पर्यावरण - बच्चे क्या करें ? (बालवाणी, हिन्दी संस्थान लखनऊ के जुलाई-अगस्त 2013 में प्रकाशित) बच्चों आप सबने अपने स्कूल की किताबों में...
पर्यावरण - बच्चे क्या करें ?
(बालवाणी, हिन्दी संस्थान लखनऊ के जुलाई-अगस्त 2013 में प्रकाशित)
बच्चों आप सबने अपने स्कूल की किताबों में पर्यावरण के विषय में बहुत कुछ पढ़ा है । पर्यावरण दिवस पर आप में से बहुतों ने चित्रकला प्रतियोगिताओं और रैलियों में भी भाग लिया होगा । प्रकृति ने वनों और नदियों के रुप में जो नैसर्गिक सौंदर्य हमें प्रदान किया है, उसमें निरन्तर कमी आ रही है और यह बहुत ही चिन्ता का विषय है। यह बहुत ही आश्चर्य की बात है कि बच्चों को तो पर्यावरण का सुरक्षित रखने के लिए जागर�क बनाया जाता है और आप अपनी जागरुकता दिखाते भी हैं परन्तु वास्तविकता में बड़े लोग अर्थात आपके या आपके कई मित्रों के माता-पिता पर्यावरण के प्रति उतने जागरुक दिखायी नहीं देते । बड़े लोगों की पर्यावरण के प्रति उदासीनता चिन्ता का विषय है । आज आवश्यकता इस बात की है कि बच्चे स्वयं तो जागरुक हों ही वरन अपने माता-पिता को भी जागरुक बनायें और इस बात का अहसास करायें कि यदि बड़े लोग पर्यावरण के प्रति उदासीन होंगे या लापरवाही बरतेंगे तो इससे उनके ही बच्चों की हानि होगी । पेड़ कार्बन डाइआक्साइड को आक्सीजन में परिवर्तित कर हमें सांस लेने के लिए शुद्ध हवा देते हैं, वहीं नदियां पीने के लिए सिंचाई के लिए पानी देती हैं ।
आप बच्चे सोंचेंगे कि इसके लिए वे क्या कर सकते हैं? तो बच्चों यहां मैं आपको बिन्दुवार कुछ सुझाव दे रहा हूँ और आप से आशा करता हूँ कि आप स्वयं तो इन पर अमल करें ही अपने माता-पिता को भी इन पर अमल करने के लिए प्रेरित करें ।
1- पेड़ों को काटने से बचाना - जिन बच्चों के पिता वन विभाग में कार्य करते हैं या किसी भी प्रकार की निर्माण संस्था से जुड़े है, वे बच्चे अपने पिता को इस बात के लिए प्रेरित करें कि जहां तक सम्भव हो पेड़ों को काटने से बचायें । सड़कों को चौड़ा करने या नयी सड़क बनाने के लिए यदि कुछ पेड़ काटने आवश्यक हों तो कम से कम उतने ही पेड़ सड़कों के किनारे लगाने की व्यवस्था भी करें । पेड़ों के बीच से जाती सड़क कितनी सुन्दर लगती है यह अपने स्वयं अनुभव किया होगा । जहां सड़क के किनारे पेड़ नहीं होते वो सड़कें बड़ी वीरान नज़र आती हैं ।
2- अपने घर के आस-पास पेड़ लगाना - आप में से कई बच्चों ने चित्रकला प्रतियोगिता में भाग लेकर बड़ी सुन्दर सी पेड़ों से घिरी झोपड़ी या मकान बनाया होगा लेकिन यह नहीं सोचा कि आप के घर के बाहर बहुत सी ऐसी जगह है जहां पेड़ लगाये जा सकते हैं । तो बच्चों अपने माता-पिता से थोड़ी ज़िद करें कि वे कुछ पेड़ लगाने में आपकी सहायता करें । कुछ ही दिनों में जब वह पेड़ बड़ा होगा तो आपको छाया देगा और आपका स्कूटर या कार भी गर्मी में धूप में नहीं तपेगी । उस पेड़ पर बैठी चहचहाती चिड़ियां भी आपको मधुर गीत सुनायेंगी ।
3- नदियों और तालाबों को प्रदूषण से बचाना - नदियों और तालाबों का प्रदूषण एक बहुत बड़ी समस्या है । आप ज़रा अपने माता-पिता से पूछें कि क्या उन्हे वह दिन याद हैं कि जब वह अपने बचपन में नदी या किसी तालाब के किनारे जाते थे तो पानी कितना साफ़ होता था । वह अवश्य ही कहेगें कि हाँ पहले पानी बहुत साफ़ हुआ करता था । तो फिर अब क्या हो गया? यह सब लोगों की लापरवाही का परिणाम है । आप लोग अपने माता-पिता से कहें कि पूजा के फूल नदियों या तालाबों में न डालें इससे प्रदूषण बढ़ता है । पूजा के फूलों को अपने ही घर की बग़ीचे में एक गड्ढे में जमा करें साथ ही सब्ज़ियों और फलों के छिलके भी उसमें जमा करते जायें, कुछ दिनों बाद यह आपके बग़ीचे और गमलों के लिए खाद का काम करेंगे । बहुत सी फ़ैक्टरियों का दूषित जल व हानिकारक रसायन नदियों में बिना उचित व्यवस्था के प्रवाहित हो रहे हैं । सरकार इस विषय पर कार्य कर रही है परन्तु खेद है कि यह प्रयास अभी तक सफल नहीं हुए हैं । आप अपने माता-पिता के साथ इस विषय में मिल जुल कर सम्बन्धित विभागों को पत्र लिख सकतेे हैं या राष्ट�पति, प्रधान मन्त्री, राज्यपाल और मुख्यमन्त्री को ज्ञापन भेज सकते हैं । सबकी एक आवाज़ सरकार को और अधिक प्रभावी र�प से कार्य करने के लिए विवश करेगी ।
4- पॉलीथीन के प्रयोग पर लगाम - बच्चों पॉलीथीन आज के समय की बहुत विकट समस्या है । हम लोग जो पॉलीथीन बाहर सड़क पर या कूड़े में फेंक देते हैं उसमें से बहुत सा सीवर में चला जाता है । सीवर में जाकर या तो सीवर को बन्द कर देता है या फिर नदियों तक पहुंच जाता है और प्रदूषण बढ़ाता है । दोनों ही स्थितियों में हानि सबकी होती है । बहुत से लोग बचा हुआ घर का कूड़ा या बचा हुआ बासी खाना पॉलीथीन में डाल कर बाहर डाल देते हैं जिसे अनजाने में गाय खा लेती है और पॉलीथीन उसके पेट में चला जाता है । यह गाय के लिए बहुत ही पीड़ा दायक है । इन सभी स्थितियों से बचने के लिए एक प्रण लेने की आवश्यकता है कि हम पॉलीथीन का प्रयोग कम से कम करेेंगे । कैैसे करेंगे? अपने माता-पिता से कहें कि सामान, सब्ज़ी, फल या दूध लेने जाते समय घर से थैला लेकर जायें । अगर एक थैले में आलू प्याज़ मिल कर घर आ जायेगा तो कोई हानि नहीं होगी और उसे घर आकर अलग किया जा सकता है । इसी तरह सेब और केला या सन्तरा एक थैले में लाकर घर पर अलग कर सकते हैं, उन्हें अलग पॉलीथीन में लाने का कोई औचित्य नहीं है । दूध के पैकेट भी थैले में लाये जा सकते हैं और पॉलीथीन का प्रयोग कम किया जा सकता है ।
5- कार और स्कूटर का उचित रख-रखाव आवश्यक - विभिन्न वाहनों से निकलने वाला धुआं पर्यावरण के प्रदूषण का एक बहुत मुख्य कारण है । वाहनों से होने वाले प्रदूषण से बचाने के लिए ही शहरों में अधिक से अधिक बड़ी गाड़ियां सी0एन0जी0 से चलायी जा रही हैं । ड़ीज़ल और पैट्रोल से चलने वाले वाहनों निकलने वाले धुंए की मात्रा भी निर्धारित है । अतः आप अपने माता-पिता से कहें कि वह अपनी गाड़ियों का रख-रखाव भली प्रकार करें और इंजन की ट्यूनिंग समय पर कराते रहें जिससे धुंआ कम निकले और वातावरण के प्रदूषण को कम किया जा सके ।
बच्चों आप यह सोंच रहे होंगे कि यह सारी बातें मैं आपसे से करने के लिए क्यों कह रहा हूँ ? तो बात यह है कि बच्चे तो समाज और देश का भविष्य हैं । उन्हें ही आगे चलकर देश की बागडोर संभालनी है । इसलिए यदि वर्तमान में जागरुकता केवल किताबों तक सीमित रह जायेगी तो उससे कोई लाभ नहीं होगा । अतः आप स्वयं जागरुक बनने के साथ-साथ यदि आप ब्रड़ों को भी जागरुक बनाने में सफल होते हैं तो यही आपके उज्जवल भविष्य की सफलता है । अच्छा पर्यावरण अच्छे स्वास्थ्य के लिए बहुत आवश्यक है ।
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(शैलेन्द्र नाथ कौल)
11, बसन्त विहार
(निकट सेन्ट मेरी इन्टर कालेज)
सेक्टर-14, इन्दिरा नगर, लखनउ�-226016
मोबाइल-9839040657
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