प्रमोद यादव का व्यंग्य : सपना - हजार टन सोने का

SHARE:

  सपने देखना बुरी बात नहीं पर उस पर विश्वास करना भी अच्छी बात नहीं. सपने तो सपने होते हैं- उनकी नियति है-टूटना...फिर भी इस दुनिया में ढेर स...

 

सपने देखना बुरी बात नहीं पर उस पर विश्वास करना भी अच्छी बात नहीं. सपने तो सपने होते हैं- उनकी नियति है-टूटना...फिर भी इस दुनिया में ढेर सारे मूरख हैं जो मुंगेरीलाल की तरह रोज हसीं सपने देखते हैं..सपनों में जीते हैं और जब सपना टूटता है तो धडाम से सर के बल खाट से नीचे ओंधें पड़े मिलते हैं. मैं नहीं कहता की मैं सपने नहीं देखता...मैं भी देखता हूँ..पर उस पर यकीन नहीं करता...अब कल रात ही मैंने देखा कि कैटरीना कैफ के साथ मेरी शादी हुयी है और हम दोनों हनीमून के लिए अफ्रीका के जंगल की तरफ एक प्राइवेट विमान से उडान भर रहे हैं. वो तो अच्छा हुआ की पत्नी ने एन समय पर चादर खींच मुझे जगा दिया और मैं ज्यादा उड़ान नहीं भर सका..कैफ के साथ हनीमून से बच गया अन्यथा...न जाने क्या होता..( कैटरीना का..)

अब भला बताएं- इस सपने में क्या सच्चाई है ? क्या इस पर यकीन कर बालीवुड जाकर कैटरीना को कहूँ कि मैं उसका ‘हसबैंड’ हूँ..वो तो मेरा बैंड ही बजा देगी..और मुसीबत यह कि ऐसी बातें पत्नी से भी ‘ शेयर’ नहीं कर सकता ..वो भी ‘बैंड’ ही बजायेगी. इन अंग्रजों ने भी ‘पति’ का क्या बढ़िया नाम रखा है अंग्रेजी में- ‘हसबैंड’..मतलब कि जिसका हर तरफ से बजना तय है..फिर भी हंसते रहने की उसकी मजबूरी है..

लो जी...मैं विषयान्तर हो रहा हूँ..तो बात सपनों की चल रही थी..मेरी पत्नी बड़ी धार्मिक स्वभाव की सती सावित्री टाइप महिला है..उसे सपने भी उसी टाइप के आते हैं- कभी देवों के देव महादेव..तो कभी देवकीनंदन कृष्ण ..तो कभी दशरथ पुत्र राम..कभी कभार उनके साँप, नंदी, गाय- गोपी भी दीख जाते हैं..और कभी कुछ न दिखा तो उस दिन उनके गुरूजी उपदेश दे चले जाते हैं..रात के सपनों से वह दिन भर नतमस्तक रहती है..सपने में ही अपनी हर छोटी-बड़ी समस्याओं का समाधान मांगती है और देवतागण हमेशा उन्हें ‘ तथास्तु’ कह अंतरध्यान हो जाते हैं और इधर पत्नी झपाटे से पलंग से उठ जाती है. फिर तुरंत मुझे झिन्झोड़कर सारे सपने ‘टेलीकास्ट’ करती है. मैं कुछ नहीं कहता..’हूँ-हाँ’ करते रह जाता हूँ. अब कहूँ भी तो क्या कहूँ ? एक-दो बार जब कहा कि मेरे सपने में तो सिवा बालीवुड की हिरोइनों के और कोई आता नहीं..तो वह बुरी तरह भड़क गयी थी- ‘ चौबीसों घंटे उन्हीं पर ध्यान रहता है..वही सब देखते-सोचते हो तो वो ही तो आयेंगे न..’ अब देवीजी को कैसे समझाता कि भला भगवान उसके सपनों में आकर उसका .क्या भला कर जाता है..खुली आँखों से तो वह दिखता नहीं..बंद आँखों में चोर की तरह क्यों आता है..और आता भी है तो उसे कौन सा मनों ‘सोना-चांदी’ दे जाता है.

सोने-चांदी की बात से ख्याल आया कि पिछले दो -तीन दिनों से श्रीमतीजी उस संत के सपनों की कहानी सुना रही है जिसके अनुसार यू .पी.में 1857 के जमाने के राजा के किले में हजार टन सोना के दबे होने की बात कही जा रही है.जब से उसने टी.वी. में यह न्यूज देखी है.. पगला गयी है..उसके सपनों को भी जैसे पर लग गए हैं..अब दिन-दहाड़े सपने देखती है..हजार टन सोने के सपने..सोने के सपनों से उसका सोना हराम हो गया है..बार-बार मुझे यू .पी चलने को कह रही है. बार- बार मुझसे हजार टन का भाव पूछती है...जब बताता हूँ कि तीन लाख करोड रूपये तो वह गश खा जाती है..मैं निरंतर उसे समझा रहा हूँ कि सपने...सपने होते है..उस पर यकीन करना मूर्खता है..तब वह तमक जाती है, कहती है- ‘ अरे..ये सपने ‘तेरे मेरे सपने’ की तरह नहीं है..ये एक साधू-संत का सपना है...जिस पर सरकार और उनके नुमाइंदे तक भरोसा किये हैं तो मैं क्यों न करूँ ? तुम तो सदा से ‘ निगेटिव सोच’ के रहे हो..गलत ही सोचोगे....इस बार मेरी बात मानो और जल्दी यू.पी. चलो...वहाँ रोज राजा के सारे वंशज दूर-दूर से पहुँच रहे हैं..उस हजार टन के सोने पर हक जताने और तुम यहाँ हाथ पर हाथ धरे बैठे हो...पचास ग्राम सोना खरीदने कहो तो तुम्हारी जान निकल जाती है.. अब इतना अच्छा मौका हाथ आया है तो क्यों गवां रहे हो ? एकाध मन ही मिल जाए तो बेडा पार..

‘एकाध मन..’ मैं चौंका – ‘ अरे भागवान..तुम्हें भला क्यों मिलेगा सोना ?..क्या उस राजा की तुम कोई वंशज हो ? क्या रिश्तेदारी है उससे तुम्हारी ? ‘

‘ अरे ..कह देंगे...कि उनके दूर के रिश्ते के चाचा की बुआ की लड़की की देवरानी के छोटे लड़के की बहु की बड़ी बहन की ननद के जेठ की छोटी बेटी की बुआ कि चौथी संतान हूँ..तुम पचड़े में मत पडो..मैं सब बना लूंगी.. बस.. तुम साथ भर चलो..रिश्तेदारी काम न आएगी तो दूसरा आइडिया भी है मेरे पास...मेरा ममेरा भई पलटू यू .पी में पटवारी है..उसे कहके उस किले का नक़ल-खसरा निकाल वह जमीन ही अपने नाम दिखा देंगे..तब तो पूरा हजार टन ही हमारा.. ‘

‘ कैसी बातें करती हो यार..दो सौ साल पुराने राजा के किले का खसरा...तुम्हारे नाम..’

‘ तुम कुछ नहीं जानते जी..पटवारी लोग बड़ी ऊंची चीज होते हैं..तुम साथ भर चलो..सब हो जाएगा..’

मरता क्या न करता..सात वचनों का मान रखने मैं मान गया. उन्नाव का कन्फर्म टिकिट ले आया.बार-बार वह ताकीद करती रही कि सिवा एक बड़े खाली सूटकेस के और कुछ भी नहीं ले जाना है. सुबह स्टेशन जाने ऑटो लेकर घर आया तो पत्नीजी गहनों से लदी सज-धज कर बाहर आई तो मैं परेशान हो गया, बोला - ‘ इतना सब पहनकर जाने की क्या जरुरत ? जानती हो..ज़माना खराब है..कोई लूट-पाट हो गया तो ?..जाओ..इसे उतारकर आओ..हम कोई शादी-ब्याह में थोड़े जा रहे हैं..परदेश जा रहे हैं..परदेश..’

‘ अरे ..तुम समझते नहीं..इतना सब पहन कर न जाऊं तो हमें राजा का वंशज कोई कैसे मानेगा..’

मैं निरुत्तर हो गया. ऑटो में बैठ स्टेशन की ओर रवाना हुए तो रास्ते के बीच भीड़-भाड़वाले इलाके में एक बाइक में सवार दो नकाबपोशों ने एक जोर का झपट्टा मार पत्नी के गले का तीन तोले का सोने का हार खींच मिनटों में गायब हो गया. वह चीख सी पड़ी-‘ चोर...चोर..पकड़ो..पकड़ो..मेरा सोने का चैन..हाय मेरा..चैन..’

ऑटो वाले ने एक किनारे ऑटो रोक दी.मैंने पत्नी को घूरा- ‘ कहा था न..मत पहनो..पर तुम्हे तो राज-राजेश्वरी बनने का भूत सवार था..अब भुगतो..बताओ अब कहाँ चलना है- पुलिस स्टेशन कि रेलवे स्टेशन ? ‘

‘रेलवे स्टेशन..’ दबी जुबान से उसने कहा- ‘ नहीं तो ट्रेन छूट जायेगी..दो दिन बाद वहाँ खुदाई है..वक्त पर न पहुंचे तो टनों सोना कोई और दबा लेगा..’

उन्नाव पहुँचते तक पूरे रास्ते वह चुप्पी साधी रही..गले के चैन ने उसका चैन छीन लिया था.किसी तरह पूछते-पाछते उस गांव के किले तक पहुंचे तो वहाँ वह संत मिला जिसने हजार टन सोने का सपना दिखाया था..पत्नी ने उसे प्रणाम कर बताया कि हम राजा के वंशज है.इसलिए हमें भी नियमानुसार इसमें हिस्सा मिलना चाहिए. संत ने कहा- ‘ मैडम जी ..मैंने तो केवल सपना देखा है..उसे साकार करने वाले सरकार के वरिष्ठ अधिकारी वहाँ डेरा जमाये बैठे हैं..उनके पास जाइए..किले को तो पूरे पुलिस ने अपने घेरे में रखा है..कोई परिंदा भी आसपास पर नहीं मार सकता..उधर उस केबिन में कलेक्टर साहब बैठे हैं..उनसे मिलें और अपने हिस्से का सोना बुकिंग कराएँ..’

पत्नी उस संत के चरण-रज ले कृतार्थ हुई और तेजी से कलेक्टर साहब के केबिन की ओर लपकी.उसकी बातें सुन उन्होंने कहा- ‘ आपके पास राजाजी के वंशज होने का कोई न कोई प्रमाण..दस्तावेज आदि तो होगा ही..’ पत्नी ने बात काट दी- ‘ हाँ जी..वो तो है..तभी तो आये हैं..’ . कलेक्टर महोदय ने तब सामने एक बड़ी बिल्डिंग की ओर इशारा कर कहा – ‘ देखिये...आप जैसे लगभग हजार लोग वहाँ ठहरे हैं जो खुद को राजाजी का वंशज कहते हैं..आप भी वहीँ चले जाइए..कल से खुदाई का काम शुरू होगा..जब सोना मिलेगा..आप सबके दस्तावेज देख, जैसा और जितना हिस्सा बन पड़ेगा ,सरकारी नियमानुसार आप सबको आबंटित कर दिया जाएगा..’

‘ सर..यह खुदाई कितने दिनों में पूरी होगी ? ‘ पत्नी जाते-जाते सवाल दाग गयी.

‘ कुछ कह नहीं सकते...हप्ते भी लग सकते हैं..महीने भी...’

हम दोनों एक दूसरे का मुंह ताकने लगे. केबिन से बाहर निकल उसे समझाया कि सपने और सोने के चक्कर में तीन तोला तो आलरेडी गवाँ चुकी हो..अब महीने दो महीने यहाँ टिकने की सोची तो वहाँ घर में कुछ भी न टिकेगा..चोर-उचक्के पूरा घर मैदान कर देंगे.. छोडो भी ये हजार टन का चक्कर..चलो..वापस घर चलो..पर देवीजी टस से मस नहीं हुई..बोली-‘ एक-दो हप्ते रहकर देख लेती हूँ..तुम चाहो तो घर निकल जाओ..पर अपना ए.टी.एम. कार्ड मुझे देते जाओ..क्या पता कितना खर्च आ जाए..अब ओखली में सर दिया है तो...’

आगे मैं कुछ भी नहीं सुना.तुरंत ट्रेन पकड़ अपने शहर आ गया. घर पहुंचा तो वही हुआ जिस बात का अंदेशा था..दरवाजे का ताला टूटा था..अंदर जाकर मालुम हुआ कि कुछ भी नहीं बचा..टी.वी. ,फ्रिज , माइक्रोवेव ,वाशिंग मशीन ,सब गायब...आलमारी में रखे नगद पच्चीस हजार रूपये भी नदारद..सिर पकड़कर बैठ गया. पत्नी को फोन कर बताया कि उसके सपने और सोने के चक्कर में घर में जलजला आ गया है ..तुरंत आओ..तब भी वह नहीं मानी,बोली- ‘ अब जब सब कुछ लुट ही गया है तब तो और अनिवार्य हो गया है कि कुछ न कुछ लेकर आऊ..अब तो सोना लेकर ही आउंगी..’ सुनकर मैं पागल हो गया.

अचानक चौथे दिन बिना किसी सूचना के उदास और उखड़ा-उखड़ा थकान भरा चेहरा लिए जब ऑटो से उतरी तो अचंभित रह गया..दौडकर सूटकेस को उठाया तो काफी भारी लगा.. मैं खुशी से झूम उठा..घुसते ही उसे खोला तो एक दस –पन्द्रह किलो का चौकोर संगमरमरी पत्थर मिला..उसकी ओर देखा तो वह फफक पड़ी- ‘मुझे माफ कर दो...तुम ठीक कहते थे...सपने..सपने होते हैं...उस पर यकीन करना मूर्खता है..मैं..मुरख थी जो उस संत के सपनों में आ गई...वहाँ कुछ भी नहीं निकला सिवा संगमरमरी पत्थरों के...कलेक्टर ने सबको हँस-हँस कर यही दिया है..मैं आज से अब कभी सपने नहीं देखूंगी..और देखूँगी भी तो उस पर यकीन करने नहीं कहूँगी..’ रोते-रोते वह सो गई.

दूसरे दिन सुबह जब सोकर उठी तो मुझे विचित्र नज़रों से देखने लगी. मैं समझ गया कि जरुर कोई सपना देखी होगी .पर बताने से हिचक रही है.मैंने फुसलाया तो आखिर बता ही दी कि उसने देखा कि कोई चोर रात को उसके आलमारी से चुपके से सारे जेवर निकाल भाग गया..और वह डर के मारे चुपचाप देखती रह गयी...

.न मालुम क्यों मुझे लगा कि यह सपना नहीं है..दौडकर आलमारी खोला तो देखा, सारे जेवर सचमुच गायब थे. मैं चिल्ला उठा - ‘ बेवकूफ..तुम पागल हो गयी हो..यह सपना नहीं-हकीकत है.. काश तुम केवल सपने ही देखती... ‘ मैं माथा पकड़ बैठ गया.

xxxxxxxxxxxxx

-प्रमोद यादव

दुर्ग , छत्तीसगढ़

मोबाईल- 09993039475

COMMENTS

BLOGGER: 10
  1. आपकी इस उम्दा पोस्ट को "http://hindibloggerscaupala.blogspot.com/ दिन शुक्रवार में शामिल किया गया हैं कृपया कल अवलोकनार्थ पधारे

    जवाब देंहटाएं
  2. नीलिमाजी, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद..प्रमोद यादव
    प्रसादजी, आपका भी बहुत-बहुत शुक्रिया...प्रमोद यादव

    जवाब देंहटाएं
  3. Akhilesh Chandra Srivastava10:58 pm

    sunder rachna sachmuch lalach buri bala hai fir bhi aadmi lalch nahin chhodta

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. श्री अखिलेशजी,ललिताजी,गुप्ताजी,शिवेंद्रजी...आप सब का शुक्रिया कि आप सबने रचना पसंद किया..यूँ ही सहयोग बनाए रखें..आपका- प्रमोद यादव

      हटाएं
  4. सपनों को सच मानने वालों के लिए एक बहुत उम्दा शिक्षा |

    जवाब देंहटाएं
  5. चरण सिंह गुप्ता1:06 pm

    सपनों को सच मानने वालों के लिए एक उम्दा शिक्षा

    जवाब देंहटाएं
  6. हा हा हा हा। …। बहुत सुंदर व्यंग

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: प्रमोद यादव का व्यंग्य : सपना - हजार टन सोने का
प्रमोद यादव का व्यंग्य : सपना - हजार टन सोने का
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjgS1ZvAsIK4ifLbjUf38KkxdUeVYMjrX55jHyV_pdg-h5UWvkzN8JSObvTJpuy-82LyadVPc2k8dUFPq2k7jfB9V2rJ8C5KKfpxVgLRUnSRR42Wi5_v4AMEQkBmxzR26K3DwI-/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjgS1ZvAsIK4ifLbjUf38KkxdUeVYMjrX55jHyV_pdg-h5UWvkzN8JSObvTJpuy-82LyadVPc2k8dUFPq2k7jfB9V2rJ8C5KKfpxVgLRUnSRR42Wi5_v4AMEQkBmxzR26K3DwI-/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2013/10/blog-post_17.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2013/10/blog-post_17.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content