शाइर गुलाम मोहियूद्दीन माहिर की ग़ज़ल कृति ‘ ताबीरे ख़्वाब ' का विमोचन ( रिपोर्टिंग - संजय जनागल) बीकानेर। बीकानेर के जाने माने शाइर...
शाइर गुलाम मोहियूद्दीन माहिर की ग़ज़ल कृति ‘ताबीरे ख़्वाब' का विमोचन
(रिपोर्टिंग - संजय जनागल)
बीकानेर। बीकानेर के जाने माने शाइर गुलाम मोहियूद्दीन माहिर के ग़ज़ल संग्रह ‘ताबीरे ख़्वाब' का विमोचन 26 मई 2013 (रविवार) को महाराजा श्री नरेन्द्र सिंह अॉडिटोरियम में किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्य वित आयोग के अध्यक्ष डॉ. बी.डी. कल्ला ने कहा कि गुलाम मोहियूद्दीन माहिर को शाइरी की जो विरासत मिली है, उसे उन्होंने बखूबी आगे बढ़ाया है। डॉ. कल्ला ने कहा कि माहिर एक शाइर के रूप में हजारों लोगों की भीड़ को अपने बेहतरीन तरन्नुम से बांधे रखने में माहिर हैं। उन्होंने कहा कि माहिर ने अपनी शाइरी में जमाने की चिन्ताओं को शामिल किया है। डॉ. बी.डी. कल्ला ने माहिर की ग़ज़लों का हवाला देते हुए कहा कि यद्यपि ग़ज़ल का शाब्दिक अर्थ महबूब से गुफ्तगू है तथापि माहिर साहब ने सामाजिक विद्रूपताओं, जीवन की विसंगतियों को अपनी रचनाओं का मुख्य आधार बनाया है। माहिर साहब की देश प्रेम से संबंधित रचनायें भी बहुत मकबूल रही है।
कार्यक्रम अध्यक्ष महापौर भवानी शंकर शर्मा ने कहा कि बीकानेर में कला साहित्य एवं संस्कृति की एक समृद्ध परम्परा रही है। उन्होंने कहा कि गुलाम मोहियूद्दीन माहिर को वे एक शाइर के रूप में लम्बे समय से सुनते आ रहे हैं। महापौर ने शाइरों के शे‘र सुनाते हुए माहिर को एक बेहतरीन शाइर बताते हुए कहा कि गुलाम मोहियूद्दीन माहिर ने एक शाइर के रूप में अनेक बार राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों में बीकानेर का प्रतिनिधित्व किया और बीकानेर के नाम को रोशन किया। इनकी शाइरी में आम आवाम की चिन्ताओं, दुश्वारियों को महसूस किया जा सकता है।
लोकार्पित कृति पर पाठकीय टिप्पणी रखते हुए कवि समालोचक विजेन्द्र शर्मा ने कहा कि माहिर आइना दिखाने वाले बेबाक शाइर हैं। उन्होंने कहा कि माहिर साहब ने ज़िन्दगी के तमाम मसलों को ख़ूबसूरती से अशआर में ढाला है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. मोहम्मद हुसैन ने कहा कि माहिर साहब की ये ग़ज़लें अंधेरे में रोशनी का सफ़र तय करती है। उन्होंने कहा कि जब एक ईमानदार शाइर अपने हालात की विसंगतियों से शब्दों के जरिये जब संघर्ष करता है तो ऐसी बेबाक रचनाएं जन्म लेती हैं। उन्होंने कहा कि माहिर साहब जूद-गो-शाइर हैं और मुख़्तलिफ असनाफ में तबआ आजमाई करते हैं।
डॉ. मोहम्मद हुसैन ने गुलाम मोहियूद्दीन माहिर की शाइरी पर अपनी बात रखते हुए कहा कि माहिर बीकानेर के कोहना-मश्क शाइर है। वो पिछले तीस पैंतीस सालों से शेअर-गोई में मसरूफ़ हैं। वो बीकानेर और बीकानेर से बाहर के मुशाइरों में दादे-सुखन लेते रहे हैं। वो मुशाइरों में अपना कलाम तरन्नुम से पढ़ते हैं और समां बांध देते हैं।
‘ताबीरे ख़्वाब' कृति के लोकार्पण के बाद गुलाम मोहियूद्दीन माहिर ने अपनी ग़ज़लें पढ़ते हुए जबरदस्त दाद हासिल की। उन्होंने मुल्क के नाम क़ता पढ़ा - ‘पीया है मैंने दूध तेरा मादरे वतन, क्यों न मैं अपनी जान पे खेलूं तेरे लिए।' उन्होंने कहा कि- ‘‘हमने बुझने दिए न चराग़े वफ़ा, उम्र भर ख़्ाूने दिल से जलाते रहे।' उनकी ग़ज़ल - जब भी देते हैं वो जीने की दुआ देते हैं, जाने किस जुर्म की सज़ा देते हैं' पर सामइन ने ख़्ाूब दाद दी।
कार्यक्रम का आरम्भ युवा कथाकार नदीम अहमद नदीम ने सोशल प्रोग्रेसिव सोसाइटी की गतिविधियों की जानकारी देते हुए आगंतुकों का स्वागत किया और नदीम अहमद नदीम ने अपने उद्बोधन में कहा कि अपनी ही मस्ती में रहते हुए अपने ही उसूलों से ज़िन्दगी जीने वाले अलमस्त इन्सान और शाइर को बीकानेर में लोग गुलाम मोहियूद्दीन माहिर के नाम से जानते हैं। किसी भी इन्सान को नज़दीक से जानना और तआरूफ होना दोनों अलग बातें हैं। क्योंकि माहिर साहब को उनके नाम और शाइरी की बदौलत पहचानने वाले तो बहुत मिल जायेंगे लेकिन हक़ीक़तन इन्हें जानने वाले बहुत कम लोग हैं ऐसा मेरा ज़ाती तौर पर मानना है। दुनिया में बहुत कम इन्सान ऐसे हैं जो कुछ दिल में रखते हैं वहीं जुबां पर रखते हैं। ऐसे कम ही इन्सानों की फेहरिस्त में माहिर साहब का नाम शुमार किया जाये तो ग़लत बयानी नहीं होगी। इस एतबार में इनकी शिख़्सयत भीड़ से अलग नज़र आती है।
कार्यक्रम में अनवर उस्ता, श्रीलाल जोशी, राजेन्द्र जोशी, मो. वाकिफ ने अतिथियों को लोकार्पित कृति भेंट की। मो. फारूक और मो. सलीम ने शाइर माहिर को स्मृति चिन्ह प्रदान किया। संस्था के संजय जनागल, एडवोकेट शमशाद अली, संजय आचार्य वरूण, अब्दुल जब्बार जज्बी, आत्माराम भाटी, वली मो. गौरी आदि ने मंच का स्वागत किया। एडवोकेट इसरार हसन कादरी ने गुलाम मोहियूद्दीन माहिर का परिचय प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संयोजन कथाकार संजय पुरोहित ने किया। आभार बुलाकी शर्मा ने जताया।
कार्यक्रम में गुलाम रसूल शाद, सरल विशारद, मालचंद तिवाड़ी, ममता सिंह, हरीश-बी शर्मा, मनोहर चावला, मनीष जोशी, योगेन्द्र पुरोहित, मोनिका गौड़, मनीषा आर्य सोनी, डॉ. उषाकरण सोनी, सुनील गज्जाणी, मुकेश व्यास, मुश्ताक भाटी, पेन्टर भोज, इमरान अहमद, डॉ. बीडी जोशी, डॉ. सत्यनारायण स्वामी, अमित गोस्वामी, सुरेश हिन्दुस्तानी, आनन्द वि. आचार्य, मोहम्मद इकबाल, मो. फारूक, कुमार बी.एम. हर्ष, अब्दुल रशीद कादरी, कासिम बीकानेरी, मनीष गहलोत व सोमचंद सिंघवी आदि गणमान्य जन उपस्थित थे।
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संजय जनागल
बड़ी जसोलाई, रामदेवजी
मंदिर के पास,
चौखूंटी, बीकानेर
मो. 9461161180
sanjay ji nebahut acchi reporting ki h
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