इंस्पेक्टर गौरव के कारनामे डबल मर्डर का रहस्य गौरव एक होनहार नौजवान था जिसने अभी-अभी पुलिस के जासूसी विभाग में नौकरी प्राप्त की थी. बह...
इंस्पेक्टर गौरव के कारनामे
डबल मर्डर का रहस्य
गौरव एक होनहार नौजवान था जिसने अभी-अभी पुलिस के जासूसी विभाग में नौकरी प्राप्त की थी. बहुत ही कम नौजवान ऐसे होते है जिन्हें उनके मनमुताबिक नौकरी मिलती है. गौरव हालांकि वैसे भाग्यशालियों में से एक था जिसने जासूसी की दुनिया में अपना नाम कमाना चाहा और उसे पुलिस के जासूसी विभाग में नौकरी मिल गयी थी.
अपने कुछ ही दिनों के नौकरी में इंस्पेक्टर गौरव अपनी अदभुत मानसिक क्षमता और बेमिसाल शारीरिक शक्ति की वजह से विभाग में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने में कामयाब हो गया था. छोटे-मोटे मामले को तो इंस्पेक्टर गौरव चुटकी बजाते ही निदान कर देता था. अब वो कुछ ऐसे उलझे हुए मामले की तलाश में था जिसके निदान ढूढ़ते हुए वह अपने अद्वितीय मानसिक क्षमता का प्रदर्शन कर सके. इंस्पेक्टर गौरव की तलाश अंतत खत्म हुयी और वह एक विचित्र परंतु भयानक घटना से रू-ब-रू हुआ और उस घटना के अनुसंधान में लग गया.
मई का तपता हुआ दिन था, इंस्पेक्टर गौरव अपने कार्यालय में बैठा उस विचित्र मामले पर सोच रहा था. मामला था एक पार्सल पैकेट में एक अंगूठे और एक तर्जनी उंगली का होना जो एक महिला मिस ब्रिगेंजा को मिला था, पैकेट खोलने के बाद महिला बहुत घबरा गयी थी और पुलिस को इत्तला कर दिया था. पुलिस विभाग के आला अधिकारी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था. पुलिस अब तक सिर्फ पोस्टमैन तक ही पहुंची थी जिससे पुलिस को गुथ्थी को सुलझाने में कोई सफलता नहीं मिली थी. इंस्पेक्टर गौरव के लिए यह मानला एक चुनौती की तरह था क्योंकि पुलिस पोस्टमैन तक पहुंच कर ही रह गयी थी. पोस्टमैन ने बयान दिया था कि हमलोगों का काम चिटि्ठयां, पार्सल, पैकेट वगैरह को छांट कर गंतव्य तक पहुंचा देना होता है. पार्सल पैकेट को किसने भेजा इसका पता पोस्टमैन को नहीं रहता है अगर पैकेट में न लिखा हो.
इंस्पेक्टर गौरव इस मामले के तहकिकात शुरू करने में सबसे पहले पार्सल पैकेट के लिखावट पर गौर करना जरूरी समझा. गौरव लिखावट पर गौर किया तो पाया कि पार्सल पर अंग्रेजी भाषा से लिखा था मिस ब्रिगेंजा, चर्च रोड, रांची. इसे लिखो-फेंको वाली बॉलपेन से लिखा गया था. चर्च रोड को चरच रोड लिखा गया था परंतु मिस ब्रिेगेंजा अंग्रजी भाषा में शुद्ध स्पेलिंग में लिखा हुआ था. लिखावट से गौरव अनुमान लगाया कि यह पार्सल किसी पुरूष द्वारा भेजा गया हो सकता है जो मिस ब्रिगेंजा को भली-भांति जानता हो क्योंकि दूसरे कई शब्द जैसे चर्च के जगह पर चरच लिखा जाना इस बात की ओर इंगित कर रहा था कि भेजने बाला कम पढ़ा-लिखा था पर मिस ब्रिगेंजा का स्पेंलिंग शुद्ध होने के कारण इंस्पेक्टर गौरव का यह अनुमान लगभग पक्का था कि भेजने वाला मिस ब्रिगेंजा का परिचित रहा होगा. पार्सल पैकेट पर कनॉट प्लेस, नई दिल्ली का मुहर लगा हुआ था.
इंस्पेक्टर अपने दांयें हाथ से बांयें कान को खींचता हुआ, पैकेट से दोनों उंगलियों को निकाल कर एक शीशे के चौड़ी स्लाइड पर रख कर उसका निरीक्षण कर रहा था. किसी उलझे हुए गुथ्थी पर जब इंस्पेक्टर गौरव अपना दिमाग लगाता था उस समय अपने दांयें हाथ से बांयें कान को खींचता रहता था. उसका मानना था कि ऐसा करने से जो विचार उसे आते है वह दिमाग के उस दराज से निकलते है जिसे वह कान खींच कर खोलता है.
उंगलियों के निरीक्षण के बाद इंस्पेक्टर गौरव उसे पुनः पैकेट में रख दिया और कुछ क्षण के लिए गहरे विचार में डूब गया था. गौरव को उसके अस्सिटेंट राजदत्त के आने का पता ही नहीं चला. आते ही राजदत्त ने पूछा, सर, आप शायद उंगलियों का निरीक्षण कर रहे थे. गौरव ने उंगलियों को पुनः निकाला और सामने स्लाइड पर रखते हुए, राजदत्त को गौर करने को कहा, गौर से देखो राजदत्त, तुम्हें क्या समझ में आता है ? गौरव ने पूछा.
राजदत्त थोड़ी देर तक गौर से देखता रहा फिर कहा, देखने में तो एक-दो दिन पहले काटा गया मालूम होता है, राजदत्त ने गौरव की तरफ देखते हुए कहा.
गौरव तपाक से बोला, कब काटा गया, उससे ज्यादा महत्वपूर्ण तथ्य तुम गौर नहीं किए राजदत्त और वो है अंगूठे और तर्जनी उंगलियाँ, मर्द और औरत के है. अंगूठे मर्द के और तर्जनी उंगली स्त्री का ! राजदत्त पुनः गौर किया, तो उसने गौरव को सैल्यूट करते हुए कहा, वाकई सर, आप बहुत पारखी नजर रखते है.
इंस्पेक्टर गौरव अब अपने रिवोलभिंग चेयर पर बैठ कर अपने दांयें हाथ से बांयें कान को खींच रहा था.
राजदत्त उंगलियों को पुनः पैकेट में रखकर अलमारी में रखते हुए कहा कि सर, आज के सभी अखबारों में इस विचित्र मरमले को प्रमुखता से छापा गया है. गौरव ने राजदत्त को ताकिद किया कि अखबारवालों को लाइन अॉफ इन्भेस्टीगेशन के संबंध में कुछ विशेष नहीं बताना है. कह देना अनुसंधान जारी है जल्द ही अपराधी को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया जाएगा.
जी सर, राजदत्त ने कहा.
इन्सपेक्टर गौरव ने कहा, मुद्दे पर आते है राजदत्त, मामला एक क्रुरतापूर्ण, भयानक, विचित्र तथा अस्पष्ट पृष्ठभूमि की ओर संकेत कर रहा है. सर्वप्रथम मिस ब्रिगेंजा से मिलना आवश्यक होगा, इन्सपेंक्टर गौरव ने राजदत्त को कहा.
राजदत्त ने बताया कि सर, मिस ब्रिगेंजा एक अविवाहित 45 वर्षीय नर्स है जिसका चरित्र साफ-सुथरा पाया गया है तथा अपनी ड्यटी और फिर घर के अलावे इस औरत के संबंध में और कोई जानकारी नहीं मिली है.
चलो, चलते है मिस ब्रिेगेंजा से मिलने, गौरव ने राजदत्त को कहा. दोनों कार्यालय से निकल कर मिस ब्रिगेंजा के घर पहुंचे. मिस ब्रिगेंजा अपनी मार्निंग शिफट की ड्यटी खत्म कर अस्पताल से आधे घंटे पहले लौटी थी. घर में घूसते ही कॉफी की सुगंध आ रही थी. मिस ब्रिगेंजा दो पुरूषों को सीविल कपड़ों में देखकर यह नहीं समझ पायी कि ये दोनों पुलिस है इसलिए उन्हें कड़े आवाज में रूकने को कहा. परिचय जानने के बाद मिस ब्रिगेंजा थोड़ी नरम हो गयी और उन्हें सोफे पर बिठा कर उनके लिए कॉफी लाने चली गयी. गौरव पूरे कमरे का मुयाना तब तक कर चुका था. कॉफी लेते हुए गौरव ने बहुत गौर से मिस ब्रिगेंजा को देखा, कुछ पल के लिए मिस ब्रिगेंजा कांप सी गयी. कॉफी के सीप के साथ, गौरव ने बातें शुरू किया. मिस ब्रिगेंजा आप की बहनें कैसी हैं ? गौरव ने पूछा.
मिस ब्रिगेंजा स्तब्ध रह गयी, उसने उत्तर देने के बजाए गौरव से प्रश्न किया, आप कैसे जानते है कि मेरी कोई बहन भी है ?
गौरव बोला सामने टेबल पर रखी तस्वीर में आप बीच में है और आपके आजू-बाजू और पीछे तीन और महिलाएं बल्कि यूं कहें कि लड़कियां नजर आ रही है, उम्र के लेहाज से मैंने अंदाजा लगाया कि वे तीनों आपकी बहनें ही होंगी !
मिस ब्रिगेंजा ने गौरव से प्रभावित होते हुए कहा कि आप निरीक्षण में माहिर लगते है ?
यह मेरा पेशा है, गौरव ने कहा. अभी आपकी बहनें कहां है, गौरव ने पूछा ?
मिस ब्रिगेंजा ने बताया कि तस्वीर में दांयी तरफ जो बहन दिख रही है उसकी शादी एक मोटर गैरेज के मालिक मिस्टर डिकोस्टा से हुआ है और वो नामकूम में रहती है, तस्वीर में बांयी तरफ जो बहन दिख रही है उसकी शादी होटल के मैनेजर मिस्टर डिसूजा से हुई थी जो अभी अहमदाबाद में अपने पति के साथ रहती है और तस्वीर में जो पीछे लंबी खूबसूरत सी लग रही है वो मेरी सबसे छोटी बहन है वह मेरी तरह अविवाहित है. अकेले रहते-रहते मिस ब्रिगेंजा अपने परिवार के लोगों के बारे में किसी से बात नहीं कर सकती थी. आज जब अपने परिवार के सदस्यों को याद कर रही है तो मिस ब्रिगेंजा काफी उत्साहित लगी रही थी. काफी देर से बातचीत करने के कारण मिस ब्रिगेंजा का हलख सूखता जा रहा था. उसने गौरव और राजदत्त से पूछा कि क्या आपलोग एक-एक कप और कॉफी लेना पंसद करेंगे ?
गौरव अभी मिस ब्रिगेंजा से कुछ और तहकीकात करना चाहता था इसलिए एक और कप कॉफी पीने की इच्छा बेमन से जाहिर कर दिया. यहा बता देना लाजमी है कि गौरव चाय या कॉफी पीना पंसद नहीं करता था, उसे चाय की जगह दूध पीना पंसद था और अपने कार्यालय में चाय बाला उसे मलाई हटाकर दूध ही पिलाया करता था. कसरती बदन वाला लंबा छरहरा गौरव पुलिस फोर्स ज्वाइन करने के पहले से ही सूबह घंटे भर का भरपूर बर्जिश, आधे घंटे का योग-ध्यान करने का आदि था और पुलिस फोर्स ज्वाइन करने के बाद जासूसी विभाग में रहने के कारण आदतन आधे घंटे का योग-ध्यान बढ़ाकर घंटे भर का कर दिया था. दो-चार हट्टे-कट्टे लोगों को तो गौरव थप्पड़ मार कर ही बेहोश कर सकता था.
मिस ब्रिगेंजा से कॉफी का कप लेते हुए झट से मुद्दे पर आते हुए गौरव ने पूछा, हां तो मिस ब्रिगेंजा, आपकी सबसे छोटी बहन अभी कहां है ?
मिस ब्रिगेंजा ने कुछ सोचते हुए बताया कि पिछले साल लीना कुछ दिनों के लिए यहां मेरे पास आ कर रही थी फिर शायद नामकूम मेरी दूसरी बहन के पास चली गयी थी, पर आजकल नामकूम में भी नहीं है. कुछ दिन पहले उसकी एक सहेली ने मुझे फोन किया था कि आपकी बहन लीना बिना पासपोर्ट और भीसा के विदेश जाना चाह रही है, मना करने पर मानती नहीं है, कहती है कि मुझे यहां भारत में खतरा है.
गौरव समझ रहा था, क्या बताया आपकी छोटी अविवाहित बहन का नाम लाना है, गौरव ने पूछा.
जी हां, मिस ब्रिगेंजा ने हामी भरी.
फोन कहां से आया था, मिस ब्रिगेंजा, गौरव ने पूछा ?
दिल्ली से स्वीटी नाम की लीना की एक सहेली ने फोन किया था, मिस ब्रिगेंजा ने बताया. मिस ब्रिगेंजा आगे कहने लगी कि किसी टूर व द्रेवल एजेंसी में स्वीटी और लीना कार्यरत है जिसका कार्यालय करोलबाग, दिल्ली में है. इससे ज्यादा मैं और कुछ नहीं जानती, मिस ब्रिगेंजा ने कहा.
गौरव और राजदत्त अब चलने को हुए, तो मिस ब्रिगेंजा ने गौरव से कहा कि पार्सल मामले में लगता है मुझे गलती से पार्सल भेज दिया गया है. मेरी किसी से दुश्मनी नहीं है तो फिर ऐसा पार्सल मेरे पास कौन भेज सकता है ? मिस ब्रिगेंजा ने गौरव से कहा.
गौरव ने हामी भरते हुए मिस ब्रिगेंजा के घर से चल दिया. रास्ते में गौरव ने राजदत्त से पूछा, कुछ समझ में आया राजदत्त ?
राजदत्त ने कहा, हां यही समझ में आया कि पार्सल मामले में मिस ब्रिगेंजा का कोई लेना-देना नहीं है.
यहां तक तो तुम ठीक समझे, राजदत्त लेकिन उसके आगे मुझसे सूनो, गौरव ने कहा.
तो क्या मामला सुलझ गया सर, राजदत्त ने पूछा ?
करीब-करीब सुलझ गया, गौरव अपने पूरानी अंदाज में दांये हाथ से बायीं कान को खींचते हुए कहा.
तो फिर चलिए सर, कहीं बैठ कर आप दूध पीजिए और मैं चाय पीते हुए मामले के गुथ्थी को सूलझता हुआ आपसे सूने, राजदत्त ने कहा.
गौरव ने अपनी प्यारी बुंलैट मोटर बाइक एक रेस्तरां के सामने लगा दिया और दोनों अंदर चले गए. दूध और चाय का आर्डर राजदत्त ने दे दिया.
ये दो हत्याओं का मामला है, गौरव ने बोलना शुरू किया, एक मर्द और एक औरत. तथा जिस औरत की हत्या हुई है वो मिस ब्रिगेंजा की बहन है. कौन सी बहन यह आगे पता चलेगा !
विलक्षण सर जी, आपका दिमाग तो पांचवें जेनेरेशन के कम्प्यूटर से भी तेज चलता है, राजदत्त ने चाय की चूसकी लेते हुए कहा.
गौरव दूध को एक ही सांस में पी गया और राजदत्त को तुरंत चलने का कह, बाथरूम चला गया. बाथरूम से तुरंत लौटने के बाद गौरव अपनी बुलैट स्टार्ट करता कि उससे पहले राजदत्त ने गिड़गिड़ाते हुए कहा, सर जी, सिर्फ एक बात बताएं कि हत्या जिसकी हुई है वह मिस ब्रिगेंजा की बहन ही है, ऐसा आपने किस आधार पर कहा ?
गौरव मुस्कुराया, राजदत्त तुमने शायद गौर नहीं किया कि मिस ब्रिगेंजा की हाथ की तर्जनी उंगली की बनावट और पार्सल में भेजे गए तर्जनी उंगली की बनावट लगभग एक है. गौरव ने अपने तहकीकात के आधार को विस्तार देते हुए आगे कहने लगा कि मिस ब्रिगेंजा की तर्जनी उंगली लंबी और नाखून की बनावट जिस तरह की है वैसी ही तर्जनी उंगली लंबी और मिलता जुलता नाखून पार्सल पैकेट में भेजी गयी है.
वाह सर जी वाह, क्या तहकीकात करते है आप, राजदत्त ने कशीदा पढ़ा. लेकिन मैं क्यों नहीं समझ पाता सर जी, राजदत्त ने पूछा ?
गौरव ने चुटकी लेते हुए कहा क्योंकि राजदत्त तुम देखते हो, मैं आर्ब्जव करता हूँ और दोनों सड़क पर सरपट बुंलैट से भागे जा रहे थे.
अपने कार्यालय पहुंचने के बाद गौरव ने राजदत्त से कहा, राजदत्त अब तहकीकात का अगला पड़ाव होगा हत्यारे की खोज करना, किसने दो हत्याएं की और क्यों ? गौरव ने लाइन अॉफ इन्वेस्टीगेशन राजदत्त को समझाया और फिर मीडिया को कुछ भी बताने से मना किया. मामले को गौरव तब तक गुप्त रखना चाहता था जब तक कि वह हत्यारे को ढूढ़ न ले. मीडिया में कुछ भी कहना और प्रकाशित होना संभावित हत्यारे को चौंकना कर सकता है जिससे तहकीकात में कठिनाई आ सकती है. कल हम लोगों को सूबह नामकूम मिस ब्रिगेंजा की बहन मिसेज डिकोस्टा से मिलने चलना है, गौरव ने कल का कार्य राजदत्त को बतलाया.
राजदत्त बोला जी सर जी, सूबह 10.30 बजे मैं कार्यालय ही आ जाउंगा, यहां से, बीच में गौरव टोकते हुए कहा नहीं राजदत्त, तूम सूबह तैयार रहना, मैं तुम्हें तुम्हारे घर से पीकअप कर लूंगा.
जी सर जी, राजदत्त ने कहा और कार्यालय से बाहर चला गया. गौरव कुछ देर अपने कार्यालय में बैठा अपनी दांयी हाथ से बांयी कान को खींचता रहा और जब तन्द्रा टूटी वैसे ही अपने घर के लिए रवाना हो गया. घर पर पत्नी निहारिका उसका इंतजार तो नहीं कर रही थी क्योंकि गौरव के आने-जाने का कोई समय नहीं था और बेब जर्नलिस्ट होने के कारण भी निहारिका नेट सर्फिंग और डेटा कलेक्शन में इतनी मशरूफ रहती कि गौरव जब भी घर आता तो अपनी पत्नी को नेट से ही चिपके पाता. गौरव को कार्य के दौरान अपनी पत्नी से भी परहेज हुआ करता था क्योंकि वो भी जर्नलिस्ट ही थी, प्रिंट मीडिया में हालांकि निहारिका का लेख अंग्रेजी और हिन्दी अखबारों में साभार छपता रहता था. गौरव जैसे ही अपने घर के चारदीवारी में घूसा उसके बुलैट की आवाज से निहारिका चौकन्ना हो गयी और नेट सर्फिंग छोड़कर दरवाजे पर जा खड़ी हुयी. गौरव को रिसीव कर उसे अंदर ले गयी और उसे हाथ-मूंह धो कर आने को कह, खूद रसोई चली गयी. गौरव भी नहा धोकर स्लीपिंग सूट पहनकर आ गया तब तक निहारिका अपने पति का पंसदीदा पेय गर्मागर्म दूध लेकर आ गयी, गौरव हंसते हुए कहा पत्नी हो तो ऐसी और दूध उठाकर बच्चे की तरह एक ही सांस में पी गया और मुंह अपने पत्नी के दुपट्टे से पोछंने लगा.
निहारिका ने ही बात छेड़ी कि आज दिन भर एक भी कॉल नहीं किए कहां व्यस्त थे आप आज दिन भर ?
गौरव ने कहा अरे कहीं नहीं, पुलिस का तो तुम जानती ही हो, छोटे-छोटे मामले भी नहीं सुलझाते. दिशाहीन अनुसंधान करते है और गलत आदमी को पकड़कर हवालात में डाल देते है. इससे पहले कि निहारिका कोई और दिलचस्पी लेती, गौरव ने कहा, मुझे भूख लगी है, जल्दी खाना लगा दो, सुबह जल्द ही जाना भी है.
निहारिका कुछ देर और बातचीत करना चाहती थी लेकिन गौरव के उतवालेपन को देखकर रसोई चली गयी और चंद मिनटों में गर्मागर्म खाना डायनिंग टेबल पर लगा दी. गौरव और निहारिका प्रेम से खाना खाने के बाद अपने बेडरूम में चले गए.
गौरव अपनी आदत के अनुसार होबनर स्पेनिश गिटार निकाल का ट्यून करने लगा. आधा घंटे स्टॉफ नोटेशन पर उंगलियां फिराने के बाद निहारिका के फरमाइश पर एक पुरानी फिल्मी गीत ‘अजीब दास्तां है ये, कहां शुरू कहां खत्म' की धुन बजाकर सूना दिया और आखरी में राग मालकोस के अलाप को बजाते हुए पूरा राग बजाया, फिर गिटार के ट्यून को ढ़ीला करके रख दिया और नींद के आगोश में जा चूकी निहारिका के बगल में जाकर सो गया.
सूबह जल्दी ही तैयार होने के लिए वर्जिश और योग-ध्यान कर सात बजे सूबह डायनिंग टेबल पर नाश्ते के लिए आ बैठा. सब्जी और फल को नाश्ते में लेने के बाद करीबन 8.30 बजे एक ग्लास ताजा दूध पी चूका था गौरव. अब उसके बदन में स्फूर्ति आ गयी थी, कपड़े बदल कर बुलैट साफ करते श्यामू को कहा कि गैरेज में मोबिल रखा है, उसे बुलैट में डाल दे. थोड़ी देर में श्यामू बुलैट में मोबिल डालकर धो-पोंछकर पोर्टिको में लाकर खड़ा कर दिया. निहारिका भी साथ निकली थी गौरव को सी-अॉफ करने. गौरव बुलैट स्टार्ट कर अपने रे-बेन के गोगल्स को लगाया और निकल पड़ा.
राजदत्त भी तैयार अपने घर के खिड़की से सेब खाते हुए सर जी का इंतजार कर रहा था. घर के नजदीक बुंलैट की आवाज से ही राजलदत्त समझ गया और तुरंत बाहर निकला तथा गौरव को सैल्यूट मारते हुए बुलैट पर जा बैठा.
नामकूम पहुंचने के बाद मिस्टर डिकोस्टा के गैरेज को खोजने में कोई दिक्कत नहीं हुयी. गैरैज में पता चला कि डिकोस्टा अभी तक गैरेज नहीं आए है क्योंकि उनकी पत्नी घर पर बीमार है. गौरव तुरंत मिस्टर डिकोस्टा के घर की तरफ चल पड़ा. घर पर डिकोस्टा एक डाक्टर के साथ बैठे अपनी पत्नी के बीमारी के संबंध में चर्चा कर रहे थे. घर के सामने बुंलैट रूकते देख, मिस्टर डिकोस्टा बाहर निकले और गौरव के परिचय जानने के बाद उन्हें अंदर ले गए.
डाक्टर नमस्ते कर चलने को खडे हो गए, मिस्टर डिकोस्टा डाक्टर को बाहर तक छोड़ आए.
गौरव ने मिस्टर डिकोस्टा के अंदर आते ही पूछा आपकी पत्नी कब से बीमार है ?
मिस्टर डिकोस्टा ने गौरव से पूछा कि किस सिलसिले में आप मुझसे मिलने आए है ?
गौरव ने बिना लाग लपेट के बताया कि चर्च रोड़ में आपकी पत्नी की बहन मिस ब्रिगेंजा के यहां तीन दिन पहले एक पार्सल पैकेट आया था जिसमें दो उंगलियां बंद थी, उसी सिलसिले में मैं आपसे चंद सवालात करूगां.
मिस्टर डिकोस्टा सहर्ष तैयार हो गए और बताया कि चार दिन पहले से मेरी पत्नी की तबियत खराब हो गयी है.
डाक्टर का क्या कहना है, गौरव ने पूछा ?
मिस्टर डिकोस्टा ने बताया कि डाक्टर का कहना है कि मलेरिया का ज्वर है, मलेरिया टेस्ट करवाने के बाद ही आगे दवाईयां तय की जा सकती है. मिस्टर डिकोस्टा दरअसल झूठ बोल रहे थे कि मलेरिया ज्वर है. डाक्टर ने कहा था कि मिसेज डिकोस्टा को किसी घटना या दुर्घटना का सदमा लगा है, जो काफी गंभीर है.
गौरव मिसेज डिकोस्टा से मिलने की इच्छा जाहिर किया परंतु मिस्टर डिकोस्टा ने यह कह कर कि डाक्टर ने मिसेज डिकोस्टा से किसी को मिलने से मना किया है, मिलने की बात को टाल गए.
गौरव अपने दांयें हाथ से बांयें कान को खींचा ही था कि उसे वहां से तुरंत चलने का संकेत उसके दिमाग ने दिया. गौरव राजदत्त को चलने का इशारा करते हुए मिस्टर डिकोस्टा से हाथ मिलाते फिर से मिलने की बात कही औी बुलैट स्टार्ट कर दिया. रास्ते में गौरव कुछ सोचता जा रहा था कि राजदत्त ने गौरव का ध्यान भंग करते हुए पूछा, सर जी यह मिस्टर डिकोस्टा का इस मामले में कुछ लेना देना नहीं लगता है. गौरव ने कुछ नहीं कहा और बुलैट को मिस्टर डिकोस्टा के मोटर गैरेज के सामने रोका और राजदत्त को बोला कि अंदर जाकर उस मैकेनिक को साथ चलने को कहो जिसने हमलोगों को बतलाया था कि मिस्टर डिकोस्टा की पत्नी की तबियत खराब है.
राजदत्त जल्दी से अंदर गैराज में गया और देबू नाम के उस मैकेनिक को पकड़ कर सर जी के पास ले आया.
गौरव ने देबू से कहा, आओ थोड़ी दूर घूम कर आते है और उसे राजदत्त ठेलते हुए बुलैट के बीच में बिठा लिया, थोड़ी दूर जाने के बाद एक लायन होटल के सामने गौरव ने बुलैट रोकी. दोपहर का समय था, धूप तेज थी, गर्मी अपने चरम पर थी. पेड़ के नींचे छांह देखकर गौरव देबू मैकेनिक को लेकर खटिया पर जा बैठा और राजदत्त तीन ग्लास लस्सी का आर्डर देकर खटिया के नजदीक पहुंच गया.
गौरव ने देबू से पूछा कि देखो मैं तुम्हें यहां इसलिए लाया हॅूं कि मुझे तुम्हारे मालिक के संबंध में कुछ जानकारियां लेनी है अगर तुम बता देते हो तो ठीक है वरन् मैं तुम्हें हवालात भी ले जा सकता हॅूं.
देबू हवालात के नाम से भयभीत सा हो गया और बोला, साहब मेरे छोटे-छोटे बाल-बच्चे है मुझे हवालात में मत डालिए, मैं सब कुछ आपको बता दूंगा.
गौरव बोला, जल्दी बताओ कि तुम्हारा मालिक मिस्टर डिकोस्टा किस तरह का आदमी है और उसे अपनी पत्नी के अलावा किसी और औरत के साथ तुमने कभी उसे देखा है या नहीं ?
देबू डर से कहा साहब मेरा मालिक वैसे तो सिर्फ काम से ही मतलब रखता है लेकिन उसे गुस्सा बहुत आता है और वह रोज रात को शराब जरूर पीता है. कुछ महीने पहले तक मिसेज डिकोस्टा की छोटी बहन जिसका नाम लीना मेम साहब था, यहीं अपनी बहन के साथ रहती थी. मिस्टर डिकोस्टा लाना मेम साहब के साथ घूमने जाते थे और रात को शराब पीने के बाद मिस्टर और मिस्ेज डिकोस्टा के बीच अक्सर लड़ाईयां होती रहती थी. मैं जब रात को गैरेज की चाबी लेने जाता था, गौरव बीच में ही टोकते हुए पूछा, रात को गैरेज की चाबी लेने क्यों जाते थे तुम ?
देबू ने कहा मैं रोज रात को गैरेज में ही सोता हॅूं. इमरजेंसी में रात को सेवा भी देता हॅूं, गाड़ियों के पैसंजर को. दो पैसे ज्यादा मिल जाते है साहब.
अच्छा गौरव ने कहा, तो तुमने क्या सूना था मिस्टर और मिसेज डिकोस्टा जब लडत्र रहे थे ?
देबू ने याद करते हुए कहा कि मिस्टर डिकोस्टा कह रहे थे कि दिल्ली से जो जोजेफ लीना से मिलने आता है, उसकी तरफ तुम्हारा झूकाव कुछ ज्यादा ही मैं देख रहा हॅूं, जोजेफ को यहां आने से रोको नहीं तो वो किसी दिन मेरे गुस्से का शिकार हो जाएगा !
मिसेज डिकोस्टा ने तब क्या कहा, गौरव ने पूछा ?
देबू बताना शुरू किया कि मिसेज डिकोस्टा कह रही थी कि जोजेफ से लीना शादी करने वाली है, मेरा बस जोजेफ से इतना ही रिश्ता है कि उससे मेरी बहन ब्याह करना चाहती है, उसके तरफ मेरा कोई झूकाव नहीं है.
राजदत्त बीच में टोकते हुए कहा सरजी, लस्सी आ गयी है, कृपया पीने का कष्ट करें. गौरव अपने हाथ में लस्सी का ग्लास देबू को देते हुए उसे पीने को कहा. देबू जल्दी-जल्दी लस्सी गटकने लगा. जैसे ही लस्सी खत्म हुई, गौरव ने कहा, बस आखरी सवाल, क्या रात में मिस्टर और मिसेज डिकोस्टा के लड़ाई-झगड़े में तुमने कभी लीना की आवाज सूनी थी ?
देबू ने कहा, नहीं.
राजदत्त अब समय हो गया है इसे वापस गैरेज पहुंचाने का और गौरव बुलैट में जा बैठा. चंद मिनटों में देबू अपने गैराज में था. गौरव और राजदत्त शाम होने से पहले ही कार्यालय लौट गए थे. गौरव अपने रिवोलविंग चेयर पर बैठा दांयी हाथ से बांयें कान को हौले-हौले खींच रहा था.
राजदत्त ने पूछा क्या बात है सर जी, आप कुछ परेशान लग रहें है ?
गौरव ने कुछ अनोखे अंदाज में मुस्कुराते हुए कुर्सी से उठा और यह कहते हुए कि मामला सूलझ चुका है, राजदत्त.
राजदत्त स्तब्ध था, वो कैसे सर जी, राजदत्त ने पूछा ?
गौरव बोला उंगलियों जोजेफ और लीना की है, उन दोनों को मिस्टर डिकोस्टा ने मार कर लाशों को कहीं दफना दिया और पार्सल पैकेट मिस ब्रिगेंजा के यहां उंगलियां सहित भेज दिया.
गौरव के साथ रहते-रहते राजदत्त भी अब कुछ समझने लगा था, उसने तुरंत पूछा, लेकिन सर जी, पैकेट मिस ब्रिगेंजा को क्यों भेज दिया, वो भी क्या इस मामले में संलिप्त है ?
गौरव मुस्कुराया, बहुत खूब राजदत्त्, अब तुम भी तहकीकात के तराकों पर गौर करना सीखते जा रहे हो !
दरअसल, गौरव ने कहा, अब सिर्फ यही पता लगाना बाकी रह गया है राजदत्त कि पैकेट मिस ब्रिगेंजा को क्यों भेजा गया ?
कल मामले के इस पेचीदगी को मैं सूलझा दूंगा और मामला समाप्त. गौरव ने बुलैट को कीक मारते हुए राजदत्त को कहा और अपनी पत्नी निहारिका के बारे में सोचता हुआ घर की तरफ बुलैट दौड़ा दिया. घर पर पत्नी के साथ समय बिताते हुए भी गौरव कई बार अपने दांयी हाथ से बांयी कान को खींचता रहा, कई बार तो उसकी पत्नी ने हाथ उसके कान से अलग की. ऐसा करते हुए देख निहारिका समझ गयी कि उसका पति गौरव किसी मामले को बस सुलझाने वाला ही है यानी मामला सुलझने के करीब है.
गौरव खाना खा चुका था, अपने बेड रूम में जाने के बाद उसने अपनी स्पेनिश गिटार को निकाल कर ट्यून करने लगा और आज वह स्टॉफ नोटेशन पर रियाज करने के बजाए ‘सेडोज' की धून बजाने लगा, जो निहारिका को भी बहुत पंसद था. कमरे में निहारिका ने बल्ब बुझा दिया था और हल्का नीला बल्ब एक अलग शमा बांध दिया था. गौरव बहुत ही तल्लीनता से ‘सेडोज' के धुन को काफी देर तक बजाता रहा, निहारिका बिस्तर पर लेट चुकी थी और उसे कब नींद आ गयी पता ही नहीं चला. आंखें जब खुली तो सूर्य की किरणों खिड़की से कमरे में आ रही थी, निहारिका ने जब खिड़की के पर्दे को हटाया तो सामने गौरव हरी-हरी दूब घास पर नंगे बदन वर्जिश करने में तल्लीन दिखा. निहारिका जल्दी-जल्दी नाश्ते की तैयारी में जुट गयी और ठीक 7.30 बजे गौरव नाश्ते के लिए टेबल पर आ गया. नाश्ता करने के बाद आज जल्द ही वह कार्यालय के लिए जाने की इच्छा जाहिर की. श्यामू बुलैट को पोर्टिको में ले आया था. निहारिका को बाय-बाय करते हुए गौरव कार्यालय के लिए निकल पड़ा लेकिन कार्यालय जाने से पहले वह अकेले ही मिस ब्रिगेंजा के घर चर्च रोड़ की ओर चल दिया. इत्तफाक से मिस बिग्रेंजा का आजकल ‘नाइट शिफ्ट' डियूटी चल रहा था इसलिए वह घर पर ही मिल गयी. गौरव के प्रभावशाली व्यक्तित्व को देखकर मिस बिग्रेजा बहुत ही खूश हो जाती, वैसे कोई भी लड़की या औरत गौरव को देखकर उसे दोबारा देखने को मजबूर तो हो ही जाती थी. मिस बिग्रेंजा गौरव को बरामदे पर ही मिल गयी. गुड मार्निंग, मिस बिग्रेजा, गौरव ने गरमजोशी से कहा.
गूड मार्निंग, इंस्पेक्टर गौरव, कहिए आज सुबह-सुबह इधर कैसे, मिस बिग्रेजा ने पूछा ?
गौरव मामले को बिना घूमाए-फिराए सीधा प्रश्न किया, मिस बिग्रेजा, आपकी छोटी बहन लीना से बात हुयी थी ?
मिस बिग्रेजा ने कुछ सोचते हुए कहा कि लीना से तो हमारी बात तभी हुयी थी जब वह यहां नामकूम में थी उसके बाद तो उसकी एक सहेली स्वीटी ने फोन कर मुझे बताया था कि लीना बिना वीसा एवं पासपोर्ट के विदेश जाना चाहती है. लीना का कहना था कि उसे भारत में खतरा है, ऐसा स्वीटी ने फोन पर मुझे कहा था.
गौरव ने फिर प्रश्न किया कितने दिन पहले स्वीटी ने यह फोन किया था ?
मिस बिग्रेजा ने कुछ देर चुप रहने के बाद कही कि पैकेट मिलने के सप्ताह भी पहले.
और पैकेट आपको कब मिला, गौरव ने पूछा ?
14 मई को, मिस बिग्रेंजा ने उत्तर दिया.
ठीक है मिस बिग्रेजा, एक आखरी सवाल, गौरव ने पूछा ? पार्सल पैकेट मिलने के बाद सबसे पहले आपने क्या किया, मिस ब्रिगेंजा ?
उसे खोल कर देखा और क्या ?
देखने के बाद, आप घबरा गयी, गौरव ने कहा, फिर आपने क्या किया, गौरव ने पूछा ?
मैंने नामकूम अपनी बहन मिसेज डिकोस्टा को फोन किया और पार्सल पैकेट की बात बतायी, मिस बिग्रेजा ने सोचते हुए कहा. मिसेज डिकोस्टा यानी मेरी बहन ने मुझसे पूछा कि पैकेट कहां से आया है तो मैंने बताया कि करोल बाग दिल्ली से पैकेट आया है. तब मेरी बहन ने पुलिस को सूचित करने को कहा,
मिसेज बिग्रेजा अपने आप कही जा रही थी.
तब आपने पुलिस को सूचना दिया, गौरव ने बात को आगे बढ़ाई.
मिस ब्रिगेंजा ने कहा.
समझ गया मिस बिग्रेजा, गौरव सोफा से उठते हुए, मिस बिगेंजा को थैंक्स कहा और निकल पड़ा. बुलैट स्टार्ट कर सीधा मिस्टर डिकोस्टा के गैरेज पहुंचा. रास्ते में वह सोच रहा था कि या तो लीना और जोजेफ यहां रांची आए होंगे या फिर मिस्टर डिकोस्टा दिल्ली गया होगा !
गैरेज पहुंचते ही गौरव ने देबू को बुलाया, देबू बा तो गया पर आते ही कहा कि साहब उस दिन मिस्टर डिकोस्टा ने शराब पीने के बाद मुझे बहुत पीटा और पूछता रहा कि मैंने आपको क्या-क्या बताया है.
तुमने क्या बताया, देबू, गौरव ने बड़े प्यार से पूछा ?
सब कुछ बताना पड़ा साहब, नहीं तो उस रात मिस्टर डिकोस्टा मेरी जान ही ले लेते.
कोई बात नहीं देबू, अच्छा किया तुमने बता दिया, गौरव ने उसकी पीठ थपथपाते हुए कहा. अब आखरी सवाल का जवाब सोच-समझ कर दो, गौरव ने थोड़ा डांटते हुए पूछा. मई के पहले सप्ताह में क्या जोजेफ नाम का कोई आदमी के साथ लीना यहां मिस्टर डिकोस्टा के यहां आया था, गौरव ने देबू से पूछा?
देबू बोला, हां साहब, आए थे लेकिन जहां तक मुझे याद आता है कि उन दोनों को मेरे मालिक मिस्टर डिकोस्टा खूद दिल्ली पहुंचाने गए थे.
गौरव ने पूछा, जोजेफ और लीना को तुमने मिस्टर डिकोस्टा को साथ ले जाते देखा था ?
नहीं, सुना था, देबू ने कहा, पर हां मिस्टर डिकोस्टा दो दिन बाद दिल्ली से वापस आए थे.
गौरव को प्रश्नों का जवाब मिल गया था, उसने देबू को कहा, घबराने की जरूरत नहीं है, देबू. इस बार तुम्हें अगर मिस्टर डिकोस्टा मारे तो उसे कह देना कि उसकी उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. गौरव बुलैट स्टार्ट कर चुका था और कुछ ही देर में अपने कार्यालय पहुंच गया.
राजदत्त इंतजार ही कर रहा था, उसे मामले का हल का इंतजार था.
आते ही गौरव ने राजदत्त को कहा कि पुलिस वैन तैयार रखने को कहो, मिस्टर डिकोस्टा को गिरफ्तार करने तुंरत चलना है.
राजदत्त ने पूछा, क्या मामला हल हो गया सर जी ?
गौरव ने कहा कि आगे की कहानी यह है कि जोजेफ और लीना रांची आए थे. जोजेफ, लीना और मिसेज डिकोस्टा दोनों को पंसद करने लगा था. मिसेज डिकोस्टा उसे अपनी छोटी बहन का मंगेतर के रूप् में देखती थी और हंसी-मजाक की छूट दे रखी थी. मिस्टर डिकोस्टा शकी किस्म का आदमी है और लीना को भी अपने पास रखना चाहता था. लीना उसके घर पर तो ठहरती ही थी कई बार मिस्टर डिकोस्टा को शराब पीने के बाद आपत्तिजनक स्थिति में लीना के साथ देखकर मिसेज डिकोस्टा से उसकी तू-तू, मैं-मैं होती रहती थी, जब मिस्टर डिकोस्टा जोजेफ को यहां से भेज देने की बात कहा करता था. मिसेज डिकोस्टा को अपने पति से घृणा होने लगी थी. लीना खूले विचारों की लड़की थी, उसे मिस्टर डिकोस्टा को शराब के नशे में तंग करने में एक तरह का आनंद आता था. मिस्टर डिकोस्टा जब लीना के साथ व्यस्त रहता था उस समय जोजेफ मिसेज डिकोस्टा के पास चला जाता था और उसके पति के खराब चाल-चलन की शिकायत कर मिसेज डिकोस्टा को भावनात्मक रूप् से ब्लैक मेल करता था.
राजदत्त बीच में गौरव को रोकते हुए कहा कि सर जी, ये शीशे की तरह साफ घटनाक्रम की जानकारी आपको किससे मिली ?
गौरव ने मुस्कुराते हुए कहा, मानव मनोविज्ञान, राजदत्त.
मुझे तो किस्तों में घटनाएं मिली, गौरव ने कहा, उसे मैंने जोड़कर पूर्ण कहानी बना दिया. आगे नहीं सुनोगे, राजदत्त, फिर क्या हुआ ?
हां-हां कहिए, सर जी, फिर क्या हुआ, राजदत्त ने पूछा ?
गौरव बोला मई के पहले सप्ताह में जब लीना और जोजेफ रांची आए और मिस्टर डिकोस्टा के यहां रूके वो उनलोगों की जिंदगी की आखरी रात थी, गौरव थेड़ा रूका, आगे की बात हम लोग वैन पर करेगेंं, दोनों वैन पर बैठ गए पुलिस फोर्स साथ पीछे था, गौरव आगे कहना शुरू किया, जिस रात मिसेज डिकोस्टा से मिस्टर डिकोस्टा की लड़ाई हुई वह संभवत 7 या 8 मई रही होगी, उसी रात लीना और जोजेफ को मिस्टर डिकोस्टा ने जहर से मार दिया.
एक मिनट, सर जी, राजदत्त ने टोका. लाश तो मिली नहीं सर जी, तो आपको कैसे पता चला कि मिस्टर डिकोस्टा जहर से ही उन लोगों को मारा ?
गौरव ने कहा, राजदत्त बच्चों जैसे सवाल मत करो ! जहर देकर इसलिए मारा क्योंकि अगर किसी और तरीके से मारने की कोशिश की होती तो मिसेज डिकोस्टा को पता चल सकता था और मिस्टर डिकोस्टा ऐसा नहीं चाहता था वही तो वो आज तक बचा नहीं रह सकता था बल्कि उसी दिन पकड़ा जाता. गौरव ने फिर मुस्कुराया और आगे कहना शुरू किया, जहर देकर मारने के बाद किसी धारदार हथियार से जोजेफ के अंगूठे और लीना की तर्जनी उंगली को काटा और लाशों को तो दफना दिया.
दफना दिया, कहीं और भी तो छुपा सकता है मिस्टर डिकोस्टा, राजदत्त ने फिर सवाल किया ?
गौरव बोला अगर कहीं छिपा दिया होता या पानी में फेंक दिया होता तो अब तक लाश मिल गयी होती, लाश का नहीं मिलना ही इस अनुमान को सत्य प्रमाणित करता है कि लाश को दफना कर मिस्टर डिकोस्टा अपने गैरेज मैकेनिकों को यह कह कर कि वह लीना और जोजेफ को दिल्ली छोड़ने जा रहा है, दिल्ली चला गया और वहां पार्सल पैकेट में उंगलियों को रखकर कनॉट प्लेस डाकघर से मिस बिग्रेजा को भेज दिया.
राजदत्त अब उत्तेजित हो चुका था, उसने पूछा मिस बिग्रेजा को क्यों ?
गौरव ने कहा, मिस ब्रिगेंजा को इसलिए भेजा क्योंकि मिस्टर डिकोस्टा जानता था कि पार्सल मिलते ही मिस ब्रिगेंजा उसकी पत्नी यानी मिसेज डिकोस्टा तुरंत लीना और जोजेफ को कोन्टेक्ट करने की कोशिश करेगी पर लीना और जोजेफ से कोन्टेक्ट नहीं होने पर चिंतित हो जाएगी और दुख झेलेगी और यही दुख मिस्टर डिकोस्टा अपनी पत्नी को देना चाहता था क्योंकि उसे शक था कि जोजेफ से उसकी पत्नी मन ही मन प्यार करने लगी थी.
बाह सर जी, राजदत्त ने गौरव से कहा, आपने तो मामले को शीशे की तरह साफ कर दिया.
गौरव ने कहा मिस्टर डिकोस्टा बहुत ही शातीर किस्म का आदमी के भेष में शैतान है. उसे तुरंत गिरफतार करना जरूरी है नहीं तो वो रांची छोड़ देगा. वैन अब तक मिस्टर डिकोस्टा के गैरेज पहुंच चुकी थी, गौरव और राजदत्त देख रहे थे कि मिस्टर डिकोस्टा अपनी कार पर बैठ कर कहीं जाने की तैयारी कर रहा है. गौरव वैन से कूदते हुए मिस्टर डिकोस्टा के सामने जा पहुंचा, राजदत्त हथकड़ी लेकर पीछे-पीछे आ गया था.
यू आर अंडर एरेस्ट, मिस्टर डिकोस्टा, गौरव ने कहा और राजदत्त ने उसके हाथों में हथकड़ी डाल दी और खींचते हुए पुलिस वैन में बैठा दिया.
रास्ते में गौरव ने राजदत्त से कहा, अब तुम्हारा काम शुरू होता है राजदत्त, हवालात में दो-चार डंडे में ही मिस्टर डिकोस्टा बता देगा कि लाशों को उसने कहां दफनाया है.
थाना आ गया था.
गौरव राजदत्त से यह कहते हुए कि बहुत थक गया हॅूं, आज मुझे डिर्स्टब मत करना. बुलैट स्टार्ट किया और अपने घर की तरफ हैंडल मोड़ दिया.
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राजीव आंनद
प्रोफेसर कॉलोनी, न्यू बरगंड़ा
गिरिडीह-815301 झारखंड़
मोबाइल 9471765417
zabardast. Jasoosi kahani dene ke liye Rajiv ji ko badhai vastav me Gaurav uttam jasoos hai kash aise bahut sare jasoos hamare desh me hote to tamam durbhagypuran ghatnayen na hotin aur sabhi apradhi salaakhon ke peechhe
जवाब देंहटाएंRajiv ji ne ek professional writer jaisi hi kahani di hai ek bar dobara badhaiee
बहुत सुन्दर और अनवरत कहानी
जवाब देंहटाएंUttam....
जवाब देंहटाएंUtaam...
जवाब देंहटाएंGood story
जवाब देंहटाएंVah
जवाब देंहटाएंBaht khubsurat kahani hain.
जवाब देंहटाएंNice one
जवाब देंहटाएंAap apna email id mujhe de skte hae yh aap ke lye bhi labhkari ho ga ------- Mo-----9779430413
जवाब देंहटाएंtotally चुतियापा, एक होनहार जासूस को पता ही नहीं चलता, कि जूनियर पास खड़ा है।No logic in investigation, totally imagination, ऐसा हुआ होगा, ऐसा किया होगा।
जवाब देंहटाएंशेरलॉक होम्स की कहानी की कॉपी है।
जवाब देंहटाएंMarvealous and amazing story
जवाब देंहटाएंnice sir maja aa gya
जवाब देंहटाएंलाजवाब
जवाब देंहटाएं१ ) इंस्पेक्टर गौरव को कैसे पता चला की जहर देके हत्या की है? लाश को खा दफना दिया था? उसका कोई पता नहीं? पोस्ट मार्टम भी नहीं हुआ लाशों का ?
जवाब देंहटाएं२) सिर्फ ऊँगली से कैसे जज कर लिया के दोनों बहनो की उंगलिया एक जैसी है? उंगलियोमे थोड़ा बहोत तो फरक रहता ही है ?
३) केस अदालत जाना चाइये था और गुनेगार को सजा भी होनी चाहिए थी . कहानी में यह बात नहीं लिखी है
४) जहर कैसे दिया? सच उगलवाना चाहिए था गुनहगार से