प्रमोद भार्गव का आलेख - आरटीआईः नहीं हटेगा पर्दा

SHARE:

पुराने हिन्‍दी फिल्‍मों के गीतों में स्‍वस्‍थ मनोरंजन के साथ दर्शन का पुट भी झलकता है। इस भावना का पर्याय गीत है, पर्दे में रहने दो, पर्दा ...

पुराने हिन्‍दी फिल्‍मों के गीतों में स्‍वस्‍थ मनोरंजन के साथ दर्शन का पुट भी झलकता है। इस भावना का पर्याय गीत है, पर्दे में रहने दो, पर्दा न हटाओ, पर्दा जो खुल गया तो भेद खुल जाएगा। देश की सर्वोच्‍च अदालत ने राजनीतिक दलों द्वारा लिए जाने वाले चंदे में पारदर्शिता लाने के नजरिये से, छह प्रमुख दलों को आरटीआई के दायरे में ला दिया था। चूंकि सभी दल चोर-चोर मौसेरे भाई की तर्ज पर काम कर रहे हैं, इसलिए इनकी छातियों पर सांप लोटना लाजिमी था। इस सांप से मुक्‍ति के लिए केंद्र सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई और दलों को सूचना का अधिकार कानून के दासरे से बाहर रखने का फैसला ले लिया। कैबिनेट ने 2005 में बने आरटीआई कानून में परिवर्तन की मंजूरी दे दी। संशोधित विधेयक मानसून सत्र में पेश होगा। चूंकि सभी दल बदलाव के पक्ष में हैं, इसलिए विधेयक के पारित होने में अड़चनें आनी ही नहीं हैं। हालांकि न्‍यायालय के आए ऐतिहासिक फैसले के बाद से ही ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि सरकार ने जिस तरह से सीबीआई को सूचना के अधिकार कानून से मुक्‍त कर दिया था, कुछ वैसा हश्र, इस फैसले के साथ भी होगा।

राजनीतिक दलों में पारदर्शिता लाने के नजरिये से इन्‍हें आरटीआई के दायरे में लाना एक ऐतिहासिक घटना ऐतिहासिक फैसला था। केंद्रीय सूचना आयोग ने राजनीतिक दलों को सूचना का अधिकार कानून के दायरे में लाकर उल्‍लेखनीय पहल की थी। इससे प्रमुख दल मांगे गए सवाल का जवाब देने के लिए बाध्‍यकारी हो गये थे। मौजूदा स्‍थिति में कोई भी राजनीतिक दल आरटीआई के दायरे में आना नहीं चाहता था। क्‍योंकि वे औद्योगिक घरानों से बेहिसाब चंदा लेते हैं और फिर उनके हित साधक की भूमिका में आ जाते हैं।

मुख्‍य सूचना आयुक्‍त सत्‍यानंद मिश्रा और सूचना आयुक्‍त एमएल शर्मा व अन्‍नपूर्णा दीक्षित की पूर्ण पीठ ने अपने फैसले में आरटीआई कानून के तहत छह राजनीतिक दलों को सार्वजनिक संस्‍था माना था। इनमें कांग्रेस, भाजपा, माकपा, भाकपा, राकांपा और बसपा शामिल थे। आगे इस फेहरिश्‍त में अन्‍य दलों का भी आना तय था। समाजवादी पार्टी, अकाली दल, जनता दल और तृणमूल कांग्रेस जैसे बड़े दल आरटीआई के दायरे से बचे रह गए थे। पीठ ने यह फैसला आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल और एसेसिएशन अॉफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्‍स के प्रमुख अनिल बैरवाल के आवेदनों पर सुनाया था। दरअसल इन कार्यकर्ताओं ने इन छह दलों से उन्‍हें दान में मिले धन और दानदाताओं के नामों की जानकारी मांगी थी। लेकिन पारदर्शिता पर पर्दा डाले रखने की दृष्‍टि से सभी दलों ने जानकारी देने से इनकार कर दिया था। अब कैबिनेट ने फैसला लेकर साफ कर दिया है कि उनसे आरटीआई के तहत चंदा संबंधी जानकारी मांगी ही नहीं जा सकती।

अनिल बैरवाल ने तीन सैद्धांतिक बिंदुओं का हवाला देते हुए दलों को आरटीआई के दायरे में लाने की पैरवी की थी। एक, निर्वाचन आयोग में पंजीकृत सभी दलों को केंद्र सरकार की ओर से परोक्ष-अपरोक्ष मदद मिलती है। इनमें आयकर जैसी छूटें और आकाशवाणी व दूरदर्शन पर मुफ्‌त प्रचार की सुविधाएं शामिल हैं। दलों के कार्यालयों के लिए केंद्र और राज्‍य सरकारें भूमि और भवन बेहद सस्‍ती दरों पर उपलब्‍ध कराती हैं। ये अप्रत्‍यक्ष लाभ सरकारी सहायता की श्रेणी में आते हैं। दूसरा सैद्धांतिक बिंदु था कि दल सार्वजनिक कामकाज के निष्‍पादन से जुड़े हैं। साथ ही उन्‍हें अधिकार और जवाबदेही से जुड़े संवैधानिक दायित्‍व प्राप्‍त हैं, जो आम नागरिक के जीवन को प्रभावित करते हैं। चूंकि दल निंरतर सार्वजनिक कर्तव्‍य से जुड़े होते है, इसलिए पारदर्शिता की दृष्‍टि से जनता के प्रति उनकी जवाबदेही बनती है। लिहाजा पारदर्शिता के साथ राजनीतिक जीवन में कर्तव्‍य की पवित्रता भी दिखाई देनी चाहिए।

तीसरा बिंदु था कि दल सीधे संवैधानिक प्रावधान व कानूनी प्रक्रियाओं से जुड़े हैं, इसलिए भी उनके अधिकार उनके पालन में जवाबदेही की शर्त अंतनिर्हित है। राजनीतिक दल और गैर सरकारी संगठन होने के बावजूद प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष रुप से सरकार के अधिकारों व कर्तव्‍यों को प्रभावित करते हैं, इसलिए उनका हस्‍तक्षेप कहीं अनावश्‍यक व दलगत स्‍वार्थपूर्ति के लिए तो नहीं है, इसकी जवाबदेही सुनिश्‍चित होना जरुरी है ? आजकल सभी दलों की राज्‍य सरकारें सरकारी योजनाओं को स्‍थानीय स्‍तर पर अमल में लाने के बहाने जो मेले लगाती हैं, उनकी पृष्‍ठभूमि में अंततः दल को शक्‍ति संपन्‍न बनाना ही होता है। इस बहाने सरकारें दलगत राजनीति को ही हवा देती हैं। सरकार, सरकारी अमले पर भीड़ जुटाने का दबाव डालती हैं और संसाधनों का भी दुरपयोग करती हैं। लिहाजा जरुरी था कि राजनीतिक दल आरटीआई के दायरे में आएं जिससे उनकी बेजा हरकतों पर एक हद तक अंकुश लगता।

राजनीतिक दल भले ही आरटीआई के दायरे में आने से बच रहे हों, किंतु पहले से ही देश के कुछ व्‍यापारिक घरानों ने दलों को वैधानिक तरीके से चंदा देने का सिलसिला शुरु कर दिया है। डेढ़ साल पहले अनिल बैरवाल के ही संगठन ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी जुटाई थी। इस जानकारी से खुलासा हुआ था कि उद्योग जगत अपने जन कल्‍याणकारी न्‍यासों के खातों से चैक द्वारा चंदा देने लग गए हैं। इस प्रक्रिया से तय हुआ कि उद्योगपतियों ने एक सुरक्षित और भरोसे का खेल खेलना शुरु कर दिया है। सबसे ज्‍यादा चंदा कांग्रेस को मिला है। 2004 से 2011 में कांग्रेस को 2008 करोड़ रुपए मिले, जबकि दूसरे नंबर पर रहने वाली भाजपा को इस अवधि में 995 करोड़ रुपए मिले। इसके बाद बसपा, सपा और राकांपा हैं। अब तक केवल 50 दानदाताओंसे जानकारी हासिल हुई है। जिस अनुपात में दलों को चंदा दिया गया है, उससे स्‍पष्‍ट होता है कि उद्योगपति चंदा देने में चतुराई बरतते हैं। उनका दलीय विचारधारा में विश्‍वास होने की बजाय दल की ताकत पर दृष्‍टि होती है। यही वजह रही कि उत्‍तर प्रदेश में बसपा और सपा की सरकारें रहने के दौरान देश के दिग्‍गज अरब-खरबपति चंदा देने की होड़ में लगे रहे।

यहां सवाल उठता है कि यदि लोकतंत्र में संसद और विधानसभाओं को गतिशील व लोक-कल्‍याणकारी बनाए रखने की जो जवाबदेही दलों की होती है, यदि वहीं औद्योगिक घरानों, माफिया सरगनाओं और काले व जाली धन के जरिये खुद के हित साधन में लग जाएंगे तो उनकी प्राथमिकताओं में जन-आकांक्षाओं की पूर्ति की बजाय, वे उद्योगपतियों के हित संरक्षण में लगी रहेंगी। आर्थिक उदारवाद के पिछले दो दशकों के भीतर कुछ ऐसा ही देखने में आया है। राजनैतिक दल यदि सूचना के दायरे में बने रहते तो आवारा पूंजी उनके खाते में आने से कमोबेश वंचित रहती। इससे चुनावों में फिजूलखर्ची अंकुश लगने की उम्‍मीद थी। लेकिन अब यह सिलसिला बना रहेगा।

----

 

प्रमोद भार्गव

शब्‍दार्थ 49,श्रीराम कॉलोनी

शिवपुरी मप्र

मो 09425488224

फोन 07492 232007

लेखक प्रिंट और इलेक्‍ट्रोनिक मीडिया से जुड़े वरिष्‍ठ पत्रकार है।

COMMENTS

BLOGGER: 4
  1. श्री भार्गवजी, आपका आलेख पढ़ा.अच्छा लगा.अपने हित को साधने सभी दल एक हो जाते हैं..आर.टी.आई. में भी यही होना है..देश का दुर्भाग्य ही है यह.अब विकल्प बताएं कि पब्लिक क्या करे ? -प्रमोद यादव

    जवाब देंहटाएं
  2. हमें याद रखना चाहि‍ए कि भारत में RTI जैसे अधि‍नि‍यम केवल दुनि‍या को ये बताने के लि‍ए पास कि‍ए जाते हैं कि‍ हम पि‍छड़े हुए नहीं हैं. न कि‍ सचमुच ही उस भावना को मूर्तरूप देने के लि‍ए जि‍नकी अपेक्षा दुनि‍या हमसे करती है

    जवाब देंहटाएं
  3. Very interesting & thoughtful initiative! Lovely article!

    जवाब देंहटाएं
  4. बेनामी10:06 am

    jo bhi kanoon desh ke aam aadmi par laagoo hai voh in rajneetik dalon aur inke netaon par kyon nahi prabhavi hain Law of the land sab par lagna hi chahiye fir chahe criminal laws hon Incometax law hon ya retirement age kisi post ke liye minimum qualification par jinke haath satta hai un par koi niyam nahin lagta aisa kyon ? kya yeh desh men kamjor prajatantra ke lakshan nahin ? jahan janta hi sabse kamjor hai aur maar bhi ohi khati hai

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: प्रमोद भार्गव का आलेख - आरटीआईः नहीं हटेगा पर्दा
प्रमोद भार्गव का आलेख - आरटीआईः नहीं हटेगा पर्दा
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh50hxVap1gXqT6V0yqO4bUy10iUeNg7J7NBl3BaFPsHtvpg-uMHHkvLUh3G38CQD49_1FVgv-xFWP0HAW2M_1OPjLWZZ42m1eq8Uyap1vntDzuBob9kSbo5zVZh-fbA2e84CrG/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh50hxVap1gXqT6V0yqO4bUy10iUeNg7J7NBl3BaFPsHtvpg-uMHHkvLUh3G38CQD49_1FVgv-xFWP0HAW2M_1OPjLWZZ42m1eq8Uyap1vntDzuBob9kSbo5zVZh-fbA2e84CrG/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2013/08/blog-post_6.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2013/08/blog-post_6.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content