' फ़र्क ' हिंदी एकांकी मूल कहानी - श्री विष्णु प्रभाकर नाट्य रूपांतरण -रजनीश दवे \ दिलीप लोकरे पात्र - पति पत्नी भारतीय सैन...
' फ़र्क '
हिंदी एकांकी
मूल कहानी - श्री विष्णु प्रभाकर
नाट्य रूपांतरण -रजनीश दवे \ दिलीप लोकरे
पात्र - पति
पत्नी
भारतीय सैनिक -१
भारतीय सैनिक -२
पाकिस्तानी सैनिक -१
पाकिस्तानी सैनिक - २
दृश्य १
घर
पति - सुनो दीप्ति, परसों ईद है। छुट्टी है। तो एक काम करते हैं एल ओ सी पर चलते है। देखे तो यहाँ ईद कैसे मनाते है। दो चार महीने बाद तो ट्रांसफर हो जायेगा।
पत्नी - पागल हो गए हो न्यूज नहीं देख रहे …रोज गोलियाँ चल रही है
पति - अरे , एल ओ सी पर तो सेफ है। दोनों और के बीच में ढेर सारी खाली जमीन होती है। कोई नहीं होता वहां। और फिर त्यौहार पर थोड़ी न चलाएंगे गोलियाँ।
पत्नी - क्यों ? त्यौहार का झगड़े से क्या लेना-देना ...........त्योहारों पर झगड़े नहीं होते ? पिछली दिवाली पर तुम भी तो झगड़े थे पड़ोसी से......पटाखे चलाने को लेकर
पति - क्या पागलों जैसी बातें करती हो ? मोहल्ले के पड़ोसी और सीमा के पड़ोसी में तुम्हें कोई फर्क नहीं लगता ?
पत्नी - क्यों फर्क लगेगा ? झगड़ा तो झगड़ा ही है ना ?
पति - यार देखो, मैं बहस में नहीं पड़ना चाहता ? तुम तो एक काम करो, बस तैयार रहना सुबह। जल्दी निकल चलेंगे । और मैं अफसरों से कह दूंगा | साथ में ८-१० सैनिक कर देंगे ,फिर थोड़ी चलाएंगे वह गोलियाँ ?
पत्नी - क्या बात करते हो ? जब १००० -२००० एक दूसरे के सामने लढ़ सकते हैं तो १० -२० की क्या बात है ?
पति - तुमसे तो बात करना बेकार है ............अरे भाई बार्डर की पोस्टिंग है तो देख लो। फिर चले जायेंगे यहाँ से तो मौका नहीं मिलेगा | कौन रहना चाहता है यहां। ये जगह तो नर्क से भी बदतर है |
पत्नी - ऐसा क्यों कहते हो ? क्या फौजी नहीं रहते ? गाँव के लोग नहीं रहते ?
पति - अरे यार उनकी तो मजबूरी है । मरने के लिए ही तो भर्ती होते है सेना में । और ये गाँव वाले कोई इंसान है ? जानवरों से भी गई बीती हालत है इनकी ।
पत्नी - कैसी बातें करते है आप ? बेचारे किन मुश्किल हालात में रहते है यहाँ । आये दिन गोलीबारी और तनाव …… फिर पिछले दिनों में तो हालात और भी खराब है.…… न बाबा ना मैं तो नहीं जाउंगी। एकाद मिसाइल आकर सर पर गिर पडी तो क्या होगा ?
पति - [ हंसते हुए ] ओफ्हो दीप्ति। अरे हालात इतने भी खराब नहीं है की मिसाइल को तुम्हारे सर पर गिरना पड़े। कल सुबह तैयार रहना बस।
[मंच पर अन्धेरा ]
दृश्य दो
सैनिकों की बेरेक का दृश्य। दो सैनिक बैठे, आपस में बातें कर रहे हैं।
सैनिक १ - ओये वीरसिंह ! यार मैं तो तंग आ गया हूँ इस टुच -टुच से। अब तो कुछ धडाम -षडाम हो जाना चाहिए।
सैनिक २ - तुम ठीक कहते हो यारा। क्या होता है इन शांति वार्ताओं से ? साले ज्यादा फायदा उठाते है। हर वार्ता के बाद २५ -५० घुसेड़ने की कोशिश करते हैं। ओये हम तो जिसे भी देखते हैं निपटा ही देते हैं, लेकिन कुछ तो बच ही जाते है।
सैनिक १ - अरे यार मेरी तो बाजू फड-फडाती हैं ! एक बार आर्डर मिल जाए …………… माँ कसम लाहोर में तिरंगा फहरा कर ही दम लूं … सच !
सैनिक २ - ओये तू तिरंगा फरायेगा तो मैं क्या घर पर रोटियां सेकुंगा ? तेरे झण्डे में डंडा तो मैं ही लगाउंगा [ दोनों हंसते हैं ]
दृश्य ३
सीमा पर गश्त करते सैनिक। पति- पत्नी दोनों सैनिकों के ओर बढ़ते हैं।
पति - जय हिन्द ................
पत्नी - नमस्कार ……….
सैनिक - जय हिन्द। कैसे हैं आप। यहाँ कैसे आना हुआ ?
पति - जी मेरा नाम खुराना है, जे पी खुराना। ये मेरी पत्नी है दीप्ति। पास ही के जिले में एडीएम हूँ। कुछ दिनों में ट्रांसफर हो जायेगा। सोचा बार्डर देख ली जाए। वैसे सच कहूं तो यहाँ आकर बड़ा रोमांचित हूँ ……….
पत्नी - जी ये बिलकुल ठीक कह रहे हैं। लेकिन यहाँ कोई खतरा तो नहीं है ना ?
सैनिक - जी नहीं। जब हम हैं तो खतरा कैसा ? फिर भी दगाबाज़ों का कोई भरोसा नहीं। सीने पर तो हम कितने भी वार झेल सकते हैं लेकिन पीठ पर किये वार का हम क्या करे ?
पत्नी - जी। इसी लिए हर भारत वासी को आप पर गर्व है।
पति - अच्छा हम थोड़ा और आगे जा सकते हैं क्या ?
सैनिक १ - हाँ …… लेकिन ज्यादा आगे नहीं। वहां [ इशारा करते ] हमारी सीमा ख़त्म हो जाती है और उनकी शुरू ………
सैनिक २ - अच्छा होगा आप वहां ना जाये …
सैनिक १ - आप तो अफसर है …. अच्छी तरह जानते हैं कि दोनों ओर तनाव तो हमेशा बना रहता है।
पति - जी हाँ … आप ठीक कहते हैं।
सैनिक २ - और हाँ…. …… । और फिर आपके साथ आपकी पत्नी भी है।
सैनिक १ - कल ही हमने सीमा पार कर रहे छः घुसपैठियों को मार गिराया था। समझ रहे हैं ना आप ?
पति - जी समझ रहा हूँ ………. [ पत्नी को एक ओर खींच कर धीरे से ] ये लोग क्या मुझे बेवकूफ समझते हैं ?
पत्नी - क्यों क्या हुआ ?
पति - कैसी बातें कर रहे हैं ……. इतना विवेक तो मुझमें है। अपने पराये का भेद करना मुझे अच्छे से आता है
पत्नी - ठीक कहते हो। यह तो मैं भी अच्छे से जानती हूँ। पर छोडो भी। वैसे भी मैं तो मना ही कर रही थी लेकिन तुम ही क्रेजी हो रहे थे……. लो अब देखो।
[ दोनों सैनिकों के नजदीक जाते है। बैग से बिस्किट निकाल कर सैनिकों की ओर बढाते हैं ]
पत्नी - लीजिये ……. [ सैनिक सम्मान पूर्वक मना करता है ]
पति - [ संकोच से ] क्या आपके साथ एक फोटो ले सकते हैं
सैनिक १ - जरूर।
दम्पत्ति सैनिक १ के साथ खड़े होते हैं। सैनिक २ उनसे केमेरा लेकर फोटो लेता है। फिर सैनिक १ केमेरा लेता है व सैनिक २ दम्पत्ति के साथ खडा होता है इसी बीच मंच पर अन्धेरा
दृश्य ४
पाकिस्तानी सैनिकों की बेरेक का दृश्य
पा. सैनिक १ - यासीन मियाँ । आज तो ईद है। पूरा मुल्क जश्न में डूबा है और हम यहाँ सरहद पर ………….
पा. सैनिक २ - क्या करें अजमल भाई। अपनी मर्जी से चुना है आर्मी को। यही हमारी डयूटी है ,इस कारण हथियार ले कर सरहद पर खड़े है। फर्ज हर चीज से पहले होता है।
पा . सैनिक १ - ठीक कहते हो मियाँ। मुल्क की हिफाजत से बढ़कर कोई इबादत नहीं। तो हम भी इबादत ही कर रहे हैं।
पा . सैनिक २ - लेकिन इबातात तो तभी पूरी होगी जब उधर पूरी तरह कब्जा हो जाएगा। दिल को बड़ा सकूं मिलेगा भाई।
पा. सैनिक १ - पर ये होगा तो तभी जब एक दफा आरपार की होगी। मुल्क के हुक्मरान नाकारा ना होते तो कब का ख़त्म कर डालते यह मसला।
पा. सैनिक २ - क्या बात है भाईजान ! आज लाहोर की सिवईयां दिल्ली में खाने की ख्वाइश क्यों। भाई हमारे वजीरे आजम तो बात चीत की सोच रहे है।
पा. सैनिक १ - क्या पिद्दी और क्या पिद्दी का शोरबा। बातचीत करेंगे ……… बातचीत के लिए अहतराम चहिये। न सिर्फ हुक्मरानों का बल्कि अवाम का भी। आज ईद का पाक मौका है खुदा झूट ना बुलवाए। कसम बेवकूफ बन रहे है दोनों। जिस मसले पर यह लकीर खींची गई है उसके सुलझे बिना सरहदों के ये दायरे कभी मिटने वाले नहीं.
दृश्य ५
भारतीय सीमा
सैनिक १ - माना कि हम सैनिक हैं। देश और सीमा की रक्षा हमारा पहला कर्तव्य है ,धर्म है जिसे हमें हर हाल में निभाना है। लेकिन क्या लड़ाई आखरी विकल्प है ?क्या कुछ और रास्ता हो सकता है ?
सैनिक २ - ओये.……. गौतम बुद्ध ! ये सब ट्रेनिंग में नहीं बताया था। और देख भाई ! ज्यादा दिमाग नहीं लगाते ,हमें डयूटी दी गई है। एक उद्येश्य है हमारा ,उसे निभाना है बस। और कर क्या रहे हैं हम? किसी बे -गुनाह को तो नहीं मार रहे। जो गड़बड़ करता है उसके खिलाफ ही तो है। ये कहाँ गलत है भाई ?
सैनिक १ - तुम सही कह रहे हो पर यदि युद्ध के बजाय शांति हो ? सिर्फ तरक्की होती रहे , इंसान की , देश की ,दुनिया की। और हमें काम मिले तो सिर्फ, तरक्की की रक्षा करने का।
सैनिक २ - पता नहीं यार ! किरदार बदलते रहते हैं लेकिन मूद्दे वही रह जाते है। आज हम है कल कोई और होगा। और वैसे भी आज कल सीमा से ज्यादा तो हमें देश के भीतर ही लड़ना पड़ता है। दुश्मन कौन है और कहाँ है यह पहचानना भी मुश्किल होता जा रहा है। [ दम्पत्ती का प्रवेश ] अब इन्हें ही देखो बार्डर को पिकनिक स्पॉट समझ रहे हैं …… [हंसते है ]
सैनिक १ - अरे आप अब तक यहीं है ? सब ठीक है ?
पत्नी - जी बिलकुल ठीक है।
सैनिक २ - कोई परेशानी तो नहीं ? हमसे कुछ मदद चाहिए तो कहिएगा जरूर।
पति - जी ! कोई परेशानी नहीं। आप यहाँ हैं तो हमें क्या परेशानी हा सकती है। बार -बार यहाँ आना तो होगा नहीं सो नज़ारे देख रहे हैं।
सैनिक १ - अरे यहाँ क्या नजारा है ……… एक दूसरे को घूरते सैनिक दूसरा कुछ देखने ही नहीं देते। गोलियों की आवाजें पंछियों की आवाज को दबा देती है। बारूद की गंध हवा में जहर घोल देती है क्या है यहाँ देखने जैसा ?
पत्नी - जी आप सही कहते हैं। आपकी ड्यूटी कितनी कठिन है। मेरे पति या बच्चे को थोड़ी सी देर हो जाये घर आने में तो मैं चिंता में पागल हो जाती हूँ। और आप घर-परिवार छोड़ कर …… अच्छा आप को घर की याद तो आती होगी ?
सैनिक १ - आती क्यों नहीं बहन जी। आखिर तो हम भी इंसान ही है। मेरा परिवार है [ दूसरे सैनिक की ओर इशारा करके ] इसका परिवार है … [ सीमा पार इशारा करके ] उनका भी परिवार है।
सैनिक २ - लेकिन आपके व हमारे परिवार सुरक्षित रहे इसलिए अपना परिवार छोड़ हम यहाँ खड़े हैं। पर देश के अन्दर आप सभी अपना कर्त्तव्य ठीक से निभाते रहे तो हमें यहाँ आसानी हो जाती है।
दृश्य परिवर्तन
मंच पर दोनों देशों की सेना की बेरेक का दृश्य। दोनों देशों के सैनिक घर से आई चिठ्ठी पढ़ रहे हैं।
पा. सैनिक १ - [ ख़त पढ़ते ] अस्सलाम अलेकुम ! मैं यहाँ खैरियत से हूँ। लेकिन अब्बाजान की तबीयत पिछले कुछ दिनों से ठीक नहीं है……………………
भा. सैनिक १ - जीते रहो बेटा। तुम्हारे भेजे पैसे बैंक में आ गए है। बहू ने प्लाट की किश्त जमा करा दी है
पा. सैनिक १ - रिजवान और रेहाना आपको बहुत याद करते हैं । पिछले दिनों पास के बाजार में बम फटने से बहुत डरे हुए है , खुदा से आपकी खैरियत की दुआ करते हैं। ईद पर नए कपड़े पा कर बड़े खुश हैं लेकिन आपके बगैर कैसे मनेगी ईद ?
भा. सैनिक १ - विजय और रश्मी तुम्हारी राह देखते हैं। जैसा तुमने कहा था बहू ने विजय के लिए जूते और रश्मी के लिए सितार खरीद लिया है
पा. सैनिक १ - खाला मुझे कुछ दिनों के लिए बुला रही है.……। लेकिन यहाँ अब्बा की तबियत नासाज है तो कैसे जाऊं समझ नहीं पाती
भा. सैनिक १ - अगले महीने भैया के यहाँ ज्योति की शादी है इस बार आपको आना ही पडेगा। दो दिन के लिए ही सही ,मगर आ जाना ……आपकी सोनल
पा. सैनिक १ - मुझे याद तो करते हो ना ? अल्लाह खैर करे…….आपकी अलीफ़ा
[ दोनों पत्र पढ़कर भाव विहल मुद्रा में धीरे धीरे उठ कर अपनी अपनी जगह जाते हैं। पाक वाले हिस्से में प्रकाश। दूसरा सैनिक पहले से पूछता है ]
पा. सैनिक २ - क्या बात है सब खैरियत तो है ?
पा. सैनिक १ - हाँ खैरियत ही समझो। [ कुछ सोचते हुए अचानक ] तुम जानते हो मुल्क बने , मुल्कों की अपनी अपनी सरहदें बनी। फिर सरहदों की हिफाजत के लिए फौज बनी। हम जैसे कई अपने वतन की सरहद की हिफाजत के लिए फौज में शामिल हुए। लेकिन एक फौजी भी इंसान ही तो होता है। मियाँ हमें कितना ही जानवर बनाने की कोशिश की जाए लेकिन सीने में छुपा दिल अपनी औकात दिखा ही देता है। दिमाग को बातों से बदला जा सकता है लेकिन दिल उसका क्या ?
पा. सैनिक २ - उसका क्या ? किस भी दिन जंग में कहीं से एक गोली आती है और हो जाती है दिल के आर -पार। किस्सा ख़त्म ……. काहे की नमाज और कहाँ का जनाजा ……. एक झंडा लगा ताबूत घर पंहुच जाये यही काफी है
पा. सैनिक १ - लेकिन दिल भी कमबख्त कहता तो यही है कि अपने मुल्क की हिफाजत के लिए कुर्बान हो जाने से बढ़कर कुछ नहीं [ जोर से हंसता है ]
[ भारतीय सीमा वाले भाग पर प्रकाश। पत्र पढ़ने वाला सैनिक नम आँखों के साथ खडा है।]
भा सैनिक २ - [ कंधे पर हाथ रख कर ] घर की याद आ रही है ?
भा सैनिक १ - हाँ यारा …… ये दिल है ना ये बड़ा बदमाश है। भागता फिरता है लगातार इधर उधर। लेकिन हम कैसे कहीं भाग जाएँ ? ओये, देश से बढ़कर कुछ नहीं। बीवी बच्चे तो तभी होंगे न जब देश बचेगा। ओ…………. यहाँ मौज मस्ती के लिए नहीं खड़े हैं हम।
भा सैनिक २ - सही कहा यार। देश के लिए हमारा कर्त्तव्य है माँ -बाप, भाई -बहन, पत्नी- बच्चे ये सब तो………… [ रुक जाता है ] नहीं यार इस तरह कमजोर होने का हमें कोई हक़ नहीं। लेकिन इस मन का क्या करे यारा। मनुष्य होने के नाते संवेदना तो होती है हममें भी।
जानते हो मेरे बेटे का जन्म हुआ तो ड्यूटी के चलते उसका मुंह सात महीने बाद देख पाया था। बहन की शादी में तो जा भी नहीं पाया था.…जीजा से दो महीने बाद मिला। हद तो तब हुई जब कारगिल के समय पिताजी चल बसे……. उन्हें तो मेरा कान्धा तक नहीं दे पाया
[ रुआंसा हो जाता है। दूसरा पास आकर उसे दिलासा देता है । ]
मंच पर पूरा प्रकाश।
दोनों देश के बीच की बिना बाढ़ वाली सीमा दिखाई दे रही है। सीमा के दूसरी ओर पाक सैनिक भी खड़े हैं। इस बीच भारतीय दम्पत्ति सैनिकों के नजदीक आते हैं. ]
पति - [ पाक सैनिकों की ओर इशारा करते ] सर क्या हम उन्हें ईद की बधाई दे सकते हैं ?
भा सैनिक १ - हाँ…. दे सकते है। लेकिन ज्यादा उधर मत जाइएगा। वो आपको चाय पर भी बुला सकते हैं लेकिन जाइएगा नहीं।
[ दंपत्ति पाक सैनिकों से मुखातिब होते हैं ]
पति - नमस्कार ! आपको ईद की बधाई
पत्नी - मेरी ओर से भी हैप्पी ईद
पा सैनिक १ - जी बहुत बहुत शुक्रिया।
पा सैनिक २ - आपको भी ईद की बहुत -बहुत मुबारकबाद
पा. सैनिक १ - इधर तशरीफ़ लाइये। एक प्याला चाय साथ में पीते हैं।
पति - बहुत -बहुत शुक्रिया। पर अभी हम जल्दी में है आज ही वापस लौटना है। और फिर दिन भी ढलने को आया है …… फिर कभी
[ इसी बीच बकरियों का एक झुण्ड पाक सीमा से भारत की सीमा में प्रवेश कर जाता है ]
पति - अरे ये क्या उनकी बकरियां हमारी सीमा में घुस गई
पत्नी - [ भा सैनिकों से ] अभी आपने बताया था कि परसों ही आप ने उनके कुछ घुस पैठियो को मार गिराया था। लेकिन बकरियों को तो जाने दिया यूँ ही
भा सैनिक १ - हाँ मैडम। क्योंकि ये जानवर है कारगिल में बैठ नहीं जायेंगे। ये जानवर है ,संसद पर आक्रमण नहीं करेंगे। हमारे बाजारों में बम नहीं फोड़ेंगे। जानवर है बेचारे अभी घुसे हैं थोड़ी देर में लौट आयेंगे।
पत्नी - सोचती हूँ काश धरती के बन्दे भी इन जानवरों पेड़ पौधों या हवा की तरह हो जाएं। मजहब ,मुल्क, रंग, कौम, नस्ल के भेद मिटा कर एक दूसरे को जीवन दे तो इन सरहदों की जरुरत ही क्यों ?
पति - हाँ , मैंने खलील जिब्रान की किताब में कही पढ़ा है कि अगर आप बादल पर बैठ सकें तो एक देश से दूसरे देश को अलग करने वाली सीमा रेखा आपको नजर नहीं आएगी। लेकिन इंसान है कि बादलों को भी बाँट कर बैठा है.……
भा सैनिक २ - भाई साहब ठीक कहा आपने। सरहदें इंसान की बनाई हुई है। बंटवारा भी इंसान ने ही किया है। फर्क करना भी इंसान का स्वभाव है। जानवर से भी गया बीता है वह। जानवर तो जानवर है सरहदों को नहीं जानता। देश विदेश में फर्क करना भी नहीं जानता......
दम्म्पत्ति सन्न से खड़े हैं। मंच पर धीरे -धीरे अन्धेरा
[समाप्त]
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