जैसे सोने को आग में तपाकर उसके असली अथवा नकली होने का प्रमाण प्राप्त किया जाता है । वैसे ही प्रत्येक विद्यार्थी को परीक्षा रुपी आग में तप...
जैसे सोने को आग में तपाकर उसके असली अथवा नकली होने का प्रमाण प्राप्त किया जाता है । वैसे ही प्रत्येक विद्यार्थी को परीक्षा रुपी आग में तपकर अपने खरे होने का प्रमाण देना पड़ता है । एक अच्छे और सच्चे विद्यार्थी को बिना किसी भय के हौसले के साथ एक वीर सिपाही की तरह परीक्षा रुपी युद्ध का सामना करना चाहिये । और हमेशा अच्छी और सच्ची विजय की कामना करनी चाहिये तथा इसके लिए दृढ़ इच्छाशक्ति और कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है ।
कुछ बातों का ध्यान रखा जाय तो परीक्षा में बहुत अच्छा परिणाम लाया जा सकता है । बहुत अच्छा या सबसे अच्छा परिणाम केवल परीक्षा में अथवा परीक्षा से एक-दो महीने पढ़कर नहीं लाया जा सकता है । ऐसे विद्यार्थी जो जीवन में पढ़ाई के बल पर कुछ करना चाहते हैं । उन्हें किसी शार्टकट तरीके से अथवा नकल करके मार्क लाने का खयाल मन से बिल्कुल निकाल देना चाहिए । परीक्षा में मार्क भले ही कम आये । परन्तु नकल का आश्रय नहीं लेना चाहिये ।
नकल के बल पर अथवा शार्टकट तरीके से अधिक मार्क हथियाने वाले आगे चलकर मात खा जाते हैं । वहीं अपनी मेहनत से पढ़ने वाले भले ही कम मार्क पाए हों । आगे चलकर इनसे अच्छा करते हैं । लेकिन यदि आप मेहनती हैं और योजनाबद्ध तरीके से परीक्षा की तैयारी करते हैं । तो निश्चित रूप से परीक्षा में आप अच्छा प्रदर्शन करेंगे और आपको कम अंक मिलेगा ही नहीं ।
यह लेख उन विद्यार्थियों के लिए ज्यादा लाभदायक होगा । जो अपनी मेहनत और पढ़ाई के बल पर जीवन में कुछ हासिल करना चाहते हैं । आप चाहे जिस कक्षा के विद्यार्थी हों । जब आप एडमीशन ले लें और आपकी पढ़ाई आरम्भ हो जाय तभी आपको यह सोचना चाहिये कि कुछ महीने बाद आप को परीक्षा देनी है । अतः आप उसी दिन से ही परीक्षा की तैयारी शुरू कर दीजिए ।
प्रत्येक विषय का नोट बनाना चाहिये । किसी पुराने नोट को उतार लेना अच्छा नहीं होता । आपके शिक्षक जो आपको पढ़ाए उसी के आधार पर आप अपना नोट तैयार कीजिए । आप इसमें किताब की मदद भी अवश्य लें । किसी के नोट की मदद भी ले सकते हैं । लेकिन जो भी आपको लिखना हो । उसे समझकर लिखें । ऐसा करने से बहुत सी चीजें अपने आप तैयार हो जाती हैं तथा बाद में समय बर्बाद नहीं होता । नोट थोड़ा-थोड़ा बनाना चाहिए । नोट बनाने और कहीं से उतारने में अंतर होता है । नोट तैयार करते समय अपने पाठ्यक्रम का विशेष खयाल रखना चाहिये । अन्यथा ऐसा भी हो सकता है कि आप से कुछ आवश्यक टॉपिक छूट जाय तथा जो आवश्यक न हो आप उसे पढ़ लें ।
जब आप पढ़कर व समझकर नोट बनाएंगे तो आपको नोट तैयार हो जाने के बाद सिर्फ दुहराने की, साथ ही थोड़ा और बारीकी से समझने की जरूरत ही शेष रहेगी । साथ ही पुस्तक भी देखते रहिये । पुस्तक में दिए गए उदाहरणों व प्रश्नों के उत्तर, जिन्हें आपने अपने नोट में सम्मिलित नहीं किया है, सोचने व लिखने का प्रयास करें । समझ में न आने पर अपने मित्रों और शिक्षकों की भी मदद ले सकते हैं ।
इतना सदा ध्यान रखें कि जो भी पढ़ना है ठीक से पढ़ना है । आधा अधूरा न पढ़ें । जो भी टॉपिक शुरू करें उसे आदि से अंत तक पढ़ कर समझ लें । अधिक पढ़ने के चक्कर में ऐसा कदापि न करें कि थोड़ा यहाँ से थोड़ा वहाँ और थोड़ा कहीं और से देख लिया अथवा पढ़ लिया । कहावत है कि “आधी छोड़ पूरी को धावै, न आधी रहै न पूरी पावै” ।
आप पिछले साल के प्रश्न-पत्रों का भी अवलोकन अवश्य करें । इससे परीक्षा में पूछे जाने वाले सम्भावित प्रश्नों के बारे में आप थोड़ा-बहुत अनुमान कर सकेंगे । साथ ही आपको कुछ ऐसे प्रश्नों को तैयार करने की प्रेरणा मिलेगी, जिन्हें शायद आप ने पढ़ा ही नहीं था । लेकिन कभी भी केवल इम्पोर्टेंट पढ़ने के चक्कर में न पड़े । एक अच्छे विद्यार्थी को सम्बन्धित विषय की तैयारी करनी चाहिए न कि उन चंद प्रश्नों की जिन्हें कुछ लोग इम्पोर्टेंट समझते हैं ।
इस तरह की लम्बी तैयारी करने वाले एक्जामफोबिया के शिकार नहीं होते तथा परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करते हैं । परीक्षा की रात ठीक से नींद लेना चाहिये । बहुत से विद्यार्थी पूरी रात जागकर परीक्षा देने जाते हैं । यह बहुत ही गलत तरीका है । इससे ऐसा भी हो सकता है कि जिस प्रश्न का उत्तर आपको पता हो आप उसका भी ठीक से उत्तर न दे पाएँ ।
परीक्षा में प्रश्न-पत्र मिलने के बाद सबसे पहले प्रश्नों को ध्यान से पढ़ना चाहिये । इसके बाद जिस प्रश्न का उत्तर ठीक से आता हो उसे पहले करना चाहिये । इसके बाद जिस प्रश्न का जितना उत्तर आपको पता हो लिख सकते हैं । कुल मिलाकर उतने ही प्रश्नों का उत्तर देना चाहिये, जितने के लिए निर्देश दिया गया हो । लेकिन कुछ भी न आने पर उटपटांग बांते लिख कर कापी भरने का प्रयास नहीं करना चाहिये । साथ ही जहाँ तक हो सके काट-पीट करने से भी बचना चाहिये ।
जिस तरह आप क्लास अटेंड करने जाते हैं । ठीक उसी तरह शांतचित्त व तनावमुक्त होकर परीक्षा देने जाइए । और इस तरह आप तभी जा पाएंगे, जब आपकी तैयारी लगभग पूर्ण होगी तथा आपको विषय का ज्ञान होगा । यह लम्बी तैयारी से, जैसा कि उपर बताया गया है, सम्भव है । सिर्फ परीक्षा के दौरान तथा परीक्षा सिर पर आ जाने पर अथवा परीक्षा के एक-दो महीने पूर्व पढ़ने वालों के लिए यह बहुत ही मुश्किल या यूँ कहिये कि लगभग असम्भव है ।
अगर आप उपरोक्त तरीके से तैयारी करेंगे तो अपने आप, आपमें ऐसा आत्मविश्वास आ जायेगा कि आप परीक्षा को बहुत ही सहज तरीके से दे सकेंगे साथ ही अच्छा प्रदर्शन करेंगे । इस तरह की पढ़ाई से आप बड़ी से बड़ी प्रतियोगी परीक्षा में बैठने के लिए अपने को आसानी से तैयार कर सकेंगे तथा आसानी से उसे पास भी कर सकेंगे ।
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डॉ. एस. के. पाण्डेय,
समशापुर (उ.प्र.) ।
ब्लॉग: श्रीराम प्रभु कृपा: मानो या न मानो
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