( व्यंग्य ) चुनाव चिन्हों के संदेश आजकल चुनाव का मौसम है। चुनाव में 'चुनाव चिह्न' का बहुत बड़ा महत्त्व होता है। हर चिन्ह जनत...
(व्यंग्य)
चुनाव चिन्हों के संदेश
आजकल चुनाव का मौसम है। चुनाव में 'चुनाव चिह्न' का बहुत बड़ा महत्त्व होता है। हर चिन्ह जनता के लिए संदेश देता है। वह पार्टी, नेता और उसकी नियति का घोषणा-पत्र होता है, जिसे गाहे-बगाहे लोग पढ़ अथवा समझ पाते हैं। बाकी लोग तो बस औपचारिकता निभाते हैं। अपने वोट की बलि उस पर चढ़ाते हैं।
राष्ट्रीय पार्टियों के चिन्ह सबसे ज्यादा चुनाव के समय ही उतरते हैं, जिसकी सरकार होती है, उसके चिन्ह नजर आते हैं। 'कमल का फूल' अक्सर दिखाई पड़ता है। यह भक्ति का प्रतीक है, धर्म का प्रतीक है। कमल का फूल कीचड़ में खिलता है। इसके माध्यम से नेता कहता ह,ै कि तुम सब कीचड़ की तरह ही हमारे लिए रहोगे और हम चुनाव जीतकर कमल की तरह खिलकर मुस्कराएँगे और देश में कीचड़ ही कीचड़ फैलाएँगे।
हाथ का 'पंजा' भी अपना संदेश देता है और नेताओं की नियति का बयान करता है। यदि पंजे को जिताओगे तो पाँच वषरें तक लगातार चाँटे खाओगे। पूरी ताकत हमारे हाथों में होगी और तुम सदा पछताओगे। पंजे की मार कौन झेल पाएगा, जो जिताएगा, वही सताया जाएगा।
'हाथी' का निशान खाने का प्रतीक है। हाथी जिस तरह फल-फूल, पेड़-पौधे खाता है, उसी तरह नेता भी जीतकर देश को खाएगा और पाँच वर्षों में सब कुछ पचा जाएगा। यदि कोई इसके खिलाफ आवाज उठाएगा, तो हाथी बौरा जाएगा और सूँड़ से उठा-उठाकर सबको पटखनी लगाएगा। हाथी सिर्फ अपने नेता को पीठ पर बैठाएगा और जनता को कुचलता हुआ चला जाएगा।
'साइकिल' का निशान भी अद्भुत है। साइकिल को जो जिताएगा, वह घनचक्कर बन जाएगा। पहिए की तरह नचाया जाएगा। साइकिल की तरह देश को भी नेता पंक्चर कर जाएगा।
कुछ लोगों का चुनाव चिह्न 'कार' है। इसको जिताना पूरी तरह बेकार है। वह डकैतों का सरदार है। जनता को लूट कर भागने के लिए पूरी तरह तैयार है। ये गरीबों की नहीं सुनेगा। झोपड़-पट्टी गिरवाएगा। महल बनवाएगा। सिर्फ कार वाले ही इससे लाभ उठाएँगे, बाकी सब घाटे में जाएँगे और बाद में खोपड़ी पर हाथ रखकर पछताएँगे।
'हवाई जहाज' भी कुछ नेताओं का चुनाव निशान है। उनके लिए देश सोने की खान है। वे जीत कर सारा कीमती माल जहाज पर चढ़ायेंगे। देश को कुएँ में धकेल कर स्वयं भाग जाएँगे। कोई जीवित न रहे, इसलिए आसमान से पत्थर बरसाएँगे। जो फिर भी बच जाएँगे,उन्हें आसमान से पुनः जमीन पर गिरायेंगे।
गैस-चूल्हे के निशान वाला नेता देश को चाय की तरह खूब पकाएगा और स़ुड़क-सुड़क कर बड़े चाव से धीरे-धीरे पी जाएगा। जनता को सिर्फ ठेंगा दिखाकर मुँह चिढ़ाएगा।
पंखे के निशान वाला नेता घोटाले का पंखा इतनी जोर चलाएगा,कि सारे देश का खजाना उसकी स्वीस बैंक के लॉकर में अपने आप चला जाएगा।
'लालटेन' का निशान भी कुछ बताता है। नेता के चरित्र को स्पष्ट रुप से समझाता है। जिस तरह लालटेन धीरे-धीरे घासलेट पी जाती है, उसी तरह लालटेन के निशान वाला नेता पूरे देश को पी जाएगा और जनता को पता भी नहीं चल पाएगा। उजाले में लालटेन जलाएगा और अँधेरे में बुझाएँगा। जो बचेगा, उस पर घासलेट डालकर आग लगाएगा।
धनुष-बाण वाला नेता किसी को जीवित नहीं छोड़ेगा। एक-एक को निशाना बनाएगा और अपना तीर सबके दिल में उतारेगा। विकास को धनुष-बाण पर रखकर नर्क तक पहुँचाएगा और स्वयं स्वर्गलोक का आनन्द उठाएगा।
'ताला-चाभी' का निशान चोट्टे नेताओं से बचने का संकेत देता है। यदि इसे जिताओगे तो बहुत पछताओगे। दिमाग का ताला बंद करके चाभी आतंकियों के हवाले कर दी जाएगी। तालाबंद कंपनियों की तरह देश भी रोयेगा, किन्तु ताला खुल नहीं पाएगा।
'तलवार' का निशान कहता है ,कि सिर्फ एक बार जिता दो, फिर एक-एक को काटकर फेंक दिया जाएँगा। कोई इन्सान सही-सलामत जिंदा नहीं रह पाएगा। ये नेता खून की नदियाँ खूब बहायेगा और स्वयं उसमें डुबकी मार-मारकर प्रसन्नता से नहायेगा।
'कुर्सी' का निशान नवाबी का एहसास कराता है। एक बार कुर्सी पर बैठा भर दीजिए, फिर कोई माई का लाल पाँच साल तक उसे हटा नहीं पायेगा। चुनाव जीतने के बाद पूरी जिंदगी नवाबों की तरह बिताएगा। जो बीच में आएगा, उसे काल कोठरी में सड़ाएगा।
'हँसियां' का निशान काटने का प्रतीक है। जिस तरह किसान फसल काटता है, अन्न खाता है उसी तरह नेता वोटों की फसल काटेगा और पूरे देश को खायेगा। यदि थोड़ा-बहुत रह जायेगा तो बेच आएगा।
'हल-बैल' का निशान गुलामी का प्रतीक है। जो हल-बैल को जिताएगा, वह बैल की स्थिति में शीघ्र ही आ जाएगा और नेताओं की चाबुक सड़ासड़ खायेगा। वह हमेशा हल या बैलगाड़ी में जुता ही रह जायेगा।
'गाय' के निशान वाला नेता देश को गाय की तरह दुहेगा और जरुरत पड़ी तो खून तक पीएगा। यह नेता सिर्फ अपना भला करेगा। देश को जीवन भर छलेगा।
'कैंची' के निशान वाले नेता की जुबान कैंची की तरह ही चलती है और भोली-भाली जनता को सदैव छलती है। जीतने के बाद उनकी कैंची जनता की जेब पर ही चलती है और जनता की जेब रेलवे स्टेशन पर खड़े यात्री की तरह वोट देने के बदले हर दिन कटती है। ऐसे नेताओं की किसी से नहीं बनती है।
'बंदूक' का निशान आतंक का प्रतीक है। आतंकवादियों के लिए ये नेता बिल्कुल ठीक है। जीतने के बाद ये नेता जनता को गोलियों से भून देंगे। दहशत की हुकूमत निरन्तर चलाएँगे। अग्नि में जनता को झोंक देंगे। ये स्वतंत्रता की पीठ में भाला भोंक देंगे।
'गदहा' का निशान इस बात का प्रतीक है, कि वोट लेने वाला भी गदहा है और वोट देने वाला गदहा है। जो भी इसे जिताएगा, वह गधे के समतुल्य हो जायेगा और हमेशा दुलत्तियाँ खाएगा।
'कुत्ते' के निशान वाला नेता जीतने के बाद भौंक-भौंक कर जनता को भगायेगा। जो न भागेगा, उसे वह काट खाएगा। अपना विष रगों में उतारकर कुत्ता बनायेगा और वोटर बेचारा घर का न घाट का रह जाएगा।
इस चुनावी महासंग्राम में जनता हर तरफ से मारी ही जाएगी। देश का चीरहरण होगा और नेता दुर्योधन की तरह खिलखिलाएगा। कोई कृष्ण जनता की लाज बचाने न आएगा। वोट कितना भी समझ-बूझकर दो, अन्त में राज्य धृतराष्ट्र ही चलायेंगे।
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राम नरेश उज्ज्वल
मुंशी खेड़ा,
पो0 अमौसी एयरपोर्ट,
लखनऊ-226009
जीवन-वृत्त
नाम : राम नरेश 'उज्ज्वल'
पिता का नाम : श्री राम नरायन
विधा : कहानी, कविता, व्यंग्य, लेख, समीक्षा आदि
अनुभव : विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लगभग पाँच सौ
रचनाओं का प्रकाशन
प्रकाशित पुस्तके : 1-'चोट्टा'(राज्य संसाधन केन्द्र,उ0प्र0
द्वारा पुरस्कृत)
2-'अपाहिज़'(भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से पुरस्कृत)
3-'घुँघरू बोला'(राज्य संसाधन केन्द्र,उ0प्र0 द्वारा पुरस्कृत)
4-'लम्बरदार'
5-'ठिगनू की मूँछ'
6- 'बिरजू की मुस्कान'
7-'बिश्वास के बंधन'
8- 'जनसंख्या एवं पर्यावरण'
सम्प्रति : 'पैदावार' मासिक में उप सम्पादक के पद पर कार्यरत
सम्पर्क : उज्ज्वल सदन, मुंशी खेड़ा, पो0- अमौसी हवाई अड्डा, लखनऊ-226009
मोबाइल : 09616586495
ई-मेल : rnujjwal@gmail.com
आपने काफी परिश्रम किया है ,जनता को ही समझने की जरुरत है.
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