छोटू बहुत गरीब था। उसके माँ-बाप बचपन में गुजर गये थे। वह अपनी टूटी-फूटी झोपड़ी में रहता। मजदूरी करके अपना पेट पालता। अभी वह बच्चा ही था ...
छोटू बहुत गरीब था। उसके माँ-बाप बचपन में गुजर गये थे। वह अपनी टूटी-फूटी झोपड़ी में रहता।
मजदूरी करके अपना पेट पालता। अभी वह बच्चा ही था , इसलिए उसे पूरी मजदूरी नहीं मिलती थी। फिर भी वह खाने भर का इंतजार कर लेता। वह पढ़ने का बड़ा शौकीन था। पहली कक्षा की किताब भी खरीद लाया और रोज शाम कल्लू से पढ़ता। कल्लू उसी की उम्र का था। वह उसके बगल में ही रहता था। गरीब तो वह भी बहुत था ,किन्तु उसके माँ-बाप ने उसे एक प्राइमरी स्कूल में डाल दिया था।
छोटू अब हिन्दी पढ़ने-लिखने लगा था। दुकानों के बोर्ड भी वह अक्षर मिला-मिला कर पढ़ लेता। एक दिन छोटू काम से लौट रहा था। रास्ते में उसे एक बटुआ मिला। उसने खोल कर देखा , उसमें पूरे पचास हजार रूपये थे। उसकी आँखों में चमक आ गई। उसने जल्दी से उसे अपने पैजामे में खोंस लिया।
सपनों में खो गया। ‘अब मैं कल्लू से नहीं , मास्टर जी से पढ़ूँगा , अच्छे स्कूल में। जहाँ इंग्लिश भी पढ़ाई जाती है। स्कूल जाने के लिए एक छोटी-सी साइकिल भी खरीदूँगा। पढ़-लिख कर अफसर बन जाऊँगा। फिर कभी सूखी रोटी नहीं खानी पड़ेगी। माँ और बापू भी मुझे आशीर्वाद देंगे। उनकी आत्मा भी खुश हो जायेगी।' इसी तरह न जाने कितनी बातें सोचतेे हुए वह लेटे-लेटे ही गहरी नींद में सो गया।
रात में उसके माँ-बाप दिखाई दिये। वह उन्हें पकड़ कर रोने लगा। फिर उन्हें बटुआ दिखाते हुए बताया-‘‘मैंने आज यह बटुआ पाया है। इसमें पूरे पचास हजार रूपये हैं। मैं अब खूब पढ़ूँगा और आपका नाम रोशन करूँगा। फिर...''
माँ बीच में ही समझाते हुए बोली-‘‘बेटा यह ठीक नहीं है। हम लोग जीवन भर ईमानदारी के साथ जिये , भूखे रहे पर किसी की रोटी देख नहीं ललचाये। जो रूखा-सूखा मिला, उसी में गुजारा किया। तू ये पैसे जिसके हैं , उसे ही वापस कर दे।''
छोटू बोला-‘‘माँ , ये पैसे मैंने चुराये नहीं हैं , ये तो रास्ते में पड़े मिले। अब इसमें भला कैसी बेईमानी ?''
इस बार बापू ने कहा-‘‘बदनीयती ही बेईमानी की पहली सीढ़ी है। तुम्हारी नीयत इन पैसों पर आ गयी है। धीरे-धीरे यही बुरी नीयत , तुम्हें बेईमानी करने पर मजबूर कर देगी। इसलिए अभी से खुद को सम्भालो।''
छोटू बोला-‘‘मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा।''
माँ बोली-‘‘बेटे , ये पैसे जिस किसी के भी हैं , हो सकता है, उसे इनकी तुझसे भी अधिक जरूरत हो।''
छोटू फिर बोला-‘‘मगर माँ ! मैं इससे पढ़ाई करूँगा। आप लोग भी तो यही चाहते होंगे कि मैं आपका नाम रोशन करूँ।''
बापू बोले-‘‘हाँ बेटे ! सच कह रहे हो। हम भी यही चाहते हैं कि तुम पढ़ो-लिखो और देश की सेवा करो। पर हम ये नहीं चाहते कि इन पैसों की वजह से किसी का नुकसान हो और तुम्हें बद्दुआएँ मिलें।''
छोटू अभी कुछ बोलने ही वाला था कि उसके माँ-बाप गायब हो गये। वह सोच में पड़ गया कि क्या किया जाये ? सुबह उठकर वह काम पर नहीं गया। उसने बटुए को ठीक से देखा। उसमें एक कार्ड पड़ा था। उसने उसे निकाल कर अक्षर मिला-मिला कर पढ़ा। यह पता था , उस व्यक्ति का , जिसके पैसे थे। उसका दिल अभी भी पैसेे वापस करने का नहीं कर रहा था। किन्तु उसके माँ-बाप के शब्द भी उसके कानों मे गूँज रहे थे। वह काफी देर तक दुविधा में पड़ा रहा। किन्तु अन्त में उसने कल्लू को बुला कर पूरी बात बताई और पैसे वापस करने का दृढ़ संकल्प किया। कल्लू भी स्कूल जाने की बजाय उसके साथ चल पड़ा। दोनों कुछ देर में वहाँ पहुँच गये।
‘‘ऐं.. , इस घर में तो ताला लगा है छुट्टू।'' कल्लू ने कहा। फिर पड़ोसी से पूछा-‘‘ये लोग कब मिलेंगे ?''
उस पड़ोसी ने दुखी होते हुए बताया-‘‘क्या बताएँ बेटे? इनकी बेटी बीमार है। ओॅेपरेशन होना है। पूरे पचास हजार रुपये लगेंगे। हम लोगों ने किसी तरह से थोड़ा-थोड़ा पैसा मिला कर , उन्हें इलाज के लिए दिया था। पर जैसे उनका भाग्य ही फूट गया। पैसे रास्ते में ही गिर गये। बेटी अस्पताल में तड़प रही है। भगवान जाने अब क्या होगा ?''
छोटू और कल्लू यह सुन कर अस्पताल की ओर भागे। वहाँ पहुँचे , तो डॉक्टर एक बूढ़े से कह रहा था-‘‘पैसे कहीं गिर गये , तो हम क्या करें ? जाओ , ले जाओ अपनी बेटी को। आखिर कब तक रखे रहेंगे हम ? कहीं मर-मरा गई तो डॉक्टर पर दोष लगाओगे। अब जाओ , हम कुछ नहीं कर सकते।''
तभी छोटू डॉक्टर के पास आकर पैसे देते हुए बोला-‘‘ये लीजिए पैसे और करिए अॉपरेशन।''
डॉक्टर उसे देख दंग रह गया। उसने पूछा-‘‘बेटे ! तुम कौन हो और इतने पैसे कहाँ से आये ? और....।''
कल्लू बीच में ही बोल पड़ा-‘‘डॉक्टर साहब पहले अॉपरेशन करके जान बचाइये। बाकी सब बाद में बताऊँगा।''
डॉक्टर बोला-‘‘तुम ठीक कहते हो।'' फिर नर्सों को निर्देश देते हुए वह अॉपरेशन कक्ष में चला गया।
बूढ़ा व्यक्ति यह सब बड़ी हैरानी से देख रहा था। उसकी समझ में नहीं आ रहा था। छोटू ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा-‘‘बाबा तुम चिन्ता मत करो। तुम्हारी बेटी ठीक हो जायेगी।''इतना कहकर छोटू ने उसे एक सीट पर बैठा दिया।
बूढ़े ने कल्लू और छोटू के सिर पर हाथ फिराते हुए कहा-‘‘जुग-जुग जियो बेटा , जुग-जुग जियो। खुदा करे सबको तुम जैसे ही बेटे मिलें।''
उसी समय डॉक्टर को देख कर सभी खड़े हो गये। डॉक्टर बोला-‘‘चिन्ता की कोई बात नहीं है। अॉपरेशन सफल हुआ है। आप लोग उसे देख सकते हैं। पर, हाँ उसे छेड़ना मत। अभी वह बेहोश है।''
बूढ़ा डॉक्टर से हाथ जोड़ कर बोला-‘‘बेटे , तुम फरिश्ते हो। मेरी बच्ची की जान बचा ली।''
डॉक्टर बोला-‘‘फरिश्ता मैं नहीं। फरिश्ते तो ये बच्चे निकले जिन्होंने सही समय पर मदद की। आपको इनका अहसान मनना चाहिए।''
कल्लू बोला-‘‘अरे नहीं डॉक्टर साहब! इसमें अहसान की क्या बात ? ये पैसे तो बाबा के ही थे , जो रास्ते में गिर गये थे और हमने इन तक पहुँचा दिये।''
डॉक्टर बोला-‘‘ आज के युग में इतने सच्चे मन के बच्चे , मैंने तो जीवन में पहली बार देखे हैं। वरना आजकल तो पैसे के लिए बड़े लोग भी भाई-बहन , माँ-बाप तक को जान से मार देते हैं। ये बच्चे नहीं देवता हैं देवता।''
बूढ़ा बोला-‘‘हाँ, सच कहते हो बेटा! ये बच्चे हमारे लिए तो देवता हैं ही।''
छोटू बोला-‘‘ नहीं बाबा ! मुझे तो इस बात का अफसोस है कि अगर मैंने कल ही पैसे लौटा दिये होते तो तुम्हें आज इतनी परेशानी न उठानी पड़ती।''
डॉक्टर बोला-‘‘खैर छोड़ो ! सही वक्त पर इलाज हो गया, यही बड़ी बात है। '' फिर बूढ़े के कन्धे पर अपना एक हाथ रखते हुए बोला-‘‘बाबा आप अपनी बेटी को देखिये जाकर।''
कल्लू बोला-‘‘ बाबा ! हम लोग भी आपकी बेटी को देखेंगे। '' इसके बाद कल्लू और छोटू बूढ़े बाबा के साथ कमरे की ओर चल दिये।
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राम नरेश ‘उज्ज्वल'
जीवन-वृत्त
नाम : राम नरेश ‘उज्ज्वल‘
पिता का नाम : श्री राम नरायन
विधा : कहानी, कविता, व्यंग्य, लेख, समीक्षा आदि
अनुभव : विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लगभग पाँच सौ रचनाओं का प्रकाशन
प्रकाशित पुस्तकेः
1- ‘चोट्टा' (राज्य संसाधन केन्द्र,उ0प्र0 द्वारा पुरस्कृत)
2- ‘अपाहिज़' (भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से पुरस्कृत)
3- ‘घुँघरू बोला' (राज्य संसाधन केन्द्र,उ0प्र0 द्वारा पुरस्कृत)
4- ‘लम्बरदार'
5- ‘ठिगनू की मूँछ'
6- ‘बिरजू की मुस्कान'
7- ‘बिश्वास के बंधन'
8- ‘जनसंख्या एवं पर्यावरण'
सम्प्रति : ‘पैदावार‘ मासिक में उप सम्पादक के पद पर कार्यरत
सम्पर्क : उज्ज्वल सदन, मुंशी खेड़ा, पो0- अमौसी हवाई
अड्डा, लखनऊ-226009
मोबाइलः 09616586495
Gud progress... nice creation
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