फ्रेंक्‍वाइस सागा की कहानी - बिल्ला और कसीनो

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फ्रेंक्‍वाइस सागा की कहानियाँ बिल्ला और कसीनो फ्रेंक्वाइस सागां उन्नीस वर्ष की उम्र में 1954 में प्रकाशित अपने प्रथम उपन्या ''बैं...

फ्रेंक्‍वाइस सागा की कहानियाँ

बिल्ला और कसीनो

फ्रेंक्वाइस सागां उन्नीस वर्ष की उम्र में 1954 में प्रकाशित अपने प्रथम उपन्या ''बैंज्योर ट्रिस्टेसी'', से ही अंतरराष्ट्रीय खयाति प्राप्त फ्रेंच लेखिका के रूप में स्थापित हो गई थी तदुपरांत आपने कई उपन्यास लिखे जिन पर सफल फिल्मों का निर्माण भी किया गया। आपके ''दि पेन्टेड लेडी'' और ''दि स्टिल स्टार्म'' उपन्यास को फ्रांस, ब्रिटेन व अमरीाक के साहित्य समीक्षकों से पर्याप्त प्रशंसा प्राप्त हुई है। प्रस्तुत कहानी ''बिल्ला और कसीनों, उनके कहानी संग्रह : ''इंसीडैंटल म्यूजिक'' से ले गई है, जिसका अंग्रेजी अनुवाद सी.जे. रिचईस ने किया है।

ऐंजिला स्टेफिनो की पूरी सुबह रास्कल बिल्ले को ढूंढने की असफल कोशिशों में जाया हो गई जो नापूस शहर के पुराने इलाके की सकरी गलियों में गायब हो गया था सितम्बर के गर्म दिनों में उसकी तलाश में तीन बज चुके थे। पास पड़ौस की महिलाओं के लाड़-प्यार का आदी रास्कल कभी भी न तो अपना खाना भूलता है और ना ही दोपहरी की नींद। उसके न मिलने से ऐंजिला बेहद परेशान थी क्योंकि वह उसे बेइंतिहा प्यार करती है। उसका पति ग्यूसिप्पे अपने नियमित शनिवारी बाउल खेल के लिए जा चुका था।

ऐंजिला केसभी पड़ौसी अपने पीतल के पलंगों पर दोपहर की नियमित झपकियाँ रंग-रंगे खिड़की के पर्दो के के भीतर ले रहे थे। जलते सूरत से बचने के लिए सिर को शाल से ढके एंजिला उनकी नींद की बर्बादी का खयाल कर धीमी आवाज़ में ''रास्कल, पुकारती एक दरवाज़े से दूसरे दरवाज़े को पार करती चलती जा रही थी।

बत्तीसवर्षीया ऐजिला स्टेफ्निों एक सुंदर स्त्री थी। उसकी चमकती आकर्षक देह उसके चेहरे के कठोर जबड़े के ठीक विपरीत थी। उसकी देह से झलकती एक प्रकार की पवित्रता जो कोर्सीकन जाति की विशेषता थी, विवाहेच्छु युवकों के उत्साह की भंग करने वाली थी और इस बारे में उसका पति ग्यूसिप्पे प्रायः ही उसका मजाक उड़ाया करता है।

रास्कल की अभीतक कोई खोज-खबर न थी और चार बजे से पहिले बैंक पहुँच पाँच सौ फ्रांक की मासिक किश्त जमा करना बेहद जरूरी था। एक नेक और भले पति की तरह ग्युसिप्पे ने पिछली रात को ही अपने वेतन का मासिक चैक उसे दे दिया था और वो इस मेहनत की कमाई को जल्दी से जल्दी बैंक में सुरक्षित रख देना चाहती थी।

एकाएक उसे एक दीवार के पीछे हल्की सा भूरापन दिखा। ''रास्कल'', कहती वह चीखी और दीवार से लगे एलीना के बगीचे केगेट को खोला। एलीना उसकी दस बरसों से पड़ौसन है, जो विधवा होने के बाद से बिना किसी ठोस सबूत के पूरे पूरे इलाकें में अफवाहों के केन्द्र में रहती आई है। दबे पांच एंजिला दो-चार कदम ही चली होगी कि उसे खिड़की पर रास्कल की झलक दिखी। उसे पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाने के पहिले उसने उसे एक बार और पुकारा। रास्कल ने मुडकर उसे पास आने की धमकी सी देते देखा तो मकान के अंदर कूद गया। उसे पकड़ने के लिये खिड़की की चौखट की और तेजी से हाथ बढ़ाते हुए उसने अपने सुंदर ग्युसिप्पे का एलिना की बाहों में बंधे देखा। देखते ही वह तेजी से पीछे हटी, उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। वह ये सोच कर धबरा रही थी कि उसके पति ने उसके कहीं देख न लिया हो।

तेजी से चल जब वह सड़क पर पहुँची तब तक उसे लगा शॉक क्रोध में परिवर्तित हो चुका था। उसे पता होना चाहिए था, पुरे पड़ौस को अवश्य ही पता होगा, यहाँ तक कि रास्कल को भी... तो यह है वह जगह जहाँ कुछ शनिवारों को ग्यूसिप्पे बाउलिंग खेलने आता रहा है। आखिर यह चल कब से रहा है?

वो अपनी अम्मा के पास द्वीप में लौट जाएगी जहाँ भले लोग रहते हैं। उसकी जैसी सत्री केपत्नी होने के बावजूद पति का दूसरी स्त्री के पास जाना उसकी कल्पना से परे था। दस वर्षी से वह ग्यूसिप्पे स्टेफनी की देखभाल करती आ रही है, उसके घर की, उसके व्यवसाय की, उसके दोनों टाइम के भोजन और उसके बिस्तर की। जरा सोचो तो, इस वर्षो तक उसने उसकी हर बात मानी है, उसे हर संभव तरीके से प्रसन्न रखने की कोशिश की है, काहे के लिए? इसके लिए कि वह दिन और रात लगातार झूठ बोलता रहे और मन ही मन दूसरी औरत को प्यार करता रहे।

उसके स्वयं को फ्रेमिनेंड देस एंग्लिश के पास में पाया जहाँ तक वह प्रायः कभी नहीं जाती है। वो सीधे उसके तट पर बढ़ती चली गई बिना रुके, जैसे वह अपने पैरों को बिना भिगोए ऐसे ही सीधे चलते हुए अपने पापा-मम्मा के पास पहुँच जाएगी।

एक तीखे हार्न की आवाज़ से उसने चौंक कर देखा कि वह कार से कुचलने से बची है। वह तेजी से मुड़ी तो उसने पाया कि वह एक सफेद विशाल भवन के ठीक सामने खड़ी है जिसके ऊपर केसिनो लिखा है। ऐसी अफवाहें थी कि यहाँ विदेशों, से लोग अपनी धन-संपत्ति लुटाने आते है, यही नहीं उसके पड़ौस से भी कुछ लोग डरते-डरते यहाँ कभी कभार आया करते हैं। उसने लिनन के स्लेक्सपहिने एक ब्लांडर ;सुनहरे बालों वालीद्ध महिला को जो उससे उम्र में बड़ी थी, दारपाल ते हंस-हंसकर बात कर कसीनों के अदर अंधेरे में गुमते देखा। एंजिला को उस अंधेरे ने आकर्षित किया, वहाँ धुंधलका था और शीतलता थी, सड़क पर चमकती धूप के ठीक विपरीत। बस, यों ही वह उस महिला के पीछे सीढ़िया चढ़ते आगे बढ़ते चली गई।

एंजिला अपने साधारण वस्त्रों में ही थी, किन्तु चाल-ढाल में सुरुचि अतः द्वारपाल उसे बिना हिचके जुआघर (कसीनों) के दरवाज़े तक सम्मान ले गया। भीतर एक काले वस्त्र धारी ने पहिले उससे उसका नाम पूछा और फिर विनम्रता से पूछा कि उसे कितने चिप्स चाहिए। स्वप्नवत्‌ वह सब कुछ करती चली गई, उसके पास जो कुछ भी स्मृतियाँ थीं वे टी.वी. से प्राप्त थी। उसने अपनी जिंदगी में किसी भी प्रकार का एक फ्रांक का भी जुआ कभी नहीं खेला था और न ही रुसी बैंक से कठिन कोई खेल ही। उसने पुरे विश्वास के साथ पाँच सौ फ्रांक के चिप्स माँगे और बदले में ग्युसिप्पे के दिए गए कड़क नोट उसे दे दिए। बदले में उसे पाँच गोल-गोल सिक्के के आधार के प्लास्टिक के टुकड़े मिलें जिन्हें ले उससे आशा की जाती थी कि वो आगे रख हरी टेबिल पर रखेगा।उस टेबिल पर पहिले से ही कुछ जुआड़ी उत्तेजना की गर्मी से उबलते खड़े थे। इस प्रकार उसके पास कुछ मिनिट ये जिसके वह चुपचाप खड़े रहे बिना ध्यान आकर्षित किए चुपचाप उन्हें खेलते देखती रह सकती थी।

चिप्स को इतने कसकर मुठ्‌ठी में उसने पकड़ रहा था कि उसकी उंगलियाँ पसीने से चिपचिपा रही थी। सहमकर उसने चिप्स को दूसरे हाथ में रखा और गोली हथेली को जोर से पोंछकर साफ कर लिया। टेबिल पर उछलती गेंद से उत्पन्न मौन के बीच उसके एक चिप नंबर आठ पर रख दी। आठ अगस्त को उसका विवाह न इस में हुआ और वो रुडेस पिटाइस इक्वेरिस में नंबर आठ में रहती है।

'रियाँ ने वा प्लसः' शाम के वस्त्र पहिने एक निस्तेज से व्यक्ति ने कहते हुए उस छोटी सी गेंद को घुमाकर घूमते चक्कर में छोड़ दिया। गेंद तेजी से घूमते हुए एक छोटे से काले खाने में जाकर रुक गई वह स्थान एंजिला से इतनी दूर था कि वह वहाँ से उसे पढ़ नहीं सकती थी।

''ले न्यूमेरा ब्यूट'' उसी व्यक्ति ने थकान भरी आवाज़ में कहा ''हयूएटएन प्लेइन'', टेबिल पर नज़र घुमाते उसने आगे जोड़ा। उसने दस-बारह चिप्स उठाकर एक बार फिर टेबिल पर जजरे घुमाई और एंजिला के सामने रख दी। इसकेबाद उसने एक संखया बोली जो उसे आर्श्चयजनक लगी और प्रश्न भरी आँखों से उसकी और देखा।

''नंबर आठ, एंजिला ने एक बार फिर स्थिर आवाज़ में कहा। अब वह सहज अनुभव कर रही थी जैसे कोई रहस्यम शक्ति उसे निर्देशित कर रही हों साथ ही उसे अश्चर्य हो रहा था कि ग्युसिप्पे और एलिना का वह दृश्य बहुत तेजी से अपना प्रभाव खो रहा था। वह केवल पूरे ध्यान से उस छोटी उछलती गेंद को देखे जा रही थी।''

क्रूपियर ;जुए की टेबिल का इंचा...द्ध ने आश्चर्य करते हुए कहा, ''एक नंबर पर आप अधिक से अधिक दो हजार ही लगा सकती हैं''।

बिना कुछ बोले उसने मात्र सिर हिला दिया, हालाँकि उसकी समझ में आया कुछ भी नहीं था, कि उसने कहा क्या है। क्रूपियर ने चिप्स का एक ढेर नंबर आठ पर रख दिया और बाकी चिप्स उसकी और बढ़ा दिए, जिन्हें उसने यों ही उठाकर बेग में रख लिया।

उसके चारों और लोग इकठ्‌ठे हो गए थे और उसे उत्सुकता से देख रहे थे। उसके चेहरे और हावभाव से उसकी मूखता का कर्त पता नहीं चला रहा था। सितम्बर की इस गर्मी के उमस भरे नाईस शहर में एक ही नंबर पर दो हजार फ्रेंक कर वह दांव जो लगा रही थी।

एक सेकंउ कीहिचाकिचाहट के बाद क्रूपियर ने कहाँ, ''फेटिस वांस ज्यूक्स'', स्लेक्स पहिले महिला ने एंजिला के चमकते चिप्स के ढेर के पास दस फ्रांस के चिप्स रख दिए और गेंद फिर उछल कर नाचने-कूदने लगी। कुछ देर उचककर आवाज़ करती गेंद फिर रुक गई। कुछ देर की खामोशी के बाद तेजी से उठती कुसफसाहरों से एंजिला जो विस्मय के स्थान पर थकान से आँखे बंद किए खड़ी थी, आँखे खोल कर देखने लगी।

''ले ब्यूट'' क्रूपियर ने कहा। उसकी आवाज़ पहिले से कुछ कम प्रसन्नता भरी थी, एंजिला की और मुड़कर झुककर शाँत और और निर्विकार भाव से कहा, ''मादाम, मेरी बधाईयाँ स्वीकारें।'' हमें आपको पचास हजार फ्रेंक देने हैं। आइए, कृपया मेरे साथ आइए।

एंजिला कुछ चापलूस और कुछ भुनमुनाते आदमियों से घिर गई। वह उनसे घिरे धीरे-धीरे एक काउंटर के पास पहुँची जहाँ पीली आँखों वाला दूसरे व्यक्ति ने उसे कुछ चिप्स दिए जो आकार में पहिले चिप्स से कुछ बड़े थे। एंजिला वहीं कुर्सी पर शाँत बैठी रही। वह भुनमुनाहटें लगातार सुने जा रही थी जिनसे उसे चक्कर सा आ रहा था।

''कुल मिलाकर यह रकम कितनी हुई''? उसने सामने रखी चिप्स के ढेर को देख कर पूछा।

जब उसआदमी ने ''छियासठ हजार फ्रांक हुए मादाम, जिसका अर्थ हुआ है छः लाख छः पुराने प्राप्ता'' कहा तो उसने बमुश्किल सहायता के लिए हाथ बढ़ाया। अपना पूरा वाक्य कह सामने रखी कुर्सी पर बैठते हुए व्यक्ति ने एक ब्रांडी का आर्डर उसके लिए दिया और फिर उसी ठंडेपन से उसे आई हुई ब्रांडी पीने के लिए दे दी।

''क्या यह मुझे नगदी में मिल जाएगा'' ब्रांडी की गमृहिट के भीतर जाने के बाद उसने पूछा।

''क्यों नहीं मादाम'' कहते हुए उस व्यक्ति ने ड्राअर में हाथ डाला और नोटों का एक बड़ा सा बंडल उठाया और उसे वैसे ही नोट दिए जैसे सुबह ग्यूसिप्पे ने उसे दिया था। यही नहीं उसने उन नोटों को उसके बैग में रखने में सहायता भी की।

''क्या आदाम कुछ देर और जुआ खेलना पसंद करेंगी''? कहने को तो यह प्रश्न था लेकिन वह व्यक्ति अच्छी तरह जानता था कि यह पहिला और आंतम अवसर है जब ऐंजिला स्टेफ्रिेनों ने कसीनो में कदम रखा है। एंजिला ने इंकार में सिर हिलाते हुए कहा ''बहुत-बहुत धन्यवाद'' कहाँ और उन्ही सधे कदमों से बाहर चल दी, जिनसे वह भीतर आई थी।

सूर्य ने उसे फिर ऊर्जा से भर दिया। उसकी आँखों ने समुद्र प्रोमेनेड देख इंगलिश, कारोंओर पुराने पाम के पेडों को देखा। और फिर उसे अचानक स्मरण हो आया कि वह एक ऐसी स्त्री है जिसके साथ विश्वासघात किया गया है। कुछ दूर चल वह रास्ते में पड़ने वाले पहिले कैफे में बैठ गई- यह पहली बार था जब वह किसी कैफे में अकेली गई है- उसने नोटों से भरे बेग को अपने घुटनों पर रखा और बेटर से रसभरी आईसक्रीम लाने को कहा। और ुिर अपनी स्थिति पर विचार करना शुरू किया।

बैंकनी कपड़े पहिने एक छोटे कद का युवक जो कसीनों से ही उसके पीछे चलता आ रहा था, उसने बातचीत करने के लिए उसे सिगरेट आफर की। एंजिला ने बिना एक शब्द बोले मात्र इशारों से उसे जाने को कहा। शायद यह पहिलीबार था उस युवक के लिए जो कसीनों जाने वाली स्त्रियों के पीछे चिपकने वालों में से था, कि उसे अपने प्रयासों में असफलता हाथ लगी थी। वह भली-भाँति समझ गया था कि उसके सामने पत्थरों की दीवार है।

जब वह सॉरी कह चला गया तब जाकर उसे अपने विचारों के साथ एकांत मिला। तीन या चार रास्ते थे उसके मन में जो एक के बाद एक उठ रहे थे। उसने एक-एक को परखना शुरू किया।

पहिला रास्ता था कि सारे पीले नोट वो जल्दी से जाकर बैंक में रखदे, लेकिन बैंक में एकाउंट तो ग्युसिप्पे का था और चूँकि ग्युसिप्पे ने विश्वसाघात किया था और उसे तो किसी भी मूल्य पर उसे छोड़ना ही था।

एक बोट किराए पर ले सीधे अपने मम्मा-पापा के पास जाने का दूसरा रास्ता उसके सामने था।

तीसरा रास्ता एक पढ़े हुए उपन्यास की तरह था, जिसमें टैक्सी ले सीधे घर जाकर अपना सामान इकठा कर रास्कल की ले, पाँच सौ फ्रांक के नोट के साथ दिल टूटने का वर्णन एक पत्र में लिख सीधे बंदरगाह जाने का था

चौथा कुछ विस्तृत था, जिसके अनुसार उसे सीधे किसी बड़े से डिपार्टमेंट स्टोर से पारदर्शीलाल सिल्क के वस्त्रों, महँगे जवाहारात खरीद, किराए पर घोड़ा-गाड़ी ले शान के साथ अपने पड़ौसियों का चौंकाने और रास्ते में मिलने वाले बच्चों को केंडी बांटते हुए घर वापिस लौटने का था। या फिर एक-दो गुंडों को किराए पर ले ;आसपास तो वे मिल ही जाऐंगेद्ध और उनसे एलिना की ठुकाई करा या फिर वह एक कार किराए पर ले एक लम्बे से ड्रेस सहित शोफर के साथ उसे अपनी पड़ौसन के पास एक नोट लिखकर भेज दें, जिसमें उससे रास्कल और उसके समान को पैक कर भेजने का निवेदन होगा।

इन सभी सिर-घुमाऊ संभावनाओं के साथ कागनेक और रस भरी आइस के काकटेल से एंजिला को मिनली की लहरें उछाल लेने लगी थी। इतने लम्बे समय तक उसकी जिंदगी अनिश्चतताओं से युक्त रही आई है। आज की घटना के पहिले तक वह भली-भाँति जानती रही है कि दिन, सप्ताह यहाँ तक कि पूरे वर्ष भर में क्या-क्या होने वाला है। इतने वर्षो तक वह चुनाव करने की समस्या से पूर्णतः मुक्त रही है और अब यकायक ग्यूपिप्पे का एलिना की बाहों में बंधा दृश्य स्थायी विचार ही बन गया ह ै। यह यर्थात था, घटित हो चुका था और वह इस विषय में कुछ भी करने की स्थिति में नहीं है, वापिस जाने की सीमा से दूर की बात है यह। अनिश्चितता और आतंत का पर्याय उसके पैरों के पास नीचे रखा था।

यदि यह रकम न होती तो वह गुस्से से भरी घर पहुँचती, ग्यूसिप्पे को ढेर सारी गालियाँ सुनाती, वे सभी जो उसने सुन रखी है और जिनका प्रयोग एक बार भी कराने नहीं किया है यहाँ तक कि उसे तलाक की धमकी भी देती थी। यही नहीं कुछ दिनों के लिए वह उसका। अपना घर भी छोड़ अपने द्वीप में तब तक के लिए चली जाती, जब तक वह पश्चाताप करता उसकी आरजू-मिन्नत करता न आता। इस बेग के बिना उसकी जिंदगी बेहद सरल और सहज होती, बिना कोई श्वास परेशानियों के और देर-सबेरे अपने सामान्य भले-चंगे ढर्रे पर आ जाती। सच तो यही है न, वो माने या ना माने कि वो ग्यूसिप्पे से बेइंत प्रेमा करती है हालाँकि वह जानती है कि उसी आँखें हमेशा कुछ न कुछ तलाशती रहती है फिर भी दिल से तो वह उसे ही चाहता है। जब कभी भी उसके हाथ कुछ अतिरिक्त फ्रांक आते है वह हमेशा उसे देता है। वो ही तो थी जो उसे रु देस पिटाइस इक्यूरी में पुराना मकान खरीदने के लिए कौंचती रही जब तक उसने खरीद नहीं लिया। वह हमेशा उसके लिए लाल रेशमी ड्रैस खरीदने का वायदा करता रहा है हालाँकि सच यही कि दिल से इस ड्रैस के प्रति कभी तीव्र लालसा उसमें नहीं रही है। और इस शनिवार के पहिले ग्युसिप्पे की जगह पड़ोसी का लड़का था जिसने एलिना के साथ दोपहर काटी थी।

उसकी वास्तविक समरूया यह थी कि फिलहाल उसके पैरों के पास एक बैग भरकर चुनाव करने के अवसर उपस्थित थे। उसे पति द्वारा धोखा खाई पटनी मात्र होने को आवश्यकता कतर्इी नहीं है, न ही उसे पश्चात से संतप्त पति का सामना करने की ही आवश्यकता है। वह एक धनसंपन्न स्त्री होकर भी रह सकती है। जिसने अपने पीछे टूटे दिल वाले एकपुरुष को पीछे छोड़ दिया है।

ग्यूसिप्पे एक राजमिस्त्री है, एक स्वस्थ और आकर्षक पुरुष। यह सच है कि अब उसकी जवमनी ढाल पर है और उसकी आमदनी भी कुछ खास नहीं है। यदि वह उसे छोड़ दे तो उसे हो सकता है दूसरी स्त्री कभी नहीं मिले।

शाम धीरे-धीरे ढल रही और सुनहरा समुद्र रेशम जैसा चिकना हो गया था। एंजिला को आशंका होने लगी थी कि ग्यूसिप्पे उसे ले चिंतित होने लगा होगा। हो सकता है वह सोच रहा है कि किसी ने बैंक जाते समय उससे कहीं रकम न छीन ली हो। वह यह तो सपने में भी नहीं सोच सकता था। कि वह इस रौशन एवेन्यू के इस कैफे में बैठी होगी और उसके पैरों के नीचे हजारों फ्रांक रखे होंगे अथवा वह उसे छोड़ देगी और उसकी सूरत तक देखना नहीं चाहती। फिर जब आठ भी बज जाऐंगे तो वो और रास्कल भला क्या करेंगे? बस, दरवाजे़ पर बैठे उसका इंतजार करते रहेंगे, दोनों ही किसी काम-धाम के तो हैं नहीं, रात के भोजन की तैयारी के लिए तेल, आटा, सासेज और वाइन तक तो किचन के प्लेटफार्म पर निकाल कर नहीं रखेंगे। नहीं यह तो कभी उनके भेजे में आएगी ही नहीं। यदि वह उन दोनों को छोड़ने का निश्चय कर भी लेती है तब भी वह इसकी कल्पना नहीं कर सकती कि वह किसी शानदार होटल में लोबस्टर और शैम्पने का डिनर करते हुए हेड वेटर द्वारा लाई पेस्ट्रीज में से मनपसंद का चुनाव करती रहे और वे वहाँ खाली पेट इंतजार करते बैठे रहें। सच यही है कि उसके लिए फ्रांकों का कोई अर्थ तो है नहीं और ना ही उसका कोई उपयोग करना ही उसके वश में है, क्योंकि वह जो कुछ भी खरीदेगी, उससे मुँह में केवल एक फ... स्वाद ही मिलने वाला है। सच तो यह है कि वह कोई नया कदम उठा ही नहीं सकती। उसने ना तो पर्याप्त टी.वी. शो ही देते हैं और ना ही अधिक किताबें ही पढ़ी हैं जो उसे नई अनजान राह पर चलने में सहायता करें। उसने तो ग्यूसिप्पे के अतिरिक्त और किसी का स्वप्न भी आज नहीं देखा है।

धीरे से वह खड़ी हुई और कसीनो में वापिस लौट गई और सौभाग्य से उसे वही पीली आँखो वाला व्यक्ति मिल गया जिसने उसे ब्रान्दी दी थी। उसने उसे तुरंत पहिचान लिया। उसे साथ ले वह एक नीम-अंधेरे कोनेमें चली गई और उसके कान में फुसफुसाकर अपने मन की बात उससे कह दी।

''क्या कह रही हैं आप?'' उस व्यक्ति ने पूछा। उसने चौंककर खासे जोर से कहा। उसका चेहरा अचानक लालहो गया क्योंकि हाल में खड़े लोग उसे घूर-घूर कर देखने लगे थे। ऐंजिला ने उसका हाथ पकड़ा और अपने निकट ला फिर फुसफुसा कर अपनी बात एक बार और दोहरी दी। इस बार वह उसकी बात भली-भाँति समझ गया।

''तो आप चाहती हैं कि मैं उसे वापिस ले लूँ? लेकिन मादाम मुझे ऐसा करने का अधिकार ही नहीं है''।

फिर उसने एक दूसरे व्यक्ति को बुलाया जो शाम के शस्त्रों में था। फिर कुछ देर तक तीनों धीमे-धीमे बातें करते रहे। उन दोनों व्यक्तियों के चेहरे पर कुछ विचित्र से भाव थे, एकाएक वे कम उम्र के लगने लगे कुछ-कुछ बच्चों जैसे। यदि कोई उनकी बातचीत सुनता तो उसे यह जानकर आश्चर्य होता कि दोनों क्रोपियर और सुंदर महिला ''मर्चेन्टमेन एक सोसाइटी'' और ''ब्रदर्स आफ दि पुवर'', नामक दो चेरिटेबिल संस्थाओं की अच्छाइयों और कर्मियों पर चर्चा कर रहे है। अंत में वे तीनों कसीनो के आफिस में चले गए। एंजिला ने बेग से सारी रकम निकाल कर वहाँ दे दी और बदले में उसे एक चेक दे दिया गया, जिसे उसने ''सोसाइटी आफ सेन्ट विसेन्ट'' के नाम कर दिया और चैक के नीचे उसने एंजिला कि स्ट्रेफनो हस्ताक्षर कर दिए। यह तो स्पष्ट ही था। कि यह पहिली औरआखिरी अंतिम बार था जब वह चेक पर दस्तख़त कर रही है। इसके बाद उसने कसीनो को, भीतर आने वाले शाम के वस्त्रों में उत्तेजित पुरुषों और स्त्रियों के बीच सिर ऊँचा कर छोड़ दिया क्योंकि सच्चे पक्के जुआड़ी एकत्र होने शुरू हो रहे थे। दोनो क्रोपियर उसे सम्मान बाहर तक छोड़ने आए, उनका व्यवहार इतना विनम्र और सम्मानपूर्ण था कि सुसंस्कृत संपन्न महिलाएँ आश्चर्य भरे चेहरों से एंजिला को सिर से पाँव तक घूर कर देखने लगीं।

कसीनो से बाहर निकल वह सीधे घर आ गई जहाँ रास्कल को ग्यूसिप्पे के गोद में लिए टी.वी. के सामने बैठे पाया।

''तुमने तो अच्छी खासी देर की कर दी आज ग्यूसिप्पे भुनभुनाया।''

उसने बुदबुदाते हुए उत्तर देते किचन में बर्तनों को उठाधरी शुरू कर दी। ''हाँ बैंक में कुछ ज्य़ादा ही समय लग गया और फिर लौटते समय बस्तियाँ का एक चचेरा भाई रास्तें में मिल गया था।''

ग्यूसिप्पे जो स्वयं ही अपराध बोध से ग्रस्त था और जिसे अच्छी खासी मेहनत करनी पड़ी थी उस कोलन की गंध से छुअकारा पाने में जिसमें एलिना डूबी हुई थी। उसने हल्के से उसकी पीठ को थपथपाया। वह निंदिया रहा था। घर के बाहर उसका एक पड़ौसी बेसुरे अंदाज में बाहर गली में गाना गा रहा था और बिल्ला कढ़ा ही से मसालों की उठती गंध से प्रसन्न हो गुर्रा रहा था।

आह। कितना प्यारा शनिवार था, ग्यूसिप्पे के मन में खयाल आया। एक पुरुष को कभी-कभार मनोरंजन के लिए स्वाद बदलने का अधिकार तो है ही। यह बात पता नहीं क्यों स्त्रियों की बुद्धि में आती ही नहीं है।

अनुवाद -

इन्द्रमणि उपाध्याय

489 नारायण नगर, गढ़ा,

जबलपुर (म.प्र) 482003

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पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi 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रचनाकार: फ्रेंक्‍वाइस सागा की कहानी - बिल्ला और कसीनो
फ्रेंक्‍वाइस सागा की कहानी - बिल्ला और कसीनो
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