हें बच्चे किसके सहारे जायेंगे। भगवान तुमने ठीक नहीं किया। बूढे मा-बाप को बेसहारा कर दिया नन्हे-नन्हे बच्चों को लावारिस। भगवान भी कमजोर आदमी की मदद नहीं करता। फिर भी भगवान हम तुमसे प्रार्थना ही कर सकते हैं कि मृतक के परिवार को सुख सम्वृद्धि और शान्ति प्रदान करना । इधर सम्पत बाबू एक नई मुसीबत में फंसे है।
श्यामल-अब कौन सी नई मुसीबत आ गयी। बेचारे हमेशा नौकरी को लेकर परेशान रहते है। क्या बात हो गयी।
बिहारी-अण्डरटेकिंग कम्पनी वाले ले लिये है।
श्यामल-कैसी अण्डरटकिंग।
बिहारी-कम्पनी में सम्पत सरपलस है, मुर्दाखोर प्रबन्धन जब चाहे नौकरी से निकाल दे, काले पानी की सजा दे दे या समय से पहले रिटायर कर देने के लिये अण्डरटेकिंग ले लिया है।
श्यामल-क्या किसको कम्पनी में चमड़े के सिक्के चलते हैं क्या?
बिहारी-हां सामन्तवादी मुर्दाखोरों को क्या कह सकते हो?
श्यामल-दिल पर मरते सपनों का बोझ लिये हुए नौकरी कर रहे है, उच्च शिक्षित होकर भी प्रमोशन से वंचित है, सिर्फ जातीय अयोग्यता की वजह से। अब अण्डरटेकिंग का शैतान चैन छीनने के लिये मुर्दाखोरों ने पीछे लगा दिया। क्या अभी तक मुर्दाखोरों न कम शोषण उत्पीड़न किया है। सम्पत बाबू कोर्ट जाओ अण्डरटेकिंग के खिलाफ। इधर-उधर की मत सोचो। संविधान और देश के कानून पर भरोसा करो यकीनन फैसला तुम्हारे पक्ष में आयेगा।
सरोज-हां राजन के पापा, राजन भी बारहवीं पास कर चुका है। वह भी यही कह रहा है। सभी लोग कोर्ट जाने की सलाह दे रहे है। कब तक अन्याय सहते रहोगे, अन्याय सहना भी जुर्म है। मुर्दाखोर प्रबन्धन के असली चेहरे को बेनकाब तो करने का समय आ गया है। रोज-राज आंसू पी कर जीने से बढि़या तो यही है कि डंटकर मुकाबला किया जाये। आप चिन्ता छोड़ो, कोर्ट जाने की तैयारी करो अण्डरटेकिंग के खिलाफ ।
सम्पत-भागवन सलाह तो मानना ही होगा वरना ये मुर्दाखोर नरपिशाच नौकरी और जीवन भी ले लेगे भविष्य का खुलेआम कत्ल तो कर ही दिया है। कोर्ट जाने में ही योग्यता, काबिलियत हक, और आदमी होने के सुख कर रक्षा हो सकेगी। अण्डरटेकिंग श्रम कानून और मानवता के कत्ल का द्योतक है, कोर्ट में चुनौती तो देना ही होगा।
सम्पत ने कोर्ट में अण्डरटेकिंग के खिलाफ याचिका लगा दिया। कोर्ट का फैसला जल्दी आया गया। कोर्ट के फैसले ने मुर्दाखोर सामन्तवादी प्रबन्धन के गाल पर जूता जड़ दिया। सम्पत को मिला न्याय।
डॉ․ नन्दलाल भारती 23․09․2013
is kahani ne office me chal rahe annyan ka pardafash kiya he
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