फ्रेंक्‍वाइस सागा की कहानी - एक वर्ष बाद

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फ्रेंक्‍वाइस सागा की कहानियाँ एक वर्ष बाद उन्नीस वर्ष की उम्र में 1954 मेंप्रकाशित प्रथम उपन्यास ''बेन्ज्योर ट्रिस्टेसी'',...

फ्रेंक्‍वाइस सागा की कहानियाँ

एक वर्ष बाद

उन्नीस वर्ष की उम्र में 1954 मेंप्रकाशित प्रथम उपन्यास ''बेन्ज्योर ट्रिस्टेसी'', से अंतरराष्ट्रीय खयाति प्राप्त लेखिका हैं फ्रेंक्वाइस सागां। प्रथम उपन्यास के बाद आपने कई उपन्यास लिखे जिन पर सफल फिल्मों का निर्माण हुआ। ''दि पेन्टेड लेडो'', और ''दि स्टिल स्टार्म'', उपन्यासों को फ्रांस, ब्रिटेन एवं अमरीका में साहित्य समीक्षकों से पर्याप्त प्रशंसा प्रापत प्रस्तुत कहानीं ''एक वर्ष बाद'' उनके कहानी संग्रह, इंसीडेंटल म्यूजिक, से ली गई है जिसकी अंग्रेजी अनुवाद सी.जे. रिचर्डस ने किया है।

ठीक एक वर्ष बाद वह उसे देखेगी। उसने इस मुलाकात की कोई उम्मीद कभी की ही नहीं थी, हालाँकि मुलाकात के अवसरों को कोई कमी न थी। जूडिय ने उस छोटे से वाक्य को दो बार दोहराया था, ''डार्लिग सुनो, मैंने रिचर्ड और उसकी नई पत्नी को भी आमंत्रित किया है, तुम्हें कोई आपत्ति तो नहीं है न क्यों? अब यह तो गलत होगा... आदि''

यह सुन उसने उत्तर दिया था, ''भला मुझे क्या आपत्ति हो सकती है। मुझे तो अच्छा ही लगेगा। तुम्हें तो पता ही है कि हम अच्छे दोस्तों कीत रह अलग हुए थे। इसमें कोई संदेह ही नहीं कि मुझे कतई कोई आपत्ति नहीं है, वरन्‌ इसके विपरीत...''

लेकिन जूडिथ को पता नहीं था कि, ''इसके विपरीत'' में कितना सच छिपा हुआ था। यदि उसने वाक्य पूरा किया होता तो कहा होता, ''इसके विपरीत जब से हमने साथ रहना छोड़ है, मैं तो वास्तव में जीवित ही नहीं हूँ। इसके विपरीत अपनी देह में प्राणों के दोबारा संचार के लिए पूरी तरह उसी पर निर्भर करती हूँ इस असंभावित विचार से कि वह मुझसे फिर से प्यार करेगा। लेकिन यह बात तो वह जूडिथ तक से कहने की हिम्मत नहीं कर सकती, जो उसकी सबसे प्यारी और निकटतम सहेली है''

यह तो हर कोई अच्छी तरह समझ रहा था कि संबंध विच्छेद का प्रभाव उस पर बहुत अधिक पड़ा है। साथ ही सबको यह भी पता है कि इसका उसके दिल दिमाग पर गहरा प्रभाव पड़ा है किन्तु विच्छेद का पूरा वर्ष वियोग के लिए पर्याप्त होता दे। यह मान लिया था कि या तो वह इस वर्ष भर के बाद दुख से उबर जावेगी या फिर इसे कुछ अच्छे शब्दों में नहीं कहा गया था- वह उबर जाने का ढोंग करेगी। इसके साथ ही किसी पेरिसवारी मेजबान महिला के लिए किसी एकाकी स्त्री को आमंत्रित करना न तो सहज सरल था, ना ही उचित। और यदि वह एकाकी स्त्री एकांतवास के समुद्र में डूब रही हो, तब तो यह असंभव ही था।

विच्छेद के तीन माहों के बाद हीजस्टीन की यह अहसास ही गया था कि यदि वह नहीं चाहती कि लोग उसे भूल जाऐं तो उसे प्रसन्न दिखना ही होगा। उसके सामने एक मात्र राह यही बची थी कि वह इस तरह व्यवहार करे जैसे वह एक अच्छी-भली प्रसन्न गृहिणी से चतुर, आकर्षक, जिंदा दिल तलाकशुदा स्त्री में परिवर्तित हो चुकी है। उसमें संपत्ती की मिली जुली जिम्मेदारियों के साथ सारे गुण भी आ चुके है। अब यह पूरी तरह उस पर निर्भर करता है कि वह पारंपरिक पुरुषोचित मजा किया जीवन्तता को प्रदर्शित करें उनकी स्वच्छंदता के साथ और अपनी स्त्रियोचित दबबूपन, कोमलता ओर विश्वसनीय प्रकृति को भी व्यक्तित्व में समाहित कर ले। और जस्टीन जो कभी एक प्रसन्न, प्यारी सी संतुट पत्नी थी, उस दिन उसे यही सब करना था ताकि एकाकीपन के समुद्र के ऊपर रहती दिख सके जिसमें रिचर्ड उसे छोड़कर चला गया है।

अब वह हौले हौले कंधी किए जा रही था। एक वर्ष पहिले आइने से झांकते चेहरे के ऊपर बाल अधिक काले और कम ब्लांड (सुनहरे) थे। उस दिन उसने लड़कियों जैसी सदाबहार नीली ड्रेस पहिली थी आज के लपटों सी लाल आकर्षक सूट की जगह जिसे वह आज आइम में देख रही है। वर्ष भर पुरानी स्त्री का चेहरा कुछ पीला लेकिनभरा-भरा था और उसकी आँखे आज की जैसी गहरी, चमकती और बनावटी नहीं थी, वे उस दिन आंसुओं से डबडबा रही थी। निश्चित रूप से एक वर्ष वाली स्त्री उस रात आइने के सामने खामोश खड़े हो कंघी नहीं कर रही थी। वह तो अपना चेहरा भी उन आँखों से नहीं देख पा रही थी। अचानक उसका ध्यान एक सर्द आवाज से टूट गया था जो कह रही थी'', तुम यह बात अच्छी तरह समझ लो कि इस बार बस अंत है और मैं तुमसे जिस कारण दूर जा रहा हूँ वह भी इतने भद्दे ढंग से सबके सामने ताकि वे तुम्हे समझा सकें कि हमारे बीच कुछ समाप्त हो चुका है।''

उसने आदतन कांपेक्ट निकाला और पों ही अपने चेहरे और नाक पर पाउडर लगाने लगी। उसका मेकअप बिल्कुल ठीक था, घर से बाहर निकलने के पहिले उसने अच्छी खासी मेहनत की थी। यह सब उसने विशेषकर रिर्चड के लिए किया था। उसने अपनी आँखों के अंडाकार को लम्बा, मुँह के कोने पर जोर और गालों की हडि्‌डयों की परछाइयों को गहरा ठीक उस अंदाज में सब कुछ किया था जैसा रिचर्ड को पंसद आता रहा है हाँऽऽऽ एक सौ वर्ष पहिले। हालांकि वह आसानी से बहाना बना सकती है कि यह सब वह एरिक या लारेंस यहाँ तक कि र्नड के लिए कर रहीहै, वैसे सच यह है है कि उसने कभी सेंकड के लिए भी उन चेहरों में अपनी परछाई तक देखने की कोशिश नहीं की है। उनके चेहरे खाली खिड़कियाँ थे, आइने नहीं। आज की शाम अंततः पहली बार इन पिछले दिनों और रातों के शून्य बाद वह किसी की आँखों में अपनी परछाई देखेगी। वह ड्रांइग रुम में चली गई आश्चर्य है कि वहाँ खड़े रिचर्ड पर उसकी नज़र पड़ी ही नहीं। जूडिथ प्रसन्न लग रही थी, सामान्य से कुछ अधिक ही जीवंत। कुछ ही देर बाद जस्टीन उस अपरिचित के ठीक सामने थी, ''दूसरी स्त्री'' के सामने थी जो आज भी वैसी ही थी जैसे पहिले थी झददी। दूसरी स्त्री की आज भी वही प्रोफाइल है, वही कर्कश आवाज़ ओर वो आज भी जैसा रिचर्ड खड़ा था रिचर्ड का जुड़वा, ऊँचा पूरा, धूप खाई ;सन टेन्डद्ध आवाज़ मोटी भौहों के साथ हाथ मिलाते हुए जैसा कभी रिचर्ड हुआ करता था। जस्टीन आँखें मिलने पर हल्के से मुसकराई और फिर दूसरे जोड़े की और मुड़ गई। शायद हाल में आइने के सामने उसने कुछ अधिक समय बिता दिया था उसे अहसास हुआ क्योंकि जूडिथ ताली बजा अपने मित्र समूह को डाइनिंग हाल में चलने के लिए कह रही थी।

वे तेरह थे, उसे मिलाकर चौदह। छः जोड़े जो फिलहाल तो एक साथ ये और जूडिथ की आकर्षक चचेरी बहिन और वह स्वयं अविवाहितों का प्रतिनिधित्व कर रही थीं।

वह टेबिल के उसी ओर बैठी थी जिस और रिचर्ड बैठा था इसलिए वह न तो उसका चेहरा देख पा रही थी और ना ही आँखे। किन्तु उसके सामने दूसरी ओर उसकी पत्नी बैठी थी सुंदर पास्केला। पास्केला जिसने सभी मेहमानों को अपने सौंदर्य जाल में बांध रखा था। बदले में रिचर्ड ने कुछ भी खोया नहीं था। बातचीत में पास्केला अपने तीखें व्यंग्य और चुटकुलों से सबका लगातार मनोरंजन कर रही थी। बालों की एक लट उसके माथे पर बार-बार झूलने लगती थी, उसकी आँखों में तारे झिलमिला रहे थे और उसकी आवाज़ लगातार हंसने से भारी हो रही थी। पूर्ण आकर्षण का साकार रूप थी वह जस्टीन अनासक्त भाव से कासे देखते सोचे जा रही थी जबकि डिनर का उसका साथी उसकी प्रशंसा किए जा रहा था, जिसे वह यों ही ले रही थी।

आश्चर्य की बात तो यह थी कि वह निराशा का अनुभव कर रही थी। यह डिनर पार्टी जिसकी प्रतीक्षा वह पिछले कई दिनों से बेसब्री से कर रही थी और जो इस हफ्ते का उसका सर्वोत्तम कार्यक्रम था, इस पार्टी में कुछ नकुछ महत्वपूर्ण तो होकर रहेगा कुछ खतरनाक आशंकाऐं जिनमें विजय के कुछ रेश भी मिले थे, जिसने घटना विहीन दिनों से उसे उबारा होता किन्तु यह पार्टी अभी तक एक-रस थी और ऐसी ही रहने की आशा थी। बस, रिचर्ड से वह मुस्करा कर कुछ शब्दों को आदान-प्रदान करती और रस सदभावना पूर्ण व्यवहार पर सभी उसकी प्रशंसा करते अपने घर की ओर बढ़ जाऐंगे और फिर अगले दिन जूडिथ अपने मित्रों से कहेगी ''तुम्हें पता है मैंने डिनर पर रिचर्ड और जस्टीन को निमंत्रित किया था और सच मानो पार्टी बेहद सफल रही। वे दोनो अपरिचितों की तरह पूरे समय रहे आए... कितना अजीव लगता है न''। और फिर शायद जूडिथ और उसके दोस्त प्रेम की दुर्बलता पर कुछ खट्‌टी मीठी कड़वी राय देंगे। एकाएक जस्टीन चाहने लगी कि ये डिनर जल्दी से जल्दी समाप्त हो जाय। वह काफी, का गनेक और सामान्य चर्चाटों और हमेशा ड्राइंग रुम में बैठ भोजन की प्रशंसा से जल्दी से जल्दी दूर चली जाना चाहती थी। यह पूरी कमेडी ही घृणा से सनी हुई थी। अपनी वर्तमान स्थिति को बिना शिकवा-शिकायत के आत्म स्वीकृति से एक पल को भी तो इस सच में परिवर्तन नहीं हुआ था कि एक मात्र पुरुष जिससे उसने हृदयकी गहराइयों से प्यार किया था और आगे भी करती रहेगी, जिसकी अनुपस्थिति से वह पिछले वर्ष के सभी मासें में निराशा की खाई में रहती आई है, जिस व्यक्ति ने उसकी जिंदगी को घटना विहीन कर दिया है वही व्यक्ति यहाँ है शरीर, उससे कुछ फुट दूर, आँखों से दूर उतनी ही दूर जितना वह पिछले पूरे वर्ष भर रहा आया है शारीरिक रूप से मीलों दूर इसमें से कुछ भी उसे घर अकेले पराजित और दुख में लबाबल डूबने उतराने से नहीं रोक सकेगा जैसा पिछले एक वर्ष में वह है, हालांकि आज रात उसकी आँखें में आंसू नहीं है लेकिन इस तथाकथित भेंट से स्थिति में किंचित भी परिवर्तन नहीं हुआ है।

डिनर समाप्त होते ही उसने जूडिथ से घर जल्दी लौटने की बात कही'', दरअसल में बेहद थक गई हूँ और कल सुबह मेरी एक महत्वपूर्ण मीटिंग है। जूडिथ ने उसे उसकी बात अनमने ढंग से सुनी क्योंकि ड्राइंगरूम और उसके पास के छोटे कमरे में उपस्थित दोस्त अधिक शोर कर रहे थे और एक अच्छी मेजवान होने के नाते वह उन सभी का बराबर ध्यान रख रही थी। उसने जस्टीन के कंधों को कुछ याद सा करते स्नेह से कुछ सैकंडो तक थपथपाया और फिर उसे याद आ गया,''अच्छाऽऽ क्यों'' जस्टीन ने दांतों को कस कर दबाते हुए कहा लेकिन एक शब्द का भी वह विश्वास नहीं कर रही थी। रिचर्ड अभी भी आकर्षक और सुन्दर था पहिले की तरह। रिचर्ड को एक बार फिर देखा था और एक बार फिर अपनी पराजय की गहराई को नापा था। यही उसने जूडिथ से कहा होता यदि जूडिथ जानने की इच्छा प्रकट करती तो, लेकिन मेजबानी के कर्तव्यों के लबाद के बोझ तले उसने जस्टीन को पार्टी के चके में एक दांते की तरह देखा कोई महत्वपूर्ण दांता नहीं, यदि जस्टीन ने अपने को सही परिप्रेक्ष्य में देखा होता तो। दूसरों से बिना विदा लिए वह चुपचाप बाहर की ओर चल दी।

कोट रुम में जाने के पहिले वह हाल में रूकी और झुककर अपने जूते के तस्में को कसने लगी और जब वह दोबारा खड़ी हुई तब तक उसने पहिला वाक्य सुन लिया था। वह प्रसन्नता से भरी विजेता की आवाज़ थी जो उसने डिनर के समय सुनी थी।

''क्या तुम्हारी समझ में नहीं आ रहा है कि सब कुछ समाप्त हो चुका है, पूरी तरह से'', आवाज़ कह रही थी, ''तुम्हारे दोस्तों के आगे मुझे तुम्हें छोड़कर जाने को बाध्य मत करो। क्या मुझे घोषणा करनी होगी उन सबके सामने तब जाकर तुम्हें मेरा विश्वास होगा?मैं तुमसे कतई प्यार नहीं करती। सच यह है कि सब कुछ समाप्त हो चुका है।''

बुलवर्ड सेंट जर्मे सड़क पर ठंडी हवा के झौकों को झेलने के बाद ही उसे कोट पहिनये का होश आया। उसने आराम से उसे कंधों पर रखा और एक-एक कर बाह में हाथ डाले और फिर एक एक कर नीचे तक बटन लगाए। इसके बाद तेज कदमों से वह रू दि गेनली के टेक्सी स्टेंड पर पहुँच गई। बुलवर्ड पर हल्की बसंत की बयार बह रही थी और जस्टीन को यह देख कर लगा कि इसके लिए भी वह खुद ही जिम्मेदार है और फिर अचानक उसने आपको हल्का फुल्का महसूस किया।

अनुवाद - इन्द्रमणि उपाध्याप

489 नारायण नगर,

गढ़ा, जबलपुर

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रचनाकार: फ्रेंक्‍वाइस सागा की कहानी - एक वर्ष बाद
फ्रेंक्‍वाइस सागा की कहानी - एक वर्ष बाद
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