क्लोन्ड पुत्र जूनियर भार्गव ईश्वर की भूमिका निभाने के लिए बेकरार मानव जिनोम के मानचित्र को बड़े गौर से देख रहे थे वैज्ञानिक एसडी भार्गव․...
क्लोन्ड पुत्र जूनियर भार्गव
ईश्वर की भूमिका निभाने के लिए बेकरार मानव जिनोम के मानचित्र को बड़े गौर से देख रहे थे वैज्ञानिक एसडी भार्गव․ दुरूह अनुसंधानों में अपना वक्त और पैसा वैज्ञानिक भार्गव ने मुक्त हस्त से लुटाया था․ उनके अनुसंधान में उनकी पुत्री ऐलिजा भार्गव पूर्ण रूप से सहयोग देती आ रही थी․
वैज्ञानिक एसडी भार्गव और उनकी पुत्री ऐलिजा मानव क्लोनिंग से एक ऐसे मानव को प्रयोगशाला में बनाया, जो कद-काठी, देखने-सूनने, बात-व्यवहार में बिल्कुल ही मानव था․ सबसे आश्चर्यजनक बात यह थी कि क्लोनिंग द्वारा प्रयोगशाला में बना मानव वैज्ञानिक एसडी भार्गव का हमशक्ल था क्योंकि वैज्ञानिक भार्गव ने इसे अपने बाल से क्लोनिंग कर बनाया था․
तीस वर्षीया ऐलिजा अपना यौवन प्रयोगशाला में गुजार रही थी․ क्लोन्ड़ मानव दो माह के अंदर ही नवयुवक बन चुका था․ उसका नाम वैज्ञानिक भार्गव ने जूनियर भार्गव रखा․ जूनियर भार्गव बहुत ही प्रतिभावान मानव था․ उसे वैज्ञानिक पद्धतियां जिसमें भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, गणित वगैरह सीखने में मात्र पंद्रह दीन लगे थे․ जूनियर भार्गव की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि एक बार उसके नजरों से कोई भी चीज गूजर जाए तो उसे वह भूलता नहीं थी अर्थात उसकी बुद्धि काफी प्रखर थी․ दूसरी विशेषता यह थी कि उसे अथाह ताकत था, उसे थकावट नहीं होता था, खाना में पका हुआ खाना के अलावे वह ज्यादातर कच्चा ही खाना पंसद करता था․
राखी का त्यौहार आ गया था, जूनियर भार्गव को वैज्ञानिक भार्गव ने बतलाया कि बहन राखी का त्यौहार अपने भाई की कलाई में राखी बांध कर मनाती है और भाई अपनी बहन की रक्षा करने की कसम खाता है․ ऐलिजा वैज्ञानिक भार्गव की पुत्री थी इसलिए जूनियर भार्गव की बहन हुई․ इस तरह जूनियर भार्गव की कलाई में ऐलिजा भार्गव राखी बांध कर राखी का त्यौहार मनायी थी․ समय बीतता गया जूनियर भार्गव भी अब प्रयोगशाला में वैज्ञानिक भार्गव और उनकी पुत्री ऐलिजा के साथ कई अन्य अनुसंधानों में हाथ बंटाने लगा था․
टीवी और नेट पर फिल्में देखना जूनियर भार्गव और ऐलिजा का अनुसंधान के बाद बचे समय में मुख्य मनोरंजन का साधन था․ दुनिया से जुड़ाव का मुख्य जरिया नेट ही था जिससे लगभग पंद्रह से बीस घंटे वैज्ञानिक भार्गव, उनकी पुत्री ऐलिजा भार्गव और उनका क्लोन्ड़ पुत्र जूनियर भार्गव जुड़े रहते थे․
वैसे सभी क्रियाकलाप जूनियर भार्गव का तो मानव की तरह ही था परंतु उसमें एक भावशून्यता सी थी․ मानव संबंधों के बारे में बताए जाने पर वह संबंधों के नाम तो जानता था परंतु उस संबंध से भावानात्मक रूप से वह जुड नही पाता था․ वैज्ञानिक भार्गव को वह पिता तथा ऐलिजा भार्गव को वह बहन कहता जरूर था लेकिन वह भावानात्मक रूप से अपने पिता या बहन से कोई जुड़ाव महसूस नहीं करता था․
जूनियर भार्गव की भावशून्यता का पता वैज्ञानिक भार्गव और उनके पुत्री ऐलिजा भार्गव को उस दिन हुआ जब वैज्ञानिक भार्गव एक दिन अनुसंधान के दौरान कुछ खास मदद के लिए जूनियर भार्गव को बुला रहे थे जबकि जूनियर भार्गव उस वक्त हॉलीवुड की एक फिल्म ‘लीमेटलेस' देखने में व्यस्त था․ वैज्ञानिक भार्गव अंतत जूनियर भार्गव जहां फिल्म देख रहा था वहां आए और जूनियर भार्गव को गुस्से से डांटते हुए साथ चलने को कहा․ जूनियर भार्गव को वैज्ञानिक भार्गव द्वारा डांटना बर्दाश्त नहीं हुआ और जूनियर भार्गव अपनी कुर्सी से उठा और एक झन्नाटेदार थप्पड़ वैज्ञानिक भार्गव के गाल पर जड़ दिया․ थप्पड़ इतना जोरदार था कि वैज्ञानिक भार्गव बेहोश हो गए․ दूसरे कक्ष में ऐलिजा भार्गव ने जब गिरने की धड़ाम सी आवाज सुनी तो दौड़ी आयी तो देखी की उसके पिता बेहोश पड़े है और जूनियर भार्गव अपनी कुर्सी पर बैठा फिल्म देखने में मशरूफ है․ वैज्ञानिक भार्गव को थप्पड़ मारने के बाद उनका बेहोश हो कर गिर पड़ने का कोई प्रभाव जूनियर भार्गव पर नहीं पड़ा था वे पूर्ववत फिल्म देखने में मशरूफ था․
ऐलिजा भार्गव तुरंत अपने पिता को पानी के छींटे से होश में लायी और फिर अपने पिता को शयनकक्ष में आराम करने के लिए पहुंचाया․ ऐलिजा भार्गव ने अपने पिता से जब सुना कि जूनियर भार्गव ने उन्हें थप्पड़ मारा है तो उसे गुस्सा तो बहुत आया पर दूसरे ही पल वह यह सोच कर चुप रह गयी कि क्लोन्ड़ मानव जूनियर भार्गव रिश्ते के गरिमा को नहीं समझ सकता․ वैज्ञानिक भार्गव उस दिन कार्य नहीं कर सके․ थप्पड़ के चोट से उनके जबड़े में दर्द हो गया था और यह सोच कर मानसिक तनाव कि जूनियर भार्गव जब उन्हें थप्पड़ मार सकता है तो वह और भी खतरनाक कार्य कर सकता है․
दूसरे दिन वैज्ञानिक भार्गव ने अपनी पुत्री ऐलिजा से बड़ी गंभीरता से इस मुद्दे पर विचार-विमर्श कर रहे थे कि उन्होंने क्लोनिंग से जिस मानव का विकास किया, वह उनकी भूल तो नहीं क्योंकि अब उन्हें भी ऐसा प्रतीत होने लगा था कि जूनियर भार्गव में संवेदना की कमी है और संवेदना रहित मानव मशीन से ज्यादा कुछ भी नहीं․
ऐलिजा का मत था कि जिस तरह वैज्ञानिक प)तियों से किसी मशीन को मानव बनाया जा सकता है उसी तरह मशीन रूपी मानव में संवेदना भी डाली जा सकती है․ उसे संवेदना सिखायी जा सकती है․ वैज्ञानिक भार्गव को अपनी पुत्री के संवेदना संबंधी विचार यद्यपि ग्राह्य तो नहीं लगे फिर भी तत्काल उन्होंने कुछ कहा नहीं․
वैज्ञानिक भार्गव को थप्पड़ मारे जाने वाली घटना अंदर से कचोटती रही․ उन्होंने एक दिन अन्य वैज्ञानिकों से क्लोनिंग द्वारा विकसित मानव में संवेदना के संचार विषय पर आयोजित गोष्ठी में सिरकत करने कैलिफोर्निया चले गए․
ऐलिजा भार्गव और जूनियर भार्गव उस रात प्रयोगशाला में अपने-अपने कार्यों में व्यस्त थे कि अचानक जूनियर भार्गव ऐलिजा के पास आया और उसे कुर्सी से लगभग अपनी गोद में उठा लिया और जैसा कि उसने हॉलीवुड़ के कई फिल्मों में देखा था, उसी तरह ऐलिजा को गोद में लिए हुए ‘बॉलडांस' करने लगा․ ऐलिजा उसकी इस हरकत से क्रोधित और भयभीत हो गयी थी․ ऐलिजा ने जूनियर भार्गव को समझाने का प्रयास भी किया कि वह उसकी बहन है और हमारी संस्कृति में इस तरह का ‘बॉलडांस' एक भाई अपनी बहन के साथ नहीं करता है परंतु जूनियर भार्गव पर इस बात का तनिक भी प्रभाव न पड़ते देख ऐलिजा क्रोधित होकर उसे ऐसा नहीं करने का आदेश दिया․
जूनियर भार्गव को अपने मनोरंजन में व्यवधान डाल रही ऐलिजा पर क्रोध आ गया, उसने ऐलिजा के कपड़े फाड़ दिए और उसी अवस्था में उसे उठाकर शयनकक्ष में ले जाने लगा․ ऐलिजा चींखने लगी थी, परंतु घर पर कोई नहीं था․ ऐलिजा ने जूनियर भार्गव के आंखों में आयी चमक को देखकर इतनी भयभीत हो गयी थी कि उसने रहम के लिए गिड़गिड़ना शुरू कर दिया लेकिन जूनियर भार्गव पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा․ उसने बड़े इत्मीनान से ऐलिजा को शयनकक्ष में ले गया और अपनी हवस की आग को बुझाने के बाद सीधा प्रयोगशाला में आया और अपने अधूरे कार्यों को पूरा करने में लग गया․
ऐलिजा जब उस हादसे के कुछ घंटे बाद होश में आयी तो एक वैज्ञानिक की तरह उसने अपने भाई जूनियर भार्गव के अस्तित्व को मिटा देना ही मानवता के लिए आवश्यक समझा पर ऐसा कर पाना अब इतना आसान भी नहीं था․
राजीव आनंद
सेल फोन - 9471765417
हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} किसी भी प्रकार की चर्चा आमंत्रित है दोनों ही सामूहिक ब्लौग है। कोई भी इनका रचनाकार बन सकता है। इन दोनों ब्लौगों का उदेश्य अच्छी रचनाओं का संग्रहण करना है। कविता मंच पर उजाले उनकी यादों के अंतर्गत पुराने कवियों की रचनआएं भी आमंत्रित हैं। आप kuldeepsingpinku@gmail.com पर मेल भेजकर इसके सदस्य बन सकते हैं। प्रत्येक रचनाकार का हृद्य से स्वागत है।
जवाब देंहटाएं